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Incest तीनो की संमति से .....

Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
Last edited:

Funlover

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Ooh yarrr kyaa update hai dil khus ho gyaa.....legta hai aab blackmailing hoge ....per dekhan ye hai ke apna hero apne maa ko kaise patata hai ....kyu ke maa ke kareb aana her bete ka sapna hota hai per kahi maa ko bura na Lage ya unhe dukh naa ho ..iss liye wo apne fillings ko mar dete hain...ni to her lerke ke phele cruss uske maa hoti hai....phala pyar uske maa hote hai ...per samaj ke niyam usee iss kadar bandh dete hai ke wo kbhi apne iss filling ko kisi ke sath sajha nhi ker sakta ...ager kiya to usee apne maa se dur ker diya jayega ,,....aur Sayed maa bhi uss se nafrat kerne lagee...

Aur maa jo apne bete ke her baat uske bina bole samajh jate hai per ..apne bete ke dil me apne liye panap rhi bhawnaoo ko nhi samajh pate...yaa khu samajh jate hai per anjan banne ke acting kerte hai ...aur ye tub clear ho jate hai jub ek maa apne Bahu se jalne legte hai ....pure zindigi apne bete ko apne se dur kerte rehte hai ....yee jante huwe bhi ke uska beta uske pyar ka bhuka hai ...bete ke samne apne batiyo per pyar ke bersat kerte rehte hai ...per bete ko hamesa najar andaz kerte rehte hai ..per jub bhau aa jate hai ....aur beta wo pyar apne biwi me dhundhne legta hai ....tub usee apne Bahu se jalan hone legte hai ...usee lenge legta hai ke uske bahu ne uske bete ko uss se chin liyaa...tab ye nhi samajhte ke pure zindagi wo beta uske payr ke liye taras rhaa thaa...per aab jub uske zindgi me koye aur aa gyee hai to aab wo usee bhi uss se door kerna chahte hai ....

Her maa ko esaa legta hai ..ke uska beta hamesa uske pallu paker ker uske piche piche chalta rhee...🤣🤣🤣🤣🤣kyu ke ekk whi to hai jisper wo apna roob dikha sakte hai ....ek maa ke liye uska beta ek khelona hota hai jis se wo apne pure zindigi khelte rehte hai 😂😂😂😂😂😂😂😂
बहोत उच्च विचार है आपके

अब क्या पता ये कहानी में भी दीपक उसकी मा के पीछे पागल है की सिर्फ बहन से काम चला लेता है

ये सब तो आगे कहानी में पढने के बाद ही पता चलेगा

वैसे मै हर बार कहती रहती हु की जुड़े रहिये

पर
जुड़ना बहोत आसान है पर जुड़े रहना मुश्किल होता है.....

बने रहिये और देखते है आगे क्या होता है कहानी में .................... बस थोड़ी ही देर में ....
 

Funlover

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अब आगे


मेरा दिल अभी भी डर रहा था केज कहीं वो मम्मी को ना बता दे? मैं बैठा सोचता रहा, फिर दिमाग़ में बचने की तरकीब आ गई। मैं मम्मी के रूम में गया और मम्मी को बोला-“मैंने आपसे कोई बात करनी है अकेले में…” और मम्मी से प्रोमिश लिया कि आप दीदी को कुछ नहीं कहोगे और ना ही उससे कुछ पुछोगे । फिर मैंने स्कूल से लेकर एक-एक बात तरीके से मम्मी को बतानी शुरू कर दी।

“अब तक कहा मर गया था ?” “इतना सब होने के बाद बता रहा है” गुस्से से लाल हुए मा ने कहा


मैंने मम्मी को कहा-“मैं आपको टेंशन नहीं देना चाहता था, इसलिए पहले नहीं बताया। लेकिन अब बात बहुत बढ़ रही है…”

मम्मी सोचने लगी और बोली-“मैं दो महीने के अंदर-अंदर इसकी शादी कर दूंगी…”

अब मुझे अपनी साइड सेफ नज़र आ रही थी, अगर दीदी कुछ बताती भी तो मम्मी इतनी जल्दी उस पे यकीन नहीं करती।

