Update:32
अब तीनों पीछे के जंगल में पहुँचे और हरयाली का आनंद लेने लगे ।
कमाल ने उन दोनों के साथ गे सेक्स किया।
फिर सब हाँफते हुए थोड़ी देर आराम किए और वापस फ़ार्म हाउस की तरफ़ चल पड़े। पूल के पास के बाथरूम में सफ़ाई करके घर के अंदर पहुँचे और कमाल तो सोफ़े पर ही लेट गया। जबकि राज और नदीम बेडरूम के ओर चल दिए।
उधर जब ये घर के पीछे जंगल की ओर गए तभी आयशा आकर नमिता की गोद मेंलेट गयी और नमिता ने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचि दबायी और बोली: तो क्या मूड है डार्लिंग?
आयशा: वही जो आपका मूड है डार्लिंग! यह कहते हुए उसने भी नमिता की चूचि दबा दी। इनको वापस आने में कितनी देर लगेगी?
नमिता: आधा घंटा तो लगेगा ही कम से कम।
आयशा हँसते हुए बोली: अगर कमाल की चली तो वह बिना गाँड़ मरवाए वापस नहीं आएगा।
नमिता: कौन मारेगा नदीम?
आयशा : मुझे तो लगता है कि वह आज राज से ही मरवाएगा। नदीम से तो वह क़रीब क़रीब रोज़ ही मरवाता है।
नमिता: ओह, चलो फिर हमारे पास भी समय है चपटी चपटी खेलने का।
अब दोनों हँसते हुए बिस्तर पर आकर आमने सामने होकर लेट गयी और एक दूसरे को चूमने लगीं। फिर वो एक दूसरी की चूचियाँ दबाने और चूसने लगीं। अब नमिता गरम होकर आयशा की बुर पर हमला की और उसको ऊँगली करते हुए चूसने लगी। जल्द ही आयशा आऽऽऽऽऽऽहहह दीइइइइइइइइइदी कहते हुए अपनी गाँड़ उछालने लगी।
अचानक नमिता उठी और उलटी होके अपनी बुर को आयशा के मुँह पर रख दी और फिर से आयशा की बुर चाटने लगी। अब ६९ में दोनों एक दूसरे को मस्त किए जा रही थीं।
नमिता तो आयशा की गाँड़ भी चाटी और उधर आयशा भी उसकी गाँड़ को जीभ से चोदने लगी।
अब नमिता उठी और आलमारी से एक डिल्डो लायी जिसने दोनों तरफ़ रबर के लौड़े बने हुए थे। उसने लौड़े पर क्रीम लगायी और आयशा की बुर में आठ इंचि लौड़ा पेल दिया और दूसरे सिरे में भी क्रीम लगाके अपनी बुर में धीरे से अंदर कर दिया। अब वो उसके ऊपर चढ़ में जैसे आयशा को चोदने लगी। दोनों वासना की आग में जल रही थीं और कमर उछालके मज़े ले रही थीं ।
अब उनकी चीख़ें कमरे में गूँजने लगीं । जल्दी ही आऽऽऽऽह उइइइइइइइइ कहकर वो दोनों झड़ने लगीं ।
बाद में फ़्रेश होकर दोनों आराम से एक दूसरे की बाहों में नंगी ही सो गयीं।
जब राज और नदीम ने उनको सोते देखा तो ख़ुद भी बग़ल के कमरे में जाकर सो गये।
शाम को चाय पर सब फिर से इकट्ठा हुए।
राज बोला: माँ और आंटी आप लोग अपने अपने जीवन की कुछ ऐसी बात बताओ जो हम सबको मस्त कर दे।
नमिता: ऐसी क्या बात बताएँ?
आयशा: मैं समझी नहीं, कोई उदारहण दो ना?
राज: जैसे आपकी सील किसने तोड़ी? या आपकी सबसे यादगार चुदायी किसके साथ हुई थी? वग़ेरह वग़ेरह ।
आयशा: देखो तो क्या बक रहा है ये लड़का?
नमिता: ये कैसी बातें कर रहा है?
