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असल में मेरे वहाँ जाने के दो कारण थे। पहला तो मैं जानना चाहती थी कि मेरे और श्रेया के वहाँ जाने पर क्या कबीर हमसे बात करने की कोशिश करेगा या नहीं और दूसका कारण यह था कि मैं कबीर के सामने स्मोक करके उसे यकीन दिलाना चाहती थी कि मैं उसकी बहन निशा नहीं हूँ। क्योंकि निशा यानि मुझे स्मोकिंग करने बाले लोगों से सख्त नफरत थी। इसलिए कबीर के सामने स्मोकिंग करने पर उसे पक्का यकीन हो जाऐगा कि मैं उसकी बहन निशा हो ही नहीं सकती।
जब मैं और श्रेया आपस में बातें करते हुए उस चाय की टपरी पर पहुँचे तो हमें वहाँ देखकर कबीर बुरी तरह से डर गया। जो उसके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रहा था। शायद हमारे वहाँ जाने से उसे लगा हो कि हम लोग उसे डाँटने या फिर उससे झगडा करने आऐ हैं। पर जब हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो थोडा रिलेक्स हो गया। लेकिन अगले ही पल जब हमने चाय की टपरी पर से दो सिगरेट और चाय ली तो वो बुरी तरह से हैरान रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि हम लोग स्मोकिंग करते होंगे।
हाँलाकि मैंने कबीर के चेहरे पर आऐ एक्सप्रेशन साफ साफ देख लिए थे। पर मैंने उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था। उस छोटी सी टपरी बाले से चाय और सिगरेट लेकर मैं और श्रेया टपरी के पीछे की तरफ डली लकडी की ब्रेंच पर जाकर बैठ गए और चाय के साथ सिगरेट के कश लेने लगे। मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी भी स्मोकिंग नहीं की थी। इसलिए पहला कश लेते ही मुझे तेज खाँसी आने लगी। वो तो शुक्र है कि कबीर उस टपरी के बाहर बाले एरिया में खडा हुआ था और उसने मुझे ऐसे खांसते हुए नहीं देखा।
बर्ना उसके सामने आज मेरा भाँडा फूट सकता था। लेकिन एक दो कश लेने के बाद ही मैं पूरी तरह से नॉर्मल हो गई थी। तभी अचानकर से कबीर भी पीछे की साईड आकर हमारे पास बैठ गया। अब जब वो खुद ही हमारे पास हमसे बात करने आया था, तो फिर श्रेया कहाँ पीछे रहने बाली थी। इसलिए उसने आखिरकार कबीर से सबाल कर ही लिया
श्रेया- आखिर तुम चाहते क्या हो मिस्टर कबीर शर्मा… इस तरह हमारा पीछा करने का क्या मतलब है….
श्रेया का सबाल सुनकर कबीर कुछ हिचकिचाया और फिर बोला
कबीर- नहीं तो.. मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा हूँ… लगता है कि तुम्हें कुछ गलत फहमी हुई है।
कबीर का जबाब सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें क्या हम बेबकूफ नजर आ रहे हैं… हम लोग जहाँ भी जाते हैं, तुम भी वहाँ पहुँच ही जाते हो, कॉलेज में भी तुम सारा सारा दिन केवल अमृता को ही घूरते रहते हो, यहाँ तक कि तुम आज हमारे घर तक आ गए हो। तुम्हें क्या लगता है कि हम लडकियाँ हैं तो तुम्हारा कुछ बिगाड नहीं सकतीं… किसी लडकी को स्टॉक करना या उसे गलत तरीके से घूरने पर तुम्हें जेल भी हो सकती है…. तुम्हारी इन हरकतों की बजह से पिछले कुछ दिनोें से अमृता का घर से बाहर निकलना भी बंद हो गया है, हंसना और दोस्तों के साथ हंसी मजाक करना तो वो लगभग भूल ही गई है, यहाँ तक की वो हम लोगों से भी ठीक से बात नहीं कर रही है।
श्रेया की बात सुनकर कबीर बुरी तरह से शॉक्ड होते हुए बोला
कबीर- आई आई एम सॉरी…. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था….
श्रेया- तो फिर तुम अमृता को स्टॉक क्यों कर रहे हो….
कबीर- वो वो बात बस इतनी सी है कि मुझे अमृता पर थोडा शक था….
श्रेया- शक कैसा शक….
कबीर- वो वो असल में अमृता का चेहरा मुझे काफी जाना पहचाना लग रहा है… ऐसा लग रहा है जैसे मैं इसे पहले से ही जानता हूँ।
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें नहीं लगता कि यह डॉयलॉग कुछ ज्यादा ही पुराना हो गया है…. अक्सर लडके लडकियों पर लाईन मारने के लिए इस डॉयलॉग का यूज करते रहते हैं। पर हम लोगों पर तुम्हारी इन बातों का कोई असर नहीं होने बाला
कबीर- नहीं नहीं मैं सच कह रहा हूँ। अगर तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है, तो मैं तुम्हें इसका सबूत दे सकता हूँ।
कबीर की बात सुनकर मेरे दिल की धडकन अचानक से बहुत तेज हो गई थीं… एक पल तो मुझे लगा कि मेरा भाण्डा अब बस फूटने ही बाला है। तभी कबीर ने अपने मोबाईल में हमारी फैमली पिक्चर निकाल कर श्रेया की तरफ अपना मोबाईल बडा दिया। यह सब देखकर मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग गया था और मेरे हाथ पैर डर के कारण बुरी तरह से काँप रहे थे। यहाँ तक की मेरे हाथों से सिगरेट भी नीचे जा गिरी थी। जैसे ही श्रेया ने उस फोटो को देखा, तो वो भी हैरान रह गई। असल में कबीर ने जो फोटो श्रेया को दिखाई थी, वो उस दिन की थी, जिस दिन मैं कबीर और पापा को मथुरा बृंदावन घुमाने ले गई थी। तभी कबीर ने एक साथ हम लोगों की सेल्फी ली थी।
हाँलाकि अपने मरने का नाटक करने से पहले ही मैंने अपनी सारी पुरानी पिक्चर्स अपने सभी जान पहचान बालों के मोबाईल से डिलीट कर दी थी, यहाँ तक की मैंने अपनी शादी की फोटो एलबम भी नष्ट कर दी थी। ताकि किसी को भी मेरी फोटो ना मिले। पर गलती से यह सेल्फी कबीर के मोबाईल में रह गई थी और यह गलती अब मेरे ऊपर बहुत भारी पडने बाली थी। मैं यह सब सोच ही रही थी कि तभी श्रेया बोली
श्रेया- कौन है यह लडकी… और इसका चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है
श्रेया की बात सुनकर एक पल के लिए तो मेरे दिल ने धडकना ही बंद कर दिया था। पर अगले ही पल कबीर ने जो कुछ भी कहा उसे सुनकर मैंने राहत की एक सांस ली
कबीर- एक साल पहले कार एक्सीडेंट में दीदी की डेथ हो गई थी…. शायद उसे अब एक्सीडेंट कहना सही नहीं होगा… क्योंकि वो एक मर्डर था…. असल में दीदी के पति अमन गुप्ता ने वो एक्सीडेंट प्लान किया था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया काफी शॉक्ड थी, साथ ही साथ उसे निशा के बारे में सच जानकर दुख भी हो रहा था। इसलिए वो बोली
श्रेया- ओह.. आई एम सॉरी…. मुझे इस बारे में पता नहीं था… पर तुम्हारी बहन का चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है….
कबीर- मुझे नहीं पता… सच कहूँ तो मैं भी इस सबाल का जबाब जानना चाहता था… बस इसीलिए मैं अमृता का पीछा कर रहा था और उसपर नजर रख रहा था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया खिलखिलाकर हंसते हुए बोली
श्रेया- कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लग रहा है कि अमृता ही तुम्हारी बडी बहन है….
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है… हाँलाकि यह बात सही है कि अमृता का चेहरा निशा दीदी से काफी मिलता जुलता है…. पर अगर तुम निशा दीदी के फोटो को और अमृता के चेहरे को ध्यान से देखोगी तो तुम्हें दोनों के चेहरे में काफी अंतर महसूस होगा, इसके अलावा निशा दीदी की आँखों का रंग काला था, जबकि अमृता की आंखों का रंग हरा है, साथ ही साथ दोनों की एज में भी अच्छा खासा अंतर है। अगर निशा दीदी जिंदा होत तो आज उनकी एज 28 साल होती… पर अमृता को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो 19-20 साल से ज्यादा की नहीं है।
कबीर की बात सुनकर श्रेया एक गहरी सांस लेते हुए बोली
श्रेया- हुम्म तुम सही कह रहे हो… इस पिक्चर में तुम्हारी दीदी की एज काफी ज्यादा लग रही है, साथ ही साथ हम अगर उनके फेसियल फीचर्स और फिगर की तुलना अमृता से करें, तो उसमें भी काफी अंतर है। तो क्या तुम्हें अब भी शक है कि अमृता ही तुम्हारी निशा दीदी है….
