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Adultery त्यागमयी माँ और उसका बेटा ( Copied

Raj880

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नदीम ने बोलना शुरू किया जो इस प्रकार है--


क़रीब ८ महीने पहिले नदीम के अब्बा का एक बड़ा ऐक्सिडेंट हुआ और वो बाल बाल बचे। उनको कारींब १५ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। वापस आए तो धीरे धीरे काम पर आने लगे। पर उनका अस्पताल जाना लगा रहा।


अब नदीम ने देखा कि उसके अब्बा और अम्मी दोनों दुखी रहते थे। पर नदीम को कारण पता नहीं चला। ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे। फ़ीर एक दिन दोनों मेंबहुत झगड़ा हुआ और नदीम घबरा कर वहाँ पहुँचा तो देखा कि अम्मी बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी और अब्बा अपना सर पकड़कर बैठे थे।


नदीम ने अम्मी को चुप कराया और अपने अब्बा से बोला: आप लोग क्यों लड़ रहे हो? आपने अम्मी को क्यों रुलाया?


अम्मी आँसू पोंछतीं हुई बोली: बेटा तू जा यहाँ से, तेरा कोई काम नहीं है यहाँ।


अब्बा: नहीं तू कहीं नहीं जाएगा , हमारी लड़ाई तुमको लेकर ही है।

अम्मी: आप इसको क्यों इसमें उलझा रहे हो , बच्चा है अभी, बेचारा।

अब्बा: वह अब बच्चा नहीं रहा पूरा जवान है ।

अम्मी: आपको मेरी क़सम इसे यहाँ से जाने दो।

अब्बा: नहीं आज बात साफ़ होकर रहेगी।

अम्मी फिर से रोने लगी।

मैं हैरान था किये हो क्या रहा है?

अब्बा: देखो अब तुम बच्चे नहीं रहे पूरे जवान आदमी हो १८ साल के। तुमने पता है ना मेरे ऐक्सिडेंट के बाद भी मैं हमेशा अस्पताल जाता था। दरअसल में इस ऐक्सिडेंट में मेरी मर्दानगि चली गयी। अब मैं तुम्हारी अम्मी को शारीरिक संतोष नहीं दे सकता। अब अस्पताल वालों ने भी कह दिया है कि कोई उपाय नहीं है मेरे ठीक होने का।

मैं हैरान होकर बोला: तो ?

अब्बा: मैंने तुम्हारी अम्मी को कहा कि वो चाहे तो मुझसे तलाक़ ले सकती है, क्योंकि वो कब तक एक नामर्द के साथ रहेगी।

वह इसके लिए तय्यार नहीं है।

अम्मी: अब इस उम्र में एक जवान लड़के की माँ होकर मैं दूसरी शादी करूँगी? आप पागल हो गए हो, मैं ऐसे ही जी लूँगी। बस अल्लाह आपको सलामत रखे।
अब्बा: पर मैं नहीं चाहता कितुम अपना मन मार के जियो। मैं तो चाहता हूँ कि तुम जी भर के अपनी ज़िंदगी जियो।

अम्मी: क्या ज़िन्दगी में सब कुछ सेक्स ही होता है? प्यार का कोई मतलब नहीं है?

अब्बा: प्यार तो बहुत ज़रूरी है पर सेक्स का भी बहुत महत्व है।मैं नहीं चाहता कि तुम बाक़ी ज़िन्दगी इसके बिना जीयो।

अम्मी फिर से रोने लगी।

अब्बा: मैंने तलाक़ के अलावा एक दूसरा रास्ता भी तो बताया था।

ये सुनके अम्मी रोते हुए वहाँ से बाहर निकल गई।

नदीम: अब्बा दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?

अब्बा: बेटा यहीं तो वो मान नहीं रही।

नदीम: अब्बा आप मुझे बताओ मैं उनको मनाने की कोशिश करूँगा।

अब्बा: ये तुमसे ही सम्बंधित है।

नदीम: मेरे से मतलब?

अब्बा: देखो बेटा, जब औरत प्यासी होती है ना तो वो किसी से भी चुदवा लेती है।

मैं तो उनके मुँह से ये शब्द सुनके हाक्का बक्का तह गया।

अब्बा: अब तुम्हारी अम्मी भी किसी से भी चुदवा ली तो हमारी बदनामी हो । बोलो होगी कि नहीं?
नदीम ने हाँ में सर हिलाया।

अब्बा: इसलिए मैंने उसको ये बोला है किअब तुम भी जवान हो गए हो वो तुमसे ही चुदवा ले, इस तरह घर की बात घर मेंही रहेगी।

नदीम का तो मुँह खुला का खुला हो रह गया ।

नदीम: ये कैसे हो सकता है? वो मेरी अम्मी हैं।

अब्बा: वो तेरी अन्मी हैं पर उससे पहले वो एक औरत है। वो अभी सिर्फ़ ३८ साल की है। इस उम्र में तो औरत की चुदायी की चाहत बहुत बढ़ जाती है।

नदीम: पर अब्बा मुझे सोचकर भी अजीब लग रहा है। अम्मी कभी नहीं मानेगी ।

अब्बा: तू मान जा तो मैं उसे भी मना लूँगा।


नदीम: पर अब्बा --

अब्बा: पर वर कुछ नहीं। ज़रा मर्द की नज़र से देख उसे, क्या मस्त चूचियाँ हैं मस्त गुदाज बदन है बड़े बड़े चूतर हैं एर नाज़ुक सी बुर है उसकी। बहुत मज़े से चुदाती है।

अब नदीम का लंड खड़ा होने लगा । वो वासना से भरने लगा।

अब्बा: वो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है। तूने कभी किसी को चोदा है?

नदीम ने ना में सर हिलाया।

अब्बा: ओह तब तो तुझे सिखाना भी पड़ेगा। पहले ये बता कि अम्मी को चोदने को तय्यार है ना। नदीम का लौड़ा पैंट में एक तरफ़ से खड़ा होकर तंबू बन गया था। नदीम को शर्म आयी और वो उसको अजस्ट करने लगा, ये अब्बा ने देख लिया और हँसते हुए बोले: चल तू हाँ बोले या ना बोले , तेरे लौड़े ने तो सर उठा कर हाँ बोल दिया है।

नदीम ने शर्म से सर झुका लिया।

अब्बा उसके पास आकर उसके लौड़े को पकड़ लिए और उसकी लम्बाई और मोटायी को महसूस किए और ख़ुश होकर बोले: वाह तेरा लौड़ा तो मेरे से भी बड़ा है और मोटा है। तू तो मुझसे ज़्यादा ही मज़ा देगा अपनी अम्मी को। अब तो मेरा खड़ा ही नहीं होता, पर जब खड़ा होता था तब भी तेरी अम्मी कभी कभी बोलती थी कि मेरा थोड़ा और मोटा होता तो उसको ज्यादा मज़ा आता। अब उसकी बड़े और मोटे लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।


फिर नदीम के लौड़े से हाथ हटाकर बोले: बेटा मैं तुम्हें सिखा दूँगा किअम्मी को कैसे चोदना है।

फिर बोले: चलो अम्मी को मनाते हैं और तुम दोनों की चुदायी कराते हैं। आज वो इसी लिए रो रही थी कि उसे तुमसे नहीं चुदवाना है।कहती है कि अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ।


नदीम का लौड़ा अब झटके मार रहा था और वो अब्बा के पीछे पीछे अम्मी के कमरे में जाने लगा। कमरे में अम्मी उलटी लेटी हुई थीं और उनका पिछवाड़ा सलवार में बहुत ही उभरा हुआ और मादक दिख रहा था। अब्बा ने मुझे इशारे से उनके चूतरों को दिखाते हुए फुसफुसाते हुए कहा: देख क्या गाँड़ है साली की। अभी देखना तुझसे कैसे कमर उछाल उछाल कर चुदवायेगी?



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नदीम अपने अब्बा के मुँह से गंदी बातें सुनकर हैरान हो गया, आजतक उसने अब्बा का ये रूप नहीं देखा था। वह अम्मी की मोटी गाँड़ देखकर उत्तेजित तो बहुत था।

तभी अम्मी को लगा कि वह कमरे में अकेली नहीं है, तो उसने मुँह घुमाकर देखा और एकदम से उठकर बैठ गयी।

अब अब्बा उसको देखकर हँसते हुए बोले: क्या जानु , क्यों सीधी हो गयी। नदीम तो तुम्हारी गाँड़ का उभार देखकर मस्त हो रहा था। फिर अब्बा ने वो किया जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। उन्होंने मुझे धक्का देकर अम्मी के सामने खड़ा किया और मेरे लौड़े को पकड़कर अम्मी को दिखाते हुए बोले: देख मैं ना कहता था कि कोई भी मर्द तेरा बदन देखकर पागल हो जाएगा। देख तेरा अपना बेटा ही तेरी मस्त गाँड़ देखकर कैसे लौड़ा खड़ा कर के खड़ा है।



अम्मी की तो आँखें जैसे बाहर को ही आ गयीं। वो हैरानी से अब्बा के हाथ में मेरा खड़ा लौड़ा देखे जा रही थी।

अब्बा ने मेरा लौड़ा अब मूठ मारने वाले अंदाज़ा में हिलाना चालू किया। और अम्मी को आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं पा रही थी।


अब्बा: देख जानु क्या मोटा और लंबा लौड़ा है इसका, तेरी बड़े लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।
अब अब्बा ने उनकी छातियाँ दबानी शुरू की और अम्मी आह कर उठी और बोली: छी क्या कर रहे हो, बेटे के सामने और ये क्यों पकड़ रखा है आपने?
अब्बा ने जैसे उनकी बात ही ना सुनी हो, वो मुझे बोले: लो बेटा अपनी अम्मी के दूध का मज़ा लो।


जब नदीम हिचकिचाया तो उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी छाती पर रख दिया। अब नदीम कहाँ रुकने वाला था। उसने मज़े से छाती दबायी और अम्मी की चीख़ निकल गयी : आह जानवर है क्या? कोई इतनी ज़ोर से दबाता है क्या?


नदीम डर गया और बोला: सॉरी अम्मी , पहली बार दबा रहा हूँ ना, मुझे अभी आता नहीं।


अब्बा हँसते हुए बोले: हाँ जल्द सब सिख जाएगा और अपनी अम्मी को बहुत मज़ा देगा । क्यों जानु है ना?
अम्मी कुछ नहीं बोली पर अब नदीम थोड़ा धीरे से एक चुचि दबा रहा था और एक अब्बा दबा रहे थे। जल्द ही अम्मी की आँखें लाल होने लगी और वो वासना की आँधी में बह गयी। अब अब्बा ने नदीम को कहा: चलो अब उसके दोनों दूध तुम ही दबाओ। और नदीम अब मज़े से उनके दूध दबाने लगा।


अब अब्बा ने नदीम की पैंट की ज़िपर नीचे किया और उसकी पैंट की बेल्ट भी निकाल दी। अम्मी हैरानी से अब्बा की करतूत देख रही थी। अब अब्बा ने नदीम की पैंट नीचे गिरा दी। और अम्मी ही नहीं अब्बा की भी आँखें फटीं रह गयीं। क्या ज़बरदस्त उभार था चड्डी में और नदीम का लौडा चड्डी से बाहर आकर एक तरफ़ को निकल आया था। वो था ही इतना बड़ा की चड्डी में समा ही नहीं रहा था।



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उसका मोटा सुपाड़ा बाहर देखकर अम्मी की तो आह निकल गई। वो बोली: या खुदा , कितना बड़ा है और मोटा भी।



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अब्बा: हाँ जानू तुम्हारी बुर तो ये फाड़ ही देगा।


अम्मी: हाँ सच बहुत दर्द होगा लगता है मुझे।


अब्बा: अरे एक बार ये पहले भी तुम्हारी बुर फाड़ चुका है, जब बुर से बाहर आया था। आज अंदर जाकर फिर फाड़ेगा। और वो हँसने लगे। अब अम्मी भी
मुस्करा दी।


