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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Luckyloda

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बहुत ही शानदार अपडेट है भाई👌👌👌👌


इस अपडेट से अंजू को शायद आदमखोर की लिस्ट से बाहर निकाला जा सकता है क्योंकि अंजू की गवाही भाभी, चाची और पूरे गांव ने लगभग दे ही दी है



अब देखना यह है कि वह गांधीजी के तीन बंदर राय साहब अभिमानू और मंगू ऐसे समय में भी कहां गायब थे


जबकि कबीर गांव वालों के सामने उस आदमखोर से लड़ रहा था
 

Death Kiñg

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आदमखोर का इतने समय से गायब होना और फिर अचानक से चम्पा के ब्याह के नज़दीक लौट आना, कोई इत्तेफ़ाक नहीं हो सकता। अभी तक की कहानी से आदमखोर के बारे में कोई विस्तृत जानकारी तो मिली नहीं है, परंतु कुछ अवधारणाएं ज़रूर खड़ी होती नज़र आईं हैं। यही लगता आया था की असल में आदमखोर एक नहीं बल्कि दो हैं। पहला वो, जिसने कोचवान, मोची और कारीगर को ठिकाने लगाया, जोकि काफी ताकतवर है। दूसरा वो, जिसने कबीर के सामने तबेले में बंधे मवेशियों का भक्षण करने का प्रयास किया था, और वो थोड़ा कमज़ोर है। जब कबीर का चूतिया बाप, जंगल में गया था काफी समय पहले, उस दौरान कबीर की जिस आदमखोर से भिड़ंत हुई, वो भी कमज़ोर ही था।

परंतु, ये भाग थोड़ा चकित करने वाला था। नंदिनी के अनुसार आदमखोर ने पहले दो भैंसों को मारा और उसके पश्चात अंजू पर भी हमला कर दिया। दूसरा, ये आदमखोर काफी ताकतवर था। यहां दो संभावनाएं हो सकती हैं, पहला ये आदमखोर असल में कमज़ोर वाला हो, जो मवेशियों की हत्या करने में रुचि रखता है, वहां अंजू को देखकर शायद उसपर भी टूट पड़ा होगा। बढ़ी ताकत और बल का कारण वही चंद्रमा हो सकता है जिसके कारण कबीर भी शक्तिमान बन गया था। दूसरी संभावना है की ये सत्य में ही ताकतवर और इंसानों का शिकार करने वाला आदमखोर हो, और किसी छुपे हुए मंतव्य के कारण इसने इस बार भैंसों पर भी कहर बरपाया हो।

एक और संभावना भी हो सकती है की असल में आदमखोर एक ही हो। जो कभी मवेशियों तो कभी इंसानों का भक्षण करता है, किसी दिन उसकी ताकत आसमां को छू लेती है तो कभी धराशाई हो जाती है और अपनी ताकत का अनुमान लगाकर ही वो शिकार का चुनाव करता है – बलवान होने पर इंसानों का और कमज़ोर होने पर मवेशियों का! यदि ऐसा कुछ था तो ठीक, अन्यथा सीधा संदेह विशम्बर दयाल नामक सूअर पर ही जाता है। कुछ ही देर पहले अंजू और कबीर ने उस कुत्ते को रमा संग रंगरलियां मनाते देखा था। संभव है की अपने पालतू आदमखोर को उसने ही भेजा हो।

कबीर पर खुन्नस तो है ही उसे, और इससे उस तरीके का अर्थ भी समझ आ जाता है, जिसके अनुरूप आदमखोर ने कबीर पर हमला किया। चूंकि इस बार उसका औचित्य कबीर को सत्य में हानि पहुंचाने का था, अर्थात उसने किसी प्रकार का रहम नहीं किया कबीर पर, लगता यही है की इस दफा उसके इरादे कुछ अलग से थे। देखते हैं विशम्बर दयाल ने ही उसे भेजा था अथवा नहीं। वैसे उस गलीच इंसान ने ही भेजा होगा, ताकि ब्याह रुकवा सके और उस चम्पा – चमेली का भोग लगाता रह पाए। और कुछ हो न हो भाई, इस सूअर को नाली में ज़रूर भेजना कहानी के अंत तक...

