Naik
Well-Known Member
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Sara khel kharab ker dia hayya n nahi aaj suraj bhaan ka kam tamam ker dia tha kabir lekin yeh anhimanyu kyon itni mahobbat dikha raha h#54
मेरे मन में आग लगी थी . एक ऐसी आग जो न जाने अब अपने साथ किस किस को झुलसाने वाली थी . मेरे सामने उस नाचने वाली लड़की की लाश पड़ी थी . घुटने टिका कर मैं उसके ऊपर झुका . आँखों से कुछ आंसू उसके ऊपर गिर पड़े.
“ये जान नहीं जानी चाहिए थी, तेरा कर्ज उधार रहा मुझ पर . मैं कसम खाता हूँ जिसने तेरे साथ ऐसा किया मैं उसे मिटटी में मिला दूंगा सूरज भान आज मालिक पुर देखेगा तेरी मौत ” मेरे दिल से आह निकली.
“नाचने वालो के डेरे में सुचना भेजो , उन्हें बताओ इसके बारे में ” मैने कहा .
मेरे नथुने गुस्से के मारे फूलने लगे थे . जी चाह रहा था की मैं क्या ही कर जाऊ.मैं जानता था ये ओछी ,नीचता किसने की थी .
“क्या हुआ कबीर. ” चंपा भी आ पहुंची थी वहां
उसकी एक नजर लाश पर थी और एक नजर मुझ पर .
मैं- घर जा तू
चंपा- तू कहा जा रहा है
मैं-सुना नहीं तूने , घर जा अभी इसी वक्त
मेरा दिमाग हद्द से ज्यादा घूमा हुआ था . मलिकपुर का रास्ता बहुत लम्बा हो गया था मेरे लिए. मेरी नजरे सूरजभान को तलाश रही थी पर वो मिल नहीं रहा था .दारु के ठेके पर मुझे उसके दो चेले मिल गए .
मैं- सुन बे, सूरजभान कहा मिलेगा.
साथी- उस से क्या काम है पहले हमें तो बता दे
मैं- माँ चोदनी है उसकी तू तेरी चुद्वायेगा
मैंने गुस्से से कहा .
वो- रुक जरा मेरे ही गाँव में आकर मुझे ही गाली दे रहा है अभी तेरी गांड तोड़ता हूँ
मैं- आ भोसड़ी के पहले तू ही आ.
उसने लोहे की एक चेन हाथ में ली और मेरी तरफ वार किया . मैंने सर झुका कर बचाया पास में रखा स्टूल उसकी तरफ फेंका. उसने लोहे की जाली की ओट ले ली और ठोकर मारी .
मैं- क्यों मरना चाहता है मुझे बस इतना बता की सूरजभान कहाँ मिलेगा.
तभी उसके दुसरे साथी जिस पर मुझे धयान नहीं था उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया. और अगले ने मुझ पर दो तीन वार कर दिए. मेरी नाक से खून निकलने लगा.
साथी- मिट गया जोश, साले, हम से निपट नहीं पा रहा सूरज भैया से लड़ने का ख्वाब देख रहा है
उसकी हंसी मुझे और गुस्सा दिला गयी.
मैं- सिर्फ एक बार और कहूँगा बता कहाँ है वो बहन का लोडा
पर उस चूतिये को तो चुल मची थी खुद ही नेता बनने की . मैंने जैसे ही खुद को आजाद करवाया और अपनी बेल्ट खोल ली. एक बार तो वो दोनों जाने मुझ पर भारी पड़ने लगे थे पर मैंने मामला संभाल लिया . एक को जो ठेके के अन्दर पटका तो मुझे समय मिल गया और मैंने दुसरे को धर लिया. मेरे पास एक ईंट पड़ी थी जो मैंने उसके सर पर दे मारी. तुरंत ही सर फट गया उसका. लहूलुहान हो गया और मुझे वो मौका मिल गया जो चाहिए था.
“ये जो आग मेरे सीने में लग रही है न इसमें मलिकपुर को जला दू तो कोई पछतावा नहीं होगा मुझे. उसकी दुश्मनी मुझसे थी मेरे से निभाता मैंने कहा भी था उस से की जो करना है मेरे साथ करना पर जिसके खून में पानी भरा हो न वो साले क्या जाने मर्दा मरदी की बाते ” मैंने दुबारा से ईंट उसके सर पर मारी वो जमीन पर गिर गया .