फिर अब्बा ने अम्मी की कुर्ती उतार दी और ब्रा में फंसे हुए गोरे कबूतरों को देखकर नदीम मस्ती से उनको दबाकर अम्मी की नरम जवानी का मज़ा लेने लगा।


अब्बा ने कहा: जानु चड्डी तो उतार दो बेचारा इसका लौड़ा कैसे फ़ंड़ा हुआ है, देखो ना।

अब अम्मी भी मस्ती में आ गयीं थीं , उन्होंने नदीम की चड्डी उतार दी और उसका गोरा मोटा लौड़ा देखकर सिसकी भर उठी।

अब अब्बा ने उसका लौडा हाथ में लेकर सहलाया एर कहा: देखो जानु कितना गरम है इसका लौड़ा और फिर अम्मी का हाथ पकड़कर उसपर रख दिया।



अम्मी के हाथ में मेरा लौड़ा आते ही अम्मी हाय कर उठी। वो मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी। पर उनका हाथ मेरे लौड़े पर चल रहा था और उनके अंगूठे ने सुपाडे का भी मज़ा ले लिया। मुझे उत्तेजना हो रही थी और नदीम झुक कर उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा। पर अनाड़ी खोल ही नहीं पाया।



अब्बा हँसते हुए नदीम को हटा कर हुक खोल दिए और ब्रा को अलग करके अम्मी के बड़े बड़े मम्मे नंगा कर दिए। नदीम तो जैसे पागल ही हो गया और उसने अम्मी के खड़े लम्बे काले निपल्ज़ को मसलना शुरू किया। अब अम्मी की आह्ह्ह्ह्ह्ह निकालने लगी और उनका हाथ लौड़े पर और ज़ोर से चलने लगा।



तभी अब्बा ने अम्मी को लिटा दिया और नदीम को
बोले: चल बेटा अब अपनी माँ का दूध पी, जैसे बचपन में पिया था।



नदीम झुका और अपना मुँह एक दूध पर रख दिया और उसे चूसने लगा। और दूसरे हाथ से दूसरे दूध को दबाकर मस्ती से भर गया।


अब अम्मी भी मज़े से हाऊय्य्य्य्य मेरा बच्चाआऽऽऽऽऽ हाय्य्य्य्य्य्य कहकर नदीम का सर अपनी छाती पर दबाने लगी।


अब्बा बोले: अरे बस क्या एक ही दूध पिएगा , चल दूसरा भी चूस।


नदीम ने दूध बदलकर चूसना चालू किया। उधर अब्बा अम्मी की सलवार उतार दिए, और नदीम को पहली बार पता चला की अम्मी पैंटी पहनती ही नहीं। अब्बा ने बाद मेंबताया था कि पिछले कुछ सालों से उन्होंने अम्मी को पैंटी पहनने से मना किया था।


अब अम्मी की बिना बालों वाली बुर मेरे आँखों के सामने थी। अब्बा ने मुझे अम्मी के पैरों के पास आने को कहा और उनकी टांगों को घुटनो से मोड़कर फैला दिया और उनकी जाँघों के बीच इनकी फूली हुई बुर देख कर नदीम को लगा किवह अभी झड़ जाएगा।



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फिर अब्बा ने नदीम को बुर सहलाने को कहा और वो नरम फूली हुई बुरको दबाकर सहलाकर बहुत गरम हो गया। उसके लौड़े के मुँह मेंएक दो बूँद प्रीकम आ गया था। अब्बा ने उस प्रीकम को अपनी ऊँगली में लिया और सूंघकर बोले: वाह क्या मस्त गंध है, ।फिर अम्मी के नाक के नीचे रखकर उनको सुँघाए और फिर अपनी ऊँगली अम्मी के मुँह में डाल दी। अम्मी बड़े प्यार से उसको चाट ली।



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अब्बा बोले: बेटा, अपनी अम्मी को लंड दो चूसने के लिए , उसको चूसने में बहुत मज़ा आता है। अब अम्मी उठकर नदीम का लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी। और सुपाडे को जीभ से चाटने लगी। फिर अब्बा ने कहा: चलो बाद में चूस लेना, अब चुदवा लो। अम्मी लौडा मुँह से निकाल कर लेट गयी।



अब अब्बा ने अम्मी की बुर की फाँकों को अलग किया और उनकी गुलाबी छेद को नदीम को दिखाया और बोले: बेटा ये तेरा जन्म स्थान है, तू यहाँ से ही पैदा हुआ था। अब चल वापस यहीं अपना लौड़ा डालकर फिर से अंदर जा।


अब नदीम अम्मी की जाँघों के बीच आया और अब्बा ने उसके लौड़े को पकड़ कर के सुपाडे को गुलाबी छेद पर रखा और कहा: चल बेटा धक्का दो। नदीम ने धक्का मारा और आधा लौड़ा बुर के अंदर चला गया।



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अम्मी की चीख़ निकल गयी: हाऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइइइ । धीरे से करोओओओओओओओओ ।
नदीम ने घबरा के अब्बा को देखा तो उन्होंने इशारा किया और ज़ोर से मारो। उसने फिर धक्का मारा और उसका पूरा लौड़ा अंदर चले गया। उसे लगा कि जैसे किसी गरम भट्टी में उसका लौडा फँस गया है, वाह क्या तंग बुर थी अम्मी की। अम्मी को शायद दर्द हो रहा था वो बोली: आह बेटा धीरे करो, तुम्हारा बहुत बड़ा है थोड़ा समय दो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।



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अब्बा ने कहा: बेटा अम्मी का दूध चूसो और दबाओ वो मस्त हो कर चुदवायेगी। नदीम ने वैसे ही किया। अब मम्मी गरम होने लगी और उनका दर्द भी मज़े में बदलने लगा। फिर नदीम ने उनके होंठ चूसने शुरू किए। अब अम्मी ने उसके चूतरों पर अपने हाथ रख दिया और उसको धक्का मारने में मदद करने लगी।
उधर अम्मी नीचे से अपनी कमर उठाकर उसका साथ देने लगी। अब ज़ोरों की चुदायी हो रही थी, तभी नदीम ने देखा कि अब्बा अपना पैंट उतारकर अपने छोटे से लंड को रगड़ रहे थे पर वो खड़ा नहीं हो रहा था। उधर अम्मी अब चिल्ला रही थी: हाऊय्य्य्य्य्य बेटाआऽऽऽऽऽऽ चोद मुझे आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त लौड़ा है तेरा हाय्य्य्य्य मर गईइइइइइइइइ फाड़ दे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी फाड़ दे। हाय्य्य्य्य्य्य्य ऐसी ही चुदायी चाहिए थी मुझे बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽ ।

अब कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से भर गया था।



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अब्बा अब पास आकर हमारी चुदायी देख रहे थे और अपना लंड हिला रहे थे। तभी अम्मी चिल्ला कर बोली: हाय्य्य्य्य्य्य्य जोओओओओओओओओओर्र्र्र्र से चोदोओओओओओओओओओ । आह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ीइइइइइइ ।



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अब नदीम भी अपनी अम्मी के साथ ही झड़ गया।
अब्बा अभी भी लंड हिला रहे थे पर वह अभी भी छोटा सा सिकुड़ा हुआ ही था। नदीम को अब्बा के लिए काफ़ी अफ़सोस था पर अपने लिए वह बहुत ख़ुश था। उसे चोदने के लिए माँ जो मिल गयी थी।
बस उस दिन के बाद से नदीम अब्बा और अम्मी के साथ ही सोता है और वो क़रीब रोज़ ही कम से कम दो बार चुदायी करते हैं। अब तो नदीम अम्मी की गाँड़ भी मारता है।



--- राज हिल गया नदीम की बातें सुनकर ।


नदीम: यार तू चाहे तो मेरी अम्मी को चोद लेना पर तेरी माँ को मुझसे एक बार चुदवा दे ना प्लीज़। मेरा लंड तो उनको चोदने के लिए मरा जा रहा है।

राज बोला: चल देखता हूँ, क्या हो पाता है।
फिर वह घर की ओर चल पड़ा और सोचने लगा कि क्या माँ बेटे में ऐसा रिश्ता हो सकता है?

घर पहुँच कर राज के मन में प्रतीक और नदीम की बातें किसी सिनमा की भाँति उसके आँखों के सामने से चल रही थीं। वो सोच रहा था कि कैसे नदीम के पापा ही अपनी बीवी यानी उसकी माँ को अपने बेटे से चुदवाएँ हैं। क्या ये गुनाह नहीं है। उधर प्रतीक भी अपने दोस्त की माँ को इतनी आसानी से पटा कर उसकी चुदायी कर लिया। फिर अचानक उसको अपनी माँ का ख़याल आया और वो मनीष और बीजू को याद करने लगा , जिनके बारे में उसे पक्का पता था कि उन्होंने माँ को ज़बरदस्त तरह से चोदा था। आज भी माँ की गाँड़ का दर्द याद करके अपना लंड खड़ा कर बैठा। कितनी थकी हुई थी माँ उस दिन जब वो बीजू से चुद कर आयी थी। उसे बीजू और मनीष के मेसिज याद थे।



अचानक उसने सोचा कि कई दिनों से उसने माँ के फ़ोन के मेसिज चेक नहीं किए हैं। अब वो घर पहुँचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी। उनका फ़ोन सोफ़े पर था, उसने चुपके से फ़ोन उठाया और अपने कमरे में आकर मेसिज देखने लगा। कुछ तो उनकी सहेलियों के थे और फिर उसे मनीष का मेसिज दिखा जो पुराना था,वो कुछ इस तरह से था---

मनीष: आंटी बहुत याद आ रही है, आ जाऊँ क्या?

माँ: नहीं आज नहीं मेरा पिरीयड आया हुआ है।

मनीष: फिर क्या हुआ ,एक छेद ही तो गड़बड़ है, मुँह और गाँड़ में डाल दूँगा।

माँ: नहीं अभी नहीं। वैसे भी थोड़ा परेशान हूँ राज को लेकर।

मनीष: क्या हुआ उसको?

माँ: अरे पता नहीं उसका व्यवहार कुछ अजीब सा है। पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा है। मैं बहुत परेशान हूँ।

मनीष: कहीं कोई लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया है वो?


माँ : अब मैं क्या जानूँ , बाहर क्या करता फिरता है? पर लगता तो नहीं है कि वो ऐसा लड़का है।

मनीष: मेरे चेहरे से लगता है कि मैंने अपनी माँ की उम्र की आंटी को पटा रखा है? ह हा

माँ : चल बदमाश कुछ भी बोलता है।

मनीष: तो आंटी आ जाऊँ बस एक बार गाँड़ मरवा लेना प्लीज़।

माँ : फ़ालतू बात नहीं। कोई मौक़ा नहीं है ।

मनीष: क्या आंटी आप बहुत तंग कर रही हैं मेरे लौड़े को। बेचारा प्यासा है बहुत। आपको मेरी याद नहीं आती?

माँ : याद तो आती है, पर क्या किया जाए, जीवन में और भी परेशानियाँ हैं। और आजकल तो मैं सिर्फ़ राज की चिंता मेंही मरी जा रही हूँ। अपना सत्यानाश कर रहा है। पढ़ाई में ध्यान ही नहीं देता। चल अब किचन में जाती हूँ बाई

मनीष: बाई मेरी जान और किस्ससससस्स यूउउइउउउ

राज ये मेसिज पढ़कर अपना लंड दबाने लगा और सोचने लगा कि मनीष मुश्किल से उससे २/३ साल ही बड़ा होगा और माँ उसकी कितनी दीवानी है।


इसका मतलब सच है प्यार और चुदायी में सब जायज़ है। तो क्या वो भी अपनी माँ को चोद सकता है? इस विचार के आते ही उसका शरीर उत्तेजना से भर गया और वो जान गया कि जब तक वो ये नहीं कर लेगा उसको चैन नहीं आएगा।


पर ये कैसे होगा? माँ कैसे मानेगी? ये सब सोचकर उसका दिमाग़ गरम हो गया। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।

उसने सोचा कि क्या प्रतीक या नदीम का सहारा लिया जाए?

