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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

ajay bhai

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chapter 39

शाम 4 बजे स्कूल की छुट्टी होती है रिया अपने दोस्त के साथ बाते करते हुवे घर की तरफ जाने लगती है इस बात से अंजान की कुछ लोग उसपे नजरे गराये हुवे है

रिया अपने दोस्त के साथ सब से बेखबर बाते करते जा रही थी कुछ मिनट बाद उसकी दोस्त अपने घर के रास्ते निकल जाती है रिया अपने घर के रास्ते कुछ मिनट तक कोई घर नही था आस पास यही मोक्के का इंतज़ार रिया रिया के ऊपर नजर रखने वाले कर रहे थे

रिया आराम से मस्त चलते जा रही थी तभी अचानक एक वेन उसके सामने रुकती है रिया समझ पाती तब तक एक बंदा रिया के मुह बंद कर वेन मे खिच लेता है

किस्मत से विजय घर लौट रहा था अभय का नया घर ठिकाना उसी रास्ते से जोके आगे था तो विजय दिन मे कई बार आता जाता रहता था विजय ने सब अपनी आखो से देख लिया था

वेन तो तेजी से जाने लगती है विजय बाइक से वेन के पीछे लग जाता है 23 मिनट बाद वेन एक जंगल के अंदर पुराने घर जो टूटा फूटा था आके रुकती है

घर जायदा बरा नही था दो मंजिला था पहले कोई रहता था लेकिन अब घर खंधर् बन चुका था

वेन से 5 लोग निकलते है रिया को लेके रिया के मुह मे टेप लगाया गया था रिया बहोत डरी काप् रही थी आखो से आसु भर भर के निकल रहे है रिया को सब सीन देख समझते देर नही लगती आज उसकी इज़त जाने वाली है सायद जान भी

सभी रिया को अंदर लेके आके है और एक कोने मे बैठा देते है रिया सभी लोगो को देख डर से काप् रही थी रो रही थी

एक बंदा रिया के सामने बैठ रिया को उपर से नीचे तक देखते हुवे - हु बहोत खूबसूरत हो मजा आयेगा तेरी चुदाई करने मे

बंदे की बात सुन रिया और डर से कापने लगती है
बंदा रिया को देख - बेचारी तूने गलत इंसान से पंगा लिया है उसी का नतीजा आज तुम इस हालत मे हो

रिया सॉक हैरानी से मन मे - किया मे यहा किसी और की वजह से हु लेकिन किसीका मेने किसी का क्या... तभी रिया की आखे फैल जाती ; आरोही

दूसरा बंदा रिया के पास आके - हु तेरे चुचे तो बहोत बरे है दबाने मे मजा आयेगा

तभी एक आवाज सभी को सुनाई देती है
आवाज हु लेकिन मुझे तुम लोगो को उपर भेजने मे मजा आयेगा

रिया बाकी किडनैपर् आवाज की तरफ देखते है सामने किसी को देख सब हैरान सॉक हो जाते है

विजय खरा था चेहरे पे एक काला मास्क पहना हुआ था
एक असेसन् हमेसा अपने पास मास्क केनाइफ रखता ही मास्क पहचान छुपाने के लिये हथियार दुश्मन को ख़तम करने के लिये

5 किड्नैपर् कुछ समझ पाते विजय बहोत तेजी से सभी के पास जाता है और एक एक कट गले पे मारता जाता है सभी एक एक कर धराम से नीचे गिरते जाते है

आरोही को लगा था एक मामूली नाजुक लरकी को किड्नैप करने के लिये मामूली गुंडे ही काफी होगे आरोही सही भी थी लेकिन उसको ये पता नही था उसके प्लान के बीच विजय आ जायेगा

विजय एक जगह खरा था सांत केनाइफ से खुन तप तप कर नीचे गिर रहा था रिया सब सीन देख चिल्लाना चाहती थी लेकिन मुह मे टेप लगनी से चिल्ला नही पाती लेकिन अपने सामने 5 लोगो के लास खुन से लतपत् देख रिया का शरीर काप् रहा था रिया कापते हुवे विजय को देखती है

विजय केनाइफ को साफ करता है और रिया के पास बैठ रिया को देख - डरो नही मे कोई बुरा इंसान नही हु और जो तुमने देखा हु डरना जायेज है लेकिन ये सब मारना डिजब करते थे

रिया विजय कि बात सुन थोरा सांत होती है

विजय रिया के हाथ खोल मुह से टेप निकाल देता है

रिया तेज तेज सासे लेने लगती है

विजय रिया को छोर आगे जाके - हा मे बोल रहा हु
बंदा - कप्तान हा बोलिये किया ओडर है
विजय - जहा मे हु यहा 5 लास है अपने कुछ आदमी को भेज सब किलियार करवा दो समझ गये कोई सबूत ना छूटे
बंदा - समझ गया कप्तान काम हो जायेगा

विजय बाते करने के बाद रिया के पास आके - तुम ठीक तो हो ना
रिया विजय को देख कापते हुवे - जी आपका सुक्रिया आप नही आते तो
विजय - हु चलो यहा रुकना सही नही

विजय रिया को बाइक पे बैठा के रिया के घर के पास रोकता है

रिया बाइक से उतर विजय के सामने खरी होके सर्माते हुवे - वो किया मुझे आपका नंबर मिल सकता है
विजय हैरान रिया को देख - कियु तुम्हे डर नही लग रहा जबकि तुमने मुझे लोगो को मारते देखा है

रिया विजय की आखो मे देख - हु पहली बार आखो से देखा है किसी को मारते मरते तो डर गई थी लेकिन मुझे आपसे डर नही है

विजय - हु लेकिन कियु मे एक कातिल हु जानती हो ना
रिया - बिल्कुल नही आपने बुरे लोगो को मारा है मेरी इज़त बचाई है आप कातिल नही मेरे हीरो है

रिया सर्म से नजरे फेर लेती है विजय रिया को देख मुस्कुराते हुवे - ऐसा क्या

असल मे विजय को भी रिया को देखते ही फस्ट लोव हो गया था और रिया को भी जैसे दोनों एक दूसरे के लिये बने हो

विजय - वो तुमने देखा किसी को
रिया जल्दी से - मा कसम मरते दम तक किसी को नही बटाउगी
विजय मुस्कुराते हुवे अपना मास्क निकाल रिया को देखता है रिया भी विजय के चेहरे को देखती रहती है

विजय रिया को अपना नंबर देते हुवे - ये मेरा नंबर है
रिया नंबर लेते हुवे सर्म से - आप बहोत हैंडसम है
विजय रिया को देख - तुम भी
रिया - वो आपका नाम
विजय - विजय नाम है मेरा तुम्हारा
रिया - रिया नाम है
विजय - बहोत अच्छा नाम है
रिया सर्म से - आपका भी
विजय - वैसे वो कोन लोग थे तुम्हे कुछ पता है
रिया सिर्यस् होके - हा

रिया सब बता देती है

विजय मन मे - कमीनी तुझे तो बॉस खुद देख लेगे
विजय रिया को देख - हु समझ चिंता मत करो मे तुम्हारे साथ हु
रिया बहोत खुश होती है और आगे आके विजय के गाल पे किस करते हुवे - आपका फिर से सुक्रिया
रिया फिर सर्म से भाग जाती है घर के अंदर विजय अपने गाल पे हाथ रखता है जहा रिया ने किस किया था विजय फिर रिया को जाते देख मुस्कुरा देता है और अपने घर निकल परता है


( ये थी विजय रिया की कहानी ) अब अभय काजल कि और


रात दो बज चुके थे काजल टाँगे फैलाये हुई थी अभय काजल के दोनों पैर पकर चुदाई किये जा रहा था अपनी बुआ की गर्म चुत मे लंड अंदर बाहर कर रहा था काजल टाँगे फैलाये लेती अपने भतीजे के मोटे लम्बे लंड को अपनी चुत के गहराई मे घुसते निकले फिल कर पा रही थी
अभय चुदाई करते हुवे काजल को देख - उफ बुआ आज आपकी चुत मार रहा हु यकीन नही होता उफ आपकी गर्म टाइट चुत कि गर्मी आपका भरा बदन खूबसूरती सब मुझे और जोस बढ़ा रहा है

