Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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चाची तो शुरू से ही संदिग्ध रही है मेरे खयाल में, मैने ही सबसे पहले चाची को underdog बोला था यहां पर।नही दोस्त, समझो, फौजी भाई चाहते थे की सारे रीडर्स अभिमानु को कातिल समझे ताकि फिर से twist लाकर दिमाग को खोद कर रख दे
अब अगर अभिमानु नहीं है तो सिर्फ और सिर्फ चाची बची, वो इस कहानी का सबसे underdog किरदार है जो शुरू से ही भोली भाली बनी हुई है।
अब कहानी में इतने किरदार नही है की ज्यादा सस्पेंस create किया जा सके ना ही इतनी थ्योरी है की guess कर पाना मुश्किल है।
नंदिनी अगर इतनी आराम से मरी है तो इसका कारण सिर्फ ये है की या तो अभिमानु ने मारा है या चाची ने क्योंकि नंदिनी आदमखोर थी, उसे ज्यादा दर्द होता तो उसका आदमखोर तुरंत निकल कर आ जाता जैसे कबीर का आ गया था राय साहब से लड़ते वक्त
और जैसा की फौजी भाई ने कहा की वो चीख ना तो सरला की है न ही चाची की तो सिर्फ 2 ही बचे, या तो अभिमानु मरने वाला है या फिर अंजू,
chances अंजू के ज्यादा लग रहे क्योंकि सोना की चाहत है सबको जिसका रास्ता शायद अंजू से होकर जाता होगा।
चंपा शायद इस लिए मारी गई होगी की उसने धमकी दी होगी की और कबीर के साथ दगा नही करेगी, तो उसका काम खत्म हो गया होगा कहानी में
रही बात निशा की तो सिर्फ का लक्ष्य यदि कबीर की हत्या करना होता तो वो कब का कर चुकी होती, उसके पास ना जाने कितने ही मौके थे, वो जब चाहती तब कबीर को मार देती
निशा ने कहा है की वो फिर से डाकन नही बनेगी तो डाकन नही बनेगी क्योंकि शुरू से लेकर अंत तक बस एक निशा ही जिसके वजह से आज कबीर अपने अतीत के इतना करीब पहुंच पाया है।
सुरजभान के में इतना दम ही नही है भाई की वो आदमखोर का सामना कर सके, सूरजभान कबीर का मुकाबला नही कर सकता था जब कबीर घायल था तो नंदिनी से कैसे करता।
इस कहानी में 2 जगह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी खंडहर और कुआं,
खंडहर नष्ट हो गया,अब बचा कुआं
फोटो में राय साहब के साथ कौन औरत थी उसका जवाब इसलिए अभी देने का वक्त नहीं आया है क्युकी राय साहब के साथ चाची थी, और अगर अभी ये राज सामने आ गया तो suspence खत्म हो जायेगा
बाकी तो सारी फौजी भाई की माया है,
उम्मीद है आज अपडेट और भी आएगा
Aurat Mangal Sutra widwa banne par bhi todti haiचाची तो शुरू से ही संदिग्ध रही है मेरे खयाल में, मैने ही सबसे पहले चाची को underdog बोला था यहां पर।
कन्फ्यूजन बस वही है कि भाभी ने अपना मंगलसूत्र क्यो तोड़ा, जबकि एक सुहागिन उसे 1ही सूरत में तोड़ती है
जब उसके पति ने कुछ ऐसा किया हो जो उसे सबसे बड़ा धोखा लगे।
वैसे भी फौजी भाई ने सच कब बोला है??
और अंजू पर शक सबसे ज्यादा इसीलिए है कि इसे पता है की चांदी के चाकू से आदमखोर को मारा जा सकता है, और पूरी।कहानी में बस वही बोलती है कि चांदी चित को शांत करती है।
Sahi kaha fauji bhaiमित्रों, अभी लेखक है यहां पर आपके सवालों का जवाब देने के लिए इस बात को याद रखिए बाकी सब मोह माया है
Fauji bhai lekhak ho or story dhamdhar na ho,ho hi nahi sakta.hamare fauji bhai best haiबहुत ही दमदार कहानी
Matlab abhi aur rakta behna baki hai, abhi to kuwa rakta se bhara he ,yaha pura taalab bharna baki hai#159
एक कहानी का अंत हो गया था जिसमे राय साहब थे रमा थी और उनकी हवस थी . सोने को या तो उसका वारिस ही ले सकता था . वारिस के अलावा जो भी उसे लेगा दुर्भाग्य जकड लेगा उसे अपने पाश में . राय साहब ने श्राप चुना . आदमखोर बन कर वो रक्त से सींच कर उस सोने का उपयोग करते रहे. इसी सोने के लिए उन्होंने रुडा से दोस्ती तोड़ी. चाचा ने जब सोना इस्तेमाल किया तो वो भी बर्बाद हो गए. रमा वैसे तो बर्बाद ही थी पर राय साहब के संरक्षण की वजह से सुरक्षित रही . मंगू खान में गया और मारा गया. परकाश मारा गया . अब मुझे भी कुछ राज मरते दम तक सीने में दफ़न करके रखने थे.
“निशा, ” कुवे पर जाकर मैंने उसे पुकारा पर कोई जवाब नहीं आया .
मैंने फिर पुकारा बार बार पुकारा पर कोई जवाब नहीं मिला . दिल किसी अनहोनी की आशंका से धडक उठा . अगर वो यहाँ नहीं तो फिर कहा. क्यों मैंने उसे अकेला छोड़ा क्यों. बदहवासी में मैं घर पहुंचा तो गली
सुनसान पड़ी थी . हमेशा की तरह घर का गेट खुला पड़ा था . घर में अँधेरा था मैंने बत्तिया जलाई . सब शांत था . मेरी धड़कने बढ़ी थी .