श्रेया की बात सुनकर कबीर मुस्कुराते हुए बोला
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है…. अमृता मेरी निशा दीदी नहीं हो सकती… अमृता की पर्सनेलिटी और निशा दीदी की पर्सनेलिटी में काफी अंतर है…. अमृता का बात करने का तरीका, चलने का तरीका, खाने पीने की आदतें सब कुछ निशा दीदी से काफी अलग है। सिबाय एक आदत के…
श्रेया- कौन सी
कबीर- कॉफी… निशा दीदी की तरह अमृता को भी कॉफी का एडिक्शन है…..
श्रेया- ओ ओ… तो तुमने अमृता के बारे में इतना बस कुछ पता कर लिया है…. पर एक बात मुझे समझ नहीं आ रही है। तुम्हारा सरनेम शर्मा है और तुम अपनी दीदी का सरनेम गुप्ता बता रहे हो। यह कैसे पॉशीवल है….
श्रेया का बेबकूफी भरा सबाल सुनकर मैंने उसे गुस्से से घूरते हुए मन ही मन सोचा
“डफर इतनी छोटी सी बात समझ में नहीं आई तुझे…. शादी के बाद लडकियाँ अपने पिता की जगह अपने पति का सरनेम यूज करती हैँ।”
मैं अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी कबीर ने श्रेया का डाऊट क्लीयर करते हुए कहा
कबीर- वो दरअसल निशा दीदी के पति का सरनेम गुप्ता था… इसलिए शादी के बाद वो निशा शर्मा से निशा गुप्ता बन गई…..
श्रेया- हाँ हाँ यह तो मैं पहले ही समझ गई थी… पर अभी अभी तुमने ही तो कहा है कि तुम्हारी दीदी के पति ने ही उनका मर्डर प्लान किया था। तो फिर तुम अपनी दीदी के नाम के साथ उनके पति का सरनेम आखिर कैसे यूज कर सकते हो। मेरे ख्याल से तुम्हें अपनी दीदी के नाम के साथ अपना सरनेम ही यूज करना चाहिए।
श्रेया की बात सुनकर मैं हैरानी से उसे देखा, असल में वो लॉजीकली सही बोल रही थी। इसलिए मैंने मन ही मन सोचा
“श्रेया की बातोंं में पाईंट तो है… शायद यह उतनी भी डफर नहीं है, जितना मैं सोच रही थी।….. सॉरी श्रेया तुम डफर बिल्कुल भी नहीं हो…”
वहीँ दूसरी तरफ कबीर भी श्रेया की बात सुनकर हैरान होते हुए बोला
कबीर- हाँ यार.. तुम सही कह रही हो… मैंने तो इस बारे में कभी सोचा ही नहीं… अगली बार से मैं दीदी को निशा गुप्ता की जगह निशा शर्मा कहरकर ही बुलाऊंगा
श्रेया- यह तो अच्छी बात है….. बैसे तुम्हें यह बात कब पता चली कि अमृता तुुम्हारी निशा दीदी नहीं है।
कबीर- यह तो मैं पहले दिन ही जान गया था। असल में जब पहली बार हम दोनों आपस में टकराऐ थे, तो अपनी निशा दीदी के चेहरे से मिलती जुलती लडकी देखकर मैं हैरान रह गया था। पर फिर मैंने ध्यान से अमृता का चेहरा देखा तो मुझे उसमें और अपनी निशा दीदी में काफी अंतर महसूस हुआ। तभी मैं समझ गया था कि अमृता और निशा दीदी दोनों अलग अलग इंशान है। इसके बाद एक दो दिन तक अमृता पर नजर रखने के बाद मेरे सारे डाऊट क्लीयर हो गए थे।
कबीर और श्रेया की बातें सुनकर मैंने राहत की एक लम्बी सांस ली थी…. असल में मुझे भी दिल ही दिल में यह यकीन था कि कबीर मुझे पहचान नहीं पाया होगा और उसे बस मेरे निशा होने पर शक होगा। लेकिन फिर भी अपना राज खुलने के डर के कारण मैं परेशान थी। पर अब जब मुझे पता चल गया था कि कबीर का शक दूर हो चुका है। तो मुझे अब डरने की कोई जरूरत नहीं थी, बैसे भी कबीर ने पुरानी निशा और अब की अमृता के बीच जो अंतर बताऐ थे, वो सब सच थे। पिछले एक साल से मैंने साक्षी और पूर्वी के साथ ट्रेनिंग के दौरान अपनी पर्सनेलिटी में काफी सुधार किया था। अब मैं किसी मैच्योर औरत की जगह किसी टीन ऐज लडकी की तरह ही विहेव करने लगी थी। जिस कराण मेरा कान्फि़डेंस अब बापिस आ चुका था। इसलिए मैंने कबीर से सबाल किया
अमृता- जब तुम सच जान ही गए थे, तो इस तरह मेरा पीछा करके मुझे परेशान क्यों कर रहे हो। अगर तुम सच में चाहते हो कि मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस कम्प्लेन ना करूँ तो मेरा पीछा करना और मुझे घूरना बंद कर दो…. तुम्हारी इन हरकतों से सभी लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे है…..
मेरी बात सुनकर कबीर शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी अमृता, मेरा इरादा तुम्हें परेशान करने या तुम्हें डाराने का बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस तुम्हारे आस पास इसलिए रहता हूँ ताकि अपनी निशा दीदी को याद कर सकूँ।
कबीर की इस बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा। पर श्रेया कहाँ चुप रहने बाली थी। वो तुरंत बोली
श्रेया- अगर ऐसी बात थी तो तुमने डायरेक्ट हमारे पास आकर हमसे इस बारे में बात क्यों नहीं की। हो सकता है कि हम तुम्हें अपने फ्रेंडस ग्रुप में सामिल कर लेते…. उसके बाद तुम हमारे दोस्त के रूप में जब चाहे अमृता से मिल भी सकते थे और उससे बात भी कर सकते थे।
कबीर- वो वो तुम लोग हमेशा लडकियों के साथ ही रहती हो, तो मुझे लगा कि शायद तुम मुझे अपना दोस्त ना बनाओ….
श्रेया- अरे डफर… जब हम लडकियाँ हैं तो लडकियों के ग्रुप में ही तो रहेंगी ना…. पर ऐसा नहीं है कि हम केवल लडकियाँ को ही अपना फ्रेंड बनाऐंगे। हमारे कई मेल फ्रेंड भी हैं…. लेकिन वो लोग यहाँ कानपुर में नहीं रहते…. और फिर अभी हमें यहाँ कानपुर आऐ 1-2 महिने ही तो हुए हैं। हम ऐसे ही किसी भी लडके को अपना फ्रेंड तो बना नहीं सकते हैं ना। अगर तुम पूरी ईमानदारी के साथ हमारे पास आकर सब कुछ सच सच बता देते, तो हम लोग पक्का तुम्हें अपना फ्रेंड बना लेते।
श्रेया की बात सुनकर कबीर थोडा शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी…… मैं सच में डफर हूँ…. सच कहूँ तो मेरे ज्यादा दोस्त नहीं हैं और किसी लडकी से तो आज तक मेरी दोस्ती नहीं हुई है… इसलिए मेरी तुम लोगों से इस बारे में बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई… और फिर मुझे डर था कि अगर मैं तुम्हारा दोस्त बन भी गया तो दूसरे लोग पता नहीं हमारे बारे में कैसी कैसी बातें करेंगे।
कबीर की बात सुनकर मैंने चिढते हुए कहा
अमृता- दोस्त बनकर रहने में कोई बुराई नहीं है…. पर तुम इतने दिनोें से मेरे साथ जो हकत करते आ रहे हो, उससे जरूर कई लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे होंगे। तुमने तो पूजा का दिल भी तोड दिया है….
