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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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मेरे बस me नहीं भाई हर कहानी की नियति उसकी पहली लाइन से ही तय हो जाती है
Niyati Me kya hai hum nahi jaante bas khubsurat sama rahe to dil ko sukun milta hai...
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भैया- जिन रास्तो पर तू चल रहा है न उन पर मैं दौड़ चूका हूँ . तेरे हर किये कराये पर मैं मिटटी डाल दूंगा पर तुझे भी समझना होगा राय साहब के हम दो कंधे है, हमें जिम्मेदारी सिर्फ इस घर की ही नहीं है इस गाँव को इस समाज को साथ लेकर भी चलना है . मैंने तुझे आज तक नहीं रोका आगे भी नहीं रोकूंगा पर बस इतना समझना की अय्याशी चाहे जितनी भी करो ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए की घर की दहलीज तक उस बात के छींटे पड़े.

मैं- भैया, दारा को मैं जानता भी नहीं उसका जिक्र भी आपसे ही सुना है

भैया- बेहतर होगा आगे जिक्र तुम्हे सुनना नहीं पड़े. मैंने और तुम्हारी भाभी ने फैसला किया है की चंपा के ब्याह के बाद तुम्हारे लिए भी रिश्ते देख लिए जाये कोई ठीक सा लगेगा तो ब्याह कर देंगे तुम्हारा .

मैं- भैया , अभी मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ .

भैया- भाई हूँ तेरा , तुझे तुझसे ज्यादा जानता हूँ ये बात क्यों दोहरानी पड़ती है मुझे. लाली के लिए तेरी आँखों में जो बगावत देखि थी मैंने , वो आज भी देख रहा हूँ मैं . मेरे भाई, मैं जानता हूँ एक दिन आयेगा जब तू मेरे सामने खड़ा होगा और मैं नहीं चाहता की वो दिन कभी भी आये इसलिए कुछ फैसले मुझे लेने ही होंगे.

मैं- जब मुझे ब्याह करना होगा मैं बता दूंगा

भैया ने एक ही साँस में अपना पेग खाली कर दिया और बोले- तेरी मर्ज़ी छोटे

भाई ने जान कर बात अधूरी छोड़ दी पर मैं समझ गया था की नियति मेरे भाग में क्या लिख रही थी . बोतल ख़तम करने के बाद हम गाँव में पहुँच गए. चाची के घर पहुंचा तो देखा की चंपा रसोई में मीट पका रही थी . केसरिया सलवार सूट में बड़ी प्यारी लग रही थी वो . एक पल को मुझे लगा की जैसे निशा ही हो वहां पर . निशा के ख्याल से ही मेरे होंठ अपने आप मुस्कुरा पड़े.

चंपा- क्या बात है आजकल अपने आप में ही खोये रहते हो .

मैं- आज बड़ी कटीली लग रही है .

चंपा- मैं तो हमेशा से ही दिलदार रही हूँ एक तू ही है जो देखता नहीं मेरी तरफ .

मैं- भूख लगी है रोटी परोस

चंपा- बस ये पक जाये, आटा गूंध लिया है चाची आ जाये फिर फटाफट तवा रख दूंगी.

मैं- कहा गयी चाची.

चंपा- भाभी के पास गयी है .

मैं- किसलिए

चंपा- भाभी तेरी सलामती के लिए कल एक पूजा करवा रही है उसकी तयारी के लिए .

मैं- घर से तो निकाल दिया है अब ये किसलिए

चंपा- दिल से नहीं निकाल सकती तुझे वो इसलिए

मैं- वो मुझे कातिल मानती है उन तमाम लोगो का

चंपा- वैसे शक है मुझे भी ,

मैं- की मैंने क़त्ल किया है उनका

चंपा- नहीं मुझे शक है की कविता का तेरे साथ सम्बन्ध था तुझसे चुदने के लिए ही वो जंगल में गयी थी या फिर तूने उसे कुवे पर बुलाया होगा.

मैं- अगर मेरा ऐसा इरादा होता तो उसके घर पर ही नहीं जाता मैं, वैसे भी वैध जी तो तक़रीबन बाहर ही रहते है घर से ऐसे में हम दोनों के पास पूरा मौका नहीं रहता क्या

चंपा-वैध के घर के चक्कर भी कुछ ज्यादा ही लग रहे थे बोल न ,

मैं- वैध के घर जाने का मेरा मकसद कुछ और था .