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लेकिन काजल का तो बुरा हाल था चुत मे सुजन अंदर से छिल गई थी काजल को दर्द जलन दोनों हो रही थी काजल अभय को आखो मे आसु लिये - बेटा बस कर तेरी बुआ की चुत अब और तेरा मोटा लम्बा लंड नही ले पायेगी आह मा इतनी हालत एक दिन कोई मेरी चुदाई कर के करेगा वो भी मेरा भतीजे जो मेरे बेटे के उमर का है उफ यकीन मुझे नही हो रहा लेकिन मे देख रही हु रुक जा बेटा प्लेस बुआ पे रहम कर


अभय काजल के ऊपर लेत काजल को देख ठीक है तेज धक्का मारुंगा , काजल कापते हुवे हु , अभय काजल को को किस करने लगता है काजल भी साथ देती है 2 मिनट बाद

अभय अपने दोनों हाथ बिस्तर पे रख काजल को देखते हुवे तेज तेज धक्का मारने लगता है काजल टाँगे उठाये हुवे थी अभय काजल के टाँगों के बीच झुके धक्का मारे जा रहा था काजल दर्द मे रोते हुवे आह मा मर गई बहोत दर्द कर रहा है बेटा जल्दी कर ना
अभय काजल को देख - बुआ बस कुछ मिनट और

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2 मिनट तक अभय तेज तेज धक्का मारता रहता है काजल बिस्तर कस के पकरे दर्द मे आह उफ मा मर गई करती रहती है कमरे मे फट फच् की आवाजे गुज रही थी काजल भी फिर झरने के करीब आ जाती है अभय तेज तेज धक्का मारता रहता है और दोनों कस के एक दूसरे को पकर कापते हुवे - आह उफ करते झर जाते है

अभय काजल काजल को देखता है काजल दर्द मे भी सर्मा जाती है अभय काजल के ऊपर से उठ अपना लंड काजल कि चुत से बहर निकालता है फक के साथ लंड बाहर आता है और काजल की चुत से अभय का पानी बाहर निकल गिरने लगता है काजल अपनी चुत मे अभय का पानी फिल कर मद्होस हो गई थी 2 साल बाद उसकी चुत मे किसी का पानी मेहसूस कर नही थी वो भी बहोत सारा

अभय बिस्तर पे ढेर हो जाता है काजल अभय दोनों पसीने से भीगे हाफ रहे थे ये दूसरा राउंड था काजल की हालत खराब थी चुत की तो उससे जायदा 3 मिनट बाद दोनों नॉर्मल होते है


अभय काजल को अपनी बाहों मे लेके आखो मे देख - उफ आपकी जैसी खूबसूरत हॉट भरी मदन की औरत की गर्म फूली चुत मार कर जो मजा सुकून मिला बुआ मे बता नही सकता मे ये पल हमारी पहली चुदाई भूल नही पाऊगा
काजल सर्म से अभय को देख - बेटा मे भी नही भूल पाउंगी तूने तो मेरी हालत खराब कर दी मुझे लगा 15 या 20 मिनट तक चुदाई चलेगी लेकिन तूने तो अपनी बुआ को 2 घंटे तक चोदा सच कहु यकीन नही होता मेरे बेटे के उमर के लरके के लिये मे अपनी टाँगे फैलाऊँगी और वो लरका मेरी चुत चुदाई कर फुला देगा सर्म आ रही है हालत खराब है जलन हो रही है लेकिन आज मुझे जिस तरह तूने प्यार किया है उफ कैसे भूल पाउंगी

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - बुआ आज पहली बार मेने भी किसी खूबसूरत औरत को नँगा देखा चुदाई की वो भी अपनी बुआ की ये सोचता हु तो और जोस बढ़ जाता है
काजल सर्म से - सेम बेटा मेरा भी अपने बेटे के उमर के भतीजे से चुदवा रही हु उसका लंड ले रही हु तो ये सोच मुझे भी जोस आ जाता है

अभय मुस्कुराते हुवे - एक बार और हो जाये
काजल हैरानी डर से कापते हुवे अभय को देख रोनी सी आवाज मे - प्लेस नही ना हालत खराब है

अभय काजल के टाँगे फैला के चुत को देखते हुवे - हु बात तो सही है
काजल सर्म से अभय को देख - 2 घंटे मोटा लम्बा लंड कैसे लिया है दर्द सहा है ये मे ही जानती हु

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा जी मजा नही आया ऐसे है बिस्तर आपकी चुत की पानी से गिला हुआ परा है

काजल से नजरे फेर - वो मेने कब कहा मजा नही आया बल्कि मेरे सोच से कही जयादा मजा आया

आयन मुस्कुराते हुवे - हु लेकिन अभी इस चादर हो हटा देते है और घर निकलते है

काजल अभय को देख - हु सही कहा

काजल बिस्तर से उठने लगती है लेकिन काजल का पुरा सरीर दर्द से टूट रहा था चुत का दर्द जलन अलग अभय जाके काजल को पकर बिस्तर से लीचे खरा कर - आप ठीक है
काजल अभय को देख सर्म से - हु

अभय काजल अपने कपड़े पेहन बाहर आते है काजल को चला भी नही जा रहा था काजल धीरे धीरे टाँगे फैला के चल रही थी
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - किया हुआ आपको
काजल अभय को गुस्से से देख - सब तेरा किया धरा हो फिर भी देखो कैसे बेसर्म की तरह पूछ रहा है उफ मना नही करती तो तु रुकता भी नही

अभय मुस्कुराते हुवे बाइक पे बैठ - आपकी जैसी खूबसूरत औरत जब नंगी टाँगे फैलाये लेती हो तो कोई कैसे रुक सकता है
काजल जैसे तैसे बाइक पे बैठ सर्म से - हा हा चल घर
अभय मुस्कुराते हुवे - हु

अभय काजल घर आते है अभय बाइक घर के थोरा पीछे ही बंद कर धक्का मारते हुवे घर के बाहर लगा देता है फिर काजल अभय धीरे से अंदर जाके अपने कमरे मे बिस्तर पे लेत जाते है

अभय काजल को बाहों मे कस आखो मे देख - लोव यू बुआ
काजल अभय के बाहों मे समा के अभय को देख - लोव यू बेटा

दोनों फिर एक दूसरे के बाहों मे सो जाते है

सुबह होती है आसा उठ कर नहा धोकर रेडी होके अभय के कमरे मे आती है तो देखती है काजल अभय दोनों एक दूसरे के बाहों मे सो रहे थे काजल जिस तरह अभय को बाहों मे पकर सो रही थी देख आसा अच्छा नही लगता जलन होने लगती दिल मे मीठा दर्द होता है जैसे दिल केह रहा हो अभय सिर्फ मेरी बाहों मे ही ऐसे सोयेगा

तभी आसा अपने दिमाग को झटकते हुवे काजल अभय के पास जाके दोनों के एक एक कान पकर खीचते हुवे - कब तक सोने का इरादा है तुम दोनों का

काजल अभय को मेहसूस होता है कोई उनके कान को खिच रहा था जब दर्द भी होता है तब दोनों आखे खोल देखते है तो आसा दोनों के कान खींच रही थी

काजल दर्द मे - उफ भाभी आप
अभय दर्द मे - मा

आसा दोनों के कान छोर- हा मे चलो उठो सुबह हो गई

काजल उठ कर खरी होके - जी भाभी मे
काजल जल्दी से कमरे से निकल जाती है
अभय भी उठ आसा के सामने खरा हो जाता है
आसा अभय को देख - बरे मजे से बुआ को बाहों मे लेके सो रहे थे इस लिये उठने का दिल नही कर रहा था ना

अभय अपनी मा के चेहरे को गौर से देखता है फिर मुस्कुराते हुवे आसा को कस के बाहों मे भर लेता है आसा आह करते अभय कि बाहों मे समा जाती है
अभय दोनों हाथो दे आसा को अपने से सताये हुवे आसा कि आखो मे देख - हु मजा तो आया लेकिन अपनी मा की बाहों मे मुझे सुकून मिलता कोई भी मेरी मा की जगह नही ले सकता

अभय की बात सुन आसा के दिल को सुकून मिलता है
अभय धीरे से अपनी मा के कान मे - मा वैसे भी आपकी खूबसूरती बॉडी के सामने कोई ठीक नही सकती मे खुद आपका दीवाना हु

अभय की बात सुन आसा की सासे तेज होने लगती है आसा सर्म से अभय की आखो मे देख - लाला
अभय आसा के होठ पे होठ रख किस करते हुवे - मे तो आज रात का इंतज़ार करुगा
आसा सर्म से - वो कियु
अभय मुस्कुराते हुवे - आपकी पोस् देखने के लिये
आसा सर्म से - हु
अभय आसा को छोर - फिल्हाल मुझे लगी है जाना परेगा
आसा हस्ते हुवे - पागल जा जल्दी

