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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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रूडा ही सारे फसाद का जड़ था , हजम नही हुआ। वो जमींदर था , रइस था फिर भी सोने के लालच मे अपनी प्रेमिका और दो बच्चों की मां की हत्या कर दी। उसकी हत्या कर दी जिसे वो प्रेम करता था और जिसके लिए अपने पिता और समाज से बगावत करने पर उतारू हो गया था।

चलो यह भी मान लेते हैं कि वो सुनैना से नही बल्कि उसके जिस्म से प्यार करता था पर यह कैसे मान ले कि उसने अपने ही पुत्र की हत्या भी कर दी थी।
मै अभी तक समझ नही पा रहा हूं कि उसने अपने पुत्र की हत्या किस वजह से की थी ! क्या इसलिए कि वो एक वेयरवोल्फ बन चुका था या इसलिए कि वो सुनैना का पुत्र था ?

राय साहब तो बिल्कुल ही बेदाग बच निकले ! इन के खिलाफ हर चीज जाता था। ये सुनैना के कातिल भी हो सकते थे और उसके साथ उनके पुत्र महावीर के भी। आखिर इन्होने अपने नाजायज औलाद की हत्या करवाई भी थी। सोने पर इनका पूर्ण नियंत्रण भी था।

कैसी बिडम्बना है कि दोनो दोस्त अपने ही पुत्र के जान के दुश्मन निकले। और दोनो ही हवस के गुलाम।

बहुत खुबसूरत अपडेट फौजी भाई।
Outstanding & Amazing.
लालच और हवस, बस 2 ही उत्तर है इस कहानी के हर सवाल के।
 

rangeen londa

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लालच और हवस, बस 2 ही उत्तर है इस कहानी के हर सवाल के।
YAANI KI EK HI HUAA

LALACH = SONA
HAVAS -= SONA

FINALLY SONA (KISKA AND KISKE SAATH)
 
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@09vk

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#148

“इस तरह देखने की जरुरत नहीं है चौधरी साहब , जब सबके नकाब उतर रहे है तो आपका चेहरा कैसे बच जायेगा. माना की रात बहुत लम्बी हुई पर सुबह की एक किरण बहुत होती है रात के अँधेरे को चीरने के लिए. रमा के पति को क्यों मारा ” मैंने सवाल किया.

रुडा- मैं, भला मैं क्यों मारूंगा उसे.

मैं- ये तो आप जानते है . मुझे तो बस इतना मालुम है की उसको आपने मारा क्यों मारा ये बता कर आप मेरी उत्सुकता खत्म कर सकते है .

रुडा- उसे एक बिमारी थी , वही बीमारी जो तुमको है . जरुरत से ज्यादा जानने की बिमारी. उसकी गांड में एक कीड़ा कुलबुला रहा था . ये जंगल इसमें कुछ भी छिपाना ना मुमकिन है उस चूतिये का लालच . क्या ही कहे . रमा की कीमत चाहिए थी उसे और कीमत क्या मांगी उसने हिस्सेदारी हम से हिस्सेदारी. हम से कबीर. हमारे टुकडो पर पलने वाले हमारे बराबर बैठने की बात करे लगे थे . सोना चाहिए था उसको , सोना . साला दो कौड़ी का नौकर हमने उसे सोना दिया. सदा के लिए सुला दिया उसे.

मैं-पर कोई था जिसने उस क़त्ल को होते हुए देखा.

रुडा- आंह ,जैसा हमने कहा ये दुनिया चुतियो से भरी है . महावीर . उसको भी यही बीमारी थी जो तुमको है दुसरो के मामलो में नाक घुसना , क्या कमी थी उसको . जवान था मौज करता. पर उसे जंगल का सच जानना था वो सच जिसे छुपाते छुपाते हमारी जुती घिस गयी . न जाने लोग क्यों नहीं समझते की जिन्दगी कोआज में जीना चाहिए . जब मैं तुमको देखता हूँ न तो मुझे कभी भी तुम नहीं दिखे कबीर, मैंने हमेशा महावीर को देखा. किसी ने तुम्हे नहीं बताया होगा पर मैं तुम्हे बताता हूँ वो तुम सा ही था . उसके सीने में दिल था जो धडकता था अपने लोगो के लिए.



