Dharmendra Kumar Patel
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आप की कहानी का रिप्लाई करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है
PAKISTAAAN SAAFवैसे दोनों में से आप किसे पाक-साफ मान रहे हो ..................
मुझे तो दोनों ही शातिर लगीं
ye bhi Xossip ki famous adhuri kahani thi........................Chachi tum kameeni mai Mah kameena
कबीर ने चाकू से किसे मारा था ?अब लगता है चाचा ही कोई राज खोलेगा।
भाभी- मैंने अंजू को किसी ऐसे के साथ देखा था जो कोई नहीं सोच सकता था .
मैं- महावीर , आपने उसके साथ देखा था न अंजू को आपतिजनक अवस्था में
मैं- रमा के पति के अलावा कोई और
भाभी- एक दो नौकर थे जिनको फूफा ने मरवा दिया था .
मैं- क्या इसी बात का बदला लेने के लिए रमा की बेटी के साथ ज्यादती हुई .
भाभी- मेरा खुद पर काबू है कबीर . और तेरा रक्त पीना पड़े वो दिन आएगा तो मैं उस से पहले ही मरना पसंद करुँगी.
“सच खूबसूरत होता है सच घिनोना होता है ” रुडा के शब्द मेरे मन में गूंजने लगे
हमारे घर तक भी बात पहुंचनी ही थी . जीवन में पहली बार मैंने चाची के चेहरे पर पीलापन देखा
ye sab kahn se jawab lage kisi pthak ko.........................रात को जब हम कुवे पर घात लगाये हुए थे हमने पायल की झंकार सुनी ..........................
जिसको चाची ने मारकर कुएँ पर दबाया थाकबीर ने चाकू से किसे मारा था ?
छोटे ठाकुर वापस आ गए हैं चंद्र प्रकाशकबीर ने चाकू से किसे मारा था ?
हमने तो सिर्फ मजाक में कहा था,छोटे ठाकुर वापस आ गए हैं चंद्र प्रकाश
Bohat Badhiya#154
कुछ चीजे साफ़ हो गयी थी . जंगल में जो भी क़त्ल हुए थे वो रक्त के लिए हुए थे कातिल जो भी रहा हो . पहले मैंने सोचा था की सोने की खान का राज खुल ना जाये पर सच तो ये था की रक्त की तृष्णा , रक्त चाहिए था चाचा की प्यास के लिए. खंडहर खामोश था कुछ लकडियो में जान बाकी थी जो चटक रही थी . एक बार फिर हम तहखाने में गए पर जैसा हमने छोड़ा था सब वैसा ही था .
मैं- हो न हो निशा सुनैना ने सोना खोजने की योजना को यही मूर्त रूप दिया होगा या फिर यही से उसने अपने टोने किये होंगे. और यही पर उसने सोने की कीमत चुकाई होगी.
निशा- कैसे मालूम हो की वो कीमत क्या थी .
मैं- वो कीमत श्राप थी . आदमखोर का श्राप . सोने की कीमत थी जिदंगी . अब ये श्राप किसका था क्यों था और ये सोना जो सुनैना ने चुराया, मेरी बात समझना चुराया उसका मालिक कौन था .
निशा- तुम किवंदितियो की बात कर रहे हो .
मैं- नहीं, मैं कहानी के उस पन्ने को तलाश रहा हूँ जो छिपा है . कहानी निशा, पुराने समय में मानो किसी ने भी ये सोना यहाँ पर छुपाया होगा. हो सकता है ये किसी लूट का हिस्सा हो. कोई भी रहा हो उसने अगर ये सोना छिपाया तो उसने कोई इंतजाम भी किया होगा उसकी सुरक्षा का .
निशा- कोई टोटका
मैं- ऐसा ही समझ लो और जब सोना सुनैना ने उठाया तो उसकी सुरक्षा जाग्रत हुई होगी.
निशा-कैसे मालुम हो ये सुनैना से जुड़ा कोई भी तो नहीं
मैं- है कोई ,
निशा- राय साहब
मैं- उसके आलावा भी कोई एक .
निशा- तो फिर देर किस बात की
मैं- अब कोई देर नहीं . अब तक इन लोगो ने हमसे खेला है अब हम खेलेंगे .
घर आने के बाद निशा भाभी के पास गयी . मैंने मौका देख कर चाची को पकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगा.
