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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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निशा......
निशा के अतीत का एक शब्द भी नंदिनी ने नहीं बताया... ना अभिमानु ने
जबकि दोनों ही उसके बारे में सबकुछ जानते हैं

और जानते हैं... कबीर के पिताजी.... राय साहब

निशा राय साहब की सरपरस्ती में नहीं... राय साहब निशा की सरपरस्ती में हैं... इसीलिए अब तक जिन्दा रहकर बिसात पर मोहरे बिछाकर खिलाड़ी बने हुये हैं

जैसे 'दिल अपना प्रीत पराई' की जस्सी मोहरा ना होते हुये भी राणा हुकुम सिंह की ना सिर्फ पूरी बिसात... बल्कि पूरे खेल की सरपरस्त थी...

मोह... मोह, माया से भी ज्यादा खतरनाक है... ये जिसे होता है ना सिर्फ उसे, जिससे होता है ना सिर्फ उसे... बल्कि इनसे जुड़े हर किसी को बर्बाद कर देता है...
प्यार में सिर्फ आँखें मुंदी रहती हैं... मोह में तो हमेशा के लिये अन्धे हो जाते हैं

अब फौजी भाई कुछ भी लिख दें यहाँ लेकिन इस सच को वो जानते भी हैं, ('द डार्क साइड सागा' में देखें) भुगत भी चुके हैं और यहाँ एक कमेन्ट में मान भी चुके हैं

जो जानते हुये भी चुप रहकर गलत होने दे उसके बारे में हमारे राष्ट्रकवि 'दिनकर' जी ने कहा है

"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध!
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा, उनका भी अपराध!!"
निशा का सच तो सब के सामने हमेशा से ही था बस पाठक उसे पकड नहीं पाए किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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महान लोग ही सृजन करते हैं...
इस कहानी का सृजन अभिमानु ने किया...
कहानी कभी नायक नहीं बनाता...
कहानी बनाता है खलनायक... और खलनायक का विनाशक... मानु ने दोनों की रक्षा की...
खलनायक राय साहब, जरनैल चाचा, महावीर, प्रकाश और सूरजभान हों
या
खलनिग्रहकर्ता/विनाशक चाची, अन्जू, नंदिनी (आदमखोर)

अब असमन्जस ये है कि मुझे ये महानता नहीं पतन की पराकाष्ठा लगती है क्योंकि एक व्यक्ति ने महान बनने के लिये ना सिर्फ अपने, घर, परिवार, रिश्तेदार, मित्र, परिचित बल्कि पूरे गांव समाज को खलनायकों के सामने शिकार बनाकर परोस दिया ...
मुझे महान नहीं बनना था भाई मुझे बस दुनिया को बताना था कि मैंने भी प्यार किया है.
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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ये मेरा निजी विश्लेषण है, जरूरी नहीं कि कोई दूसरा भी मेरे दृष्टिकोण से सहमत हो... लेखक सहित :D
इन मुद्दों पर क्रिया-प्रतिक्रिया या वाद विवाद के लिये नीचे लिंक में दिये गये मेरे लॉउंज के थ्रेड पर आपका स्वागत है....
यहाँ तर्क-वितर्क और कुतर्क की छीछालेदर ना फैलायें
:love3:
हम तो मान लेते है जो आप कहते है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मैं आपकी बात से सहमत नही :cmouth:
क्योंकि सब कुछ बदलने में ज्यादा वक्त नही लगता
आप नहीं समझेंगी, कुछ चीजे कभी नहीं बदलती
 

HalfbludPrince

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अतीत के बारे में आपकी यह बात लागू नहीं होती....
अतीत ज्यादा वक्त लगाकर भी नहीं बिल्कुल नहीं बदलता
ये ना समझ पाएगी
 

HalfbludPrince

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एक सरला ही क्या तीनों वैसी ही थी, कविता ने भी अपने पति को मरवाया, रमा ने तो पति के साथ बेटी की बलि भी ले ली।

लालच और हवस लोगों से सब करवा लेता है।
सही कहा
 
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