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Lutgaya

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तडपती जवानी
भाग-8

रीटा बोली- नहीं, थोड़ा ऊपर करिये तो बताती हूँ.
बहादुर ने हाथ थोड़ा ऊपर सरका दिया- बेबी, अब कुछ आराम आया?
रीटा सरसराते स्वर में बोली- नहीं, थोड़ा सा और ऊपर करिये तो बताती हूँ.
बहादुर ने हाथ ओर ऊपर सरका दिया- अब?
मस्ती में रीटा स्कर्ट उलटती बोली- नहीं, जरा सा और ऊपर करिये तो बताती हूँ!

बहादुर एक हाथ से अपना लौड़ा रगड़ने लगा और दूसरे हाथ से हाथ रीटा की मक्खन सी गुदगुदी गाण्ड को मसलने लगा- अब कुछ आराम आया?
बेहया रीटा टांगों को चौड़ाती बुदबुदाती सी बोली- नहीं, जरा बीच में करिये तो बताती हूँ.
बहादुर अपनी अंगुलियों से रीटा की बुंड टटोलता बोला- अब कुछ आराम आया क्या?
मस्ती में रीटा सिर को हाँ में हिलाती बोली- हूमऽऽऽ जरा थोड़ा और अन्दर और जोर से करिये तो बताती हूँ, सीऽऽऽ!

रीटा के मुँह से अनजाने में बहुत जोर से आनन्द भरी सिसकारी फूट पड़ी जैसे किसी ने गर्म गर्म तवे पर ठण्डा पानी छिड़क दिया हो.

धूर्त बहादुर अपने खड़े लौड़े की टोटनी को अंगूठे और उंगली में रगड़ता हाथ को रीटा की नमकीन व चांदी सी चपडगंजी चूत को मुट्ठी में जोर से भींचता बोला- बेबी अब कुछ आराम आया?

रीटा अब बोलने वाली हालत में नहीं थी- ओर जोर से बहादुर सीऽऽऽ ऊईऽऽऽ सीऽऽऽऽ.

बहादुर ने एक मोटी और खुरदरी उंगली रीटा की गीली चूत में पिरो दी तो रीटा की छोटी छोटी मुट्ठियाँ चादर पर कस गई- सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ! ये क्या कर रहे हो बहादुर सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ!

बहादुर रीटा की चूत में उंगली घुमाता और छोकरी की चूत का जायजा लेता बोला- बेबी, लगता है तुम काफी खेली खाई हो.

रीटा पलटी और मुस्कुरा कर बोली- इस में शक ही क्या है, तुम बतलाओ, खेलोगे मुझसे?

बेहया रीटा ने बहादुर के खेलने के लिये अपनी शर्ट के सारे को सारे बटन झटके से चटाक चटाक करके खोल कर अपने उरोज़ों को बेशर्मी से आगे उचका कर हिला दिया, तो बहादुर रीटा का पारे सी थरथराती गोलाइयों को देखा तो ठरक से पागल हो गया.

फिर रीटा ने बड़ी अदा से अपने गुलाबी निप्पलों को अपनी छोटी छोटी अुंगलियों की चुटकियों में मसला तो दोनों निप्पल तैश में आकर बुलेटस के माफ़िक अकड़ कर बहादुर की तरफ तनते चले गये.

बहादुर आँखों से रीटा की जवानी का रसपान करता घबरा कर हकलाता सा बोला- वो! वो! मैं बेबी?

पर रीटा अब रूकने वाली नहीं थी रीटा ने चारपाई पर बैठे बैठे अपने कपड़े उतार नंगी होती चली गई. हील वाले सेन्डिल के अलावा रीटा अब बिल्कुल नंगधड़ंग थी और बेइन्तिहा सैक्सी लग रही थी. अब रीटा अपने घुटने मोड़े चारपाई पर उकड़ू बैठ गई. सर से पाँव तक नन्गी रीटा बहादुर के पैंट के तम्बू को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए होले होले अपनी सुडौल मरमरी टांगों को दायें बायें चौड़ाती चली गई और शानदार अंगड़ाई तोड़ती बोली- बहादुर आओ नाऽऽऽ! ज़रा देखूँ तो तुम कितने बहादुर हो?

इस अवस्था में रीटा का संगमरमर से तराशा जिस्म तड़क सा उठा.