राज : माँ बताओ ना ।
नदीम: हाँ अम्मी बताओ ना।
कमाल: अरे आयशा की सील के बारे में तो मैं भी बता सकता हूँ।
नदीम: अब्बा हमको अम्मी के मुँह से सुनना है।
आयशा: ओह यह कहने में मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है, लेकिन ठीक है सुनो--
मैं अपनी यादगार चुदायी की बात बताती हूँ। बात ज़्यादा पुरानी नहीं है-------
आयशा बोलने लगी:::
बात ज़्यादा पुरानी नहीं है- जब कमाल का ऐक्सिडेंट हुआ तो मेरी जेठानी मेरे साथ रहने के लिए आ गयी क्योंकि ये तो अस्पताल में पड़े थे और नदीम और मैं ही सम्भाल रहे थे । ज़ेठ जी भी आए थे पर कुछ दिन रह कर जेठानी को छोकर वापस चले गए।
कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर ने कह दिया कि ये हमेशा के लिए नपुंसक हो गए हैं। मुझपर तो बिजली सी गिर गयी और मैं हताश हो गयी। मेरी जेठानी सलमा मुझसे उम्र में २ साल ही बड़ी है, हम सहेलियाँ बन गयी। हम रात को साथ ही सोती थीं। नदीम अस्पताल में सोता था।
एक दिन उसने मुझे रात को कुछ अजीब तरीक़े से पकड़ कर मेरा बदन सहलाने लगी।
नदीम: माँ खुल के बताओ ना जैसे मुझे और अब्बा को बताया था।
आयशा: ओह तू भी ना, अच्छा चल बताती हूँ, तो वह मेरे होंठ को चूमते हुए मेरी छाती दबाने लगी। मेरे लिए ये एक नया अनुभव था पर मैं प्यासी थी इसलिए मैंने उनको सब करने दिया और चुपचाप पड़ी रही। फिर वह मेरी nighty के ऊपर से मेरी बुर दबानी लगी।अब मैं अपने आप को नहीं रोक पायी और आह करके उससे चिपट गयी। जल्द ही वह मेरी नायटी उतार दी और ब्रा में क़ैद मेरी छातियों को चूमने और दबाने लगी। मेरी ब्रा उतार के वह बहुत देर मेरी छातियों को चूसी और पैंटी खोल के मेरी गीली बुर को ऊँगली से मस्त कर दी। और अब वह अपने कपड़े भी निकाल के नंगी हो गयी। अब मैं भी उसकी छाती सहलाने लगी और उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी बुर पर रखा और बोली: आऽऽऽहहब आयशा , देख कितनी प्यासी है मेरी बुर आऽऽहहह ज़रा ऊँगली कर दे ना। अब हम दोनों एक दूसरे की बुर में ३-३ उँगलियाँ डाल के मज़ा ले रहे थे।
फिर वह बोली: आओ मेरे मुँह पर अपनी बुर रख के ऐसे बैठो जैसे मूतने के लिए बैठती हो। मुझे बड़ा अजीब लगा पर मैं उसके मुँह पर बैठ गयी और उसने मेरी बुर की फाँकों को चूम और चाट कर मस्त कर दिया और जब उसने मेरी बुर की फाँकों को फैलाकर उसने अपनी जीभ डालने के बाद उसको चाटना चालू किया तो मैं सिर्फ़ आऽऽऽहहह। हाऽऽऽऽय्यय ही कर सकी और सिर्फ़ ५ मिनट में मेरा पानी छूट गया और वह उसको पी गयी।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे भी बुर चाटना सिखाया और मैं भी उसको बहुत मज़ा दी ।
अब तक नमिता का हाथ अपनी बुर पर चला गया था और वह उसमें दो ऊँगली डालके हल्के से हिला रही थी। अचानक कमाल उठा और आके नमिता की जाँघों को फैलाकर उसके बीच में उसकी बुर को चाटने लगा। अबके नमिता ने भी अपनी टाँगें उठाकर उसकी कंधों पर रखी और मज़े से चूसवाने लगी।
आयशा आगे बोली: ऐसे ही समय बीतता गया और कमाल घर आ गए। अब सलमा वापस जाने के लिए ज़ेठ जी को बुलायी और मुझे बोली कि इस बार तुमको तुम्हारे ज़ेठ जी से चुदवाऊँगी।
मैंने कहा कि छी क्या बोल रही हो। इस पर वह बोली: अरे इसने क्या है इनकी तो तुझपे कई दिनों से नज़र है।
कुछ दिन बाद ज़ेठ जी आए और मेरे सामने जेठानी जो को चूमने लगे। जब मैं वहाँ से जाने लगी तो वो हंस के बोले: अरे बहु कहाँ जा रही हो तुम भी प्यार करवा लो। पर मैं भाग गयी।
कुछ समय बाद सलमा आइ और बोली: चलो भाई जान बुला रहे हैं। कमाल को वह भाई जान बोलती थी।
मैं कमाल के कमरे में पहुँची तो वह बिस्तर पर बैठे हुए थे। ज़ेठ जी बग़ल में बैठे थे। अब कमाल बोले: देखो आयशा मैं जो बात कहने जा रहा हूँ तुमको अजीब सी लगेगी पर ये सच्चाई तुम्हें स्वीकार करनी होगी।
मैं बोली: वह तो मैं स्वीकार कर चुकी हूँ। आप चिंता मत करिए।
तभी नमिता की हाय्य्य्य्ह्य्य निकल गयी और कमाल उसका पानी पीता चला गया।
अब कमाल अपना मुँह पोंछते हुए बोला: आगे क्या हुआ मैं बताऊँ क्या?
