Naik
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Bahot khoob badhiya shaandar updatechapter 48
सुबह होती रोज की तरह अभय अपनी मा के सुबह सुबह होठ का रस पिता है अदिति को से मिलता है फिर मिनिता के घर जाता है
कोमल खाना बना रही थी काजल आगन् मे बैठी हुई थी अभय अंदर आता है काजल अभय को देख मुस्कुराते हुवे - आ गया
अभय काजल के गोद मे बैठ - हा आना ही था
कोमल अभय को देख - ओये बंदर बुआ के गोद मे कियु बैठा है साइड मे जगह नही दिखाई देती तुझे कमीना
अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - बंदरिया दिखाई देती है लो लेकिन बुआ की गोद बहोत मुलायम है कियु बुआ
कारक अभय को बाहों मे कस - बिल्कुल
कोमल मुह बना के - कमीना
अभय - तु मुझपे गुस्सा कियु रहती है हर वक़्त
कोमल अभय को देख - कियुंकी तु कमीना है
काजल हस्ते हुवे - अरे अभय बेटा तो बहोत अच्छा लरका है
कोमल हस्ते हुवे - किया कहा बुआ अच्छा अरे कमीना नही माहा कमीना है
तभी मिनिता आते हुवे - बस भी करो सुबह सुबह तुम दोनों का ये रोज का ड्रामा
अभय मिनिता को देखता है तो मिनिता सर्म से लाल होने लगती है
मिनिता भी अभय के पास बैठ जाती है
अभय - वाह किस्मत हो तो ऐसी दो खूबसूरत औरत मेरे पास बैठी है
काजल मिनिता सर्म से लाल हो जाते है वही कोमल अभय को गुस्से से देखती है
अभय कोमल को देख मुस्कुराते हुवे - और एक खूबसूरत सी लरकी भी है
अभय की बात सुन कोमल खुश हो जाती है थोरा शर्मा भी जाती है लेकिन दिखाती नही
अभय - कल मरवा है बहोत काम करने है आज
काजल - हु यानी कल मरवा परसो हल्दी तरसो शादी
मिनिता - वाह मेरे अभय बेटा दुल्हा बनने वाला है
कोमल मुह फुला के - कोन सा बरा तीर मरने जा रहा है
अभय मुस्कुराते हुवे - लगता है तेरे को मुझसे कोई दुश्मनी है बंदरिया
कोमल गुस्से से चूल्हे से जलती लकरि निकाल अभय की तरफ कर - एक बार और बंदरिया बोला तो तेरी खैर नही
अभय डरते हुवे - ठीक है नही बोलुगा
अभय मिनिता को देख - ऑन्टी ये आपकी बेटी गुस्से वाली कियु है विजय तो कितना सांत लरका है
मिनिता हस्ते हुवे - बेटा कोमल भी सांत दिल की अच्छी है लो लेकिन पता नही कियु तुझसे लरति रहती है
अभय - इसका मतलब पक्का हो गया मुझसे दुश्मनी है
कोमल गुस्से से - है तो किया कर लगा
काजल - सांत हो जाओ लरना बंद करो
कोमल भी मुह फुला के खाना बनाने लगती है
अभय खरा होके - बुआ ऑन्टी अभी मे जा रहा हु साम को अच्छे से बाते करेगे
काजल मिनिता ठीक है
अभय दोनों के होठ पे किस करके जाने लगता है वही मिनिता काजल अभय को जाते देख मुस्कुरा देते है
अभय घर आता है आसा अभय को देख - बेटा कल का सारा समान आज ही खरीदना है और हा बहु के यहा भी सब तुझे करना है
अभय आसा को देख - समझ गया मा आप चिंता मत करो सब मे देख लुगा
आसा - हु
आसा खाना बना रही थी अदिति भी कमरे से बाहर आती है
अभय अदिति को सीने से लगा के - कैसी है गुरिया थकान कमजोरी तो नही हो रही