अभय हस्ते हुवे कमरे से निकलता है
आसा मुस्कुराते हुवे मन मे - मेरा पागल दीवाना

अभय जब बाहर आता है तो अदिति मुह फुलाये खरी अभय को देखने लगती है अभय अदिति के पास जाके - कियु मेरी गुरिया मुह फुलाये हुवे है
अदिति अभय को देख नाराज आवाज मे - आप आप के बिना उठाना परा आपके होते हुवे भी
आसा बाहर आते हुवे - आदत डाल के कब तक तेरा भाई उठाता रहेगा
अभय अदिति को बाहों मे लेके - मा सही केह रही है गुरिया मे कभी घर पे नही रहुंगा या देर से उठुंगा तो उठ जाना सबसे जरूरी ये है मे तेरे साथ हमेसा रहुंगा

अदिति अभय के सीने पे हाथ रख -हु
अभय अदिति के चेहरे को पकर होठ पे किस करते हुवे - तेरा भाई तेरे साथ है और अपनी गुरिया के को प्यार करता रहेगा सुबह नही उठा पाया तो किया हुआ हमारा प्यार वैसा ही रहेगा
अदिति अभय के होठो पे किस करते हुवे - समझ गई भाई
आसा दोनों को देख मुस्कुरा देती है

अभय फिर हल्का होके मिनिता के घर आता है वही काजल अभय के घर ही थी

अभय अंदर जाता है कोमल अभय को देख आ गया बंदर
अभय कोमल को देख - देख तु खुद मुझे बंदरिया केह रही है जब मे के केहता हु तो गुस्सा करती है

कोमल अभय के एकदम पास जाके अभय कि आखो मे देख - हा बोलुगी किया कर लेगा
अभय कोमल को देख - बहोत कुछ
कोमल मुस्कुराते हुवे - हिम्मत है तो कर के दिखा
अभय कोमल को बाहों मे कस आखो मे देख - पंगा ना ले
कोमल अभय को देख - डर गया

अभय के ईमान पे आ गई थी इज़त बचानी थी

अभय कोमल के चेहरे को पकर अपना होठ कोमल के होठ से सता के किस करने लगता है कोमल काप् जाती है समझ नही पाती कोमल का उमीद नही थी अभय ऐसा कुछ करेगा

कोमल के शरीर झटके खाने लगते है सासे फूलने लगती है सरीर मे सिहरन उठ जाती है लेकिन अभय के गीले गर्म होठ का एहसास अपने होठ पे फिल कर कोमल भी खुद को रोक नही पाती

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दोनों सब भूल एक दूसरे के होठ को मुह मे लेके चूसने लगते है कोमल को रस का स्वाद पागल करने लगता है एक नया एहसास फिल कर रही थी कोमल अभय को भी कोमल के होठो का रस सब से अलग लगता है दोनों एक दूसरे का रस पीते है 2 मिनट बाद

अभय कोमल के होठ से होठ अलग कर - कहा था ना पंगा मत लेना
कोमल सर्म से अभय के पेट मे मारते हुवे - कमीना बेशर्म
कोमल जल्दी से खाने बनाने के लिये बैठ जाती है कोमल सर्म से लाल थी और अभय को अपना चेहरा नही देखना चाहती थी

अभय कोमल को देख मुस्कुरा देता है तभी अभय की नजर मिनिता पे जाती है तो कमरे से बाहर आ रही थी लेकिन अभय को देख फिर कमरे के अंदर चली जाती है अभय भी मुस्कुराते हुवे अंदर कमरे मे आके मिनिता के पास बैठ जाता है

अभय मिनिता को देखता है तो मिनिता का चेहरा उदास था अभय जानता था कियु

अभय मिनिता के चेहरे का पकर प्यार से देखते हुवे - आज साम 2 घंटे हम अकेले बितायेगे

मिनिता अभय के हाथ दूर करते हुवे नाराज आवाज मे - बस कर कल कहा था लेकिन ले नही गया
अभय मिनिता के हाथ पकर - कसम से आज हम जायेंगे
मिनिता अभय को देख - ठीक है
अभय मिनिता को बिस्तर पे लेता के मिनिता के ऊपर आखे आखो मे देख - अब मुस्कुरा भी दीजिये आपका उदास चेहरा देखने मे अच्छा नही लगता है
अभय की बात सुन मिनिता मुस्कुरा देती है
अभय मुस्कुराते हुवे - हा अब सही है आप मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छी लगती है
मिनिता सर्म से - हु

अभय मिनिता के होठ पे उंगली फेरते हुवे - ऑन्टी आपके होठ बहोत खूबसूरत है रसीले
मिनिता अभय को देख सर्म से - तभी तो रोज सुस्ता है
अभय मुस्कुराते हुवे -हु जिब निकालो ना पी लू आपके होठो का रस
मिनिता सर्म से होठ खोल जिब बाहर कर देती है अभय मिनिता के जिब मुह मे लेके चूस कर रस पीने लगता है मिनिता भी अभय को बाहों मे भर रस पीना सुरु कर देती है

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दोनों एक दूसरे के होठो का रस मजे से चूस चूस कर पीने मे लगे हुवे थे मिनिता मन मे उफ जब भी अभय बेटा मेरी जिब को चुस्ता है मुह मे लेके उफ मेरे सरीर मे सिहरन डोर जाती है और रस का स्वाद मुझे नशे से कम नही लगता मे खो जाती हु मजे की दुनिया मे 2 मिनट बाद

दोनों के होठ अलग होते है दोनों एक दूसरे के आखो मे देखते है मिनिता सर्म से लाल हुई परी थी अभय मुस्कुराते हुवे - ऑन्टी आपके होठो का रस पिये बगैर एक भी दिन रह लू बेचैन हो जाता हु
मिनिता अभय को देख सर्म से - मेरा भी ऐसा ही है बेटा तूने ही आदत बिगार् दिया है
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा जी
मिनिता सर्म से - हु

मिनिता अब चले बाहर
अभय मुस्कुराते हुवे - आपके उपर से उठाने का दिल नही कर रहा मजा आ रहा है मुलायम गर्म
मिनिता बहोत शर्मा जाती है
मिनिता सर्म से - हु कोमल है बाहर समझो ना
अभय मिनिता के ऊपर से उठ - ठीक हो

मिनिता सारी बाल सही कर दोनों बाहर आते है
कोमल अभय को देखती है लेकिन सर्म से नजरे फेर लेती है

अभय मिनिता को देख - ऑन्टी मे चलता हु
मिनिता अभय को देख - हु
अभय मिनिता को आख मार देता है
मिनिता सर्म से लाल हो जाती है

अभय फिर घर आता है नहा के रेडी होता है काजल कमरे मे आती है अभय काजल के पास जाके बाहों मे लेके - बुआ मेरी जान
काजल अभय को देख सर्म से - वो मे जा रहु हु
अभय काजल के चुचे दबाते हुवे - दिल कर रहा है अभी आपकी सारी उठा के आपकी चुत मे लंड डाल दु
अभय कि बात सुन काजल की चुत गीली होने लगती है
काजल आह उफ करते हुवे - बेटा जाने दे भाभी देख लेगी
अभय मुस्कुराते हुवे काजल को देख - चुत दिखा के जा सकती है
काजल सर्म से तेज सासे लेते हुवे - रात को सब देखा किया फिर भी
अभय काजल की आखो मे देख - बुआ मेरी जान आपका जिस्म देख कभी भी मेरा दिल नही भर सकता

काजल सर्म से पीछे देखती है
अभय - कोई नही आ रहा
काजल अभय को देखती है फिर सर्म से लाल सारी धीरे धीरे उपर करने लगती है अभय बिना पलके छपकाये टाँगों के बीच नजरे गराये हुवे था हा अभय ने अच्छे से काजल की चुत को देखा चोदा भी लेकिन काजल एक खूबसूरत बला थी उसका हर अंग कयामत था चाहे कोई कितनी बार देखे उसे ऐसा लगेगा पहली बार देख रहा हो सेम अभय का सीन था

काजल धीरे धीरे सारी उठा के ऊपर तक कर देती है और काजल की फूली रस भरी गीली चुत अभय के सामने आ जाती है काजल सर्म से लाल अभय को देखती है की अभय उसकी चुत को खा जाने वाली नजरो से देख रहा है तो काजल पानी पानी हो जाती है उसी के साथ बहोत खुश भी थी अभय उसका दीवाना है प्यार है जिस वो अपना सब दे चुकी है जिसे वो अपनी चुत दिखा रही है

