फौजी भाई मंगू, रूड़ा, विशंभर इन सबको ऐसे छुपछुपकर कबीर मार रहा है........ इससे कोई फाइदा होगा कबीर को
ना कबीर का प्रभाव बढ़ेगा, ना इन चूतियों का खौफ़ घटेगा-बल्कि और भी ज्यादा बढ़ जाएगा गायब होने के बाद, और ना ही कोई दूसरा इनका हिमायती डरेगा
कबीर मंगु को मारकर अब उसके घरवालों को भी उसके बारे में बताने से भी डर रहा है........ उसे सबके सामने लाता तो आज रमा और बिशंभर ऐसे दहाड़ नहीं रहे होते............ गलत कबीर नहीं मंगू था........ सरला को बिना कुछ किए छोड़ दिया, उसे गाँव के सामने मंगु के खिलाफ ढिंढोरा पिटवाकर छोडना था
रूड़ा को भी लोगों के सामने लाना था कि वो क्यों मारा गया, कबीर खुद घायल था रूड़ा के हथियार से......सबके सामने सच आ जाता कि कबीर को मारने की कोशिश मे रूड़ा मारा गया............. लेकिन यहाँ तो रूड़ा के बेटे-बेटी तक को नहीं पता कि उसका क्या हुआ
लाली को विशंभर ने सरेआम गाँव के चबूतरे पर पेड़ से लटकाकर फांसी लगाई थी, लेकिन कबीर ने विशंभर को जंगल के एक खंडहर में चुपके से मार दिया...... बिशंभर ने चम्पा के मंडप में लाशें बिछा दीं, जिनके हत्यारे का किसी को पता नहीं, लोगों में खौफ था, लेकिन कबीर चूतिया ने उसे मारकर उस खंडहर को भी मलबे में बदलकर सबकुछ छुपा दियाा.........अब किसको मालूम पड़ा कि इतने लोगों का हत्यारा बिशंभर था और वो मारा भी गया है ........
अब अभिमानु ने भी घर में कत्लेआम मचा दिया और शायद इन्ही सब कि तरह चुपके से खान में मारा जाना है
इतना बड़ा एटम बॉम्ब का खोखला बनाकर उसके अंदर सुतली बॉम्ब रखकर चला रहे हो फौजी भाई.............. इस स्टोरी की क्यों फजीहत करा रहे हो
अपनी मेहनत की आपकी नज़र में अगर कोई कीमत नहीं तो पाठकों की नज़र में आपकी जो कीमत है, उसका ही मान रख लो कुछ
और इस कहानी का अंत कुछ ऐसा रखो कि कबीर अगर चतुर ना दिखे तो कम से कम महाचूतिया भी ना दिखे जैसा कि वो पूरी कहानी में दिखता रहा है
और कबीर को ये नए नए राज कहाँ, कब, कैसे और किससे पता चले अगर ये भी बताते जाओ तो पाठकों को भी समझ आ जाएगा कि कबीर ने सारी बातें सपने देखकर नहीं जानी ....... कोशिश करके समझा है