अदिति अभय को बाहों मे कस - नही भाई मे ठीक हु
अभय अदिति को खाट पे बैठा के - देख कल से घर मे शादी का माहौल होने वाला है तो तुझे जो करना है कर सकती है लेकिन आराम सबसे जरूरी है समझ गई
अदिति अभय को देख हस्ते हुवे - अच्छा बाबा आपने जैसा कहा करुगी
आसा सब देख सुन मुस्कुरा देती है
अभय नहाता है और रेडी होके खाना खाता है फिर 10 बजे मधु के घर जाता है
मधु कमरे मे बाल बना रही थी अभय अंदर आते हुवे - गुरिया
मधु पीछे मूर अभय को देख खुश होके अभय के पास आके - भाई
अभय मधु को बिस्तर पे लेता के मधु के ऊपर आके आखो मे देख
अभय - आज से शादी तक तुम मा पापा मेरे घर यानी अपनी बरी मा के घर रहोगी
मधु खुशी से सच - हा मे साम को लेने आयुगा रेडी रहना
मधु बहोत खुश होते हुवे - जी भाई अब मजा आयेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - हा लेकिन अभय मुझे अपने होठो का रस पिला दो कल नही पी पाया था
मधु अभय को देख सर्म से - भाई जितना चाहे पी लो
अभय मुस्कुराते हुवे - अपना जिब बाहर निकालो
मधु सर्म से लाल अपनी जिब बाहर निकाल देती है अभय मुह मे लेके चूसने लगता है साथ मे गर्दन पे भी किस करने लगता है मधु अभय की हरकत से मद्होस होने लगती है बिस्तर पे अभय के नीचे परी मचलने लगती है तेज सासे दिल धक धक हो रहा था
अभय जब भी मधु को के ऊपर आके किस करता मधु को अजीब एहसास होता कुछ ऐसा जो मधु को मद्होस कर देती थी मधु के लिये ये पल अजीब लेकिन सुकून वाला पल होता था जैसे उसका दिल यही चाहता हो अपने भाई के नीचे लेती अपने होठ का रस पिलाने और अपने भाई के ऊपर बॉडी अपने बॉडी से चिपकी फिल कर हा जब भी मधु अभय किस करते दोनो नया ही लगता 2 मिनट बाद
मधु के होठ गिले थे अभय के भी अभय मधु को देखता है मधु अभय को देख सर्म से लाल होने लगती है
अभय मधु के चुत पे अपने लंड से दबाव मानता है मधु आह करती है अभय मधु की फूली चुत उसकी गर्मी फिल करने लगता है मधु को भी अपनी चुत पे कुछ गर्म मोटा फिल होता है जिसे फिल कर मधु काप् जाती है सासे फूलने लगती है दिल जोर से धक धक करने लगता है
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अभय मधु को देखता है मधु अभय को देखती है अभय का हाथ अपने आप मधु के चूचे पे आ जाता है और अभय मधु के चूचे को दबा देता है थोरा जोर से मधु को दर्द होता मधु दर्द मे आह भाई
अभय मधु की दर्द भरी आवाज सुन होस मे आता है फिर जाके अभय को एहसास होता है उसने फिर होस होके गलत कर दिया है अभय जल्दी से मधु को देख - गुरिया माफ कम गलती से हो गया
अभय मधु के ऊपर से उठ बैठ मन मे फिर गलती हो गई
मधु तेज तेज सासे ले रही थी अपने भाई का हाथ पहले बार अपने गोल बरे टाइट चूचे पे फिल मधु पूरी मद्होस थी अंदर तूफान उठ चुका था मधु जो फिल कर रही थी मधु की जो हालात थी मधु ही जानती थी
पहली बार किसी ने उसके चुचे को छुवा दबाया भी था वो उसका भाई था