इधर अंजू और कबीर की बढ़ती नजदीकियां इशारा कर रहीं हैं उस तूफान की तरफ जो बढ़ता चला आ रहा है, कबीर को नेस्तनाबूत कर देने के लिए। निशा अभी नहीं जानती कबीर के अवैध संबंधों के बारे में, चाची और सरला संग जो कांड उसने किए हैं, उसकी कोई जानकारी नहीं है निशा को। ऊपर से अब ये अंजू! शायद अवैध संबंधों का तो उतना असर पड़ता भी ना कबीर और निशा के रिश्ते पर, परंतु यदि कबीर और अंजू की करीबी प्रेम में बदली, और एक प्रेम त्रिकोण का निर्माण हुआ, तब निशा को कौन रोक पाएगा, तबाही मचाने से?

और अंजू!? जब उसे ज्ञात होगा की जिससे वो प्रेम करती है उसने पहले ही उसके लिए एक सौतन का इंतज़ाम किया हुआ है, वो भी एक डायन का, तब क्या होगा? अब ये मत कहिएगा की अंजू को अभी कबीर से प्रेम नहीं हुआ है, इतनी बुरी हालत में भी, लंगड़ाते हुए, वो कबीर के पास पहुंच गई, ये जानते हुए की वहां आदमखोर होगा, इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है प्रेम का..? रही बात कबीर की, तो वो तो खानदानी हरामी है, मौका दे बस अंजू, और क्रिकेट की पूरी टीम खड़ी कर देगा कबीर तो...

बहरहाल, इतना हंगामा हुआ, परंतु ना सूअर कहीं दिखाई दिया, ना अभिमानु और ना ही मंगू पिल्ला। सूअर और पिल्ला, तो फिर भी शायद रमा के छेदों में हो पड़े होंगे, पर अभिमानु कहां गया। उसके गुप्त कमरे का ताला तोड़ा है कबीर ने, जब ज्ञात होगा उसे, तब क्या..? कबीर ने अपने रूपांतर को लेकर उसे जो डराया है, मेरे ख्याल से अभिमानु का ध्यान अभी केवल वो जड़ी – बूटी ढूंढने पर होगा, जिससे कबीर का रूपांतर रोका जा सके।

दोनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अंजू का चरित्र – चित्रण एक नकचढ़ी लड़की के रूप में हुआ है, परंतु उसकी यही अदा उसे खास बनाती है। अंजू और कबीर के सभी नोंक – झोंक से भरे दृश्य, बेहद ही खूबसूरत थे। 109 अध्याय और 721 पन्नों के बाद भी पाठकों को भली – भांति मूर्ख बना रखा है आपने, है हो! :bow:

प्रतीक्षा अगले भाग की...
 

Skmunmun

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#109

गली में दरवाजे के ठीक सामने आदमखोर खून से लथपथ खड़ा था उसकी पीली आँखे मेरी आँखों से मिली . उसने मुझे देख कर गुर्राया . उसके नुकीले दांत जिनसे रक्त टपक रहा था . मैं समझ गया था की आज ये किसी का तो शिकार कर आया है . अत्याप्र्त्याषित रूप से उसने मुझे लात मारी. मैं जरा भी तैयार नहीं था वार के लिए हवा में उड़ता हुआ मैं लोहे के दरवाजे से जा टकराया.



“आईईईई ” बड़ी तेज लगी थी मुझे. बहुत ही मुश्किल से संभल पाया मैं .

“रुक साले , तुझे आज मैं बताता हूँ ” मैं उसकी तरफ लपका पर वो तेज था उसने मुझे छकाया और एक बार फिर से उठा कर पटक दिया. गिरते हुए मैंने एक बात पर गौर किया कभी ये साला हाथ ही नहीं धरने देता कभी ये वार करता नहीं माजरा क्या है ये. किस्मत देखो, ब्याह के कारन पूरी गली की सफाई करवा दी गयी थी तोऐसा कुछ भी नहीं था जो हमले में इस्तेमाल किया जा सके.

