#133
तभी अचानक से सरला ने अपना लहंगा मेरे मुह पर फेंक दिया दो पल के लिए मैं उसमे उलझ गया और मंगू ने मुझ पर वार किया. ताकत में मंगू लगभग मेरे बराबर ही था . ऊपर से सरला के धोखा दिया था . मैं सकते में था पर मुझे साथ ही समझ आ रहा था की भैया कितने मजबूर रहे होंगे जब अपने दोस्त महावीर से लड़ना पड़ा था उन्हें पर मैं कमजोर नहीं था . मैंने मंगू को उठा कर पटका और एक लात सरला के पेट में मारी.
मंगू- सरला बचना नहीं चाहिए ये , अगर ये बचा तो फिर हमारे लिए मुसीबत हो जाएगी.
मैं- मुसीबत तो तुम्हरे लिए हो ही गयी है धोखेबाजो.
सरला उछल कर मेरी पीठ पर बैठ गयी और मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल कर गला दबाने लगी. आगे से मंगू ने भी अपने हाथ मेरी गर्दन पर कस दिए. मैं दोहरी गिरफ्त में था . मैंने मंगू के पैर पर लात मारी और खुद को बिस्तर पर गिरा लिया . सरला मेरे निचे आ गयी. मैंने उसकी पकड़ से छूटते ही दो तीन थप्पड़ दिए उसे और मंगू को धर लिया.
मैं पहले मंगू से निपटना चाहता था , सरला से मुझे दो सवालों के जवाब चाहिए थे .
एक पल मेरे दिमाग में ये ख़याल आया और इसी में मामला हाथ से निकल गया मंगू ने एक फावड़े से मेरे सर पर वार कर दिया. चोट जोरदार लगी थी आँखों के आगे तारे नाच गए . मंगू का अगला वार मेरी बाह पर हुआ फावड़े का नुकीला हिस्सा मेरी बांह में धंस गया था .
“आह ” मैं अपनी चीख नहीं रोक पाया .
मंगू- ये तो शुरुआत है कबीर. अपने बड़ो के कर्मो का फल छोटो को चुकाना पड़ता है तू खुशकिस्मत है जो तेरी तक़दीर में ये मुकाम आया.
मेरा सर भनभना रहा था , मंगू के लगातार वार मुझे कमजोर कर रहे थे . फावड़े की चोट मुझे बेहाल कर रही थी . हाथ पैर मारते हुए मेरे हाथ में मेरी बेल्ट आ गयी जो पास में ही पड़ी थी . मैंने उसे पकड़ा और मंगू के हाथ पर मारी . फावड़ा गिर गया. मैंने जोर लगाते हुए मंगू को धकेला और फावड़ा उठा लिया. अचानक से ही ये सब हुआ तन्न्न की जोरदार आवाज हुई और मंगू का सर फट गया.
नहीईईई “” सरला चीख पड़ी .
मैं- तेरा हिसाब बाद में करूँगा रुक जरा
पर सरला घाघ औरत थी , जितना मैं समझ रहा था वो उस से कहीं ज्यादा शातिर थी. उसने फुर्ती करते हुए मशाल बुझा दी . अचानक से हुए अँधेरे ने थोड़ी देर के लिए मुसीबत बढ़ा दी मेरी. मंगू ने मेरे पैरो पर वार किया .
मैं- मंगू ख़त्म करते है इस खेल को .
मैंने मंगू के अन्डकोशो पर जोरदार लात मारी वो जमीं पर गिर गया .मैं उसकी छाती पर बैठा और उसके गले पर अपनी गिरफ्त बढ़ा दी . वो हाथ पैर मारने लगा पर मुझ पर इतना उन्माद छा गया था की अब रुकने वाला था मैं
मैं- बस सब शांत हो जायेगा मंगू सब शांत हो जायेगा. भाई माना था तुझे पर तूने दगा किया कभी तुझे नौकर नहीं समझा पर न जाने क्यों तेरी आँखों पर लालच की पट्टी पड़ गयी देख आज तेरे आस पास कितना लालच है पर तू खाली हाथ जायेगा इस दुनिया से
इतना कह कर मैंने मंगू के गले पर और दवाब बढ़ा दिया . जब तक की वो हाथ पैर पटकता रहा धीरे धीरे उसका बदन शांत हो गया . मेरा दिल जल रहा था पर मैं रोया नहीं . उसकी लाश को एक बार भी नहीं देखा मैंने . इस बीच सरला वहां से भाग चुकी थी और मैं जानता था की वो कहाँ जाएगी.