टांगें चौड़ाते ही रीटा की फूल सी खिली हुई चूत का झिलमिल करता दो इंच लम्बा चीरा और बिन्दी सी गाण्ड का रेशमी सुराख का रोम रोम नुमाया हो उठा. टाँगों को दायें बायें चौड़ाने से डबडबाई चूत का सुर्ख दान भी कसमसा कर चूत की फांकों से सरसरा कर बाहर आकर लिश्कारे मारते लगा, तो बहादुर का बेहाल लण्ड पिंघलता चला गया.

दुनिया का सारा हुस्न जैसे अलबेली रीटा में समाया हुआ था. मस्ती में आ रीटा अपनी चिकनी चूत और गाण्ड को भींचने और खोलने लगी तो बहादुर ठगा सा टकटकी बांधे शहर की लौंडिया की कयामत सी खूबसूरत, तन्दरूस्त, पनीयाई हुई और गुलाबी सुकड़ती फैलती चूत और गाण्ड देखता रह गया. बहादुर का लौड़ा रीटा की रसभरी दशहरी आम सी पकी हुई चूत को देख डण्डे सा खड़ा हो गया.

‘हायऽऽऽ बहादुर! कितना सताओगे मुझे? कुछ करो नाऽऽऽ!’ नशीली अधखुली आँखों से देखती और अंगड़ाई लेती रीटा की छोटी छोटी मुट्ठियाँ अब भी हवा में ही थी.

बहादुर रीटा का खुला आमन्त्रण पाकर डरते डरते रीटा के सन्तरों को पौं पौं कर दबाने लगा और दूसरे हाथ से रीटा की दहकती और रिसती चूत में उंगली करने लगा. रीटा की बल खाई नागिन सी पतली कमर के नीचे रीटा के सरसराता यौवन का रस रीटा की गाण्ड को गीला करके टिप टिप कर टपकने लगा और फर्श को गीला करने लगा. सुन्दर रीटा मस्ती में आकर सीऽऽ सीऽऽ सिस्कारें मारती और उसी अंगड़ाती पोज़ में अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी, तो बहादुर का लण्ड के मुँह से लार टपक पड़ी.

तब रीटा ने चीते की तेजी से झटके से बहादुर को अपने आगोश में खींच लिया और बहादुर की पैंट खोल कर उसके तड़पते लण्ड को आजाद कर दिया. रीटा अपने मुँह पर हाथ रखे हक्की-बक्की सी बहादुर के दस इंच लम्बे और चार इंच मोटे लण्ड को देखती रह गई.बहादुर का गोरा चिट्टा तन्दरूस्त गौरखा लण्ड का सुपारा हद से ज्यादा मोटा और लण्ड केले की शेप का था.

‘वाआवऽऽ वाहट ए लवली लौड़ाऽऽ!’ चूत के हमदम का आकार देख कर रीटा की चूत की धड़कन तेज हो गई. चुदने को राज़ी रीटा ने बहादुर के लिये अपने आठों द्वार खोल दिये. दो इंच की चूत पूरी तरह चुदरी हुई और अब चुद कर फटने को तैयार थी और चौदू लौड़ा नन्ही चूत को चौद कर भौंसडी बनाने को तैयार था.

हफ्तों से लण्ड के लिये तरसी रीटा ने बहादुर को अपनी गोरी गुदाज़ बाहों में लेकर बहादुर के कन्धे पर अपने दांत गड़ा कर खून निकाल दिया तो पीड़ा से बिलबिला कर और तैश में आकर बहादुर ने अपने एक हाथ से रीटा के फूल से दोनों हाथों को जबरदस्ती पकड़ लिया और अपने डण्डे से अकड़े लण्ड से रीटा के चेहरे को फटाक फटाक से पीट कर, रीटा का चेहरा गुलाबी कर दिया. रीटा को लण्ड की पिटाई से रीटा की ठरक सातवें आसमान पर पहुँच गई, कभी कभी रीटा बहादुर के लण्ड को लपक कर मुँह में लेकर चुमलाने में सफल हो जाती, कभी हिसंक हुई रीटा बहादुर के लण्ड में दांत गड़ा देती तो बहादुर रीटा को बालों से पकड़ कर उसके चुच्चे को मरोड़ देता तो रीटा चीख कर उसका लण्ड छोड़ने पर मज़बूर हो जाती.