सूरजभान का दूसरा साथी मुझे देखे जा रहा था .
मैं- आ भोसड़ी के . देखना चाहता था न तू देख परखना चाहता था न परख मुझे
“आई ईईईइ ” मेरी बात अधूरी रह गयी पीछे से जोर का वार मेरी पीठ पर हुआ तो मैं धरती पर गिर गया और फिर एक के बाद एक वार होते रहे. दर्द के मारे मैं दोहरा हो गया. मैंने देखा ये सूरजभान था जो हाथो में एक लकड़ी का लट्ठ लिए हुए था .
“मैं तेरा ही इंतज़ार कर रहा था कबीर, और देख तू मरने चला आया. ” उसने कहा
मैं- मर गए मारने वाले. मरना तो आज तुझे है.
मैंने सूरजभान की टांग पर वार किया वो लडखडाया और मैंने उसके लट्ठ को थाम लिया. एक बार फिर से हम दोनों उलझ गए थे .
सूरजभान- तूने क्या सोचा था दारा को मार कर तू बच जायेगा.
मैं-मुझ पर वार करता मुझे ख़ुशी होती की टक्कर का दुश्मन मिला है पर तूने उस लड़की को मारा .
सूरजभान- मारा ही नहीं उसकी चूत भी मारी. साली बड़ी गजब भी पर या करे उसे सजा देनी भी जरुरी थी .
मैं- मजलूमों पर जोर चलाने वाले ना मर्द होते है .और तेरा फितूर आज उतारना है मुझे. खून का बदला खून चाहिए मुझे
सूरजभान- ये शुरआत तूने की थी दारा को मार कर मैंने बस सूद समेत लौटाया है तुझे .
मैंने उसे अनसुना किया उअर उसके घुटने पर लात मारी.वार जोरदार था वो निचे गिर गया लट्ठ मेरे हाथ में आ गया मैंने सीधा उसके सर पर दे मारा. सूरजभान भैंसे की तरह डकार लिया मैंने एक लट्ठ और मारा खून का फव्वारा बह चला और वो तड़पने लगा.
मैं- क्या रे तू तो अभी से तडपने लगा. ऐसे कैसे चलेगा तुझे क्या मालूम होगा दारा को मैंने कैसे चीरा था . देखो मलिकपुर वालो , देखो इस चूतिये को .
मैंने लट्ठ उठाया और दुबारा से उसको मारने वाला ही था की इ आवाज ने मेरे हाथ रोक लिए.
“रुक जा छोटे ” भैया की आवाज थी ये
मैंने देखा की भैया वहां पहुँच गए थे उनके साथ चंपा भी थी.
भैया दौड़ कर मेरे पास आये. मैंने सोचा की वो थाम लेंगे मुझे पर भैया ने दो चार थप्पड़ मार दिए मुझे और मैं हैरान रह गया.
भैया- मैंने तुझसे कहा था न सूरजभान से दूर रहना.
मैं- दूर हो जाऊंगा बस इसकी जान ले लू मैं
भैया- अभी के अभी तू घर जायेगा.
मैं- जरुर जाऊंगा बस एक बार इस को बता दू की मैं कौन हु.
मैंने सूरजभान को लात मारी.
“कबीर,,,,,,,,,,,,,,, ” भैया चीख पड़े. जिन्दगी में पहली बार था जब भैया ने मुझे मेरे नाम से पुकारा था . हमेशा वो छोटे ही कहते थे .भैया ने मुझे धक्का दिया बड़ी जोर से लगी मुझे .
भैया- मैं दुबारा नहीं कहूँगा तुझसे .
भैया ने सूरजभान को अपनी गोद में लिया और उसे देखने लगे.
भैया- कुछ नहीं होगा तुझे . मैं हूँ न .
भैया ने घायल सूरजभान को गाड़ी में डाला और चले गए. मैं हैरानी से उन्हें देखता रह गया. मेरे भाई ने इस गलीच की वजह से मुझ पर हाथ उठाया था . मुझ से ज्यादा फ़िक्र भैया को इस नीच की थी ये देख कर मेरा दिल टूट गया.
Baherhal dekhte h aage kia hota h
Zaberdast shaandaar update bhai