राज: नहीं अंकल आंटी को कहने दीजिए।.
राज ने आयशा की चूचियाँ दबाते हुए उसको मस्त कर दिया और वह भी उसके पूरे खड़े लौड़े को सहालते हुए बोलने लगी:::
कमाल बोले: देखो रानी जिस्मानी ज़रूरत तो सबकी होती है, अब क्योंकि मैं तुम्हारी ज़रूरत पूरी नहीं कर सकता इसलिए तुम्हें घर के ही सदस्यों से ही चुदवाना चाहिए और मैं चाहता हूँ की भाई जान तुम्हें चोद कर तुम्हारी प्यासी बुर को शांत करें।
मैं : ये कैसे हो सकता है? वो तो मेरे ज़ेठ हैं।
कमाल: तो क्या हुआ ? मेरे भी तो बड़े भाई हैं।
मैं नाटक करते हुए बोली: और जेठानी जी का क्या?
सलमा: मुझे कोई इतराज नहीं है। घर की बात घर में ही रहनी चाहिए।
कमाल: चलो अब भाई जान की गोद में बैठो और उनसे मज़ा लो।.
सलमा ने मुझे हल्के से धक्का देकर ज़ेठ की गोद में बिठा दिया। उनकी गोद में बैठते ही मुझे उनके खड़े लौड़े का अहसास हुआ और मैं चिहुंक उठी आह्ह्ह्ह्ह करके।
सलमा हँसके बोली: क्या डंडा चुभ गया?
मैं शर्मा गयी। अब कलाम ने कहा: भाई जानचूचि दबाईये इसकी मस्त टाइट हैं। ये कहते हुए कमाल ने भाई जान का हाथ पकड़कर मेरी छातियों पर रख दिया। और ज़ेठ जी ने उनको मस्ती में आकर मसल दिया और मैं उफ़्फ़्फ़्फ कह उठी। ज़ेठ जी भी अब मस्ती से मेरे होंठ और गाल चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबा रहे थे। अब मैं भी मस्त होकर उनका साथ देनी लगी और अपने चूतरों को उनके लौड़े पर दबाने लगी।
अब उन्होंने मेरा ब्लाउस उतारा और ब्रा भी खोल दी और सबके सामने मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल था ,हालाँकि जेठानी से चपटी चपटी चल रही थी पर एक लौड़े के लिए मेरी बुर बहुत प्यासी हो रही थी।
अब वो मुझे खड़ा किए और पेटिकोट उतार के मेरी जाँघों को सहलाए और झुकके वहाँ चुमें और फिर पैंटी खोलकर मेरी चिकनी बुर को देखकर सहलाए और मस्त होकर बोले: आह्ह्ह्ह्ह सलमा देख क्या मस्त चिकनी बुर है आयशा की?.