सवाल बहुत करता था वो . मैंने क्या नहीं दिया उसे पर उस चूतिये को शौक था ऊँगली करने का . न जाने कैसे उसने सोने के राज को मालूम कर लिया था . चलो ठीक था इतना भी हमारे बाद हमारी औलादों को ही काम आता वो .



मैं ख़ामोशी से रुडा को देख रहा था कुछ पल पहले वो मुझे दर्द भरी कहानी सूना रहा था और मेरे एक सवाल ने उसके चेहरे पर पुते रंग को बहाना शुरू कर दिया था

मैं- महावीर को सोना नहीं चाहिए था कभी भी .

रुडा- सही समझे तुम . जानता था की तुम समझोगे इस बात को

मैं- महावीर की दिलचस्पी कभी नहीं थी सोने में. उसे तलाश थी किसी की

रुडा- उसे तलाश थी कातिल की

मैं- सुनैना के कातिल की . मुझे लगा ही था . मैंने सोचा था इस बारे में पर कड़ी अब जाकर जुडी है . कड़ी थी सुनैना और उसके बच्चे उस रात सुनैना को एक नहीं दो औलाद पैदा हुई थी . महावीर सुनैना का बेटा था .

न जाने क्यों मेरे पैरो तले जमीं खिसकने लगी थी . क्योंकि इस सच ने तमाम लोगो को कटघरे में खड़ा कर दिया था . महावीर को साजिश के तहत मारा गया था तो उस साजिश में भैया, भाभी और अंजू भी शामिल थे. इतना कमजोर मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था खुद को. सच के आखिर कितने रूप हो सकते है

रुडा- सच , कबीर, सच , अपने आप में अनोखा अप्रतिम . सच से खूबसूरत कुछ नहीं सच से घिनोना कुछ नहीं. महावीर को मालूम हो गया था की उसकी माँ का कातिल कौन है . रिश्तो के बोझ से दबा वो बदहवास भटक रहा था और फिर उसने मुझे रमा के पति को मारते हुए देखा, उसका सब्र टूट गया. और ना चाहते हुए भी मुझे वो फैसला लेना पड़ा जिसकी वजह से आज हम दोनों यहाँ पर है .

मैं- महावीर के क़त्ल का फैसला

रुडा- क्या करे, दुनियादारी असी ही चीज है

मैं- पर कैसे. उसे तो ...

“उसे तो किसी और ने घायल किया था . जंगल में घायल पड़ा था वो . कमजोर सांसे लड़ रही थी जिन्दगी से . गोलियों के घाव गहरे थे . उसी दोपहर उसकी और मेरी लड़ाई हुई थी . बदहवासी , बेखुदी में बस वो निशा को पुकारे जा रहा था . वो उसे बताना चाहता था कुछ

मैं- क्या बताना चाहता था .

रुडा- डायन , महावीर के अंतिम शब्द डायन थे.जानता है कबीर कोई भी आज तक उसके कातिल को क्यों नहीं तलाश कर पाया.

मैं- क्योंकि कोई नही जानता की उसका कातिल उसका बाप है.

मेरे ये शब्द मेरे गले की फांस बन गए, मेरी आँखों से आंसू बह चले. बेशक महावीर मेरा कुछ नहीं लगता था पर फिर भी मेरे मन में संवेदना थी उसके लिए. एक पल के लिए मेरे और रुडा के दरमियान बर्फ सी जम गयी . इन्सान से घटिया और कोई जानवर नहीं . मैं दो पल के लिए अपने ख्यालो में खो गया और जब होश आया तो मेरे बदन में कुछ नुकीला सा घुस चूका था . दर्द को मैंने बस महसूस किया . कुछ बोल नहीं पाया.

“जानता है महावीर के कातिल को कोई भी नहीं तलाश कर पाया क्योंकि कोई जान ही नहीं पाया . तूने जाना अब तू भी नहीं रहेगा. ये राज तेरे साथ ही दफन हो जायेगा ” रुडा ने चाकू को दुबारा से मेरे पेट में घुसेदा.

मैं कुछ भी नहीं बोल पाया अचानक से हुए हमले ने मुझे स्तब्ध कर दिया था . मैं समाधी के पत्थरों पर गिर गया .