मैंने जानबूझकर पूजा का जिक्र कबीर के सामने किया था, ताकि कबीर का ध्यान पूजा की तरफ डायवर्ट हो जाऐ। उससे दो फायदे थे, एक तो कबीर का ध्यान मुझसे हटकर पूजा पर चला जाऐगा और दूसरा कॉलेज में मुझे और कबीर को लेकर जो रूमर चल रहे थे, वो पूरी तरह से बंद हो जाऐंगे।
असल में मेरे वहाँ जाने के दो कारण थे। पहला तो मैं जानना चाहती थी कि मेरे और श्रेया के वहाँ जाने पर क्या कबीर हमसे बात करने की कोशिश करेगा या नहीं और दूसका कारण यह था कि मैं कबीर के सामने स्मोक करके उसे यकीन दिलाना चाहती थी कि मैं उसकी बहन निशा नहीं हूँ। क्योंकि निशा यानि मुझे स्मोकिंग करने बाले लोगों से सख्त नफरत थी। इसलिए कबीर के सामने स्मोकिंग करने पर उसे पक्का यकीन हो जाऐगा कि मैं उसकी बहन निशा हो ही नहीं सकती।
जब मैं और श्रेया आपस में बातें करते हुए उस चाय की टपरी पर पहुँचे तो हमें वहाँ देखकर कबीर बुरी तरह से डर गया। जो उसके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रहा था। शायद हमारे वहाँ जाने से उसे लगा हो कि हम लोग उसे डाँटने या फिर उससे झगडा करने आऐ हैं। पर जब हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो थोडा रिलेक्स हो गया। लेकिन अगले ही पल जब हमने चाय की टपरी पर से दो सिगरेट और चाय ली तो वो बुरी तरह से हैरान रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि हम लोग स्मोकिंग करते होंगे।
हाँलाकि मैंने कबीर के चेहरे पर आऐ एक्सप्रेशन साफ साफ देख लिए थे। पर मैंने उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था। उस छोटी सी टपरी बाले से चाय और सिगरेट लेकर मैं और श्रेया टपरी के पीछे की तरफ डली लकडी की ब्रेंच पर जाकर बैठ गए और चाय के साथ सिगरेट के कश लेने लगे। मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी भी स्मोकिंग नहीं की थी। इसलिए पहला कश लेते ही मुझे तेज खाँसी आने लगी। वो तो शुक्र है कि कबीर उस टपरी के बाहर बाले एरिया में खडा हुआ था और उसने मुझे ऐसे खांसते हुए नहीं देखा।
बर्ना उसके सामने आज मेरा भाँडा फूट सकता था। लेकिन एक दो कश लेने के बाद ही मैं पूरी तरह से नॉर्मल हो गई थी। तभी अचानकर से कबीर भी पीछे की साईड आकर हमारे पास बैठ गया। अब जब वो खुद ही हमारे पास हमसे बात करने आया था, तो फिर श्रेया कहाँ पीछे रहने बाली थी। इसलिए उसने आखिरकार कबीर से सबाल कर ही लिया
श्रेया- आखिर तुम चाहते क्या हो मिस्टर कबीर शर्मा… इस तरह हमारा पीछा करने का क्या मतलब है….
श्रेया का सबाल सुनकर कबीर कुछ हिचकिचाया और फिर बोला
कबीर- नहीं तो.. मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा हूँ… लगता है कि तुम्हें कुछ गलत फहमी हुई है।
कबीर का जबाब सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें क्या हम बेबकूफ नजर आ रहे हैं… हम लोग जहाँ भी जाते हैं, तुम भी वहाँ पहुँच ही जाते हो, कॉलेज में भी तुम सारा सारा दिन केवल अमृता को ही घूरते रहते हो, यहाँ तक कि तुम आज हमारे घर तक आ गए हो। तुम्हें क्या लगता है कि हम लडकियाँ हैं तो तुम्हारा कुछ बिगाड नहीं सकतीं… किसी लडकी को स्टॉक करना या उसे गलत तरीके से घूरने पर तुम्हें जेल भी हो सकती है…. तुम्हारी इन हरकतों की बजह से पिछले कुछ दिनोें से अमृता का घर से बाहर निकलना भी बंद हो गया है, हंसना और दोस्तों के साथ हंसी मजाक करना तो वो लगभग भूल ही गई है, यहाँ तक की वो हम लोगों से भी ठीक से बात नहीं कर रही है।
श्रेया की बात सुनकर कबीर बुरी तरह से शॉक्ड होते हुए बोला
कबीर- आई आई एम सॉरी…. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था….
श्रेया- तो फिर तुम अमृता को स्टॉक क्यों कर रहे हो….
कबीर- वो वो बात बस इतनी सी है कि मुझे अमृता पर थोडा शक था….
श्रेया- शक कैसा शक….
कबीर- वो वो असल में अमृता का चेहरा मुझे काफी जाना पहचाना लग रहा है… ऐसा लग रहा है जैसे मैं इसे पहले से ही जानता हूँ।
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें नहीं लगता कि यह डॉयलॉग कुछ ज्यादा ही पुराना हो गया है…. अक्सर लडके लडकियों पर लाईन मारने के लिए इस डॉयलॉग का यूज करते रहते हैं। पर हम लोगों पर तुम्हारी इन बातों का कोई असर नहीं होने बाला
कबीर- नहीं नहीं मैं सच कह रहा हूँ। अगर तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है, तो मैं तुम्हें इसका सबूत दे सकता हूँ।
कबीर की बात सुनकर मेरे दिल की धडकन अचानक से बहुत तेज हो गई थीं… एक पल तो मुझे लगा कि मेरा भाण्डा अब बस फूटने ही बाला है। तभी कबीर ने अपने मोबाईल में हमारी फैमली पिक्चर निकाल कर श्रेया की तरफ अपना मोबाईल बडा दिया। यह सब देखकर मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग गया था और मेरे हाथ पैर डर के कारण बुरी तरह से काँप रहे थे। यहाँ तक की मेरे हाथों से सिगरेट भी नीचे जा गिरी थी। जैसे ही श्रेया ने उस फोटो को देखा, तो वो भी हैरान रह गई। असल में कबीर ने जो फोटो श्रेया को दिखाई थी, वो उस दिन की थी, जिस दिन मैं कबीर और पापा को मथुरा बृंदावन घुमाने ले गई थी। तभी कबीर ने एक साथ हम लोगों की सेल्फी ली थी।
हाँलाकि अपने मरने का नाटक करने से पहले ही मैंने अपनी सारी पुरानी पिक्चर्स अपने सभी जान पहचान बालों के मोबाईल से डिलीट कर दी थी, यहाँ तक की मैंने अपनी शादी की फोटो एलबम भी नष्ट कर दी थी। ताकि किसी को भी मेरी फोटो ना मिले। पर गलती से यह सेल्फी कबीर के मोबाईल में रह गई थी और यह गलती अब मेरे ऊपर बहुत भारी पडने बाली थी। मैं यह सब सोच ही रही थी कि तभी श्रेया बोली
श्रेया- कौन है यह लडकी… और इसका चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है
श्रेया की बात सुनकर एक पल के लिए तो मेरे दिल ने धडकना ही बंद कर दिया था। पर अगले ही पल कबीर ने जो कुछ भी कहा उसे सुनकर मैंने राहत की एक सांस ली
कबीर- एक साल पहले कार एक्सीडेंट में दीदी की डेथ हो गई थी…. शायद उसे अब एक्सीडेंट कहना सही नहीं होगा… क्योंकि वो एक मर्डर था…. असल में दीदी के पति अमन गुप्ता ने वो एक्सीडेंट प्लान किया था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया काफी शॉक्ड थी, साथ ही साथ उसे निशा के बारे में सच जानकर दुख भी हो रहा था। इसलिए वो बोली
श्रेया- ओह.. आई एम सॉरी…. मुझे इस बारे में पता नहीं था… पर तुम्हारी बहन का चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है….
कबीर- मुझे नहीं पता… सच कहूँ तो मैं भी इस सबाल का जबाब जानना चाहता था… बस इसीलिए मैं अमृता का पीछा कर रहा था और उसपर नजर रख रहा था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया खिलखिलाकर हंसते हुए बोली
श्रेया- कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लग रहा है कि अमृता ही तुम्हारी बडी बहन है….
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है… हाँलाकि यह बात सही है कि अमृता का चेहरा निशा दीदी से काफी मिलता जुलता है…. पर अगर तुम निशा दीदी के फोटो को और अमृता के चेहरे को ध्यान से देखोगी तो तुम्हें दोनों के चेहरे में काफी अंतर महसूस होगा, इसके अलावा निशा दीदी की आँखों का रंग काला था, जबकि अमृता की आंखों का रंग हरा है, साथ ही साथ दोनों की एज में भी अच्छा खासा अंतर है। अगर निशा दीदी जिंदा होत तो आज उनकी एज 28 साल होती… पर अमृता को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो 19-20 साल से ज्यादा की नहीं है।
कबीर की बात सुनकर श्रेया एक गहरी सांस लेते हुए बोली
श्रेया- हुम्म तुम सही कह रहे हो… इस पिक्चर में तुम्हारी दीदी की एज काफी ज्यादा लग रही है, साथ ही साथ हम अगर उनके फेसियल फीचर्स और फिगर की तुलना अमृता से करें, तो उसमें भी काफी अंतर है। तो क्या तुम्हें अब भी शक है कि अमृता ही तुम्हारी निशा दीदी है….