दीदी ने उस दिन के बाद मुझसे बात करना बंद कर दिया और मेरे रूम में सोना भी बंद कर दिया, और दीदी मुझसे सीधे मुँह बात नहीं करती थी। तकरीबन दो महीने के बाद पूजा दीदी की मँगनी हो गई, मँगनी के बाद दीदी दिन रात अपने मंगेतर के साथ फ़ोन पे लगी रहती थी, और अब खुलकर अपनी मर्ज़ी करने लगी थी,

मम्मी और मेरी मर्ज़ी के खिलाफ हर काम करती और फिर मँगनी के दो महीने के अंदर ही दीदी की शादी हो गई।

उस वक़्त दीदी 21 साल की थी और मैं 20 साल का। दीदी की शादी वाले दिन मैं बस यही सोचता रहा की जीजू के तो मज़े हो गये, जो उन्हें पूजा दीदी जैसा माल मिला। वो तो आज पूरी रात पूजा दीदी को सोने ही नहीं देंगे। पूरी रात पूजा दीदी को नंगी करके अलग-अलग स्टाइल में पूजा दीदी को चोदेंगे।

मुझे सिर्फ़ इस बात का बहुत दुख हो रहा था कि मेरा पुजा दीदी को चोदने का सपना बस सपना ही बनकर रह गया, लेकिन अब में क्या कर सकता था? क्योंकि अब दीदी की चूत पर जीजू के लण्ड का नाम लिख दिया गया था। मुझे तो दीदी की सुहगरात वाली रात को नींद ही नहीं आ रही थी, बार-बार मेरी आँखों के सामने दीदी की सुहगरात का ही दृश्य सामने आ रहा था की कैसे अब जीजू ने दीदी का ब्लाउज़ उतारा होगा और अब दीदी की जा उतारकर उसके मोटे-मोटे मम्मे दबा रहे होंगे, दीदी के निपल को चूस रहे होंगे, अब जीजू ने दीदी की पैंटी उतारकर नंगी करके दीदी की टांगें खोलकर उसकी चूत चाट रहे होंगे। हाए अब दीदी को अपना लौड़ा चुसवा रहे होंगे।

कभी ऐसा दृश्य मेरी आँखों के सामने होता की दीदी के ऊपर चढ़कर दीदी को चोद रहे होंगे, कभी दीदी को अपने लण्ड पर बैठाकर, और कभी दीदी को घोड़ी बनाकर चोद रहे होंगे।

बस यही बातें सोच-सोचकर मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। दीदी की शादी का दिन मुझसे बहुत मुश्किल से कटा। उसके हाथों में लगी मेहन्दी और सुहाग का जोड़ा किसी भी जवान आदमी को पागल कर सकता था, वो कितनी खूबसूरत और सेक्सी लगती थी। लेकिन वो मुझे करीब आने का मोका भी नहीं देती थी।

फिर आख़िरकार डोली तक ले जाने के वक़्त मेरी तमन्ना पूरी हो गई। वो मेरे गले मिलकर रो रही थी और मैं अपना मज़ा ले रहा था, और कार में बिठाते वक़्त भी मैंने उसकी चूचियों को दबाने और चूत को छूने का मौका नहीं छोड़ा। शादी के काफ़ी दिन बाद दीदी धीरे-धीरे मुझसे बात करने लगी थी, लेकिन मेरे दिल में दीदी के लिए आज भी वोही फीलिंग्स थीं, जो उसकी शादी से पहले थी, लेकिन एक बात का बहुत दुख भी था कि मैं अपनी बहन को शादी से पहले चोद नहीं पाया, आज भी दीदी घर में आती तो मैं उसके पूरे जिश्म को बहुत ध्यान से देखता तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।

इस बात का उसे भी पता था, शायद मुझे तरसाने के लिये वो और भी सेक्सी बनकर आती थी, और कभी-कभी मेरे सामने ही अपने पति के साथ नोक-झोंक भी करती रहती थी।