अभय काजल के पास आके नीचे बैठ गौर से नजदिक से काजल की चुत को देखने लगता है काजल की चुत अभय की बातो से गीली हुई परी थी उफ काजल की चुत के मोटे फाके चुत की उभार और चुत के रस से गीली चिप चिपी चुत फाके रस से चिपके हुवे थे देखने मे रस मलाई लग रही थी जिसे देख किसी को खाने का दिल करेगा

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काजल नजरे नीचे कर अभय को देख सर्म से- बेटा हो गया डर लग रहा है कही कोई देख ना ले ( अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे आपकी चुत तो गीली हुई परी है लंड मांग रही है ; काजल सर्म से कापते हुवे - हु लेकिन अभी नही ना प्लेस बेटा
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - हा ये समय सही नही है

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काजल सारी नीचे करने लगती है लेकिन अभय जल्दी से एक उंगली काजल की चुत मे पुरा अंदर घुसा देता है काजल दर्द मे आह मा करते हुवे अभय को देख कापते डरते सर्म से - बेटा प्लेस मत कर ना बाद मे कर लेना ( अभय काजल की बात नही सुनता और उंगली धीरे से और अंदर करते हुवे - उफ अंदर तो बहोत गर्म है मेरी उंगली जल रही है
काजल अपने पैर जांघे सताते हुई तेज सिसकिया लेते हुवे कापते होठो से -प्लेस प्लेस जल्दी निकाल लो नही तो आह उफ बेटा प्लेस

अभय भी उंगली काजल की चुत से निकाल लेता है काजल सारी नीचे कर तेज सासे लेते हुवे मन मे - अच्छा हुआ अभय बेटे ने उंगली निकाल ली नही तो मेरा पानी निकल जाता उफ अभय बेटे के बाते छुना ही मेरे अंदर आग लगा देती है

अभय खरा होता है और जो उंगली अभय ने काजल की चुत मे घुसाइ थी वो उंगली काजल की चुत के रस से गीली सनी हुई थी अभय काजल को सामने कर दिखाते हुवे मुस्कुराते के - देखिये आपकी चुत के रस से मेरी उंगली गीली हो गई

काजल देख सर्म से तेज सासे लेते हुवे - वो मे
अभय काजल के एकदम सत् के काजल को देख मुस्कुराते हुवे - आधा आपका आधा मेरा
अभय की बात सुन काजल के शरीर मे सिहरन उठ जाती है काजल सर्म से लाल होके अभय को देखती रहती है
अभय काजल की चुत से सनी अपनी उंगली काजल के मुह की तरफ ले जाने लगता है काजल ये देख सर्म से अपना मुह खोल देती है अभय आधी उंगली काजल की मुह मे डाल देता है काजल अभय को नासिलि आखो से देखते हुवे मजे से चूस कर गटक जाती है

अभय फिर उंगली निकाल अपने मुह मे लेने लगता है काजल सर्म मदहोशि मे अभय को देखती रहती है अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे काजल की चुत से सनी उगली पुरा अपने मुह मे लेके मजे से चूस कर पी जाता है अभय को ऐसा करता देख काजल सर्म से पागल होने लगती है

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - हु बहोत अच्छा स्वाद था
काजल सर्म से - मे जा रही हु

काजल सर्माते हुवे अपने मिनिता के घर भाग जाती है अभय भी मुस्कुराते हुवे बाहर आके बाइक लेके मधु के घर आ जाता है

मधु बाइक की आवाज सुन भागते हुवे बाहर आती है और अभय को देख खुश होके भाग कर अभय के बाहों मे समा जाती है अभय मधु को बाहों मे लेते हुवे - मेरी गुरिया

अभय फिर मधु को गोद मे उठा लेता है मधु अभय को प्यार से देखते हुवे - भाई
अभय मधु को अंदर कमरे मे ले जाते हुवे मधु को देख - गुरिया

अभय मधु को लेके कमरे मे आके बिस्तर पे लेता देता है मधु पैर सीधा किये बिस्तर पे लेती अभय को देखते रहती है अभय मधु को देखता है फिर मधु के ऊपर आके पहले अपने लंड को मधु की चुत के ऊपर रखता है मधु बिस्तर कस के पकर सिसक परती है अभय फिर धीरे से पुरा मधु के ऊपर लेत जाता है अभय के चुत सरीर की गर्मी फिल करने लगता है और सीने मे मधु के दबे दोनों चुचे को भी

मधु नीचे अभय पुरा मधु मे लेता दोनों के चेहरे आमने सामने थे
अभय मधु को देख प्यार से - गुरिया तेरे होठ का रस पीने जल्दी आ गया कियुंकी रहा नही गया ( मधु बिस्तर कस के पकरे सर्म से अभय को देख - भाई जब दिल करे जितना दिल करे आके अपनी गुरिया के होठो का रस पी लेना

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अभय अपने होठ मधु के होठ के पास ले जाके - तो पिला दो ना
मधु भी सर्म से अपना होठ खोल - पी लीजिये

दोनों के होठ मिल जाते है फिर मधु को एक नया सुकून वाला एहसास फिल होने लगता है मधु बाहों मे अभय को कस किस करने मे पुरा साथ देने लगती है दोनों एक दूसरे के होठ जिब मुह मे लेके चूसने लगते है रस पीने लगते है

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मधु मन मे उफ ये एहसास कैसा ये फीलिंग कैसी मुझे बहोत अच्छा फिल होता है खुशी मिलती है जब भाई मेरे होठ जिब को प्यार से मुह मे लेके चूस चूस कर पीते है उफ भाई पी लीजिये मुझे भी आपका रस पीके मजा आ रहा है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - उफ गुरिया बहोत मजा आया
मधु अभय की आखो मे देख सर्म से - मुझे भी
अभय मधु के कान मे - गुरिया वैसे तुम नहाती कब हो
अभय की बात सुन मधु की सासे तेज होने लगती है
मधु सर्म से - भाई वो मे सुबह कभी साम को कियु
अभय मधु के चुत पे दबाओ डालते हुवे - बस ऐसे ही
मधु बिस्तर कस के पकर तेज सासे लेके - हु
अभय धीरे से - गुरिया मे भारी तो नही
मधु सर्म से धीरे से - नही भाई
अभय धीरे से - मुझे तेरे उपर लेत तेरी गर्मी फिल कर अच्छा फिल होता है
मधु तेज सासे लेके धीरे से - भाई
अभय - गुरिया तेरी शादी जिससे होगी उसके मजे है
मधु सर्म से अभय को बाहों मे कस कापते हुवे धीरे से - कैसे मजे
अभय मधु के गर्दन पे किस करते हुवे - वो वाला
मधु सर्म से सिसकिया लेते हुवे - भाई मुझे शादी नही करनी आपके साथ रहना है आह उफ
अभय मधु के चुत पे अपना लंड धीरे से घिसते हुवे - लेकिन शादी करनी परेगी ना तभी तो पत का प्यार मिलेगा
मधु अपनी टाँगे उठा के फैला के अपनी टाँगे से अभय को जकर तेज सासे लेते हुवे कापते आवाज मे धीरे से - मुझे नही चाहिये मुझे आपका प्यार चाहिये अपने भाई का
अभय को मधु ने अच्छे से अपनी टाँगों के बीच जगह दे दी थी अभय को अब मधु की चुत की गर्मी और चुत साफ अच्छे से फिल होने लगती है अभय थोरा और तेज अपना लंड मधु कि चुत पे घिसने लगता हो तो मधु और कस के अभय को पकर लेती है और मधु तेज सिसकिया लेके आह उफ भाई

तभी बर्तन की टन की आवाज सुनाई देती है और अभय होस मे आता है और एहसास होता है वो किया कर रहा है

अभय जल्दी से मधु के ऊपर से उठ बैठ जाता है मधु अभी भी तेज सासे ले रही थी मधु सास काबू करन के बाद अभय के पास बैठ - भाई किया हुआ
अभय मधु को प्यार से देखता है और अपने सीने से लगा के - कुछ नही

अभय मधु के सर को सेहलाते हुवे मन मे - नही अभय ये गलत कर रहा है ये तेरी गुरिया है जिसे पता भी नही ना एहसास है मे किया कर रहा था मे कैसे सर्म आनी चाहिये

