100% राय साहब ही दोषी हैं...
घर-परिवार ही नहीं गाँव-समाज के मुखिया होने के हर अधिकार का उन्होंने कानूनी ही नहीं गैर-कानूनी भी इस्तेमाल किया (लाली का उदाहरण कहानी की शुरूआत में है)
लेकिन अधिकार के साथ दायित्व भी होता है ... अगर घर-परिवार, गाँव-समाज जहाँ राय साहब मुखिया बने हुये हैं, वहाँ कुछ गलत होता है, किसी के साथ गलत होता है या कोई गलत करता है तो रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ राय साहब की है...
लेकिन ऐसा उन्होंने ना तो रोका, गलत होने दिया बल्कि स्वयं भी उस गलत में बढ़-चढ़कर शामिल रहे.....
अब भी आपको वो बेकसूर लगते हैं तो मुझे आपसे जुड़े लोगों का भविष्य इस कहानी में लिखा दिख रहा है....
अब अगर किसी को लगता है कि कहानी है सीरियस ना लेकर मजा लेना चाहिए....
तो....
"बहुत बढ़िया"
"Nice Update"
"Waiting for Next"