तीसरी बार जब उसने मुझे चबूतरे पर पटका तो मेरा सब्र टूट गया.

मैं- ठीक है फिर .

मैंने उसके अगले वार को थाम लिया पर उसके पंजे मेरे कंधो में धंस जाने को बेताब लग रहे थे आज. उसके बदन से आती ताजा रक्त की महक मुझ पर भी असर करने लगी थी. बदन में दौड़ता रक्त सुन्न होने लगा था . दिल अचानक से ही करने लगा की सामने वाले का सीना चीर दू और उसके ताजा खून को अपने होंठो से लगा लू. न जाने मुझे क्या हुआ मैंने उसकी गर्दन पकड कर उसे ऊपर उठा लिया. उसकी पीली आँखों में मैंने हैरानी देक्खी.

अब बारी मेरी थी. मैंने उसके पेट में लात मारी वो सीधा चाची के चबूतरे पर जाकर गिरा. चबूतरे का फर्श एक पल में तड़क गया. पर वो आदमखोर तुरंत ही उठ कर लपका मुझ पर . इस बार मैं सावधान था मैंने उसे हवा में ही लपका और सामने दिवार पर दे मारा. दिवार का कोना झड़ गया. बाहर हो रही उठापटक से लोग भी जाग गए और बाहर आने लगे. चाची दौड़ते हुए बाहर आई , आदमखोर को देखते ही उसकी चीख निकल गयी. आदमखोर चाची की तरफ लपका पर मैंने फुर्ती दिखाते हुए उसका पैर पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.

“चाची अन्दर जा और किवाड़ बंद कर ले. ” मैं चिल्लाया पर चाची जरा भी नहीं हिली डर के मारे जम ही गयी वो . दो चार लोग और बाहर आये मामला संगीन हो सकता था आदमखोर को यहाँ से हटाना बेहद जरुरी हो सकता था .

मैंने उसे धक्का दिया और गली के बाहर की तरफ भागा. वो मेरे पीछे आया. मैं यही चाहता था . एक दुसरे को छकाते हुए हम लोग गाँव से बाहर आ चुके थे. अब मैदान साफ़ था वो था और मैं था . आज की रात मैं बड़ी शिद्दत से ये किस्सा खत्म कर देना चाहता था .

“बता क्यों नहीं देता तू क्या पहचान है तेरी ” मैंने उसे सड़क से खेत की पगडण्डी पर घसीटते हुए कहा. उसने एक नजर आसमान की तरफ देखा और ऐसा मुक्का मारा मुझे की तारे ही नाच गए मेरी आँखों के सामने, नाक से खून बहने लगा. इम्पैक्ट इतना जोर का था की लगा कहीं नाक ही न टूट गयी हो.



पैने नाखून मेरी जाकेट को उधेड गए एक पल में ही . वो पूरी तरह से छा चूका था . इस से पहले की नाखून छाती में घुस जाये. मैंने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से दूर धकेला. आदमखोर के अन्दर मैं नयी उर्जा को महसूस कर रहा था . जिस खेत में हम लड़ रहे थे वहां पर कंक्रीट के छोटे खम्बे लगे थे तारबंदी में मैंने वो खम्बा उखाड़ लिया और उसके सर पर वार किया.



वार सटीक जगह पर हुआ था ,एक पल को वो चकराया और मैंने बिना देर किये दो चार वार उसके सर पर लगातार किये. उसका घुटना निचे हुआ और अगला वार उसके कंधे पर हुआ . वो बुरी तरह से चीखा और फिर उसकी लात मेरे पेट पर पड़ी. दर्द से दोहरा हो गया मैं जब तक मैं संभला वो रफू चक्कर हो गया. इक बार फिर से मैं पकड़ नहीं पाया था उसे. अपने सीने पर हुए जख्म को रगड़ते हुए मैं सडक पर आया और सोचने लगा की किस तरफ गया होगा ये.

