Bhavana694
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Kabir ne nisha se purnima ki raat ki mystery nhi puchi ki kya reason tha jo usne kabir ko mandir me rukne bola. Matlab khud ke sath itna kuch hua us raat or bande ko bas apne baap ko pakadna hai
Wowww so beautiful update#56
“वही जो तूने सुना चाची ” मैंने कहा
चाची- तू जानता भी है कितना बड़ा आरोप लगा रहा है तू
मैं- जानता हूँ इसलिए तो तुझसे कह रहा हूँ,देख चाची तुझे मैं बहुत चाहता हूँ.चंपा ने मेरा दिल तोडा है मैं नहीं चाहता की तू भी मेरा दिल तोड़े. तू राय साहब से चुदी न चुदी तू जाने . तेरा राय साहब से कोई ऐसा-वैसा रिश्ता है नहीं है मुझे नहीं जानना पर तू एक फैसला लेगी की तू किसे चुनेगी मुझे या फिर राय साहब को . क्योंकि बहुत जल्दी मैं उनसे सवाल करूँगा की क्यों पेल दिया उन्होंने चंपा को .
चाची- हम दोनों को ही जेठ जी को चुनना पड़ेगा कबीर. यदि उन्होंने ऐसा कुछ भी किया है चंपा के साथ तो चंपा ने विरोध क्यों नहीं किया . इसका एक ही कारण हो सकता है की उसकी भी सहमती रही होगी.
मैं- मान लिया पर गलत हमेशा गलत ही होता है .स सहमती तो लाली की भी उसके प्रेमी संग थी फिर उसी इंसाफ के पुजारी मेरे बाप ने क्यों लटका दिया उनको . जबकि पीठ पीछे वही गलीच हरकत वो खुद कर रहा है .
चाची- तो क्या चंपा के लिए तू अब अपने पिता के सामने खड़ा होगा.
मैं- बात चंपा की नहीं है , बात है गलत और सही की. ये कैसा नियम है जो गरीब के लिए अलग और रईस के लिए अलग.
चाची- ये दुनिया ऐसी ही है जिस दिन तू ये फर्क सीख जायेगा जीना सीख जायेगा.
मैं- जल्दी ही ऐसा दिन आएगा की इस घर के दो दुकड़े हो जायेगे तू किसकी तरफ रहेगी.
चाची- मैं अपने बेटे के साथ रहूंगी.
मैं- तो फिर ठीक है तुम चंपा से ये बात निकलवाओ की कैसे चुदी वो राय साहब से.
चाची- जेठ जी को अगर भनक भी हुई की हम पीठ पीछे कुछ कर रहे है तो ठीक नहीं रहेगा.
मैं- किसकी इतनी मजाल नहीं की मेरे होते तुझे देख भी सके. भरोसा रख मुझ पर
चाची- भरोसा है तभी तो सब कुछ सौंप दिया तुझे.
मैं- तू पक्का नहीं चुदी न पिताजी से
चाची- जल उठा कर कह सकती हूँ
मैंने चाची का माथा चूमा और फिर से उसे बिस्तर पर ले लिया
चाची- अब यहाँ नहीं , घर पर पूरी रात तेरी ही हूँ न
मैं- ठीक है
कुछ देर और रुकने के बाद हम लोग गाँव में आ गए. मैं सीधा भाभी के पास गया जो रसोई में चाय बना रही थी .
मैं- कुछ जरुरी बात करनी है
भाभी- कहो
मैं- कैसे यकीन कर लू मैं की पिताजी और चंपा के अवैध सम्बन्ध है मुझे सबूत चाहिए
भाभी- ओ हो जासूस महोदय. सबूत चाहिए . चाची और तुम जो रासलीला रचा रहे हो उसका सबूत भी साथ दे दो तो कैसा रहेगा.
मैं- जल्दी ही वो समय आने वाला है जब राय साहब से इस बारे में सवाल करूँगा मैं. और बिना सबूत इतना बड़ा इल्जाम लगाना उचित नहीं रहेगा.