श्रेया की बात सुनकर कबीर मुस्कुराते हुए बोला
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है…. अमृता मेरी निशा दीदी नहीं हो सकती… अमृता की पर्सनेलिटी और निशा दीदी की पर्सनेलिटी में काफी अंतर है…. अमृता का बात करने का तरीका, चलने का तरीका, खाने पीने की आदतें सब कुछ निशा दीदी से काफी अलग है। सिबाय एक आदत के…
श्रेया- कौन सी
कबीर- कॉफी… निशा दीदी की तरह अमृता को भी कॉफी का एडिक्शन है…..
श्रेया- ओ ओ… तो तुमने अमृता के बारे में इतना बस कुछ पता कर लिया है…. पर एक बात मुझे समझ नहीं आ रही है। तुम्हारा सरनेम शर्मा है और तुम अपनी दीदी का सरनेम गुप्ता बता रहे हो। यह कैसे पॉशीवल है….
श्रेया का बेबकूफी भरा सबाल सुनकर मैंने उसे गुस्से से घूरते हुए मन ही मन सोचा
“डफर इतनी छोटी सी बात समझ में नहीं आई तुझे…. शादी के बाद लडकियाँ अपने पिता की जगह अपने पति का सरनेम यूज करती हैँ।”
मैं अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी कबीर ने श्रेया का डाऊट क्लीयर करते हुए कहा
कबीर- वो दरअसल निशा दीदी के पति का सरनेम गुप्ता था… इसलिए शादी के बाद वो निशा शर्मा से निशा गुप्ता बन गई…..
श्रेया- हाँ हाँ यह तो मैं पहले ही समझ गई थी… पर अभी अभी तुमने ही तो कहा है कि तुम्हारी दीदी के पति ने ही उनका मर्डर प्लान किया था। तो फिर तुम अपनी दीदी के नाम के साथ उनके पति का सरनेम आखिर कैसे यूज कर सकते हो। मेरे ख्याल से तुम्हें अपनी दीदी के नाम के साथ अपना सरनेम ही यूज करना चाहिए।
श्रेया की बात सुनकर मैं हैरानी से उसे देखा, असल में वो लॉजीकली सही बोल रही थी। इसलिए मैंने मन ही मन सोचा
“श्रेया की बातोंं में पाईंट तो है… शायद यह उतनी भी डफर नहीं है, जितना मैं सोच रही थी।….. सॉरी श्रेया तुम डफर बिल्कुल भी नहीं हो…”
वहीँ दूसरी तरफ कबीर भी श्रेया की बात सुनकर हैरान होते हुए बोला
कबीर- हाँ यार.. तुम सही कह रही हो… मैंने तो इस बारे में कभी सोचा ही नहीं… अगली बार से मैं दीदी को निशा गुप्ता की जगह निशा शर्मा कहरकर ही बुलाऊंगा
श्रेया- यह तो अच्छी बात है….. बैसे तुम्हें यह बात कब पता चली कि अमृता तुुम्हारी निशा दीदी नहीं है।
कबीर- यह तो मैं पहले दिन ही जान गया था। असल में जब पहली बार हम दोनों आपस में टकराऐ थे, तो अपनी निशा दीदी के चेहरे से मिलती जुलती लडकी देखकर मैं हैरान रह गया था। पर फिर मैंने ध्यान से अमृता का चेहरा देखा तो मुझे उसमें और अपनी निशा दीदी में काफी अंतर महसूस हुआ। तभी मैं समझ गया था कि अमृता और निशा दीदी दोनों अलग अलग इंशान है। इसके बाद एक दो दिन तक अमृता पर नजर रखने के बाद मेरे सारे डाऊट क्लीयर हो गए थे।
कबीर और श्रेया की बातें सुनकर मैंने राहत की एक लम्बी सांस ली थी…. असल में मुझे भी दिल ही दिल में यह यकीन था कि कबीर मुझे पहचान नहीं पाया होगा और उसे बस मेरे निशा होने पर शक होगा। लेकिन फिर भी अपना राज खुलने के डर के कारण मैं परेशान थी। पर अब जब मुझे पता चल गया था कि कबीर का शक दूर हो चुका है। तो मुझे अब डरने की कोई जरूरत नहीं थी, बैसे भी कबीर ने पुरानी निशा और अब की अमृता के बीच जो अंतर बताऐ थे, वो सब सच थे। पिछले एक साल से मैंने साक्षी और पूर्वी के साथ ट्रेनिंग के दौरान अपनी पर्सनेलिटी में काफी सुधार किया था। अब मैं किसी मैच्योर औरत की जगह किसी टीन ऐज लडकी की तरह ही विहेव करने लगी थी। जिस कराण मेरा कान्फि़डेंस अब बापिस आ चुका था। इसलिए मैंने कबीर से सबाल किया
अमृता- जब तुम सच जान ही गए थे, तो इस तरह मेरा पीछा करके मुझे परेशान क्यों कर रहे हो। अगर तुम सच में चाहते हो कि मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस कम्प्लेन ना करूँ तो मेरा पीछा करना और मुझे घूरना बंद कर दो…. तुम्हारी इन हरकतों से सभी लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे है…..
मेरी बात सुनकर कबीर शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी अमृता, मेरा इरादा तुम्हें परेशान करने या तुम्हें डाराने का बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस तुम्हारे आस पास इसलिए रहता हूँ ताकि अपनी निशा दीदी को याद कर सकूँ।
कबीर की इस बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा। पर श्रेया कहाँ चुप रहने बाली थी। वो तुरंत बोली
श्रेया- अगर ऐसी बात थी तो तुमने डायरेक्ट हमारे पास आकर हमसे इस बारे में बात क्यों नहीं की। हो सकता है कि हम तुम्हें अपने फ्रेंडस ग्रुप में सामिल कर लेते…. उसके बाद तुम हमारे दोस्त के रूप में जब चाहे अमृता से मिल भी सकते थे और उससे बात भी कर सकते थे।
कबीर- वो वो तुम लोग हमेशा लडकियों के साथ ही रहती हो, तो मुझे लगा कि शायद तुम मुझे अपना दोस्त ना बनाओ….
श्रेया- अरे डफर… जब हम लडकियाँ हैं तो लडकियों के ग्रुप में ही तो रहेंगी ना…. पर ऐसा नहीं है कि हम केवल लडकियाँ को ही अपना फ्रेंड बनाऐंगे। हमारे कई मेल फ्रेंड भी हैं…. लेकिन वो लोग यहाँ कानपुर में नहीं रहते…. और फिर अभी हमें यहाँ कानपुर आऐ 1-2 महिने ही तो हुए हैं। हम ऐसे ही किसी भी लडके को अपना फ्रेंड तो बना नहीं सकते हैं ना। अगर तुम पूरी ईमानदारी के साथ हमारे पास आकर सब कुछ सच सच बता देते, तो हम लोग पक्का तुम्हें अपना फ्रेंड बना लेते।
श्रेया की बात सुनकर कबीर थोडा शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी…… मैं सच में डफर हूँ…. सच कहूँ तो मेरे ज्यादा दोस्त नहीं हैं और किसी लडकी से तो आज तक मेरी दोस्ती नहीं हुई है… इसलिए मेरी तुम लोगों से इस बारे में बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई… और फिर मुझे डर था कि अगर मैं तुम्हारा दोस्त बन भी गया तो दूसरे लोग पता नहीं हमारे बारे में कैसी कैसी बातें करेंगे।
कबीर की बात सुनकर मैंने चिढते हुए कहा
अमृता- दोस्त बनकर रहने में कोई बुराई नहीं है…. पर तुम इतने दिनोें से मेरे साथ जो हकत करते आ रहे हो, उससे जरूर कई लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे होंगे। तुमने तो पूजा का दिल भी तोड दिया है….