सलमा: सिर्फ़ देखेंगे कि कुछ करेंगे भी, बेचारी बहुत प्यासी है।
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कलाम : आओ ना यहाँ लेटो । यह कहकर मुझे अपने बिस्तर पर लिटा दिए।
अब ज़ेठ जी मुझे देखते हुए अपने कपड़े उतारने लगे। वह बहुत हट्टे क़ट्टे हैं और उनकी चड्डी में से उनका लौड़ा बहुत ही बड़ा सा दिख रहा था । वह सलमा को बोले: चलो मेरी चड्डी उतारो और लौड़ा चूसो । सलमा ने मज़े से चड्डी के ऊपर से ही पहले लौड़े को दबाया और फिर उनकी चड्डी खोल दी और उनका बड़ा सा लौड़ा हम सबको मस्त कर दिया। अब उसने अपने पति के लौड़े को चूसना शुरू किया और ज़ेठ जी आह्ह्ह्ह्ह करने लगे।
थोड़ी देर बाद वह बोले: रानी जानता हूँ कि तुम भी बहुत प्यासी हो पर पहले मैं एक बार आयशा को चोद लूँ फिर तुमको भी मस्त करूँगा।
यह कहकर वो मेरे ऊपर आए और मेरे होंठ चूसते हुए मेरी छातियाँ मसलने लगे। मैं भी मज़े से उनके चुम्बन का जवाब देने लगी। फिर ज़ेठ जी नीचे आके मेरी बुर को चूसे और मैं चीख़ें मारने लगी। अचानक वो कलाम को बोले: बोलो भाई तुम्हारी बीवी को चोद दूँ?
कलाम ने उनका लौड़ा पकड़ा और मेरी टाँगें फैलाके ऊपर उठा दी और उनके लौड़े को मेरी बुर के छेद में रखा और उसकी फाँकों को फैलाकर बोले: चलो पेल दो मगर धीरे से भाई जान आपका लौड़ा मेरे से बहुत बड़ा है । हो सकता है आयशा को थोड़ा दर्द हो।
अब ज़ेठ जी एक धक्का लगाए और आधा लौड़ा अंदर चला गया और मैं दर्द से चिल्लायी: आऽऽऽऽऽहहहह भाईइइइइइइइ धीरे सेएएएएएएए उईइइइइइइइइइइइ दुखताआऽऽऽऽऽऽ है नाआऽऽऽऽ
वह बिना रुके एक और धक्का मारे और अपने लौड़े को जड़ तक मेरे अंदर घुसेड़ दिए। मैं हाय्ह्य्य्य्य्य कर उठी।
अब वो मेरी चूचि पीने लगे और मेरे निपल्ज़ को मसलने लगे। जल्द ही मैं भी गरम हो गयी और अपने चूतर को उठाकर उनको चोदने का इशारा की ।अब तो जैसे उनको मन माँगी मुराद मिल गयी हो , वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे। अब मैं भी कमर उठा कर चुदवा रही थी। उस दिन पहली बार मुझे किसी ने गालियाँ दे दे कर चोदा था। सच मज़ा दुगुना हो गया था।
राज उसकी नाभि में ऊँगली फेरता हुआ पूछा: आंटी क्या गाली दिया उन्होंने?
आयशा: आऽऽहहह क्या नहीं बोला। वो बोले : साली रँडी अब तू मेरी छिनाल क़ुतिया बन गयी है। बोल है की नहीं।
मैं: आऽऽऽह हाँ हूँ।
वो: मादरचोद क्या है ? अपने मुँह से बोल।
मैं: मैं आपकी रँडी हूँ आपकी छिनाल क़ुतिया हूँ।
वो: तू मेरी गाँड़ में ऊँगली डाल बहनचोद और उसको चाट।
मैंने वैसा ही किया और चाट के बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह भाअअअअअअअअअइइइइइइइ
जाआऽऽऽऽऽऽन्न्न्न्न्न्न ।
अब वो मुझे और ज़ोर से गाली देते हुए चोदने लगे।
मैं तो पागल सी होकर उछल कर चुदवाती हुई झड़ने लगी। मैं वहाँ लेटी हुई हाँफ रही थी। तभी वह खड़े हुए और सलमा की साड़ी उठाकर उसकी पैंटी उतार दिए और उसको बिस्तर के सहारे झुकाके उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा डाल कर उसको भी चोदने लगे। सलमा भी अपनी कमर हिला हिला के चिल्ला चिल्ला के चुदवाने लगी। वह सलमा को गालियाँ दे दे कर चोद रहे थे। वो बोले: ले बहन की लौड़ी ले और ले मेरे लौड़ा आऽऽहहहह। हम्मनन और साली क़ुतिया क्या मस्त बुर है तेरी आह मादरचोद ले ले और ले । कहते हुए ज़ोर ज़ोर से चोदते हुए वो दोनों झड़ने लगे।
