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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Wah foji bhai kuch sawal to hal hue aamir.
Or sona samadhi ke niche kaha se aaya. Wo to talab me h na?
Or wo tasvir jo anju ke ghar pe thi uski sakal kabir ki darling nisha se milti hai ????
सोना समाधि के नीचे नहीं आया सोने के ऊपर समाधि बनाई गई है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bhai aadamkhor ki entry aise time par karwao jab kisi ki chudai chal rahi ho...jisse agle din poore gaav me khabar fail jaaye ki beta chudai na kariyo nahi to aadamkhor aa jayega.(aise hi sudhrega gaav):stupidp:

Saale sabke sab chodu nikal rhe hai...Bus ab Nisha aur Bhabhi se hi ummid hai ki vo to aisi na nikle..
आपके विचार पर गौर किया जाएगा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Fauji bhai apni bi ek kahani thi jo 1990 mai shuru hui or 1993 mai vo hamesha ke liye chali gai si duniya se.aap ne sach kaha ki vo dour hi kuch alag tha jismo ki payas nahi thi.prem patr bohot bhadi chij hua karte the.aaz kal to 2 mulakato mai hotel mai chudaye shuru ho jati hai
अब बीता वो समय भाई
 

Luckyloda

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निशा ने अपना सच बता दिया है कबीर को
यह कबीर भी बिल्कुल हमारी तरह चुटिया है निशा ने सब कुछ बता दिया और हमको और कबीर को घंटा भी समझ नहीं आया🤣🤣🤣🤣🤣🤣
 

Luckyloda

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मंगू के कारनामे समाने आने का समय हो गया है
ऐसा है मंगू का खड़ा होता है तो वह उसे शांत करने के लिए कहीं ना कहीं मुंह मार आता है🛌🛌🛌🛌


अब लगता है कि कबीर का🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣



खैर छोड़ो क्या ही कहें😜😜😜😜😜😜
 

Death Kiñg

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अंजू अब कहानी की सबसे रहस्यमई पात्र बन गई है। किसी भी स्त्री अथवा लड़की के लिए उसके दामन की पवित्रता से बड़ा कुछ नहीं हो सकता, लेकिन अंजू ने कबीर के सामने ये बात कबूल ली की वो जंगल में परकाश के साथ जिस्मानी संबंध बना रही थी। जबकि ऐसा कुछ, उन दोनों के मध्य है भी नहीं था। अंजू ने कहा था की वो परकाश से प्रेम करती थी, परंतु मुझे नहीं लगता की परकाश के पिछवाड़े में इतना दम होगा की वो चौधरी रूड़ा की बेटी के आस – पास फटकने की हिमाकत भी कर सके। परकाश मरने के बाद भी, कहानी का एक मुख्य बिंदु बना हुआ है।

अंजू की अपने बाप रूड़ा से अनबन, उसकी अमीरी, अभिमानु को अपना भाई बताना, विशम्बर दयाल के बारे में कही गई बातें, उसका जंगल में भटकना, और नंदिनी का अंजू को घटिया कहना... अंजू की हकीकत अपने बल पर पता कर पाना, कबीर के बस की नहीं। अंजू अपने मुंह से बताए तो बताए, वरना कबीर तो अभी तक यही नहीं समझ पा रहा है की नंदिनी से ज़्यादा गलत उसके परिवार में कोई और है ही नहीं। अंजू को घटिया कहने के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं, पहला अभिमानु... संभव है की अभिमानु भी अपने बाप, चाचा और भाई की ही तरह निर्लज्ज हो। जिस अंजू को वो अपनी बहन कहता है उसके साथ उसके अनैतिक संबंध हों।

परंतु यदि ऐसा है, तो हो ही नहीं सकता की विशम्बर दयाल को इसकी खबर ना हो। जितना प्रेम अंजू की बातों के अनुसार विशम्बर दयाल उससे करता है, यदि अभिमानु और अंजू के मध्य ऐसे संबंध होते, तो उसकी खाल उतार ली गई होती। ऐसे में एक ही संभावना है की विशम्बर दयाल ने अंजू को भी अपनी दिव्य–दृष्टि की छां में ले लिया हो। यानी की शायद अंजू और नंदिनी दोनों ही अभिमानु को चाहती होंगी, रूड़ा के कारण, अंजू को अपना प्रेम नहीं मिला, पर नंदिनी को मिल गया। परंतु, विवाह के बाद, अभिमानु और अंजू के मध्य संबंध स्थापित हुए। नंदिनी ने इसीलिए कहा था की ठाकुरों के खून में ही अय्याशी है, और इसीलिए उसने अंजू को घटिया भी कहा। यदि ऐसा है और विशम्बर दयाल चुप है तो कारण हम समझ ही सकते हैं...