रुडा- जैसा मैंने कहा दुनिया चुतियो से भरी है , तू उन चुतियो का सरदार है . क्या नहीं मिल रहा था तुझे. यहाँ तक निशा भी दी तुझे सोचा की उसके साथ जी लेगा तू पर तुझे तो सच जानना था , देख सच , सच ये है की तू मरने वाला है तेरी लाश कहाँ गायब हो गयी कोई नहीं जान पायेगा.

रुडा ने अबकी बार मेरे सीने पर धार लगाई चाक़ू की . और मेरी आवाज गले से बाहर निकली.

“निशा ” मेरे होंठो से ये ही पुकार निकली.

रुडा- कैसा अजीब इतीफाक है न ये, तू भी निशा को ही पुकार रहा है . मोहब्बत भी साली क्या ही होती है हम तो कभी समझ ही नहीं पाए इस बला को . हमें तो चुदाई से ही फुर्सत ना मिली और तुम हो के साले मरने को मर रहे हो फिर भी इश्क का भूत नहीं उतर रहा.

“मैं नहीं मरूँगा रुडा , मुझे जीना है मेरी जान के साथ मुझे जीना है निशा के साथ . ” मैंने पूरी ताकत लगाई और रुडा को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगा. पर कामयाब नहीं हो पाया.

रुडा ने दो थप्पड़ मारे मुझे और बोला-बस जल्दी ही तू इस दर्द से आजाद होकर हमेशा के लिए सो जाएगा.


रुडा के मजबूत हाथ मेरा गला दबाने लगे . मैं हाथ पाँव तो पटक रहा था पर जोर नहीं चल रहा था और जब लगा की सांसो की डोर अब टूट ही गयी . मेरे मन के अन्दर सोया जानवर जाग ही गया था की तभी मैंने रुडा पर अपने सियार को छलांग लगाते हुए देखा. और अगले ही पल रुडा की पीठ पर एक जोर का लट्ठ पड़ा . रुडा जमीं पर गिर गया .
Nice update 👍
 

@09vk

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#149

“तुमने सोचा भी कैसे की मेरे होते हुए तुम कबीर को नुक्सान पहुंचा पाओगे,बाबा . तुमने कबीर पर नहीं मेरी आत्मा पर वार किया है, कबीर मेरा गुरुर है जिन्दगी है मेरी और कोई भी मेरी जिन्दगी मुझसे छीन ले ये मैं होने नहीं दूंगी. आज नहीं कल नहीं कभी भी नहीं.” निशा ने लगातार रुडा पर लट्ठ से वार किये.

पेट पर हाथ रखे मैं उठा , और जाकेट को कस कर पेट के जख्म पर बान्ध लिया.

निशा- सोचा था की कम से कम तुमने मुझे समझा पर तुम , तुम तो सबसे घटिया निकले . अपने हाथो से मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया तुमने. पर आज नहीं आज तुमको अपने पापो का हिसाब देना होगा . आठ साल मैं भटकती रही ,सोचती रही की कौन होगा वो जिसने मेरे जीवन में अँधेरा कर दिया पर काश , काश मैं पहले ही समझ पाती की दिए तले हो अँधेरा होता है

मैं- रुक जा निशा

निशा- आज नहीं कबीर , आज रुकी तो फिर खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी कबीर .

मैं- इसे माफ़ी नहीं देनी निशा,इसे तू जो चाहे सजा दे पर कुछ सवाल है जिनके जवाब अभी बाकि है

निशा- जवाब तो मांगूंगी ही मैं .

निशा ने पलक झपकते ही रुडा के पाँव को तोड़ दिया. जंगल में उसकी चीख गूंजने लगी.

“चीख, कभी इस जंगल में महावीर की चीखे सुनी होंगी आज ये जंगल उसके कातिल की चीख सुनेगा. तेरे कर्म आज तुझे वही पर ले आये है . चिंता मत कर तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूंगी मैं ” निशा ने उस पर थूका और मेरे पास आई मुझे अपने आगोश में भर लिया मरजानी ने .

निशा- सोच तो लिया होता सरकार तेरे पीछे एक जिन्दगी और है तुझे कुछ हो जायेगा तो मेरा क्या होगा . जीना है मुझे तेरे साथ .

