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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

@09vk

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#161

धीमे कदमो से चलते हुए वो मेरे पास आई .

मैं- क्यों

“क्या करे , तुम हो की मानते ही नहीं . कितने इशारे दिए तुमको की मत पड़ो इस चक्कर में जितना तुमको दूर करने का प्रयास किया उतना ही तुम्हे जूनून चढ़ा सच जानने का वो सच जिसे ज़माने से छिपाते हुए मैं आज तक आई थी . वो सच जिसने मुझे भी भुला दिया था की मैं कौन हूँ तुमने बेचैन कर दिया मुझे. आज खंडहर को नष्ट करके तुमने मजबूर कर दिया मुझे ये सब करने को सच कहूँ तो कबीर मेरा जरा भी मन नहीं था तुम्हे यु मारने का पर क्या करू ” चाची ने मुझसे कहा और अंजू के पास पहुँच गयी .

चाची- और तू मुर्ख लड़की , अच्छी भली जिन्दगी चल रही थी न तेरी तुझे क्या जरुरत थी इन विरानो में भटकने की , इस जवानी को तूने जाया किया किसी का बिस्तर गर्म करती पर नहीं तुझे भी तेरी माँ की तरह चुल लगी है. तुम लोगो ने जंगल को पता नहीं क्या समझ रखा है . मुह उठा कर जब देखो चले आते हो दिन हो या रात . ये नहीं सोचते की दुनिया में और भी लोग है जिनको शांति चाहिए . हर जगह तुम बस घुसते ही चले आ रहे हो . और लोग जाये तो कहाँ जाये. इन विरानो को तुमने अपनी अय्याशियों को अड्डा ही बना लिया .

खंडहर की शांति पहले तू तुम्हारे माँ बापों ने भंग की फिर तुम लोग खड़े हो गए. करे तो क्या करे .

चाची ने हाथ पकड कर अंजू को उठाया और अपने लबो को अंजू के लबो पर रख दिए. एक जोरदार चुम्बन लेने के बाद चाची ने अंजू को छोड़ा और बोली-एक बातबताओ , खंडहर के सच को जान कर क्या करोगे तुम .

मैं क्या कहता भाले ने मेरी शक्ति कम कर दी थी .

अंजू- मैं सोने के मालिक को देखना चाहती थी . मैं देखना चाहती थी उस आग को जिसने सब कुछ झुलसा दिया .

चाची- झूठ मत बोल . तेरे मन को पढ़ रही हूँ मैं . तुझे लालच था सोने से ज्यादा पाने का पर तू ये नहीं जानती की तू क्या पाना चाहती थी . और तू कबीर रिश्तो का बोझ इतना भी ना उठाना चाहिए की रिश्ते बोझ बन जाये . परिवार को थाम कर रखने की हसरत ने तुझे इतना झुका दिया की फिर तू कुछ भी देख नहीं पाया कुछ भी समझ नहीं पाया. कितने इशारे दिए तुझे की शांति से रह ले जी अपनी जिन्दगी पर तू नहीं माना तुझ को भी वही बिमारी की खंडहर का सच क्या है , ले देख ले खंडहर का सच क्या है . मैं हूँ खंडहर का सच , मैं हूँ वो जो तुम सब के सामने तो था पर कोई देख नहीं पाया . मैं हूँ सोने की मालिक , नहीं ये ठीक नहीं होगा मैं हूँ सोने की कैदी जिसने तुम्हारे माँ-बापों के चुतियापे की वजह से अपनी कैद से मुक्ति पाई. लालच इंसानी फितरत का गुण . एकांत बरसो से आदत थी उस एकांत की . कभी सोचा नहीं था की कैद से आजादी मिलेगी पर फिर तीन दोस्त उस खंडहर में आने लगे. जोश से भरे . घंटो फिर दिन रात वही पर डेरा डाले रहते वो लोग. उनकी दखलंदाजी खास पसंद नहीं थी पर फिर सुनैना ने उस चीज को पहचान लिया जो छिपी थी सोना. लालच ने आकर्षित कर लिया उनको . सुनैना जान गयी की वहां पर कोई चौथा भी है . उसे जूनून था किवंदिती को सच करने का . मुझे आजादी चाहिए थी . हमने एक सौदा किया सारा सोना उसका और बदले में मैं यहाँ से आजाद हो जाउंगी. उसने हाँ भर ली मैंने कायदे से सब कुछ उसे सौंप दिया पर जब शर्त उसके सामने आई तो उसके कदम डगमगा गए. इंसानों की थूक कर चाटने की आदत जो ठहरी. पर वो अकेली नहीं थी उसके साथ था बिशम्भर जो सोने के लिए कुछ भी करने को तैयार था मैंने उसे लालच दिया उसने लालच लिया . आदमखोर मेरी कैद का प्रथम रक्षक था जो छिपा हुआ था बरसो से जंगल में पर बिशम्भर ने उसका शिकार किया पर बदले में उसे क्या मिला वो खुद संक्रमित हो गया . और फिर सिलसिला शुरू हुआ . महावीर ने मेरा सच जान लिया था . वो उत्सुक था वो जानता था की एक आदमखोर ही मेरा सामना कर सकता था सुनैना के लाकेट ने उसे राह दिखाए महावीर ने सब जानते हुए भी मेरा आह्वान किया पर वो नहीं जानता था की मेरा असली रूप क्या है . वो ये नहीं जानता था की मैं आजाद थी . पर संगती का असर , रमा को चुदते देख उसके मन में भी हिलोरे जाग गयी . उसने रेणुका पर नजर डाली पर वो ये नहीं जानता था की रेणुका तो रेणुका है ही नहीं वो मैं थी जिसने रेणुका का रूप ले लिया था . रेणुका को तो एक रात नशे में चूर रमा के पति ने ही मार दिया था . खैर मैं गलत नहीं मानती उस बात को , जब छोटा ठाकुर रमा को चोद सकता था तो रमा का पति क्यों नही चोद सकता था ठाकुर की पत्नी को .

