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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Ek baar Nisha ne or aaz Ruda ne bhi kaha ki kabir me Mahaveer ki zalak hai or dono hi aadamkhor ki bimari se grasit hai ajib ittefaak hai, Ruda ne apni galti ko chipane ke liye Apne hi bete ko maar diya or aaz kabir ke saath bhi wahi karke Nisha ko fir se daakan banana chahta the lekin ant Me daayn khud hi saamne aa gayi.

Ek galti chupane ke liye dusri galti or dusri ko chupane ke liye tisri, har koi shamil hai is khel me kahir dekhte hai aage kya hota hai..
 

Moon Light

Prime
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har koi shamil hai is khel me
मैं तो कब से ये बात कह रही हूं,
kamdev99008 जी ही आदमखोर हैं कोई सुनता ही नहीं मेरी बात,

जू भी ऊपर से सब जगह नजर रखे हुए हो,
जू ही बताओ ना सबको ये बात,

और रातों की चांदनी में सब होता है,
इसलिए मुझे ये कब से ज्ञात है,
बस अंधेरे में जो हुआ वो मुझे नहीं पता,
 
Last edited:

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#149

“तुमने सोचा भी कैसे की मेरे होते हुए तुम कबीर को नुक्सान पहुंचा पाओगे,बाबा . तुमने कबीर पर नहीं मेरी आत्मा पर वार किया है, कबीर मेरा गुरुर है जिन्दगी है मेरी और कोई भी मेरी जिन्दगी मुझसे छीन ले ये मैं होने नहीं दूंगी. आज नहीं कल नहीं कभी भी नहीं.” निशा ने लगातार रुडा पर लट्ठ से वार किये.

पेट पर हाथ रखे मैं उठा , और जाकेट को कस कर पेट के जख्म पर बान्ध लिया.

निशा- सोचा था की कम से कम तुमने मुझे समझा पर तुम , तुम तो सबसे घटिया निकले . अपने हाथो से मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया तुमने. पर आज नहीं आज तुमको अपने पापो का हिसाब देना होगा . आठ साल मैं भटकती रही ,सोचती रही की कौन होगा वो जिसने मेरे जीवन में अँधेरा कर दिया पर काश , काश मैं पहले ही समझ पाती की दिए तले हो अँधेरा होता है

मैं- रुक जा निशा

निशा- आज नहीं कबीर , आज रुकी तो फिर खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी कबीर .

मैं- इसे माफ़ी नहीं देनी निशा,इसे तू जो चाहे सजा दे पर कुछ सवाल है जिनके जवाब अभी बाकि है

निशा- जवाब तो मांगूंगी ही मैं .

निशा ने पलक झपकते ही रुडा के पाँव को तोड़ दिया. जंगल में उसकी चीख गूंजने लगी.

“चीख, कभी इस जंगल में महावीर की चीखे सुनी होंगी आज ये जंगल उसके कातिल की चीख सुनेगा. तेरे कर्म आज तुझे वही पर ले आये है . चिंता मत कर तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूंगी मैं ” निशा ने उस पर थूका और मेरे पास आई मुझे अपने आगोश में भर लिया मरजानी ने .

निशा- सोच तो लिया होता सरकार तेरे पीछे एक जिन्दगी और है तुझे कुछ हो जायेगा तो मेरा क्या होगा . जीना है मुझे तेरे साथ .

मैं- तुझसे वादा किया है मेरी जान . ये जन्म अगला जनम हर जन्म मेरी जान जीना तेरे साथ मरना तेरी बाँहों में .

निशा- रो पडूँगी अगर मरने की बात की तो .

निशा न मेरा जख्म देखा और बोली- तेरे छिपे हुए रूप के बारे में सोच जख्म पर असर होगा

मैं- जानता हूँ पर ये बता तू यहाँ कैसे पहुँच गयी .

निशा- जासूस छोड़ रखा है तेरे पीछे. इतना तो जान गयी थी की तू परेशां है पर क्यों ये नहीं जान पायी और शुक्र है ये सही समय पर मुझे यहाँ ले आया .