इस खेल में समझदार रीटा ने बहादुर के लण्ड पर ढेर सा थूक थूका और लण्ड को खूब गीला पिच्च कर दिया. अनुभवी बहादुर ने नन्ही रीटा की चूत की कसावट को देख कर उसकी चूत पर मुरगी का अण्डा फोड़ कर चूत को अच्छी तरह से चिकनी कर दिया.

निर्लज्ज नंगी रीटा ने बहादुर की गदर्न में बाहों का हार डाल कर बहादुर को जबर्दस्ती अपने ऊपर खींच कर बहादुर की कमर अपनी सुडौल व गुदाज़ टांगों का ताला लगा दिया. बहादुर को लगा कि वह जैसे वह रेशम का ढेर में धंस गया हो.

रीटा के हाथ नीचे सरक कर बहादुर के तपते लण्ड को फड़फड़ाती चूत के सूराख पर घिसने लगी. बहादुर के हाथ रीटा की मखमली और कठोर नारंगियों को नोचता बोला- हाय बेबी, तुम तो बिल्कुल बंगाली रसगुल्ला हो.

रीटा की तो खुशी को मारे किलकारियाँ सी निकल पड़ी- उई ई ईई आहऽऽऽ आहऽऽऽ आज से पहले किसी ने मेरे कबूतरों को इतनी बुरी तरह नहीं रगड़ा! आहऽऽऽ! शाबाश मेरे राजाऽऽऽ!

दस इंच का लम्बा लण्ड देख कर लौंडिया की चुदास ठरक अब काबू से बाहर हो चुकी थी. हवस से रीटा का सारा बदन बुरी तरह से सुलग कर जल उठा. अब तो बहादुर के लण्ड की फायरब्रिगेड ही प्यासी रीटा की काम पिपासा बुझा सकती थी. बहादुर समझ गया कि आज पाला शहर की महा-चुदक्कड़ छोकरी से पड़ गया है. बहादुर ने सोचा कि क्या किस्मत है, मेरे लण्ड को रीटा जैसी शहर की येंकी चूत चखने को मिली और वो भी स्कूल की टनाटन लौंडिया.

जंगली बिल्ली सी रीटा ने बहादुर की खोपड़ी के पीछे से हाथ से दबा और दूसरे हाथ से अपना चुच्चे की टोटनी पकड़ कर बहादुर के मुंह में घुसाती बोली- ये ले चूस और चुप कर जा मां के लौड़े! सीईईईईई, यू बहन चौद, चूत के कीड़े, जल्दी जल्दी चौद अपनी मां को, स्कूल भी जाना है मुझे, देखू तो तेरे लण्ड में कितना ज़ोर है हायऽऽ रेएए!

जैसे ही बहादुर ने रीटा का पूरा का पूरा चुच्चा मुँह में लिया तो रीटा ने अपनी जीभ बहादुर के कान में घुमा कर बहादुर को बावला कर दिया. बहादुर के दाँत रीटा की चूच्चे में धंसे तो मदहोश रीटा को लगा जैसे वह बिना चुदे ही झड़ जायेगी.

तब बहादुर ने रीटा की फड़कती फुदकती और उछलती चूत में एक झटके से अपना लण्ड ठोक दिया तो बेचारी रीटा की अपनी सुधबुध खो बैठी. अण्डे के कारण चूत में फिसलन बहुत ज्यादा थी और रीटा बहादुर का लण्ड जैसे तैसे सहार ही गई. बहादुर का लण्ड भी शहर की लौंडिया की चूत पाते बुरी तरह से मस्ता के अकड़ गया था और रीटा गांव के तन्दरूस्त ताकतवर और फौलादी लौड़े को पाकर निहाल हो उठी और उसकी चूत झनझना उठी.

फिर तो बहादुर के हथौड़े से लन ने रीटा को कसमसाने की भी जगहा नहीं दी और चूत की चूलें हिला दीं. बहादुर के मोटे घीये जैसे लण्ड ने रीटा की चूत के बखीये उधेड़ के रख दिये, हिचकोले खाती नन्ही रीटा किसी छिपकली सी बहादुर से चिपकी और बहादुर के कन्धे में दांत गड़ाये अपनी चीखों को दबा कर बहादुर के लण्ड की पिटाई की पीड़ा पी गई.