ये मेरे लिए और एक नया खुलासा था , मेरे सामने रेणुका चाची की जगह जो थी वो रेणुका थी ही नहीं .

“कौन , कौन हो फिर तू ” मैंने बड़ी मुशकिल से कहा.


चाची- मैं ही तो हूँ वो जिसका जिक्र तुम मुझसे ही किया करते थे कबीर . मैं ही हूँ इस जंगल का सच मैं , मैं हूँ वो जिसका जिक्र कोई नहीं करता मैं हूँ जंगल की रानी. मैं हूँ वो जो तुझे चाहने लगी थी .मैं हूँ वो जो रोएगी तेरे जाने के बाद.
Nice update 👍
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मैने फौजी भाई के एक एडवांटेज लेने की बात की थी, वो एडवांटेज था "भाले का सीने के दाहिनी तरफ होना", जबकि इस कहानी में सबका अंत दिल पर वार करने से होता है।
 

Rekha rani

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Superb kahani ka superb ant,
Bas do bate adhuri rah gyi, jab bhi champa ka jikr hua to ye kha gya uska kahani me aham kirdar rhega, aur kabir usse sab raj bahar nikalega,
Dusra siyar climax me nhi aaya
 

vickyrock

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#162



“जिस डायन की कहानियो से आज भी गाँव के लोग खौफ खाते है मैं हूँ वो डायन ” चाची ने इतना कहा और खीच कर एक थप्पड़ अंजू को मारा जिसका चेहरा अँधेरे में भी डर से सुर्ख हो चला था .

चाची- और तुजे क्या लगा , तू हरामजादी तेरा एक लंड से मन भर ही नहीं रहा था तू कुतिया अलग ही किस्म की रांड तूने घोर पाप किया , अभिमानु और नंदिनी से धोखा किया . जिनके आंचल में खेल कर तू बड़ी हुई तूने उनको ही मौत दी . तेरे जैसी के कारण आगे से ज़माने में बहन-बेटियों पर विश्वास नहीं करेंगे लोग.

चाची ने अंजू को पीटना शुरू किया . मैं बापने होश संभालने की कोशिश कर रहा था . मैंने भाले को कस कर पकड़ा और उसे अपने बदन से अलग करने की कोशिश करने लगा. मेरे अपने ही घर में डायन रहती थी ये बात कोई भी नहीं समझ पाया था .