फिर उसने सोचा किअगर उसने ये किया तो वो दोनों तो माँ को चोद लेंगे और मैं ऐसे ही लंड पकड़कर बैठे रहूँगा। उसे कोई रास्ता नहीं सूझा आगे बढ़ने का। अंत में वो अपना सर झटक कर माँ के पास किचन में गया और बोला: माँ भूक लगी है।

माँ : आज जल्दी भूक लग गई। चल बैठ मैं खाना लगाती हूँ।

राज: चलो मैं भी आपकी मदद कर देता हूँ।

माँ: अच्छा चल ये प्लेट लगा और इस पतीली को टेबल पर रख मैं रोटी लेकर आती हूँ।

राज समान लेकर टेबल पर बैठ गया और तभी माँ रोटी लेकर आयीं। दोनों खाना खाने लगे।

माँ : आज कहाँ गया था खेलने?

राज: सामने वाले मैदान में।

माँ: कौन है तेरे दोस्त?

राज: नदीम श्रेय और प्रतीक।

माँ : कोई लड़की भी है क्या तेरी दोस्त?

राज समझ गया कि मनीष ने उनके दिमाग़ में ये विचार डाला है, वो बोला: नहीं माँ , पर आप क्यों पूछ रही हो?’

माँ : इसलिए कि तेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है आजकल। पता नहीं बाहर में क्या करता फिरता है।

राज: नहीं माँ ऐसी बात नहीं है।

माँ : तो फिर क्यों पढ़ाई मैं ध्यान नहीं देता? हुआ क्या है तुझे?

राज: पढ़ता तो हूँ पता नहीं नम्बर अच्छे क्यों नहीं आते?


माँ: बेटा और मेहनत करो , ठीक है ना!
फिर दोनों खाना खा कर सोफ़े पर बैठकर TV देखने लगे।

पता नहीं राज को क्या सूझा कि वो बोला: माँ मैं आपकी गोद में लेट जाऊँ क्या?

माँ : इसमें क्या पूछता है? आ लेट जा।

अब राज माँ की गोद में लेट गया और माँ उसके सर पर हाथ फेरने लगी। राज ने अपनी माँ की आँखें में देखा तो वहाँ असीम प्यार था। उसे शर्म आयी किवो उनके बारे में क्या क्या सोचता है।

तभी उसने कहा: माँ आज आप मैक्सी नहीं पहनी, अभी भी साड़ी में क्यों हो?

माँ : वो शाम को पड़ोसन आ गयी थी तो साड़ी पहन ली थी।

राज: अब साड़ी में ही रहोगी या मैक्सी पहनोगी?

माँ : अब कौन थोड़ी देर के लिए मैक्सी बदले ऐसे ही लेट जाऊँगी अभी।

राज ने अपना मुँह घुमाया तो उसे साड़ी के साइड से माँ का गोरा गोल पेट नज़र आया ।उसने अपना मुँह उसके पेट में घूसेड दिया और बोला: माँआपका पेट कितना नरम है। और अपने गाल वहाँ रगड़ने लगा।
माँ हँसते हुए बोली: तूने शेव नहीं की है ना? तेरे बाल गड़ रहे हैं। आह गुदगुदी मत कर।

राज: माँ ये शेव भी बहुत बोरिंग है, हर तीसरे दिन बाल बढ़ जाते हैं। आप लोगों का बढ़िया है, शेव करने की ज़रूरत ही नहीं है।

माँ ने उसके गाल को सहलाया और कहा: कितने दिन हो गए शेव किए हुए?

राज: २ दिन पहले किया था।

माँ ने उसके हाथ सहलाए और कहा: तू भी अपने पापा के जैसे भालू ही है। देख कितने बाल है तेरे हाथों में। फिर उसके हाफ़ पैंट के नीचे से उसकी टांगों को देखकर बोली: देख यहाँ पैरों में भी बाल ही बाल है।

राज: माँ मेरी छाती पर भी बहुत बाल हैं। पापा के भी थे क्या?

माँ : हाँ उनके भी बहुत थे। फिर उसकी टी शर्ट उठाकर उसकी छाती को देखकर बोली: हाँ ऐसे ही तेरे जैसे उनकी छाती पर भी बाल थे।

अब उनका हाथ उसकी छाती के बालोंपर चल रहा था, और वो जैसे पुरानी यादों में खो सी गई थीं।

राज को माँ का नरम नरम हाथ अपनी छाती पर बहुत मादक लग रहा था और उसका हथियार बड़ा होने लगा। उसने अपनी एक टाँग उठा ली ताकि माँ को आभास ना हो जाए कि वो अपना खड़ा करके बैठा है।
फिर माँ ने उसकी शर्ट नीचे कर दी। अब राज माँ के गोरे पेट को चूमने लगा और बोला: माँ आपका पेट कितना गोरा और नरम है।

माँ हँसते हुए बोली: अच्छा। मुझे तो पता ही नहीं था।
राज ने अब अपना हाथ माँ के कमर मेंडाल दिया और उससे चिपक कर अपना मुँह उसकी नाभि मेंडालकर उसको भी चूम लिया और बोला: माँ तुम्हारी नाभि कितनी गहरी है।

माँ : क्या बात है आज माँ से ज़्यादा ही चिपक रहा है।

राज: माँ बहुत अच्छा लग रहा है आपसे लिपटकर।

माँ ने झुककर उसके गाल को चूमा और बोली: बेटा ये सब तो ठीक है पर पढ़ाई पर ध्यान दो।

माँ के झुकने से उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के मुँह पर आ गयीं थीं और उसे माँ के पसीने की गंध ने जैसे मस्त कर दिया था। उसे ब्लाउस के बीच से छातियों की घाटी भी दिखायी दे गई और उसका हथियार अब पूरा खड़ा हो गया। उसे बड़ा मुश्किल लग रहा था अपने हथियार को माँ की आँखों से छुपाना।

अब माँने उबासी ली और बोली: चल अब मुझे नींद आ रही है। अब सोएँगे।

राज ने लाड़ दिखाकर कहा: माँ आज मैं आपके पास सो जाऊँ?

माँ: मेरे साथ ? क्यों क्या हो गया?

राज: बस ऐसे ही?

माँ : पर अभी पढ़ेगा नहीं क्या?

राज: अब कल से बहुत पढ़ाई करूँगा, आज प्लीज़ अपने साथ सुला लो ना?

माँ हँसती हुई बोली: अच्छा चल मेरे साथ ही सो जा।
राज अपनी माँ के पेट को फिर से चूमा और उठकर अपने खड़े हथियार को छुपाता हुआ माँ के कमरे की ओर चला गया। माँ भी आकर अपनी साड़ी उतरने लगी शीशे के सामने खड़े होकर। राज ने सोचा ओह तो माँ ब्लाउस और पेटिकोट में ही सोएँगीं। फिर उसके हथियार ने झटका मारा।

माँ अपने आप को शीशे में देख रही थी और ब्लाउस में से उनके उभार मस्त दिख रहे थे। और पेटिकोट में से उभरे उनके बड़े गोल चूतर भी कितने मादक लग रहे थे। फिर वो बाथरूम में गयी, और क़रीब १० मिनट के बाद वापस आयीं और आकर फिर से शीशे के सामने खड़े होकर उन्होंने एक क्रीम निकाली और अपनी बाहों पर लगायी । उन्होंने वह क्रीम अपने बग़लों पर भी लगायी। राज तो जैसे मोहित ही हो चुका था अपनी माँ के अंगों पर। उनकी बग़ल कितनी सुंदर थी। कोई बाल नहीं था।


अब माँ ने अपने पेट पर क्रीम लगाई और फिर आगे झुककर अपना एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रखा और अपना पेटिकोट उठाया घुटनो तक और पैर में भी क्रीम लगायीं और फिर हाथ में क्रीम लेकर कपड़े के अंदर से जाँघ तक हाथ के जाकर वहाँ भी क्रीम लगाई। फिर यही क्रिया उन्होंने दूसरे पैर पर भी की। उनके झुकने से उनका पिछवाड़ा तो किसी को भी कामुक कर देता।

फिर उन्होंने वो किया जिसकी राज को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ में क्रीम लिया और मलते हुए अपना पेटीकोट पीछे से उठाया और क्रीम को दोनों चूतरों पर मलने लगी। इस समय उनका मुँह राज की ओर था ताकि वो उनकी नग्नता ना देख ले।
राज को लगा किवो झड़ जाएगा।

अब माँ उसके साथ आकर बिस्तर पर लेटी और बोली: तू सोच रहा होगा कि मैं क्रीम क्यों लगा रही हूँ, असल मैं औरतों का शरीर ही ऐसा होता है उसे चिकनाई की बहुत ज़रूरत होती है, तभी बदन चिकना रहता है वरना खुरदरा हो जाता है, समझा?

राज: जी माँ समझ गया। अब समझ में आया कि आप इतनी चिकनी कैसी हो? हाँ हा ।

माँ : चल बदमाश। अब सो जा, और कहते हुए उसने बत्ती बंदकर दी।

राज अपनी माँसे चिपकता हुआ बोला: मैं आपसे ऐसे चिपक कर सोना चाहता हूँ। और आपकी छाती पर अपना सर रखना चाहता हूँ।

माँ ने हँसते हुए उसे अपनी ओर खिंचा और वह नीचे खिसका और माँ की छाती में अपना सर रखकर उनकी साँसों और धड़कनो को सुनने लगा।

माँ: आज क्या हो गया है तुझे? बड़ा प्यार आ रहा है माँ पर ?

राज: मैं तो हमेशा आपसे प्यार करता हूँ, आप ही ध्यान नहीं देती।

अब राज माँ की भारी छातियों को अपने गाल पर महसूस कर रहा था और उसका हथियार पूरा फनफ़ना रहा था। उसने हाथ बढ़के उसको ऊपर की ओर किया ताकि वो माँको कहीं चुभ ना जाए।

अब राज ने अपना हाथ माँ की कमर पर रखा और हल्के से सहलाने लगा। माँने उसका माथा चूमा और बोली: चल अब सो जा , ऐसे चिपक कर नींद नहीं आएगी। राज माँ से दूर हुआ और माँ ने करवट बदली और अपनी पीठ उसके तरफ़ कर सो गयी। अब राज के सामने उभरा हुआ पिछवाड़ा था जो कि उसे नाइट लैम्प की रोशनी में साफ़ दिख रहा था। चूतरों की दरार में गैप अलग से दिख रहा था। और उसे माँ की पैंटी के कोई निशान नहीं दिखे ,इसका मतलब माँने पैंटी उतार दी थी।

वो उठा और बोला: माँ मैं बाथरूम से आता हूँ।

माँ ने नींद में” हूँ” की और सो गई।

राज बाथरूम में जाकर माँ की पैंटी ढूँढा और उसको वो गंदे कपड़ों के बीच मिल भी गई। तो उसका सोचना सही था किमाँ ने पैंटी नहीं पहनी है। उसने माँकी पैंटी उठाई और उसे नाक के पास ले जाकर सूँघने लगा। उसका लंड अब झटके मारने लगा था । पैंटी से पेशाब और पसीने के साथ मिली जुली एक सेक्स को गंध भो थी, जो उसे पागल कर गई। और वो माँ के पैंटी में मूठ मारने लगा और जल्दी ही झड़ गया।

फिर वह साफ़ करके कमरे में आकर सो गया।

रात को क़रीब २ बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि माँ अब पीठ के बल सो रही है और उनका पेटीकोट ऊपर आ गया था और उनकी जाँघे नंगी हो रही थीं। उसने उठके उनकी जाँघों का दर्शन किया पर जाँघें मिली हुई थी इस लिए आगे का नज़ारा नहीं देख पाया।फिर उसने अपनी माँ की ब्लाउस में क़ैद छातियाँ देख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि वो उन आमों को सहला दे पर हिम्मत नहीं हुई। और वह करवट बदल कर सो गया।

उधर सुबह जब नमिता उठी तो देखी कि राज पीठ के बल सोया हुआ है। उसका हथियार पूरा खड़ा था और तंबू की माफ़िक़ तना हुआ था। वो फिर से उसके साइज़ का सोचकर हैरान हो गई। आख़िर इसका इतना बड़ा कैसे है, इसके पापा का तो इसके आसपास भी नहीं था। तभी उसे ख़याल आया किवी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही है, तो वो अपने से शर्मिंदा होकर बाथरूम चली गयी।

वहाँ नहाने के पहले उसने सब कपड़े वॉशिंग मशीन में डाला और तभी उसने अपने पैंटी को देखा तो उसमें सफ़ेद सूखा सा लगा था। उसने उसे सूँघा और मर्दाना वीर्य की गंध उसे हैरान कर गई। वो समझ गई किये राज का ही काम है।

उसे बड़ा दुःख हुआ कि ये उसके बेटे को क्या हो गया है? वो ऐसे कैसे कर सकता है? क्या अपनी माँ को वैसी गंदी नज़र से देखता है?