रीटा के लम्बे लम्बे नाखून बहादुर की पीठ में धन्से हुए थे और बहादुर रीटा को उछल उछल सरकारी साण्ड की तरह चौदा मार कर रौंद रहा था. बहादुर पूरा का पूरा लण्ड बाहर खींच कर पूरे वेग से वापिस अंदर ठोकता तो रीटा की चुदक्कड़ चूत को थोड़ा सा चैन पड़ता.

कुछ ही देर में बेचारी चारपाई दोनों की लड़ाई को संभाल न पाई और चरमराती हुई टूट गई. चारपाई टूटते हुऐ रीटा बहादुर के नीचे थी और ज़मीन पर गिरने से बहादुर का लण्ड का सुपाड़ा रीटा की बच्चेदानी में घुस गया तो रीटा चिहुंक कर दोहरी हो गई. एक बार तो रीटा को लगा जैसे बहादुर का लण्ड रीटा के मुँह से बाहर आ जायेगा.

दर्द के मारे रीटा की चीख भी रीटा के गले में ही घुट कर रह गई. रीटा को लगा के जैसे किसी पेड़ का तना उसकी चूत में घुस गया हो. बेचारी अधमुई सी रीटा कराह भी नहीं पा रही थी. चारपाई से ज़मीन पर गिरने पर भी बहादुर की स्पीड जरा भी कम नहीं हुई. एक बार तो रीटा को लगा कि वह बेहोशी ही हो जायेगी. वासना को उन्माद में रीटा को सब कुछ धुंधला सा दिखाई देने लगा.

पर रीटा ने जल्दी ही होश सम्हाल लिया और मस्ती में आकर अपनी गोरी गोरी चिकनी टांगों को हवा में ऊपर उठा दिया तो बहादुर का लौड़ा चूत की कुंवारी गहराइयों में विचरण करने लगा. इस आसन में रीटा का दाना बहादुर के लण्ड के साथ अंदर-बाहर होने लगा तो रीटा की चूत तितली सी फड़फड़ा उठी और रीटा फट से झड़ती चली गई- बूम बूमम बूमममम!

मिनमीनाती रीटा ने बहादुर के चूतड़ों में अपने नाखून घोंप दिये. बहादुर ने रीटा को जन्नत में पहुँचा दिया तो रीटा ने बहादुर पर ताबड़तोड़ चुम्मियों की बरसात कर दी. परन्तु बहादुर की स्पीड जरा भी कम नहीं हुई और वह जंगली जानवर की तरह रीटा की मारता रहा, हर ठप्पे पर बहादुर के अण्डे रीटा गाण्ड का दरवाज़ा खटखटा देते थे और अंदर घुसने की नाकाम कोशिश करते. रीटा के चुच्चे बहादुर की छाती के दबाव से पिचक कर गुब्बारों की तरह ऊपर आ चुके थे. बहादुर की भयंकर चुदाई ने कमरे की दीवारों की फचाफच फचाफच कर के माँ चोद कर रख दी थी.

थोडी देर में रीटा अब फर्श पर दो बार झड़ चुकी थी और बहादुर अब भी रीटा को बकरी के मेमने की तरह अन्धाधुन्ध चोदे जा रहा था, चोदे जा रहा था. अन्तिम समय में बहादुर ने सांस रोक कर गाड़ी फुल स्पीड पर छोड़ दी- छकाछक! छकाछक! फिर चरम सीमा पर पहुँच कर बहादुर का लण्ड और भी फूल गया और भचाक भचाक से गर्म पानी के रेले छोड़ने लगा. बहादुर ने रीटा को कस कर आपने आगोश में ले लिया और अपना तीर सा लण्ड अब रीटा की चूत में आखिर तक घुसेड़ दिया तो रीटा का बदन तले पापड़ सा अकड़ कर तड़क गया.

रीटा ने भी बहादुर को कस कर बांहो में भींच कर अपनी सैन्डल की हील बहादुर के चूतड़ों में गाड़ दी और अपनी बुंड को हवा में बुलंद कर दी ताकि बहादुर का घीया जड़ तक अंदर ले सके. शुरू से आखिर तक बहादुर ने रीटा को पूरी स्पीड से चोदने से रीटा बहादुर की बहादुरी पर बलिहारी हो तीसरी बार लगातार झड़ती चली गई. रीटा की आँखें धुन्धला गई और चूत सुन्न हो गई थी. रीटा ने पूरे जोर लगा कर बहादुर के लण्ड को अपनी नन्ही चूत में दबा रखा था. फिर रीटा और बहादुर के बदन अकड़ने के बाद एकदम ढीले पड़ते चले गये. दोनों कुत्तों माफ़िक हाँफ रहे थे और फर्श पर दूर दूर तक सफेद पानी फैल चुका था.