अगर वो जंगल की तरफ भागा था तो उसे तलाश कर पाना असंभव था इस रात के समय में . लंगड़ाते हुए मैं वापिस गाँव की तरफ चल दिया. गाँव में घुसा ही था की मैंने अंजू को देखा , खून से लथपथ सर से रिसता खून , पैरो में लचक . मैं हैरान हो गया उसे देख कर मेरा शक कहीं न कहीं यकीन में बदल रहा था की अंजू ही वो आदमखोर है .



“कबीर, तू ठीक है न मैं तुझे ही देखने आ रही थी ” इस से पहले की अंजू और कुछ कहती मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे धर लिया.

मैं- बस बहुत हुआ नाटक बंद कर , अब तेरे पास छिपाने को कुछ नहीं बचा. तू ही है वो आदमखोर . तुझे ठीक वहीँ पर चोट लगना जहाँ उस आदमखोर को लगी थी पुष्टि करती है मेरे शक की और फिर तू भी जानती थी की घायल अवस्था में तू जायदा दूर नहीं जा पायेगी तो रूप बदल लिया.

अंजू- दम घुट रहा है मेरा छोड़ मुझे

मैं- अब कोई नाटक नहीं

“कबीर छोड़ दे अंजू को ” ये आवाज भाभी की थी जो चाची और कुछ गाँव वालो के साथ हाथो में लालटेन, लट्ठ लिए हमारी तरफ ही आ रही थी .

मैं- इसे छोड़ दिया तो बहुत नुकसान हो जायेगा भाभी

भाभी- इसे कुछ हो गया तो नुकसान हो जायेगा कबीर

मैं- आप नहीं जानती भाभी

भाभी- जानती हूँ तभी कह रही हु, आदमखोर का हमला इस पर ही हुआ था . पड़ोसियों की दो भैंसों को मारने के बाद आदमखोर ने अंजू पर ही हमला किया था छत से गिरने के कारन ही इसे चोट लगी है . अफरा तफरी में ये घर के बगल में घायल मिली . जब इसे मालूम हुआ की तुम आदमखोर के पीछे हो तो अपनी चोट भूल कर ये इधर ही दौड़ पड़ी.

भाभी की बात सुन कर मैंने अंजू को छोड़ दिया . भाभी ने उसे संभाला पर मेरा मन नहीं मान रहा था .

घर आने के बाद मैंने देखा की सब लोगो में अजीब सी दहशत फैली हुई थी मैंने सबको आश्वस्त किया की घबराने की कोई बात नहीं है. चंपा से मैंने पानी गर्म करने को कहा और अपने जख्मो को देखने लगा. चूँकि अब कोई वैध तो था नहीं , मैने शहर के डाक्टर का दिया डब्बा निकाला और अपने जख्मो पर मरहम लगाने लगा.

यदि अंजू नहीं थी वो आदमखोर तो फिर कौन था , और अंजू पर हमला करने का उसका कोई मकसद था या फिर बस अंजू उसका शिकार थी और लोगो की तरह सर में दर्द होने लगा था . मैंने चाची से थोडा दूध लाने को कहा और वहीँ आँगन में एक गद्दा बिछा कर लेट गया.

Aapke update bahut chote hote hai
 

Avinashraj

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#109

गली में दरवाजे के ठीक सामने आदमखोर खून से लथपथ खड़ा था उसकी पीली आँखे मेरी आँखों से मिली . उसने मुझे देख कर गुर्राया . उसके नुकीले दांत जिनसे रक्त टपक रहा था . मैं समझ गया था की आज ये किसी का तो शिकार कर आया है . अत्याप्र्त्याषित रूप से उसने मुझे लात मारी. मैं जरा भी तैयार नहीं था वार के लिए हवा में उड़ता हुआ मैं लोहे के दरवाजे से जा टकराया.



“आईईईई ” बड़ी तेज लगी थी मुझे. बहुत ही मुश्किल से संभल पाया मैं .