उस रात को फिर से मेरी ज़बरदस्त चुदायी हुई और अगले दिन जाने के समय वह मेरे सामने कमाल को बोले: देखो मैं तो जा रहा हूँ पर अभी भी तुम्हारे घर में एक मर्द है तुम्हारा बेटा नदीम । मैं चाहता हूँ कि वह अब अपनी माँ को चोदे वरना ये बाहर वालों से चुदवयेगी और सबकी बदनामी होगी।
मैंने इस बात का काफ़ी विरोध किया पर मेरी एक नहीं चली और आख़िर में कमाल ने मुझे अपने ही बेटे से भी चुदवा ही दिया। बाक़ी की बातें तुम सब जानते ही हो।
आयशा के चुप होते ही नदीम उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और राज उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी बुर को चाटने लगा।
नमिता मुस्कुरा के उनको देख रही थी। वह थोड़ी शांत थी क्योंकि कमाल ने उसकी बुर चूसके झाड़ दिया था।
अब आयशा भी दोनों के लौड़े सहला रही थी।
अब राज आयशा को खड़े किया और उसको बैठे हुए नदीम का लौड़ा चूसने को कहा और ख़ुद उसको झुकाके उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और चुदायी करने लगा। आयशा अपनी कहानी सुनाते हुए बहुत गरम हो गयी थी और वह अपनी गाँड़ हिलाके चुदवाने लगी। कमाल भी उठकर आयशा की बुर के नीचे आकर राज के लौड़े और आयशा की बुर पर जीभ फिराए जा रहा था।
जल्द हो नदीम ने अपना माल अपनी माँ के मुँह में छोड़ दिया और उधर राज भी उसकी बुर में झड़ने लगा और आयशा भी आऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइइइइइइइइ कहके झड़ने लगी।
अब कमाल ने आयशा की बुर में अपनी जीभ डालके उसके और राज के रस का पान करना शुरू किया।
अब सब लोग शांत होकर बैठ गए और बाथरूम से फ़्रेश होकर आए।
आयशा चाय बनाके लायी और सब लोग चाय पीने लगे।
नदीम नमिता से बोला: आंटी, अम्मी ने तो अपनी चुदायी की कहानी सुना दी , अब आपकी बारी है। आंटी आप बताओ ना आप पहली बार कब और किससे चुदीं ?
राज: मतलब आपकी सील किसने तोड़ी?
नमिता हँसते हुए बोली: ओह तो तुमको मेरे पहले दर्द की कहानी सुननी है???? -----------
नमिता कहने लगी:::::
मैं कभी भी पढ़ाई में अच्छी नहीं थी और ये भी एक कारण है कि मैं चाहती हूँ कि राज ख़ूब पढ़े। मैं जब ग्यारहवीं में पहुँची तो मैं अपनी क्लास में सबसे बड़े उम्र की लड़की थी। मेरा बदन भी थोड़ा ज़्यादा ही भरा हुआ था मेरी क्लास की अन्य लड़कियों की तुलना में।
नदीम उसके पास आके उसकी जाँघ पर हाथ फेरता हुआ बोला: मतलब आप क्लास की सबसे बढ़िया माल थी?
नमिता हँसी और बोली: सही कह रहे हो ।क्योंकि मेरी छातियाँ जल्दी से बड़ी हो चुकी थीं इसलिए सब मुझे एक विशेष नज़रों से देखते थे। स्कर्ट से झाँकती मेरी गोरी जाँघें और टॉप में कसे मेरे कबूतर सबको पागल किए हुए थे। मेरी एक पक्की सहेली थी इशा वो ईसाई थी और साँवली थी पर बदन उसका भी भरा सा था पर मेरे से कम। हम दोनों अपने में ही मस्त रहती थीं और क्लास के लड़कों की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं देती थीं। इशा भी पढ़ाई में मेरी ही तरह नालायक थी।
मेरे और इशा में एक ही फ़र्क़ था कि वह चुदायी का मज़ा ले चुकी थी जबकि मैं अभी तक अपनी सील सुरक्षित रखी हुई थी।
वह मुझे अपनी चुदायी की बातें करती रहती थी और मैं भी गरम हो जाती थी। फिर हमारी परीक्षाएँ आ गयीं और हम दोनों का गणित का पेपर बहुत ख़राब हो गया। हम दोनों बहुत चिंतित थीं कि हम फ़ेल ना हो जाएँ। घर वालों की डाँट का बहुत डर था।
अब आख़री पेपर के दिन वह बोली: सुन, मैंने गणित वाले सर से बात की है, रहमान सर हमको पास कर देंगे पर अपनी फ़ीस लेंगे।
मैं बोली: पर कितने पैसे माँग रहे हैं? हम पैसे कहाँ से लाएँगे?
