• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Tiger 786

Well-Known Member
6,064
21,957
173
#40

चाची के आने के बाद हम सब ने खाना खाया . उसके बाद मैं चंपा को छोड़ने चला गया . वापसी में मैं थोड़ी देर उस पेड़ के पास बने चबूतरे पर बैठ गया जहाँ से लाली को सजा सुनाई थी . ये दुनिया बड़ी मादरचोद है मैंने सोचा . पर मैं दोष देता भी तो किसे मैं खुद अपनी चाची को चोद रहा था .दूसरी बात मंगू ने कविता को फसाया हुआ था और हरामी ने मुझे कभी बताया भी नहीं ..

बैठे बैठे मैंने सोचा की एक दिन आयेगा जब मैं भी अपनी पसंद की लड़की से ब्याह करने का कहूँगा तब भी ये जमाना मेरे खिलाफ ही जायेगा जैसे लाली के खिलाफ था एक दिन मुझे भी ऐसे ही किसी पेड़ पर लटका दिया जायेगा. खैर, कितनी देर बैठे रहते घर तो जाना ही था चाची मेरी राह ही देख रही थी .

मैंने बिस्तर पर जाते ही रजाई ओढ़ ली और आँखे बंद कर ली. कुछ ही देर में चाची भी बिस्तर में आ गयी .

चाची- क्या बात है परेशां लगते हो , शहर में डॉक्टर ने क्या बताया

मैं- डॉक्टर ने कहा सब ठीक है जल्दी ही जख्म भर जायेगा

चाची- तो फिर चेहरे पर ये चिंता किसलिए

मैं- चाची तुम चंपा की सबसे अच्छी दोस्त हो . उसका तुमसे कुछ नहीं छुपा

चाची- क्या हुआ बताएगा भी

मैं- चंपा ने मुझे बताया की मंगू उसकी लेता है

मेरी बात सुन कर चाची कुछ देर के लिए चुप हो गयी और फिर बोली---- सच है ये कबीर.

मै- तुमको पता था , तुमने खाल क्यों नहीं उतारी मंगू की

चाची- उसका कारण था , ये बात अगर गाँव में फैलती तो उन दोनों को मार दिया जाता समाज में बदनामी होती अलग

मैं- तो क्या बदनामी के डर से हम अनुचित को संरक्षण देंगे

चाची- ये दुनिया वैसी नहीं है कबीर जैसा तू समझता है . मंगू के माता पिता का क्या दोष है अगर औलाद ना लायक निकल जाये तो . मंगू और चंपा को तो एक दिन लटका दिया जाता पर उसके माँ बाप लोगो के तानो से रोज मरते . तिल तिल करके मरते वो . दूसरी बात ये दुनिया एक हमाम है कबीर जिसमे हम सब नंगे है . चम्पा और मंगू की बात क्यों करे तू मुझे और खुद को देख हम दोनों भी तो गुनेह्गर है कहीं न कहीं . कहने को हम माँ-बेटे है और बिस्तर पर लोग-लुगाई बने हुए है

.

चाची मुझे वो आइना दिखा रही थी जिसके वजूद को मैं नकार रहा था .



चाची- कबीर, मैं जानती हूँ चंपा के मन में चाहत है तेरे प्रति, तेरे अन्दर जो मंगू की दोस्ती का मान है वो भी जानती हु. चंपा की हर कोशिश तेरे करीब आने की दोस्ती की आन पर आकर रुक जाती है . और मुझे गर्व है इस बात का की मेरा बेटा रिश्तो की अहमियत समझता है . चंपा ने अपना मन तेरे सामने खोला क्योंकि वो विश्वास करती है तुझ पर अब ये तेरी जिम्मेदारी है की तू उसका मान रखे.



मैं- मंगू ने कविता को भी पटाया हुआ था .

चाची- वो उसकी जिन्दगी है , उसका निजी मामला है हमें जरुरत नहीं उसमे पड़ने की .

मैं- वो मुझे बता सकता था .