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
 

Ek number

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chapter 39

शाम 4 बजे स्कूल की छुट्टी होती है रिया अपने दोस्त के साथ बाते करते हुवे घर की तरफ जाने लगती है इस बात से अंजान की कुछ लोग उसपे नजरे गराये हुवे है

रिया अपने दोस्त के साथ सब से बेखबर बाते करते जा रही थी कुछ मिनट बाद उसकी दोस्त अपने घर के रास्ते निकल जाती है रिया अपने घर के रास्ते कुछ मिनट तक कोई घर नही था आस पास यही मोक्के का इंतज़ार रिया रिया के ऊपर नजर रखने वाले कर रहे थे

रिया आराम से मस्त चलते जा रही थी तभी अचानक एक वेन उसके सामने रुकती है रिया समझ पाती तब तक एक बंदा रिया के मुह बंद कर वेन मे खिच लेता है

किस्मत से विजय घर लौट रहा था अभय का नया घर ठिकाना उसी रास्ते से जोके आगे था तो विजय दिन मे कई बार आता जाता रहता था विजय ने सब अपनी आखो से देख लिया था

वेन तो तेजी से जाने लगती है विजय बाइक से वेन के पीछे लग जाता है 23 मिनट बाद वेन एक जंगल के अंदर पुराने घर जो टूटा फूटा था आके रुकती है

घर जायदा बरा नही था दो मंजिला था पहले कोई रहता था लेकिन अब घर खंधर् बन चुका था

वेन से 5 लोग निकलते है रिया को लेके रिया के मुह मे टेप लगाया गया था रिया बहोत डरी काप् रही थी आखो से आसु भर भर के निकल रहे है रिया को सब सीन देख समझते देर नही लगती आज उसकी इज़त जाने वाली है सायद जान भी

सभी रिया को अंदर लेके आके है और एक कोने मे बैठा देते है रिया सभी लोगो को देख डर से काप् रही थी रो रही थी

एक बंदा रिया के सामने बैठ रिया को उपर से नीचे तक देखते हुवे - हु बहोत खूबसूरत हो मजा आयेगा तेरी चुदाई करने मे

बंदे की बात सुन रिया और डर से कापने लगती है
बंदा रिया को देख - बेचारी तूने गलत इंसान से पंगा लिया है उसी का नतीजा आज तुम इस हालत मे हो

रिया सॉक हैरानी से मन मे - किया मे यहा किसी और की वजह से हु लेकिन किसीका मेने किसी का क्या... तभी रिया की आखे फैल जाती ; आरोही

दूसरा बंदा रिया के पास आके - हु तेरे चुचे तो बहोत बरे है दबाने मे मजा आयेगा

तभी एक आवाज सभी को सुनाई देती है
आवाज हु लेकिन मुझे तुम लोगो को उपर भेजने मे मजा आयेगा

रिया बाकी किडनैपर् आवाज की तरफ देखते है सामने किसी को देख सब हैरान सॉक हो जाते है

विजय खरा था चेहरे पे एक काला मास्क पहना हुआ था
एक असेसन् हमेसा अपने पास मास्क केनाइफ रखता ही मास्क पहचान छुपाने के लिये हथियार दुश्मन को ख़तम करने के लिये

5 किड्नैपर् कुछ समझ पाते विजय बहोत तेजी से सभी के पास जाता है और एक एक कट गले पे मारता जाता है सभी एक एक कर धराम से नीचे गिरते जाते है

आरोही को लगा था एक मामूली नाजुक लरकी को किड्नैप करने के लिये मामूली गुंडे ही काफी होगे आरोही सही भी थी लेकिन उसको ये पता नही था उसके प्लान के बीच विजय आ जायेगा

विजय एक जगह खरा था सांत केनाइफ से खुन तप तप कर नीचे गिर रहा था रिया सब सीन देख चिल्लाना चाहती थी लेकिन मुह मे टेप लगनी से चिल्ला नही पाती लेकिन अपने सामने 5 लोगो के लास खुन से लतपत् देख रिया का शरीर काप् रहा था रिया कापते हुवे विजय को देखती है

विजय केनाइफ को साफ करता है और रिया के पास बैठ रिया को देख - डरो नही मे कोई बुरा इंसान नही हु और जो तुमने देखा हु डरना जायेज है लेकिन ये सब मारना डिजब करते थे

रिया विजय कि बात सुन थोरा सांत होती है

विजय रिया के हाथ खोल मुह से टेप निकाल देता है

रिया तेज तेज सासे लेने लगती है

विजय रिया को छोर आगे जाके - हा मे बोल रहा हु
बंदा - कप्तान हा बोलिये किया ओडर है
विजय - जहा मे हु यहा 5 लास है अपने कुछ आदमी को भेज सब किलियार करवा दो समझ गये कोई सबूत ना छूटे
बंदा - समझ गया कप्तान काम हो जायेगा

विजय बाते करने के बाद रिया के पास आके - तुम ठीक तो हो ना
रिया विजय को देख कापते हुवे - जी आपका सुक्रिया आप नही आते तो
विजय - हु चलो यहा रुकना सही नही

विजय रिया को बाइक पे बैठा के रिया के घर के पास रोकता है

रिया बाइक से उतर विजय के सामने खरी होके सर्माते हुवे - वो किया मुझे आपका नंबर मिल सकता है
विजय हैरान रिया को देख - कियु तुम्हे डर नही लग रहा जबकि तुमने मुझे लोगो को मारते देखा है

रिया विजय की आखो मे देख - हु पहली बार आखो से देखा है किसी को मारते मरते तो डर गई थी लेकिन मुझे आपसे डर नही है

विजय - हु लेकिन कियु मे एक कातिल हु जानती हो ना
रिया - बिल्कुल नही आपने बुरे लोगो को मारा है मेरी इज़त बचाई है आप कातिल नही मेरे हीरो है

रिया सर्म से नजरे फेर लेती है विजय रिया को देख मुस्कुराते हुवे - ऐसा क्या

असल मे विजय को भी रिया को देखते ही फस्ट लोव हो गया था और रिया को भी जैसे दोनों एक दूसरे के लिये बने हो

विजय - वो तुमने देखा किसी को
रिया जल्दी से - मा कसम मरते दम तक किसी को नही बटाउगी
विजय मुस्कुराते हुवे अपना मास्क निकाल रिया को देखता है रिया भी विजय के चेहरे को देखती रहती है

विजय रिया को अपना नंबर देते हुवे - ये मेरा नंबर है
रिया नंबर लेते हुवे सर्म से - आप बहोत हैंडसम है
विजय रिया को देख - तुम भी
रिया - वो आपका नाम
विजय - विजय नाम है मेरा तुम्हारा
रिया - रिया नाम है
विजय - बहोत अच्छा नाम है
रिया सर्म से - आपका भी
विजय - वैसे वो कोन लोग थे तुम्हे कुछ पता है
रिया सिर्यस् होके - हा

रिया सब बता देती है

विजय मन मे - कमीनी तुझे तो बॉस खुद देख लेगे
विजय रिया को देख - हु समझ चिंता मत करो मे तुम्हारे साथ हु
रिया बहोत खुश होती है और आगे आके विजय के गाल पे किस करते हुवे - आपका फिर से सुक्रिया
रिया फिर सर्म से भाग जाती है घर के अंदर विजय अपने गाल पे हाथ रखता है जहा रिया ने किस किया था विजय फिर रिया को जाते देख मुस्कुरा देता है और अपने घर निकल परता है


( ये थी विजय रिया की कहानी ) अब अभय काजल कि और


रात दो बज चुके थे काजल टाँगे फैलाये हुई थी अभय काजल के दोनों पैर पकर चुदाई किये जा रहा था अपनी बुआ की गर्म चुत मे लंड अंदर बाहर कर रहा था काजल टाँगे फैलाये लेती अपने भतीजे के मोटे लम्बे लंड को अपनी चुत के गहराई मे घुसते निकले फिल कर पा रही थी
अभय चुदाई करते हुवे काजल को देख - उफ बुआ आज आपकी चुत मार रहा हु यकीन नही होता उफ आपकी गर्म टाइट चुत कि गर्मी आपका भरा बदन खूबसूरती सब मुझे और जोस बढ़ा रहा है

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लेकिन काजल का तो बुरा हाल था चुत मे सुजन अंदर से छिल गई थी काजल को दर्द जलन दोनों हो रही थी काजल अभय को आखो मे आसु लिये - बेटा बस कर तेरी बुआ की चुत अब और तेरा मोटा लम्बा लंड नही ले पायेगी आह मा इतनी हालत एक दिन कोई मेरी चुदाई कर के करेगा वो भी मेरा भतीजे जो मेरे बेटे के उमर का है उफ यकीन मुझे नही हो रहा लेकिन मे देख रही हु रुक जा बेटा प्लेस बुआ पे रहम कर


