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Incest दादी का खिलौना (completed)

Ajju Landwalia

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Update 4

फिर वो कमरे के अंदर जाती है और देखती है कि हामिद बिस्तर पर बैठा था उसने जाते ही

अमीना : "बैठा क्यों है बिस्तर पर लेट जा।"

और उसके करीब जाकर उसे धक्का दे दिया जिस से वो बिस्तर पर लेट गया, और फिर अमीना धीरे से हामिद की दोनों टांगों के बीच आकर बैठ गई जिस से हामिद को अनुभूति हो गई कि अब उसके साथ क्या होने वाला है।

वो धीरे से अपने दोनो हाथों से हामिद के लंड को पकड़ कर सहलाती है जिस से हामिद की सिसकी निकल जाती है जिसे देख कर अमीना मुस्कुराती है।

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फिर धीरे से हामिद की आंखों में देख कर उसके लंड के सिरे को चूमती है और धीरे धीरे चुम्मियों की बारिश कर देती है।

हामिद : "आह दादी ऐसे करोगी तो मैं अभी झड़ जाऊंगा।"

अमीना लंड चूमते हुए : "कोई बात नहीं मैं फिर तैयार कर दूंगी।"

और अमीना अगले ही पल उसके पूरे लंड को एक झटके में मुंह में ले लेती है और चाटने चूमने लगती है।


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हामिद भी मस्त आराम से लंड चुसाई के मजे लेता है।

अमीना किसी रण्डी की तरह अपने ही पोते के लंड पर मुंह चला रही थी उसका पूरा मुंह और हामिद का पूरा लिंग थूक से गिला हो चुका था। अमीना साथ में उसके टट्टे भी चूस ओर चाट रही थी।

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अमीना तो मजे कर रही थी लेकिन हामिद को अब ये सजा लग रहा था क्यूंकि उसे डर था कि चुदाई के पहले ही न झड़ जाए और हुआ भी ऐसा ही अगले ही पल हामिद ने अपना सारा माल अपनी दादी के मुंह में उगल दिया।

और अमीना भी उस माल को इतनी आसानी से निगल गई जैसे कोई शर्बत हो। हामिद निराश हो गया और हामिद की निराश देखकर

अमीना : "चिंता मत कर पहली बार ऐसा होता है चल आ मेरी मुनिया को दुबारा प्यार कर।"

फिर अमीना बिस्तर पर लेट जाती है और अपनी टांगे फैला कर अपने पोते को निमंत्रण देती है और हामिद भी अपनी दादी का निमंत्रण स्वीकार कर फिर से मुख चोदन की प्रक्रिया शुरू करता है, जिसका आनंद अमीना मजे से लेती है।

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हामिद को एहसास होता है कि अपनी दादी का मुखचोदन करने से उसके लिंग में फिर से खून का संचारण होना शुरू हो गया और थोड़ी ही देर में हामिद का लिंग अपने रौद्र रूप में आ गया।

हामिद अपनी दादी की आंखों में देखता है जिसे अमीना समझ जाती है।

अमीना : "हो गया खड़ा?"

हामिद : "हां दादी।"

अमीना : "तो अब किसका इंतजार कर रहा, आ लगा निशाना और मार चोट अपनी दादी की चूत पर।"

हामिद अपने हाथ से अपना लंड पकड़ता है, और अमीना की चूत पर टीका कर एक धक्का मारता है जिस से आधा लंड अमीना की चूत में चला जाता है, और अमीना की सिसकी निकल जाती है।

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अमीना : "आह आराम से कई सालों बाद चूद रही हूं।"

हामिद : "पर दादी अभी तो खिलौना डाला था न अन्दर।"

अमीना : "खिलौने में और लंड मे अंतर होता है बेटा और वैसे भी तेरा बहुत बड़ा है, अब तू आराम से एक और झटका मार जिस से पूरा अंदर चला जाए फिर चोद दादी को।"

हामिद भी ऐसा ही करता है, और फिर अपनी दादी की चुदाई शुरू करता है।

अब हामिद का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था और हामिद भी मजे से अपनी अमीना दादी को भोग रहा था, और अमीना भी मजे से अपने पोते को खुदको भोगने दे रही थी।

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हामिद : "ओह दादी"

अमीना : "ओह हामिद मेरे बच्चे"

हामिद : "बहुत मज़ा आ रहा है दादी"

अमीना : "मुझे भी बहुत मजा आ रहा है बेटा ऐसे ही चोद"

हामिद : "दादी अपनी जीभ बाहर निकालो न मुझे चूसना है"

अमीना : "चूस ले बेटा सब तेरा ही तो है"

फिर अमीना अपनी जीभ बाहर निकलती हैं और हामिद उसकी जीभ चूसते हुए उसकी चुदाई करता है



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अब क्योंकि हामिद तो एक बार पहले ही झड़ चुका था तो उसका दुबारा झड़ना अभी इतना आसान नहीं था लेकिन अमीना अब अपने चरम पर थी और हामिद के अगले कुछ धक्कों में अमीना ने पानी की बौछारें छोड़ दी लेकिन हामिद ने उसे चोदना बंद नहीं किया और धक्के लगाता रहा।

