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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Rekha rani

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दोनों उपडते लाजवाब है, लगता है ये सब जायदाद का चक्कर निकलने वाला है, सब अपने चेहरे पर मुखोटा ओढे है। कहते कुछ है करते कुछ है,
भाभी जब कबीर को सही गलत का पाठ पढ़ा रही है तो खुद क्यो नही समझी उस बात को और एक बेटे को उसके ही पिता के कारनामे बता दिये, जब बेटा उस बात के लिए कुछ सोचता है तो वो उसे ही समझाती है वो गलत सोच रहा है। इस दोहराहे पर कबीर को रख कर भाभी साबित क्या करना चाह रही है।
चाची से सम्बंद इसलिए बनवाये गए है कि समय आने पर कबीर आवाज उठाये तो उसको दबाया जा सके कि अपने गिरहबान में झांके पहले।
उधर अभिमन्यु और सूरजभान के बीच प्यार की नई पाठशाला खुली लगती है, अपने छोटे भाई को यू भूलभुलैया में छोड़कर उसके दुश्मन के साथ घूम रहा है और पयार अपने भाई को दिखा रहा है देख छोटे मैं कितना पयार करता हु तुझसे।
अब चम्पा को क्या तोहफा देंगे शादी की तारीख बताने पर राय साहब
 
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Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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#५९



मेरा भाई सूरजभान को इतनी अहमियत क्यों देता था ये सोच सोच कर मैं पागल हुए जा रहा था . दूसरा राय साहब क्या चीज थे. मेरा वजूद मेरे घर की दीवारों से आजाद हो जाना चाहता था . रात को जब मैं घर पहुंचा तो पिताजी घर पर नहीं थे. मैंने देखा भाभी अपना काम कर रही थी मौका देख कर मैं पिताजी के कमरे में घुस गया. मेरा दिल में अजीब सी घबराहट थी ऐसा पहली बार तो नहीं था की मैं इस कमरे में आया था पर ऐसे चोरी छिपे घुसने में डर सा लग रहा था .



कमरे में रोशनी थी हर सामान बड़े सलीके से रखा था . बिस्तर के सिराहने एक अलमारी थी थोड़ी दूर एक मेज थी जिस पर कुछ सामान रखा हुआ था . मैंने अलमारी खोली पिताजी के कपडे थे. पर मुझे किसी और चीज की तलाश थी दराज में देखा पर वसीयत के कागज वहां भी नहीं थे . क्या पिताजी के कमरे में कोई ख़ुफ़िया दराज थी या ऐसी जगह जहाँ पर कुछ छुपाया जा सके. मैंने लगभग कमरा छान लिया पर कागज नहीं मिले मुझे.

हताशा में मैंने इधर उधर हाथ पैर मारे बिस्तर के एक कोने में मुझे कुछ ऐसा मिला जिसने एक बार फिर मुझे हैरान कर दिया. बिस्तर के कोने में चूडियो के कुछ टूटे टुकड़े पड़े थे. मेरे बाप के बिस्तर पर टूटी चूडियो के टुकड़े सोचने वाली बात थी . न जाने क्यों मैंने वो टुकड़े अपनी जेब में रख लिए और कमरे से बाहर आया.

इस घर में दो औरते थे भाभी हमेशा सोने के कंगन पहनती थी चाची के हाथो को मैंने खाली देखा था तो क्या कोई तीसरी औरत थी जो मेरी जानकारी के बिना घर में आती थी पर कैसे , किसलिए. टूटी चूडियो ने मेरे दिमाग को उलझा कर रख दिया था ऐसा क्या था इस घर की दीवारों के पीछे छिपा हुआ जो बाहर आने को बेकरार था .



“किस सोच में इतना गहरे डूबे हो ” निशा ने अलाव जलाते हुए कहा

मैं- क्या मालूम

निशा- दोस्तों को बताने से दिल हल्का हो जाता है

मैंने सोचा की निशा से ये बात करना ठीक रहेगा या नहीं क्योंकि राय शहाब के बारे में ऐसी बात करना सामाजिक तौर पर ठीक नहीं था फिर भी मैंने निशा को सारी बात बताई

निशा कुछ देर सोचती रही और फिर बोली- तुम्हारी भाभी का कहना बिलकुल सही है इस दुनिया में एक ही रिश्ता है औरत और मर्द का रिश्ता और जिस्मो की प्यास कबीर कब न जाने क्या कर जाये कोई नहीं जानता . परदे के पीछे जो चीजे होती है उनका सामने आना कभी कभी सब कुछ बर्बाद कर बैठता है . हर चीज के दो मायने होते है इसके भी है समझो , तुम्हारे पिता काफी सालो से अकेले रहे है , एक इन्सान की कुछ खास जरूरते होती है जिनमे से एक सम्भोग भी है यदि चंपा और पिताजी के बीच इस रिश्ते में दोनों की रजामंदी है तो उनके नजरिये से ठीक है ये अब दूसरा नजरिया समझो यदि वो चंपा का शोषण कर रहे है तो पाप के भागीदार है वो . सही और गलत के मध्य एक बहुत महीन रेखा होती है कबीर.