अभय काजल के ऊपर लेत काजल को देख ठीक है तेज धक्का मारुंगा , काजल कापते हुवे हु , अभय काजल को को किस करने लगता है काजल भी साथ देती है 2 मिनट बाद

अभय अपने दोनों हाथ बिस्तर पे रख काजल को देखते हुवे तेज तेज धक्का मारने लगता है काजल टाँगे उठाये हुवे थी अभय काजल के टाँगों के बीच झुके धक्का मारे जा रहा था काजल दर्द मे रोते हुवे आह मा मर गई बहोत दर्द कर रहा है बेटा जल्दी कर ना
अभय काजल को देख - बुआ बस कुछ मिनट और

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2 मिनट तक अभय तेज तेज धक्का मारता रहता है काजल बिस्तर कस के पकरे दर्द मे आह उफ मा मर गई करती रहती है कमरे मे फट फच् की आवाजे गुज रही थी काजल भी फिर झरने के करीब आ जाती है अभय तेज तेज धक्का मारता रहता है और दोनों कस के एक दूसरे को पकर कापते हुवे - आह उफ करते झर जाते है

अभय काजल काजल को देखता है काजल दर्द मे भी सर्मा जाती है अभय काजल के ऊपर से उठ अपना लंड काजल कि चुत से बहर निकालता है फक के साथ लंड बाहर आता है और काजल की चुत से अभय का पानी बाहर निकल गिरने लगता है काजल अपनी चुत मे अभय का पानी फिल कर मद्होस हो गई थी 2 साल बाद उसकी चुत मे किसी का पानी मेहसूस कर नही थी वो भी बहोत सारा

अभय बिस्तर पे ढेर हो जाता है काजल अभय दोनों पसीने से भीगे हाफ रहे थे ये दूसरा राउंड था काजल की हालत खराब थी चुत की तो उससे जायदा 3 मिनट बाद दोनों नॉर्मल होते है


अभय काजल को अपनी बाहों मे लेके आखो मे देख - उफ आपकी जैसी खूबसूरत हॉट भरी मदन की औरत की गर्म फूली चुत मार कर जो मजा सुकून मिला बुआ मे बता नही सकता मे ये पल हमारी पहली चुदाई भूल नही पाऊगा
काजल सर्म से अभय को देख - बेटा मे भी नही भूल पाउंगी तूने तो मेरी हालत खराब कर दी मुझे लगा 15 या 20 मिनट तक चुदाई चलेगी लेकिन तूने तो अपनी बुआ को 2 घंटे तक चोदा सच कहु यकीन नही होता मेरे बेटे के उमर के लरके के लिये मे अपनी टाँगे फैलाऊँगी और वो लरका मेरी चुत चुदाई कर फुला देगा सर्म आ रही है हालत खराब है जलन हो रही है लेकिन आज मुझे जिस तरह तूने प्यार किया है उफ कैसे भूल पाउंगी

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - बुआ आज पहली बार मेने भी किसी खूबसूरत औरत को नँगा देखा चुदाई की वो भी अपनी बुआ की ये सोचता हु तो और जोस बढ़ जाता है
काजल सर्म से - सेम बेटा मेरा भी अपने बेटे के उमर के भतीजे से चुदवा रही हु उसका लंड ले रही हु तो ये सोच मुझे भी जोस आ जाता है

अभय मुस्कुराते हुवे - एक बार और हो जाये
काजल हैरानी डर से कापते हुवे अभय को देख रोनी सी आवाज मे - प्लेस नही ना हालत खराब है

अभय काजल के टाँगे फैला के चुत को देखते हुवे - हु बात तो सही है
काजल सर्म से अभय को देख - 2 घंटे मोटा लम्बा लंड कैसे लिया है दर्द सहा है ये मे ही जानती हु

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा जी मजा नही आया ऐसे है बिस्तर आपकी चुत की पानी से गिला हुआ परा है

काजल से नजरे फेर - वो मेने कब कहा मजा नही आया बल्कि मेरे सोच से कही जयादा मजा आया

आयन मुस्कुराते हुवे - हु लेकिन अभी इस चादर हो हटा देते है और घर निकलते है

काजल अभय को देख - हु सही कहा

काजल बिस्तर से उठने लगती है लेकिन काजल का पुरा सरीर दर्द से टूट रहा था चुत का दर्द जलन अलग अभय जाके काजल को पकर बिस्तर से लीचे खरा कर - आप ठीक है
काजल अभय को देख सर्म से - हु

अभय काजल अपने कपड़े पेहन बाहर आते है काजल को चला भी नही जा रहा था काजल धीरे धीरे टाँगे फैला के चल रही थी
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - किया हुआ आपको
काजल अभय को गुस्से से देख - सब तेरा किया धरा हो फिर भी देखो कैसे बेसर्म की तरह पूछ रहा है उफ मना नही करती तो तु रुकता भी नही

अभय मुस्कुराते हुवे बाइक पे बैठ - आपकी जैसी खूबसूरत औरत जब नंगी टाँगे फैलाये लेती हो तो कोई कैसे रुक सकता है
काजल जैसे तैसे बाइक पे बैठ सर्म से - हा हा चल घर
अभय मुस्कुराते हुवे - हु

अभय काजल घर आते है अभय बाइक घर के थोरा पीछे ही बंद कर धक्का मारते हुवे घर के बाहर लगा देता है फिर काजल अभय धीरे से अंदर जाके अपने कमरे मे बिस्तर पे लेत जाते है

अभय काजल को बाहों मे कस आखो मे देख - लोव यू बुआ
काजल अभय के बाहों मे समा के अभय को देख - लोव यू बेटा

दोनों फिर एक दूसरे के बाहों मे सो जाते है

सुबह होती है आसा उठ कर नहा धोकर रेडी होके अभय के कमरे मे आती है तो देखती है काजल अभय दोनों एक दूसरे के बाहों मे सो रहे थे काजल जिस तरह अभय को बाहों मे पकर सो रही थी देख आसा अच्छा नही लगता जलन होने लगती दिल मे मीठा दर्द होता है जैसे दिल केह रहा हो अभय सिर्फ मेरी बाहों मे ही ऐसे सोयेगा

तभी आसा अपने दिमाग को झटकते हुवे काजल अभय के पास जाके दोनों के एक एक कान पकर खीचते हुवे - कब तक सोने का इरादा है तुम दोनों का

काजल अभय को मेहसूस होता है कोई उनके कान को खिच रहा था जब दर्द भी होता है तब दोनों आखे खोल देखते है तो आसा दोनों के कान खींच रही थी

काजल दर्द मे - उफ भाभी आप
अभय दर्द मे - मा

आसा दोनों के कान छोर- हा मे चलो उठो सुबह हो गई

काजल उठ कर खरी होके - जी भाभी मे
काजल जल्दी से कमरे से निकल जाती है
अभय भी उठ आसा के सामने खरा हो जाता है
आसा अभय को देख - बरे मजे से बुआ को बाहों मे लेके सो रहे थे इस लिये उठने का दिल नही कर रहा था ना

अभय अपनी मा के चेहरे को गौर से देखता है फिर मुस्कुराते हुवे आसा को कस के बाहों मे भर लेता है आसा आह करते अभय कि बाहों मे समा जाती है
अभय दोनों हाथो दे आसा को अपने से सताये हुवे आसा कि आखो मे देख - हु मजा तो आया लेकिन अपनी मा की बाहों मे मुझे सुकून मिलता कोई भी मेरी मा की जगह नही ले सकता

अभय की बात सुन आसा के दिल को सुकून मिलता है
अभय धीरे से अपनी मा के कान मे - मा वैसे भी आपकी खूबसूरती बॉडी के सामने कोई ठीक नही सकती मे खुद आपका दीवाना हु

अभय की बात सुन आसा की सासे तेज होने लगती है आसा सर्म से अभय की आखो मे देख - लाला
अभय आसा के होठ पे होठ रख किस करते हुवे - मे तो आज रात का इंतज़ार करुगा
आसा सर्म से - वो कियु
अभय मुस्कुराते हुवे - आपकी पोस् देखने के लिये
आसा सर्म से - हु
अभय आसा को छोर - फिल्हाल मुझे लगी है जाना परेगा
आसा हस्ते हुवे - पागल जा जल्दी