“चाची, भाभी , निशा ” मैंने आवाज लगाई पर कोई जवाब नहीं आया . ऐसा बार बार हुआ . घर पर कोई भी नहीं था . कहाँ गए सब लोग मैंने खुद से सवाल किया. मैं सीढिया चढ़ते हुए भाभी के चोबारे की तरफ गया और दरवाजे पर ही मेरे कम ठिठक गए. कमरे का नजारा देख कर मेरा कलेजा मुह को आ गया . अन्दर चंपा की लाश पड़ी थी . रक्त की धारा मैं जंगल में बहा कर आया था , रक्त की धारा मेरे साथ घर तक आ गयी थी . मैंने हाथ लगा कर देखा बदन में गर्मी थी, मतलब ज्यादा समय नहीं हुआ था चंपा को मरे हुए.
“कोई है क्या ” जोर ही चिल्लाया मैं .
“कबीर ” एक घुटी सी आवाज मेरे कानो में पड़ी . ये आवाज रसोई की तरफ से आई थी . मैं वहां गया तो मेरा दिल ही टूट गया . आँखों से आंसू बह चले , कभी सोचा नहीं था की ये देखूंगा मैं . रसोई के फर्श पर भाभी पड़ी थी . बहुत हलके से आँखे खुली थी उनकी. हलके से गर्दन हिला कर उन्होंने मुझे पास बुलाया. दौड़ते हुए मैं लिपट गया भाभी से .
मै- कैसे हुआ ये किसने किया भाभी ये सब . मैं आ गया हूँ कुछ नहीं होगा आपको कुछ नहीं होगा. मैं इलाज के लिए अभी ले चलूँगा आपको . मैंने भाभी को उठाया पर उन्होंने कस कर मेरा हाथ थाम लिया.
भाभी- देर हो गयी है कबीर . वो ले गए उसे .
मैं- कौन भाभी
भाभी- नहीं बचा पाई उसे, धोखा हुआ .देर हो गयी कबीर
मैं- कुछ देर नहीं हुई भाभी मैं आ गया हूँ सब ठीक कर दूंगा
भाभी- निशा को ले गए वो .
भाभी के शब्दों ने मेरे डर को हकीकत में बदल दिया .
मैं- कौन थे वो भाभी
भाभी ने अपने कांपते हाथो से अपने गले में पड़े मंगलसूत्र को तोडा और मुझे दे दिया. मैंने अपनी आँखे मींच ली भाभी ने हिचकी ली और मेरी बाँहों में दम तोड़ दिया. कयामत ही गुजर गयी थी मुझ पर . प्रेम वफ़ा, रिश्ते-नाते सब कुछ बेमानी थे इस परिवार के आगे. मैंने कदम घर से आगे बढाए मैं जानता था की मंजिल कहाँ पर होगी. लाशो के बोझ से मेरे कदम बोझिल जरुर थे पर डगमगा नहीं रहे थे . निशा और भाभी पर हुआ ये वार मेरे दिल में इतनी आग भर गया था की अगर मैं दुनिया भी जला देता तो गम नहीं था.
मैं सोने की खान में पहुंचा मशालो की रौशनी में चमकती उस आभा से मुझे कितनी नफरत थी ये बस मैं ही जानता था . मैंने रक्त से सनी निशा को देखा को तडप रही थी , लटके हुए . उसके बदन से टपकता लहू निचे एक सरोखे में इकट्ठा हो रहा था .
“कबीर ” बोझिल आँखों से मुझे देखते हुए वो बस इतना ही बोली
मैं- कुछ मत बोल मेरी सरकार . मैं आ गया हूँ जिसने भी ये किया है मुझे कसम है तेरे बदन से गिरी एक एक बूंद की, सूद समेत हिसाब लूँगा.
मैं निशा के पास गया और उसे कैद से आजाद किया . अपनी बाँहों में जो लिया उसे दुनिया भर का करार आ गया मुझे .
“सब कुछ योजना के मुताबिक ही हुआ था कबीर , मैंने अंजू को धर भी लिया था पर फिर किसी ने मुझ पर वार किया और होश आया तो मैं यहाँ पर कैद में थी ” निशा बोली
मैं- कुछ मत बोल मेरी जान . मैं आ गया हूँ न सबका हिसाब हो गा . भाभी और चंपा को भी मार दिया गया है . चाची न जाने कहाँ है . और मैं जान गया हूँ की अंजू के साथ इस काण्ड में कौन शामिल है .
निशा- अभिमानु
मैं- हाँ निशा वो अभिमानु जिसकी मिसाले दी जाती है . भाभी को मार कर जो पाप किया है मैंने बरसो पहले अपनी माँ को खोया था आज फिर से मैंने अपनी माँ को खोया है मुझे कसम है निशा रहम नहीं होगा . तुझे छूने की हिम्मत कैसे हुई उनकी .
मैं निशा को वहां से बाहर लेकर गया . कुवे के कमरे में रखी मरहम पट्टी से उसके जख्मो को थोडा बहुत ढका. आसमान में तारो को देखते हुए मैं सोच रहा था की ये रात साली आती ही नहीं तो ठीक रहता पर जैसा मैंने पहले कहा आज की रात क़यामत की रात थी , मैं निशा के जख्मो को देख ही रहा था की एक चीख ने मेरी आत्मा को हिला दिया .