निशा ने एक गहरी साँस ली और बोली- ये समाज रिश्तो की एक ऐसी भूलभुलैया है जिसमे अपने हिसाब से रिश्तो की व्याख्या की जाती है , भाभी को देखो वो नहीं चाहती की उसका देवर एक डाकन संग रहे पर तू और मैं जानते है इस रिश्ते की सच्चाई को. बेशक हम दोनों के कर्म अलग है पर नियति ने दोस्ती की डोर बाँधी. यदि चंपा को ऐतराज नहीं है तो तू भी इस पर मिटटी डाल .

मैं- और वसीयत का चौथा टुकड़ा उसका क्या

निशा- तुझे किसका मोह है . वो राय साहब की कमाई दौलत है उनकी जमीने है वो चाहे जिसे भी दे तू अपना कर्म कर तू किसान है . तेरे हाथो की मेहनत बंजर धरती पर भी सोना उगा देती है . तू अपनी तक़दीर अपने हाथो से लिखता है

मैं- मेरे हाथो की तक़दीर में कोई रेखा तेरे साथ की भी है क्या

निशा- नियति जाने .

मैं- नियति ही तुझे मेरी जिन्दगी में लाइ है नियति ही तुझे मेरी बनाएगी.

निशा- मेरा मोह भी छोड़ दे , दुनिया में हजारो-लाखो होंगी मुझसे हसीं मुझसे जुदा

मैं- पर तू तो एक ही हैं न मेरी सरकार.

निशा- मैं अँधेरा हूँ तेरे सामने सुनहरा उजाला है

मैं- तेरे साथ इन अँधेरे प्यारे है मुझे

मैंने निशा की गोद में अपना सर रखा और लेट गया . अलाव की आंच चट चट चटकती रही हम बाते करते रहे.

मैं- भाभी कहती है की इस धागे को उतार कर फेक दे ये डाकन का है

निशा- सच ही तो कहती है ठकुराइन

मैं- पर वो इस डाकन को जानती नहीं

निशा- वो जान गयी होगी

मैं- बताया नहीं फिर मुझे

निशा- तू जाने वो जाने

मैं- कोई तो रास्ता होगा तेरे मेरे मिलने का . तेरी दुनिया के नियम भी तो टूटते होंगे.

निशा- मैं वो सपने नहीं देखती जिनके टूटने पर दुःख हो.

वो मेरे पास लेट गयी उसका हाथ मेरे सीने पर आया.

“दिल करता है इस दिल को निकाल लू ” उसने कहा

मैं- तेरा दिल है ले जा बेशक

निशा- दुनिया कहेगी डायन एक और को खा गयी.

मैं- ये तू जाने दुनिया जाने.

इसके आगे मैं कुछ और नहीं कह पाया अगले ही पल निशा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और फिर मैं सब कुछ भूल गया. आँख खुली तो मैंने खुद को अलाव की राख में लिपटे हुए पाया. मुस्कुराते हुए मैंने कपडे झाडे और वापिस घर की तरफ चल पड़ा. घर पहुँच कर देखा की पिताजी , भैया और पुजारी जी आँगन में बैठे कुछ बाते कर रहे थे . पुजारी का सुबह सुबह हमारे घर आना मुझे अजीब ही लगा. उन पर नजर डाल कर मैं मुड़ा ही था की भैया की नजर मुझ पर पड़ी और मुझे अपने पास बुलाया

भैया- छोटे, चंपा के ब्याह का मुहूर्त निकलवाया है पुजारी जी कहते है की होली के बाद की पूनम को बड़ा ही शुभ मुहूर्त है .

पूनम की रात का जिक्र होते ही मेरे तन में झुरझुरी दौड़ गयी .

मैं- पुजारी जी कहते है तो ठीक ही होगा.

मैंने अनमने भाव से कहा.