कुछ देर बाद जब रीटा ने होशोहवास सम्भाला तो स्कूल लगने में अभी दस मिनट बाकी थे. चुदी हुई रीटा अपने चकराते हुऐ सिर को पकड़ जमीन पर बैठ अपनी बेतरतीब सांसों को सम्भालने लगी. खतरनाक तरह से चुदने के बाद जब रीटा खड़ी हुई तो लड़खड़ा कर धड़ाम से वापिस जमीन पर गिर पड़ी. अब रीटा की टांगें जैसे खोखली हो कर जवाब सा दे गई थी.

बहादुर ने रीटा की जवानी का पोर पोर चटका दिया था. बहादुर के जांबाज लण्ड ने उसकी बच्ची चूत का पतीला बना दिया था. रीटा को ऐसा लग रहा था जैसे पाँच छः जवानों ने रीटा को इकठे ही चोद डाला हो. रीटा ने झुक कर जब अपनी चूत को देखा तो रीटा के मुँह से दबी दबी चीख निकल गई. रीटा की चूत फट चुकी थी और चूत से पानी के साथ खून भी रिस रहा था.

बहादुर ने रीटा की चूत का नक्शा बिगाड़ दिया था. रीटा को अपनी ही चूत पहचान में नहीं आ रही थी. रीटा को लग रहा था जैसे बहादुर का धांसू लौड़ा अब भी उसकी चूत में फंसा हो.

थोड़ी देर बाद बहादुर ने चुदी हुई रीटा को वापिस साईकल पर बिठा स्कूल छोड़ने चल पड़ा.

‘बहादुर तुम्हारा लण्ड तो बडा शैतान निकला. कितने कस के ठोका है तुमने मुझे! मुझे लगा जैसे तुम्हारा छूटेगा ही नहीं. ऊफऽऽ अभी तक मेरा बदन टूट रहा है, हाय मेरी फुद्दी, यू रास्कल आई लव यू!’ रीटा की आवाज अब भी काँप रही थी.

रास्ते में बहादुर ने रीटा को बताया कि छोटी उमर में ही उसने गाँव में खूब चौदे मारे हैं इसीलिये बहादुर के लण्ड में बला की तपिश और ताकत आ गई थी.

बहादुर के गांव के किस्से फ़िर कभी!
यह रियल सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
 
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तडपती जवानी
भाग-9

बहादुर ने रीटा की जवानी का पोर पोर चटका दिया था, रीटा की चूत का नक्शा बिगाड़ दिया था.
अब आगे-

रोज सुबह बहादुर अपने निराले लण्ड पर पानी से भरी बाल्टी उठा कर लण्ड को और भी बलवान बना लिया था. बहादुर की आँखों में हर वकत चूत का खुमार रहता था.

बहादुर गाँव की ठरकी लड़कियों की संगत में पड़ कर महान चोदू बन गया था. बहादुर की चोदी हुई लड़की को बहादुर से चुदवाये बिना चैन नहीं पड़ता था. बदमाश बिल्लो, गुन्डी गुलाबो, जालिम जुबेदा, चिकनी चमेली, लरजाती लाजो, रन्डी रानी, सुडौल सबीना, छुईमुई छमिया, शानदार शिल्पा, निगोड़ी निम्मो, अनाड़ी अनारो और शरारती शब्बो आदि कई लड़कियाँ अब भी बहादुर के लण्ड के गुनगान गाते नहीं थकती थी. गाँव की सारी टाप क्लास चूतों के पट्टे बहादुर के आलीशान लण्ड के नाम थे.

खेत में मूतती लड़कियाँ बहादुर की खास कमजोरी थी. सुबह सैर करते करते बहादुर खेतों में एक-आधी को चोद ही आता था. कई लड़कियों को बहादुर गन्ने के खेतों में गन्ने चुसाने के बहाने ले जाकर अपना लण्ड चुसा डलवाता था. और तो और बहादुर ने गाँव के छोटे चिकने लड़कों को भी नहीं बख्शा था.