मैं- तुझसे वादा किया है मेरी जान . ये जन्म अगला जनम हर जन्म मेरी जान जीना तेरे साथ मरना तेरी बाँहों में .

निशा- रो पडूँगी अगर मरने की बात की तो .

निशा न मेरा जख्म देखा और बोली- तेरे छिपे हुए रूप के बारे में सोच जख्म पर असर होगा

मैं- जानता हूँ पर ये बता तू यहाँ कैसे पहुँच गयी .

निशा- जासूस छोड़ रखा है तेरे पीछे. इतना तो जान गयी थी की तू परेशां है पर क्यों ये नहीं जान पायी और शुक्र है ये सही समय पर मुझे यहाँ ले आया .

निशा ने सियार की तरफ देखा . जो लपक कर हम दोनों से लिपट गया .

मैं- तो जब सुनैना से प्यार वाली कहानी झूठी है तो अब बताओ की असल में उसके साथ हुआ क्या था .

रुडा- बहुत सुन्दर थी वो , मादकता से भरा ऐसा जाम . स्वर्ग से जैसे कोई अप्सरा ही उतर आई हो . बंजारों की लड़की का ऐसा सौन्दर्य अपने आप में अनोखा था. जो भी देखे उसे देखता ही रह जाए. उसे हर कोई पाना चाहता था पर वो भरोसा करती थी हम दोनों पर और उसका वही भरोसा उसका श्राप बन गया . कब वो हम दोस्तों के बीच की खाई बन गयी मालूम ही नहीं हुआ. सब सही था, अगर वो पेट से ना होती . पर उस से भी माहत्वपूर्ण उसने सोना तलाश लिया था . दिक्कत सिर्फ ये थी की सोना वो निकाल सकती थी . चाह कर भी उस से पीछा नहीं छुड्वाया जा सकता था . पर न जाने क्यों बिशम्भर का मन बदल गया . वो टूटती डोर को थामना चाहता था . पर न जाने कैसे वो जान गया की वो षड्यंत्र मैंने ही रचा था . बहुत झगडा हुआ उसका और मेरा. उसकी गोद में दो नवजात थे , मैं उनको रस्ते से हटा देना चाहता था पर वो नहीं माना. मुर्ख था वो . सारी उम्र जिसने किसी रिश्ते की लिहाज नहीं किया ना जाने क्यों वो उन दो नवजातो का मोह नहीं छोड़ पा रहा था



मैं- इतनी ही नफरत थी तो क्यों पाला तुमने, क्यों नाम दिया उनको अपना .

रुडा- मज़बूरी मेरी मज़बूरी. लालच .सौदा जो बिशम्भर ने मुझसे किया था .

निशा-कैसा सौदा.

रुडा- उसने सौदा किया की यदि मैं इन दोनों को पालू तो वो सारा सोना मुझे दे देगा.

मैं- राय साहब खुद सम्पन्न थे उनके लिए क्या मुश्किल था दो बच्चो का पालन पोषण फिर उन्होंने ये सौदा क्यों किया.

रुडा- आज तक नहीं समझ पाया मैं ये बात

मैं- चाचा जरनैल से क्या पंगा था तुम्हारा .

रुडा- उसे लगता था की रमा पर उसका हक़ था वो चुतिया नहीं जानता था की रमा तो कब से हमारी थी .

मैं-उसकी मौत में किसका हाथ था .

रुडा- नहीं जानता , उसकी मौत हुई ये भी तुमने ही बताया

बाते बहुत हद तक साफ़ थी . खंडहर एक ऐसी जगह थी जहाँ पर राय साहब और रुडा अपनी हवस मिटाते थे. वो तमाम सामान इन दोनों का ही था , इनोहोने ही ऐसी वयवस्था बनाई की वहां पर कोई परिंदा भी पर ना मार सके. पर अय्याशी में खलल पड़ा जब महावीर का लगाव हुआ उस जगह से , महावीर ने ही वो जगह अभिमानु और प्रकाश को बताई होगी. जिनका प्रयोग बाद में उन्होंने किया. कविता और सरला उस जगह के बारे में कभी नहीं जान पाई क्योंकि वो कभी गयी ही नहीं और रमा ने उस जगह के बारे में कबी नहीं बताया क्योंकि मैंने उस से हमेशा पूछा की चाचा ने उसे कहा चोदा , चाचा की अय्याशी बस कुवे तक ही सिमित रही .