निशा ने सियार की तरफ देखा . जो लपक कर हम दोनों से लिपट गया .

मैं- तो जब सुनैना से प्यार वाली कहानी झूठी है तो अब बताओ की असल में उसके साथ हुआ क्या था .

रुडा- बहुत सुन्दर थी वो , मादकता से भरा ऐसा जाम . स्वर्ग से जैसे कोई अप्सरा ही उतर आई हो . बंजारों की लड़की का ऐसा सौन्दर्य अपने आप में अनोखा था. जो भी देखे उसे देखता ही रह जाए. उसे हर कोई पाना चाहता था पर वो भरोसा करती थी हम दोनों पर और उसका वही भरोसा उसका श्राप बन गया . कब वो हम दोस्तों के बीच की खाई बन गयी मालूम ही नहीं हुआ. सब सही था, अगर वो पेट से ना होती . पर उस से भी माहत्वपूर्ण उसने सोना तलाश लिया था . दिक्कत सिर्फ ये थी की सोना वो निकाल सकती थी . चाह कर भी उस से पीछा नहीं छुड्वाया जा सकता था . पर न जाने क्यों बिशम्भर का मन बदल गया . वो टूटती डोर को थामना चाहता था . पर न जाने कैसे वो जान गया की वो षड्यंत्र मैंने ही रचा था . बहुत झगडा हुआ उसका और मेरा. उसकी गोद में दो नवजात थे , मैं उनको रस्ते से हटा देना चाहता था पर वो नहीं माना. मुर्ख था वो . सारी उम्र जिसने किसी रिश्ते की लिहाज नहीं किया ना जाने क्यों वो उन दो नवजातो का मोह नहीं छोड़ पा रहा था



मैं- इतनी ही नफरत थी तो क्यों पाला तुमने, क्यों नाम दिया उनको अपना .

रुडा- मज़बूरी मेरी मज़बूरी. लालच .सौदा जो बिशम्भर ने मुझसे किया था .

निशा-कैसा सौदा.

रुडा- उसने सौदा किया की यदि मैं इन दोनों को पालू तो वो सारा सोना मुझे दे देगा.

मैं- राय साहब खुद सम्पन्न थे उनके लिए क्या मुश्किल था दो बच्चो का पालन पोषण फिर उन्होंने ये सौदा क्यों किया.

रुडा- आज तक नहीं समझ पाया मैं ये बात

मैं- चाचा जरनैल से क्या पंगा था तुम्हारा .

रुडा- उसे लगता था की रमा पर उसका हक़ था वो चुतिया नहीं जानता था की रमा तो कब से हमारी थी .

मैं-उसकी मौत में किसका हाथ था .

रुडा- नहीं जानता , उसकी मौत हुई ये भी तुमने ही बताया

बाते बहुत हद तक साफ़ थी . खंडहर एक ऐसी जगह थी जहाँ पर राय साहब और रुडा अपनी हवस मिटाते थे. वो तमाम सामान इन दोनों का ही था , इनोहोने ही ऐसी वयवस्था बनाई की वहां पर कोई परिंदा भी पर ना मार सके. पर अय्याशी में खलल पड़ा जब महावीर का लगाव हुआ उस जगह से , महावीर ने ही वो जगह अभिमानु और प्रकाश को बताई होगी. जिनका प्रयोग बाद में उन्होंने किया. कविता और सरला उस जगह के बारे में कभी नहीं जान पाई क्योंकि वो कभी गयी ही नहीं और रमा ने उस जगह के बारे में कबी नहीं बताया क्योंकि मैंने उस से हमेशा पूछा की चाचा ने उसे कहा चोदा , चाचा की अय्याशी बस कुवे तक ही सिमित रही .