“पुजारी जी हमारे देवर के बारे में भी कुछ कहिये , चंपा के ब्याह के बाद इनका ही नम्बर होगा आप कोई योग देखिये ताकि हम रिश्तो की बात शुरू कर पाए. ” भाभी ने चाय के कप रखते हुए कहा

मैंने अपनी आस्तीन थोड़ी चढ़ाई पुजारी की नजर मेरी कलाई पर बंधे निशा के धागे पर पड़ी और वो बोला- मैं देख कर बता दूंगा

पिताजी- तो लगभग दो सवा दो महीने बीच में है . अभिमानु तयारी शुरू कर दो

भैया ने हाँ में सर हिलाया

भाभी- मैं बता दू चंपा को

मैं- नहीं ये काम मुझे करने दो

तभी पिताजी बोल पड़े- उसे ये खबर हम देंगे . भाई शुभ समाचार है बिना किसी तोहफे के कैसे बताएँगे उसे.


मैं सोचने लगा कही उसे चोद कर तो नहीं बताएगा मेरा बाप.
Kabir ne paresan ho kr akhirkar chhanbin shuru kr hi diya Ray sahab ke kamre me usko kisi mahila ki chudiyan padi hui mili jisko saboot ke taur pr kuch tukde apne paas rkh liya. Chachi chudi pehnti nhi bhabhi sone ki pehnti hai. To sirf bachi ek champa jisko shayad chudi ke sath or bhi shringar ke sazo saman pehna kr pura biwi wali feeling lete honge shayd Ray sahab champa ke sath humbistar tb hote honge jb champa puri trh unki patni ki get up me hoti hogi ye mera anuman hai baki agey pta chal hi jayega. Qki shayad woh isliye champa ko khud shadi ki khabar sunana chahte honge qki woh chautha kagaj jo shayd vashiyat ka HI hoga woh bhi dena hoga.? Shayad ab kabir ke samne kuch sachaai samne aye. Kabir ne apna dukh dard nisha ji ke sanjha krke apna mann halka kr liya nisha ji ne bhi bakhubi kabir ke gham ko kuch kam kr diya chumma chatti krke ab bss ye dekhna hai kabir ke hathon ki lakiro me nisha ji ka naam hai bhi ya nahi agr hai to milan me kitne badhaon ka samna krna hoga.
 

Studxyz

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राय साब लंड तो पहले ही चम्पा को तोहफे में दे चुके हैं बदले में उसकी चुत ले चुके हैं बाकि क्या अब उसकी गांड लेने का इरादा है :vhappy1:
 
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#58



मेरे सवालो में दो सवाल और जुड़ गए थे पहला की वसीयत की इतनी जल्दी क्यों दूजा चौथा कागज किसका था. मेरे ख्याल जब टूटे जब चाची ने मुझे खाना खाने के लिए अंदर बुलाया. चाची ने खाना परोसा और हम दोनों खाना खाने बैठ गए.

मैं- पिताजी ने इतनी जल्दी वसीयत क्यों बनवा ली

चाची- ये तो जेठ जी ही जाने पर मैंने कह दिया है मुझे कुछ नहीं चाहिए . मेरी पूंजी तो तू और अभी मानु हो.

मै- तुम्हारी भावनाओ की कद्र है चाची. विचार करो जरा पिताजी ने क्या पूरी ईमानदारी से वसीयत बनवाई है.

चाची- जायदाद के तीन टुकड़े किये एक मुझे और दो तुम दोनों भाइयो के. मुझे आधा हिस्सा इसलिए दिया क्योंकि तेरे चाचा होते तो आधा उनका मिलता.

मैं- उसकी बात नहीं कर रहा हूँ .

चाची-तो फिर क्या कहना चाहता है तू

मैं चाची से कुछ कहता उस से पहले ही भाभी अन्दर आ गयी मेरी बात अधूरी रह गयी.

भाभी- आजकल तो आपने हमें पराया ही कर दिया है चाची जी.

चाची- अपने बच्चो को कोई माँ कभी पराया नहीं कर सकती बैठ अभी परोसती हूँ तुझे भी .

हम तीनो हलकी-फुलकी बाते करते हुए खाना खाने लगे. फिर चाची बर्तन समेट कर बाहर चली गयी रह गए हम देवर-भाभी.

भाभी- तो बात कुछ आगे बढ़ी तुम्हारी.

मैं- कैसी बात भाभी

भाभी- इतने भी भोले नहीं तुम

तब मुझे समझ आया की निशा की बात कर रही है भाभी

मैं- बात पक्की तब समझूंगा जब वो दुल्हन बन कर इस चोखट पर आएगी

भाभी- उफ्फ्फ्फ़ ये दिल्लगी.

मैं- आशिकी भाभी

भाभी- पिताजी ने वसीयत बनवा ली है

मैं- जानता हूँ

भाभी- तुम्हारे तो वारे-न्यारे है सबसे ज्यादा हिस्सा तुम्हारा ही होने वाला है

मैं- मुझे ये परिवार चाहिए और कुछ नहीं . इस धन-दौलत का मोह नहीं मुझे

भाभी- मोह कैसे होगा दिल एक डाकन से जो लगा बैठे हो

मैं- बार बार एक ही बात करने से क्या हासिल होगा आपको

भाभी- मुझे लगता है की इस वसीयत में कमी है जल्दबाजी में बनवाई गयी है ये.