चाची- बहु आ गयी अब भी चाची ही चाहिए तुझे
मैं- तेरे जैसी कहाँ है वो मेरी जान . आज रात को आऊंगा तेरे पास
चाची- पागल है क्या निशा जाग गयी तो .
मैं- नहीं जागेगी पर तेरी जरुर लूँगा.
मैंने चाची की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया . चाची कसमसाने लगी .
चाची अभी जा तू
मैं- नहीं रहने दे तेरे पास
चाची- तेरे पास ही तो हूँ , पर तुझे सब्र रखना होगा कभी मौका हुआ तो मना नहीं करुँगी.
तभी कुछ आहट हुई तो हम अलग हो गए. भाभी थी .
भाभी- पूरा दिन ही घूमते रहे आज
मैं- बस यूँ ही
भाभी- हाँ ठीक है न . ये ही तो दिन है
मैंने भाभी को साइड में आने का इशारा किया
भाभी- अरे कबीर, ऊपर से कुछ सामान लाना है जरा आओ
हम दोनों चोबारे की तरफ चल दिए.
भाभी- क्या बात है .
मैं- आपने एक बार कहा था की अंजू परिवार की सबसे बिगडैल लड़की है .
भाभी- अब क्यों पूछना है तुमको
मैं- आपने ऐसा क्यों कहा था .
भाभी- मैंने अंजू को किसी ऐसे के साथ देखा था जो कोई नहीं सोच सकता था .
मैं- महावीर , आपने उसके साथ देखा था न अंजू को आपतिजनक अवस्था में
भाभी- नहीं ,
मैं- तो फिर कौन
भाभी- रमा का पति . कैसे क्यों ये मैं नहीं जानती पर मैने दोनों को देखा था . अंजू को कच्ची उम्र से ही ये चस्का लग गया था पर जैसे जैसे उसको समझ आई अब वो बदल गयी है.
मैं- पक्का बदल गयी है न
भाभी- देख वो सदा से स्वछन्द रही है उसके साथ हुए हादसे के बाद तो वो बहुत बदली है
मैं- रमा के पति के अलावा कोई और
भाभी- एक दो नौकर थे जिनको फूफा ने मरवा दिया था .
मैं- क्या इसी बात का बदला लेने के लिए रमा की बेटी के साथ ज्यादती हुई .
भाभी- मैं नहीं जानती उस बारे में .
मैं- ब्याह वाली रात मैंने असली आदमखोर की गंध महसूस की थी टेंट में . अगर वो आप नहीं थी तो फिर कौन था .
भाभी- नहीं जानती मैंने बताया तो था
मैं- एक बार मुझे आपको उस रूप में देखना है
भाभी- तुझे मेरी बात का यकीन नहीं
मैं- मैंने आज तक खूबसूरत आदमखोर नहीं देखा .
भाभी- उस रूप में आई तो मुझे रक्त की तलब होगी तुंरत
मैंने अपनी कलाई आगे की .
भाभी- नहीं मानेगा
मैंने ना में गर्दन हिलाई . भाभी दो कदम रख कर कमरे में थोड़ी सी अन्दर हुई और पलक झपकते ही मेरे सामने वो सच था . मैंने अपनी कलाई भाभी के नुकीले दांतों पर लगाई पर अगले ही पल मेरे सामने फिर से नंदिनी खड़ी थी
भाभी- मेरा खुद पर काबू है कबीर . और तेरा रक्त पीना पड़े वो दिन आएगा तो मैं उस से पहले ही मरना पसंद करुँगी.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरा .
“सच खूबसूरत होता है सच घिनोना होता है ” रुडा के शब्द मेरे मन में गूंजने लगे. एक संक्रमण ने भाभी के अस्तित्व को बदल कर रख दिया था . मैं इतना तो समझ गया था की महावीर इस बीमारी को बाहर से नहीं लाया था . कुछ भी करके मुझे सुनैना का इतिहास जानना था और उसके लिए अब मुझे अपने मोहरे का इस्तेमाल करना था . अगले दिन गाँव भर मे ये चर्चा फ़ैल गयी की छोटे ठाकुर लौट आये है . उनको इलाके में देखा गया. अफवाह में बड़ी शक्ति होती है . हमारे घर तक भी बात पहुंचनी ही थी . जीवन में पहली बार मैंने चाची के चेहरे पर पीलापन देखा , चिंता की लकीरे देखि . पूरा दिन उधेड़बुन में बीता और रात को जब हम कुवे पर घात लगाये हुए थे हमने पायल की झंकार सुनी ..........................