मैंने जानबूझकर पूजा का जिक्र कबीर के सामने किया था, ताकि कबीर का ध्यान पूजा की तरफ डायवर्ट हो जाऐ। उससे दो फायदे थे, एक तो कबीर का ध्यान मुझसे हटकर पूजा पर चला जाऐगा और दूसरा कॉलेज में मुझे और कबीर को लेकर जो रूमर चल रहे थे, वो पूरी तरह से बंद हो जाऐंगे।
असल में मेरे वहाँ जाने के दो कारण थे। पहला तो मैं जानना चाहती थी कि मेरे और श्रेया के वहाँ जाने पर क्या कबीर हमसे बात करने की कोशिश करेगा या नहीं और दूसका कारण यह था कि मैं कबीर के सामने स्मोक करके उसे यकीन दिलाना चाहती थी कि मैं उसकी बहन निशा नहीं हूँ। क्योंकि निशा यानि मुझे स्मोकिंग करने बाले लोगों से सख्त नफरत थी। इसलिए कबीर के सामने स्मोकिंग करने पर उसे पक्का यकीन हो जाऐगा कि मैं उसकी बहन निशा हो ही नहीं सकती।
जब मैं और श्रेया आपस में बातें करते हुए उस चाय की टपरी पर पहुँचे तो हमें वहाँ देखकर कबीर बुरी तरह से डर गया। जो उसके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रहा था। शायद हमारे वहाँ जाने से उसे लगा हो कि हम लोग उसे डाँटने या फिर उससे झगडा करने आऐ हैं। पर जब हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो थोडा रिलेक्स हो गया। लेकिन अगले ही पल जब हमने चाय की टपरी पर से दो सिगरेट और चाय ली तो वो बुरी तरह से हैरान रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि हम लोग स्मोकिंग करते होंगे।
हाँलाकि मैंने कबीर के चेहरे पर आऐ एक्सप्रेशन साफ साफ देख लिए थे। पर मैंने उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था। उस छोटी सी टपरी बाले से चाय और सिगरेट लेकर मैं और श्रेया टपरी के पीछे की तरफ डली लकडी की ब्रेंच पर जाकर बैठ गए और चाय के साथ सिगरेट के कश लेने लगे। मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी भी स्मोकिंग नहीं की थी। इसलिए पहला कश लेते ही मुझे तेज खाँसी आने लगी। वो तो शुक्र है कि कबीर उस टपरी के बाहर बाले एरिया में खडा हुआ था और उसने मुझे ऐसे खांसते हुए नहीं देखा।
बर्ना उसके सामने आज मेरा भाँडा फूट सकता था। लेकिन एक दो कश लेने के बाद ही मैं पूरी तरह से नॉर्मल हो गई थी। तभी अचानकर से कबीर भी पीछे की साईड आकर हमारे पास बैठ गया। अब जब वो खुद ही हमारे पास हमसे बात करने आया था, तो फिर श्रेया कहाँ पीछे रहने बाली थी। इसलिए उसने आखिरकार कबीर से सबाल कर ही लिया
श्रेया- आखिर तुम चाहते क्या हो मिस्टर कबीर शर्मा… इस तरह हमारा पीछा करने का क्या मतलब है….
श्रेया का सबाल सुनकर कबीर कुछ हिचकिचाया और फिर बोला
कबीर- नहीं तो.. मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा हूँ… लगता है कि तुम्हें कुछ गलत फहमी हुई है।
कबीर का जबाब सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें क्या हम बेबकूफ नजर आ रहे हैं… हम लोग जहाँ भी जाते हैं, तुम भी वहाँ पहुँच ही जाते हो, कॉलेज में भी तुम सारा सारा दिन केवल अमृता को ही घूरते रहते हो, यहाँ तक कि तुम आज हमारे घर तक आ गए हो। तुम्हें क्या लगता है कि हम लडकियाँ हैं तो तुम्हारा कुछ बिगाड नहीं सकतीं… किसी लडकी को स्टॉक करना या उसे गलत तरीके से घूरने पर तुम्हें जेल भी हो सकती है…. तुम्हारी इन हरकतों की बजह से पिछले कुछ दिनोें से अमृता का घर से बाहर निकलना भी बंद हो गया है, हंसना और दोस्तों के साथ हंसी मजाक करना तो वो लगभग भूल ही गई है, यहाँ तक की वो हम लोगों से भी ठीक से बात नहीं कर रही है।
श्रेया की बात सुनकर कबीर बुरी तरह से शॉक्ड होते हुए बोला
कबीर- आई आई एम सॉरी…. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था….
श्रेया- तो फिर तुम अमृता को स्टॉक क्यों कर रहे हो….
कबीर- वो वो बात बस इतनी सी है कि मुझे अमृता पर थोडा शक था….
श्रेया- शक कैसा शक….
कबीर- वो वो असल में अमृता का चेहरा मुझे काफी जाना पहचाना लग रहा है… ऐसा लग रहा है जैसे मैं इसे पहले से ही जानता हूँ।
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें नहीं लगता कि यह डॉयलॉग कुछ ज्यादा ही पुराना हो गया है…. अक्सर लडके लडकियों पर लाईन मारने के लिए इस डॉयलॉग का यूज करते रहते हैं। पर हम लोगों पर तुम्हारी इन बातों का कोई असर नहीं होने बाला
कबीर- नहीं नहीं मैं सच कह रहा हूँ। अगर तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है, तो मैं तुम्हें इसका सबूत दे सकता हूँ।
कबीर की बात सुनकर मेरे दिल की धडकन अचानक से बहुत तेज हो गई थीं… एक पल तो मुझे लगा कि मेरा भाण्डा अब बस फूटने ही बाला है। तभी कबीर ने अपने मोबाईल में हमारी फैमली पिक्चर निकाल कर श्रेया की तरफ अपना मोबाईल बडा दिया। यह सब देखकर मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग गया था और मेरे हाथ पैर डर के कारण बुरी तरह से काँप रहे थे। यहाँ तक की मेरे हाथों से सिगरेट भी नीचे जा गिरी थी। जैसे ही श्रेया ने उस फोटो को देखा, तो वो भी हैरान रह गई। असल में कबीर ने जो फोटो श्रेया को दिखाई थी, वो उस दिन की थी, जिस दिन मैं कबीर और पापा को मथुरा बृंदावन घुमाने ले गई थी। तभी कबीर ने एक साथ हम लोगों की सेल्फी ली थी।
हाँलाकि अपने मरने का नाटक करने से पहले ही मैंने अपनी सारी पुरानी पिक्चर्स अपने सभी जान पहचान बालों के मोबाईल से डिलीट कर दी थी, यहाँ तक की मैंने अपनी शादी की फोटो एलबम भी नष्ट कर दी थी। ताकि किसी को भी मेरी फोटो ना मिले। पर गलती से यह सेल्फी कबीर के मोबाईल में रह गई थी और यह गलती अब मेरे ऊपर बहुत भारी पडने बाली थी। मैं यह सब सोच ही रही थी कि तभी श्रेया बोली
श्रेया- कौन है यह लडकी… और इसका चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है
श्रेया की बात सुनकर एक पल के लिए तो मेरे दिल ने धडकना ही बंद कर दिया था। पर अगले ही पल कबीर ने जो कुछ भी कहा उसे सुनकर मैंने राहत की एक सांस ली
कबीर- एक साल पहले कार एक्सीडेंट में दीदी की डेथ हो गई थी…. शायद उसे अब एक्सीडेंट कहना सही नहीं होगा… क्योंकि वो एक मर्डर था…. असल में दीदी के पति अमन गुप्ता ने वो एक्सीडेंट प्लान किया था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया काफी शॉक्ड थी, साथ ही साथ उसे निशा के बारे में सच जानकर दुख भी हो रहा था। इसलिए वो बोली
श्रेया- ओह.. आई एम सॉरी…. मुझे इस बारे में पता नहीं था… पर तुम्हारी बहन का चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है….
कबीर- मुझे नहीं पता… सच कहूँ तो मैं भी इस सबाल का जबाब जानना चाहता था… बस इसीलिए मैं अमृता का पीछा कर रहा था और उसपर नजर रख रहा था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया खिलखिलाकर हंसते हुए बोली
श्रेया- कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लग रहा है कि अमृता ही तुम्हारी बडी बहन है….
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है… हाँलाकि यह बात सही है कि अमृता का चेहरा निशा दीदी से काफी मिलता जुलता है…. पर अगर तुम निशा दीदी के फोटो को और अमृता के चेहरे को ध्यान से देखोगी तो तुम्हें दोनों के चेहरे में काफी अंतर महसूस होगा, इसके अलावा निशा दीदी की आँखों का रंग काला था, जबकि अमृता की आंखों का रंग हरा है, साथ ही साथ दोनों की एज में भी अच्छा खासा अंतर है। अगर निशा दीदी जिंदा होत तो आज उनकी एज 28 साल होती… पर अमृता को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो 19-20 साल से ज्यादा की नहीं है।
कबीर की बात सुनकर श्रेया एक गहरी सांस लेते हुए बोली
श्रेया- हुम्म तुम सही कह रहे हो… इस पिक्चर में तुम्हारी दीदी की एज काफी ज्यादा लग रही है, साथ ही साथ हम अगर उनके फेसियल फीचर्स और फिगर की तुलना अमृता से करें, तो उसमें भी काफी अंतर है। तो क्या तुम्हें अब भी शक है कि अमृता ही तुम्हारी निशा दीदी है….