जीजू के साथ मेरे सामने दीदी को इस तरह की हरकतें करते देखकर मुझे मन ही मन दीदी पर बड़ा गुस्सा आता, और मैं दीदी को मन ही मन बहुत गालियां देता की साली अब रोज दिन में 4-5 बार जीजू का लण्ड चूत में लेती होगी, तभी साली कुछ ज्यादा ही गदरा गई है और मुझे अपनी जवानी दिखा-दिखाकर जला रही है। कहते हैं कि ‘अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो वो एक ना एक दिन आपको हासिल हो ही जाती है’ यह मेरा अनुभव भी कहता है।

शुक्रिया यहाँ तक बने रहने के लिए .... आशा रखती हु आगे भी बने रहेंगे और कहानी का आनंद लेते रहेंगे .....
 

Funlover

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आगे चलते है

शादी के दो साल बाद एक दिन दीदी और जीजू घर में आये, शाम को दीदी बोली-“दीपू अपने जीजू के साथ जाओ, वो कहीं जाने को बोल रहे थे…”

मुझे दीदी की बात पे गुस्सा आता था फिर भी मैं कार निकालकर जीजू के साथ चला गया। जीजू खुश मिज़ाज आदमी थे, वो दीदी से करीब 5 साल बड़े थे, पहले उनका बिजनेस बाम्बे में था और वो वहीं रहते थे। शादी के बाद वो पंजाब में ही आ गये। उनका रंग गोरा और हाइट 5’9” थी।

मुझे लग रहा था कि हाइट के हिसाब से उनका लण्ड भी मेरे लण्ड से बड़ा होगा, जिससे वो दीदी को पूरी रात रगड़-रगड़कर चोदकर खुश रखते होंगे। लेकिन पूजा दीदी इन दो सालों में अब तक माँ नहीं बनी थी, इसलिये मैं सोचता था कि शायद जीजू ने पूजा दीदी को अभी तक माँ इसलिए नहीं बनाया होगा की वो अभी दीदी की जवानी का पूरा मज़ा लूटना चाहते होंगे। पूजा दीदी की टाइट चूत जो की बच्चा होने से खुल जाती, उसे एक दो साल तक और मारकर अच्छी तरह पूजा दीदी की जवानी को निचोड़ लेना चाहते थे। पर बात वो नहीं थी बात दरअसल दूसरी थी की पूजा दीदी अब तक माँ क्यों नहीं बनी थी? ये बात मुझे जीजू ने बताई।

कार को रोड पे चढ़ते ही मैंने जीजू से पूछा-“जीजू कहाँ जाना है?”

तो वो बोले-“यार जाना कहाँ है, किसी अच्छे से होटेल में चल, जहाँ पे रश ना हो, आराम से बैठकर गप्पें लगा सकें और बातें भी कर सकें…” होटेल में पहुँचकर जीजू ने कॉर्नर वाली टेबल पसंद की, सामने के 1-2 टेबल बबिी थे, बाकी तकरीबन सब टेबल खाली पड़े थे। व्हिस्की भी आ गई और चिकेन भी, हम पीने लगे, मेरे एक लाइट पेग खतम करते-करते जीजू 2-3 डबल पेग गटक जाते। ऐसा लग रहा था जैसे जीजू अपने अंदर व्हिस्की भर रहे हों। लेकिन मैं उनको रोक भी नहीं सकता था, क्योंकि आख़िरकार वो मेरे जीजू थे। मेरे दूसरा ड्रिंक लेने तक उनका पाँचवा ड्रिंक था। जल्दी-जल्दी पीने से जीजू का अब अपने आप पे कंट्रोल नहीं लग रहा था, नशा अब उनके सर चढ़ चुका लगता था।

उन्होंने बात शुरू की-“दीपक यार, तुमने कोई गर्लफ्रेंड नहीं रखी?”

