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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Dheere Dheere sab samjh me aa raha hai wah chor mahaveer hi tha jiski wajah se sona talab me aaya, hawas ki aag ne use andha kar diya tha jiski saza use mil gayi thik chacha ke saath bhi aisa hi hua ya fir kaho hona bhi chahiye.

Abhi bhi kai raaz hai kai sawal hai ummid hai jald hi wo bhi saamne aa jaayege, nisha or kabir ka pyaar bhara update kab aayega, behtarin update tha...
धीरे धीरे हर पर्दा हट रहा है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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अगर कहीं भाभी होती तो कबीर बेहोश ही हो जाता हैरान न होता पर जस्सी के बाद भाभियों का कोई भरोसा भी नही
जस्सी जैसी कोई नहीं
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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कबीर इतना सब कुछ देख लिया सुन लिया बेहोश तो नही होगा अब , आदत जो हो गयी है
सही कहा
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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#131

राय साहब अभी तक नहीं लौटे थे, हमले की रात से ही वो गायब थे. इतना बड़ा काण्ड होने के बाद भी वो कैसे अनजान बने रह सकते थे. मुझे भी लगने लगा था की कहीं ये बाप की ही तो साजिश नही. पर किसलिए , मेरे पास वक्त बहुत कम था . निशा को इस घर में लाने से पहले मैं इस तमाम चुतियापे से छुटकारा पा लेना चाहता था ताकि आगे की जिन्दगी आराम से जी सकू मैं. सवालो का अम्बार लगा था मेरे मन के अन्दर .



महावीर ने सोना चुराया था , जिसका आरोप पिताजी ने चाचा पर लगाया था . अथाह सोना था धरती के सीने में थोडा बहुत अगर गायब हुआ भी तो क्या ही फर्क पड़ना था . अंदेशा था की या तो पिताजी को महावीर की कारस्तानी मालूम थी या फिर पिताजी ने ही कोई ऐसा खेल खेला था जिससे की महावीर और चाचा उलझ गए थे , जिस तरह से रमा आजतक पिताजी के साथ थी और पहले बी पिताजी और चाचा के बीच झगडे की वजह रमा बनी थी तो क्या ऐसा नहीं हो सकता था की महावीर को इस्तेमाल किया गया हो.



पिताजी के कमरे से मिली चुडिया , वैसी ही चुडिया कविता के कमरे से मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता था. कुछ तो ऐसा था जिसे समझ नही पा रहा था मैं. लगने लगा था की पिताजी ने कोई चक्रव्यूह रचा है हम लोग जिसके मोहरे मात्र है . कठपुतिलियो को अपने इशारे पर नचा रहे हो जैसे वो. मैंने एक नजर ढलती शाम को देखा और सोचा क्या ये बदलता मौसम किस्मत भी बदल पायेगा क्या



चूत का चक्कर , इन्सान कितना भी शातिर क्यों न हो इस चक्कर में जो उलझा फिर पार नहीं पा पाया. जवानी के जोश से भरे महावीर को अपने हुस्न के जाल में फ़साना रमा के लिए भला कितना मुश्किल रहा होगा. और जो एक बार इस चक्कर में पड़े फिर उसके लिए क्या रिश्ता क्या नाता. उदाहरण मैं खुद था कितनी आसानी से मैं चाची को चोद गया था और फिर सरला से भी सम्बन्ध बना गया था. मुझमे और महावीर में देखा जाये तो ज्यादा फर्क नहीं था . मैं चाची के पास गया और बोला- सर बहुत दुःख रहा है बाम लगा दो

चाची ने बाम लगाना शुरू किया .

मैं- एक बात पुछू

चाची- हाँ

मैं- तू चाहती तो तू रमा को भी मार सकती थी उसने तेरा पति तुझसे छिना था पर ऐसा नहीं किया क्यों

चाची- कितनी रमा को मारती मैं , छोटे ठाकुर ने गाँव की किसी ही औरत को छोड़ा होगा . मैं किस किस से लडती . उन दिनों घर का माहौल बहुत तनाव से भरा था . राय साहब ने पूरा जोर लगाया हुआ था अपने भाई की तलाश करने को . मैंने छोटे ठाकुर को मार तो दिया था पर जानती थी की ये राज छुप नहीं पायेगा. अभिमानु अगर हर कदम मेरे साथ नहीं खड़ा होता तो टूट कर बिखर चुकी होती मैं.



चाची का कहना सही था . किस किस से लडती वो जब कमी खुद उसके पति की थी . न जाने क्यों मुझे लग रहा था की कुछ तो छूट रहा है मुझसे एक बार फिर से मैंने चीजो को जोड़ना शुरू किया. महावीर के मरने के बाद आदमखोर का हव्वा फैलाना , इसका क्या कारन हो सकता था . माना की राय साहब हरगिज नहीं चाहते थे की सोने की खदान का राज किसी को भी मालूम हो पर वो तो पहले ही छिपी हुई थी न . छिपी हुई चीज को छिपाने की भला क्या जरुरत आन पड़ी थी .



दूसरी सम्भावना ये थी की मंगू जो नकली आदमखोर बन कर घूम रहा था उसकी जानकारी राय साहब को मालूम ही न हो , राय साहब का भी चुतिया काटा जा रहा हो. मंगू गायब था और यदि मेरा अनुमान सही था तो मैं जानता था की वो मुझे कहाँ मिलेगा. रात के अँधेरे को चीरते हुए मैं दबे पाँव चले जा रहा था खदान के उस हिस्से की तरफ जहाँ पर मुझे वो नंगी तस्वीरे पड़ी मिली थी .


अँधेरे में चलते चलते मुझे कोफ़्त होने लगी थी पर दूर जलती मशाल की रौशनी बता रही थी की खान में कोई तो है जरुर. और जब मैं वहां पर पहुंचा तो मैंने जो देखा , ऐसा लगा की फिर से किस्मत ने मुझे छल लिया हो . बिस्तर पर मंगू अकेला नहीं था , उसके साथ ...... उसके साथ कोई और भी थी और वो की और जो थी मैंने सोचा नहीं था की उस से इस हालात में मुलाकात होगी.
चंपा??
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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तुम कब से लोगों की बातों का बुरा मानने लगे,
अपने दिल की सुनो प्रभु
और अपडेट पोस्ट करो :shy:
किताब मे था मैंने इधर पोस्ट कर दिया
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Jab sabkuch saaf hota hai to dekhne ka najriya bhi badal jaata hai kabir ke saath bhi aisa hi ho raha hai, nisha ka khayal hi kahani ko khubsurat bana deta hai, jungle se hi shuru hui thi ye kahani kuch paaya kuch khoya..

Mangu abhi bhi faraar hai, nisha ko lene bhi jaana hai intzaar rahega us update ka jab mausam gulabi honga ek dor judne waali hongi Or wo honga jo humne socha bhi nahi jiska dar sabhi ko hai..
मंगू का किस्सा अगले भाग मे दौड़ेगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाई ऐसे ऐसे दृश्य और खुलासे दिखाएं हैं कि लिखने भर से संतुष्टि नहीं मिलती सकती ना जाने कितने घाव ना जाने कितनी सालों की पीड़ा क्रोध सब कुछ तो था अब वो धोखा खाने का भी समय आ गया है ....
सही कहा भाई
 

HalfbludPrince

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चाची मादरचोद या निशा मादरचोद
मैं क्या जानू
 
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