“अपने ही हाथो से तूने मेरा हाथ कबीर के हाथ में देकर दुआ की थी मेरी नयी जिन्दगी के लिए और अपने ही हाथो से तू मेरे नसीब की लकीर मिटा देना चाहता था . क्यों ” निशा ने कहा

रुडा- मैं पीछा छुड़ाना चाहता था तुझसे. मुझ अलग की ये ही सही रहेगा क्योंकि कबीर जिस तरह से अपनी खोजबीन में लगा हुआ था मैं जानता था की देर सबेर ये अतीत का वो पन्ना तलाश लेगा जो खून से रंगे है .

निशा - तूने बहुत जवाब दिए बस इतना बता जब वो मरा तो उसने क्या कहा था .


रुडा- उसने तेरा नाम लिया था .
Nice update 👍
 

kamdev99008

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किस किस को डार्क साइड सागा की प्रीतम याद है ❤️
प्रीतम को कैसे भूल सकता हूँ :D
 

ASR

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Divine
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Awesome update, aaj writer sahab khatrnak mood me hai, ek ke bad ek jabardast update diye ja rhe hai,
नजर न लगे 😎... HalfbludPrince मुसाफिर अपडेट आते रहने चाहिए... इतने सारे रिश्तों में रिश्तों की एसी की तैसी की हुई है कि तू सी दे अलावा कोई इना नु सुलझा नहीं सकदा है जी 👀👀👀🔥🔥💓
 

@09vk

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#150



“क्या कहा था उसने मरने से पहले ”निशा ने चीखते हुए रुडा के सर पर लट्ठ मारा . चीखती रही वो मारती रही. बरसो से उसके मन में भरा दर्द आज क्रोध बन कर बह रहा था . मेरे सामने वो कत्ल कर रही थी पर मैंने उसे रोका नहीं, ये दर्द, ये गम बह जाना चाहिए था .निशा जब थमी तो मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया. कुवे पर आकर मैंने उसे खून साफ़ करने को कहा. मैंने अपने जख्म को देखा. ऐतिहत के लिए मैंने उस पर पट्टी बाँध ली. घर जाने को अब समय भी नहीं था . हम लोग वही पर सो गए.



“उठ भी जाओ , चाय लो ” निशा ने मुझे जगाते हुए कहा. मैंने कप लिया उसके हाथ से और बाहर कुवे की मुंडेर पर आकर बैठ गया . महावीर का कातिल, खंडहर के कमरों का रहस्य खुल गया था . पर अभी भी काफी सवाल बाकी थे. कहानी में रुडा का पक्ष जान लिया था अब बारी थी राय साहब के नकाब उतारने की. जब मैं जानता था की महावीर वो आदमखोर नहीं था तो फिर भैया-भाभी-अंजू ने क्यों जोर देकर कहा की महावीर ही था इस बात की पुष्टि करनी थी . अब किसी पर भी यकीन नहीं करना था ये साले सब एक दुसरे से जुड़े थे , सब झूठे थे.



“क्या सोच रहे हो ” निशा ने मेरे पास बैठते हुए कहा.

मैं- हमें शहर जाना होगा अंजू के घर .

निशा- वहां पर क्यों

मैं- अंजू के बारे में तुम कितना जानती हो. कल रात के बाद अब लगता है की उसकी सकशियत सिर्फ ये नहीं है की वो अमीर जमींदार की बेटी है . वो कुछ और भी है . राय साहब ने महावीर और अंजू को अपने संरक्षण में लिया तो क्यों लिया , आखिर क्यों चाहते थे वो की ये दोनों बच्चे बड़े हो जिए इस दुनिया में .

निशा- जहाँ भी चलना है चल पर अबसे मैं तुझे एक पल भी अकेला नहीं छोडूंगी

मैं-हाय मेरी जान

मैंने निशा को अपनी बाँहों में उठाया और कमरे में लेकर घुस गया .

घर पहुंचे तो भाभी आँगन में ही थी. हमें देख कर बोली- कहाँ थी जोड़ी रात भर .