श्रेया की बात सुनकर कबीर मुस्कुराते हुए बोला
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है…. अमृता मेरी निशा दीदी नहीं हो सकती… अमृता की पर्सनेलिटी और निशा दीदी की पर्सनेलिटी में काफी अंतर है…. अमृता का बात करने का तरीका, चलने का तरीका, खाने पीने की आदतें सब कुछ निशा दीदी से काफी अलग है। सिबाय एक आदत के…
श्रेया- कौन सी
कबीर- कॉफी… निशा दीदी की तरह अमृता को भी कॉफी का एडिक्शन है…..
श्रेया- ओ ओ… तो तुमने अमृता के बारे में इतना बस कुछ पता कर लिया है…. पर एक बात मुझे समझ नहीं आ रही है। तुम्हारा सरनेम शर्मा है और तुम अपनी दीदी का सरनेम गुप्ता बता रहे हो। यह कैसे पॉशीवल है….
श्रेया का बेबकूफी भरा सबाल सुनकर मैंने उसे गुस्से से घूरते हुए मन ही मन सोचा
“डफर इतनी छोटी सी बात समझ में नहीं आई तुझे…. शादी के बाद लडकियाँ अपने पिता की जगह अपने पति का सरनेम यूज करती हैँ।”
मैं अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी कबीर ने श्रेया का डाऊट क्लीयर करते हुए कहा
कबीर- वो दरअसल निशा दीदी के पति का सरनेम गुप्ता था… इसलिए शादी के बाद वो निशा शर्मा से निशा गुप्ता बन गई…..
श्रेया- हाँ हाँ यह तो मैं पहले ही समझ गई थी… पर अभी अभी तुमने ही तो कहा है कि तुम्हारी दीदी के पति ने ही उनका मर्डर प्लान किया था। तो फिर तुम अपनी दीदी के नाम के साथ उनके पति का सरनेम आखिर कैसे यूज कर सकते हो। मेरे ख्याल से तुम्हें अपनी दीदी के नाम के साथ अपना सरनेम ही यूज करना चाहिए।
श्रेया की बात सुनकर मैं हैरानी से उसे देखा, असल में वो लॉजीकली सही बोल रही थी। इसलिए मैंने मन ही मन सोचा
“श्रेया की बातोंं में पाईंट तो है… शायद यह उतनी भी डफर नहीं है, जितना मैं सोच रही थी।….. सॉरी श्रेया तुम डफर बिल्कुल भी नहीं हो…”
वहीँ दूसरी तरफ कबीर भी श्रेया की बात सुनकर हैरान होते हुए बोला
कबीर- हाँ यार.. तुम सही कह रही हो… मैंने तो इस बारे में कभी सोचा ही नहीं… अगली बार से मैं दीदी को निशा गुप्ता की जगह निशा शर्मा कहरकर ही बुलाऊंगा
श्रेया- यह तो अच्छी बात है….. बैसे तुम्हें यह बात कब पता चली कि अमृता तुुम्हारी निशा दीदी नहीं है।
कबीर- यह तो मैं पहले दिन ही जान गया था। असल में जब पहली बार हम दोनों आपस में टकराऐ थे, तो अपनी निशा दीदी के चेहरे से मिलती जुलती लडकी देखकर मैं हैरान रह गया था। पर फिर मैंने ध्यान से अमृता का चेहरा देखा तो मुझे उसमें और अपनी निशा दीदी में काफी अंतर महसूस हुआ। तभी मैं समझ गया था कि अमृता और निशा दीदी दोनों अलग अलग इंशान है। इसके बाद एक दो दिन तक अमृता पर नजर रखने के बाद मेरे सारे डाऊट क्लीयर हो गए थे।
कबीर और श्रेया की बातें सुनकर मैंने राहत की एक लम्बी सांस ली थी…. असल में मुझे भी दिल ही दिल में यह यकीन था कि कबीर मुझे पहचान नहीं पाया होगा और उसे बस मेरे निशा होने पर शक होगा। लेकिन फिर भी अपना राज खुलने के डर के कारण मैं परेशान थी। पर अब जब मुझे पता चल गया था कि कबीर का शक दूर हो चुका है। तो मुझे अब डरने की कोई जरूरत नहीं थी, बैसे भी कबीर ने पुरानी निशा और अब की अमृता के बीच जो अंतर बताऐ थे, वो सब सच थे। पिछले एक साल से मैंने साक्षी और पूर्वी के साथ ट्रेनिंग के दौरान अपनी पर्सनेलिटी में काफी सुधार किया था। अब मैं किसी मैच्योर औरत की जगह किसी टीन ऐज लडकी की तरह ही विहेव करने लगी थी। जिस कराण मेरा कान्फि़डेंस अब बापिस आ चुका था। इसलिए मैंने कबीर से सबाल किया
अमृता- जब तुम सच जान ही गए थे, तो इस तरह मेरा पीछा करके मुझे परेशान क्यों कर रहे हो। अगर तुम सच में चाहते हो कि मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस कम्प्लेन ना करूँ तो मेरा पीछा करना और मुझे घूरना बंद कर दो…. तुम्हारी इन हरकतों से सभी लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे है…..
मेरी बात सुनकर कबीर शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी अमृता, मेरा इरादा तुम्हें परेशान करने या तुम्हें डाराने का बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस तुम्हारे आस पास इसलिए रहता हूँ ताकि अपनी निशा दीदी को याद कर सकूँ।
कबीर की इस बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा। पर श्रेया कहाँ चुप रहने बाली थी। वो तुरंत बोली
श्रेया- अगर ऐसी बात थी तो तुमने डायरेक्ट हमारे पास आकर हमसे इस बारे में बात क्यों नहीं की। हो सकता है कि हम तुम्हें अपने फ्रेंडस ग्रुप में सामिल कर लेते…. उसके बाद तुम हमारे दोस्त के रूप में जब चाहे अमृता से मिल भी सकते थे और उससे बात भी कर सकते थे।
कबीर- वो वो तुम लोग हमेशा लडकियों के साथ ही रहती हो, तो मुझे लगा कि शायद तुम मुझे अपना दोस्त ना बनाओ….
श्रेया- अरे डफर… जब हम लडकियाँ हैं तो लडकियों के ग्रुप में ही तो रहेंगी ना…. पर ऐसा नहीं है कि हम केवल लडकियाँ को ही अपना फ्रेंड बनाऐंगे। हमारे कई मेल फ्रेंड भी हैं…. लेकिन वो लोग यहाँ कानपुर में नहीं रहते…. और फिर अभी हमें यहाँ कानपुर आऐ 1-2 महिने ही तो हुए हैं। हम ऐसे ही किसी भी लडके को अपना फ्रेंड तो बना नहीं सकते हैं ना। अगर तुम पूरी ईमानदारी के साथ हमारे पास आकर सब कुछ सच सच बता देते, तो हम लोग पक्का तुम्हें अपना फ्रेंड बना लेते।
श्रेया की बात सुनकर कबीर थोडा शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी…… मैं सच में डफर हूँ…. सच कहूँ तो मेरे ज्यादा दोस्त नहीं हैं और किसी लडकी से तो आज तक मेरी दोस्ती नहीं हुई है… इसलिए मेरी तुम लोगों से इस बारे में बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई… और फिर मुझे डर था कि अगर मैं तुम्हारा दोस्त बन भी गया तो दूसरे लोग पता नहीं हमारे बारे में कैसी कैसी बातें करेंगे।
कबीर की बात सुनकर मैंने चिढते हुए कहा
अमृता- दोस्त बनकर रहने में कोई बुराई नहीं है…. पर तुम इतने दिनोें से मेरे साथ जो हकत करते आ रहे हो, उससे जरूर कई लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे होंगे। तुमने तो पूजा का दिल भी तोड दिया है….
