आसिफ को वापस आए हुए करीब एक हफ्ता हो गया था।
मुझे याद है जिस दिन वो आया था मेंने पेटीकोट ब्लाउज पहना हुआ था , अंदर आते ही आसिफ ने दरवाजा बंद किया और मेरे सामने बैठ गया और मेरे पेटीकोट को उठा कर अपना मुंह मेरे पेटीकोट में घुसा दिया था तथा पांच मिनट तक मेरी चूत को खड़ी अवस्था में ही रगड़ रगड़ कर चाटता रहा , इस बीच उसके हाथ मेरे चूतड़ों को पूरी ताकत से मसल रहै थे।
इस चूत चटाई ने पांच मिनट में ही मुझे खासा गरम कर दिया था , फिर उसने मुझे अपनी बाहों में उठाया और डाइनिंग टेबल के किनारे मेरी गान्ड रख मुझे उसपर लेटा दिया और अपनी जिप खोल कर लंड निकाला और पेंट उतारने की जहमत उठाए बिना अपना लंड मेरी चूत में धकेल दिया और धक्के लगाने लगा , मगर बहुत देर अपने आपको रोक नहीं पाया और पांच मिनट में ही उसके लंड ने ढेर सारा पानी मेरी चूत में उगल दिया।
आहहहह अम्मी अब जाकर चैन मिला .... आसिफ हांफता हुआ बोला.... इतने दिनों से माल अंदर ही इकठ्ठा हो रहा था । आप को पता नहीं, ये पन्द्रह दिन मेंने कितनी मुश्किल से काटे हैं।
आसिफ अभी तक मेरे ऊपर से हटा नहीं था , और उसका सिकुड़ता हुआ लंड मेरी चूत में ही था..... आहहह बिल्कुल ठीक कह रहा है बेटा, में भी बता नहीं सकती के तेरे बिना इतने दिन मेंने कैसे काटे हैं ... मुझे तो सूना सूना घर हमेशा काटने को दौड़ता था। मेंने आसिफ के कूल्हे सहलाते हुए बहुत ही बेशर्मी और शातिर तरीके से झूठ बोला।
चिंता मत कर मेरी प्यारी अम्मी अब मैं आ गया हूं ना रोजाना सुबह शाम तेरी तेरी चुदाई करके सारी कसर पूरी कर दूंगा.... कहते हुए आसिफ ने पुच्च की आवाज के साथ अपना लौड़ा मेरी चूत से निकाल लिया और मेरे पेटीकोट से ही मेरी चूत पौंछ दी।
उसके बाद से आसिफ और में रोजाना सुबह शाम चुदाई करते ... मेंने महसूस किया कि मेरी माहवारी का समय तो आ गया, मगर अभी तक माहवारी शुरू नहीं हुई , एक अंजान आशंका से मेरे मन में पैदा हुईं कि कहीं सच में ही रमेश ने मेरी कोख में अपना बीज तो नहीं बो दिया, यह सोच कर ही मेरे शरीर में रोमांच की लहर दौड़ गई और मेरे रोंगटे खड़े हो गये , फिर भी मेंने चार पांच दिन और इंतजार करने का फैसला किया।
रात साढ़े दस बज चुके थे , चुदाई के बाद पसीने से लथपथ में आसिफ के बगल में लेटी थी , मेरा आधा शरीर आसिफ के ऊपर था।
मेरे राजा मुझे लगता है कि में पेट से हो गई हूं , और तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं। या समझो तुम बाप बनने वाले हो .... मेंने आसिफ के बालों में अपनी उंगलियां फिराते हुए धीमें स्वर में कहा ।
आप मजाक कर रही हो ना..... आसिफ मेरी आंखों में झांकते हुए बोला।
नहीं मजाक नहीं कर रही , मेरी तारीख़ निकले पांच दिन हो गये अभी तक माहवारी नहीं आई ...... तू कल सुबह जाकर प्रेग्नेंसी टेस्ट की किट ले आना .... मेंने गम्भीर स्वर में कहा।
अम्मी , ये तो बहुत दिक्कत की बात हो जाएगी .... अब्बू को पता चला तो वो तो हम दोनों की जान ही ले लेंगे .... आसिफ के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी।
अरे पहले तू वो टेस्ट किट तो लेकर आ , फिर देखेंगे.... मेंने उसे दिलासा देते हुए कहा।