मैं- कुवे पर थे . हमको ये घर कहाँ रास आता है .

भाभी- बता कर जाया करो जहाँ भी जाना हो .

मैं- नाहा कर आता हूँ

भाभी- निशा यहाँ आओ

भाभी निशा को लेकर अन्दर चली गयी . मैं जब नहा कर आया तो देखा की चाची, निशा और भाभी बाते कर रही थी ..

चाची- कबीर, वो मालूम कर न सरला क्यों नहीं आ रही . मैंने कल भी बुलावा भेजा था पर वो आई नहीं.

मैं-वो नहीं आएगी उसने काम करने से मना कर दिया . ब्याह वाले दिन जो हुआ उसके बाद डर गयी वो.

चाची- समझती हूँ . पर ये मंगू भी न जाने कहाँ गायब है न घर पे आया न यहाँ पे आया. कोई बताता भी नहीं किस काम गया है वो . पता नहीं क्यों ऐसा लगता है की सब कामचोर हो गए है .

मैं- आ जायेगा चाची, वैसे भी कई कई दिन वो गायब रहता है गया होगा यही कहीं, खैर, मैं मालूम करूँगा.

मैं- अंजू न दिख रही .

भाभी- वो तो कल ही शहर लौट गयी.

चोबारे में आईने के सामने खड़ा मैं कपडे बदल रहा था मेरे सीने में लटकता चांदी का लाकेट झूल रहा था .माहवीर का ये लाकेट कुछ तो कहना चाहता था मुझसे. अंजू के अनुसार उसने गोलिया मारी थी उसे. अक्सर हम उन चीजो से दूर भागते है जिनके लिए हमारे मन में पश्चाताप होता है , हम पश्चाताप की कोई निशानी नहीं रखते तो फिर क्या वजह थी जो अंजू इस लाकेट को पहनती थी जो हर पल उसे महावीर की याद दिलाता अपने किये कर्म की याद दिलाता. क्या कारण था फिर अंजू का ये लाकेट पहनने का.

क्या था ये लाकेट, क्या कहानी थी इसकी. इस लाकेट ने मुझे खंडहर के छिपे कमरे दिखाए थे क्या पता ये लाकेट कुछ ऐसा भी जानता हो जो छिपा हो.

“सच बड़ा अनोखा होता है , सच बड़ा घिनोना होता है ” रुडा के कहे शब्द मैंने सीने में उतरते महसूस किये. महावीर इसलिए मरा की वो कुछ जान गया था , सच पर कैसा सच किसका सच. मैंने कपडे पहने और तुरंत निचे आया और भाभी के पास गया सीधा- मैं भैया की गाडी चाहिए मुझे

भाभी- इसमें पूछने की क्या जरुरत .

मैं- आज तक उसे कभी हाथ नहीं लगाया न

भाभी- चाबी खूँटी पर होगी वैसे कहाँ जाने का सोचा है .

मैं- निशा को घुमा कर लाना चाहता हूँ

भाभी- एक मिनट रुको जरा

भाभी अन्दर गयी और नोटों की गड्डी लेकर आई.

मैं- इसकी जरुरत नहीं

भाभी- रख लो.

भाभी ने मेरे सर पर हलके से हाथ मारा और बोली- नई शुरुआत है जिन्दगी की रात को समय से लौट जाया करो.

मैंने निशा को इशारा किया और हम लोग गाँव से बाहर निकल गए.

निशा- कहाँ

मैं- वहां जहा बहुत पहले जाना चाहिए था .बंजारों के डेरे पर.

निशा- डेरा तो बरसो पहले तबाह हो गया.

मैं- तबाही के निशान ही तो देखने है सरकार. अभी भी कुछ ऐसा है जो छिपा है

निशा- तू छोड़ क्यों नहीं देता ये जिद, तू कहे तो हम यहाँ से दूर चले जाएँगे . एक छोटा सा घर कहीं और बसा लेंगे जहाँ कोई नहीं होगा. कोई अतीत नहीं , होगा तो बस आने वाला खूबसूरत कल.