मैं- मेरा भी यही मानना है

भाभी- तो क्या कमी पकड़ी तुमने

मैं- अभी पकड़ी नहीं है पर जल्दी ही पिताजी से आमने सामने बात करूँगा

भाभी- मुझे लगता है की तुम्हे वसीयत को दुबारा पढना चाहिए

मैं- क्या आपको लगता है की पिताजी ने हमसे दूर कुछ ऐसा किया हुआ है जिसका हमें मालूम नहीं . मेरा मतलब कोई दूसरी औरत या परिवार

भाभी- तू जब अगली बार घर से बाहर जाओ तो जो भी तुम्हे पहला सक्श मिले और फिर अंतिम सख्श तक तुम सबसे ये सवाल करना तुम्हे जवाब मालूम हो जायेगा और ये भी की राय साहब का कद कितना बड़ा है .

मैं- पर उसी राय साहब ने अपनी बेटी समान चंपा को गर्भवती कर दिया

भाभी- ये दुनिया उतनी खूबसूरत कहाँ है जितनी हम सोचते है . ये जीवन उतना सरल कहाँ जितना हम सुनते है . मेरी एक बात गाँठ बाँध लो इस जग में केवल दो सच्चे रिश्ते है एक पुरुष और एक औरत का बाकी सब मिथ्या है . झूठ है .

भाभी ने बहुत बड़ी बात कही थी पर वो सोलह आने सच थी .

भाभी- पुरुष हर औरत को बस एक ही नजर से देखता है और उस नजर के बारे में तुम्हे बताने की जरूरत है नहीं. औरत के लिए उसकी सुन्दरता उसका सबसे बड़ा अभिशाप है . चंपा तो मात्र एक उदाहरण है . तुम खुद को देखो कितनी आसानी से चाहे जो भी बहाना रहा हो तुमने चाची संग सम्बन्ध बना लिए. चाची की गलती रही हो या तुम्हारी उमंगें पर रिश्ता सिर्फ औरत और मर्द का. अगर मैं भी तुम्हारे सामने टांगे खोल दू तो यकीन मानो देवर भाभी के रिश्ते की मर्यादा टूटते देर नहीं लगेगी.

मैं- आपकी हिम्मत कैसे हुई ये नीच बात जुबान पर लाते हुए. आप जानती हो मैंने हमेशा माँ का दर्जा दिया है आपको

भाभी- माँ तो चाची भी है न जब तुम उसके साथ सो सकते हो तो मेरे साथ क्यों नहीं, मेरे ख्याल से ये बेचैनी क्यों हुई.

भाभी की बात खरी थी .

मैं- वो परिस्तिथिया अलग थी आप समझ नहीं पाएंगी मैं समझा नहीं पाऊंगा.

भाभी- परिस्तिथिया कितना आसान बहाना है न .मैं मान लेती हु तुम्हारी बात कुछ पलो के लिए अब विचार करो वो क्या अलग परिस्तिथिया रही होंगी जब राय साहब और चंपा के बीच जिस्मो का खेल हो गया.

मैं- आपने ही मुझे बताया उसके बारे में और अब आप ही उनका पक्ष ले रही है

भाभी- मेरे प्यारे देवर जी, मैं तुम्हे समझा रही हूँ की परिस्तिथि कितना कमजोर बहाना है. असली सच है रजामंदी , मन की चाह . चाची या तुम्हारे मन में चाहत तो जरुर रही होगी एक दुसरे को पाने की.

मैं- क्या पिताजी अपनी जायदाद में से चंपा को कुछ हिस्सा दे सकते है

भाभी- वो चाहे तो पूरी जायदाद उसे दे दे

मैं- क्या आपको कभी ऐसा लगा की पिताजी की नजरे आप पर भी गलत है

भाभी- कभी भी नहीं

मैं - तो ऐसा क्या हुआ की एक इतनी साख वाला इन्सान चंपा संग ये कर बैठा.

भाभी- तुम जानो ये

न जाने मुझे क्यों लगने लगा था की भाभी मुझसे कुछ तो छिपा रही है.

खैर, चाची के आने से हमारी बात बंद हो गयी. मैं उठ कर बाहर चला गया. थोड़ी देर गाँव में घूमा . एक बात का सकूं था की फिलहाल गाँव में उस आदमखोर के हमले कम हो गए थे जो राहत थी . घूमते घूमते मैं जोहड़ के पीछे की तरफ चला गया मिटटी के टीले पर चढ़ कर मैं पेड़ो की तरफ गया ही था की मुझे भैया की गाडी खड़ी दिखी.