फिर क्या देखेंगे और कैसे देखेंगे.... आसिफ ने सवाल किया ... उसके चेहरे से घबराहट साफ झलक रही थीं।
मेरे राजा बेटे चुदाई के समय तो तू बड़ी लम्बी लम्बी छोड़ता था कि तेरे पेट में अपना बच्चा डाल दूंगा , तेरा पेट फुला दूंगा , तुझे अपने बच्चे की मां बना दूंगा, अब तेरा चेहरा डर से सफेद पड़ा है , ऐसा क्यों।
नहीं अम्मी , मुझे घबराहट ये है कि हम अब्बू को क्या जबाब देंगे.... आसिफ ने बैचेनी भरे स्वर में पूछा ।
अरे मेरे राजा घबराता क्यों है, में तेरी अम्मी कम माशूका , सब सम्भाल लेगी । ...... देख अगर मेरा प्रेग्नेंसी टेस्ट पाज़िटिव आता है, तो मैं तुरंत पन्द्रह दिन के लिए सिंगापुर तेरे अब्बू के पास चली जाऊंगी .... फिर वहां से लोटने के पन्द्रह दिनों बाद उन्हें खुशखबरी दूंगी कि वो एक और बच्चे के बाप बनने वाले हैं , इससे तेरे अब्बू भी खुश और तू भी खुश ... मेंने हंसते हुए कहा ...और मन में सोचा बच्चे का असली बाप रमेश भी खुश।
यार अम्मी आप तो हकीकत मे बहुत बड़ी छिनाल हो ... आसिफ का चेहरा अब खिल गया था।
अच्छा एक बात बताओ , मैं खुद तो अपने अब्बू की ही औलाद हूं ना .... आसिफ ने हंसते हुए पूछा।
नहीं नहीं मेरे बच्चे तू तो अपने अब्बू की ही औलाद है... मेंने भी हंसते हुए जबाब दिया।
जैसा मेरा अनुमान था , मेरा टेस्ट पाज़िटिव आया ... अब मुख्य मुद्दा जल्दी से जल्दी शौकत के पास सिंगापुर पहुंचना था .... मगर परेशानी ये थी कि में अकेली कभी अपने मायके भी नहीं गई थी सिंगापुर जाना तो बहुत दूर की बात थी .... आसिफ की क्यूंकि नई नई नौकरी लगी थी उसका छुट्टी लेना भी मुमकिन नहीं था।
संयोग से आसिफ का एक साथी पंकज आफिस के काम से सिंगापुर जा रहा था। आसिफ ने सुझाव दिया कि में उसके साथ चली जाऊं।
अम्मी ये बिल्कुल ठीक रहेगा आप पंकज के साथ चली जाना , मुझे भी टेंशन नहीं रहेगी और आप को भी साथ हो जाएगा ... आसिफ उत्साहित होता हुआ बोला ।
वो तो ठीक है मगर में उसको जानती नहीं कभी उससे मिली नहीं, थोड़ा अजीब सा लगेगा.... मेंने कहा।
अरे ये कोन सी बड़ी बात है ... में उसे कल शाम खाने पर बुला लेता हूं ... आप उससे मिल भी लो गी और थोड़ा बहुत खुल भी जाओगी .... आसिफ ने कहा और मेरी सहमति मिलते ही उसने पंकज को फोन कर उसे invite कर दिया।
पंकज एक 6 फीट 3 इंच लम्बा पक्के रंग का किसी बाड़ी बिल्डर की तरह दिखने वाला लम्बा चौड़ा युवक था । काम लोलुपता उसकी आंखों से टपक रही थी , वह घर में घुसते ही मेरे शरीर को ऐसी नज़रों से देख रहा था कि उसका बस चलता तो वहीं पटक कर मुझे चोद देता।
नमस्कार आंटी ... पंकज ने मुस्कुराते हुए कहा ।
नमस्कार बेटा ... में उसके बलिष्ठ शरीर को ललचाई नज़रों से देखते हुए बोली ....आसिफ के साथ काम करते हो ... मेंने मुस्कराते हुए पूछा... उसकी चोर नजरें मेरे पेट पर केंद्रित थी ।
हां आंटी इसका सीनियर हूं, अब तो इसका दोस्त भी बन गया हूं। और बहुत जल्द आपका दोस्त भी बन जाऊंगा। पंकज हंसते हुए बोला।
हां हां क्यों नहीं मुझे भी तुम्हारी दोस्त बन कर अच्छा लगेगा .... मेंने हंसते हुए कहा