इशा: अरे पगली उनको पैसा नहीं कुछ और चाहिए।
मैं : और क्या चाहिए?
इशा: हमारी जवानी चाहिए।
मैं चौंक कर बोली: मतलब ?
इशा: अरे वह हमें पास करने के लिए वह हमें चोदना चाहते हैं।
मैं: हे भगवान, यह कैसे हो सकता है?
इशा: देख यार अपना तू देख ले , मैं तो अपना तय कर ली हूँ उनके साथ । कल मैं उनके घर जाऊँगी और उनको मज़ा दे दूँगी और अपने नम्बर ठीक करा लूँगी।
मैं: और मेरा क्या होगा? मैं तो फ़ेल हो जाऊँगी।
इशा: ऐसा करते हैं मैं कल उनसे मिल लेती हूँ, फिर तुमको बताऊँगी कि अगर वह सही आदमी होगा तो तुम भी चुदवा लेना और पास हो जाना।
मैं: मतलब? सही आदमी मतलब?
इशा: मेरी बहना, कई मर्द बड़े कमीने होते हैं, वो बहुत तकलीफ़ देते हैं चुदायी के दौरान। और कई बहुत अच्छे होते हैं जो बड़े प्यार से चोदते हैं। तेरा पहली बार है ना इसीलिए मुझे ख़ास चिंता है तेरी।
मैं: वो क़रीब ३५ साल के तो होंगे ही ना? शादी हो गयी है क्या?
इशा: हाँ शादी हो गयी है पर बीवी अक्सर गाँव में रहती है। वह अकेले ही रहते हैं।
मैं: चल फिर तू कल उनसे मिल ले फिर आगे का फ़ैसला करेंगे।
फिर स्कूल की छुट्टियाँ हो गयीं और दो दिन बाद इशा मुझे मिलने आयी घर पर।
मैं: कैसा रहा सर के साथ?
इशा मुस्कुराती हुई बोली: बड़ी उत्सुकता है तुमको ?
मैं: बता ना क्या पास हो जाएगी क्या अब?
इशा: हाँ उन्होंने मुझे नया पेपर दिया और ख़ुद सवाल करवाए और उसी समय नम्बर देकर पास भी कर दिया।
मैं: और वो काम?
इशा अनजान बनते हुए बोली: कौन सा काम ?
मैं शर्माकर: वही चुदायी वाली?
इशा: सच में सर मस्त चोदते हैं। बहुत मज़ा दिया उन्होंने। जानती हो पूरे चार घंटे रोक के रखे और दो बार चुदायी की।
मैं: ओह, तो तू तो पास हो गयी , मेरा क्या होगा?
इशा: तू भी मिल ले उनसे और मज़ा भी ले ले और पास भी हो जा ।
मैं: ओह, पर मुझे डर लगता है, और मेरा पहली बार भी हैं ना?
इशा: बिलकुल मत डरो , बहुत प्यार से करेंगे तुमसे , और उनका हथियार भी सामान्य साइज़ का है। ज़्यादा बड़ा नहीं है।
मैं: ओह, तो तेरी क्या राय है, मिल लूँ मैं भी?
इशा : मैं तो कहती हूँ कल ही मिल ले। तू चाहे तो मैं अभी फ़ोन कर देती हूँ।
मैं: अच्छा कर अभी और पूछ के मुझे कब जाना होगा, उनके पास? तू भी चलेगी ना?
इशा : नहीं तुझे अकेले ही मिलना होगा ।
मैं: चल ठीक है बात कर अभी।
उसने हमारा लैंड लाइन फ़ोन उठाया और उसको स्पीकर मोड में रखकर उसको फ़ोन लगायी और बोली: सर नमस्ते, कैसे है। आप?
सर: मस्त हूँ, तुम्हें मिस कर रहा हूँ।
इशा: सर, मैं आपको कल बतायी थी ना कि मेरी एक सहेली को भी पास होना है, वह आपके पास कल आ जाए क्या?