मैं- यहाँ से कहाँ जायेंगे सरकार. इस मिटटी में जिए है इसी में मरेंगे . तेरे कहने से गाँव छोड़ दूंगा पर दिल से कैसे निकाल पाऊंगा इसको . किसान हूँ यहाँ की मिटटी को पसीने से सींचा है . जहाँ भी जायेंगे इस मिटटी की महक साथ रहेगी .

निशा-क्यों है तू ऐसा.

मैं- नियति जाने .


मैंने गाड़ी की रफ़्तार और तेज कर दी. जल्दी से जल्दी हम उस जगह पर जाना चाहते थे जहाँ डेरा होता था कभी और जब हम वहां पर पहुंचे तो .......................
Nice update
 

ASR

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“क्या कहा था उसने मरने से पहले ”निशा ने चीखते हुए रुडा के सर पर लट्ठ मारा . चीखती रही वो मारती रही. बरसो से उसके मन में भरा दर्द आज क्रोध बन कर बह रहा था . मेरे सामने वो कत्ल कर रही थी पर मैंने उसे रोका नहीं, ये दर्द, ये गम बह जाना चाहिए था .निशा जब थमी तो मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया. कुवे पर आकर मैंने उसे खून साफ़ करने को कहा. मैंने अपने जख्म को देखा. ऐतिहत के लिए मैंने उस पर पट्टी बाँध ली. घर जाने को अब समय भी नहीं था . हम लोग वही पर सो गए.



“उठ भी जाओ , चाय लो ” निशा ने मुझे जगाते हुए कहा. मैंने कप लिया उसके हाथ से और बाहर कुवे की मुंडेर पर आकर बैठ गया . महावीर का कातिल, खंडहर के कमरों का रहस्य खुल गया था . पर अभी भी काफी सवाल बाकी थे. कहानी में रुडा का पक्ष जान लिया था अब बारी थी राय साहब के नकाब उतारने की. जब मैं जानता था की महावीर वो आदमखोर नहीं था तो फिर भैया-भाभी-अंजू ने क्यों जोर देकर कहा की महावीर ही था इस बात की पुष्टि करनी थी . अब किसी पर भी यकीन नहीं करना था ये साले सब एक दुसरे से जुड़े थे , सब झूठे थे.



“क्या सोच रहे हो ” निशा ने मेरे पास बैठते हुए कहा.

मैं- हमें शहर जाना होगा अंजू के घर .

निशा- वहां पर क्यों

मैं- अंजू के बारे में तुम कितना जानती हो. कल रात के बाद अब लगता है की उसकी सकशियत सिर्फ ये नहीं है की वो अमीर जमींदार की बेटी है . वो कुछ और भी है . राय साहब ने महावीर और अंजू को अपने संरक्षण में लिया तो क्यों लिया , आखिर क्यों चाहते थे वो की ये दोनों बच्चे बड़े हो जिए इस दुनिया में .

निशा- जहाँ भी चलना है चल पर अबसे मैं तुझे एक पल भी अकेला नहीं छोडूंगी

मैं-हाय मेरी जान

मैंने निशा को अपनी बाँहों में उठाया और कमरे में लेकर घुस गया .

घर पहुंचे तो भाभी आँगन में ही थी. हमें देख कर बोली- कहाँ थी जोड़ी रात भर .

मैं- कुवे पर थे . हमको ये घर कहाँ रास आता है .

भाभी- बता कर जाया करो जहाँ भी जाना हो .

मैं- नाहा कर आता हूँ

भाभी- निशा यहाँ आओ

भाभी निशा को लेकर अन्दर चली गयी . मैं जब नहा कर आया तो देखा की चाची, निशा और भाभी बाते कर रही थी ..

चाची- कबीर, वो मालूम कर न सरला क्यों नहीं आ रही . मैंने कल भी बुलावा भेजा था पर वो आई नहीं.

मैं-वो नहीं आएगी उसने काम करने से मना कर दिया . ब्याह वाले दिन जो हुआ उसके बाद डर गयी वो.

चाची- समझती हूँ . पर ये मंगू भी न जाने कहाँ गायब है न घर पे आया न यहाँ पे आया. कोई बताता भी नहीं किस काम गया है वो . पता नहीं क्यों ऐसा लगता है की सब कामचोर हो गए है .