“छोड़ दो अंजू को ” मैंने कराहते हुए कहा

चाची- वाह रे इन्सान तेरी फितरत न्यारी, तू अभ्भी इसे छोड़ने की गुहार लगा रहा था . इस से पूछ तो ले की इसने नंदिनी को क्यों मारा , उस नंदिनी को जिसका दर्जा सबसे ऊपर था तेरे लिए. मैं बताती हूँ तुझे. नंदिनी और अभिमानु ने आदमखोर का तोड़ तलाश लिया था , जो संक्रमण महावीर की वजह से नंदिनी को लगा था उस से निजात पा सकती थी वो अंजू को ये बात बता चल गयी ये उस से वो तोड़ चाहती थी ताकि अपने असली यार को ठीक कर सके , और कौन था इसका यार तेरा चाचा , बड़ी आसानी से इसने सबलोगो का चुतिया काट दिया . जब ये रंगे हाथ चुदते हुए पकड़ी गयी तो इसने बलात्कार वाली कहानी गढ़ ली. इसकी वजह से ही रेणुका ने झगडा किया और उन्माद में जरनैल ने उसे मार दिया. रमा की बेटी को भी इसकी वजह से ही मरना पड़ा क्योंकि उसने इसकी चुदाई देख ली थी . अपने आप का दामन साफ़ रखने के लिए जरनैल और इसने उस फूल को कुचल दिया . तब मैंने उसे उसके किये की सजा दी पर नहीं जानती थी की वो कमबख्त संक्रमित था . बिशम्भर ने संभाल लिया उसे. छिपा लिया . ये हरामजादी इसने ही अभिमानु और नंदिनी को भड़काया , अभिमानु नंदिनी के संक्रमित होने से भड़का हुआ था , मौका देख कर इसने अपने ही भाई को मार दिया क्योंकि उसने इसे खंडहर का राज बताने से मना कर दिया वो जानता था की ये नीच किस्म की है . पर आज इसका किस्सा भी खत्म हो जायेगा.

चाची ने एक झटके से अंजू के सीने में अपना हाथ डाल दिया और उसका दिल बाहर निकाल लिया . खून से लतपथ ह्रदय चाची के हाथ में तड़पने लगा. ऐसी क्रूरता मैंने पहले कभी नहीं देखि थी . फिर वो चलते हुए मेरे पास आई.

चाची- तू सबसे सरल था सबसे अनोखा , मैं हैरान थी कितना मान किया तूने अपनी चाची का , उस से सम्बन्ध भी बनाये तो मान के साथ . पर कबीर तुझे क्या पंचायत थी , खंडहर का सच जान गया था तू . तूने उसे ही नष्ट कर दिया. खंडहर के नष्ट होते ही मैं समझ गयी थी , बेशक तेरे परिवार के चुतियापने की वजह से मैं उस कैद से आजाद हो सकी पर मेरी भी अपनी सीमाए है , मेरी शक्ति का केंद्र ही वो खंडहर था . मैं कमजोर हो गयी हूँ , मेरे अस्तित्व पर संकट आ गया है एक ही रास्ता है जो मुझे बचा सकता है तेरा रक्त पान . ये दुनिया बड़ी मादरचोद है कबीर और मैं भी इस दुनिया का ही हिस्सा हूँ . अपने अस्तित्व के लिए मुझे ये काम करना ही होगा .

चाची ने अपने होंठ मेरे टपकते गर्म लहू से लगाये ही थे की ....





“कबीर , ” ये निशा की चीख थी जो वहां आ पहुंची थी .

चाची - बढ़िया, तू भी आ गयी . किस्मत वाली है तू जो जोड़े से मरोगे . बरसो तक तुम्हारे किस्से सुनाये जायेंगे . मैं सोच ही रही थी की तुम कहाँ रह गयी बहुरानी . थोडा सा इंतज़ार कर पहले मैं तेरे खसम को मार दू फिर तुझे भी आजादी दूंगी .

निशा- अगर मेरे कबीर को कुछ भी हुआ न तो मेरा वादा है तुझसे वो करुँगी जो तूने सोचा भी नहीं होगा. तू जो भी है जैसी भी है मुझे परवाह नहीं, कबीर मेरी वो ख़ुशी है जो किस्मत वालो को मिलती है और मुझसे मेरी ख़ुशी कोई भी छीन ले ये मैं हरगिज नहीं होने दूंगी.