सर: अरे ज़रूर, क्यों नहीं? दस बजे आने को बोल दो।
इशा: सर , आपको मैंने बताया था ना कि यह उसका पहली बार होगा। आपको आराम से करना होगा।
सर: क्या मैंने तुमको आराम से नहीं किया था? वैसे ही मैं उसकी भी प्यार से लूँगा। तुम निश्चिन्त रहो।
इशा : आप उससे बात कर लो। लो नमिता बात करो।
मैं: सर नमस्ते।
सर: नमस्ते ,बेबी आ जाओ कल दस बजे , तुम्हें पास भी कर दूँगा और बहुत मज़ा भी मिलेगा।
मैं: जी जी सर मैं आ जाऊँगी।
सर: चलो फिर कल मिलते हैं। बाई ।
मैं: बाई।
अब इशा ने मुझे कहा: सर को झाँटे पसंद नहीं हैं। मेरी साफ़ थी तो बड़े ख़ुश हुए । तुम्हारी झाँटे बढ़ी हुई है क्या?
मैं: नहीं मैं साफ़ ही रखती हूँ।
इशा: बस फिर ठीक है। कल दस बजे चली जाना । और उसने मुझे उनका पता दे दिया ।
इशा के जाने के बाद मैं बहुत परेशान थी कि क्या मैंने सही फ़ैसला किया है।
ख़ैर अगले दिन इशा के घर जाने का बहाना बनके मैं सर के घर पहुँची और बेल दबायी। सर ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। वो मेरी छाती और मेरी जाँघें देखकर मस्त हो गए थे ।मैं आज भी टॉप और स्कर्ट में थी।
सर: आओ बेबी अंदर आओ।
मैं अंदर आयी और सर ने मुझे सोफ़े पर बैठाया और पानी लाए।
मैं: धन्यवाद सर।
सर: बेबी, क्या लोगी, ठंडा या गरम?
मैं: जी कुछ नहीं।
सर: ओके , अच्छा मैं तुम्हारा पेपर लता हूँ।
फिर वह मुझे मेरा पेपर दिखाया और बोले: देखो कितना ख़राब हुआ है तुम्हारा पेपर ।
मैंने देखा कि मुझे सिर्फ़ १५ नम्बर मिले थे १०० में।.
मैं: सर मुझसे गणित होती ही नहीं।
सर: चलो कोई बात नहीं बेबी, हम तुमको पास कर देंगे।
चलो वहाँ टेबल कुर्सी रखी है तुम्हारा पेपर ठीक कर देते हैं।
मैं वहाँ बैठी और वो मुझे सही जवाब दिए । मैंने उसको पेपर में कॉपी कर दिया । क़रीब आधा घंटा लगा और उन्होंने मेरे सामने मुझे ६५ नम्बर देकर पास कर दिया मैं ख़ुश होकर बोली: बहुत बहुत धन्यवाद सर।
सर: सिर्फ़ धन्यवाद ही दोगी या कुछ और भी दोगी?
मैं शर्मा गयी। वह मुझे ले जाकर अपने बेड रूम में के गए और मुझे खींचकर अपने गोद में बिठा लिया। मैं बहुत डरी हुई थी। वो बोले: बेबी, डरो मत। मुझे इशा ने बताया है कि तुम्हारा पहली बार है । डरो मत मैं बहुत आराम से करूँगा और तुमको बहुत मज़ा दूँगा।
अब मेरे नीचे उनका खूँटा गड़ने लगा था। उन्होंने मेरे गाल को चूमा और फिर होंठ चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी छातियों पर आ गया और वह उनको दबाने लगे और मैं भी मस्त हो गयी।
वह बोले: बेबी टॉप उतार दूँ? मज़ा लेना है ना?