चाची- कबीर समझ लो कुछ बाते निजी होती है अब देखो तुम्हारी भाभी और यहाँ तक मुझे भी लगता है की तुम्हारे किसी लड़की से चक्कर है जिससे मिलने को तुम रात रात भर गायब रहते हो हमारे लाख पूछने पर भी तुमने हमें नहीं बताया क्योंकि तुम समझते हो ये निजी मामला है तुम्हारा. बेशक मंगू और तुम बचपन से एक साथ रहे हो पर कुछ चीजे दोस्तों से भी छिपाई जाती है . सो जाओ अब , सुबह हमें पूजा के लिए चलना है .

चाची ने पीठ मोड़ ली मैंने एक बार उसकी गांड पर हाथ फेरा और फेर कर ही रह गया क्योंकि तभी मेरे कंधे में दर्द हो गया मुड़ने से . मैंने कंधे के निचे तकिया लगाया और सोने की कोशिश करने लगा. सुबह अँधेरे ही चाची ने मुझे उठा दिया . थोड़ी देर में ही मैं तैयार हो गया . और हम लोग चल दिए.

चौपाल पर पहुँचने के बाद हम लोग उस रस्ते पर मुडने लगे जो गाँव से बाहर जंगल की तरफ जाता था .

मैं- मंदिर दूसरी तरफ है

भाभी- चुपचाप चलते रहो .

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था .

चाची- पूजा, वनदेव के पत्थर पर होगी. बहुरानी को लगता है की जंगल में वनदेव ही सुरक्षित रखेंगे तुम्हे.

मैं- इतनी सी बात के लिए इतनी ठंडी सुबह में ले जा रहे हो मुझे

चाची- देवता के बारे में कुछ मत बोलो

खैर हम लोग वनदेव के पत्थर के पास पहुंचे मैंने हसरत भरी नजरो से उस तरफ देखा जो निशा की मिलकियत तक जाता था . न जाने क्यों दिल को अच्छा लगा. गाँव का पुजारी पहले से ही वहां पर मोजूद था . एक चटाई सी बिछा कर पूजा की तैयारिया शुरू की गयी . पुजारी ने अग्नि जलाई और मन्त्र पढने शुरू किये उसने मेरे माथे पर टीका लगाया और फिर मुझे अपना हाथ आगे करने को कहा जैसे ही मैंने अपना हाथ आगे किया पुजारी के मन्त्र रुक गए उसके माथे पर पसीना बहने लगा. इधर-उधर देखने लगा वो

भाभी- क्या हुआ पुजारी जी

पुजारी- ये शुभ मुहूर्त नहीं है

भाभी- ये क्या कह रहे है आप. आपने ही तो पंचांग देख कर गणना की थी

पुजारी- मुझसे भूल हुई होगी.

भाभी- भूल नहीं हुई आपसे आप कुछ छिपा रहे है हमसे . जो भी बात है वो बताई जाये

अब राय साहब की बहु को भला कौन मना करे. पुजारी ने मेरा हाथ पकड़ा और भाभी के सामने कर दिया. जलती आंच के ताप में मेरी कलाई में बंधा धागा झिलमिलाने लगा और भाभी की त्योरिया चढ़ती गयी .

भाभी- पुजारी जी आप जाइये अभी , आपकी दक्षिणा हम भिजवा देंगे

मैं भी उठने लगा तो भाभी बोली- तुम यही रुको कुंवर.

मैं- जब पूजा होने ही नहीं वाली तो क्या फायदा रुकने का वैसे भी ठण्ड बहुत है

“हमें दुबारा कहने की जरुरत नहीं है ” भाभी ने थोड़े गुस्से से कहा

चाची- आराम से बहु,

भाभी- आप हमें आराम से रहने को कह रही है ,ये देखने के बाद भी ....

मैं- क्या कह रही हो मुझे बताओ तो सही .........

चाची - ये धागा किसने दिया तुम्हे

मैं- ये धागा ......... ये ये तो........
Superb update
 

Golu

Active Member
1,031
2,950
159
किस किस को एक अपडेट और चाहिए, क्या बोलते भाई लोग रात रंगीन की जाऐ
किस किस को एक अपडेट और चाहिए, क्या बोलते भाई लोग रात रंगीन की जाए
ये भी कोई पूछने वाली बात है एक और मिल जाए क्या ही कहना ऐसी जगह ये अध्याय रुका की सब्र तो कम ही है नेक्स्ट अपडेट के लिए
 
Top