Par pta nhi kyo ye bhabhi ka kirdar bhi kuchh saaf sa nhi lagta kahi ye hi to na ho Rai sahab ke kamre me.
Interested suspence waiting for new update
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सब सवालों के जवाब यही कहीं हैराय साहब क्यो आया जंगल में
अभिमानु पांच साल क्यों दूर रहा मलिकपुर से
भाभी को देखकर कबीर उसे कब पेलने की सोचेगा
क्या अपना नंगा बदन जानबूझ कर दिखाया उसने?
पूछता है भारत
ThanksLajawab sarkar....
Suspence hai hi nahi koiज़बरदस्त घमासान हो गया बाप बेटे के बीच लेकिन ये खण्डार जहा कबीर पहुंचा वही है जहाँ निशा रहती है
लाख अंदाज़े लगा लो लेकिन इस कहानी के सस्पेंस की कोई झाँट भी नहीं उखाड़ सकता
सब जवाब जंगल मे ही मिलेंगेJabardast update, aadamkhor se mukabala to hua lekin ektrafa rha usse ye to bat malum ho chali hai hai ki wo kabir ka apna hi hai jo usko chout nhi pahucha rha hai , ray sahab jungle me kya kr rhe the ye alag rahasy hai ,
राय सहाब निशा को ढूंढे ऐसा क्यों भाईGazab ki update Fauzi Bhai,
Lekin mera manana he ki ye Ray Sahab nahi koi aur hi he, Ray Sahab bhi Kabir ki tarah usi aadamkhor ko dhundh rahe he........ya fir Nisha ko
Keep posting Bhai
ThanksBehtreen update
राय साहब के आने से पहले चम्पा ने सलवार का नाड़ा बांधा नहीं#63
क्या पिताजी निशा से मिलने आये थे या फिर वो किसी तरह से जानते है निशा को मैंने खुद से सवाल किया और फिर खुद ही नकार दिया क्योंकि चारो दिशाओ में से कोई न कोई कहीं न कहीं तो जायेगी ही . अंजुली भर कर मैंने तालाब के पानी से अपने गले को तर किया और सीढिया चढ़ते हुए खंडहर में घुस गया. कुछ भी ऐसा नहीं था जो बताये की किसी और की आमद हुई हो वहां पर . फिर भी मैंने इस खंडहर को तलाशने का सोचा .
ऐसा कुछ भी नहीं था जो इस जगह को खास बनाये सिवाय निशा की मोजुदगी के. इक तरफ से ऊपर आती सीढिया जो घूम पर पीछे उस पगडण्डी पर जाती थी. मंदिर की गुम्बद नुमा छत और दो पायो के बीच तीन कमरे जैसे बरामदे. एक तरफ बड़ी दीवारे थी दूजी तरफ कुछ नहीं .राय साहब जैसा सक्श बिना किसी बात के जंगल में क्यों जायेगा इतनी रात को . ये बात पच नहीं रही थी मुझे.
निशा जब साथ होती थी तो ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगती थी पर अभी यहाँ पर घोर सन्नाटा पसरा हुआ था . खैर, भूख भी लगी थी तो मैं वापिस कुवे पर चला गया . देखा चंपा घास खोद रही थी मैंने उसे अपने पास बुलाया
मैं- कुछ है क्या खाने को
चंपा- नहीं मालूम होता की तू यहाँ है तो ले आती खाना
मैं- कोई बात नहीं
मैंने चारपाई बाहर निकाली और लेट गया .चंपा थोड़ी दूर बैठ गयी मूढे पर
मैं- आज मजदुर नहीं आये क्या .
चंपा- पता नहीं क्यों नहीं आये
मैं- मंगू भी नहीं दिख रहा
चंपा- वो शहर गया है अभिमानु के साथ
मैं-किसलिए
चंपा- ये तो नहीं मालूम
मैंने एक नजर चंपा की फूली हुई चुचियो पर डाली और बोला- तू बता कैसा चल रहा है तेरा
चंपा- बस ठीक ही हूँ
मैं-तू आजकल घर नहीं आती
चंपा- तूने ही तो कहा था थोड़े दिन न आऊ
मैं- मेरा मतलब था की बच्चा गिराने की वजह से कमजोरी लगेगी तो आराम करना पर इतना भी आराम नहीं करना तुझे. वैसे मुझे मालूम है की मंगू ने नहीं चोदा तुझे. तू झूठ बोली मेरे से
चंपा- मैं तुझसे कभी झूठ नहीं बोलती
मैं- मंगू ने खुद कहा मुझसे
चंपा- कल को तू मुझे चोद रहा होता तो क्या तू ये बात कबूल कर लेता
मैं- मैं नहीं मानता तेरी बात क्योंकि मंगू किसी और से प्यार करता था .
चंपा- चूत मरवाई को प्यार नहीं कहते कबीर. उस रांड कविता के लिए मंगू एक खिलौना था बस जिस से वो खेल रही थी .
मैं- मंगू हद से जायदा मोहब्बत करता था उस से
चंपा- मुफ्त की चूत बड़ी प्यारी लगती है कबीर. मंगू को चूत चाहिए था कविता को लंड खुमारी प्यार लगेगी ही .
मैं- तू बहुत बड़ा आरोप लगा रही है
चंपा- मैं बस सच कह रही हूँ
मैं चंपा को देखता रहा .