चंपा जरा हमें भी तो बता ऐसा क्या मकसद था जो कविता पूरा कर रही थी और हम नहीं कर पाये.

मैं- मेरी कुछ समस्या है

चंपा- हाँ तो हमें भी बता देना . क्या मालूम मैं कुछ समाधान कर सकू.

मैं- तुझे हर बात मजाक में ही लेनी है न

चंपा- चल ठीक है तू चाहे तो मुझे बता सकता है

मैं- सुन कर हसेंगी तो नहीं न

चंपा- मैं कोई पागल हूँ क्या जो बिना बात दांत फाडू

मैं- ठीक है फिर बताता हूँ , मैं एक रात खेत में मैं पेशाब कर रहा था तो किसी कीड़े ने मेरे इस पर काट लिया तब से ये सूज गया है . इसकी सुजन कम ही नहीं हो रही .

चंपा- अरे ऐसा भी होता है क्या ,

मैं- ऐसा ही हुआ है

चंपा- मैं नहीं मानती इस बात को

मैं- यही बात है

चंपा- एक काम कर मुझे देखने दे इसे, तभी मैं मानूंगी

मैं- देख लिया न तो घबरा जाएगी , चुदने के तेरे सारे ख्याल गायब हो जायेंगे.

चंपा- ये बात है तो दिखा फिर

मैं- नहीं दिखाने वाला मैं

चंपा- देख तू अब मुकर रहा है बात से

मैंने देगची में चम्मच डाली और थोड़ी तरी और कुछ मांस के टुकड़े कटोरी में डाले और खाने लगा.

मैं- चंपा , तू मंगू की बहन न होती तो मैं पक्का तेरी मुराद पूरी कर देता .

चंपा- कबीर मैं बहुत दिनों से तुझे कुछ बताना चाहती थी , तू हमेशा मंगू की दोस्ती का जिक्र करता है पर आज मैं तुझे मेरी जिन्दगी का एक काला सच बताती हूँ .

चंपा ने जब ऐसा कहा तो मेरा दिल और जोर से धडकने लगा.

चंपा- जिस मंगू की वजह से तू मुझे नहीं देखता वो मंगू , वो मेरा भाई मंगू ले चूका है मेरी.........

चंपा की बात सुन कर मेरे पैरो तले जैसे जमीन ही खिसक गयी .

मैं- जुबान को लगाम दे चंपा. सोच कर बोल तू क्या बोल रही है

चंपा- मुझे मालूम था तू यकीन नहीं करेगा पर तेरा दोस्त वैसा नहीं है जितना सीधा तू उसे समझता है . जानता है मैंने तुझसे क्यों कहा की तेरा कविता से सम्बन्ध हो सकता है क्योंकि मंगू से सेट थी कविता. मैंने सोचा की क्या मालूम मंगू ने तुझे भी दिलवा दी हो कविता की .

मैं- चंपा अगर तू सच कह रही है तो अभी मेरे साथ चल , मुझे तेरी कसम मंगू का वो हाल करूँगा मैं की ये गाँव याद रखेगा. एक पवित्र रिश्ते की मर्यादा तोड़ने की उसकी हिम्मत कैसे हुई.

चंपा- तू ऐसा कुछ नहीं करेगा . तू मेरा साथी है इसलिए मैंने अपने मन की बात तुझे बताई ये किसी और को मालूम हुआ तो मुझे फांसी खानी पड़ेगी कबीर.

मैं- तू क्यों फांसी खाएगी , गलत काम मंगू ने किया है सजा उसे मिलेगी.

चंपा- और उस सजा से तकलीफ भी हमें ही होगी कबीर. मैं तुझे बस बताना चाहती थी की ये दुनिया वैसी नहीं है जैसा तू मानता है . यहाँ पर फरेब है , धोखा है

मैंने चंपा से कुछ नहीं कहा उसे अपने गले से लगा लिया मेरी आँखों से कुछ आंसू बह कर उसके गालो को भिगो गए.
 

Tiger 786

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भैया- जिन रास्तो पर तू चल रहा है न उन पर मैं दौड़ चूका हूँ . तेरे हर किये कराये पर मैं मिटटी डाल दूंगा पर तुझे भी समझना होगा राय साहब के हम दो कंधे है, हमें जिम्मेदारी सिर्फ इस घर की ही नहीं है इस गाँव को इस समाज को साथ लेकर भी चलना है . मैंने तुझे आज तक नहीं रोका आगे भी नहीं रोकूंगा पर बस इतना समझना की अय्याशी चाहे जितनी भी करो ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए की घर की दहलीज तक उस बात के छींटे पड़े.

