रमेश: “नहीं मम्मीजी अब नहीं रहा जाएगा”
पूजा: “रमेश अब मम्मीजी नहीं पर मंजू बोला करो अब ये तुम्हारा माल है उसे कैसे भी वापरो (खर्च करो) ये आज के लिए तुम्हारा माल है उसके सभी छेद आज तुम्हारे लिए है और तुम्हे उसने मन से परोसा है अपने सभी छेद कोई परवाह किये बीना टूट पदों उस पर”
मंजू ने एक चीटी भरी पूजा के स्तन पर और बोली “ज्यादा मत करवा पाने पति से मै आखिर एक सांस भी हु” फिर पुका के कान में बोली ठीक है जो करना है कर” औ पूजा के सामने आँख मरते हुए बोली और ऊपर का रास्ता के तरफ इशारा किया|
पूजा भी समज गीकी अब मंजू को जरा जल्दी है ऊपर जाने की और अपने शरीर से खेलवाड़ करने की उसने मंजू की तरफ देख के जवाब में उसने भी आख मारी फिर थोडा wait करने का इशारा किया|
पूजा ने मंजू को छोड़ के मंजू का हाथ पकड़ के रामेश्के लंड के उभर पर रख दिया और बोली “मम्मी आज के लिए ये राजा को भी संभाल और सहला उसे मुझे लगता है की उसे भी तेरे इस प्रेम की जरुरत है और तेरे शरीर की गरमी की उसे भी जरुरत है कब से प्यासा बैठ हुआ है उसे उठा और अपनी करामत दिखा अपने जमाई को भी|
रमेश: “yes मंजू अब उसे तुम्हारी जरुरत है” कह के उसने मंजू को “I Love you मोम बोला”
जवाब में मंजू थोडा हिचकिचाई पर सामने बोली “अब इस लालू को भी मेरी जरुरत है तो मुझे उसकी सेवा करनी ही पड़ेगी और आज सेवा का मौक़ा मिला है तो करुँगी” फिर रमेश के होठो पर किस करते हुए बोली “आज के लिए सिर्फ i love you too”
“बस मंजू आज के लिए? क्या मै तुम्हे पसंद नहीं हुऐसा है क्या मै तुम से जबरजस्ती कर रहा हु?”
“नहीं रमेश ऐसा नहीं है पर तुम जानते हो की तुम मेरे लिए कम के नहीं और मै पहले से ही सभी छेद दीपू को दे चुकी हु मन से उस से शादी कर चुकी हु उसके लंड ने मेरी चूत रूपी मांग भर दी है अब किसी और का मौक़ा या स्थान नहीं है तुम समजो”
“जी मंजू समजता हु पर मै तुम से प्यार करता रहूँगा” उस ने मंजू के स्तन को जोर से दबाते हुए
“आ हह” कह के मंजू ने एक हाथ से अपना स्तन को सवारा और बोली “ जब भी ऐसा मौक़ा आयेगा मै तुम्हे चांस दूंगी बस!”
“और मुझे क्या चाहिए चलो अब हाथ हटाओ और मुझे तुम्हारे बोबले से खेलने दो”
मंजू ने अपना हाथ स्तन से हटाया और रमेश का हाथ उस पर सवारी कर चूका| थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा बाद में पूजा बोली रमेश अब सब कुछ यही सोफे पर करोगे की ऊपर पलंग पे भी जाना है !!!
मंजू तो यही चाहती थी क्यों की अब उसका चूत काफी गरम और चूत रस रिसा रही थी|
रमेश भी शायद यही चाहता थी की मंजू अब कब बिक=न कपड़ो में अपना जिस्म का दर्शन देगी|
हा हा मैंने कब मन किया है ये तो तुम दोनों यहाँ बैठी थी तो मै भी यही पर बैठ गया और चालू हो गया|
तीनो उठे और सीडी की पर चल दिए| पहली मंजू फिर उसके बाद रमेश और लास्ट में पूजा चढ़ रही थी| ऊपर जाते जाते रमेश ने एक हाथ से मंजू के कुल्हे सहलाना चालु कर दिया| जिस का कोइ विरोध नहीं पाया तो उसने मंजू की गांड की दरार से खेल ना चालू कर दिया तब मंजू बोली “काफी टाइम है जमाईराज ये सब मिलने वाला है आप नाहक जल्दी कर रहे है वैसे भी आप ज्यादा उत्तेजित तो रह नहीं सकते” कह के थोडा मुड़ी और मुस्कुराई|
लेकिन रमेश ने कुछ नहीं बोला पर जवाब में मंजू के कुल्हे को मसल डाला
“ऊऊऊऊऊ..ईईईईई...माआआअ” और एक हाथ पीछे लेकर उसके कुल्हे को सहलाते हुए बोली “सोरी मुझे ये नहीं बोलना था इतना गुस्सा मेरे चुतद पे निकालने की क्या जरुरत थी?”
अभी तो आधी सीडिया ऊपर गए की मंजू ने पूजा से कहा “पूजा, जरा जा के दरवाजा तो बंध कर दे और हा पीछे वाली पानी की टेंक नहीं भरी है तो जाके मोटर चालु कर के पानी की टंकी भर दे वर्ना कल सुबह को मुश्किल हो जायेगा, कल क्या शायद आज रात तक चले उतना भी पानी नहीं होगा उसमे”|
पूजा का मन तो नहीं था पर और कुछ वो कर भी नहीं सकती थी क्योकि अगर वो मम्मी को बोलती तो मकसद का कोई फायदा नहीं रहता था इसलिऐ वो वापिस जाने को मुड़ी और बोली “मम्मी क्या यार तुम भी ना ये सब पहले ही कर देना था जब तुम्हे मालुम था आज शाम हम सब बिजी रहनेवाले है”|
“हां बेटा मुझे मालूम तो था पर मै खुद ही भूल गई, वर्ना मै खुद ही कर लेती” ऊपर चढ़ते हुए मंद मंद मुस्कुराई|
पूजा निचे की ऑर मुड़ी तो रमेश को भी खुला मैदान मिल गया उसने मंजू के बड़ी गांड की गहराई नापनी शुरू कर दी तो मंजू ने एक हाथ से पीछे की और रखा और अपनी गांड को छुपाते हुए बोली “अभी तो कहा जमाईजी थोड़ी देर रुक जाईये”
रमेश: “अगर रहा जाता तो रह लेता मम्मीजी लेकिन इस पीछेवाली बड़ी खाई मुझे उत्तेजित कर रही है”|
“ये थरकते कुल्हे मुझे जीने भी देगा या नहीं”|
“छी! ऐसा नहीं कहते बहोत लंबा जीना है आपको” कहते हुए उसने बेडरूम का डोर तक पहोच गई और दरवाजा खोला और साइड में हट के रमेश को अन्दर आने की जगह दी| और पीछे की और देख के सुनिश्चित किया की पूजा नहीं है|
बने रहिये ......