मैं- आ जायेगा चाची, वैसे भी कई कई दिन वो गायब रहता है गया होगा यही कहीं, खैर, मैं मालूम करूँगा.

मैं- अंजू न दिख रही .

भाभी- वो तो कल ही शहर लौट गयी.

चोबारे में आईने के सामने खड़ा मैं कपडे बदल रहा था मेरे सीने में लटकता चांदी का लाकेट झूल रहा था .माहवीर का ये लाकेट कुछ तो कहना चाहता था मुझसे. अंजू के अनुसार उसने गोलिया मारी थी उसे. अक्सर हम उन चीजो से दूर भागते है जिनके लिए हमारे मन में पश्चाताप होता है , हम पश्चाताप की कोई निशानी नहीं रखते तो फिर क्या वजह थी जो अंजू इस लाकेट को पहनती थी जो हर पल उसे महावीर की याद दिलाता अपने किये कर्म की याद दिलाता. क्या कारण था फिर अंजू का ये लाकेट पहनने का.

क्या था ये लाकेट, क्या कहानी थी इसकी. इस लाकेट ने मुझे खंडहर के छिपे कमरे दिखाए थे क्या पता ये लाकेट कुछ ऐसा भी जानता हो जो छिपा हो.

“सच बड़ा अनोखा होता है , सच बड़ा घिनोना होता है ” रुडा के कहे शब्द मैंने सीने में उतरते महसूस किये. महावीर इसलिए मरा की वो कुछ जान गया था , सच पर कैसा सच किसका सच. मैंने कपडे पहने और तुरंत निचे आया और भाभी के पास गया सीधा- मैं भैया की गाडी चाहिए मुझे

भाभी- इसमें पूछने की क्या जरुरत .

मैं- आज तक उसे कभी हाथ नहीं लगाया न

भाभी- चाबी खूँटी पर होगी वैसे कहाँ जाने का सोचा है .

मैं- निशा को घुमा कर लाना चाहता हूँ

भाभी- एक मिनट रुको जरा

भाभी अन्दर गयी और नोटों की गड्डी लेकर आई.

मैं- इसकी जरुरत नहीं

भाभी- रख लो.

भाभी ने मेरे सर पर हलके से हाथ मारा और बोली- नई शुरुआत है जिन्दगी की रात को समय से लौट जाया करो.

मैंने निशा को इशारा किया और हम लोग गाँव से बाहर निकल गए.

निशा- कहाँ

मैं- वहां जहा बहुत पहले जाना चाहिए था .बंजारों के डेरे पर.

निशा- डेरा तो बरसो पहले तबाह हो गया.

मैं- तबाही के निशान ही तो देखने है सरकार. अभी भी कुछ ऐसा है जो छिपा है

निशा- तू छोड़ क्यों नहीं देता ये जिद, तू कहे तो हम यहाँ से दूर चले जाएँगे . एक छोटा सा घर कहीं और बसा लेंगे जहाँ कोई नहीं होगा. कोई अतीत नहीं , होगा तो बस आने वाला खूबसूरत कल.

मैं- यहाँ से कहाँ जायेंगे सरकार. इस मिटटी में जिए है इसी में मरेंगे . तेरे कहने से गाँव छोड़ दूंगा पर दिल से कैसे निकाल पाऊंगा इसको . किसान हूँ यहाँ की मिटटी को पसीने से सींचा है . जहाँ भी जायेंगे इस मिटटी की महक साथ रहेगी .

निशा-क्यों है तू ऐसा.

मैं- नियति जाने .


मैंने गाड़ी की रफ़्तार और तेज कर दी. जल्दी से जल्दी हम उस जगह पर जाना चाहते थे जहाँ डेरा होता था कभी और जब हम वहां पर पहुंचे तो .......................
150 वी रहस्य रोमांचकारी किस्त बहुत बहुत मुबारक हों..... और रहस्य है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं 🤔🤔... मुसाफिर तू सी ग्रेट हो... 😍 कबीर निशा संग अब तो सभी पर्दे उठेंगे.. कई चेहरों से नकाब उतरेगा कई जो कि एक ही हम्माम मे नंगे थे अब बची खुची इजत भी उतर जाएगी.c..
देखते हैं कि बंजारों की बस्ती क्या गुल खिलती है 😍...
 
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