Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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This kind of drift is his specialitysince past 2 -3 updates you left many contradictions in story and not clearing it these small incidents are a drag on the story
This kind of drift is his specialitysince past 2 -3 updates you left many contradictions in story and not clearing it these small incidents are a drag on the story
भाई के डायलॉग की तरह एकदमसामने है... पर दिख नहीं रहा....
बस बकचोदी हुई और ...कुछ नहीं
This kind of drift is his speciality
since past 2 -3 updates you left many contradictions in story and not clearing it these small incidents are a drag on the story
निशा कौन है ???? एक डाकिन
एक ऐसी डाकिन जहाँ पर निशा रहती है वहां की जानकारी ही उसको नहीं
जंगल में कौन आता है
खन्डर में कौन कौन आता है
सोने की खान
आदमखोर का जंगल/खन्डर में आना
नन्दनी का निशा के पैर छू कर माथे से लगाया
डाकिन का मन्दिर में आना
यह सभी बातें निशा के डायन न होने का इशारा कर रही है
समय बंधु समय, फर्क़ ये नहीं पड़ता कि रोल की लंबाई कितनी है महत्तवपूर्ण ये है कि उसका प्रभाव क्या पड़ता है.. ये तमाम नाम जो आपने गिनाये ये अतीत है निशा को यदि कबीर का आज और भविष्य बनना है तो समय महत्तवपूर्ण होगा.अब ये कोई माने या ना माने लेखक महाश्य ने सस्पेंस, थ्रिल, सेक्स को प्रेम कहानी पर हावी किया है
नहीं तो ऐसी कैसी प्रेम कहानी की निशा डाकिन है पर एक भी संकेत उसने ऐसा नहीं दिया शुरू में मास भून के खाने कै इलावा वो तो आम इंसान भी भून कर खाता है
मान भी लो की वो डाकिन है पर उसे से ज़्यादा रोल तो कहानी में रमा, सरला का है अंजू ५ साल बाद आयी उस का है मंगू का है नंदिनी का है बस निशा ही प्रेम कहानी से गायब होती है
समय बंधु समय, फर्क़ ये नहीं पड़ता कि रोल की लंबाई कितनी है महत्तवपूर्ण ये है कि उसका प्रभाव क्या पड़ता है.. ये तमाम नाम जो आपने गिनाये ये अतीत है निशा को यदि कबीर का आज और भविष्य बनना है तो समय महत्तवपूर्ण होगा.