“रुक साले , तुझे आज मैं बताता हूँ ” मैं उसकी तरफ लपका पर वो तेज था उसने मुझे छकाया और एक बार फिर से उठा कर पटक दिया. गिरते हुए मैंने एक बात पर गौर किया कभी ये साला हाथ ही नहीं धरने देता कभी ये वार करता नहीं माजरा क्या है ये. किस्मत देखो, ब्याह के कारन पूरी गली की सफाई करवा दी गयी थी तोऐसा कुछ भी नहीं था जो हमले में इस्तेमाल किया जा सके.

तीसरी बार जब उसने मुझे चबूतरे पर पटका तो मेरा सब्र टूट गया.

मैं- ठीक है फिर .

मैंने उसके अगले वार को थाम लिया पर उसके पंजे मेरे कंधो में धंस जाने को बेताब लग रहे थे आज. उसके बदन से आती ताजा रक्त की महक मुझ पर भी असर करने लगी थी. बदन में दौड़ता रक्त सुन्न होने लगा था . दिल अचानक से ही करने लगा की सामने वाले का सीना चीर दू और उसके ताजा खून को अपने होंठो से लगा लू. न जाने मुझे क्या हुआ मैंने उसकी गर्दन पकड कर उसे ऊपर उठा लिया. उसकी पीली आँखों में मैंने हैरानी देक्खी.

अब बारी मेरी थी. मैंने उसके पेट में लात मारी वो सीधा चाची के चबूतरे पर जाकर गिरा. चबूतरे का फर्श एक पल में तड़क गया. पर वो आदमखोर तुरंत ही उठ कर लपका मुझ पर . इस बार मैं सावधान था मैंने उसे हवा में ही लपका और सामने दिवार पर दे मारा. दिवार का कोना झड़ गया. बाहर हो रही उठापटक से लोग भी जाग गए और बाहर आने लगे. चाची दौड़ते हुए बाहर आई , आदमखोर को देखते ही उसकी चीख निकल गयी. आदमखोर चाची की तरफ लपका पर मैंने फुर्ती दिखाते हुए उसका पैर पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा.

“चाची अन्दर जा और किवाड़ बंद कर ले. ” मैं चिल्लाया पर चाची जरा भी नहीं हिली डर के मारे जम ही गयी वो . दो चार लोग और बाहर आये मामला संगीन हो सकता था आदमखोर को यहाँ से हटाना बेहद जरुरी हो सकता था .

मैंने उसे धक्का दिया और गली के बाहर की तरफ भागा. वो मेरे पीछे आया. मैं यही चाहता था . एक दुसरे को छकाते हुए हम लोग गाँव से बाहर आ चुके थे. अब मैदान साफ़ था वो था और मैं था . आज की रात मैं बड़ी शिद्दत से ये किस्सा खत्म कर देना चाहता था .

“बता क्यों नहीं देता तू क्या पहचान है तेरी ” मैंने उसे सड़क से खेत की पगडण्डी पर घसीटते हुए कहा. उसने एक नजर आसमान की तरफ देखा और ऐसा मुक्का मारा मुझे की तारे ही नाच गए मेरी आँखों के सामने, नाक से खून बहने लगा. इम्पैक्ट इतना जोर का था की लगा कहीं नाक ही न टूट गयी हो.



पैने नाखून मेरी जाकेट को उधेड गए एक पल में ही . वो पूरी तरह से छा चूका था . इस से पहले की नाखून छाती में घुस जाये. मैंने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से दूर धकेला. आदमखोर के अन्दर मैं नयी उर्जा को महसूस कर रहा था . जिस खेत में हम लड़ रहे थे वहां पर कंक्रीट के छोटे खम्बे लगे थे तारबंदी में मैंने वो खम्बा उखाड़ लिया और उसके सर पर वार किया.