मैंने जानबूझकर पूजा का जिक्र कबीर के सामने किया था, ताकि कबीर का ध्यान पूजा की तरफ डायवर्ट हो जाऐ। उससे दो फायदे थे, एक तो कबीर का ध्यान मुझसे हटकर पूजा पर चला जाऐगा और दूसरा कॉलेज में मुझे और कबीर को लेकर जो रूमर चल रहे थे, वो पूरी तरह से बंद हो जाऐंगे।
असल में मेरे वहाँ जाने के दो कारण थे। पहला तो मैं जानना चाहती थी कि मेरे और श्रेया के वहाँ जाने पर क्या कबीर हमसे बात करने की कोशिश करेगा या नहीं और दूसका कारण यह था कि मैं कबीर के सामने स्मोक करके उसे यकीन दिलाना चाहती थी कि मैं उसकी बहन निशा नहीं हूँ। क्योंकि निशा यानि मुझे स्मोकिंग करने बाले लोगों से सख्त नफरत थी। इसलिए कबीर के सामने स्मोकिंग करने पर उसे पक्का यकीन हो जाऐगा कि मैं उसकी बहन निशा हो ही नहीं सकती।
जब मैं और श्रेया आपस में बातें करते हुए उस चाय की टपरी पर पहुँचे तो हमें वहाँ देखकर कबीर बुरी तरह से डर गया। जो उसके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रहा था। शायद हमारे वहाँ जाने से उसे लगा हो कि हम लोग उसे डाँटने या फिर उससे झगडा करने आऐ हैं। पर जब हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो थोडा रिलेक्स हो गया। लेकिन अगले ही पल जब हमने चाय की टपरी पर से दो सिगरेट और चाय ली तो वो बुरी तरह से हैरान रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि हम लोग स्मोकिंग करते होंगे।
हाँलाकि मैंने कबीर के चेहरे पर आऐ एक्सप्रेशन साफ साफ देख लिए थे। पर मैंने उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था। उस छोटी सी टपरी बाले से चाय और सिगरेट लेकर मैं और श्रेया टपरी के पीछे की तरफ डली लकडी की ब्रेंच पर जाकर बैठ गए और चाय के साथ सिगरेट के कश लेने लगे। मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी भी स्मोकिंग नहीं की थी। इसलिए पहला कश लेते ही मुझे तेज खाँसी आने लगी। वो तो शुक्र है कि कबीर उस टपरी के बाहर बाले एरिया में खडा हुआ था और उसने मुझे ऐसे खांसते हुए नहीं देखा।
बर्ना उसके सामने आज मेरा भाँडा फूट सकता था। लेकिन एक दो कश लेने के बाद ही मैं पूरी तरह से नॉर्मल हो गई थी। तभी अचानकर से कबीर भी पीछे की साईड आकर हमारे पास बैठ गया। अब जब वो खुद ही हमारे पास हमसे बात करने आया था, तो फिर श्रेया कहाँ पीछे रहने बाली थी। इसलिए उसने आखिरकार कबीर से सबाल कर ही लिया
श्रेया- आखिर तुम चाहते क्या हो मिस्टर कबीर शर्मा… इस तरह हमारा पीछा करने का क्या मतलब है….
श्रेया का सबाल सुनकर कबीर कुछ हिचकिचाया और फिर बोला
कबीर- नहीं तो.. मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा हूँ… लगता है कि तुम्हें कुछ गलत फहमी हुई है।
कबीर का जबाब सुनकर श्रेया झल्लाते हुए बोली
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें क्या हम बेबकूफ नजर आ रहे हैं… हम लोग जहाँ भी जाते हैं, तुम भी वहाँ पहुँच ही जाते हो, कॉलेज में भी तुम सारा सारा दिन केवल अमृता को ही घूरते रहते हो, यहाँ तक कि तुम आज हमारे घर तक आ गए हो। तुम्हें क्या लगता है कि हम लडकियाँ हैं तो तुम्हारा कुछ बिगाड नहीं सकतीं… किसी लडकी को स्टॉक करना या उसे गलत तरीके से घूरने पर तुम्हें जेल भी हो सकती है…. तुम्हारी इन हरकतों की बजह से पिछले कुछ दिनोें से अमृता का घर से बाहर निकलना भी बंद हो गया है, हंसना और दोस्तों के साथ हंसी मजाक करना तो वो लगभग भूल ही गई है, यहाँ तक की वो हम लोगों से भी ठीक से बात नहीं कर रही है।
श्रेया की बात सुनकर कबीर बुरी तरह से शॉक्ड होते हुए बोला
कबीर- आई आई एम सॉरी…. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था….
श्रेया- तो फिर तुम अमृता को स्टॉक क्यों कर रहे हो….
कबीर- वो वो बात बस इतनी सी है कि मुझे अमृता पर थोडा शक था….
श्रेया- शक कैसा शक….
कबीर- वो वो असल में अमृता का चेहरा मुझे काफी जाना पहचाना लग रहा है… ऐसा लग रहा है जैसे मैं इसे पहले से ही जानता हूँ।
श्रेया- ओह कम ऑन कबीर… तुम्हें नहीं लगता कि यह डॉयलॉग कुछ ज्यादा ही पुराना हो गया है…. अक्सर लडके लडकियों पर लाईन मारने के लिए इस डॉयलॉग का यूज करते रहते हैं। पर हम लोगों पर तुम्हारी इन बातों का कोई असर नहीं होने बाला
कबीर- नहीं नहीं मैं सच कह रहा हूँ। अगर तुम्हें मेरी बातों पर यकीन नहीं है, तो मैं तुम्हें इसका सबूत दे सकता हूँ।
कबीर की बात सुनकर मेरे दिल की धडकन अचानक से बहुत तेज हो गई थीं… एक पल तो मुझे लगा कि मेरा भाण्डा अब बस फूटने ही बाला है। तभी कबीर ने अपने मोबाईल में हमारी फैमली पिक्चर निकाल कर श्रेया की तरफ अपना मोबाईल बडा दिया। यह सब देखकर मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग गया था और मेरे हाथ पैर डर के कारण बुरी तरह से काँप रहे थे। यहाँ तक की मेरे हाथों से सिगरेट भी नीचे जा गिरी थी। जैसे ही श्रेया ने उस फोटो को देखा, तो वो भी हैरान रह गई। असल में कबीर ने जो फोटो श्रेया को दिखाई थी, वो उस दिन की थी, जिस दिन मैं कबीर और पापा को मथुरा बृंदावन घुमाने ले गई थी। तभी कबीर ने एक साथ हम लोगों की सेल्फी ली थी।
हाँलाकि अपने मरने का नाटक करने से पहले ही मैंने अपनी सारी पुरानी पिक्चर्स अपने सभी जान पहचान बालों के मोबाईल से डिलीट कर दी थी, यहाँ तक की मैंने अपनी शादी की फोटो एलबम भी नष्ट कर दी थी। ताकि किसी को भी मेरी फोटो ना मिले। पर गलती से यह सेल्फी कबीर के मोबाईल में रह गई थी और यह गलती अब मेरे ऊपर बहुत भारी पडने बाली थी। मैं यह सब सोच ही रही थी कि तभी श्रेया बोली
श्रेया- कौन है यह लडकी… और इसका चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है
श्रेया की बात सुनकर एक पल के लिए तो मेरे दिल ने धडकना ही बंद कर दिया था। पर अगले ही पल कबीर ने जो कुछ भी कहा उसे सुनकर मैंने राहत की एक सांस ली
कबीर- एक साल पहले कार एक्सीडेंट में दीदी की डेथ हो गई थी…. शायद उसे अब एक्सीडेंट कहना सही नहीं होगा… क्योंकि वो एक मर्डर था…. असल में दीदी के पति अमन गुप्ता ने वो एक्सीडेंट प्लान किया था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया काफी शॉक्ड थी, साथ ही साथ उसे निशा के बारे में सच जानकर दुख भी हो रहा था। इसलिए वो बोली
श्रेया- ओह.. आई एम सॉरी…. मुझे इस बारे में पता नहीं था… पर तुम्हारी बहन का चेहरा अमृता से इतना मिलता जुलता क्यों है….
कबीर- मुझे नहीं पता… सच कहूँ तो मैं भी इस सबाल का जबाब जानना चाहता था… बस इसीलिए मैं अमृता का पीछा कर रहा था और उसपर नजर रख रहा था।
कबीर की बात सुनकर श्रेया खिलखिलाकर हंसते हुए बोली
श्रेया- कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लग रहा है कि अमृता ही तुम्हारी बडी बहन है….
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है… हाँलाकि यह बात सही है कि अमृता का चेहरा निशा दीदी से काफी मिलता जुलता है…. पर अगर तुम निशा दीदी के फोटो को और अमृता के चेहरे को ध्यान से देखोगी तो तुम्हें दोनों के चेहरे में काफी अंतर महसूस होगा, इसके अलावा निशा दीदी की आँखों का रंग काला था, जबकि अमृता की आंखों का रंग हरा है, साथ ही साथ दोनों की एज में भी अच्छा खासा अंतर है। अगर निशा दीदी जिंदा होत तो आज उनकी एज 28 साल होती… पर अमृता को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो 19-20 साल से ज्यादा की नहीं है।
कबीर की बात सुनकर श्रेया एक गहरी सांस लेते हुए बोली
श्रेया- हुम्म तुम सही कह रहे हो… इस पिक्चर में तुम्हारी दीदी की एज काफी ज्यादा लग रही है, साथ ही साथ हम अगर उनके फेसियल फीचर्स और फिगर की तुलना अमृता से करें, तो उसमें भी काफी अंतर है। तो क्या तुम्हें अब भी शक है कि अमृता ही तुम्हारी निशा दीदी है….