चंपा- अब तू मुझे बता चुदाई के लिए आदमी किसी सुरक्षित स्थान की तलाश करेगा की नहीं
मैं- बिलकुल
चंपा- कविता ज्यादातर अकेली रहती थी वैध कभी होता कभी नहीं . तो जब घर पर गांड मरवा सकती थी वो तो जंगल में क्या माँ चुदाने गयी थी .
मैंने चंपा के हसीं चेहरे को देखा. लडकिया गाली बकते समय और भी प्यारी लगती थी. अफ़सोस इस बात का था की मेरे पास कोई जवाब नहीं था .
चंपा- मुझे पूर्ण विश्वास है की उसका कोई और यार था जिससे चुदने वो जंगल में गयी थी और तभी उस पर हमला हुआ
मैं- क्या ऐसा नहीं हो सकता की किसी ने उस पर हमला किया जान बूझ कर जंगल में बुलाया ताकि शक उस आदमखोर पर जाये
चंपा- हो सकता है
मेरे मन में था की सीधे चंपा से पुछू की राय साहब ने कैसे चोदा उसे पर मैं पूछने से कतरा रहा था .
मैं- तुझे क्या लगता है की वो दूसरा कौन होगा जिस से कविता चुदती होगी . वैध जी की गैर मोजुदगी में कोई तो आता होगा उसके घर .
चंपा- ये अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि कोई भी बीमारी का बहाना करके जा सकता था उनके घर
कविता चालू औरत थी चंपा की इस बात को पुख्ता कविता की वो हरकत कर रही थी जब उसने मेरा लंड चूसने की हरकत की थी.
मैं- मुझे भी लेनी है तेरी
चंपा ने मेरी बात बहुत गौर से सुनी और बोली- जानता है मैं हमेशा से चाहती थी तेरे साथ ये सब करना पर मैं तुझे तुझसे ज्यादा जानती हूँ तू ये कह रहा है क्योंकि तू मेरे मन की थाह लेना चाहता है .ऐसे कितने लम्हे आये गए जब हम एक हो सकते थे पर तू न जाने किस मिटटी का बना है और मुझे अभिमान है इस बात का की नियति ने मुझे तुझ जैसा दोस्त दिया है जो ये जानते हुए भी की मैं गलत हु मेरे साथ है .
मैं- फिर भी मुझे लेनी है
चंपा उठी और सलवार का नाडा खोल दिया मेरे सामने सलवार उसके पैरो में गिर गयी.
“ले फिर कर ले तेरी मनचाही ” उसने कहा
मैं- अभी नहीं जब मेरा मन करेगा तब
चंपा- ये खेल मत खेल मेरे साथ तू जो जानना चाहता है कह तो सही मुझे
मैं- मुझे लगता है की चाची और राय साहब के बीच चुदाई होती है
मेरी बात सुनकर चंपा की आँखे बाहर ही आ गयी.
चंपा- असंभव है ये . चाची कदापि ऐसा नहीं करेगी
मैं- चाची नहीं करेगी राय साहब तो कर सकते है न और दोनों के पास वजह भी तो है दोनों अकेलेपन से जूझ रहे है और फिर घर में ही जब सुख मिल सकता है तो क्या रोकेगा उनको.
चंपा - चाची बहुत नेक औरत है
मैं-नेक तो तू भी है पर अपने ही भाई का बिस्तर गर्म करती है जब तू कर सकती है तो राय साहब अपने भाई की बीवी को क्यों नहीं चोद सकते.
मैंने अपना पासा द्रढ़ता से फेंका.
चंपा-मानती हूँ चाची प्यासी है कितनी ही बार मैंने उसकी चूत का पानी निकाला है पर फिर भी मैं कहूँगी की तेरी कही बात कोई कल्पना है
मैं- मैं सच कह रहा हूँ , मैंने राय साहब के कमरे में किसी को देखा था .
मेरी बात सुनकर चंपा के माथे पर बल पड़ गये.
मैं- राय साहब अकेले है उनको भी तो इस चीज की जरुरत है और जब घर में ही चूत मिले तो उसके मजे ही मजे तू तो समझती ही हैं न
चंपा इस से पहले की मेरी बात का जवाब देती . पगडण्डी से आते मैंने राय साहब को देखा .
पिताजी ने एक नजर हम दोनों पर डाली और फिर चंपा से बोले- हमने तुमसे कहा था की तुम्हे कही चलना है हमारे साथ . हम गाड़ी में इंतजार कर रहे है तुम्हारा इतना कह कर पिताजी वापिस मुड गए. मैंने चंपा के चेहरे पर एक अजीब कशमकश देखि.
Jaldi hi sare jawab kabir ke pass hongeKabir apni taraf se poori koshish ker raha h rai sahab ki jasusi m lekin haath kich nahi lag raha
Idher kavita k mamle m thoda dimag lagaya h ki kabita ka mangu alawa kisi or k saath bhi chakker chala raha tabhi tow jungle gayi thi ya fir aisa jungle m kich aisa h jo kavita jaan gayi thi islilye gayi
Baherhal jo bhi. sawal bahot saare jawab bhawish ki goad m chupa h jo time aane per hi pata chalega
Baherhal dekhte aage kia hota h
Shaandaar update bhai