बैठो, खाना बने तब तक में कुछ ठंडा लाती हूं... कह कर में रसोई की और चल दी , में अपने कूल्हे कुछ ज्यादा ही मटका रही थी ... मेंने आईने में देखा पंकज मेरे पिछवाड़े को ही निहार रहा था इससे मेरे मन को अजीब सी खुशी मिल रही थी। ... मेंने महसूस किया कि उसकी पेंट का आगे का हिस्सा सामान्य से कुछ ज्यादा उभरा हुआ है । में मन ही मन उसके लंड के आकार का अंदाजा लगा रही थी।
खाना खाने डायनिंग टेबल पर बैठे ही थे तभी आसिफ को शौकत का फोन आ गया।
आसिफ: आप लोग खाना शुरू करो , में अब्बू से बात कर के आता हूं ।
कह कर आसिफ अपने कमरे में चला गया, पंकज और में खाना खाने लगे।
खाना खाते वक्त पंकज मेरे बनाय खाने की तथा मेरी तारीफ करता रहा ।
पंकज: आंटी आप के हाथों मे तो जादू है , क्या लाजबाव खाना बनाया है।
में : अरे , छोड़ो क्यों झूठी तारीफ कर रहे हो , इतना भी बढ़िया नहीं है।
पंकज : यही तो बात है , इंसान को अपनी खुद की खूबियां नजर नहीं आती, खाना तो शानदार है ही , आप खुद भी काफी शानदार हो , इस उम्र मे भी आपने अपने आपको इतना मेनटेन किया हुआ है... पंकज मेरे चेहरे पर नजर गड़ाते हुए बोला।
क्यों मजाक कर रहे हो इतनी तो मोटी हो रही हूं , एकदम थुलथुल... मेंने शरमाते हुए कहा मेरा चेहरा अपनी बड़ाई सुन एकदम लाल हो गया था । जो पंकज की नजरों से छुपा नहीं था।
आप कहां से मोटी हो रही हो , आप तो बिल्कुल इस सब्जी जैसी तीखी हो । कोई भी चटकारे ले लेकर खाए ..पंकज ने मुस्कुराते हुए कहा और अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया।
मेरे शरीर मे सिरहन सी दौड़ गई... मगर मेने उसका हाथ हटाने कि कोई कोशिश नहीं करी ।और चेहरा झुकाए खाना खाती रही । धीरे धीरे पंकज का हाथ मेरी जांघों को सहलाने लगा , में सातवें आसमान में थी।
तभी आसिफ अपने कमरे से बाहर आया, पंकज ने हड़बड़ी में अपना हाथ मेरी जांघों से हटाया, और में भी सीधी बैठ गई। मुझे लगा की आसिफ हमारी हरकतों को भांप गया। मगर उसने पूरी तरह नजरअंदाज किया और बोला।
अम्मी एक बड़ी गड़बड़ी हो गई ।
क्या ... मेंने पूछा।
आसिफ: अब्बू को काम के सिलसिले में तीन चार दिनों के लिए हांगकांग जाना है , जब आप सिंगापुर पहुंचोगी तब अब्बू आपको नहीं मिल सकेंगे वो तीन दिन बाद आएंगे।
में घबरा कर बोली ...या खुदा फिर में एकदम अनजान जगह पर अकेली कैसे रहूंगी , में तो ऐसे नहीं रह सकती।
तभी पंकज बोल पड़ा .... अरे आप लोग चिंता क्यों करते हो , मेरा सिंगापुर में एक हफ्ते का प्रोग्राम है ... आंटी तीन दिन मेरे साथ रह लेंगी ... आंटी आप आसिफ की अम्मी हो तो मेरी भी अम्मी हुईं ना।
ये सुनकर आसिफ खुश हो गया।
मेरे शरीर में एक सर्द लहर फिर से दौड़ गई , में सोच रही थी, फिर तो जैसे आसिफ मुझे चोदता है ..तू भी मुझे चोदेगा ।
में परेशानी का दिखावा करते हुए पंकज के साथ रहने को राजी हो गई । हकीकत ये थी कि पंकज से चुदाई की कल्पना से ही मेरी चूत ने चिपचिपा पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
खाना खाने के पश्चात पंकज वापस चला गया , ये तय हुआ कि हम दो दिन बाद सिंगापुर के लिए निकलेंगे।
जितना भी समय पंकज घर पर रहा उसकी निगाहें मेरे बदन को ही घूरती रही जिससे मेरे मन में रोमांच सा पैदा हो गया।
पंकज के जाते ही में उठी और आसिफ की लूंगी खिंच कर उसके बदन से अलग करी और उसके लंड को पकड़ कर खिंचती हुई बैडरूम में ले गई।