बहादुर का बड़ा भाई गाँव में बदमाश दरोगा था. दरोगा नम्बर एक का खतरनाक गाण्डू था. हर एक अपराधी की गाण्ड मार कर ही हटता था, इसीलिये कोई बहादुर की हरकतों के बारे में कुसकता भी नहीं था.

करीना और अधनंगी कैटरीना कैफ का शीला वाला ठरकी डाँस देख बहादुर मस्त लण्ड को शहर की येंक्की और नशीली चूतें भी चखने के लिये बेताब हो गया. शहर जाकर बहादुर ने सबसे पहले अपनी मकान मालिक की नठखट नेपालन नौकरानी पारो को रगड़ा.फिर सैक्सी मकान मालकिन अलका और पड़ोसन तमन्ना को भी नहीं छोड़ा.

फ़्लैशबैक की तरह पारो की जवानी बहादुर की आँखों के समने घूम गई. पारो का अंग अंग अलग अलग उसके जिस्म पर कसा था और हर चीज़ कुछ ज्यादा ही बड़ी थी. जवान पारो की मोटी मोटी कजरारी आँखें और चित्तोड़गढ़ से चूतड़ तो देखते ही बनते थे. चूच्चे ऐसे थे जैसे परकार से खींचे गोले, हर वक्त पारो गहनों से लदी और सज़ी संवरी रहती थी.

दूसरे ही दिन दुपहर को बहादुर जब पेशाब करने बाहर निकला तो उसने पारो को अलका के कमरे के अंदर चुपके चुपके झांकते हुए देखा. पारो किसी कुत्तिया सी हाँफती हुई अपना हाथ से जोर जोर से अपनी चूत को घाघरे के ऊपर से ही रगड़ रही थी. थोड़ा सा और झुकती तो शायद पारो के थरथराते चुच्चे उसकी अंगिया से बाहर ही आ जाते.

मौके का फायदा उठा कर बहादुर ने जब झुकी हुई पारो के उचके हुए चूतड़ों पर हाथ फेरा तो पारो चिहुंक कर खड़ी हो गई और अपनी चुच्चियों पर हाथ रखती फुसफुसाती बोली- दय्या रे दय्या, तूने तो मुझे डरा ही दिया था!

बहादुर हाँफती पारो के फूलते पिचकते चूच्चों को घूरता बोला- यह क्या कर रही थी तुम?

‘शऽऽऽऽ चुप!’ चुलबुली पारो बहादुर को चुप रहने का इशारा कर खींच कर कोने में ले गई और पंजों के बल उचक कर अपनी छातियाँ बहादुर के सीने से गाड़ती बहादुर के कान में बोली- अंदर अलका आंटी और तमन्ना दीदी उलटी सीधी बातें कर रही हैं.

बहादुर ने चंचल पारो के चूतड़ों को सहला कर मसल कर पूछा- उलटी सीधी बातों से क्या मतलब?

पारो अपने पाईनएप्प्लों से चुच्चे को बहादुर के सीने में जोर से गाड़ती, आँखों में आँखो डाल कर अर्थपूर्ण स्वर में बोली- मर्द औरत के बारे में तो सुना था, पर एक औरत औरत की कैसे ले सकती है?

बहादुर समझ गया कि कमरे में क्या हो रहा है. बहादुर पारो के तरबूज से रसभरे चूतड़ों को हाथों से चोड़ाता बोला- मेरी रानी, मेरे कमरे में चल तो बताता हूँ कि एक औरत दूसरी औरत की कैसे ले सकती है.

खेली खाई पारो अपने गालों पर हाथ रख खुशी से बच्चों की तरह उछलती और दबी आवाज में बोली- हाय मांऽऽऽ! क्या तुम्हें ये सब पता है?

बहादुर पारो के बिना बरेजरी के स्तनों को ज़ोर ज़ोर से खींचता बोला- तू मुझे मर्द औरत के बारे में बताना और में तुझे औरत औरत के बारे बता दूँगा. तू मेरे कमरे में पहुँच, मैं पिशाब करके आया. यह कहानी आप Xforum.कॉम पर पढ़ रहे हैं.

चिकनी पारो चुच्चे पटवाती हुई अपनी जांघों में बहादुर के खडे लण्ड को रगड़ती और बहादुर के खम्बे से लम्बे लण्ड को हसरत भरी निगाहों से देख बोली- सीऽऽऽ! तुम्हारा बादशाह तो बहुत शरारती है, जरा जल्दी आना मेरे राजाऽऽऽ! तुम्हारे बादशाह ने तो मेरी बेगम का दिल मोह लिया है.