“भैया यहाँ ” मैंने खुद से सवाल किया . पर गाड़ी में भैया नहीं थे . ऐसे गाड़ी छोड़ कर वो कहाँ जा सकते थे . अजीब बात थी ये. की तभी मुझे दूर से एक और गाडी आती दिखी मैं पेड़ो की ओट में हो गया दौड़ कर और देखने लगा. वो गाड़ी भैया की गाड़ी के पास आकार रुकी मैंने देखा की उसमे भैया और सूरजभान थे. सूरजभान के सर पर पट्टी बंधी थी . पर भैया इस नीच के साथ क्या कर रहे थे और कहाँ से आये थे . सोच कर मेरा सरदर्द करने लगा.

थोड़ी देर कुछ बाते करने के बाद भैया की गाड़ी गाँव की तरफ बढ़ गयी और सूरजभान जिस रस्ते से आया था उसी पर वापिस मुड गया.



“कोई तो बात है जो मुहसे छिपाई जा रही है ” मैंने कहा


Nice..update...dekhte hn aage story mein kya dhamake hote hn...
 
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#५९



मेरा भाई सूरजभान को इतनी अहमियत क्यों देता था ये सोच सोच कर मैं पागल हुए जा रहा था . दूसरा राय साहब क्या चीज थे. मेरा वजूद मेरे घर की दीवारों से आजाद हो जाना चाहता था . रात को जब मैं घर पहुंचा तो पिताजी घर पर नहीं थे. मैंने देखा भाभी अपना काम कर रही थी मौका देख कर मैं पिताजी के कमरे में घुस गया. मेरा दिल में अजीब सी घबराहट थी ऐसा पहली बार तो नहीं था की मैं इस कमरे में आया था पर ऐसे चोरी छिपे घुसने में डर सा लग रहा था .



कमरे में रोशनी थी हर सामान बड़े सलीके से रखा था . बिस्तर के सिराहने एक अलमारी थी थोड़ी दूर एक मेज थी जिस पर कुछ सामान रखा हुआ था . मैंने अलमारी खोली पिताजी के कपडे थे. पर मुझे किसी और चीज की तलाश थी दराज में देखा पर वसीयत के कागज वहां भी नहीं थे . क्या पिताजी के कमरे में कोई ख़ुफ़िया दराज थी या ऐसी जगह जहाँ पर कुछ छुपाया जा सके. मैंने लगभग कमरा छान लिया पर कागज नहीं मिले मुझे.

हताशा में मैंने इधर उधर हाथ पैर मारे बिस्तर के एक कोने में मुझे कुछ ऐसा मिला जिसने एक बार फिर मुझे हैरान कर दिया. बिस्तर के कोने में चूडियो के कुछ टूटे टुकड़े पड़े थे. मेरे बाप के बिस्तर पर टूटी चूडियो के टुकड़े सोचने वाली बात थी . न जाने क्यों मैंने वो टुकड़े अपनी जेब में रख लिए और कमरे से बाहर आया.

इस घर में दो औरते थे भाभी हमेशा सोने के कंगन पहनती थी चाची के हाथो को मैंने खाली देखा था तो क्या कोई तीसरी औरत थी जो मेरी जानकारी के बिना घर में आती थी पर कैसे , किसलिए. टूटी चूडियो ने मेरे दिमाग को उलझा कर रख दिया था ऐसा क्या था इस घर की दीवारों के पीछे छिपा हुआ जो बाहर आने को बेकरार था .



“किस सोच में इतना गहरे डूबे हो ” निशा ने अलाव जलाते हुए कहा

मैं- क्या मालूम

निशा- दोस्तों को बताने से दिल हल्का हो जाता है

मैंने सोचा की निशा से ये बात करना ठीक रहेगा या नहीं क्योंकि राय शहाब के बारे में ऐसी बात करना सामाजिक तौर पर ठीक नहीं था फिर भी मैंने निशा को सारी बात बताई

निशा कुछ देर सोचती रही और फिर बोली- तुम्हारी भाभी का कहना बिलकुल सही है इस दुनिया में एक ही रिश्ता है औरत और मर्द का रिश्ता और जिस्मो की प्यास कबीर कब न जाने क्या कर जाये कोई नहीं जानता . परदे के पीछे जो चीजे होती है उनका सामने आना कभी कभी सब कुछ बर्बाद कर बैठता है . हर चीज के दो मायने होते है इसके भी है समझो , तुम्हारे पिता काफी सालो से अकेले रहे है , एक इन्सान की कुछ खास जरूरते होती है जिनमे से एक सम्भोग भी है यदि चंपा और पिताजी के बीच इस रिश्ते में दोनों की रजामंदी है तो उनके नजरिये से ठीक है ये अब दूसरा नजरिया समझो यदि वो चंपा का शोषण कर रहे है तो पाप के भागीदार है वो . सही और गलत के मध्य एक बहुत महीन रेखा होती है कबीर.