हे भगवान मैं इसका क्या करूँ? यह सोचते ही उसके आँसू निकल गए। उसके समझ में आ गया कि उसका ध्यान पढ़ाई में इसीलिए नहीं लगता है क्योंकि वह बस हर समय शायद सेक्स के बारे में ही सोचता रहता होगा।

यहाँ तक तो ठीक है पर क्या वो अपनी माँ के बारे में ऐसी गंदी सोच रखता है! वह सोचकर काफ़ी परेशान हो गई।

उसे लगा कि हो सकता है वो ज्यादा ही सोच रही हो और उसने बस अपनी उत्तेजना को शांत किया हो और उसकी पैंटी को शायद उसने इसके लिए सिर्फ़ इस्तेमाल किया ही और हो सकता है सच में वो उसके बारे में ऐसा ना सोचता हो।

उसका सर घूमने लगा। उसने फ़ैसला किया कि वो इन सब बातों को समझकर राज से साफ़ साफ़ बात करेगी


बाथरूम से बाहर आयी तब राज बिस्तर पर नहीं था। वह अपने कमरे में जा चुका था। वो किचन में गई और चाय बनाने लगी।


नमिता किचन में काम करते हुए सोच रही थी कि राज के इस व्यवहार का क्या इलाज हो सकता है। राज ने तय्यार हो कर नाश्ता माँगा और नमिता ने उसको नाश्ता दिया। वह सोचने लगा कि माँ आज कुछ ज़्यादा ही गम्भीर है। तभी उसे याद आया कि उसने माँ की पैंटी में मूठ मारी थी, कहीं उनको पता तो नहीं चल गया।

फिर वो सोचा कि माँ थोड़े ना एक एक कपड़ा वॉशिंग मशीन में डालती होंगी। वो तो सारे कपड़े एक साथ ही धोने में लिए डाल देती होंगी।

राज नाश्ता करने के बाद माँ के पास आया और बोला: माँ आपकी तबियत तो ठीक है ना? आप आज बहुत गम्भीर नज़र आ रहीं हैं।

नमिता: नहीं मैं ठीक हूँ , चलो स्कूल जाओ।

राज: ठीक है माँ , बाई।

राज के जाने के बाद वो चाय पीते हुए सोच रही थी कि कैसे इस टॉपिक को सुलझाया जाए।

राज स्कूल के बस में बैठा तो शिला मैडम जब अंदर आयी तो उसको प्रतीक की बात याद आयी और वो सोचने लगा कि ये कितनी सीधी साधी दिख रही है और प्रतीक से मज़े से चुदवायी है कल दोपहर को।


शीला मैडम आकर राज के साथ ही बैठ गयी। प्रतीक की नाक में एक तेज़ ख़ुशबू का झोंका आया। आंटी ने सेंट लगाया हुआ था। वो साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में थीं। उन्होंने सामने की सीट का रॉड पकड़ा था और उनकी बग़ल साफ़ दिख रही थी। साड़ी से उनका गोरा पेट भी बहुत मादक दिख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि उस गोरे पेट पर हाथ फेर ले, पर उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

शीला: पढ़ायी कैसी चल रही है तुम्हारी?

राज: ठीक है मैडम ।श्रेय कैसा है?

शीला: श्रेय थी है, वो पीछे बैठा है बस में।नमिता ठीक है ना?

राज: जी, मम्मी ठीक हैं।आंटी प्रतीक कल आपके घर आया था क्या?

शीला चौंकते हुए बोली: हाँ आया था श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने , पर तुम्हें कैसे पता?






To be continue
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(रहमान आयशा की बुर से दोनों की मलाई चाटने लगा। वह अब भी अपना नरम लंड हिला रहा था।)
Aah ellysperry Kya mast cuckoled kavarna ki ho mast kiski ki chudi Hui Nur se lund ki malai Jo chusta hai wahi asali cuckoled hota hai aur uska apna Lund khada nahi hota Mai bhi aisa hi huujhe bhi chudi Hui bur se taji Lund ki malai chusna bahut pasand hai uff nahut Sundar laga mujhe ye update
 

Raj880

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राज: आंटी प्रतीक ने बताया था कि वो श्रेय के घर गया था, और उसने ख़ूब मज़ा किया।

शीला के मुँह का रंग उड़ गया और वो हकलाते हुए बोली: कैसा मज़ा?

राज मन ही मन मुस्कराया और बोला: वो कह रहा था कि वीडीयो गेम का बहुत मज़ा लिया।

शीला का रंग वापस आ गया और बोली: ओह हाँ, दोनों ने ख़ूब गेम खेला।राज सोचा कि साली क्या झूठ बोल रही है।

तभी स्कूल आ गया और शीला खड़ी हो गयी और राज उसकी मस्त गाँड़ देखकर सोच रहा था कि कल प्रतीक ने इनको ख़ूब दबाया होगा।

फिर अपना लंड ठीक करते हुए वो भी उतरा।

स्कूल में ब्रेक मेंप्रतीक मिला और बोला: यार कल तो मज़ा ही आ गया , साली क्या चुदक्कड मैडम है। पूरे दो बार चोदा साली को, एकदम रंडि के माफ़िक़ चूतर उछालकर चुदवा रही थी। और लंड भी मस्त चूसती है।

राज: बड़ा किस्मतवाला है तू, कल पहली बार में ही मैदान मार लिया।

प्रतीक: यार ये औरतें जो प्यासी होती हैं ना, जल्दी पट जाती हैं। जैसे कि शीला मैडम। वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही हाल होगा। तुम चाहो तो उनकी भी सेवा कर दूँ । ये कहते हुए उसने आँख मार दी।

इसके पहले कि राज कुछ बोल पता ,श्रेय आया और बोला: प्रतीक भय्या , आपको मम्मी ऑफ़िस में बुला रही हैं।
और वो ऐसा कहके चला गया।

प्रतीक ने मुस्कुराते हुए कहा: लगता है साली की बुर खुजा रही है इसलिए बुला रही है। कल की चुदायी से दिल नहीं भरा , लगता है।

दस मिनट के बाद वो वापस आया और बोला: मैडम की बुर मेंआग लगी है, कह रही थी कि स्कूल के बाद स्टाफ़ रूम मेंआ जाना, उनका वहाँ कैबिन है। मैंने पूछा कि क्या काम है? तो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़कर बोली: तुमसे नहीं , इससे काम है।

राज हक्काबक्का हो कर उसे देखने लगा। वो बोला: क्या कह रहे हो, वो ऑफ़िस में चुदवायेगी? हे भगवान।

प्रतीक: अरे यार चुदायी चीज़ ही ऐसी है। तू नहीं समझेगा।

तभी स्कूल के घंटी बजी और वो सब क्लास में चले गए।
राज के दिलो दिमाग़ में यही चल रहा था कि साला प्रतीक कितनी किस्मतवाला है। और वो तो बस माँ के ही बारे में सोचता रहता है, कर कुछ नहीं पाता।

स्कूल की छुट्टी के बाद राज ने देखा कि प्रतीक स्टाफ़ रूम की ओर चल पड़ा पर शायद वहाँ से शीला मैडम के कैबिन में घुस जाएगा और उसकी अच्छे से लेगा। क्या वो छिप कर देख सकता है? तभी उसको एक विचार आया और उसने प्रतीक को आवाज़ लगायी और पास आकर बोला: यार मुझे तेरी चुदाई देखना है।


प्रतीक: अबे मरवाएगा क्या? मैडम को शक हो गया तो?
राज: प्लीज़ यार प्लीज़।


प्रतीक: अच्छा चल पर एक शर्त पर, अपनी मम्मी दिलवाएगा ना?

राज: वो बाद में देखेंगे , चल अभी मेरे देखने का जुगाड़ कर।

वो दोनों स्टाफ़ रूम पहुँचे, वहाँ कुछ कैबिन बने हुए थे। प्रतीक उसे लेकर बाहर की खिड़की तक पहुँचा दिया और वहाँ से अंदर झाँका तो शीला मैडम अपने ऑफ़िस की टेबल पर बैठ कर किसी से फ़ोन पर बात कर रही थीं। उन्होंने साड़ी ब्लाउस पहना था और साड़ी एक तरफ़ हो गई थी और उनकी एक बड़ी सी चुचि ब्लाउस में से साफ़ दिख रही थी। राज का लंड हिलने लगा। तभी प्रतीक ने कमरे में प्रवेश किया।


शीला उसको देख कर मुस्करायी और बैठने का इशारा किया, पर प्रतीक तो उसकी कुर्सी के पीछे चला गया और उसने उनकी छातियों पर अपने हाथ रख दिए और उनके गाल चूमने लगा। अब शीला ने हड़बड़ा कर फ़ोन बंद किया और बोली: अरे ये क्या करते हो मैं फ़ोन पर बात कर रही थी ना?

प्रतीक: मम्मी बस आप मुझसे बात करो और उसकी गर्दन चूमने लगा।

शीला की छातियाँ दबाते हुए वो अब बोला: मम्मी यहाँ तो बिस्तर नहीं है, कहाँ चूदाओगी?