भाभी- तो फिर करो चोकिदारी , खुशनसीब हुए तो अपनी आँखों से रासलीला देख पाओगे
मैं- वो तो मालूम कर ही लूँगा मैं
भाभी- तो फिर करो किसने रोका है तुम्हे
मैं- एक बात और ये जो आदमखोर के हमले हुए है इसके बारे में क्या कहना है
भाभी- कहना नहीं करना है
मैं समझ गया की भाभी को अभी भी लगता था की मैं ही हूँ वो आदमखोर .
खैर, मैं बहुत कोशिश कर रहा था की राय साहब और चंपा को पकड पाऊ पर हताशा ही मिल रही थी .ऐसे ही एक रात मैं कुवे पर पहुंचा तो देखा की अलाव जल रहा था और एक कोने में वो बैठी हुई थी . मेरा दिल उसे देख कर इतना जोर से धडकने लगा की कोई ताज्जुब नहीं होता यदि ह्रदयघात हो जाये.
“बड़ी देर की सरकार आते आते , आँखे तरस गयी थी मेरी इस दीदार को ” मैंने कहा
निशा- आना ही पड़ा बहुत रोका, बहुत समझाया हजारो बंदिशे लगाये. रस्मे-कसमे सब खाई पर मन नहीं माना देख तेरे पर फिर ले आया मुझे
मैं- मेरा अब मुझमे कुछ नहीं रहा जो था तेरा हुआ .
मैंने आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया. दिल को जो करार आया बस मैं ही जानता था .
निशा- छोड़ भी दे अब
मैं- छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा तुझे
निशा- ऐसी बाते करेगा तो फिर नहीं आउंगी मैं
मैं- आना पड़ेगा तुझे, तू आएगी. मुझसे जुदा होकर चैन कहाँ पाएगी.
निशा- चैन ही तो खो गया मेरा . तुझसे मिली फिर मैं खुद से खो गयी
मैं - जानती है तेरे बिना कैसे कटे इतने दिन मेरे
निशा- इसलिए ही तो नहीं आना चाहती थी मैं
मैं- ठण्ड बहुत है
मैंने अलाव अन्दर रखा और निशा को भी अन्दर बुला लिया. दरवाजा बंद किया तो ठण्ड से थोड़ी राहत मिली.
निशा- ऐसे क्या देख रहा है
मैं- तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती
निशा- इस काबिल नहीं हूँ मैं
मैं- मेरे दिल से पूछ जरा
निशा- ऐसी बाते मत कर मुझसे मैं वापिस चली जाउंगी
मैं- तो तू ही बता मैं क्या करू
निशा- वादा कर मुझसे
मैं -कैसा वादा
निशा- की तू मोहब्बत नहीं करेगा मुझसे .
मैं- मोहब्बत हो चुकी है सरकार
निशा- कबीर, जो होना मुमकिन नहीं है वो सपने मत देख. एक डायन और तेरे बिच मोहब्बत नहीं हो सकती जितना जल्दी इस सत्य को समझेगा उतनी तकलीफ कम होगी तुझे. तूने दोस्ती की इच्छा की थी मैंने तेरा मान रखा तू मेरी लिहाज रख
मैं- तुझसे ज्यादा क्या प्यारा है मुझे तेरी यही इच्छा है तो यही सही पर तू भी वादा कर तू ऐसे दूर नहीं जाएगी मुझसे.
निशा- मैं दूर कहा हु तुझसे.
मैं-दूर नहीं तो इन अंधेरो में नहीं मैं उजालो में मिलना चाहूँगा तुझसे
निशा- क्या अँधेरे क्या उजाले मेरे दोस्त
मैं- एक सपना देखा है तेरे साथ जीने का
निशा- मैं हर रोज मरती हूँ
मैंने फिर निशा को उस रात की पूरी बात बताई जिसे सुनकर वो कुछ सोचने लगी.