चाची- अच्छा ये बात है तो फिर बचा ले इसे हम भी देखे इसक का जोर

निशा- काश तू समझ पाती ,

निशा ने एक पत्थर उठा कर चाची की तरफ फेंका जो सीधा उसके सर पर जाकर लगा. सर फूट गया खून बहने लगा. चाची ने अपनी ऊँगली खून से सानी और उसे होंठो से लगा लिया. बिजली की रफ़्तार से वो निशा के पास पहुंची और उसे एक लात मारी . निशा दूर जाकर गिरी. मैं तडप उठा. चाची एक बार फिर निशा के पास पहुंची और फिर से मारा उस को. मेरे लिए निशा पर वार सहना बर्दाश्त के बाहर था . मैंने अपनी हिम्मत समेटी और भाले को बहार करने की कोशिश करने लगा . पर वो पीछे सरक नहीं रहा था . दूसरी तरफ निशा एक डायन से टक्कर ले रही थी . मैंने तब दूसरा विचार किया बची कुची शक्ति लगाकर मैंने मैंने भाले को आगे की तरफ खींचना शुरू किया और मुझे कामयाबी भी मिली. असीम दर्द के बावजूद मैंने भाले को खींच फेंका. धरती पर गिरते ही मैंने फेफड़ो में ताज़ी हवा को महसूस किया

मैं- बस डायन बस. बहुत हुआ .

डायन ने मुझे देखा और निशा को छोड़ दिया.

डायन- अब आएगा मजा

वो मेरी तरफ लपकी और मैंने उसकी भुजाओ को थाम लिया. चांदी का असर कम होते ही मेरा ताप बढ़ने लगा . मैंने डायन के पेट में घुटना मारा और उसके झुकते ही अपनी कोहनी उसकी पीठ में दे मारी. पर तुरंत ही वो संभली और मेरे सीने पर वार किया उसने . उसके अगले वार को मैंने हवा में ही रोका और उसे एक पेड़ के तने पर दे मारा. डायन को जोर से अलग था ये वार उसने चिंघाड़ मारी और उसका रूप बदलने लगा.

कयामत क्या होती है मैंने उस पल देखि थी , अँधेरी रात में डायन का असली रूप मेरी आँखों के सामने थे . दमकते स्वर्ण की आभा लिए डायन वैसी तो बिलकुल नहीं थी जैसा हम सुनते आये थे पर क्रूरता उस से कही जायदा था . आँखों में उन्माद लिए वो मेरी तरफ बढ़ी पर मैंने उसे पकड लिया. इस बार मेरी पकड़ को अन्दर तक उसने महसूस किया और मैंने प्रहार किया उस पर डायन अन्दर तक तडप कर रह गयी . उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा .पर मैंने उसे मौका नहीं दिया

मैं- दुनिया में दो लोग ही थे जो मेरे लिए हद से जायदा कीमती थे उनमे से एक थी मेरी चाची, तूने उसका रूप लेकर छला मुझे. वो बेचारी कब हमें छोड़ कर चली गयी हमें तो मालूम भी नहीं हुआ . जंगल के किस कोने में उस का शरीर दफन है मैं कभी नहीं जान पाऊंगा. उसके रूप में बेशक तू थी और तू भी जानती है की मैंने उस नाते को कैसे निभाया था . सब कुछ भुला कर मैं तुझे माफ़ भी कर देता पर तूने निशा पर वार करके वो हद पार कर दी जिसके किसी किनारे पर मेरी माफ़ी थी . तूने भी एक गलती की तू भी समझ नहीं पायी कबीर को . तुझे भी दुनिया की तरह लगा की कबीर चुतिया है पर कबीर सर झुकाना जानता है तो सर काटना भी जानता है .

डायन- आ फिर देखे जरा , रात अभी बहुत बाकी है आने वाला उजाला देखते है किसके नसीब में है , ये कहानी कौन सुनाएगा तू या मैं देखते है .

डायन ने अपनी उंगलिया मेरी पीठ के भाले वाले जख्म में घुसा दी, उसकी लम्बी होती उंगलियों को मैंने अपने दिल की तरफ बढ़ते देखा . पूरा जोर लगाकर मैंने उसका हाथ मरोड़ा और उस को धक्का दिया. डायन ने फुर्ती दिखाई और मेरी पीठ पर बैठ गए मेरा गला घोंठने लगी. और तब वो हुआ जो डायन ने कभी नहीं सोचा था मेरे अन्दर का आदमखोर बाहर आया. मुझे रूप बदलते हुए देख कर डायन घबराई नहीं बल्कि उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान आ गयी .