मैं-“नहीं जीजू…”

जीजू-“यार लगता है तू शर्मा रहा है, मुझे अपना जीजू नहीं दोस्त समझ यार, खुलकर बात कर…”

मैं जीजू से ज्यादा खुलना नहीं चाहता था। मुझे जीजू इतने पसंद नहीं थे क्योंकि आख़िर वो मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज़, यानी मेरी दीदी, मुझसे छीनकर ले गये थे, वो दीदी जिसकी जवानी का मज़ा मैं लेना चाहता था। अब वो पूजा दीदी से मज़ा ले रहे थे। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जीजू को कोई टेंशन है जो मेरे साथ शेयर करना चाहते थे।
मैंने कहा-“नहीं जीजू, ऐसी कोई बात नहीं है…”

जीजू-“यार, शादी से पहले तो सब करते हैं, शरमाता क्यों है? मैंने भी बहुत रंडीबाजी की है, लेकिन तू कोई भी एक गर्लफ्रेंड रख ले मगर किसी ऐसी वैसी लड़की के पास मत जाना, क्योंकि कभी-कभी बाद में पंगा पड़ जाता है, फिर डॉक्टर के पास घूमते फिरो…”

फिर थोड़ा रुक के बोले-“यार, मुझे एक सलाह लेनी है तेरी, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे कहूँ?”

मैं-“जीजू, अभी तो आप मुझे अपना दोस्त कह रहे थे, और फिर सलाह लेने में क्या है? मैं तो आपका अपना ही हूँ…”

जीजू के चेहरे पे टेंशन आ गई थी उन्होंने फिर एक लार्ज पेग बनवाया और एक ही बार में सारा अंदर। फिर जीजू बोले-“यार, मुझे तेरी हेल्प की ज़रूरत है…” यह कहते-कहते जीजू का चेहरा उदास सा हो गया और आँखें भारी-भारी सी लग रही थीं।

मैं-“ओके जीजू, आप बताओ तो सही…”

जीजू-“यार, मैं अपने घरवालों, अपने माँ बाप, भाई बहनों को कैसे समझाऊ? वो लोग मेरा जीना हराम कर रहे हैं, वो बातों-बातों में ही मुझे जलील करते रहते हैं…”

मैं-“क्यों, क्या हुआ जीजू, ऐसा क्यों?”

जीजू-“दीपक, मुझे यह भी नहीं समझ में आ रहा है कि मैं किस पे भरोसा करूँ? दो साल हो गये लेकिन अब सब का मुँह बंद करने के लिए कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा…”

मैं-“जीजू, बात क्या है, आप बताओ तो सही, मुझे बताओ क्या करना है?”

जीजू-“हाँ… दीपक, पूजा की बात सही है, तू कर सकता है तुझ पे भरोसा भी किया गया सकता है और तुम किसी को बता भी नहीं सकते…”

मैं-“बोलो जीजू, क्या करना है?”

जीजू-“यार काम तो कुछ टेढ़ा है, पता नहीं तू इसे भी करेगा या नहीं?”

मैं-“जीजू प्रोमिश, आप जो बोलोगे मैं करूँगा, आप टेंशन मत लो, और मुझे बताओ आख़िर बात क्या है?”

जीजू-“यार, मैंने 14 साल की उमर में ही अयाशी शुरू कर दी थी, बहुत गलत काम किए, नशा, और रंडीबाजी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, इसीलिये मुझे आज यह दिन देखना पड़ रहा है। हमारी शादी को दो साल हो गये लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रहा, मैं बाप नहीं बन सकता, लेकिन मुझे बच्चा चाहिये तो बस पूजा से ही…”

मैं-“फिर क्या है जीजू इस में कौन सी बड़ी बात है? आप दोनों किसी डॉक्टर से चेक करवा के ट्रीटमेंट करवा लो, यह तो कामन है आजकल…”

जीजू-“हम सब कुछ कर चुके हैं यार, डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकते। मैंने दवा भी बहुत खाई, सब कुछ किया, कहाँ-कहाँ नहीं चेक करवाया, लेकिन मुझसे कुछ होता ही नहीं है। मेरा उसके ऊपर रखते ही हो जाता है, यह सब मेरे नशा और रंडीबाजी का नतीजा है। पूजा बिल्कुल सही है, मुझे मान लेना चाहिये कि मेरी मर्दानगी खतम हो गई है…” यह कहते-कहते उनका मुँह रोने जैसा हो गया, और वो अपने बालों को नोंचने लगे।


शुक्रिया
 

Funlover

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upate plz....
अरे अभी तो दिया है

अब कल तक वेइट करे तो अच्छा

मुझे ख़ुशी हुई की आपको बेसब्री है कहानी पढने की ............
 
