Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
- 18,818
- 38,574
- 259
लॉकेट पर शक तो हम पहले दिन से ही करते आ रहें हैं, आप जी गोली दे देते हो बार बार।अब सही रास्ते पर आए हों भाई. लाकेट मैंने समय समय पर इशारे किए थे अब ना समझो तो हम क्या करे
लॉकेट पर शक तो हम पहले दिन से ही करते आ रहें हैं, आप जी गोली दे देते हो बार बार।अब सही रास्ते पर आए हों भाई. लाकेट मैंने समय समय पर इशारे किए थे अब ना समझो तो हम क्या करे
8 साल से खंडहर मे कोई गया नहीं तो निशा किसे देखे भाई. क्या निशा ने नहीं कहा था वो किसे तलाश रही है. पैर छुने वाला सीन तुम ना समझ पायेनिशा कौन है ???? एक डाकिन
एक ऐसी डाकिन जहाँ पर निशा रहती है वहां की जानकारी ही उसको नहीं
जंगल में कौन आता है
खन्डर में कौन कौन आता है
सोने की खान
आदमखोर का जंगल/खन्डर में आना
नन्दनी का निशा के पैर छू कर माथे से लगाया
डाकिन का मन्दिर में आना
यह सभी बातें निशा के डायन न होने का इशारा कर रही है
शुरुआत भी ना हुई है अभी तोनिशा को इतना छुपाना सस्पेंस रहा ही कहाँ ?
अब वो छुपावत बन गया कहानी तो चिलरों के उपर ही घूम रही है वो भी इतने बड़े क़त्लेआम के बाद
Sahi kahaisse hume yah seekh milti hai ki choot pr thodi daya vi dikhani chahiye tabhito agli bar faadne ko milehi hahahahah....
याद करो वो मुलाकात जब निशा ने कहा था डायन की प्यास जाएगी तो तेरा रक्त पी लूँगी. उधार है ये. जिस दिन तृष्णा जाएगी तेरे घर आऊंगी रक्त पीने वो घड़ी आने वाली हैअच्छे आदमी को उसकी अच्छाई ही मारती है, कबीर कुछ हद तक अच्छा है, बाकी चाची और सरला से उसके संबंध उसकी अच्छाई और खून मे दौड़ते हवस के कारण ही बने है।
निशा के साथ उसने बहुत समय बिताया है, लेकिन लेखक ने इस समय को किसी कारणवश खुल कर नही बताया है
मुझे भी कहाँ मालूमKamdev bhai hamare fauji bhai kya twist le kar aayenge yeh to koi bi nahi bata sakta
सरला को जाने दिया कबीर ने दरअसल अपडेट लिखते हुए मुझे एक गाना याद आ रहा था जा तुझे माफ़ कियाSarla ki baato ka bharosa karna bekaar hai ho sakta kabir (apni maut) ko saamne dekhkar aisa kah rahi ho, jaise inhe mard badalne me waqt nahi lagta waise hi inhe baat badalne me bhi waqt nahi lagta hai.
Rahi baat kabir ki to uske ab tak jis jis ke saath bhi sambhandh the sabhi razamandi se the or uska kirdaar bemale hai.
Khandhar par chachi jaati thi aisa lagta hai hume ye sirf andaza hai, Nisha ka intzaar hai besabri se...
ThanksBhai 1 of the best stories i have read in a long time silent reader for yrs but ur story made me a member of this forum
Fellow readers should remember this story is through the point of view of kabeer till kabeer finds out all the truth story can't end
Otherwise Nisha has given him all the hints when she said all the mystery are hidden in ur house now look everything he is searching for is related to his family
Who killed his mom his uncle
Who killed his uncle his chachi
Who is the werewolf his bhabhi
Who does the gold belong to his father
Sarla ki baatein bohot kuch keh gayi jiske chalte Kabir bi kuch na bol paya
Lazwaab update
सियार हाँ याद आयाFauji bhai bhool gaye kaya?
Nisha ka siyaar bhai
ThanksNice update