डायन- देख नियति के खेल को . काश मैं पहले इस सच को जानती , तो कब का जीत चुकी होती इस बाजी को पर अभी भी कौन सी देर हुई है . आज की रात यादगार रात होगी .

वो टूट पड़ी मुझ पर , कभी मैं हावी कभी वो . मैंने एक पुरे पेड़ को उखाड़ कर उसे उसके निचे ले लिया पर वो घाघ थी उसने मुझे काबू कर लिया. एक समय के बाद मेरी साँस उखड़ने लगी थी और वो छाने लगी मुझ पर . पस्त कर दिया उसने मुझे .

डायन- कबीर, कबीर. अब मान भी जा मुझे हराना तेरे बस का नहीं . तेरे आदमखोर को मार कर मैं स्वछन्द हो जाउंगी इस निश्छल रक्त को पीकर मैं अपने अस्तित्व को सुरक्षित कर लुंगी फिर कोई नहीं सामने होगा मेरे. सबसे श्रेष्ट सबसे अनोखी . .........

“आक्क्कक्क्क ” आगे के शब्द डायन के हलक में अटक कर रह गए थे मैंने देखा वो ही चांदी का भाला डायन के सीने के आर पार हो गया था .

“मैंने तुझसे कहा था सब कुछ करना पर मेरे सुहाग की तरफ मत देखना , बड़ी मुश्किल से पाया मैंने दुबारा जिन्दगी को . मैंने कहा था न अब फिर कभी मैं डाकन नहीं बनूँगी, नहीं बनूँगी मैं. तूने सोचा भी कैसे की तू मेरी आँखों के सामने मेरे सुहाग को मिटा देगी. ” निशा ने कहा .

निशा- नियति ने तुझे मौका दिया था माँ बनने का , क्या नहीं था तेरे पास , नंदिनी जैसी बेटी दो बेटे जो तेरी सुरत देखे बिना कभी पानी तक को हाथ नहीं लगाते थे, नियति ने तुझे चाची के रूप में दुनिया की सबसे खूबसूरत नेमत सौंपी तुझे माँ का दर्जा दिया. पर तू समझ नहीं पायी . माँ तो अपनी औलादों के लिए इश्वर तक के सामने खड़ी हो जाती है और तू तू माँ के मर्म को समझ ही नहीं पायी अपने अस्तित्व के लिए तू उसको मिटा देना चाहती थी जिसने तुझे खुदा जैसा दर्जा दिया .

निशा ने आगे बढ़ कर भाले को थोडा सा खींचा और फिर से डायन के दिल के आर पार कर दिया .

डायन का शरीर राख बन कर झड़ने लगा और रह गयी तो गहरी काली रात जो अपने साथ सब कुछ खत्म कर गयी थी . निशा ने मेरी बाहें थामी और आँखों में आंसू लिए हम लोग गाँव की तरफ चल पड़े..........


“एक नया सवेरा पुकार रहा है हमें ” निशा ने बस इतना कहा और मैंने उसे आगोश में भींच लिया. न कुछ उसके पास था कहने को ना कुछ मेरे पास था कहने को .
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त
 

stupid bunny

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Superb kahani ka superb ant,
Bas do bate adhuri rah gyi, jab bhi champa ka jikr hua to ye kha gya uska kahani me aham kirdar rhega, aur kabir usse sab raj bahar nikalega,
Dusra siyar climax me nhi aaya
Nisha ka character ka khulsa kaha hua
Champa ka mandap par kis aadamkhor na humla kiya
Chandi ka bhala aar paar hua hai Kabir sein kaisa bachega woh yaha to woh ilaj jo abhimanu aur bhabhi ko mila hai aadamkhor ka woh hi baccha sakta hai
Mera hissaeb sein ek ya 2 update hona chahiya story ka
Ant ant sirf reader keh raha hai fauji bhai na nahi kaha
 
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@09vk

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“जिस डायन की कहानियो से आज भी गाँव के लोग खौफ खाते है मैं हूँ वो डायन ” चाची ने इतना कहा और खीच कर एक थप्पड़ अंजू को मारा जिसका चेहरा अँधेरे में भी डर से सुर्ख हो चला था .