मैं: जी ।
वह मेरा टॉप उतारे और मेरी छातियाँ देख कर मस्त हो गए और बोले: बेबी, इतनी बड़ी चूचियाँ इस उम्र में? और वह ब्रा के ऊपर से ही उसको दबाए और नंगे हिस्से को चूमे। फिर वो ब्रा भी उतार दिए। अब मेरी छातियाँ देखकर वो मस्त होकर बोले: आऽऽह कितनी टाइट चूचियाँ हैं । अब वो उनको दबाने लगे। उन्होंने अपना मुँह मेरी छातियों पर रखा और उनको पीने लगे। निपल्ज़ को भी दबा कर मुझे मस्त कर रहे थे। फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट निकाल दिए और मेरी जाँघें और पैंटी से फुली हुई बुर देखकर जैसे पागल ही हो गए। अब वो अपने कपड़े उतारने लगे और टी शर्ट उतारे और फिर अपनी पैंट भी निकालके अलग किया। उनकी चड्डी ने खड़ा हुआ लौड़ा मुझे बहुत बड़ा लगा।
अब वो अपना हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और अपने चड्डी के ऊपर से लौड़े पर रख दिया।
मैं तो काँप उठी और बहुत उत्तेजित हो गयी। उनके कहने पर मैंने उनकी चड्डी उतार दी और उनका लौड़ा मेरे सामने था। मैंने पहली बार एक खड़ा लौड़ा इतनी पास से देखा था। मेर बुर गीली हो गई। अब उन्होंने मेरा हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मैंने पहली बार इतनी गरमी महसूस की। उन्होंने मेरा हाथ हिलाके मुझे लौड़ा सहलाना सिखाया।
अब वो मुझे लिटा दिए और मेरे ऊपर आकर मेरी छातियाँ दबाने लगे और बहुत देर तक मेरे होंठ चूसे। मैं भी मस्ती में थी। अब वह मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मैं मस्ती से भरकर आऽऽहहहह करने लगी।
अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारा और वह बड़ी देर तक मेरी जाँघें फैलाकर मेरी बुर को देखने लगा। फिर उसने वहाँ ऊँगली फेरी और उसके चिकनापन का अहसास करके कहा: आह बेबी, क्या चिकनी बुर है।
फिर वह अपना मुँह मेरी बुर में डालकर उसे चूमा और चूसने लगा। जैसे ही मैंने उसकी जीभ अपनी बुर पर महसूस किया मैं पागल सी हो गयी। अब वह मेरी बुर में ऊँगली डालकर अंदर करने की कोशिश किया और मेरी आह्ह्ह्ह्ह निकल गयी।
वह: ओह, तो सील टूटी नहीं है अभी। चलो मज़ा लो पहली चुदायी का ।
अब वह अपने लौड़े में बहुत सा क्रीम लगाया और मेरी बुर में भी क्रीम लगाया और अपना लौड़ा मेरे छेद पर रखा और बहुत धीरे से धक्का मारा । मेरी चीख़ निकल गयी और वह जैसे तीर सा मेरे छेद में घुसता चला गया। मैं रोने लगी और दर्द से बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सर निकाल लीजिए ना। दर्द हो रहा है।
वह: अरे बेबी, देखो आधा तो चला गया है। और बात करते हुए एक और धक्का मारे और पूरा लौड़ा अंदर करके मुझसे चिपक गए।
अब वह मेरी चूचियाँ दबाने लगे और चूसने भी लगे। जल्द ही मैं भी गरम हो गयी थी। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था।
फिर मैं उनकी चुदायी का आनंद लेने लगी। अब वो मस्ती से कमर दबाकर मुझे चोदे जा रहे थे। मैं भी मस्ती में उनसे पूरी तरह से चिपक गयी थी। जल्दी ही वह भी गरम होकर पूरे ताक़त से मुझे चोदने लगे। मैं आऽऽह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगी। वह भी जल्दी ही झड़ गए।
फिर वो मुझे लेकर बाथरूम गये और मेरी बुर के ख़ून को पोंछकर साफ़ किया और बोले: बेबी डरो नहीं, पहली बार में ये सब होता है। आगे के लिए तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। अब ज़िन्दगी भर मज़े से चुदवाना।
फिर उन्होंने मुझे लौड़ा चूसना भी सिखाया और एक बार और चोदे ।
मैं मुश्किल से घर पहुँची पर पास हो गयी। यही है मेरी पहली चुदायी की कहानी।
नमिता की कहानी सुनकर सबके सब मज़े से भर गए। नदीम और राज के लौंडे तो पूरे खड़े थे जिसे वो ख़ुद सहलाकर गरम हो रहे थे। अब वो दोनों अपनी अपनी आंटी को पकड़े और बेडरूम में ले गए और फिर शुरू हुआ तूफ़ानी चुदायी का एक और दौर।
वो चारों एक
दूसरे के जिस्म में मानो घुसने की कोशिश कर रहे थे। कमाल भी इनके साथ दे रहा था अपनी तरह से उनके यौनांगों को छू छू के।
चुदाई का यही दौर रात को भी चला। फिर सब थक के सो गए।