मैं- भैया, दारा को मैं जानता भी नहीं उसका जिक्र भी आपसे ही सुना है

भैया- बेहतर होगा आगे जिक्र तुम्हे सुनना नहीं पड़े. मैंने और तुम्हारी भाभी ने फैसला किया है की चंपा के ब्याह के बाद तुम्हारे लिए भी रिश्ते देख लिए जाये कोई ठीक सा लगेगा तो ब्याह कर देंगे तुम्हारा .

मैं- भैया , अभी मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ .

भैया- भाई हूँ तेरा , तुझे तुझसे ज्यादा जानता हूँ ये बात क्यों दोहरानी पड़ती है मुझे. लाली के लिए तेरी आँखों में जो बगावत देखि थी मैंने , वो आज भी देख रहा हूँ मैं . मेरे भाई, मैं जानता हूँ एक दिन आयेगा जब तू मेरे सामने खड़ा होगा और मैं नहीं चाहता की वो दिन कभी भी आये इसलिए कुछ फैसले मुझे लेने ही होंगे.

मैं- जब मुझे ब्याह करना होगा मैं बता दूंगा

भैया ने एक ही साँस में अपना पेग खाली कर दिया और बोले- तेरी मर्ज़ी छोटे

भाई ने जान कर बात अधूरी छोड़ दी पर मैं समझ गया था की नियति मेरे भाग में क्या लिख रही थी . बोतल ख़तम करने के बाद हम गाँव में पहुँच गए. चाची के घर पहुंचा तो देखा की चंपा रसोई में मीट पका रही थी . केसरिया सलवार सूट में बड़ी प्यारी लग रही थी वो . एक पल को मुझे लगा की जैसे निशा ही हो वहां पर . निशा के ख्याल से ही मेरे होंठ अपने आप मुस्कुरा पड़े.

चंपा- क्या बात है आजकल अपने आप में ही खोये रहते हो .

मैं- आज बड़ी कटीली लग रही है .

चंपा- मैं तो हमेशा से ही दिलदार रही हूँ एक तू ही है जो देखता नहीं मेरी तरफ .

मैं- भूख लगी है रोटी परोस

चंपा- बस ये पक जाये, आटा गूंध लिया है चाची आ जाये फिर फटाफट तवा रख दूंगी.

मैं- कहा गयी चाची.

चंपा- भाभी के पास गयी है .

मैं- किसलिए

चंपा- भाभी तेरी सलामती के लिए कल एक पूजा करवा रही है उसकी तयारी के लिए .

मैं- घर से तो निकाल दिया है अब ये किसलिए

चंपा- दिल से नहीं निकाल सकती तुझे वो इसलिए

मैं- वो मुझे कातिल मानती है उन तमाम लोगो का

चंपा- वैसे शक है मुझे भी ,

मैं- की मैंने क़त्ल किया है उनका

चंपा- नहीं मुझे शक है की कविता का तेरे साथ सम्बन्ध था तुझसे चुदने के लिए ही वो जंगल में गयी थी या फिर तूने उसे कुवे पर बुलाया होगा.

मैं- अगर मेरा ऐसा इरादा होता तो उसके घर पर ही नहीं जाता मैं, वैसे भी वैध जी तो तक़रीबन बाहर ही रहते है घर से ऐसे में हम दोनों के पास पूरा मौका नहीं रहता क्या

चंपा-वैध के घर के चक्कर भी कुछ ज्यादा ही लग रहे थे बोल न ,

मैं- वैध के घर जाने का मेरा मकसद कुछ और था .

चंपा जरा हमें भी तो बता ऐसा क्या मकसद था जो कविता पूरा कर रही थी और हम नहीं कर पाये.

मैं- मेरी कुछ समस्या है

चंपा- हाँ तो हमें भी बता देना . क्या मालूम मैं कुछ समाधान कर सकू.

मैं- तुझे हर बात मजाक में ही लेनी है न

चंपा- चल ठीक है तू चाहे तो मुझे बता सकता है

मैं- सुन कर हसेंगी तो नहीं न

चंपा- मैं कोई पागल हूँ क्या जो बिना बात दांत फाडू

मैं- ठीक है फिर बताता हूँ , मैं एक रात खेत में मैं पेशाब कर रहा था तो किसी कीड़े ने मेरे इस पर काट लिया तब से ये सूज गया है . इसकी सुजन कम ही नहीं हो रही .