पारो शहर के खस्सी और निकम्मे नामर्द लोगों से चुदवा चुदवा कर बुरी तरह से बोर हो चुकी थी.

चुलबुली पारो मुड़ी और बल खाती नागिन सी अपने फुटबाल से चूतड़ों को ठुमक ठुमक मटकाती बहादुर के कमरे की तरफ चल दी.डोरी वाली चुस्त चोली से पारो की नंगी मरमरी पीठ और कमर चमक रही थी. नीचे घुटनों तक घाघरे से झांकती खूब सुडौल पिंडलियाँ और पैरों में चांदी की पाजेब छन छन कर रही थी. ऊपर से पारो की लम्बी चोटी थिरकते चूतड़ों के बीच घड़ी के पैण्डूलम सी दायें-बायें उछलते देख बहादुर को लण्ड की रीड की हड्डी में सिरहन सी दौड़ गई.

बहादुर ने जाते जाते कमरे में झाँक कर देखा तो तमन्ना और अलका आपस चिपटी हुई सीऽऽ सीऽऽ कर एक दूसरे को बुरी तरह से चूम चाट रहीं थी. खूबसूरत अलका की गुलाबी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और बलाउज चौड़ चपाट दरवाजे सा खुला हुआ था. अलका के गुलाबी तोतापुरी आम ठरक से खूब अकड़े हुए और हज़ार वाट के बल्बों की भान्ति जगमगा रहे थे.

तमन्ना ने हल्के हरे रंग का सलवार और कमीज़ पहन रखी थी. तमन्ना ने टांगों को चौड़ा कर रखा था और अलका सलवार के ऊपर से ही तमन्ना की चूत को अपने मुँह में चुमहला रही थी.

फिर अचानक ही अलका ने तमन्ना की सलवार का नाड़ा खींच डाला और तमन्ना की चिड़िया को नंगा कर दिया. तमन्ना की कंवारी दूधिया चूत ने कमरा और भी रोशन कर दिया.

बहादुर ने सोचा कि अभी तो पारो का तन्दूर पराँठे सेकने को तैयार है. बहादुर का लण्ड पारो की मस्त जवानी को चखने के लिये बेताब था. बहादुर की आँखों के सामने पारो की मोटी कजरारी आँखें और शानदार चूतड़ घूम गये.

बहादुर कमरे में घुसा तो पारो ने लपक के दरवाजा बंद कर दिया दरवाजे से पीठ चिपका कर खड़ी पारो ठरक से हाँफतीं सी बहादुर के पायजामे के उभार को ललचाई नजरों से देख रही थी. पारो का पल्लू सीने से सरक गया और पारो की दिलकश चालीस डी छातियों ने पारो की चुस्त अंगियाँ की माँ को चोद के रखा हुआ था. चुदास मस्ती में पारो की आँखों में वासना के शरारे बरस रही थी और रह रह कर पारो अदा से अपने नीचे के रसीले होंटों को काट रही थी.

पारो अपनी जाघ से जांघ रगड कर अपनी चुलबुली चूत को शांत करने की नाकाम कोशिश करती अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से सहला कर और मस्त अंगडाई मारी तो बहादुर का लण्ड पायजामे के अन्दर ही 45 के एन्गल पर अकड़ गया. पारो जैसे आँखों ही आँखों में घोल कर पी जाने वाली नजरो से देखती बोली- तो फिर हो जाये प्यार मुहब्बत का सिलसिला?

बहादुर ने पारो के इकहरे बदन को बाहों में दबोच लिया और पारो की अंगिया के धागे खोलने लगा. धागे खुलते ही पारो की अंगिया सप्रिंग को समान उछल कर अलग हो गई और पारो के दोनों मदमस्त कबूतर उछल कर बहादुर के हाथों में आ गये. पारो का कमरबन्द ढीला हो गया और पेटीकोट ने पारो के पैरो में मरी चिड़िया की तरह दम तोड़ दिया.

बहादुर ने पारो के लावारिस बदन को बांहों में उठा कर बैड पर पटका तो पारो की आँखें उन्माद में ऊपर की और लुढ़क गई.

