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निशा का सच तो सब के सामने हमेशा से ही था बस पाठक उसे पकड नहीं पाए किसी ने ध्यान ही नहीं दिया.निशा......
निशा के अतीत का एक शब्द भी नंदिनी ने नहीं बताया... ना अभिमानु ने
जबकि दोनों ही उसके बारे में सबकुछ जानते हैं
और जानते हैं... कबीर के पिताजी.... राय साहब
निशा राय साहब की सरपरस्ती में नहीं... राय साहब निशा की सरपरस्ती में हैं... इसीलिए अब तक जिन्दा रहकर बिसात पर मोहरे बिछाकर खिलाड़ी बने हुये हैं
जैसे 'दिल अपना प्रीत पराई' की जस्सी मोहरा ना होते हुये भी राणा हुकुम सिंह की ना सिर्फ पूरी बिसात... बल्कि पूरे खेल की सरपरस्त थी...
मोह... मोह, माया से भी ज्यादा खतरनाक है... ये जिसे होता है ना सिर्फ उसे, जिससे होता है ना सिर्फ उसे... बल्कि इनसे जुड़े हर किसी को बर्बाद कर देता है...
प्यार में सिर्फ आँखें मुंदी रहती हैं... मोह में तो हमेशा के लिये अन्धे हो जाते हैं
अब फौजी भाई कुछ भी लिख दें यहाँ लेकिन इस सच को वो जानते भी हैं, ('द डार्क साइड सागा' में देखें) भुगत भी चुके हैं और यहाँ एक कमेन्ट में मान भी चुके हैं
जो जानते हुये भी चुप रहकर गलत होने दे उसके बारे में हमारे राष्ट्रकवि 'दिनकर' जी ने कहा है
"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध!
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा, उनका भी अपराध!!"