अभय हस्ते हुवे कमरे से निकलता है
आसा मुस्कुराते हुवे मन मे - मेरा पागल दीवाना

अभय जब बाहर आता है तो अदिति मुह फुलाये खरी अभय को देखने लगती है अभय अदिति के पास जाके - कियु मेरी गुरिया मुह फुलाये हुवे है
अदिति अभय को देख नाराज आवाज मे - आप आप के बिना उठाना परा आपके होते हुवे भी
आसा बाहर आते हुवे - आदत डाल के कब तक तेरा भाई उठाता रहेगा
अभय अदिति को बाहों मे लेके - मा सही केह रही है गुरिया मे कभी घर पे नही रहुंगा या देर से उठुंगा तो उठ जाना सबसे जरूरी ये है मे तेरे साथ हमेसा रहुंगा

अदिति अभय के सीने पे हाथ रख -हु
अभय अदिति के चेहरे को पकर होठ पे किस करते हुवे - तेरा भाई तेरे साथ है और अपनी गुरिया के को प्यार करता रहेगा सुबह नही उठा पाया तो किया हुआ हमारा प्यार वैसा ही रहेगा
अदिति अभय के होठो पे किस करते हुवे - समझ गई भाई
आसा दोनों को देख मुस्कुरा देती है

अभय फिर हल्का होके मिनिता के घर आता है वही काजल अभय के घर ही थी

अभय अंदर जाता है कोमल अभय को देख आ गया बंदर
अभय कोमल को देख - देख तु खुद मुझे बंदरिया केह रही है जब मे के केहता हु तो गुस्सा करती है

कोमल अभय के एकदम पास जाके अभय कि आखो मे देख - हा बोलुगी किया कर लेगा
अभय कोमल को देख - बहोत कुछ
कोमल मुस्कुराते हुवे - हिम्मत है तो कर के दिखा
अभय कोमल को बाहों मे कस आखो मे देख - पंगा ना ले
कोमल अभय को देख - डर गया

अभय के ईमान पे आ गई थी इज़त बचानी थी

अभय कोमल के चेहरे को पकर अपना होठ कोमल के होठ से सता के किस करने लगता है कोमल काप् जाती है समझ नही पाती कोमल का उमीद नही थी अभय ऐसा कुछ करेगा

कोमल के शरीर झटके खाने लगते है सासे फूलने लगती है सरीर मे सिहरन उठ जाती है लेकिन अभय के गीले गर्म होठ का एहसास अपने होठ पे फिल कर कोमल भी खुद को रोक नही पाती

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दोनों सब भूल एक दूसरे के होठ को मुह मे लेके चूसने लगते है कोमल को रस का स्वाद पागल करने लगता है एक नया एहसास फिल कर रही थी कोमल अभय को भी कोमल के होठो का रस सब से अलग लगता है दोनों एक दूसरे का रस पीते है 2 मिनट बाद

अभय कोमल के होठ से होठ अलग कर - कहा था ना पंगा मत लेना
कोमल सर्म से अभय के पेट मे मारते हुवे - कमीना बेशर्म
कोमल जल्दी से खाने बनाने के लिये बैठ जाती है कोमल सर्म से लाल थी और अभय को अपना चेहरा नही देखना चाहती थी

अभय कोमल को देख मुस्कुरा देता है तभी अभय की नजर मिनिता पे जाती है तो कमरे से बाहर आ रही थी लेकिन अभय को देख फिर कमरे के अंदर चली जाती है अभय भी मुस्कुराते हुवे अंदर कमरे मे आके मिनिता के पास बैठ जाता है

अभय मिनिता को देखता है तो मिनिता का चेहरा उदास था अभय जानता था कियु

अभय मिनिता के चेहरे का पकर प्यार से देखते हुवे - आज साम 2 घंटे हम अकेले बितायेगे

मिनिता अभय के हाथ दूर करते हुवे नाराज आवाज मे - बस कर कल कहा था लेकिन ले नही गया
अभय मिनिता के हाथ पकर - कसम से आज हम जायेंगे
मिनिता अभय को देख - ठीक है
अभय मिनिता को बिस्तर पे लेता के मिनिता के ऊपर आखे आखो मे देख - अब मुस्कुरा भी दीजिये आपका उदास चेहरा देखने मे अच्छा नही लगता है
अभय की बात सुन मिनिता मुस्कुरा देती है
अभय मुस्कुराते हुवे - हा अब सही है आप मुस्कुराते हुवे बहोत अच्छी लगती है
मिनिता सर्म से - हु

अभय मिनिता के होठ पे उंगली फेरते हुवे - ऑन्टी आपके होठ बहोत खूबसूरत है रसीले
मिनिता अभय को देख सर्म से - तभी तो रोज सुस्ता है
अभय मुस्कुराते हुवे -हु जिब निकालो ना पी लू आपके होठो का रस
मिनिता सर्म से होठ खोल जिब बाहर कर देती है अभय मिनिता के जिब मुह मे लेके चूस कर रस पीने लगता है मिनिता भी अभय को बाहों मे भर रस पीना सुरु कर देती है

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दोनों एक दूसरे के होठो का रस मजे से चूस चूस कर पीने मे लगे हुवे थे मिनिता मन मे उफ जब भी अभय बेटा मेरी जिब को चुस्ता है मुह मे लेके उफ मेरे सरीर मे सिहरन डोर जाती है और रस का स्वाद मुझे नशे से कम नही लगता मे खो जाती हु मजे की दुनिया मे 2 मिनट बाद

दोनों के होठ अलग होते है दोनों एक दूसरे के आखो मे देखते है मिनिता सर्म से लाल हुई परी थी अभय मुस्कुराते हुवे - ऑन्टी आपके होठो का रस पिये बगैर एक भी दिन रह लू बेचैन हो जाता हु
मिनिता अभय को देख सर्म से - मेरा भी ऐसा ही है बेटा तूने ही आदत बिगार् दिया है
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा जी
मिनिता सर्म से - हु

मिनिता अब चले बाहर
अभय मुस्कुराते हुवे - आपके उपर से उठाने का दिल नही कर रहा मजा आ रहा है मुलायम गर्म
मिनिता बहोत शर्मा जाती है
मिनिता सर्म से - हु कोमल है बाहर समझो ना
अभय मिनिता के ऊपर से उठ - ठीक हो

मिनिता सारी बाल सही कर दोनों बाहर आते है
कोमल अभय को देखती है लेकिन सर्म से नजरे फेर लेती है

अभय मिनिता को देख - ऑन्टी मे चलता हु
मिनिता अभय को देख - हु
अभय मिनिता को आख मार देता है
मिनिता सर्म से लाल हो जाती है

अभय फिर घर आता है नहा के रेडी होता है काजल कमरे मे आती है अभय काजल के पास जाके बाहों मे लेके - बुआ मेरी जान
काजल अभय को देख सर्म से - वो मे जा रहु हु
अभय काजल के चुचे दबाते हुवे - दिल कर रहा है अभी आपकी सारी उठा के आपकी चुत मे लंड डाल दु
अभय कि बात सुन काजल की चुत गीली होने लगती है
काजल आह उफ करते हुवे - बेटा जाने दे भाभी देख लेगी
अभय मुस्कुराते हुवे काजल को देख - चुत दिखा के जा सकती है
काजल सर्म से तेज सासे लेते हुवे - रात को सब देखा किया फिर भी
अभय काजल की आखो मे देख - बुआ मेरी जान आपका जिस्म देख कभी भी मेरा दिल नही भर सकता

काजल सर्म से पीछे देखती है
अभय - कोई नही आ रहा
काजल अभय को देखती है फिर सर्म से लाल सारी धीरे धीरे उपर करने लगती है अभय बिना पलके छपकाये टाँगों के बीच नजरे गराये हुवे था हा अभय ने अच्छे से काजल की चुत को देखा चोदा भी लेकिन काजल एक खूबसूरत बला थी उसका हर अंग कयामत था चाहे कोई कितनी बार देखे उसे ऐसा लगेगा पहली बार देख रहा हो सेम अभय का सीन था

काजल धीरे धीरे सारी उठा के ऊपर तक कर देती है और काजल की फूली रस भरी गीली चुत अभय के सामने आ जाती है काजल सर्म से लाल अभय को देखती है की अभय उसकी चुत को खा जाने वाली नजरो से देख रहा है तो काजल पानी पानी हो जाती है उसी के साथ बहोत खुश भी थी अभय उसका दीवाना है प्यार है जिस वो अपना सब दे चुकी है जिसे वो अपनी चुत दिखा रही है