शीला भी अब गरम हो गयी थी अब उसने प्रतीक को अपनी गोद में खिंच लिया और उसके होंठ चूसने लगी। राज आँखें फाड़कर देख रहा था कि शीला कितनी बदली हुई दिख रही थी। उसकी आँखें वासना से लाल हो रहीं थीं। अब प्रतीक ने उसके ब्लाउस के हुक्स खोल दिए और अब ब्रा के अंदर उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दिखने लगी जिसे प्रतीक ने चूमना शुरू किया।


शीला का हाथ प्रतीक की छाती पर फिर रहा था। अब शीला बोली: देखो हालाँकि छुट्टी हो गई है, इसलिए हमें जल्दी करना पड़ेगा , देर तक यहाँ नहीं रह सकते।


प्रतीक: मम्मी मैं तो आपको एक घंटे तक चोदना चाहता हूँ।पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ।


शीला: बेटा फिर कभी , आज तो बस जल्दी से निपटा दो।

अब शीला उसको उठने को बोली और फिर प्रतीक को सामने खड़े करके उसकी पैंट का ज़िपर खोला और फिर बेल्ट भी खोलकर उसकी पैंट नीचे कर दी। राज सोच रहा था किये वोहि शीला मैडम है जो कि क्लास में कितनी दबंग दिखती हैं।



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उधर शीला ने चड्डी भी उतार दी और अब प्रतीक का खड़ा लंड बाहर आकर ऊपर नीचे हो रहा था।शीला ने उसे हाथ में लेकर सहलाया और फिर उसकी टोपी को नंगा किया। अब शीला ने उसके सुपाडे को अंगूठे से सहलाया और फिर नीचे मुँह करके अपनी जीभ निकाली और उसके सुपाडे को चाटने लगी। प्रतीक भी उसकी ब्रा के अंदर हाथ डालकर उसकी छातियाँ मसल रहा था।


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अब शीला ने लंड चूसना शुरू किया और प्रतीक मज़े से ह्म्म्म्म्म कर रहा था। फिर शिला खड़ी हो गयी। अब वो अपने आप साड़ी उठायी और अपनी पैंटी उतार कर निकाल दी और उसे टेबल पर रख दिया। प्रतीक ने झट से उसे उठा लिया और उसको सूँघने लगा। शीला ने उसको एक चपत लगायी और उससे पैंटी छीनकर वापस टेबल पर रख दी। अब शीला ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को ऊपर खिसकाकर अपनी बड़ी बड़ी छातियाँ नंगी कर दीं। ब्लाउस और ब्रा अभी भी उसके शरीर पर ही थे। अब तो प्रतीक जैसे उसकी चूचियों पर टूट ही पड़ा।उसने उनको दबाना और चूसना शुरू किया।


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फिर शीला कराहने लगी: आऽऽऽहहहह बेटाआऽऽऽऽ और मम्मी का दूध चूसोओओओओओओओ । हाऊय्य्य्य्य ।


फिर वो प्रतीक को हटाकर अपनी साड़ी उठाकर अपने आपको नीचे से पूरा नंगी की और टेबल पर झुक गयी और प्रतीक को वासना भरी आवाज़ में बोली: आह बेटा डालो और अपनी मम्मी को मस्त कर दो।
प्रतीक की आँखों की सामने अब उनके बड़े गोल चूतर थे और अब प्रतीक उसके पीछे आया और नीचे बैठ गया और साड़ी ऊपर उठाकर उसने उसकी जाँघों की दरार में अपना मुँह डालकर वहाँ चूसना शुरू किया। शीला आहें भरने लगी और कमर हिलाकर उसके मुँह में अपनी बुर और गाँड़ रगड़ने लगी।


अब वो बोली: हाय्य्य्य्य उठ जा बेटा , अब मुझे चोद दे ना ।


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प्रतीक खड़ा हुआ तो उसका मुँह पूरा गीला था। उसने अपना मुँह साफ़ किया और शीला के पीछे खड़ा होकर अपना लंड उसकी बुर पर रखा, शीला ने अपना हाथ साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसका लंड पकड़ा और अपनी बुर में सेट किया और फिर पीछे की तरफ़ धक्का मारकर अपनी बुर में एक ही झटके में लंड गटक लिया और हाय्य्य्य्य्य्य्य कहकर पूरा पीछे हुई ताकि पूरा लंड अपनी जड़ तक उसकी बुर में समा जाए।


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अब प्रतीक उसकी नीचे की ओर झूलती हुई चूचियाँ पकड़कर कसकर धक्के लगाने लगा। कमरे में फ़च फ़च और थप्प थप्पकी आवाज़ गूँजने लगी। राज हैरानी से अपने जीवन में पहली बार चुदायी देख रहा था और उसका मन कर रहा था कि वो भी अपना लंड निकाल कर मूठियाने लगे। पर स्कूल में होने के कारण वो सावधानी बरत रहा था।



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उधर शीला हाऽऽऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइ। और चोदोओओओओओओ बेटाआऽऽऽऽऽऽ कहते हुए पीछे कमर दबाकर चुदवाती रही और दबी हुई चीख़ें मारने लगी। अब वो तेज़ी से कमर हिलाकर झड़ रही थी और चिल्लायी: आऽऽह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइ । उधर प्रतीक भी आह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा।
फिर प्रतीक अलग हो कर एक कुर्सी पर धम्म से बैठ गया, उसका लंड सिकुड़कर एक तरफ़ होकर उसकी जाँघ पर पड़ा था। वो पूरा भीगा हुआ था। शीला भी सीधी खड़ी होकर बाथरूम में चली गई।




प्रतीक ने अपने लंड को साफ़ करने के लिए कपड़ा ढूँढा , फिर उसे शीला की पैंटी उठाकर उसने अपना लंड और उसके आसपास का अंग साफ़ किया। तभी शीला बाहर आयी और उसको अपनी पैंटी का ऐसा इस्तेमाल करते देख कर हँसती हुई बोली: हा हा वाह क्या सफ़ाई की जा रही है मेरी पैंटी से?


प्रतीक: मम्मी आप अपनी जीभ से साफ़ कर दो ना।


शीला हँसते हुए बोली: वो तो मैं कर देती पर बेटा अभी चौक़ीदार आ सकता है, कमरा बंद करने।


प्रतीक: मम्मी प्लीज़ थोड़ा सा चूस दो ना।
शीला उसके आगे बैठ गई और बोली: चल थोड़ी देर चूस देती हूँ।


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फिर उसने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाल दिया और उसकी झाँटों और लंड और बॉल्ज़ के ऊपर अपना मुँह रगड़ने लगी। वो उसकी गंध से मदमस्त हो रही थी। फिर उसने अपनी जीभ से उसके लंड और बॉल्ज़ को चाटा और फिर प्रतीक के खड़े होते लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। अब उसका सर ऊपर नीचे हो रहा था और उसने अपने गालों को अंदर की ओर कर के चूसना चालू रखा। फिर उसका एक हाथ प्रतीक की छाती के ऊपर जाने के लिए शर्ट के अंदर गया।


प्रतीक ने शर्ट ऊपर कर दी और वो उसके निप्पल को बारी बारी से दबाने लगी। फिर उसका दूसरा हाथ बॉलस को सहलाते हुए और नीचे जाकर उसकी गाँड़ के छेद को सहलाने लगा और फिर वी उसकी गाँड़ मेंऊँगली डालने की कोशिश करने लगी। प्रतीक को जैसे मस्त झटका लगा और वह मस्ती से अपनी कमर उठाके अपनी गाँड़ में ऊँगली करवाए जा रहा था और अपने लौड़े को शीला के मुँह में ठूँसे जा रहा था।



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शीला भी मज़े से चूसे जा रही थी।जल्दी ही वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा उसके मुँह मेंऔर फिर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मम्मीइइइइइओओओओ क्या चूस रहीइइइइइइइ होओओओओओ कहते हुए झड़ने लगा। शीला भी अब और ज़ोर से चूसते हुई उसके रस को पीने लगी। जब उसने आख़री बंद भी चूस ली तब वो लंड को मुँह से निकाल कर उसके सुप्पाड़े मेंलगी बूँदें भी चाट कर पी गई।


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राज ने ऐसी कल्पना नहीं की थी कि शीला मैडम ये सब करेगी। कौन सोच सकता था कि इतनी कड़क मैडम चुदायी के समय ऐसी रंडि बन जाती है। वो कल्पना करने लगा कि उसकी मम्मी भी मनीष भय्या से चुदवाते समय क्या ऐसी ही दिखती होगी। अब शीला खड़ी हुई और एक बार फिर बाथरूम गयी और थोड़ी देर बाद वापस आयी और इस बार प्रतीक ने भी कपड़े पहन लिए थे और वो भी बाथरूम गया और थोड़ी देर बाद दोनों ने एक दूसरे को चूमा और फिर पहले प्रतीक बाहर आया। राज अभी भी छुपा हुआ था। फिर शीला मैडम बाहर आकर चली गयी और प्रतीक और राज भी चल पड़े।



प्रतीक: मज़ा आया ?

राज : यार मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि मैडम किसी रंडि को भी मात दे सकती हैं।

प्रतीक: तो फिर कब अपनी मम्मी मुझसे चुदवाएगा?
राज ने बात घुमाकर टाल दी और यह निश्चय किया किअगर कोई अब उसकी माँ को चोदेगा, तो वो यानी राज ख़ुद ही होगा और दूसरा कोई नहीं। अब वो दोनों अपने अपने घर के निकल गए।


घर पहुँच कर उसने डूप्लिकेट चाबी से ताला खोला और अंदर आया तो देखा कि माँ सोफ़े पर ही सो गई थी और TV चालू था। नमिता ने लेग्गिंग और कुर्ता पहना था और उसकी बड़ी चूचियाँ नींद में ऊपर नीचे हो रही थी। वो एक पर सीधा और एक पैर मोड़ कर सो रही थी। उसकी कुर्ती काफ़ी ऊपर चढ़ गई थी और उसकी लेग्गिंग उसकी जाँघों से चिपकी हुई थी और उसकी बुर का आकार भी साफ़ फूला हुआ सा दिख रहा था। राज का लौड़ा खड़ा होने लगा। वो पास आया और माँ के पास आकार पैरों की तरफ़ खड़ा हुआ और लेग्गिंग को घूरने लगा जहाँ बुर की शेप साफ़ पैंटी की लाइनिंग के साथ नज़र आ रही थी। उसने एक रिस्क लिया और बुर के पास अपनी नाक ले गया और उस जगह को कपड़े के ऊपर से सूँघने लगा। उसका लौडा पूरा तन गया । आह क्या गंध थी वहाँ की ! उसकी इच्छा हुई कि वह उसे अपने पंजे में दबोच ले, पर उसने ख़ुद को क़ाबू में किया और वापस सीधा खड़ा हो कर माँ की कुर्ती से बाहर झाँकते मम्मों को देखने लगा। अब पैंट के ऊपर से वह अपना लौड़ा मसल रहा था।


तभी नमिता थोड़ी सी हिली और वो हड़बड़ा कर बोला: माँ उठो ना, भूक लगी है।

नमिता: अरे तू कब आया? मुझे तो नींद ही लग गई थी।


राज: अभी तो आया हूँ।

नमिता उठी और झुक कर अपनी चप्पल पहनी तभी उसकी आधी से ज़्यादा चूचियाँ राज की आँखों के सामने झूल गयीं। राज ने सोचा कि माँ की चूचियाँ तो शीला मैडम की चूचियों से भी बड़ी हैं। अब वो उठकर किचन की ओर गई तो उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ गई थी और उसके बड़े बड़े चूतर लेग्गिंग से चिपके हुए अलग से मटकते हुए दिख रहे थे। नमिता ने अपनी कुर्ती नीचे की और अपने चूतरों को ढक लिया।



राज अपने कमरे में जाकर लोअर और टी शर्ट पहनकर वापस टेबल पर आ कर बैठा और दोनों खाना खाने लगे









To be continue
badhiya
 
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Raj880

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उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।



स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।

टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।


राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?


प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।


राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।


तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।


प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?


चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।


प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?


चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?


प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?


चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?


प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?


चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।


प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?


चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।


प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?


चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।


प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।


चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।


प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।


राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?

प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।

और वो हँसते हुए चला गया।


राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।


फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?


राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।

अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।


राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।


नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।


वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।


वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।


नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।


राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।


नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।


राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।

नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।

राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।

नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।


नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।


थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।


वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।


वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।


राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।


नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।


राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?


राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?


नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?


राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।


वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।

खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता


बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?


राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?

नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?


राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है कि मुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?


नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।


नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?

नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।

राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।

नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।


राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।


नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।


राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।


नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?

राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।


नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?


राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।


वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।

नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?

वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था।



नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?


राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।


नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।


राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।

नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?

राज : माँ गंदी गंदी बातें।

नमिता: जैसे बताओ ?

राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।

नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में

कैसी शर्म, बोलो?

राज : वो वो - मैंने आपको -

नमिता: बोलो बोलो।

राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।


नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?

राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।

नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।

राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।


नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?

राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।


नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?

राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।


नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।


नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?

राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।


नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।


राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।

नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।

नमिता सोच रही थी कि इस समस्या का हल शायद वह अकेली नहीं निकाल पाएगी , उसे किसी ना किसी की सहायता लेनी पड़ेगी। उसे दो ही नाम याद आए मनीष या शीला। पर यहाँ तो शीला तो ख़ुद ही एक अपने बेटे की उम्र के लड़के के साथ फँसी हुई है। शायद मनीष ही कुछ मदद कर सके। उसने मनीष को मेसिज किया कि क्या अभी बात हो सकती है?


मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?


नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।


मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।


नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।

मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?

नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?

मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।

नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।

मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।

वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।

मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।

नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।

मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।

नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।

मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।

नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।

मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।

नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।

नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।

नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?

फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।







To be continue
jabardast
 

Chut chatu

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Aah Namita ki bur to Sheela madam se bhi khubsurat hai honi nHi chaoye akhir Namita kahani ki heroin Jo hai aur bahut chudwa bhi rahi hai
 

Chut chatu

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Aah ellysperry lajabab aur bahut hi kamuk upadate hai 17 aur 18 lekin picture nahi hone ke Karan aise lage jaise Bina namak ke bhojan ho
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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अब तीनों पीछे के जंगल में पहुँचे और हरयाली का आनंद लेने लगे ।

कमाल ने उन दोनों के साथ गे सेक्स किया।

फिर सब हाँफते हुए थोड़ी देर आराम किए और वापस फ़ार्म हाउस की तरफ़ चल पड़े। पूल के पास के बाथरूम में सफ़ाई करके घर के अंदर पहुँचे और कमाल तो सोफ़े पर ही लेट गया। जबकि राज और नदीम बेडरूम के ओर चल दिए।

उधर जब ये घर के पीछे जंगल की ओर गए तभी आयशा आकर नमिता की गोद मेंलेट गयी और नमिता ने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचि दबायी और बोली: तो क्या मूड है डार्लिंग?

आयशा: वही जो आपका मूड है डार्लिंग! यह कहते हुए उसने भी नमिता की चूचि दबा दी। इनको वापस आने में कितनी देर लगेगी?

नमिता: आधा घंटा तो लगेगा ही कम से कम।

आयशा हँसते हुए बोली: अगर कमाल की चली तो वह बिना गाँड़ मरवाए वापस नहीं आएगा।

नमिता: कौन मारेगा नदीम?

आयशा : मुझे तो लगता है कि वह आज राज से ही मरवाएगा। नदीम से तो वह क़रीब क़रीब रोज़ ही मरवाता है।

नमिता: ओह, चलो फिर हमारे पास भी समय है चपटी चपटी खेलने का।

अब दोनों हँसते हुए बिस्तर पर आकर आमने सामने होकर लेट गयी और एक दूसरे को चूमने लगीं। फिर वो एक दूसरी की चूचियाँ दबाने और चूसने लगीं। अब नमिता गरम होकर आयशा की बुर पर हमला की और उसको ऊँगली करते हुए चूसने लगी। जल्द ही आयशा आऽऽऽऽऽऽहहह दीइइइइइइइइइदी कहते हुए अपनी गाँड़ उछालने लगी।

अचानक नमिता उठी और उलटी होके अपनी बुर को आयशा के मुँह पर रख दी और फिर से आयशा की बुर चाटने लगी। अब ६९ में दोनों एक दूसरे को मस्त किए जा रही थीं।

नमिता तो आयशा की गाँड़ भी चाटी और उधर आयशा भी उसकी गाँड़ को जीभ से चोदने लगी।

अब नमिता उठी और आलमारी से एक डिल्डो लायी जिसने दोनों तरफ़ रबर के लौड़े बने हुए थे। उसने लौड़े पर क्रीम लगायी और आयशा की बुर में आठ इंचि लौड़ा पेल दिया और दूसरे सिरे में भी क्रीम लगाके अपनी बुर में धीरे से अंदर कर दिया। अब वो उसके ऊपर चढ़ में जैसे आयशा को चोदने लगी। दोनों वासना की आग में जल रही थीं और कमर उछालके मज़े ले रही थीं ।

अब उनकी चीख़ें कमरे में गूँजने लगीं । जल्दी ही आऽऽऽऽह उइइइइइइइइ कहकर वो दोनों झड़ने लगीं ।
बाद में फ़्रेश होकर दोनों आराम से एक दूसरे की बाहों में नंगी ही सो गयीं।


जब राज और नदीम ने उनको सोते देखा तो ख़ुद भी बग़ल के कमरे में जाकर सो गये।

शाम को चाय पर सब फिर से इकट्ठा हुए।

राज बोला: माँ और आंटी आप लोग अपने अपने जीवन की कुछ ऐसी बात बताओ जो हम सबको मस्त कर दे।

नमिता: ऐसी क्या बात बताएँ?

आयशा: मैं समझी नहीं, कोई उदारहण दो ना?

राज: जैसे आपकी सील किसने तोड़ी? या आपकी सबसे यादगार चुदायी किसके साथ हुई थी? वग़ेरह वग़ेरह ।

आयशा: देखो तो क्या बक रहा है ये लड़का?

नमिता: ये कैसी बातें कर रहा है?

राज : माँ बताओ ना ।

नदीम: हाँ अम्मी बताओ ना।

कमाल: अरे आयशा की सील के बारे में तो मैं भी बता सकता हूँ।

नदीम: अब्बा हमको अम्मी के मुँह से सुनना है।

आयशा: ओह यह कहने में मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है, लेकिन ठीक है सुनो--

मैं अपनी यादगार चुदायी की बात बताती हूँ। बात ज़्यादा पुरानी नहीं है-------


आयशा बोलने लगी:::

बात ज़्यादा पुरानी नहीं है- जब कमाल का ऐक्सिडेंट हुआ तो मेरी जेठानी मेरे साथ रहने के लिए आ गयी क्योंकि ये तो अस्पताल में पड़े थे और नदीम और मैं ही सम्भाल रहे थे । ज़ेठ जी भी आए थे पर कुछ दिन रह कर जेठानी को छोकर वापस चले गए।

कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर ने कह दिया कि ये हमेशा के लिए नपुंसक हो गए हैं। मुझपर तो बिजली सी गिर गयी और मैं हताश हो गयी। मेरी जेठानी सलमा मुझसे उम्र में २ साल ही बड़ी है, हम सहेलियाँ बन गयी। हम रात को साथ ही सोती थीं। नदीम अस्पताल में सोता था।

एक दिन उसने मुझे रात को कुछ अजीब तरीक़े से पकड़ कर मेरा बदन सहलाने लगी।

नदीम: माँ खुल के बताओ ना जैसे मुझे और अब्बा को बताया था।

आयशा: ओह तू भी ना, अच्छा चल बताती हूँ, तो वह मेरे होंठ को चूमते हुए मेरी छाती दबाने लगी। मेरे लिए ये एक नया अनुभव था पर मैं प्यासी थी इसलिए मैंने उनको सब करने दिया और चुपचाप पड़ी रही। फिर वह मेरी nighty के ऊपर से मेरी बुर दबानी लगी।अब मैं अपने आप को नहीं रोक पायी और आह करके उससे चिपट गयी। जल्द ही वह मेरी नायटी उतार दी और ब्रा में क़ैद मेरी छातियों को चूमने और दबाने लगी। मेरी ब्रा उतार के वह बहुत देर मेरी छातियों को चूसी और पैंटी खोल के मेरी गीली बुर को ऊँगली से मस्त कर दी। और अब वह अपने कपड़े भी निकाल के नंगी हो गयी। अब मैं भी उसकी छाती सहलाने लगी और उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी बुर पर रखा और बोली: आऽऽऽहहब आयशा , देख कितनी प्यासी है मेरी बुर आऽऽहहह ज़रा ऊँगली कर दे ना। अब हम दोनों एक दूसरे की बुर में ३-३ उँगलियाँ डाल के मज़ा ले रहे थे।

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फिर वह बोली: आओ मेरे मुँह पर अपनी बुर रख के ऐसे बैठो जैसे मूतने के लिए बैठती हो। मुझे बड़ा अजीब लगा पर मैं उसके मुँह पर बैठ गयी और उसने मेरी बुर की फाँकों को चूम और चाट कर मस्त कर दिया और जब उसने मेरी बुर की फाँकों को फैलाकर उसने अपनी जीभ डालने के बाद उसको चाटना चालू किया तो मैं सिर्फ़ आऽऽऽहहह। हाऽऽऽऽय्यय ही कर सकी और सिर्फ़ ५ मिनट में मेरा पानी छूट गया और वह उसको पी गयी।

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थोड़ी देर बाद उसने मुझे भी बुर चाटना सिखाया और मैं भी उसको बहुत मज़ा दी ।

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अब तक नमिता का हाथ अपनी बुर पर चला गया था और वह उसमें दो ऊँगली डालके हल्के से हिला रही थी। अचानक कमाल उठा और आके नमिता की जाँघों को फैलाकर उसके बीच में उसकी बुर को चाटने लगा। अबके नमिता ने भी अपनी टाँगें उठाकर उसकी कंधों पर रखी और मज़े से चूसवाने लगी।

आयशा आगे बोली: ऐसे ही समय बीतता गया और कमाल घर आ गए। अब सलमा वापस जाने के लिए ज़ेठ जी को बुलायी और मुझे बोली कि इस बार तुमको तुम्हारे ज़ेठ जी से चुदवाऊँगी।

मैंने कहा कि छी क्या बोल रही हो। इस पर वह बोली: अरे इसने क्या है इनकी तो तुझपे कई दिनों से नज़र है।
कुछ दिन बाद ज़ेठ जी आए और मेरे सामने जेठानी जो को चूमने लगे। जब मैं वहाँ से जाने लगी तो वो हंस के बोले: अरे बहु कहाँ जा रही हो तुम भी प्यार करवा लो। पर मैं भाग गयी।


कुछ समय बाद सलमा आइ और बोली: चलो भाई जान बुला रहे हैं। कमाल को वह भाई जान बोलती थी।

मैं कमाल के कमरे में पहुँची तो वह बिस्तर पर बैठे हुए थे। ज़ेठ जी बग़ल में बैठे थे। अब कमाल बोले: देखो आयशा मैं जो बात कहने जा रहा हूँ तुमको अजीब सी लगेगी पर ये सच्चाई तुम्हें स्वीकार करनी होगी।

मैं बोली: वह तो मैं स्वीकार कर चुकी हूँ। आप चिंता मत करिए।

तभी नमिता की हाय्य्य्य्ह्य्य निकल गयी और कमाल उसका पानी पीता चला गया।

अब कमाल अपना मुँह पोंछते हुए बोला: आगे क्या हुआ मैं बताऊँ क्या?

राज: नहीं अंकल आंटी को कहने दीजिए।.

राज ने आयशा की चूचियाँ दबाते हुए उसको मस्त कर दिया और वह भी उसके पूरे खड़े लौड़े को सहालते हुए बोलने लगी:::

कमाल बोले: देखो रानी जिस्मानी ज़रूरत तो सबकी होती है, अब क्योंकि मैं तुम्हारी ज़रूरत पूरी नहीं कर सकता इसलिए तुम्हें घर के ही सदस्यों से ही चुदवाना चाहिए और मैं चाहता हूँ की भाई जान तुम्हें चोद कर तुम्हारी प्यासी बुर को शांत करें।

मैं : ये कैसे हो सकता है? वो तो मेरे ज़ेठ हैं।

कमाल: तो क्या हुआ ? मेरे भी तो बड़े भाई हैं।

मैं नाटक करते हुए बोली: और जेठानी जी का क्या?