अभी जो हुआ अपने चुचे के भाई का हाथ फिल किया जो दबाने पे मिठा दर्द हुआ उसे फिल सोच कर
मधु की सासे फूलने लगती है चेहरे पे पसीना आने लगता है अभय साफ मधु के दिल की आवाज जो जोर से धक धक कर रहा है सुन पा रहा था मधु की हालात भी अभय देख रहा था
मधु कापते अपने आप को संभालते हुवे अंजान बन - भाई कल मरवा है ना
अभय मन मे - गुरिया अंजान बन रही है मुझे भी वैसा ही करना चाहिये ये भी अदिति की तरह बहोत सर्मिलि है
अभय भी - हा सही कहा
तभी किसी एक आवाज सुनाई देती है जिसे सुन अभय मधु समझ जाते है मा आ गई है अभय मधु के ऊपर से उठ जाता है मधु भी उठ बैठ जाती है लेकिन अभी जो हुआ उसे या आगे जो होने वाला
अभय मधु को देख - गुरिया मा से बात करने जा रहा हु
मधु अभय को देख सर्म से - जी भाई
अभय कमरे से बाहर आता है मधु दिल पे हाथ रख जोर से सासे लेते हुआ बिस्तर पे लेत सर्म से अपने चूचे पे हाथ रख मन मे - उफ आज ये किया हुआ भाई ने मेरे चूचे दबाये तो मुझे जोर का झटका लगा मिटा दर्द ये एहसास कैसा था उफ मेरा सरीर अभी भी काप् रहा है ये पहली बार था किसी ने मेरे चूचे दबाये वो भी मेरा भाई अपने चूचे पे भाई का हाथ फिल कर मेने जो मेहसूस फिल किया अजीब सा था आह ये कैसा एहसास था मुझे बहोत सर्म आ रही है अभी उफ पर भाई भाई ने गलती से दबा दिया फिर भी आह
अभय आगन् मे आता है सिला हाथ पैर धो रही थी अभय सामने खरा हो जाता है सिला अभय को देखती है लेकिन कुछ नही कहती और कमरे मे जाने लगती है ये देख अभय को बहोत बुरा लगता है
अभय का दिल कर रहा था चुप चाप चला जाये लेकिन एक दिल नही
अभय मन मे - गलती मेरी थी अगर ऐसे ही मे चला जाऊंगा तो ये गलत होगा मुझे ही आगे जाके माफी मांगनी होगी यही सही है
अभय इसी सोच के साथ कमरे मे जाता है सिला बिस्तर पे लेती हुई थी अभय सिला के पास बैठ जाता है सिला अभय को एक नजर देखती है फिर मुह फेर लेती है
अभय सिला को देख - मा आपने बेटे ने गलती की है तो आप मुझे सजा दो जो हर मा करती है लेकिन इस तरह मुझ से रूठ कर मत रहो
सिला फिर भी अभय ना देखती है ना कुछ बोलती है
अभय सिला को देख दुखी आवाज मे - एक ही मेरी आदत है मे कभी कुछ भी कर बोल देता हु वादा करता हु मा मे आगे से अपनी गलती सुधार लूंगा और फिर कोई गलती नही करुगा
सिला फिर भी कुछ नही बोलती ना अभय को देखती है अभय का दिल बैठ जाता है अभय खरा होके दुखी होके जाने लगता है
तभी सिला - अगर तुम चाहते हो मे तुझे माफ कर दु तो मुझे भी दीदी की तरह कही खूबसूरत जगह पे घुमाने ले जाओ डिनर कराओ सरप्राइज दो पसंद आया फिर माफ कर दुगी
अभय सिला की बात सुन हैरान सिला को देखता है सिला नॉर्मल अभय को देखती है अभय मन मे - मा गुस्सा किस लिये है मा की तरह सिला मा को अच्छी जगह लेजा के डिनर सरप्राइज नही दिया उस लिये या मेरी बातो की वजह से समझ नही आ रहा
अभय सिला के पास आके बैठ सिला को देख - जरूर दुगा मा लेकिन सादी के बाद वादा अब माफ कर दो