निशा ने एक गहरी साँस ली और बोली- ये समाज रिश्तो की एक ऐसी भूलभुलैया है जिसमे अपने हिसाब से रिश्तो की व्याख्या की जाती है , भाभी को देखो वो नहीं चाहती की उसका देवर एक डाकन संग रहे पर तू और मैं जानते है इस रिश्ते की सच्चाई को. बेशक हम दोनों के कर्म अलग है पर नियति ने दोस्ती की डोर बाँधी. यदि चंपा को ऐतराज नहीं है तो तू भी इस पर मिटटी डाल .

मैं- और वसीयत का चौथा टुकड़ा उसका क्या

निशा- तुझे किसका मोह है . वो राय साहब की कमाई दौलत है उनकी जमीने है वो चाहे जिसे भी दे तू अपना कर्म कर तू किसान है . तेरे हाथो की मेहनत बंजर धरती पर भी सोना उगा देती है . तू अपनी तक़दीर अपने हाथो से लिखता है

मैं- मेरे हाथो की तक़दीर में कोई रेखा तेरे साथ की भी है क्या

निशा- नियति जाने .

मैं- नियति ही तुझे मेरी जिन्दगी में लाइ है नियति ही तुझे मेरी बनाएगी.

निशा- मेरा मोह भी छोड़ दे , दुनिया में हजारो-लाखो होंगी मुझसे हसीं मुझसे जुदा

मैं- पर तू तो एक ही हैं न मेरी सरकार.

निशा- मैं अँधेरा हूँ तेरे सामने सुनहरा उजाला है

मैं- तेरे साथ इन अँधेरे प्यारे है मुझे

मैंने निशा की गोद में अपना सर रखा और लेट गया . अलाव की आंच चट चट चटकती रही हम बाते करते रहे.

मैं- भाभी कहती है की इस धागे को उतार कर फेक दे ये डाकन का है

निशा- सच ही तो कहती है ठकुराइन

मैं- पर वो इस डाकन को जानती नहीं

निशा- वो जान गयी होगी

मैं- बताया नहीं फिर मुझे

निशा- तू जाने वो जाने

मैं- कोई तो रास्ता होगा तेरे मेरे मिलने का . तेरी दुनिया के नियम भी तो टूटते होंगे.

निशा- मैं वो सपने नहीं देखती जिनके टूटने पर दुःख हो.

वो मेरे पास लेट गयी उसका हाथ मेरे सीने पर आया.

“दिल करता है इस दिल को निकाल लू ” उसने कहा

मैं- तेरा दिल है ले जा बेशक

निशा- दुनिया कहेगी डायन एक और को खा गयी.

मैं- ये तू जाने दुनिया जाने.

इसके आगे मैं कुछ और नहीं कह पाया अगले ही पल निशा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और फिर मैं सब कुछ भूल गया. आँख खुली तो मैंने खुद को अलाव की राख में लिपटे हुए पाया. मुस्कुराते हुए मैंने कपडे झाडे और वापिस घर की तरफ चल पड़ा. घर पहुँच कर देखा की पिताजी , भैया और पुजारी जी आँगन में बैठे कुछ बाते कर रहे थे . पुजारी का सुबह सुबह हमारे घर आना मुझे अजीब ही लगा. उन पर नजर डाल कर मैं मुड़ा ही था की भैया की नजर मुझ पर पड़ी और मुझे अपने पास बुलाया

भैया- छोटे, चंपा के ब्याह का मुहूर्त निकलवाया है पुजारी जी कहते है की होली के बाद की पूनम को बड़ा ही शुभ मुहूर्त है .

पूनम की रात का जिक्र होते ही मेरे तन में झुरझुरी दौड़ गयी .

मैं- पुजारी जी कहते है तो ठीक ही होगा.

मैंने अनमने भाव से कहा.

“पुजारी जी हमारे देवर के बारे में भी कुछ कहिये , चंपा के ब्याह के बाद इनका ही नम्बर होगा आप कोई योग देखिये ताकि हम रिश्तो की बात शुरू कर पाए. ” भाभी ने चाय के कप रखते हुए कहा

मैंने अपनी आस्तीन थोड़ी चढ़ाई पुजारी की नजर मेरी कलाई पर बंधे निशा के धागे पर पड़ी और वो बोला- मैं देख कर बता दूंगा

पिताजी- तो लगभग दो सवा दो महीने बीच में है . अभिमानु तयारी शुरू कर दो

भैया ने हाँ में सर हिलाया

भाभी- मैं बता दू चंपा को

मैं- नहीं ये काम मुझे करने दो

तभी पिताजी बोल पड़े- उसे ये खबर हम देंगे . भाई शुभ समाचार है बिना किसी तोहफे के कैसे बताएँगे उसे.