“अपने ही हाथो से तूने मेरा हाथ कबीर के हाथ में देकर दुआ की थी मेरी नयी जिन्दगी के लिए और अपने ही हाथो से तू मेरे नसीब की लकीर मिटा देना चाहता था . क्यों ” निशा ने कहा

रुडा- मैं पीछा छुड़ाना चाहता था तुझसे. मुझ अलग की ये ही सही रहेगा क्योंकि कबीर जिस तरह से अपनी खोजबीन में लगा हुआ था मैं जानता था की देर सबेर ये अतीत का वो पन्ना तलाश लेगा जो खून से रंगे है .

निशा - तूने बहुत जवाब दिए बस इतना बता जब वो मरा तो उसने क्या कहा था .

रुडा- उसने तेरा नाम लिया था .
 

Tiger 786

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#149

“तुमने सोचा भी कैसे की मेरे होते हुए तुम कबीर को नुक्सान पहुंचा पाओगे,बाबा . तुमने कबीर पर नहीं मेरी आत्मा पर वार किया है, कबीर मेरा गुरुर है जिन्दगी है मेरी और कोई भी मेरी जिन्दगी मुझसे छीन ले ये मैं होने नहीं दूंगी. आज नहीं कल नहीं कभी भी नहीं.” निशा ने लगातार रुडा पर लट्ठ से वार किये.

पेट पर हाथ रखे मैं उठा , और जाकेट को कस कर पेट के जख्म पर बान्ध लिया.

निशा- सोचा था की कम से कम तुमने मुझे समझा पर तुम , तुम तो सबसे घटिया निकले . अपने हाथो से मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया तुमने. पर आज नहीं आज तुमको अपने पापो का हिसाब देना होगा . आठ साल मैं भटकती रही ,सोचती रही की कौन होगा वो जिसने मेरे जीवन में अँधेरा कर दिया पर काश , काश मैं पहले ही समझ पाती की दिए तले हो अँधेरा होता है

मैं- रुक जा निशा

निशा- आज नहीं कबीर , आज रुकी तो फिर खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी कबीर .

मैं- इसे माफ़ी नहीं देनी निशा,इसे तू जो चाहे सजा दे पर कुछ सवाल है जिनके जवाब अभी बाकि है

निशा- जवाब तो मांगूंगी ही मैं .

निशा ने पलक झपकते ही रुडा के पाँव को तोड़ दिया. जंगल में उसकी चीख गूंजने लगी.

“चीख, कभी इस जंगल में महावीर की चीखे सुनी होंगी आज ये जंगल उसके कातिल की चीख सुनेगा. तेरे कर्म आज तुझे वही पर ले आये है . चिंता मत कर तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूंगी मैं ” निशा ने उस पर थूका और मेरे पास आई मुझे अपने आगोश में भर लिया मरजानी ने .

निशा- सोच तो लिया होता सरकार तेरे पीछे एक जिन्दगी और है तुझे कुछ हो जायेगा तो मेरा क्या होगा . जीना है मुझे तेरे साथ .

मैं- तुझसे वादा किया है मेरी जान . ये जन्म अगला जनम हर जन्म मेरी जान जीना तेरे साथ मरना तेरी बाँहों में .

निशा- रो पडूँगी अगर मरने की बात की तो .

निशा न मेरा जख्म देखा और बोली- तेरे छिपे हुए रूप के बारे में सोच जख्म पर असर होगा

मैं- जानता हूँ पर ये बता तू यहाँ कैसे पहुँच गयी .

निशा- जासूस छोड़ रखा है तेरे पीछे. इतना तो जान गयी थी की तू परेशां है पर क्यों ये नहीं जान पायी और शुक्र है ये सही समय पर मुझे यहाँ ले आया .

निशा ने सियार की तरफ देखा . जो लपक कर हम दोनों से लिपट गया .

मैं- तो जब सुनैना से प्यार वाली कहानी झूठी है तो अब बताओ की असल में उसके साथ हुआ क्या था .