चाची- और तुजे क्या लगा , तू हरामजादी तेरा एक लंड से मन भर ही नहीं रहा था तू कुतिया अलग ही किस्म की रांड तूने घोर पाप किया , अभिमानु और नंदिनी से धोखा किया . जिनके आंचल में खेल कर तू बड़ी हुई तूने उनको ही मौत दी . तेरे जैसी के कारण आगे से ज़माने में बहन-बेटियों पर विश्वास नहीं करेंगे लोग.

चाची ने अंजू को पीटना शुरू किया . मैं बापने होश संभालने की कोशिश कर रहा था . मैंने भाले को कस कर पकड़ा और उसे अपने बदन से अलग करने की कोशिश करने लगा. मेरे अपने ही घर में डायन रहती थी ये बात कोई भी नहीं समझ पाया था .

“छोड़ दो अंजू को ” मैंने कराहते हुए कहा

चाची- वाह रे इन्सान तेरी फितरत न्यारी, तू अभ्भी इसे छोड़ने की गुहार लगा रहा था . इस से पूछ तो ले की इसने नंदिनी को क्यों मारा , उस नंदिनी को जिसका दर्जा सबसे ऊपर था तेरे लिए. मैं बताती हूँ तुझे. नंदिनी और अभिमानु ने आदमखोर का तोड़ तलाश लिया था , जो संक्रमण महावीर की वजह से नंदिनी को लगा था उस से निजात पा सकती थी वो अंजू को ये बात बता चल गयी ये उस से वो तोड़ चाहती थी ताकि अपने असली यार को ठीक कर सके , और कौन था इसका यार तेरा चाचा , बड़ी आसानी से इसने सबलोगो का चुतिया काट दिया . जब ये रंगे हाथ चुदते हुए पकड़ी गयी तो इसने बलात्कार वाली कहानी गढ़ ली. इसकी वजह से ही रेणुका ने झगडा किया और उन्माद में जरनैल ने उसे मार दिया. रमा की बेटी को भी इसकी वजह से ही मरना पड़ा क्योंकि उसने इसकी चुदाई देख ली थी . अपने आप का दामन साफ़ रखने के लिए जरनैल और इसने उस फूल को कुचल दिया . तब मैंने उसे उसके किये की सजा दी पर नहीं जानती थी की वो कमबख्त संक्रमित था . बिशम्भर ने संभाल लिया उसे. छिपा लिया . ये हरामजादी इसने ही अभिमानु और नंदिनी को भड़काया , अभिमानु नंदिनी के संक्रमित होने से भड़का हुआ था , मौका देख कर इसने अपने ही भाई को मार दिया क्योंकि उसने इसे खंडहर का राज बताने से मना कर दिया वो जानता था की ये नीच किस्म की है . पर आज इसका किस्सा भी खत्म हो जायेगा.

चाची ने एक झटके से अंजू के सीने में अपना हाथ डाल दिया और उसका दिल बाहर निकाल लिया . खून से लतपथ ह्रदय चाची के हाथ में तड़पने लगा. ऐसी क्रूरता मैंने पहले कभी नहीं देखि थी . फिर वो चलते हुए मेरे पास आई.

चाची- तू सबसे सरल था सबसे अनोखा , मैं हैरान थी कितना मान किया तूने अपनी चाची का , उस से सम्बन्ध भी बनाये तो मान के साथ . पर कबीर तुझे क्या पंचायत थी , खंडहर का सच जान गया था तू . तूने उसे ही नष्ट कर दिया. खंडहर के नष्ट होते ही मैं समझ गयी थी , बेशक तेरे परिवार के चुतियापने की वजह से मैं उस कैद से आजाद हो सकी पर मेरी भी अपनी सीमाए है , मेरी शक्ति का केंद्र ही वो खंडहर था . मैं कमजोर हो गयी हूँ , मेरे अस्तित्व पर संकट आ गया है एक ही रास्ता है जो मुझे बचा सकता है तेरा रक्त पान . ये दुनिया बड़ी मादरचोद है कबीर और मैं भी इस दुनिया का ही हिस्सा हूँ . अपने अस्तित्व के लिए मुझे ये काम करना ही होगा .

चाची ने अपने होंठ मेरे टपकते गर्म लहू से लगाये ही थे की ....





“कबीर , ” ये निशा की चीख थी जो वहां आ पहुंची थी .

चाची - बढ़िया, तू भी आ गयी . किस्मत वाली है तू जो जोड़े से मरोगे . बरसो तक तुम्हारे किस्से सुनाये जायेंगे . मैं सोच ही रही थी की तुम कहाँ रह गयी बहुरानी . थोडा सा इंतज़ार कर पहले मैं तेरे खसम को मार दू फिर तुझे भी आजादी दूंगी .

