इस बहनचोदी निगोड़ी को भी अभी आना था ,.... में मन ही मन अपनी महावारी को गाली देती हुई उठी और अलमारी से सेनेटरी पैड निकाल अपनी पेंटी में फिट कर , पेंटी पहनी । पलंग की चादर चेंज करी , और धम से पलंग पर लेट गई ।
मुझे टेंशन इस बात कि थी कि मेंने आसिफ को खाने को न्योता लिया था और इधर तो रायता ही फैल गया ।
कहां तो में सोच रही थी कि रमेश का मोटा काला लौड़ा जब मेरी चूत में अंदर बाहर होगा तो कितना मजा आयेगा । कहां मुझे ये सोचना पड़ रहा है कि उसे संतुष्ट कैसे करूंगी,
मेरे दिमाग की तरीके आ रहे थे कि:
मुंह से चूस कर उसे झाड़ दूंगी।
किसी तरह गांड़ मरवा लूंगी ,
या हाथ से मुठ मार कर उसका माल निकाल दूंगी ,
या आपने पेट और नाभि पर घिसवा कर उसे खाली कर दूंगी
या अपनी जांघें कस कर जांघें चुदवा लूंगी।
क्योंकि अब ये तीन चार दिन तो मेरी चूत ने खून केआंसू बहाने ही थे ।
में ये सोचकर परेशान थी कि चलो रमेश को तो किसी तरह संतुष्ट कर दूंगी , मगर में अपने आप पर कैसे काबू रख पाऊंगी , जब रमेश का मोटा काला लंड मेरे सामने होगा।
ये तो वही बात हुई कि आप भूखे भी है , सामने गोस्त की बढ़िया बोटी भी रखी है , मगर आप खा नहीं सकते ।
ये सब सोचते हुए कब मेरी आंख लग गई , मुझे पता ही नहीं चला, सुबह जब आंख खुली तो घडी मे सात बज चुके थे।
मेंने अपना मोबाइल देखा आसिफ की मिस्ड काल थी। मेंने उसे फोन मिलाया... हैलो हां बेटा तेरी मिस्ड काल थी
आसिफ: वो तो मेंने ऐसे ही कर ली थी , आप ठीक ठाक है , कोई परेशानी।
में : में एकदम बढ़िया हूं , सुबह नींद ही नहीं खुली सात, बजे उठी ।.... और तू बता ट्रेन में रात ठीक से नींद आ गई थी।
आसिफ: अरे ट्रेन में नींद कहां आती है अम्मी , डिस्टर्बेंस ही बहुत रहती है , मगर ठीक है कोई दिक्कत नहीं हुई।
में : नाश्ता कर लेना , किसी का भी दिया हुआ मत खाना , घर से परांठे और आचार ले गया है वहीं खा लेना।
आसिफ : अम्मी आप भी ना हमेशा एक ही बात ले कर बैठी रहती हो। मेरी मां, इतनी चिंता मत किया कर , मुझे कुछ नहीं हो रहा ।
में : अच्छा चल नाराज मत हो , फोन करते रहना , तू जानता है मुझे तेरी चिंता रहती है।
आसिफ : ठीक है , फोन करता रहूंगा , मुम्बई तो शाम छह बजे के करीब पहुंचूंगा । चल अब फोन काटता हूं।
आसिफ से बात होने से मेने राहत की सांस ली , और टायलेट में फ्रेस होने घुस गई , अपना पैड चेंज करते हुए मेंने देखा माहवारी का स्राव अपने पूरे उरोज पर था । करीब आधा घंटा टायलेट में बिता , में नहा धोकर फ्रैश हो कर बाहर निकली ।
इस समय तक सुबह के आठ बज गये थे , मेंने रमेश को फोन लगाया ।
में : हैलो , और डियर कितने बजे पहुंचे ।
रमेश : अरे आंटी , में आप ही को फोन करने वाला था , में तो सात बजे पहुंच गया था , दस बजे तक बंदा आपकी खिदमत में हाजिर हो जाएगा।
में : मेरे राजा मेंने कितनी बार आपसे बोला है कि मुझे आंटी मत बोला करो , मुझे अजीब सा लगता है , ....और दूसरी बात आप तो मेरी खिदमत में आ रहे हो मगर मैं आपकी खिदमत ठीक से नहीं कर पाऊंगी।
रमेश : क्यों क्या हुआ , मेंने आंटी बोला इसलिए?
में : अरे नहीं मेरे राजा बात ये है कि मेरे तो पीरियड आ गये , कल रात से ही शुरू हुए हैं , तीन चार दिन तो रहेंगे ही ।
रमेश : औ यार ये सब मुझे नहीं पता , में तो 10.00 बजे तक पहुंच रहा हूं , मेरे तो इतने दिनों का माल भी जमा पड़ा है, जो मेंने आप अंदर ही उड़ेलना है , देख लेना कैसे करेंगी । ये klpd नहीं चलेगी।
में : मेरे राजा , पीरियड आना कोई मेरे हाथ में है क्या ? आपको अपना जमा माल निकालना है , वो में निकाल दूंगी , बहुत तरीके हैं , जरूरी थोड़े ही कि तुम्हारा लंड मेरी चूत में घुसेगा तभी वो माल निकालेगा।
रमेश : चल मुझे क्या जैसा चाहे करना ।
में : चलो वो तो देख लेंगे तुम ऐसा करना आते समय दही और चिकन लेते आना , नाश्ते में आलू परांठे और दही खा लेंगे और खाने में चिकन।
ठीक है ...कह कर रमेश ने फोन काट दिया , अब मैं निश्चिंत थी , मेंने अपनी स्थिति रमेश को साफ कर दी थी।
अब कोई और काम था नहीं तो , बिस्तर पर लेट कर टेलीविजन देखते हुए में रमेश का इंतजार करने लगी । में बार बार दीवार घड़ी पर नज़र मार रही थी।
तभी करीब 9.45 पर काल बैल बजी , में तुरंत से दरवाजे कि तरफ भागी , मेंने door eye से देखा ये रमेश ही था।
मेंने उसे अंदर लेकर दरवाजा बंद किया और बिना कुछ बोले उसकी गर्दन में अपने हाथ डाल कर , पंजों के बल ऊपर उठी और उसके होंठों से अपने होंठ लगा कर चुम्बन लेने लगी।
रमेश ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी थी , दोनों की जीभों का टकराव हमारे शरीर में अजीब सी सनसनी पैदा कर रहा था। रमेश के दोनों हाथ मेरी कमर पर थिरक रहै थे। रमेश मेरी कमर , पेट तथा मेरे कूल्हों को सहला रहा था, तभी मेंने महसूस किया कि उसका हाथ चूत की तरफ जा रहा है , मेंने तुरंत से उसका हाथ पकड़ लिया ..... मेरे राजा अभी तीन चार दिन के लिए ये नहीं, इसके अलावा जो मर्जी हो करो ,
मेरी जान क्या करूं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा , तीन महीने से तड़प रहा हूं ,..... रमेश मेरे उभरे हुए पेट और कमर को मसलते हुए बोला । हम लोग बेडरूम में आ गये थे ।
मेंने तुरंत से अपना गाऊन उतारा और उसकी पेंट के बटन खोलते हुए बोली ..... मेरे राजा अब मेरे पास आ गये होना , इसकी सारी कसर निकाल दूंगी,.... में अब रमेश के काले भुसंड लंड बिकराल लंड को हाथ से सहला रही थी । रमेश के इसी बिकराल लंड और उसके गाली देते और मुझे पीटते हुए चोदने के कारण ही में उस पर फ़िदा थी।