सिला अभय को देख मुस्कुराते हुवे - माफ किया
अभय सिला को घूर के देख - आप नाराज किस बात से थी बतायेगी जरा मे कितना डर गया था
सिला - मुझे क्या पता मे नाराज कियु थी
अभय - वाह आप नाराज थी लेकिन आपको ये नही पता नाराज कियु थी मान गया मा आपको
सिला मुस्कुराते हुवे - मा हु तेरी खैर आजा बाहों मे
अभय मुस्कुराते हुवे सिला के ऊपर लेत जाता है सिला अभय को देख - उफ कितना भरी है तू
अभय मुस्कुराते हुवे - कहा दुबला पतला तो हु मे
सिला अभय को बाहों मे कस - झूठा
अभय सिला की आखो मे देख - कल की बातो से नाराज थी
सिला अभय की आखो मे देख - तु खुद सोच बता
अभय सिला को देख - एक बेटा होने के नाते मेने जो शब्द आपसे बोले वो मुझे नही बोलना चाहिये था तो मुझे लगता है इसी नही दोनों वजह से नाराज है
सिला अभय को देख - हु हो सकता है ना भी
अभय अपना सर खुजाते हुवे सिला को देख - मा आप कब से पहेलियों मे बात करने लगी
सिला हस्ते हुवे - आज अभी से
अभय - बता दो ना प्लेस
सिला मुस्कुराते हुवे - फिर किसी दिन बता डुगी मे कियु नाराज थी
अभय गहरी सास लेते हुवे - चलो ठीक है
अभय सिला के होठ पे किस कर - मुझे जाना होगा लेकिन साम को लेने आयुगा कल मरवा पूजा है
सिला मुस्कुराते हुवे - ठीक है
अभय सिरियस होके सिला को देख - मा दुबारा ऐसा मत कम मे आपका बेटा हु गलती करू मारना सजा देना पर रूठना बाते करना बंद मत करना समझ गई आप
सिला अभय के चेहरे पे हाथ फेरते हुवे मुस्कुराके - हा समझ गई
अभय उठ मुस्कुराते हुवे - हु मे जाता हु किस करने के बाद
सिला - हु
अभय बाइक पे बैठ जाने लगता है लेकिन अपना एक हाथ अपनी उंगली को देख मन मे - गुरिया के चुचे बहुत बरे मुलायम सॉफ्ट और पुरे खरे टाइट थे मेरे हाथ मे भी सही से नही आ रहा था उफ
अभय घर आता है कई सारी लिस्ट बनाता है कैसे किया करना है अपनी मा अदिति के साथ बैठ चर्चा करता है सब होने के बाद अभय विजय को लेके निकल परता पुरा दिन खरीदारी और कई सारे काम करने मे गुजर जाते है
साम 5 बजे अभय सिला मधु के घर आता है सिला मधु रेडी थे अभय अंदर आता है मधु अभय को देख खुश होती है सर्म से लाल भी अभय मधु को देखता है फिर सिला को देख - मा आप बहोत खूबसूरत लग रही है
सिला मुस्कुराते हुवे - थैंक्स मेरा बच्चा
मधु - भाई मे
अभय मधु को देखता है मधु सूट सलवार पहनी हुई थी और बहोत खूबसूरत भी लग रही थी लेकिन अभय की नजर मधु के चुचे पे चली जाती है मधु भी अभय की नजर देख समझ जाती है और सर्म से लाल होने लगती है अभय भी होस मे आता है
अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - मेरी गुरिया तो परी है हमेसा रहेगी
मधु बहोत खुश होती है अपनी तारीफ सुन
अभय सिला को देख - मा पापा कहा है
हरीनाथ - मे यहा हु बेटा
अभय गले लग - पापा
हरीनाथ अभय के पीठ पे हाथ रख - लाले
अभय - तो चलिये चलते है
सभी - हु
अभय मधु सिला सब को लेके घर आता है
आँगन मे आसा अदिति थे