श्रेया की बात सुनकर कबीर मुस्कुराते हुए बोला
कबीर- नहीं ऐसा नहीं है…. अमृता मेरी निशा दीदी नहीं हो सकती… अमृता की पर्सनेलिटी और निशा दीदी की पर्सनेलिटी में काफी अंतर है…. अमृता का बात करने का तरीका, चलने का तरीका, खाने पीने की आदतें सब कुछ निशा दीदी से काफी अलग है। सिबाय एक आदत के…
श्रेया- कौन सी
कबीर- कॉफी… निशा दीदी की तरह अमृता को भी कॉफी का एडिक्शन है…..
श्रेया- ओ ओ… तो तुमने अमृता के बारे में इतना बस कुछ पता कर लिया है…. पर एक बात मुझे समझ नहीं आ रही है। तुम्हारा सरनेम शर्मा है और तुम अपनी दीदी का सरनेम गुप्ता बता रहे हो। यह कैसे पॉशीवल है….
श्रेया का बेबकूफी भरा सबाल सुनकर मैंने उसे गुस्से से घूरते हुए मन ही मन सोचा
“डफर इतनी छोटी सी बात समझ में नहीं आई तुझे…. शादी के बाद लडकियाँ अपने पिता की जगह अपने पति का सरनेम यूज करती हैँ।”
मैं अभी यह सब सोच ही रही थी कि तभी कबीर ने श्रेया का डाऊट क्लीयर करते हुए कहा
कबीर- वो दरअसल निशा दीदी के पति का सरनेम गुप्ता था… इसलिए शादी के बाद वो निशा शर्मा से निशा गुप्ता बन गई…..
श्रेया- हाँ हाँ यह तो मैं पहले ही समझ गई थी… पर अभी अभी तुमने ही तो कहा है कि तुम्हारी दीदी के पति ने ही उनका मर्डर प्लान किया था। तो फिर तुम अपनी दीदी के नाम के साथ उनके पति का सरनेम आखिर कैसे यूज कर सकते हो। मेरे ख्याल से तुम्हें अपनी दीदी के नाम के साथ अपना सरनेम ही यूज करना चाहिए।
श्रेया की बात सुनकर मैं हैरानी से उसे देखा, असल में वो लॉजीकली सही बोल रही थी। इसलिए मैंने मन ही मन सोचा
“श्रेया की बातोंं में पाईंट तो है… शायद यह उतनी भी डफर नहीं है, जितना मैं सोच रही थी।….. सॉरी श्रेया तुम डफर बिल्कुल भी नहीं हो…”
वहीँ दूसरी तरफ कबीर भी श्रेया की बात सुनकर हैरान होते हुए बोला
कबीर- हाँ यार.. तुम सही कह रही हो… मैंने तो इस बारे में कभी सोचा ही नहीं… अगली बार से मैं दीदी को निशा गुप्ता की जगह निशा शर्मा कहरकर ही बुलाऊंगा
श्रेया- यह तो अच्छी बात है….. बैसे तुम्हें यह बात कब पता चली कि अमृता तुुम्हारी निशा दीदी नहीं है।
कबीर- यह तो मैं पहले दिन ही जान गया था। असल में जब पहली बार हम दोनों आपस में टकराऐ थे, तो अपनी निशा दीदी के चेहरे से मिलती जुलती लडकी देखकर मैं हैरान रह गया था। पर फिर मैंने ध्यान से अमृता का चेहरा देखा तो मुझे उसमें और अपनी निशा दीदी में काफी अंतर महसूस हुआ। तभी मैं समझ गया था कि अमृता और निशा दीदी दोनों अलग अलग इंशान है। इसके बाद एक दो दिन तक अमृता पर नजर रखने के बाद मेरे सारे डाऊट क्लीयर हो गए थे।
कबीर और श्रेया की बातें सुनकर मैंने राहत की एक लम्बी सांस ली थी…. असल में मुझे भी दिल ही दिल में यह यकीन था कि कबीर मुझे पहचान नहीं पाया होगा और उसे बस मेरे निशा होने पर शक होगा। लेकिन फिर भी अपना राज खुलने के डर के कारण मैं परेशान थी। पर अब जब मुझे पता चल गया था कि कबीर का शक दूर हो चुका है। तो मुझे अब डरने की कोई जरूरत नहीं थी, बैसे भी कबीर ने पुरानी निशा और अब की अमृता के बीच जो अंतर बताऐ थे, वो सब सच थे। पिछले एक साल से मैंने साक्षी और पूर्वी के साथ ट्रेनिंग के दौरान अपनी पर्सनेलिटी में काफी सुधार किया था। अब मैं किसी मैच्योर औरत की जगह किसी टीन ऐज लडकी की तरह ही विहेव करने लगी थी। जिस कराण मेरा कान्फि़डेंस अब बापिस आ चुका था। इसलिए मैंने कबीर से सबाल किया
अमृता- जब तुम सच जान ही गए थे, तो इस तरह मेरा पीछा करके मुझे परेशान क्यों कर रहे हो। अगर तुम सच में चाहते हो कि मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस कम्प्लेन ना करूँ तो मेरा पीछा करना और मुझे घूरना बंद कर दो…. तुम्हारी इन हरकतों से सभी लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे है…..
मेरी बात सुनकर कबीर शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी अमृता, मेरा इरादा तुम्हें परेशान करने या तुम्हें डाराने का बिल्कुल भी नहीं था। मैं तो बस तुम्हारे आस पास इसलिए रहता हूँ ताकि अपनी निशा दीदी को याद कर सकूँ।
कबीर की इस बात का मेरे पास कोई जबाब नहीं था। इसलिए मैंने चुप रहना ही ठीक समझा। पर श्रेया कहाँ चुप रहने बाली थी। वो तुरंत बोली
श्रेया- अगर ऐसी बात थी तो तुमने डायरेक्ट हमारे पास आकर हमसे इस बारे में बात क्यों नहीं की। हो सकता है कि हम तुम्हें अपने फ्रेंडस ग्रुप में सामिल कर लेते…. उसके बाद तुम हमारे दोस्त के रूप में जब चाहे अमृता से मिल भी सकते थे और उससे बात भी कर सकते थे।
कबीर- वो वो तुम लोग हमेशा लडकियों के साथ ही रहती हो, तो मुझे लगा कि शायद तुम मुझे अपना दोस्त ना बनाओ….
श्रेया- अरे डफर… जब हम लडकियाँ हैं तो लडकियों के ग्रुप में ही तो रहेंगी ना…. पर ऐसा नहीं है कि हम केवल लडकियाँ को ही अपना फ्रेंड बनाऐंगे। हमारे कई मेल फ्रेंड भी हैं…. लेकिन वो लोग यहाँ कानपुर में नहीं रहते…. और फिर अभी हमें यहाँ कानपुर आऐ 1-2 महिने ही तो हुए हैं। हम ऐसे ही किसी भी लडके को अपना फ्रेंड तो बना नहीं सकते हैं ना। अगर तुम पूरी ईमानदारी के साथ हमारे पास आकर सब कुछ सच सच बता देते, तो हम लोग पक्का तुम्हें अपना फ्रेंड बना लेते।
श्रेया की बात सुनकर कबीर थोडा शर्मिंदा होते हुए बोला
कबीर- आई एम सॉरी…… मैं सच में डफर हूँ…. सच कहूँ तो मेरे ज्यादा दोस्त नहीं हैं और किसी लडकी से तो आज तक मेरी दोस्ती नहीं हुई है… इसलिए मेरी तुम लोगों से इस बारे में बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई… और फिर मुझे डर था कि अगर मैं तुम्हारा दोस्त बन भी गया तो दूसरे लोग पता नहीं हमारे बारे में कैसी कैसी बातें करेंगे।
कबीर की बात सुनकर मैंने चिढते हुए कहा
अमृता- दोस्त बनकर रहने में कोई बुराई नहीं है…. पर तुम इतने दिनोें से मेरे साथ जो हकत करते आ रहे हो, उससे जरूर कई लोग हमारे बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे होंगे। तुमने तो पूजा का दिल भी तोड दिया है….
मैंने जानबूझकर पूजा का जिक्र कबीर के सामने किया था, ताकि कबीर का ध्यान पूजा की तरफ डायवर्ट हो जाऐ। उससे दो फायदे थे, एक तो कबीर का ध्यान मुझसे हटकर पूजा पर चला जाऐगा और दूसरा कॉलेज में मुझे और कबीर को लेकर जो रूमर चल रहे थे, वो पूरी तरह से बंद हो जाऐंगे।