मैं- क्या सोचने लगी तू
निशा- यही की तेरी किस्मत अच्छी है . उस आदमखोर के काटने के बाद भी तू ठीक है
मैं- मुझे क्या होना है पर एक बार वो हरामखोर पकड़ में आजाये उसका तो वो हाल करूँगा
निशा- ये सोचते सोचते एक अरसा गुजर गया
मैं- तुझे भी तलाश है उसकी
निशा- ये जंगल घर है मेरा , मेरे घर में घुसने की गुस्ताखी की है उसने सजा तो मिलनी चाहिए न
मैं- ऐसी गुस्ताखी तो मैंने भी की
निशा- सजा तुझे भी मिलेगी बस समय की दरकार है . वैसे मलिकपुर में जो भौकाल मचाया है आग लगा रखी है
मैं- नियति ने न जाने क्या लिखा है
निशा चुपके से रजाई में घुस गयी और बोली- दो घडी जीने दे मुझे , थोड़ी देर तेरे आगोश में पनाह दे जरा
मैंने निशा को अपनी बाँहों में भर लिया और उसने मेरे सीने पर अपना सर रख दिया. दिल चाहा की ये रात इतनी लम्बी हो जाये की ख़त्म ही न हो.
निशा के आने से कबीर को बहुत सहारा मिला है उसके सहारे वो अब अपनी योजनाए बनाएगावाह भाई फोजी जी आज तो दिल खुश कर दिया निशा की एंट्री तो पूरी रोमांटिक रही निशा चाहे तो क़ातिल को जल्द पकड़ ले और आगे चल कर कबीर को अपने संग्राम में निशा की बहुत ज़रूरत पड़ेगी वैसे वो सियार कहाँ गायब हो गया उसका क्या रोल था ?
भाभी क्या बाप बेटे को लड़ाना चाहती है जब राय साहिब की पत्नी मर चुकी है तो चम्पा को चोद लिया तो क्या पाप हो गया बलात्कार तो नहीं किया ना और फिर ठाकुरों में ये आम बात है
चाची तो कबीर की पत्नी बनी बैठी है और दिन रात चुदती है निशा से मिलाप व् अंतत चुदायी पता नही होगी की नहीं
ThanksWonderful update
देखना है कि भाभी का क्या मकसद हो सकता है राय सहाब पर इल्ज़ाम लगाने का या फिर वो सच कह रही हो. चम्पा के मन मे क्या है कौन जानेहो सकता है चंपा बार बार कबीर को रिलेशन बनाने के लिए इस लिए उकसा रही थी ताकि अपने बच्चे का बाप कबीर को बना कर असली बाप का नाम छुपा दे
अब कबीर के आलावा ऐसे और कौन सा कैरेक्टर है जिसको इतने आराम से चूतिया बनाया जा सकता है
और अभी तक देख के लगता तो नहीं की राय साहब का चंपा के साथ संबंध है सिवाय भाभी के बोलने के और कोई सबूत भी नहीं है।
कहानी ने अच्छी रफ्तार पकड़ी है, अच्छा अपडेट है फौजी भाई,
भगवान आपको रोज दारू के नशे में ऐसे अपडेट लिखवाए
धन्यवाद अपडेट के लिए
निशा के आने से बड़ा सहारा मिला है कबीर को अब वो अपनी योजना बनाएगाNice update,
चाची ने तो अपने आप को बिलकुल साफ कर दिया, की उनका कोई सम्बंद नही रॉय साहब से, चम्पा का अभी सस्पेन्स है, अब थोड़ा शक भाभी पर भी जा रहा है वो सबूत दे नही रही और कबीर के पकड़ में कुछ आ नही रहा, असल बात चम्पा बता सकती है अब कबीर को चाची की तरह चम्पा से भी साफ बात करनी चाहिए।
इश्क़ वपिश ले ही आया निशा को, चाहे अभी भी वो कशमकश में हो लेकिन कबीर ने इजहार कर दिया है।
आने वाला वक़्त कबीर के लिए बहुत मुश्किल होने वाला है, देखते है कैसे कबीर सामना करता है इन सबका
Thanks bhai❤ garden garden ho gaya