सलमा: मुझे कोई इतराज नहीं है। घर की बात घर में ही रहनी चाहिए।

कमाल: चलो अब भाई जान की गोद में बैठो और उनसे मज़ा लो।.
सलमा ने मुझे हल्के से धक्का देकर ज़ेठ की गोद में बिठा दिया। उनकी गोद में बैठते ही मुझे उनके खड़े लौड़े का अहसास हुआ और मैं चिहुंक उठी आह्ह्ह्ह्ह करके।


सलमा हँसके बोली: क्या डंडा चुभ गया?

मैं शर्मा गयी। अब कलाम ने कहा: भाई जानचूचि दबाईये इसकी मस्त टाइट हैं। ये कहते हुए कमाल ने भाई जान का हाथ पकड़कर मेरी छातियों पर रख दिया। और ज़ेठ जी ने उनको मस्ती में आकर मसल दिया और मैं उफ़्फ़्फ़्फ कह उठी। ज़ेठ जी भी अब मस्ती से मेरे होंठ और गाल चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबा रहे थे। अब मैं भी मस्त होकर उनका साथ देनी लगी और अपने चूतरों को उनके लौड़े पर दबाने लगी।

अब उन्होंने मेरा ब्लाउस उतारा और ब्रा भी खोल दी और सबके सामने मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल था ,हालाँकि जेठानी से चपटी चपटी चल रही थी पर एक लौड़े के लिए मेरी बुर बहुत प्यासी हो रही थी।

अब वो मुझे खड़ा किए और पेटिकोट उतार के मेरी जाँघों को सहलाए और झुकके वहाँ चुमें और फिर पैंटी खोलकर मेरी चिकनी बुर को देखकर सहलाए और मस्त होकर बोले: आह्ह्ह्ह्ह सलमा देख क्या मस्त चिकनी बुर है आयशा की?.

सलमा: सिर्फ़ देखेंगे कि कुछ करेंगे भी, बेचारी बहुत प्यासी है।
.
कलाम : आओ ना यहाँ लेटो । यह कहकर मुझे अपने बिस्तर पर लिटा दिए।


अब ज़ेठ जी मुझे देखते हुए अपने कपड़े उतारने लगे। वह बहुत हट्टे क़ट्टे हैं और उनकी चड्डी में से उनका लौड़ा बहुत ही बड़ा सा दिख रहा था । वह सलमा को बोले: चलो मेरी चड्डी उतारो और लौड़ा चूसो । सलमा ने मज़े से चड्डी के ऊपर से ही पहले लौड़े को दबाया और फिर उनकी चड्डी खोल दी और उनका बड़ा सा लौड़ा हम सबको मस्त कर दिया। अब उसने अपने पति के लौड़े को चूसना शुरू किया और ज़ेठ जी आह्ह्ह्ह्ह करने लगे।

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थोड़ी देर बाद वह बोले: रानी जानता हूँ कि तुम भी बहुत प्यासी हो पर पहले मैं एक बार आयशा को चोद लूँ फिर तुमको भी मस्त करूँगा।

यह कहकर वो मेरे ऊपर आए और मेरे होंठ चूसते हुए मेरी छातियाँ मसलने लगे। मैं भी मज़े से उनके चुम्बन का जवाब देने लगी। फिर ज़ेठ जी नीचे आके मेरी बुर को चूसे और मैं चीख़ें मारने लगी। अचानक वो कलाम को बोले: बोलो भाई तुम्हारी बीवी को चोद दूँ?

कलाम ने उनका लौड़ा पकड़ा और मेरी टाँगें फैलाके ऊपर उठा दी और उनके लौड़े को मेरी बुर के छेद में रखा और उसकी फाँकों को फैलाकर बोले: चलो पेल दो मगर धीरे से भाई जान आपका लौड़ा मेरे से बहुत बड़ा है । हो सकता है आयशा को थोड़ा दर्द हो।

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अब ज़ेठ जी एक धक्का लगाए और आधा लौड़ा अंदर चला गया और मैं दर्द से चिल्लायी: आऽऽऽऽऽहहहह भाईइइइइइइइ धीरे सेएएएएएएए उईइइइइइइइइइइइ दुखताआऽऽऽऽऽऽ है नाआऽऽऽऽ

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वह बिना रुके एक और धक्का मारे और अपने लौड़े को जड़ तक मेरे अंदर घुसेड़ दिए। मैं हाय्ह्य्य्य्य्य कर उठी।
अब वो मेरी चूचि पीने लगे और मेरे निपल्ज़ को मसलने लगे। जल्द ही मैं भी गरम हो गयी और अपने चूतर को उठाकर उनको चोदने का इशारा की ।अब तो जैसे उनको मन माँगी मुराद मिल गयी हो , वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे। अब मैं भी कमर उठा कर चुदवा रही थी। उस दिन पहली बार मुझे किसी ने गालियाँ दे दे कर चोदा था। सच मज़ा दुगुना हो गया था।


राज उसकी नाभि में ऊँगली फेरता हुआ पूछा: आंटी क्या गाली दिया उन्होंने?

आयशा: आऽऽहहह क्या नहीं बोला। वो बोले : साली रँडी अब तू मेरी छिनाल क़ुतिया बन गयी है। बोल है की नहीं।

मैं: आऽऽऽह हाँ हूँ।

वो: मादरचोद क्या है ? अपने मुँह से बोल।

मैं: मैं आपकी रँडी हूँ आपकी छिनाल क़ुतिया हूँ।

वो: तू मेरी गाँड़ में ऊँगली डाल बहनचोद और उसको चाट।

मैंने वैसा ही किया और चाट के बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह भाअअअअअअअअअइइइइइइइ
जाआऽऽऽऽऽऽन्न्न्न्न्न्न ।
अब वो मुझे और ज़ोर से गाली देते हुए चोदने लगे।



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मैं तो पागल सी होकर उछल कर चुदवाती हुई झड़ने लगी। मैं वहाँ लेटी हुई हाँफ रही थी। तभी वह खड़े हुए और सलमा की साड़ी उठाकर उसकी पैंटी उतार दिए और उसको बिस्तर के सहारे झुकाके उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा डाल कर उसको भी चोदने लगे। सलमा भी अपनी कमर हिला हिला के चिल्ला चिल्ला के चुदवाने लगी। वह सलमा को गालियाँ दे दे कर चोद रहे थे। वो बोले: ले बहन की लौड़ी ले और ले मेरे लौड़ा आऽऽहहहह। हम्मनन और साली क़ुतिया क्या मस्त बुर है तेरी आह मादरचोद ले ले और ले । कहते हुए ज़ोर ज़ोर से चोदते हुए वो दोनों झड़ने लगे।
उस रात को फिर से मेरी ज़बरदस्त चुदायी हुई और अगले दिन जाने के समय वह मेरे सामने कमाल को बोले: देखो मैं तो जा रहा हूँ पर अभी भी तुम्हारे घर में एक मर्द है तुम्हारा बेटा नदीम । मैं चाहता हूँ कि वह अब अपनी माँ को चोदे वरना ये बाहर वालों से चुदवयेगी और सबकी बदनामी होगी।
मैंने इस बात का काफ़ी विरोध किया पर मेरी एक नहीं चली और आख़िर में कमाल ने मुझे अपने ही बेटे से भी चुदवा ही दिया। बाक़ी की बातें तुम सब जानते ही हो।
आयशा के चुप होते ही नदीम उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और राज उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी बुर को चाटने लगा।
नमिता मुस्कुरा के उनको देख रही थी। वह थोड़ी शांत थी क्योंकि कमाल ने उसकी बुर चूसके झाड़ दिया था।
अब आयशा भी दोनों के लौड़े सहला रही थी।
अब राज आयशा को खड़े किया और उसको बैठे हुए नदीम का लौड़ा चूसने को कहा और ख़ुद उसको झुकाके उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और चुदायी करने लगा। आयशा अपनी कहानी सुनाते हुए बहुत गरम हो गयी थी और वह अपनी गाँड़ हिलाके चुदवाने लगी। कमाल भी उठकर आयशा की बुर के नीचे आकर राज के लौड़े और आयशा की बुर पर जीभ फिराए जा रहा था।
जल्द हो नदीम ने अपना माल अपनी माँ के मुँह में छोड़ दिया और उधर राज भी उसकी बुर में झड़ने लगा और आयशा भी आऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइइइइइइइइ कहके झड़ने लगी।

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अब कमाल ने आयशा की बुर में अपनी जीभ डालके उसके और राज के रस का पान करना शुरू किया।
अब सब लोग शांत होकर बैठ गए और बाथरूम से फ़्रेश होकर आए।
आयशा चाय बनाके लायी और सब लोग चाय पीने लगे।
नदीम नमिता से बोला: आंटी, अम्मी ने तो
अपनी चुदायी की कहानी सुना दी , अब आपकी बारी है। आंटी आप बताओ ना आप पहली बार कब और किससे चुदीं ?
राज: मतलब आपकी सील किसने तोड़ी?
नमिता हँसते हुए बोली: ओह तो तुमको मेरे पहले दर्द की कहानी सुननी है???? -----------


