#२
“कैसे हत्थे चढ़ी इनके ” पुछा मैंने
लड़की- कालेज का वार्षिक उत्सव था , प्रोग्राम देर तक चला उसी में लेट हो गयी बारिश की वजह से कोई ऑटो नहीं मिला , उधेड़बुन में थी की क्या करू तभी ये लोग आ गए और फिर .......
मैं- ये तुझे जानते है क्या
लड़की-शायद उनमे से एक इसी कालेज में पढता है . बाकी उसके दोस्त थे
मैं- हम्म, फिर तो परेशानी वाली बात खैर, तुझे घर छोड़ देता हूँ .कहाँ है घर तेरा
लड़की- इस हालत में घर तो नहीं जा पाऊँगी कपडे फटे है , वहां और तमाशा होगा.
मैं- बाज़ार भी बंद है , घर जाना ही सुरक्षित होगा.पर बात तेरी भी ठीक है फिलहाल ये पहन ले
मैंने अपना कोट उतार कर उसे दिया और हम लोग मेन सड़क पर आ गए. मुझे लड़की की बड़ी ही फ़िक्र हो गयी थी .
लड़की- मेरी वजह से आपको भी परेशानी हो गयी
मैं- वो बात नहीं है , लड़का तेरे ही कालेज का है तो तुझे पहचान लेगा , कुछ दिन के लिए तू घर पर ही रहना . मैं देखता हु तेरी सुरक्षा के लिए क्या कुछ हो सकता है वैसे तू चाहे तो पुलिस में शिकायत दे सकती है .
लड़की- घर नहीं जा पा रही शिकायत तो दूर की बात है और फिर घरवाले तो मुझे ही उल्टा समझेंगे .
सड़क पर चलते हुए मुझे एक दूकान दिखी लेडिज कपड़ो की मैंने उसका ताला तोडा और शटर खोल दिया.
“देख ले अपने लिए कुछ ” कहा तो वो झिझकते हुए अन्दर पहुची और जल्दी ही एक सूट पहन आई. बारिश की वजह से कोई टैक्सी-ऑटो भी नहीं मिल रहा था और रात थी की ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.
“मेरा घर थोड़ी ही दूर है अगर तुझे दिक्कत ना हो तो तू वहां रुक जा सुबह ऑटो मिलेंगे ही ” मैंने झिझकते हुए कहा
उसने हाँ में सर हिलाया और हम लोग मेरे घर आ गए. ताला खोल कर हम अन्दर आये. कहने को तो घर था पर ये चारदीवारिया थी और मैं था. मैंने उसे सोने को कहा और एक जाम बना कर बाहर सीढियों पर बैठ गया. टपकती बूंदों को देखते हुए एक पल को मैं कहीं खो सा गया था की किसी ने मुझे झकझोर दिया. देखा तो पाया की सुबह हो चुकी थी , वो लड़की हाथ में चाय का कप लिए खड़ी थी .
“चाय ” उसने मुझे कप दिया . रात की बात समझ आई तो अन्दर आया , उसने घर की सलीके से सजा दिया था हर सामान कायदे से रखा था .
“सोचा आप जब तक उठेंगे तब तक मैं सफाई ही कर लेती हु ” उसने कहा
मैं- अब तक तुम्हे चली जाना चाहिए था .
लड़की- बिन बताये चली जाती तो फिर नजरे ना उठा पाती जिस सख्स ने कल मेरी लाज बचाई उसका नाम तो जानने का हक़ है मेरा.
मैं- अब तो मुझे भी याद नहीं की क्या नाम है मेरा. इस बस्ती में बुजुर्ग बेटा कह देते है बच्चे चाचा कह देते है तुम्हे जो ठीक लगे तुम भी पुकार लेना
“मैं तो भाई ही कहूँगी ” उसने कहा
मैं मुस्कुरा दिया. बेशक वो चली गयी थी पर दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी . बहुत दिनों बाद खुद को आईने में देखा बढ़ी हुई दाढ़ी बिखरे हुए सर के बाल. पता नहीं क्यों पर अब लगने लगा था की इस शहर की आबोहवा ही साली चुतिया थी . सोचा तो था की इस शहर में जी लूँगा पर यहाँ आकर भी चैन नहीं मिला. काम पर जाते समय मेरी नजर कालेज ग्राउंड के गेट पर पड़ी, नीली ड्रेस में बैठा चोकीदार बीडी पी रहा था .. मैं उसके पास गया.
“तू इधर का चोकीदार है क्या ” मैंने पुछा
“तेरे को और क्या लगता मैं ” उसने दांत दिखाते हुए कहा . और अगले ही पल थप्पड़ उसके झुर्रियो भरे गाल को लाल कर गया.
“बहन के लंड फिर रात को कहाँ तेरी माँ चुदवा रहा था .” मैंने एक थप्पड़ और मारा उसको. दो मिनट तो उसको समझ ही नहीं आया उसको कुछ और फिर वो रो पड़ा.
“मैं मजबूर था साहब , जोनी बाबा की बात नहीं मानता तो मेरी नौकरी जाती, नौकरी क्या जान भी जाती पुरे शहर में कोई भी नहीं बात टालता उसकी ” चोकीदार ने मरी हुई आवाज में कहा.