चंपा- अरे ऐसा भी होता है क्या ,

मैं- ऐसा ही हुआ है

चंपा- मैं नहीं मानती इस बात को

मैं- यही बात है

चंपा- एक काम कर मुझे देखने दे इसे, तभी मैं मानूंगी

मैं- देख लिया न तो घबरा जाएगी , चुदने के तेरे सारे ख्याल गायब हो जायेंगे.

चंपा- ये बात है तो दिखा फिर

मैं- नहीं दिखाने वाला मैं

चंपा- देख तू अब मुकर रहा है बात से

मैंने देगची में चम्मच डाली और थोड़ी तरी और कुछ मांस के टुकड़े कटोरी में डाले और खाने लगा.

मैं- चंपा , तू मंगू की बहन न होती तो मैं पक्का तेरी मुराद पूरी कर देता .

चंपा- कबीर मैं बहुत दिनों से तुझे कुछ बताना चाहती थी , तू हमेशा मंगू की दोस्ती का जिक्र करता है पर आज मैं तुझे मेरी जिन्दगी का एक काला सच बताती हूँ .

चंपा ने जब ऐसा कहा तो मेरा दिल और जोर से धडकने लगा.

चंपा- जिस मंगू की वजह से तू मुझे नहीं देखता वो मंगू , वो मेरा भाई मंगू ले चूका है मेरी.........

चंपा की बात सुन कर मेरे पैरो तले जैसे जमीन ही खिसक गयी .

मैं- जुबान को लगाम दे चंपा. सोच कर बोल तू क्या बोल रही है

चंपा- मुझे मालूम था तू यकीन नहीं करेगा पर तेरा दोस्त वैसा नहीं है जितना सीधा तू उसे समझता है . जानता है मैंने तुझसे क्यों कहा की तेरा कविता से सम्बन्ध हो सकता है क्योंकि मंगू से सेट थी कविता. मैंने सोचा की क्या मालूम मंगू ने तुझे भी दिलवा दी हो कविता की .

मैं- चंपा अगर तू सच कह रही है तो अभी मेरे साथ चल , मुझे तेरी कसम मंगू का वो हाल करूँगा मैं की ये गाँव याद रखेगा. एक पवित्र रिश्ते की मर्यादा तोड़ने की उसकी हिम्मत कैसे हुई.

चंपा- तू ऐसा कुछ नहीं करेगा . तू मेरा साथी है इसलिए मैंने अपने मन की बात तुझे बताई ये किसी और को मालूम हुआ तो मुझे फांसी खानी पड़ेगी कबीर.

मैं- तू क्यों फांसी खाएगी , गलत काम मंगू ने किया है सजा उसे मिलेगी.

चंपा- और उस सजा से तकलीफ भी हमें ही होगी कबीर. मैं तुझे बस बताना चाहती थी की ये दुनिया वैसी नहीं है जैसा तू मानता है . यहाँ पर फरेब है , धोखा है


मैंने चंपा से कुछ नहीं कहा उसे अपने गले से लगा लिया मेरी आँखों से कुछ आंसू बह कर उसके गालो को भिगो गए.
Superb update
 

Studxyz

Well-Known Member
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ये साला मांगू भोसड़ी वाला तो पक्का हरामी निकला बहिन और कविता दोनों ही चोद दी यही तो हमलवार नहीं ये मारता हो और निशा डायन जी बाद में खून चूस लेती हो और सारा इलज़ाम उस पर लग जाता हो ?
?

चम्पा तो बेचारी वक़्त की मारी निकली

अब किसी पर का भी कोई भरोसा नहीं है कौन क्या निकले कहानी बेहद रहस्मयी हो गयी है मंगू समेत बहुत से किरार शक के दायरे में है पक्का चाची भी किसी से पहले सेट होगी और भाभी का कुछ कह नहीं सकते
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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क्या होगा जब दिन के उजालो में निशा आएगी और भैया भी सामने हो तब,

लगता है कुछ तो होने वाला है आगे आने वाले पल मै।
कभी ना कभी ऐसा होगा ही और जब ऐसा होगा तो ना जाने क्या होगा
 

agmr66608

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सही मे ये चम्पा और चाची का चरित्र थोड़ा और सब से अलग लगता है। चम्पा अपना साथी को सब कुछ सौंपना छाती थी लेकिन नहीं हो पाया। कबीर और चम्पा का रिस्ता किस तरफ मोड लेता है उस पर उत्सुक रहेंगे। धन्यबाद।
 
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