नमिता कहने लगी:::::
मैं कभी भी पढ़ाई में अच्छी नहीं थी और ये भी एक कारण है कि मैं चाहती हूँ कि राज ख़ूब पढ़े। मैं जब ग्यारहवीं में पहुँची तो मैं अपनी क्लास में सबसे बड़े उम्र की लड़की थी। मेरा बदन भी थोड़ा ज़्यादा ही भरा हुआ था मेरी क्लास की अन्य लड़कियों की तुलना में।
नदीम उसके पास आके उसकी जाँघ पर हाथ फेरता हुआ बोला: मतलब आप क्लास की सबसे बढ़िया माल थी?
नमिता हँसी और बोली: सही कह रहे हो ।क्योंकि मेरी छातियाँ जल्दी से बड़ी हो चुकी थीं इसलिए सब मुझे एक विशेष नज़रों से देखते थे। स्कर्ट से झाँकती मेरी गोरी जाँघें और टॉप में कसे मेरे कबूतर सबको पागल किए हुए थे। मेरी एक पक्की सहेली थी इशा वो ईसाई थी और साँवली थी पर बदन उसका भी भरा सा था पर मेरे से कम। हम दोनों अपने में ही मस्त रहती थीं और क्लास के लड़कों की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं देती थीं। इशा भी पढ़ाई में मेरी ही तरह नालायक थी।
मेरे और इशा में एक ही फ़र्क़ था कि वह चुदायी का मज़ा ले चुकी थी जबकि मैं अभी तक अपनी सील सुरक्षित रखी हुई थी।
वह मुझे अपनी चुदायी की बातें करती रहती थी और मैं भी गरम हो जाती थी। फिर हमारी परीक्षाएँ आ गयीं और हम दोनों का गणित का पेपर बहुत ख़राब हो गया। हम दोनों बहुत चिंतित थीं कि हम फ़ेल ना हो जाएँ। घर वालों की डाँट का बहुत डर था।
अब आख़री पेपर के दिन वह बोली: सुन, मैंने गणित वाले सर से बात की है, रहमान सर हमको पास कर देंगे पर अपनी फ़ीस लेंगे।
मैं बोली: पर कितने पैसे माँग रहे हैं? हम पैसे कहाँ से लाएँगे?
इशा: अरे पगली उनको पैसा नहीं कुछ और चाहिए।
मैं : और क्या चाहिए?
इशा: हमारी जवानी चाहिए।
मैं चौंक कर बोली: मतलब ?
इशा: अरे वह हमें पास करने के लिए वह हमें चोदना चाहते हैं।
मैं: हे भगवान, यह कैसे हो सकता है?
इशा: देख यार अपना तू देख ले , मैं तो अपना तय कर ली हूँ उनके साथ । कल मैं उनके घर जाऊँगी और उनको मज़ा दे दूँगी और अपने नम्बर ठीक करा लूँगी।
मैं: और मेरा क्या होगा? मैं तो फ़ेल हो जाऊँगी।
इशा: ऐसा करते हैं मैं कल उनसे मिल लेती हूँ, फिर तुमको बताऊँगी कि अगर वह सही आदमी होगा तो तुम भी चुदवा लेना और पास हो जाना।
मैं: मतलब? सही आदमी मतलब?
इशा: मेरी बहना, कई मर्द बड़े कमीने होते हैं, वो बहुत तकलीफ़ देते हैं चुदायी के दौरान। और कई बहुत अच्छे होते हैं जो बड़े प्यार से चोदते हैं। तेरा पहली बार है ना इसीलिए मुझे ख़ास चिंता है तेरी।
मैं: वो क़रीब ३५ साल के तो होंगे ही ना? शादी हो गयी है क्या?
इशा: हाँ शादी हो गयी है पर बीवी अक्सर गाँव में रहती है। वह अकेले ही रहते हैं।
मैं: चल फिर तू कल उनसे मिल ले फिर आगे का फ़ैसला करेंगे।
फिर स्कूल की छुट्टियाँ हो गयीं और दो दिन बाद इशा मुझे मिलने आयी घर पर।
मैं: कैसा रहा सर के साथ?
इशा मुस्कुराती हुई बोली: बड़ी उत्सुकता है तुमको ?
मैं: बता ना क्या पास हो जाएगी क्या अब?
इशा: हाँ उन्होंने मुझे नया पेपर दिया और ख़ुद सवाल करवाए और उसी समय नम्बर देकर पास भी कर दिया।
मैं: और वो काम?
इशा अनजान बनते हुए बोली: कौन सा काम ?
मैं शर्माकर: वही चुदायी वाली?
इशा: सच में सर मस्त चोदते हैं। बहुत मज़ा दिया उन्होंने। जानती हो पूरे चार घंटे रोक के रखे और दो बार चुदायी की।
मैं: ओह, तो तू तो पास हो गयी , मेरा क्या होगा?
इशा: तू भी मिल ले उनसे और मज़ा भी ले ले और पास भी हो जा ।
मैं: ओह, पर मुझे डर लगता है, और मेरा पहली बार भी हैं ना?
इशा: बिलकुल मत डरो , बहुत प्यार से करेंगे तुमसे , और उनका हथियार भी सामान्य साइज़ का है। ज़्यादा बड़ा नहीं है।
मैं: ओह, तो तेरी क्या राय है, मिल लूँ मैं भी?
इशा : मैं तो कहती हूँ कल ही मिल ले। तू चाहे तो मैं अभी फ़ोन कर देती हूँ।
मैं: अच्छा कर अभी और पूछ के मुझे कब जाना होगा, उनके पास? तू भी चलेगी ना?
इशा : नहीं तुझे अकेले ही मिलना होगा ।
मैं: चल ठीक है बात कर अभी।
उसने हमारा लैंड लाइन फ़ोन उठाया और उसको स्पीकर मोड में रखकर उसको फ़ोन लगायी और बोली: सर नमस्ते, कैसे है। आप?
सर: मस्त हूँ, तुम्हें मिस कर रहा हूँ।
इशा: सर, मैं आपको कल बतायी थी ना कि मेरी एक सहेली को भी पास होना है, वह आपके पास कल आ जाए क्या?
सर: अरे ज़रूर, क्यों नहीं? दस बजे आने को बोल दो।
इशा: सर , आपको मैंने बताया था ना कि यह उसका पहली बार होगा। आपको आराम से करना होगा।
सर: क्या मैंने तुमको आराम से नहीं किया था? वैसे ही मैं उसकी भी प्यार से लूँगा। तुम निश्चिन्त रहो।
इशा : आप उससे बात कर लो। लो नमिता बात करो।
मैं: सर नमस्ते।
सर: नमस्ते ,बेबी आ जाओ कल दस बजे , तुम्हें पास भी कर दूँगा और बहुत मज़ा भी मिलेगा।
मैं: जी जी सर मैं आ जाऊँगी।
सर: चलो फिर कल मिलते हैं। बाई ।
मैं: बाई।
अब इशा ने मुझे कहा: सर को झाँटे पसंद नहीं हैं। मेरी साफ़ थी तो बड़े ख़ुश हुए । तुम्हारी झाँटे बढ़ी हुई है क्या?
मैं: नहीं मैं साफ़ ही रखती हूँ।
इशा: बस फिर ठीक है। कल दस बजे चली जाना । और उसने मुझे उनका पता दे दिया ।
इशा के जाने के बाद मैं बहुत परेशान थी कि क्या मैंने सही फ़ैसला किया है।
ख़ैर अगले दिन इशा के घर जाने का बहाना बनके मैं सर के घर पहुँची और बेल दबायी। सर ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। वो मेरी छाती और मेरी जाँघें देखकर मस्त हो गए थे ।मैं आज भी टॉप और स्कर्ट में थी।
सर: आओ बेबी अंदर आओ।
मैं अंदर आयी और सर ने मुझे सोफ़े पर बैठाया और पानी लाए।
मैं: धन्यवाद सर।
सर: बेबी, क्या लोगी, ठंडा या गरम?
मैं: जी कुछ नहीं।
सर: ओके , अच्छा मैं तुम्हारा पेपर लता हूँ।
फिर वह मुझे मेरा पेपर दिखाया और बोले: देखो कितना ख़राब हुआ है तुम्हारा पेपर ।
मैंने देखा कि मुझे सिर्फ़ १५ नम्बर मिले थे १०० में।.
मैं: सर मुझसे गणित होती ही नहीं।
सर: चलो कोई बात नहीं बेबी, हम तुमको पास कर देंगे।
चलो वहाँ टेबल कुर्सी रखी है तुम्हारा पेपर ठीक कर देते हैं।
मैं वहाँ बैठी और वो मुझे सही जवाब दिए । मैंने उसको पेपर में कॉपी कर दिया । क़रीब आधा घंटा लगा और उन्होंने मेरे सामने मुझे ६५ नम्बर देकर पास कर दिया मैं ख़ुश होकर बोली: बहुत बहुत धन्यवाद सर।
सर: सिर्फ़ धन्यवाद ही दोगी या कुछ और भी दोगी?
मैं शर्मा गयी। वह मुझे ले जाकर अपने बेड रूम में के गए और मुझे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। मैं बहुत डरी हुई थी। वो बोले: बेबी, डरो मत। मुझे इशा ने बताया है कि तुम्हारा पहली बार है । डरो मत मैं बहुत आराम से करूँगा और तुमको बहुत मज़ा दूँगा।
अब मेरे नीचे उनका खूँटा गड़ने लगा था। उन्होंने मेरे गाल को चूमा और फिर होंठ चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी छातियों पर आ गया और वह उनको दबाने लगे और मैं भी मस्त हो गयी।
वह बोले: बेबी टॉप उतार दूँ? मज़ा लेना है ना?
मैं: जी ।
वह मेरा टॉप उतारे और मेरी छातियाँ देख कर मस्त हो गए और बोले: बेबी, इतनी बड़ी चूचियाँ इस उम्र में? और वह ब्रा के ऊपर से ही उसको दबाए और नंगे हिस्से को चूमे। फिर वो ब्रा भी उतार दिए। अब मेरी छातियाँ देखकर वो मस्त होकर बोले: आऽऽह कितनी टाइट चूचियाँ हैं । अब वो उनको दबाने लगे। उन्होंने अपना मुँह मेरी छातियों पर रखा और उनको पीने लगे। निपल्ज़ को भी दबा कर मुझे मस्त कर रहे थे। फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट निकाल दिए और मेरी जाँघें और पैंटी से फुली हुई बुर देखकर जैसे पागल ही हो गए। अब वो अपने कपड़े उतारने लगे और टी शर्ट उतारे और फिर अपनी पैंट भी निकालके अलग किया। उनकी चड्डी ने खड़ा हुआ लौड़ा मुझे बहुत बड़ा लगा।
अब वो अपना हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और अपने चड्डी के ऊपर से लौड़े पर रख दिया।
मैं तो काँप उठी और बहुत उत्तेजित हो गयी। उनके कहने पर मैंने उनकी चड्डी उतार दी और उनका लौड़ा मेरे सामने था। मैंने पहली बार एक खड़ा लौड़ा इतनी पास से देखा था। मेर बुर गीली हो गई। अब उन्होंने मेरा हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मैंने पहली बार इतनी गरमी महसूस की। उन्होंने मेरा हाथ हिलाके मुझे लौड़ा सहलाना सिखाया।
अब वो मुझे लिटा दिए और मेरे ऊपर आकर मेरी छातियाँ दबाने लगे और बहुत देर तक मेरे होंठ चूसे। मैं भी मस्ती में थी। अब वह मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मैं मस्ती से भरकर आऽऽहहहह करने लगी।
अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारा और वह बड़ी देर तक मेरी जाँघें फैलाकर मेरी बुर को देखने लगा। फिर उसने वहाँ ऊँगली फेरी और उसके चिकनापन का अहसास करके कहा: आह बेबी, क्या चिकनी बुर है।

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फिर वह अपना मुँह मेरी बुर में डालकर उसे चूमा और चूसने लगा। जैसे ही मैंने उसकी जीभ अपनी बुर पर महसूस किया मैं पागल सी हो गयी। अब वह मेरी बुर में ऊँगली डालकर अंदर करने की कोशिश किया और मेरी आह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।
वह: ओह, तो सील टूटी नहीं है अभी। चलो मज़ा लो पहली चुदायी का ।
अब वह अपने लौड़े में बहुत सा क्रीम लगाया और मेरी बुर में भी क्रीम लगाया और अपना लौड़ा मेरे छेद पर रखा और बहुत धीरे से धक्का मारा । मेरी चीख़ निकल गयी और वह जैसे तीर सा मेरे छेद में घुसता चला गया। मैं रोने लगी और दर्द से बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सर निकाल लीजिए ना। दर्द हो रहा है।

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वह: अरे बेबी, देखो आधा तो चला गया है। और बात करते हुए एक और धक्का मारे और पूरा लौड़ा अंदर करके मुझसे चिपक गए।
अब वह मेरी चूचियाँ दबाने लगे और चूसने भी लगे। जल्द ही मैं भी गरम हो गयी थी। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था।
फिर मैं उनकी चुदायी का आनंद लेने लगी। अब वो मस्ती से कमर दबाकर मुझे चोदे जा रहे थे। मैं भी मस्ती में उनसे पूरी तरह से चिपक गयी थी। जल्दी ही वह भी गरम होकर पूरे ताक़त से मुझे चोदने लगे। मैं आऽऽह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगी। वह भी जल्दी ही झड़ गए।
फिर वो मुझे लेकर बाथरूम गये और मेरी बुर के ख़ून को पोंछकर साफ़ किया और बोले: बेबी डरो नहीं, पहली बार में ये सब होता है। आगे के लिए तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। अब ज़िन्दगी भर मज़े से चुदवाना।
फिर उन्होंने मुझे लौड़ा चूसना भी सिखाया और एक बार और चोदे ।
मैं मुश्किल से घर पहुँची पर पास हो गयी। यही है मेरी पहली चुदायी की कहानी।
नमिता की कहानी सुनकर सबके सब मज़े से भर गए। नदीम और राज के लौंडे तो पूरे खड़े थे जिसे वो ख़ुद सहलाकर गरम हो रहे थे। अब वो दोनों अपनी अपनी आंटी को पकड़े और बेडरूम में ले गए और फिर शुरू हुआ तूफ़ानी चुदायी का एक और दौर।


वो चारों एक
दूसरे के जिस्म में मानो घुसने की कोशिश कर रहे थे। कमाल भी इनके साथ दे रहा था अपनी तरह से उनके यौनांगों को छू छू के।

चुदाई का यही दौर रात को भी चला। फिर सब थक के सो गए।
 
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