अभय काजल के पास आके नीचे बैठ गौर से नजदिक से काजल की चुत को देखने लगता है काजल की चुत अभय की बातो से गीली हुई परी थी उफ काजल की चुत के मोटे फाके चुत की उभार और चुत के रस से गीली चिप चिपी चुत फाके रस से चिपके हुवे थे देखने मे रस मलाई लग रही थी जिसे देख किसी को खाने का दिल करेगा

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काजल नजरे नीचे कर अभय को देख सर्म से- बेटा हो गया डर लग रहा है कही कोई देख ना ले ( अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे आपकी चुत तो गीली हुई परी है लंड मांग रही है ; काजल सर्म से कापते हुवे - हु लेकिन अभी नही ना प्लेस बेटा
अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - हा ये समय सही नही है

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काजल सारी नीचे करने लगती है लेकिन अभय जल्दी से एक उंगली काजल की चुत मे पुरा अंदर घुसा देता है काजल दर्द मे आह मा करते हुवे अभय को देख कापते डरते सर्म से - बेटा प्लेस मत कर ना बाद मे कर लेना ( अभय काजल की बात नही सुनता और उंगली धीरे से और अंदर करते हुवे - उफ अंदर तो बहोत गर्म है मेरी उंगली जल रही है
काजल अपने पैर जांघे सताते हुई तेज सिसकिया लेते हुवे कापते होठो से -प्लेस प्लेस जल्दी निकाल लो नही तो आह उफ बेटा प्लेस

अभय भी उंगली काजल की चुत से निकाल लेता है काजल सारी नीचे कर तेज सासे लेते हुवे मन मे - अच्छा हुआ अभय बेटे ने उंगली निकाल ली नही तो मेरा पानी निकल जाता उफ अभय बेटे के बाते छुना ही मेरे अंदर आग लगा देती है

अभय खरा होता है और जो उंगली अभय ने काजल की चुत मे घुसाइ थी वो उंगली काजल की चुत के रस से गीली सनी हुई थी अभय काजल को सामने कर दिखाते हुवे मुस्कुराते के - देखिये आपकी चुत के रस से मेरी उंगली गीली हो गई

काजल देख सर्म से तेज सासे लेते हुवे - वो मे
अभय काजल के एकदम सत् के काजल को देख मुस्कुराते हुवे - आधा आपका आधा मेरा
अभय की बात सुन काजल के शरीर मे सिहरन उठ जाती है काजल सर्म से लाल होके अभय को देखती रहती है
अभय काजल की चुत से सनी अपनी उंगली काजल के मुह की तरफ ले जाने लगता है काजल ये देख सर्म से अपना मुह खोल देती है अभय आधी उंगली काजल की मुह मे डाल देता है काजल अभय को नासिलि आखो से देखते हुवे मजे से चूस कर गटक जाती है

अभय फिर उंगली निकाल अपने मुह मे लेने लगता है काजल सर्म मदहोशि मे अभय को देखती रहती है अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे काजल की चुत से सनी उगली पुरा अपने मुह मे लेके मजे से चूस कर पी जाता है अभय को ऐसा करता देख काजल सर्म से पागल होने लगती है

अभय काजल को देख मुस्कुराते हुवे - हु बहोत अच्छा स्वाद था
काजल सर्म से - मे जा रही हु

काजल सर्माते हुवे अपने मिनिता के घर भाग जाती है अभय भी मुस्कुराते हुवे बाहर आके बाइक लेके मधु के घर आ जाता है

मधु बाइक की आवाज सुन भागते हुवे बाहर आती है और अभय को देख खुश होके भाग कर अभय के बाहों मे समा जाती है अभय मधु को बाहों मे लेते हुवे - मेरी गुरिया

अभय फिर मधु को गोद मे उठा लेता है मधु अभय को प्यार से देखते हुवे - भाई
अभय मधु को अंदर कमरे मे ले जाते हुवे मधु को देख - गुरिया

अभय मधु को लेके कमरे मे आके बिस्तर पे लेता देता है मधु पैर सीधा किये बिस्तर पे लेती अभय को देखते रहती है अभय मधु को देखता है फिर मधु के ऊपर आके पहले अपने लंड को मधु की चुत के ऊपर रखता है मधु बिस्तर कस के पकर सिसक परती है अभय फिर धीरे से पुरा मधु के ऊपर लेत जाता है अभय के चुत सरीर की गर्मी फिल करने लगता है और सीने मे मधु के दबे दोनों चुचे को भी

मधु नीचे अभय पुरा मधु मे लेता दोनों के चेहरे आमने सामने थे
अभय मधु को देख प्यार से - गुरिया तेरे होठ का रस पीने जल्दी आ गया कियुंकी रहा नही गया ( मधु बिस्तर कस के पकरे सर्म से अभय को देख - भाई जब दिल करे जितना दिल करे आके अपनी गुरिया के होठो का रस पी लेना

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अभय अपने होठ मधु के होठ के पास ले जाके - तो पिला दो ना
मधु भी सर्म से अपना होठ खोल - पी लीजिये

दोनों के होठ मिल जाते है फिर मधु को एक नया सुकून वाला एहसास फिल होने लगता है मधु बाहों मे अभय को कस किस करने मे पुरा साथ देने लगती है दोनों एक दूसरे के होठ जिब मुह मे लेके चूसने लगते है रस पीने लगते है

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मधु मन मे उफ ये एहसास कैसा ये फीलिंग कैसी मुझे बहोत अच्छा फिल होता है खुशी मिलती है जब भाई मेरे होठ जिब को प्यार से मुह मे लेके चूस चूस कर पीते है उफ भाई पी लीजिये मुझे भी आपका रस पीके मजा आ रहा है 2 मिनट बाद

अभय मधु को देख मुस्कुराते हुवे - उफ गुरिया बहोत मजा आया
मधु अभय की आखो मे देख सर्म से - मुझे भी
अभय मधु के कान मे - गुरिया वैसे तुम नहाती कब हो
अभय की बात सुन मधु की सासे तेज होने लगती है
मधु सर्म से - भाई वो मे सुबह कभी साम को कियु
अभय मधु के चुत पे दबाओ डालते हुवे - बस ऐसे ही
मधु बिस्तर कस के पकर तेज सासे लेके - हु
अभय धीरे से - गुरिया मे भारी तो नही
मधु सर्म से धीरे से - नही भाई
अभय धीरे से - मुझे तेरे उपर लेत तेरी गर्मी फिल कर अच्छा फिल होता है
मधु तेज सासे लेके धीरे से - भाई
अभय - गुरिया तेरी शादी जिससे होगी उसके मजे है
मधु सर्म से अभय को बाहों मे कस कापते हुवे धीरे से - कैसे मजे
अभय मधु के गर्दन पे किस करते हुवे - वो वाला
मधु सर्म से सिसकिया लेते हुवे - भाई मुझे शादी नही करनी आपके साथ रहना है आह उफ
अभय मधु के चुत पे अपना लंड धीरे से घिसते हुवे - लेकिन शादी करनी परेगी ना तभी तो पत का प्यार मिलेगा
मधु अपनी टाँगे उठा के फैला के अपनी टाँगे से अभय को जकर तेज सासे लेते हुवे कापते आवाज मे धीरे से - मुझे नही चाहिये मुझे आपका प्यार चाहिये अपने भाई का
अभय को मधु ने अच्छे से अपनी टाँगों के बीच जगह दे दी थी अभय को अब मधु की चुत की गर्मी और चुत साफ अच्छे से फिल होने लगती है अभय थोरा और तेज अपना लंड मधु कि चुत पे घिसने लगता हो तो मधु और कस के अभय को पकर लेती है और मधु तेज सिसकिया लेके आह उफ भाई

तभी बर्तन की टन की आवाज सुनाई देती है और अभय होस मे आता है और एहसास होता है वो किया कर रहा है

अभय जल्दी से मधु के ऊपर से उठ बैठ जाता है मधु अभी भी तेज सासे ले रही थी मधु सास काबू करन के बाद अभय के पास बैठ - भाई किया हुआ
अभय मधु को प्यार से देखता है और अपने सीने से लगा के - कुछ नही

अभय मधु के सर को सेहलाते हुवे मन मे - नही अभय ये गलत कर रहा है ये तेरी गुरिया है जिसे पता भी नही ना एहसास है मे किया कर रहा था मे कैसे सर्म आनी चाहिये

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Fantastic update
 
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