मधु सिला के गले लग - बरी मा आपको बहोत मिस किया
आसा मधु को गले लगा के - ओ मेरा बच्चा मेने भी बहोत मिस किया अपनी प्यारी गुरिया को
अदिति - ओये मुझे मिस नही किया क्या
मधु अदिति के गले लग - दीदी मेने आपको भी बहोत मिस किया
अदिति - शैतान मेने भी
सिला आसा के गले लग - दीदी आप कैसी है
आसा - बहोत अच्छी हु
सिला - आपसे मिलने का दिल कर रहा था ( सिला अभय को देख) लेकिन बेटा लेके आता ही नही था
अभय हैरान होके - छोटी मा आपने मुझे कभी कहा भी नही
सिला मुस्कुराते हुवे - अच्छा कहूगी तो लेके आयेगा
अभय - अच्छा माफ करो गलती हो गई
हरीनाथ - कैसी है भाभी
आसा - अच्छी हु आप कैसे है
हरीनाथ - अच्छा हु पहले से जब से अभय बेटा हमारी
रात 9 बजे
आँगन मे आसा मिनीता काजल अभय बैठे थे कमरे मे मधु कोमल अदिति थे हरीनाथ विजय के पापा से घर मिलने चला गया था
अभय सिला के गोद मे बैठा था सिला बाहों ले लिये अभय को बैठी थी
मिनीता आसा को देख - दीदी आपका लाडला आज अपनी छोटी मा के गोद मे बैठा है इतना बरा होके
काजल अभय को देख हस्ते हुवे - गोद मे बैठना इसकी आदत मे से एक आदत है
अभय मुस्कुराते हुवे - हा गोद मे बैठने मे मजा आता है बहोत मुलायम अच्छा सुकून मिलता है
सिला हस्ते हुवे अभय के बाल सेहलाते हुवे - मेरा बेटा जब दिल करे बैठ जाना मेरी गोद मे आके
आसा अभय को देख - बेटा आज बहोत खरीदारी कर ली बहु के यहा सब बव्स्ता कर दिया ना
अभय आसा को देख - कर दिया मा सारे समान भेजवा दिये है बाकी हर एक काम मेरे लोग देख देगे
मिनीता -बेटा उनके घर मे कोई मर्द नही है तेरे ससुर होते तो सब खुद करते लेकिन अब तुझे ही हेल्प करना है
काजल - हा भाभी ने सही कहा लेकिन मुझे लगता है कोई दिकत नही होगी अभय बेटा सब देख लेगा
सिला - बिल्कुल अभय बेटा सब संभाल लेगा
आसा - कल से हमे बिल्कुल भी टाइम बहु के आने तक
सिला - दीदी हम सब मिल कर संभाल लेगे
आसा मुस्कुराते हुवे - हा वो तो है
तभी अभय का फोन बजता है तो अभय फोन देख - दिशा का है
अभय उठ कमरे मे जाते हुवे - आप सब बात करो मे कमरे मे जा रहा हु
मिनीता मुस्कुराते हुवे - दीदी देखा बीवी का फोन आया कैसे चला गया
सिला हस्ते हुवे - अरे इसमें गलत किया है अपनी बीवी से अकेले मे ही बात करेगा ना
काजल मुस्कुराते हुवे - हा आपने सही कहा
आसा मुस्कुराते हुवे - मेरा लाला जल्दी ही एक पति बन जायेगा
अदिति कमरा
मधु अदिति को देख -हैरान किया भाई ने आपके लिये इतना सब किया भाई सच मे बहोत अच्छे है आपसे बहोत प्यार करते है
असल मे मधु को अदिति का परियड और अभय ने जो किया सब पता चल चुका था सब जान हैरान हुई थी
अदिति मधु को देख - अच्छा भाई तुमसे प्यार नही करते
मधु - अरे करते है बहोत करते है
कोमल - मे भी हु यहा कहा फस गई भाई के दिवानियो के बीच
मधु कोमल को देख - दीदी वैसे आप कब सादी कर रही है
कोमल मधु को देख - लो तुम भी मेरी सादी के पीछे पर गई तुम दोनों तेरा भाई हद है