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kamdev99008

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अब तो थाली में परोस कर दीदी की चूत खुद जीजू ही दे रहे हैं
दसों उंगलियां घी में और सिर कड़ाही में
 
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अब तो थाली में परोस कर दीदी की चूत खुद जीजू ही दे रहे हैं
दसों उंगलियां घी में और सिर कड़ाही में
Well aapki prediction lajavaab hai
Par ye kahani hai thoda twist bhi banta hai
Stay connected to reveal everything of story.....
 

malikarman

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शादी के दो साल बाद एक दिन दीदी और जीजू घर में आये, शाम को दीदी बोली-“दीपू अपने जीजू के साथ जाओ, वो कहीं जाने को बोल रहे थे…”

मुझे दीदी की बात पे गुस्सा आता था फिर भी मैं कार निकालकर जीजू के साथ चला गया। जीजू खुश मिज़ाज आदमी थे, वो दीदी से करीब 5 साल बड़े थे, पहले उनका बिजनेस बाम्बे में था और वो वहीं रहते थे। शादी के बाद वो पंजाब में ही आ गये। उनका रंग गोरा और हाइट 5’9” थी।

मुझे लग रहा था कि हाइट के हिसाब से उनका लण्ड भी मेरे लण्ड से बड़ा होगा, जिससे वो दीदी को पूरी रात रगड़-रगड़कर चोदकर खुश रखते होंगे। लेकिन पूजा दीदी इन दो सालों में अब तक माँ नहीं बनी थी, इसलिये मैं सोचता था कि शायद जीजू ने पूजा दीदी को अभी तक माँ इसलिए नहीं बनाया होगा की वो अभी दीदी की जवानी का पूरा मज़ा लूटना चाहते होंगे। पूजा दीदी की टाइट चूत जो की बच्चा होने से खुल जाती, उसे एक दो साल तक और मारकर अच्छी तरह पूजा दीदी की जवानी को निचोड़ लेना चाहते थे। पर बात वो नहीं थी बात दरअसल दूसरी थी की पूजा दीदी अब तक माँ क्यों नहीं बनी थी? ये बात मुझे जीजू ने बताई।

कार को रोड पे चढ़ते ही मैंने जीजू से पूछा-“जीजू कहाँ जाना है?”

तो वो बोले-“यार जाना कहाँ है, किसी अच्छे से होटेल में चल, जहाँ पे रश ना हो, आराम से बैठकर गप्पें लगा सकें और बातें भी कर सकें…” होटेल में पहुँचकर जीजू ने कॉर्नर वाली टेबल पसंद की, सामने के 1-2 टेबल बबिी थे, बाकी तकरीबन सब टेबल खाली पड़े थे। व्हिस्की भी आ गई और चिकेन भी, हम पीने लगे, मेरे एक लाइट पेग खतम करते-करते जीजू 2-3 डबल पेग गटक जाते। ऐसा लग रहा था जैसे जीजू अपने अंदर व्हिस्की भर रहे हों। लेकिन मैं उनको रोक भी नहीं सकता था, क्योंकि आख़िरकार वो मेरे जीजू थे। मेरे दूसरा ड्रिंक लेने तक उनका पाँचवा ड्रिंक था। जल्दी-जल्दी पीने से जीजू का अब अपने आप पे कंट्रोल नहीं लग रहा था, नशा अब उनके सर चढ़ चुका लगता था।

उन्होंने बात शुरू की-“दीपक यार, तुमने कोई गर्लफ्रेंड नहीं रखी?”