मैं सोचने लगा कही उसे चोद कर तो नहीं बताएगा मेरा बाप.
Wow...ha ha 🤣🤣🤣👍 sahi guru...
 

Tiger 786

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मेरा भाई सूरजभान को इतनी अहमियत क्यों देता था ये सोच सोच कर मैं पागल हुए जा रहा था . दूसरा राय साहब क्या चीज थे. मेरा वजूद मेरे घर की दीवारों से आजाद हो जाना चाहता था . रात को जब मैं घर पहुंचा तो पिताजी घर पर नहीं थे. मैंने देखा भाभी अपना काम कर रही थी मौका देख कर मैं पिताजी के कमरे में घुस गया. मेरा दिल में अजीब सी घबराहट थी ऐसा पहली बार तो नहीं था की मैं इस कमरे में आया था पर ऐसे चोरी छिपे घुसने में डर सा लग रहा था .



कमरे में रोशनी थी हर सामान बड़े सलीके से रखा था . बिस्तर के सिराहने एक अलमारी थी थोड़ी दूर एक मेज थी जिस पर कुछ सामान रखा हुआ था . मैंने अलमारी खोली पिताजी के कपडे थे. पर मुझे किसी और चीज की तलाश थी दराज में देखा पर वसीयत के कागज वहां भी नहीं थे . क्या पिताजी के कमरे में कोई ख़ुफ़िया दराज थी या ऐसी जगह जहाँ पर कुछ छुपाया जा सके. मैंने लगभग कमरा छान लिया पर कागज नहीं मिले मुझे.

हताशा में मैंने इधर उधर हाथ पैर मारे बिस्तर के एक कोने में मुझे कुछ ऐसा मिला जिसने एक बार फिर मुझे हैरान कर दिया. बिस्तर के कोने में चूडियो के कुछ टूटे टुकड़े पड़े थे. मेरे बाप के बिस्तर पर टूटी चूडियो के टुकड़े सोचने वाली बात थी . न जाने क्यों मैंने वो टुकड़े अपनी जेब में रख लिए और कमरे से बाहर आया.

इस घर में दो औरते थे भाभी हमेशा सोने के कंगन पहनती थी चाची के हाथो को मैंने खाली देखा था तो क्या कोई तीसरी औरत थी जो मेरी जानकारी के बिना घर में आती थी पर कैसे , किसलिए. टूटी चूडियो ने मेरे दिमाग को उलझा कर रख दिया था ऐसा क्या था इस घर की दीवारों के पीछे छिपा हुआ जो बाहर आने को बेकरार था .



“किस सोच में इतना गहरे डूबे हो ” निशा ने अलाव जलाते हुए कहा

मैं- क्या मालूम

निशा- दोस्तों को बताने से दिल हल्का हो जाता है

मैंने सोचा की निशा से ये बात करना ठीक रहेगा या नहीं क्योंकि राय शहाब के बारे में ऐसी बात करना सामाजिक तौर पर ठीक नहीं था फिर भी मैंने निशा को सारी बात बताई

निशा कुछ देर सोचती रही और फिर बोली- तुम्हारी भाभी का कहना बिलकुल सही है इस दुनिया में एक ही रिश्ता है औरत और मर्द का रिश्ता और जिस्मो की प्यास कबीर कब न जाने क्या कर जाये कोई नहीं जानता . परदे के पीछे जो चीजे होती है उनका सामने आना कभी कभी सब कुछ बर्बाद कर बैठता है . हर चीज के दो मायने होते है इसके भी है समझो , तुम्हारे पिता काफी सालो से अकेले रहे है , एक इन्सान की कुछ खास जरूरते होती है जिनमे से एक सम्भोग भी है यदि चंपा और पिताजी के बीच इस रिश्ते में दोनों की रजामंदी है तो उनके नजरिये से ठीक है ये अब दूसरा नजरिया समझो यदि वो चंपा का शोषण कर रहे है तो पाप के भागीदार है वो . सही और गलत के मध्य एक बहुत महीन रेखा होती है कबीर.

निशा ने एक गहरी साँस ली और बोली- ये समाज रिश्तो की एक ऐसी भूलभुलैया है जिसमे अपने हिसाब से रिश्तो की व्याख्या की जाती है , भाभी को देखो वो नहीं चाहती की उसका देवर एक डाकन संग रहे पर तू और मैं जानते है इस रिश्ते की सच्चाई को. बेशक हम दोनों के कर्म अलग है पर नियति ने दोस्ती की डोर बाँधी. यदि चंपा को ऐतराज नहीं है तो तू भी इस पर मिटटी डाल .