रुडा- बहुत सुन्दर थी वो , मादकता से भरा ऐसा जाम . स्वर्ग से जैसे कोई अप्सरा ही उतर आई हो . बंजारों की लड़की का ऐसा सौन्दर्य अपने आप में अनोखा था. जो भी देखे उसे देखता ही रह जाए. उसे हर कोई पाना चाहता था पर वो भरोसा करती थी हम दोनों पर और उसका वही भरोसा उसका श्राप बन गया . कब वो हम दोस्तों के बीच की खाई बन गयी मालूम ही नहीं हुआ. सब सही था, अगर वो पेट से ना होती . पर उस से भी माहत्वपूर्ण उसने सोना तलाश लिया था . दिक्कत सिर्फ ये थी की सोना वो निकाल सकती थी . चाह कर भी उस से पीछा नहीं छुड्वाया जा सकता था . पर न जाने क्यों बिशम्भर का मन बदल गया . वो टूटती डोर को थामना चाहता था . पर न जाने कैसे वो जान गया की वो षड्यंत्र मैंने ही रचा था . बहुत झगडा हुआ उसका और मेरा. उसकी गोद में दो नवजात थे , मैं उनको रस्ते से हटा देना चाहता था पर वो नहीं माना. मुर्ख था वो . सारी उम्र जिसने किसी रिश्ते की लिहाज नहीं किया ना जाने क्यों वो उन दो नवजातो का मोह नहीं छोड़ पा रहा था



मैं- इतनी ही नफरत थी तो क्यों पाला तुमने, क्यों नाम दिया उनको अपना .

रुडा- मज़बूरी मेरी मज़बूरी. लालच .सौदा जो बिशम्भर ने मुझसे किया था .

निशा-कैसा सौदा.

रुडा- उसने सौदा किया की यदि मैं इन दोनों को पालू तो वो सारा सोना मुझे दे देगा.

मैं- राय साहब खुद सम्पन्न थे उनके लिए क्या मुश्किल था दो बच्चो का पालन पोषण फिर उन्होंने ये सौदा क्यों किया.

रुडा- आज तक नहीं समझ पाया मैं ये बात

मैं- चाचा जरनैल से क्या पंगा था तुम्हारा .

रुडा- उसे लगता था की रमा पर उसका हक़ था वो चुतिया नहीं जानता था की रमा तो कब से हमारी थी .

मैं-उसकी मौत में किसका हाथ था .

रुडा- नहीं जानता , उसकी मौत हुई ये भी तुमने ही बताया

बाते बहुत हद तक साफ़ थी . खंडहर एक ऐसी जगह थी जहाँ पर राय साहब और रुडा अपनी हवस मिटाते थे. वो तमाम सामान इन दोनों का ही था , इनोहोने ही ऐसी वयवस्था बनाई की वहां पर कोई परिंदा भी पर ना मार सके. पर अय्याशी में खलल पड़ा जब महावीर का लगाव हुआ उस जगह से , महावीर ने ही वो जगह अभिमानु और प्रकाश को बताई होगी. जिनका प्रयोग बाद में उन्होंने किया. कविता और सरला उस जगह के बारे में कभी नहीं जान पाई क्योंकि वो कभी गयी ही नहीं और रमा ने उस जगह के बारे में कबी नहीं बताया क्योंकि मैंने उस से हमेशा पूछा की चाचा ने उसे कहा चोदा , चाचा की अय्याशी बस कुवे तक ही सिमित रही .



“अपने ही हाथो से तूने मेरा हाथ कबीर के हाथ में देकर दुआ की थी मेरी नयी जिन्दगी के लिए और अपने ही हाथो से तू मेरे नसीब की लकीर मिटा देना चाहता था . क्यों ” निशा ने कहा

रुडा- मैं पीछा छुड़ाना चाहता था तुझसे. मुझ अलग की ये ही सही रहेगा क्योंकि कबीर जिस तरह से अपनी खोजबीन में लगा हुआ था मैं जानता था की देर सबेर ये अतीत का वो पन्ना तलाश लेगा जो खून से रंगे है .

निशा - तूने बहुत जवाब दिए बस इतना बता जब वो मरा तो उसने क्या कहा था .


रुडा- उसने तेरा नाम लिया था .
Bohot se raaz khul chuke hai pratiksha rahegi agle update ki🙏
 
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