वार सटीक जगह पर हुआ था ,एक पल को वो चकराया और मैंने बिना देर किये दो चार वार उसके सर पर लगातार किये. उसका घुटना निचे हुआ और अगला वार उसके कंधे पर हुआ . वो बुरी तरह से चीखा और फिर उसकी लात मेरे पेट पर पड़ी. दर्द से दोहरा हो गया मैं जब तक मैं संभला वो रफू चक्कर हो गया. इक बार फिर से मैं पकड़ नहीं पाया था उसे. अपने सीने पर हुए जख्म को रगड़ते हुए मैं सडक पर आया और सोचने लगा की किस तरफ गया होगा ये.

अगर वो जंगल की तरफ भागा था तो उसे तलाश कर पाना असंभव था इस रात के समय में . लंगड़ाते हुए मैं वापिस गाँव की तरफ चल दिया. गाँव में घुसा ही था की मैंने अंजू को देखा , खून से लथपथ सर से रिसता खून , पैरो में लचक . मैं हैरान हो गया उसे देख कर मेरा शक कहीं न कहीं यकीन में बदल रहा था की अंजू ही वो आदमखोर है .



“कबीर, तू ठीक है न मैं तुझे ही देखने आ रही थी ” इस से पहले की अंजू और कुछ कहती मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे धर लिया.

मैं- बस बहुत हुआ नाटक बंद कर , अब तेरे पास छिपाने को कुछ नहीं बचा. तू ही है वो आदमखोर . तुझे ठीक वहीँ पर चोट लगना जहाँ उस आदमखोर को लगी थी पुष्टि करती है मेरे शक की और फिर तू भी जानती थी की घायल अवस्था में तू जायदा दूर नहीं जा पायेगी तो रूप बदल लिया.

अंजू- दम घुट रहा है मेरा छोड़ मुझे

मैं- अब कोई नाटक नहीं

“कबीर छोड़ दे अंजू को ” ये आवाज भाभी की थी जो चाची और कुछ गाँव वालो के साथ हाथो में लालटेन, लट्ठ लिए हमारी तरफ ही आ रही थी .

मैं- इसे छोड़ दिया तो बहुत नुकसान हो जायेगा भाभी

भाभी- इसे कुछ हो गया तो नुकसान हो जायेगा कबीर

मैं- आप नहीं जानती भाभी

भाभी- जानती हूँ तभी कह रही हु, आदमखोर का हमला इस पर ही हुआ था . पड़ोसियों की दो भैंसों को मारने के बाद आदमखोर ने अंजू पर ही हमला किया था छत से गिरने के कारन ही इसे चोट लगी है . अफरा तफरी में ये घर के बगल में घायल मिली . जब इसे मालूम हुआ की तुम आदमखोर के पीछे हो तो अपनी चोट भूल कर ये इधर ही दौड़ पड़ी.

भाभी की बात सुन कर मैंने अंजू को छोड़ दिया . भाभी ने उसे संभाला पर मेरा मन नहीं मान रहा था .

घर आने के बाद मैंने देखा की सब लोगो में अजीब सी दहशत फैली हुई थी मैंने सबको आश्वस्त किया की घबराने की कोई बात नहीं है. चंपा से मैंने पानी गर्म करने को कहा और अपने जख्मो को देखने लगा. चूँकि अब कोई वैध तो था नहीं , मैने शहर के डाक्टर का दिया डब्बा निकाला और अपने जख्मो पर मरहम लगाने लगा.

यदि अंजू नहीं थी वो आदमखोर तो फिर कौन था , और अंजू पर हमला करने का उसका कोई मकसद था या फिर बस अंजू उसका शिकार थी और लोगो की तरह सर में दर्द होने लगा था . मैंने चाची से थोडा दूध लाने को कहा और वहीँ आँगन में एक गद्दा बिछा कर लेट गया.
Nyc update bhai
 

SKYESH

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एक बात समझ नहीं आयी की अभी वो दिन भी नहीं आया और आदमखोर हमले पर हमले कर रहा है क्या वो चम्पा का विवाह रुकवाना चाहता है ताकि कुंवारी को ही ज़िंदगी भर चोदता रहे ?
:freak::freak::freak::freak:
 
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