मैं- और वसीयत का चौथा टुकड़ा उसका क्या

निशा- तुझे किसका मोह है . वो राय साहब की कमाई दौलत है उनकी जमीने है वो चाहे जिसे भी दे तू अपना कर्म कर तू किसान है . तेरे हाथो की मेहनत बंजर धरती पर भी सोना उगा देती है . तू अपनी तक़दीर अपने हाथो से लिखता है

मैं- मेरे हाथो की तक़दीर में कोई रेखा तेरे साथ की भी है क्या

निशा- नियति जाने .

मैं- नियति ही तुझे मेरी जिन्दगी में लाइ है नियति ही तुझे मेरी बनाएगी.

निशा- मेरा मोह भी छोड़ दे , दुनिया में हजारो-लाखो होंगी मुझसे हसीं मुझसे जुदा

मैं- पर तू तो एक ही हैं न मेरी सरकार.

निशा- मैं अँधेरा हूँ तेरे सामने सुनहरा उजाला है

मैं- तेरे साथ इन अँधेरे प्यारे है मुझे

मैंने निशा की गोद में अपना सर रखा और लेट गया . अलाव की आंच चट चट चटकती रही हम बाते करते रहे.

मैं- भाभी कहती है की इस धागे को उतार कर फेक दे ये डाकन का है

निशा- सच ही तो कहती है ठकुराइन

मैं- पर वो इस डाकन को जानती नहीं

निशा- वो जान गयी होगी

मैं- बताया नहीं फिर मुझे

निशा- तू जाने वो जाने

मैं- कोई तो रास्ता होगा तेरे मेरे मिलने का . तेरी दुनिया के नियम भी तो टूटते होंगे.

निशा- मैं वो सपने नहीं देखती जिनके टूटने पर दुःख हो.

वो मेरे पास लेट गयी उसका हाथ मेरे सीने पर आया.

“दिल करता है इस दिल को निकाल लू ” उसने कहा

मैं- तेरा दिल है ले जा बेशक

निशा- दुनिया कहेगी डायन एक और को खा गयी.

मैं- ये तू जाने दुनिया जाने.

इसके आगे मैं कुछ और नहीं कह पाया अगले ही पल निशा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और फिर मैं सब कुछ भूल गया. आँख खुली तो मैंने खुद को अलाव की राख में लिपटे हुए पाया. मुस्कुराते हुए मैंने कपडे झाडे और वापिस घर की तरफ चल पड़ा. घर पहुँच कर देखा की पिताजी , भैया और पुजारी जी आँगन में बैठे कुछ बाते कर रहे थे . पुजारी का सुबह सुबह हमारे घर आना मुझे अजीब ही लगा. उन पर नजर डाल कर मैं मुड़ा ही था की भैया की नजर मुझ पर पड़ी और मुझे अपने पास बुलाया

भैया- छोटे, चंपा के ब्याह का मुहूर्त निकलवाया है पुजारी जी कहते है की होली के बाद की पूनम को बड़ा ही शुभ मुहूर्त है .

पूनम की रात का जिक्र होते ही मेरे तन में झुरझुरी दौड़ गयी .

मैं- पुजारी जी कहते है तो ठीक ही होगा.

मैंने अनमने भाव से कहा.

“पुजारी जी हमारे देवर के बारे में भी कुछ कहिये , चंपा के ब्याह के बाद इनका ही नम्बर होगा आप कोई योग देखिये ताकि हम रिश्तो की बात शुरू कर पाए. ” भाभी ने चाय के कप रखते हुए कहा

मैंने अपनी आस्तीन थोड़ी चढ़ाई पुजारी की नजर मेरी कलाई पर बंधे निशा के धागे पर पड़ी और वो बोला- मैं देख कर बता दूंगा

पिताजी- तो लगभग दो सवा दो महीने बीच में है . अभिमानु तयारी शुरू कर दो

भैया ने हाँ में सर हिलाया

भाभी- मैं बता दू चंपा को

मैं- नहीं ये काम मुझे करने दो

तभी पिताजी बोल पड़े- उसे ये खबर हम देंगे . भाई शुभ समाचार है बिना किसी तोहफे के कैसे बताएँगे उसे.


मैं सोचने लगा कही उसे चोद कर तो नहीं बताएगा मेरा बाप.
Awesome update fauji bhai👏👏👏👏👏💯💯💯💯💯
 

Ssc456

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Me to khta hu bhabhi ki tange khulwa hi do
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