मैं-“नहीं जीजू…”

जीजू-“यार लगता है तू शर्मा रहा है, मुझे अपना जीजू नहीं दोस्त समझ यार, खुलकर बात कर…”

मैं जीजू से ज्यादा खुलना नहीं चाहता था। मुझे जीजू इतने पसंद नहीं थे क्योंकि आख़िर वो मुझसे मेरी सबसे प्यारी चीज़, यानी मेरी दीदी, मुझसे छीनकर ले गये थे, वो दीदी जिसकी जवानी का मज़ा मैं लेना चाहता था। अब वो पूजा दीदी से मज़ा ले रहे थे। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जीजू को कोई टेंशन है जो मेरे साथ शेयर करना चाहते थे।
मैंने कहा-“नहीं जीजू, ऐसी कोई बात नहीं है…”

जीजू-“यार, शादी से पहले तो सब करते हैं, शरमाता क्यों है? मैंने भी बहुत रंडीबाजी की है, लेकिन तू कोई भी एक गर्लफ्रेंड रख ले मगर किसी ऐसी वैसी लड़की के पास मत जाना, क्योंकि कभी-कभी बाद में पंगा पड़ जाता है, फिर डॉक्टर के पास घूमते फिरो…”

फिर थोड़ा रुक के बोले-“यार, मुझे एक सलाह लेनी है तेरी, लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे कहूँ?”

मैं-“जीजू, अभी तो आप मुझे अपना दोस्त कह रहे थे, और फिर सलाह लेने में क्या है? मैं तो आपका अपना ही हूँ…”

जीजू के चेहरे पे टेंशन आ गई थी उन्होंने फिर एक लार्ज पेग बनवाया और एक ही बार में सारा अंदर। फिर जीजू बोले-“यार, मुझे तेरी हेल्प की ज़रूरत है…” यह कहते-कहते जीजू का चेहरा उदास सा हो गया और आँखें भारी-भारी सी लग रही थीं।

मैं-“ओके जीजू, आप बताओ तो सही…”

जीजू-“यार, मैं अपने घरवालों, अपने माँ बाप, भाई बहनों को कैसे समझाऊ? वो लोग मेरा जीना हराम कर रहे हैं, वो बातों-बातों में ही मुझे जलील करते रहते हैं…”

मैं-“क्यों, क्या हुआ जीजू, ऐसा क्यों?”

जीजू-“दीपक, मुझे यह भी नहीं समझ में आ रहा है कि मैं किस पे भरोसा करूँ? दो साल हो गये लेकिन अब सब का मुँह बंद करने के लिए कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा…”

मैं-“जीजू, बात क्या है, आप बताओ तो सही, मुझे बताओ क्या करना है?”

जीजू-“हाँ… दीपक, पूजा की बात सही है, तू कर सकता है तुझ पे भरोसा भी किया गया सकता है और तुम किसी को बता भी नहीं सकते…”

मैं-“बोलो जीजू, क्या करना है?”

जीजू-“यार काम तो कुछ टेढ़ा है, पता नहीं तू इसे भी करेगा या नहीं?”

मैं-“जीजू प्रोमिश, आप जो बोलोगे मैं करूँगा, आप टेंशन मत लो, और मुझे बताओ आख़िर बात क्या है?”

जीजू-“यार, मैंने 14 साल की उमर में ही अयाशी शुरू कर दी थी, बहुत गलत काम किए, नशा, और रंडीबाजी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, इसीलिये मुझे आज यह दिन देखना पड़ रहा है। हमारी शादी को दो साल हो गये लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रहा, मैं बाप नहीं बन सकता, लेकिन मुझे बच्चा चाहिये तो बस पूजा से ही…”

मैं-“फिर क्या है जीजू इस में कौन सी बड़ी बात है? आप दोनों किसी डॉक्टर से चेक करवा के ट्रीटमेंट करवा लो, यह तो कामन है आजकल…”

जीजू-“हम सब कुछ कर चुके हैं यार, डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकते। मैंने दवा भी बहुत खाई, सब कुछ किया, कहाँ-कहाँ नहीं चेक करवाया, लेकिन मुझसे कुछ होता ही नहीं है। मेरा उसके ऊपर रखते ही हो जाता है, यह सब मेरे नशा और रंडीबाजी का नतीजा है। पूजा बिल्कुल सही है, मुझे मान लेना चाहिये कि मेरी मर्दानगी खतम हो गई है…” यह कहते-कहते उनका मुँह रोने जैसा हो गया, और वो अपने बालों को नोंचने लगे।


शुक्रिया
Waah
Iski to lottery lag gyi
 
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