भाभी के अंजू को घटिया कहने का दूसरा कारण, सोना भी हो सकता है। खैर, अंजू की कहानी के पत्ते खुलने में समय है अभी, क्योंकि कबीर तो अभी तक उस तस्वीर का रहस्य भी नहीं जान पाया है और तो वो क्या ही पता करेगा... अंजू ने कहा था की सूरजभान आदमखोर को ढूंढ रहा है, अभिमानु आदमखोर को सही करने की दवा ढूंढ रहा है और अंजू भी घूम रही है जंगलों में, कुछ ढूंढते हुए... क्या इन तीनों का लक्ष्य एक ही है? क्या आदमखोर का कोई संबंध है इन तीनों से? मुझे अब भी लगता है की आदमखोर भी अंजू का प्रेमी हो सकता है... बहरहाल, नंदिनी ने कबीर से कहा था की “अंजू दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है”.. मतलब!?

अंजू का कथन है की सोना सुनैना की समाधि के नीचे है। परंतु असल में सोना, दो भागों में बंटा हुआ है, एक हिस्सा तालाब की गहराई में तो दूजा खंडहर के अय्याशी वाले कमरे में। अंजू का कथन यदि सत्य है तो पिछले सात बरस के अंदर ही किसीने समाधि के नीचे से सोना निकाल उसका स्थान बदल दिया। क्या जरनैल था इसके पीछे? रूड़ा भी सोने की खोज में है, क्या उसे सोने का ठिकाना पता चल गया था, और इसीलिए किसीने उसका ठिकाना बदल दिया? परकाश क्या खोज रहा था जंगल में? उसका नाम जिनके साथ जुड़ा है, वो एक बड़ा हिस्सा था इस षडयंत्र का। अब देखना ये है की असल में अंजू ढूंढ क्या रही है?

रमा, मुझे लगता है की जरनैल ज़िंदा है और रमा उसके साथ मिली हुई है। रमा की बेटी को शायद जरनैल ने नहीं मारा, परंतु रमा के पति की मौत के पीछे, जरनैल और रमा दोनों का ही हाथ रहा होगा.. उसने कहा था की जब उसके पति की मौत हुई तो जरनैल उसके साथ था, पर वो आखिरी शब्द चबा गई की दोनों साथ मिलकर उसके पति की हत्या कर रहे थे। रमा ने कबीर से कहा की वो वापिस नहीं लौटना चाहती, पर उसी घर में वो मंगू जैसे चोमू से ठुकवा रही है, यदि उसे ज़रा भी गम होता अपने पति या बेटी का, तो उस घर में परकाश और मंगू के साथ ना सोती। कविता शायद परकाश से ही मिलने जंगल में गई थी उस दिन और शायद चम्पा पर जब, कारीगर ने हमला किया, तो चम्पा भी परकाश को अपनी देने के लिए ही जंगल में गई थी...

अब देखना ये है की क्या कबीर अपने अदने से दिमाग का इस्तेमाल कर मंगू के पिछवाड़े पर लट्ठ बजाकर उसका मुंह खुलवाएगा या फिर अपने साधु पुरुष के वेश में ही बैठा रहेगा। विशम्बर दयाल और अभिमानु, दोनों ही घर नहीं लौटे हैं रात तक भी, परकाश की तो कोई मां – बहन भी नहीं थी, फिर ये दोनों कहां गायब हैं? बहरहाल, जरनैल और परकाश दोनों को ही औरतों को सजा कर उनकी लेने की आदत थी, ऐसे निष्कर्ष पर कबीर पहुंचा है। तो क्या परकाश का असली बाप जरनैल था? कौन जाने, की दोनों के समान शौक के पीछे रक्त – संबंध ही वजह हो...

खैर, इन सबके मध्य निशा के साथ भी कुछ खूबसूरत पल बिताए कबीर ने। निशा जो इतना नाटक कर रही है और कबीर को सरलता का पाठ पढ़ा रही है, उससे मैं ये जानना चाहूंगा की नंदिनी को लेकर वो कबीर से झूठ क्यों बोल रही है... वैसे तो निशा ने घंटा कुछ नहीं बताया है कबीर को अपने बारे में, पर आप कह रहे हो, तो चलो मान लेते हैं की निशा ने इशारों में अपने अस्तित्व के बारे में कबीर को बता दिया। परंतु जब कबीर ने कहा की उसने नंदिनी को निशा से ब्याह करने की बता बता दी है, तो निशा ने ऐसे क्यों व्यवहार किया जैसे उसे पता ही ना हो? देखा जाए, तो वो खुद भी कबीर का मूर्ख ही बना रही है, और कुछ नहीं.. निशा खुद भी जानती है की कबीर कितने सवालों से घिरा है, तो क्यों नहीं बता देती आगे आकर की वो नंदिनी को जानती है, कैसे जानती है, क्या इससे कबीर के कुछ सवाल हल नहीं हो जाएंगे और निशा को उस गुप्त कमरे के बारे में पता ही न हो, ये संभव ही नहीं...

अब देखना ये है की रमा और मंगू को पकड़ पाएगा कबीर या नहीं। अंजू का रहस्य, अभिमानु की हकीकत, और निशा रानी की असलियत, देखते हैं कबीर कब तक पता कर पाता है।

सभी भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अलंकारों का प्रयोग और प्रेम प्रसंग के दौरान शब्दों का चुनाव,एक अलग ही रंग बिखेर देता है कहानी में। देवनागरी लिपि और ऊपर से ऐसे सुंदर शब्द.. कहानी में चार चांद लग गए हैं!

प्रतीक्षा अगले भाग की...
 
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