अदिति हस्ते हुवे - आपकी उमर होते जा रही है इस लिये
कोमल - अरे यार 19 की ही हु
अभय कमरे मे
अभय - हा मेरी जान
दिशा - आपने जो समान भेज आ गया है
अभय - अच्छी बात है और हा तुम चिंता मत करना कई लोग होगे हेल्प करने के लिये ठीक है
दिशा इमोसनल होके - आप कितना सब खुद कर रहे है
अभय हस्ते हुवे - चिंता मत करो सुहागरात के दिन सब हिसाब ले लुंगा
दिशा सर्म से - छि गंदे फिर सुरु हो गये
अभय - आखिर कार वो दिन आ ही गया
दिशा - आपने सही कहा अच्छा बाकी सब किया कर रहे है छोटी सासु मा मधु भी आये है ना
अभय - हा आये है सब बाते करने मे लगे हुवे है और कल बाकी सब भी आ जायेंगे जीत जीतू कल से फुर्सत बहोत कम मिलेगी
दिशा - हा वो तो है
दिशा से बाते करने के बाद अभय फोन रख देता है
तभी ममता का फोन आता है
अभय -भाभी आपको ही याद कर रहा था कल आयेगी ना भाई के साथ
ममता -जरूर आउंगी देवर जी सादी मे कैसे मिस कर सकती हु
अभय मुस्कुराते हुवे - अगर करती तो आपको छोरता नही
ममता मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो क्या करते आप
अभय मुस्कुराते हुवे - तो आपको सजा मिलती
ममता - कैसी सजा
अभय मुस्कुराते हुवे - आपकी चुत की गहराई मे अपना लंड घुसा देता
अभय की बात सुन ममता काप् जाती है तेज सासे चलने लगती है दिल जोर से धक धक करने लगता है
ममता सर्म से - बेसर्म देवर जी आपके अंदर इतनी हिम्मत है मेरी चुत की गहराई मे लंड डालने की
ममता की बात अभय को जोस से भर देता है लंड टाइट होके झटका मारने लगता है
अभय मुस्कुराते हुवे - हिम्मत बहोत है भाभी लेकिन मे किसी के मर्ज़ी बगैर उनके साथ कुछ गलत नही करता
ममता - अच्छा जी
अभय- बिल्कुल जैसे भाभी चुत गीली हो गई होगी आपकी
ममता हैरान सर्म से - आपको कैसे पता
अभय मुस्कुराते हुवे - आपकी चुत मेरे लंड को याद कर रही है इस लिये गीली हो रही है
ममता सर्म से - आप कुछ जायदा ही अपने आप को नही समझ रहे
अभय - बिल्कुल नही तो बोलिये ना कब देगी
ममता तेज सासे लेते हुवे - जब मोक्का मिलेगा
अभय मुस्कुराते हुवे - इंतज़ार रहेगा फिल्हाल चुत गीली है तो भाभी चुत मे उंगली करिये ना वीडियो कॉल करू
ममता हैरान सर्म से - नही ना मुझे सर्म आयेगी
अभय - प्लेस ना भाभी एक बार
ममता सर्म से - ठीक है
अभय वीडियो कॉल करता है ममता टांगें फैला के शर्म से केमरा चुत के पास रखती है फिर बीच की दो उंगली चुत मे घुसा के अंदर बाहर करने लगती है अभय लंड हिलाते हुवे देखने लगता है
ममता मन मे सर्म से - उफ मे क्या कर रही हु देवर जी की बाते मे नकार नही पाती पता नही कियु लेकिन मुझे अच्छा लग रहा है आह मेरी चुत बहोत गीली होती जा रही है उफ देवर जी आह मा
अभय - भाभी उफ आपकी चुत आह बहोत अच्छा कर रही है करते रहीये ( ममता सर्म से - उफ देवर जी आप को दिख रहा है ना अच्छे से आह ( अभय -हा भाभी साफ अच्छे से आपकी चुत मे उंगली जाते दिख रहा है उफ 2 मिनट होते ही ममता तेज तेज सिसकिया लेते हुवे चुत मे उंगली करने लगती है