चोकीदार की बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया, आखिर कौन था ये जोनी और कल वो कह भी रहा था की उसका बाप बहुत बड़ी चीज है.
मैं- इसका मतलब वो जोनी पहले भी बहुत बार लड़की/औरतो को इधर ही लाके उनके साथ गलत काम कर चूका है.
चोकीदार- कालेज जोनी के बाप का ही है, जो चाहे करे कौन रोकेगा. लडकिया तो लडकिया मैडम लोगो तक के साथ मनमानी करते रहता है वो . पर साहब आप क्यों पूछ रहे हो ये सब , पुलिस वाले तो ....... नहीं पुलिस वाले तो सलाम ठोकते उन लोगो को आप कौन हो साहब.
चोकीदार की बात ने मुझे गहरी सोच में डाल दिया था . इसका मतलब ये था की जोनी इसी ग्राउंड में बहुत बार रेप जैसी वारदातों को अंजाम दे चुका था .
“जान जायेगा, तू जान जायेगा .पर एक बात बता तेरी लड़की भी तो स्टूडेंट होगी ना अगर कोई उसके साथ रेप करने की कोशिश करेगा तब भी तू क्या देखता ही रहेगा ” मैंने सवाल किया पर उसने नज़र झुका ली कहने को था ही क्या . आदमी साला मुर्दा तब होता है जब वो मर जाए पर ये तो साला जिन्दा मुर्दों का सहर था . वहां से चल तो पड़ा था पर सोच में बस जोनी ही बसा था, कल रात जो घटना हुई थी , वो नहीं होनी चाहिए थी . न जोनी के लिए न उस लड़की के लिए.
खैर, मैं अपने धंधे बढ़ गया , दूकान पहुंचा तो पाया की सेठ ऐसे बैठा था की जैसे कोई मौत हो गयी हो. इतना परेशान मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था .
“सेठ जी , क्या बात है कुछ परेशां से दिखते हो ” मैंने पूछ ही लिया.
सेठ- बेटा, क्या बताऊ.अजीब सी स्तिथि आन पड़ी है तुझे तो मालूम है ही की कुछ दिनों बाद चुनाव होने वाले है .
मैं- अपना क्या लेना देना वोटो से
सेठ-चुनाव की तो ख़ास चिंता नहीं है पार्टियों के फंड में पैसे देने है पर मेरी असल चिंता का कारण कुछ और है
मैं- भरोसा करते हो तो बता सकते हो सेठ जी
सेठ- पिछले कुछ दिनों से मैं परेशानी में हु, कुछ लोग मुझसे हफ्ते के नाम पर वसूली कर रहे है. धंधा करना है तो ये सब झेलना ही होता है पर अचानक से वो लोग ५ करोड़ रूपये की मांग करने लगे है. कहते है की जहाँगीर लाला के आदमी है.
मैं- जहाँगीर लाला ये कौन हुआ भला.
सेठ – तू उसे नहीं जानता, शहर का बाप है . सरकार उसके इशारे पर बनती और गिरती है. कल उसके गुर्गे का फ़ोन आया था की या तो पांच करोड़ और दो वर्ना वो सेठानी को ले जायेगा
सेठ जैसे रोने को ही था. और मैं हैरान की पांच साल बीतने के बाद भी मैंने शहर में ये नाम क्यों नहीं सुना था .
मैं- आज पांच करोड़ दोगे कल दस मांगेगा फिर बीस
सेठ- दो करोड़ तो मैं पहले ही दे चूका हूँ
मैं- ये तो गलत है पुलिस की मदद लेनी चाहिए
सेठ- dsp के पास गया था , उसने जो बात कही मेरे तो घुटने जवाब दे गए.
मैं- ऐसा क्या कह दिया .
सेठ- उसकी लुगाई एक हफ्ते से जहाँगीर लाला के बेटे के पास गिरवी पड़ी थी . ..................... सेठ की दूकान नहीं होती तो मैं थूक देता हिकारत से . बहनचोद क्या ही नंगा नाच हो रहा था इस शहर में .
मैं- सेठ जी , पैसे दे दो
सेठ- हो तो दू, तुझे तो मालूम ही है बेटी भाग गयी थी उसकी शादी जैसे तैसे करवाई . नाम का ही सेठ रह गया हूँ ये कुरता नया है अन्दर बनियान फटी पड़ी है. करू तो क्या करू
मैं- सेठानी को कुछ समय के लिए गाँव भेज दो . क्या मालूम इलेक्शन के बाद सरकार बदल जाये तो इन गुंडों पर लगाम लगे .
सेठ- बात तो सही कही है तूने , विचार करता हूँ.
हम बात कर ही रहे थे की अचानक से गुंडों की जिप्सिया एक के बाद एक बाजार में आती चली गयी और बाजार बंद करवाने लगी. जल्दी ही बाजार में खबर फ़ैल गयी की जहाँगीर लाला के पोते जोनी को कल किसी ने बुरी तरह से मारा और उसका हाथ उखाड़ दिया. ना जाने क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी. ..................