पूरा गाँव अँधेरे में डूबा था . बिजली नहीं थी . पर मेरे कदम जानते थे की कहाँ जाना है. मैंने कविता के कमरे की खिड़की को हल्का सा धक्का दिया और अन्दर घुस गया . घर में सन्नाटा था पर मैं इस धोखे को जानता था . वैध के कमरे में जाते ही मैंने सरला को दबोच लिया .
“छोड़ कबीर मुझे ” सरला घुटी आवाज में बोली.
मैं- छुपने के लिए सबसे कमजोर जगह चुनी तूने. कहा था न तुझ पर भरोसा कर रहा हूँ भरोसा मत तोडना मेरा. तुझे क्या माना था मैंने और तू क्या निकली. पर फ़िक्र कर तुझे नहीं मारूंगा . तेरे खून से अपने हाथ गंदे नहीं करूँगा. मेरे सवाल है जवाब दे और सच बोलेगी तू वर्ना पूरा गाँव तेरा तमाशा देखेगा. उस रात कोचवान ने ऐसा क्या देख लिया था जो वो पागल हो गया था
सरला-उसने मुझे परकाश से चुदवाते हुए देख लिया था .
इस नए खुलासे ने मुझे हैरान कर दिया था. परकाश मादरचोद तीनो रंडियों को पेल रहा था.
सरला- सबसे पहले हम तीनो को छोटे ठाकुर ने चोदा था . पर फिर रमा का मोह टूट गया उसने महावीर ठाकुर से यारी कर ली . महावीर ठाकुर सहर से लौटे थे . रमा उनके किस्से बताती हमको. कविता को भी चोद चुके थे वो और फिर मैं भी उनके साथ सो ली. महावीर ठाकुर शहर से काफी चीजे लाते हमारे लिए. तरह तरह की रंगीन किताबे दिखाते और वैसे ही चोदते हमको. अलग तरह के कपडे लाते खुद सजाते हमको . पर फिर एक रात खबर आई की महावीर ठाकुर मर गए. छोटे ठाकुर उसी दौरान गायब हो गए थे .
वक्त बड़ा नाजुक हो गया था . रमा गाँव छोड़ कर मलिकपुर में पहले ही बस चुकी थी . मैंने और कविता ने निर्णय लिया की अब ये अब बंद करेंगे . और ऐसा हमने किया भी . कुछ साल ऐसे ही बीत गये पर मुसीबत फिर से लौट आई. इस बार परकाश था न जाने कैसे उसके पास हम तीनो की नंगी तस्वीरे थी जिसमे हम महावीर के साथ सम्भोग में लिप्त थी . वो भी हमसे जिस्म ही चाहता था . बेशक हम को उन तस्वीरों से फर्क नहीं पड़ना था गाँव में तो बदनाम थे ही पर फिर रमा के कहने पर हम ने उस से भी नाता जोड़ लिया. पर उसको कविता सबसे ज्यादा पसंद थी . उस रात जब मेरे पति के साथ वो घटना हुई तब मैं और परकाश जंगल में मोजूद थे. परकास के शौक भी निराले थे वो अपने साथ जानवरों की पोशाके लाता था वो पहन कर हम लोग जंगल में चुदाई करते थे .
उस रात बदकिस्मती से मेरा पति उस तरफ निकल आया. जंगल में अफवाहे तो फैली हुई ही थी , मेरे पति ने हम दोनों को आदमखोर या डाकन समझ लिया और उसे दौरा पड़ गया . परकाश के पास कोई दवाई थी जो उसने मेरे पति को दी जिस से उसकी हालात और ख़राब हो गयी. प्रकाश ने गाँव में नकली ओझा भी बुलाया था जिसने अफवाहों को गर्म कर दिया हर कोई ये समझने लगा की जंगल में डायन है पञ्च के लड़के को भी प्रकाश ने ही वो दवाई पिलाई थी .
अब मुझे परकास के घर में मिली उन पोशाको का राज समझ आ गया था दवाई उसे कविता देती होगी.
मैं- अपने पति को मौत का रास्ता दिखा दिया तूने .
सरला कुछ नहीं बोली.
मैं- वैध को क्यों जान देनी पड़ी.
सरला- वैध जंगल में बहुत दखल दे रहा था हर रात ही पता नहीं क्या करने जाता था वो हम लोगो को उसकी वजह से परेशानी हो रही थी इसलिए उसे रस्ते से हटाना पड़ा.
मैं- परकाश ने ही कहा हो गा की कबीर से सम्बन्ध बना ले
सरला ने हाँ में सर हिलाया
मैं- परकाश क्या चाहता था .
सरला- वो महावीर के कातिल को तलाश रहा था ..