ममता - उफ आह मा देवर जी आह करते हुवे ममता गांड कमरे उठा के आह मा करते झर जाती है
ममता तेज सासे लेते हुवे - हा देवर जी हो गया
ममता मन मे तेज सासे लेते हुवे - उफ इतनी जल्दी झर गई चुत से पानी भी बहोत निकला है उफ ये देवर जी की वजह से है
अभय मुस्कुराते हुवे - कैसा लगा
ममता सर्म से - गुड नाइट
. फोन कट
अभय हैरान फिर मुस्कुराते हुवे - कोई बात नही सर्मा गई
ममता मन मे - उफ कैसा लगा आह बहोत अच्छा लगा सुकून मिल गया देवर जी आह लेकिन मुझे बहोत सर्म आ रही है अब उफ देवर जी आप बहोत बुरे बेसर्म है
मिनीता अभय के कमरे मे आती है अभय मुस्कुराते हुवे मिनीता को बाहों मे लेके - ऑन्टी मेरी जान
मिनीता हैरान सर्म से अभय को देख - तेरी जान कब से बन गई मे
अभय चुचे दबाते हुवे - अभी से
मिनीता दर्द मे - आह बेटा आज नही उफ जल्दी जाना है
अभय मुस्कुराते हुवे - समझ गया तो जल्दी करिये आप
मिनीता सर्माते हुवे अभय का लंड निकाल मुह मे लेके मजे से चूसने लगती है रस पीने लगती है अभय मजे से उफ यही तो सुकून है
2 मिनट बाद
मिनीता खरी होके मुह साफ कर - उफ बस मे जाऊ
अभय मिनीता को बाहों मे लेके - ऑन्टी अपनी चुत तो दिखा दो ना
मिनीता सर्म से अभय को देख - नही तुम बहोत बेसर्म हो गये तो कितना गंदा बोलने लगे हो
अभय मुह लटका के - ठीक है जाओ
मिनीता अभय को देखती है फिर जल्दी से सारी उपर कर देती है अभय जब देखता है तो देखता रह जाता है मिनीता ने लाल नई डिजाइन की चड्डी पहनी थी गोरे मोटे जांघे बीच मे सिर्फ छोटा लाल कपरा जिसने मिनीता की चुत को धक रख था
मिनीता अभय को देखती है की कैसे अभय उसकी चुत को देख रहा है तो बहोत शर्मा जाती है
मिनीता धीरे से सर्म से - आज के लिये इतना ही किस्मत रही तेरी तो वो भी देख दूँगी
अभय होस मे आके मिनीता को देखा मुस्कुराते हुवे - क्या बात है नई डिजाइन की चड्डी उफ ऑन्टी आप ने तो मेरा लंड खरा कर दिया झटके भी मार रहा है लेकिन वो किया है खुल के बोलिये
मिनीता सर्म से अभय को देख - मेरी बुर
ये केह मिनीता सर्म से जल्दी से कमरे से बाहर निकल जाती है
अभय हैरान बिस्तर पे बैठ - ये मेने क्या देखा ऑन्टी नई डिजाइन की चड्डी पहनी हुई है कैसे बिस्वास नही हो रहा रुको शोपिंग करने गये थे तभी सायद सेल गिर्ल ने लेके को कहा होगा और ऑन्टी ने किया होगा
काजल भी लगे हाथ आती है अभय काजल की सारी उठा के लंड डाल चुदाई करने लगता है काजल घोरी बनी आह उफ मा धीरे से करते हुवे मजे लेने लगती है
अभय - बुआ कल से सादी के बाद ही आपकी चुत मार पाऊंगा
काजल - उफ आह कोई बात नही बेटा आह सादी के बाद सब हिसाब पुरा कर देना अपनी बुआ का
अभय तेज चुदाई करते हुवे - जरूर बुआ
10 मिनट बाद
अभय काजल को बाहों मे लिये - आपकी चुत बहोत गर्म टाइट है चुदाई कर मजा आ जाता है