पारो के जिस्म पर ज़ेवर के अलावा एक धज्जी भी नहीं थी, पारो का हुस्न टपके आम के समान भरपूर जवान और रसीला था. अब बिस्तर पर पारो का आवारा शवाब लाहपरवाही से बिखरा और फलौरौसैन्ट लाईट में जगमगा रहा था.

चांदी के गहनों झूमर, झुमके, नथनिया, हार, चूड़ियाँ, मुंदरियाँ, बिच्छवों से लदी फदी पारो अप्सरा सी लग रही थी.

बहादुर ने भी अपने कपड़े उतारे तो पारो ने बहादुर के अजूबा लण्ड को देख खुशी से चिल्ला सी पड़ी- आईऽऽऽऽ बाप रे बाप हायऽऽऽ राजा लगता है कि आज मेरी छोटी पारो के चिथड़े होंगें!

पारो भी खूब गीली और बैड कबड्डी खेलने को बथेरी उतावली थी. बहादुर ने पारो की गाण्ड को थोड़ा बाहर खींच कर चूतड़ों के नीचे सिरहाना रखा तो पारो की रानी पूरी तरह से उभर कर बाहर आ गई पारो की भौंसडी खूब ज्यादा मोटी और रसभरी थी और चूत के अंदर के पत्ते दो दो इन्च बाहर लटके हुऐ फूल की पखुड़ियों के समान कंपकपा रहे थे.

पारो ने एक हाथ से अपनी दो ऊँगलियाँ चूत पर रख कर अंगुलियों का उलटा ‘वी’ बना कर गुलाबी भौंसडी को चौड़ा दिया और दूसरे हाथ से बहादुर के हट्टे-कट्टे लफन्डर लण्ड को पकड़ कर खींच कर अपनी चूत के चीरे से सटा दिया. दहकते लण्ड की गर्मी पाकर पारो की धधकती चूत ताज़ा खुले सोडे की बोतल समान बिफर कर झाग छोड़ने लगी.

बहादुर ने एक झटके से ही अपना लोकी सा लण्ड पारो की फूलगोभी सी चूत में घुसेड़ दिया तो पारो कराह कर बोली- आहऽऽऽ! अरे मेरे यार, तेरा लण्ड है या कुतबमीनार! हायऽऽऽ चोद मेरे माईया चोद उफ रेए, आज किसी मादरचोद से पाला पड़ा है, सीईईई ले राजा पाड़ के रख दे अपनी पारो को!

यह कह कर पारो अदा से अपने पांव के अंगूठे पकड़ लिये.

फिर बहादुर ने पारो की चुच्चों की टोटनी को चुटकी में लेकर अपने लण्ड से प्यासी पारो की पिनपिनाती चूत के पसीने छूटा दिये. कमरे में चुदती पारो की घुटी घुटी चीखों, चूड़ियों और पाजेबों की खनखनाहट, सिसकारियों और किलकारियों की कामुक आवाजें आने लगी. पारो पारो न रही और बहादुर बहादुर न रहा.

कई हफ़्तों से चूत का सताया हुआ बहादुर पूरी दोपहर जबरदस्ती पारो की आगे पीछे से बार बार लगातार मारता रहा तो पारो की बस हो गई. अधमुई सी पारो जैसे तैसे बहादुर को झेलती चली गई. बहादुर ने पारो की भौंसडी और गाण्ड के परखच्चे उड़ा दिये थे. बहादुर ने पारो की चूत को चोद कर चित्तोड़गढ़ बना डाला था.

लुटी पिटी चुदी और ठुकी पारो लंगड़ाती और लड़खड़ाती अपने कमरे में पहुँच कर ढेर हो गई.

स्कूल पास आ गया तो रीटा बोली- अच्छा भेेया, कल सुबह जरा जल्दी आ जाना! सुबह मेरी चोदम-चुदाई की एक एकस्ट्रा क्लास है.
बहादुर फुसफुसाता सा बोला- परंतु बेबी, तुम्हारी तो फट चुकी है?

‘ओह, कम आन भैया, अभी मेरी पिछली पड़ोसन तो अभी एकदम तन्दरूस्त और तरोताजा है.’ शरारती रीटा ने मुस्कुरा कर आँख मार कर अपने रसीले होंट को हल्का सा उचका कर सायलन्ट किस मार कर पलटी और चूतड़ मटकाती हल्के से लंगडाती सी स्कूल के गेट की तरफ चल दी.
 
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Lutgaya

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