निशा- अगर मेरे कबीर को कुछ भी हुआ न तो मेरा वादा है तुझसे वो करुँगी जो तूने सोचा भी नहीं होगा. तू जो भी है जैसी भी है मुझे परवाह नहीं, कबीर मेरी वो ख़ुशी है जो किस्मत वालो को मिलती है और मुझसे मेरी ख़ुशी कोई भी छीन ले ये मैं हरगिज नहीं होने दूंगी.

चाची- अच्छा ये बात है तो फिर बचा ले इसे हम भी देखे इसक का जोर

निशा- काश तू समझ पाती ,

निशा ने एक पत्थर उठा कर चाची की तरफ फेंका जो सीधा उसके सर पर जाकर लगा. सर फूट गया खून बहने लगा. चाची ने अपनी ऊँगली खून से सानी और उसे होंठो से लगा लिया. बिजली की रफ़्तार से वो निशा के पास पहुंची और उसे एक लात मारी . निशा दूर जाकर गिरी. मैं तडप उठा. चाची एक बार फिर निशा के पास पहुंची और फिर से मारा उस को. मेरे लिए निशा पर वार सहना बर्दाश्त के बाहर था . मैंने अपनी हिम्मत समेटी और भाले को बहार करने की कोशिश करने लगा . पर वो पीछे सरक नहीं रहा था . दूसरी तरफ निशा एक डायन से टक्कर ले रही थी . मैंने तब दूसरा विचार किया बची कुची शक्ति लगाकर मैंने मैंने भाले को आगे की तरफ खींचना शुरू किया और मुझे कामयाबी भी मिली. असीम दर्द के बावजूद मैंने भाले को खींच फेंका. धरती पर गिरते ही मैंने फेफड़ो में ताज़ी हवा को महसूस किया

मैं- बस डायन बस. बहुत हुआ .

डायन ने मुझे देखा और निशा को छोड़ दिया.

डायन- अब आएगा मजा

वो मेरी तरफ लपकी और मैंने उसकी भुजाओ को थाम लिया. चांदी का असर कम होते ही मेरा ताप बढ़ने लगा . मैंने डायन के पेट में घुटना मारा और उसके झुकते ही अपनी कोहनी उसकी पीठ में दे मारी. पर तुरंत ही वो संभली और मेरे सीने पर वार किया उसने . उसके अगले वार को मैंने हवा में ही रोका और उसे एक पेड़ के तने पर दे मारा. डायन को जोर से अलग था ये वार उसने चिंघाड़ मारी और उसका रूप बदलने लगा.

कयामत क्या होती है मैंने उस पल देखि थी , अँधेरी रात में डायन का असली रूप मेरी आँखों के सामने थे . दमकते स्वर्ण की आभा लिए डायन वैसी तो बिलकुल नहीं थी जैसा हम सुनते आये थे पर क्रूरता उस से कही जायदा था . आँखों में उन्माद लिए वो मेरी तरफ बढ़ी पर मैंने उसे पकड लिया. इस बार मेरी पकड़ को अन्दर तक उसने महसूस किया और मैंने प्रहार किया उस पर डायन अन्दर तक तडप कर रह गयी . उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा .पर मैंने उसे मौका नहीं दिया

मैं- दुनिया में दो लोग ही थे जो मेरे लिए हद से जायदा कीमती थे उनमे से एक थी मेरी चाची, तूने उसका रूप लेकर छला मुझे. वो बेचारी कब हमें छोड़ कर चली गयी हमें तो मालूम भी नहीं हुआ . जंगल के किस कोने में उस का शरीर दफन है मैं कभी नहीं जान पाऊंगा. उसके रूप में बेशक तू थी और तू भी जानती है की मैंने उस नाते को कैसे निभाया था . सब कुछ भुला कर मैं तुझे माफ़ भी कर देता पर तूने निशा पर वार करके वो हद पार कर दी जिसके किसी किनारे पर मेरी माफ़ी थी . तूने भी एक गलती की तू भी समझ नहीं पायी कबीर को . तुझे भी दुनिया की तरह लगा की कबीर चुतिया है पर कबीर सर झुकाना जानता है तो सर काटना भी जानता है .