काजल मुस्कुराते हुवे - तेरा लंड भी बहोत लम्बा मोटा है मेरी चुत की गहराई मे जाता है तो उफ मजा सुकून मिल जाता है अच्छा अब मे जाती हु
अभय - हु
काजल मिनीता कोमल सभी अपने घर चले जाते है
अभय फिर आसा के पास जाता है लेकिन आज सिर्फ काम की बात होती है अभय 33 मिनट तक सिला आसा के साथ बाते करता है
फिर अदिति के कमरे मे आता है
मधु अभय को देख खुशी से - भाई
अभय बिस्तर पे बैठ - हु तो किया बाते हो रही है
अदिति मुस्कुराते हुवे - सादी मे किया कैसे करना है
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा ऐसा क्या
अभय - हु तुम दोनो एक साथ सो जाओ मा छोटी मा एक साथ सो जायेगी मे पापा साथ मे कल कई मेहमान आयेगें लेकिन पीछे में सब इंतज़ाम कर रखा है
अदिति - भाई कल जीत जीतू भाई सब भी आयेगें ना
अभय मुस्कुराते हुवे - हा
मधु - कल से ये घर सादी का घर हो जायेगा मजा आने वाला है
अभय मधु के सर पे हाथ फेरते हुवे -पागल
अभय फिर दोनो को किस करता है कमरे मे आ जाता है
मधु अदिति बिस्तर पे लेते हुवे थे छत को देख रहे थे
मधु - दीदी मेरा दिल करता यहा भाई आप सब के साथ रहू भाई रोज मिलने आते है लेकिन फिर भी मे भाई के साथ आपकी तरह बैठ खाना खाना चाहती हु सुबह उठते ही भाई का चेहरा देखा चाहती हु भाई के पास रहना चाहती हु हर पल
अदिति मधु को देख मुस्कुराते हुवे - हु ऐसा क्या तो भाई से बोल ना वैसे भी सादी के बाद हम यहा नही नये बरे घर मे रहने वाले है
मधु अदिति को देख - सच्ची पर भाई हमे
अदिति बीच मे रोकते हुवे - तुझे भाई पे भरोसा नही क्या तु भाई को अपना नही मानती तो झिझक रही है
मधु जल्दी से - बिल्कुल नही सच कहु तो मेरा अपना भाई भी होता तो सायद मुझे इतना प्यार नही करता जितना भाई मुझसे करते है
मधु मुस्कुराते हुवे - मे तो बोलुगी सांत रह जब समय आयेगा मुझे यकीन है भाई तुम्हे सब को अपने साथ रखेगे
मधु खुशी से - सच
अदिति मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल
अदिति मन मे - कियुंकी मुझे पता है मेरे भइया कैसे है जरूर उन्होंने तुम्हारे छोटी मा यहा तक की अपनी सासु मा पूजा के लिये भी कुछ सोच रखा होगा भाई अपने किसी को दूर और बुरे हाल मे छोर खुद अच्छे से रहे ऐसा हो ही नही सकता
सुबह हो जाती है आज का दिन सच मे सादी का महोल बन गया था आगन मे आसा सिला मिनीता काजल साफ सफाई करने और बाकी काम मे लगे हुवे थे पीछे मरवा के लिये बास काटे जा रहे थे
वही दिशा के यहा भी सेब हो रहा था वहा भी अभय ने अपने कुछ लोग रखे थे जो मरवा बनाने के काम मे जूते थे घर मे सफाई बाकी काम चल रहा था आज से सादी का असली रस्म सुरु हो चुका है
कैद से आने के बाद अभय अपने घर से मिनीता मधु दिशा और बीच बीच मे सभी को घुमाने काजल मिनीता के बीच लगा रहा लेकिन सादी के बाद कहानी मे बहोत कुछ होगा
आज के लिये इतना ही![]()
Dekhte h uday ne jo plan bana kar rakkha h kia woh usne kamyab ho paata h
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