Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वैसे फौजी भाई, एक शिकायत रहेगी।
आपने कहा था कि अंत में बस चंपा ही बचेगी, फिर उसको क्यों मरवा दिया? कम से कम कहानी का क्लोजर देने के लिए किसी को तो जिंदा छोड़ दो, जो खुद का गुनाह कबूल करके प्रश्चित कर सके, कबीर की अच्छाइयों का किसी पर तो फर्क पड़ने देते।
आपने कहा था कि अंत में बस चंपा ही बचेगी, फिर उसको क्यों मरवा दिया? कम से कम कहानी का क्लोजर देने के लिए किसी को तो जिंदा छोड़ दो, जो खुद का गुनाह कबूल करके प्रश्चित कर सके, कबीर की अच्छाइयों का किसी पर तो फर्क पड़ने देते।