डायन- आ फिर देखे जरा , रात अभी बहुत बाकी है आने वाला उजाला देखते है किसके नसीब में है , ये कहानी कौन सुनाएगा तू या मैं देखते है .

डायन ने अपनी उंगलिया मेरी पीठ के भाले वाले जख्म में घुसा दी, उसकी लम्बी होती उंगलियों को मैंने अपने दिल की तरफ बढ़ते देखा . पूरा जोर लगाकर मैंने उसका हाथ मरोड़ा और उस को धक्का दिया. डायन ने फुर्ती दिखाई और मेरी पीठ पर बैठ गए मेरा गला घोंठने लगी. और तब वो हुआ जो डायन ने कभी नहीं सोचा था मेरे अन्दर का आदमखोर बाहर आया. मुझे रूप बदलते हुए देख कर डायन घबराई नहीं बल्कि उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान आ गयी .

डायन- देख नियति के खेल को . काश मैं पहले इस सच को जानती , तो कब का जीत चुकी होती इस बाजी को पर अभी भी कौन सी देर हुई है . आज की रात यादगार रात होगी .

वो टूट पड़ी मुझ पर , कभी मैं हावी कभी वो . मैंने एक पुरे पेड़ को उखाड़ कर उसे उसके निचे ले लिया पर वो घाघ थी उसने मुझे काबू कर लिया. एक समय के बाद मेरी साँस उखड़ने लगी थी और वो छाने लगी मुझ पर . पस्त कर दिया उसने मुझे .

डायन- कबीर, कबीर. अब मान भी जा मुझे हराना तेरे बस का नहीं . तेरे आदमखोर को मार कर मैं स्वछन्द हो जाउंगी इस निश्छल रक्त को पीकर मैं अपने अस्तित्व को सुरक्षित कर लुंगी फिर कोई नहीं सामने होगा मेरे. सबसे श्रेष्ट सबसे अनोखी . .........

“आक्क्कक्क्क ” आगे के शब्द डायन के हलक में अटक कर रह गए थे मैंने देखा वो ही चांदी का भाला डायन के सीने के आर पार हो गया था .

“मैंने तुझसे कहा था सब कुछ करना पर मेरे सुहाग की तरफ मत देखना , बड़ी मुश्किल से पाया मैंने दुबारा जिन्दगी को . मैंने कहा था न अब फिर कभी मैं डाकन नहीं बनूँगी, नहीं बनूँगी मैं. तूने सोचा भी कैसे की तू मेरी आँखों के सामने मेरे सुहाग को मिटा देगी. ” निशा ने कहा .

निशा- नियति ने तुझे मौका दिया था माँ बनने का , क्या नहीं था तेरे पास , नंदिनी जैसी बेटी दो बेटे जो तेरी सुरत देखे बिना कभी पानी तक को हाथ नहीं लगाते थे, नियति ने तुझे चाची के रूप में दुनिया की सबसे खूबसूरत नेमत सौंपी तुझे माँ का दर्जा दिया. पर तू समझ नहीं पायी . माँ तो अपनी औलादों के लिए इश्वर तक के सामने खड़ी हो जाती है और तू तू माँ के मर्म को समझ ही नहीं पायी अपने अस्तित्व के लिए तू उसको मिटा देना चाहती थी जिसने तुझे खुदा जैसा दर्जा दिया .

निशा ने आगे बढ़ कर भाले को थोडा सा खींचा और फिर से डायन के दिल के आर पार कर दिया .

डायन का शरीर राख बन कर झड़ने लगा और रह गयी तो गहरी काली रात जो अपने साथ सब कुछ खत्म कर गयी थी . निशा ने मेरी बाहें थामी और आँखों में आंसू लिए हम लोग गाँव की तरफ चल पड़े..........


“एक नया सवेरा पुकार रहा है हमें ” निशा ने बस इतना कहा और मैंने उसे आगोश में भींच लिया. न कुछ उसके पास था कहने को ना कुछ मेरे पास था कहने को .
Nice update 👍 👌 👏
 

Rekha rani

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Nisha ka character ka khulsa kaha hua
Champa ka mandap par kis aadamkhor na humla kiya
Sawal to bahut se rah gye, apne pasnd se puchhte jao
 

Rekha rani

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Writer sein hi pouch Raha hu aap to baata nahi sakti muje
Quite to mere msg pr kiya tha aapne
 
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