हामिद को अब हवस सवार थी वो बेरहमी से अमीना को चोद रहा था अमीना भी हामिद का साथ दे रही थी, अब हामिद ने अमीना को करवट लेके लेटाया और उसके पीछे आकर पीछे से अमीना को चोदने लगा।

हामिद : "ओह दादी मेरे पैसे बरबाद नहीं हुए दादी अच्छा हुआ मैने रण्डी नहीं चोदी नहीं तो आपको नहीं चोद पाता मैं दादी"

अमीना : "जो होता है अच्छे के लिए होता है"

हामिद : "जो हम कर रहे है वो भी अच्छे के लिए कर रहे हैं न दादी"

अमीना : "हां हामिद सब अच्छे के लिए होता है ये भी अच्छे के लिए हो रहा है"

हामिद : "अब तो ये रोज़ होगा हैं न दादी"

अमीना : "हां बेटा रोज होगा"

हामिद थोड़ी देर अपनी दादी को पीछे से चोदता है अमीना भी अपनी जिंदगी के सबसे बेहतरीन संभोग के आनंद ले रही थी, अब वो अपने पोते की दीवानी हो चुकी थी उसने अपने आप को हामिद के हवाले कर दिया था।


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हामिद : "दादी घोड़ी बनो न मुझे आपको पीछे से चोदना है"

अमीना : "बेटा जब अपना लंड बाहर निकलेगा तभी तो बनूंगी हामिद"

फिर हामिद अपना लंड बाहर निकलता है, और अमीना तुरंत ही घोड़ी बनकर अपनी गांड हिलाते हुए अपने पोते का स्वागत करती है और हामिद एक झटके में अपना लंड अपनी दादी की चूत में उतार कर उसे चोदने लगता है।



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अमीना : "ओह हामिद मेरे बच्चे ऐसे ही चोद दादी को आह आह"

हामिद : "आप बहुत गरम हो दादी मजा आ गया दादी"

अमीना : "अब तो रोज मजे करने है बेटा"

फिर उसके बाद हामिद न जाने कितने आसनों में अपनी दादी अमीना को चोदता है।

अब हामिद अपनी दादी को इसे आसन में चोद रहा था जिसके बारे में अमीना को भी अंदाजा भी नहीं था, इस आसन में हामिद बिस्तर पर सीधा लेता था, और अमीना उसने लंड पर उछल रही थी। और हामिद अमीना की गांड में थप्पड़ मार रहा था।


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अमीना : "आह आह ओह हामिद बेटा ये आसन कहां से सिखा बेटा"

हामिद : "मैंने कहीं से नहीं सीखा दादी, बस अपने आप बन गया लेकिन देखो न दादी कितना मजा आ रहा है"

अमीना : "आह आह हां बेटा बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही कर हामिद"



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अमीना को अब मूतना था, जिसे वो काफी समय से रोक के रखे थी, लेकिन अब रोकना उसके बस का नहीं था

अमीना : "हामिद थोड़ी देर रुक न बेटा आह आह"

हामिद : "मगर क्यों दादी"

अमीना : "मुझे पेशाब करनी है बेटा"

हामिद तेज तेज धक्के लगा कर

हामिद : "तो है कर लो न दादी"

अमीना : "मान जा न बेटा, बाद में कर लेना मना थोड़ी कर रही हूं"

हामिद : "नहीं मैं नहीं रुक रहा मुझे अभी बहुत मजा आ रहा है"

अमीना : "तू नहीं मानेगा बहुत जिद्दी हो गया है तू, चल निकाल अपना लंड जिस से यहीं मूत लूं"

हामिद अपना लंड बाहर निकलता है, और अमीना वहीं मूतने लगती है



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अमीना : "ओह हामिद तूने तो पागल कर दिया बेटा"

हामिद दुबारा अपना लिंग अंदर पेलते हुए

हामिद : "अभी तो पूरी रात बाकी है दादी"

अमीना ये सुन कर हंसते हुए

अमीना : "तो कर बेटा किसने रोका है"

इसके बाद हामिद पूरी रात न जाने कौन कौन से आसन में अपनी दादी को भोगता है।

और जब हामिद अपने चरम पर पहुंचता है तो अपनी दादी के चूत के अंदर ही स्खलित हो जाता है और अपनी दादी के ही ऊपर ढेर हो जाता है।

अमीना भी अब संतुष्ट हो चुकी थी उसे पता था कि अब उसे गाजर मूली यहां तक कि उस खिलौने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसे संतुष्ट करने वाला उसे मिल चुका है जो अभी उसके ऊपर सो रहा था, अमीना भी उसके बालों पर हाथ फेरते फेरते सो जाती है।


सात दिन बाद

सुबह के नौ बजे थे। गाँव में हर तरफ हलचल थी। पगडंडियों पर लोग अपने-अपने खेतों और कामों पर निकलने की तैयारी में जुटे हुए थे।

गाँव का हर शख्स सुबह की इस गहमागहमी में उलझा था। किसी के चेहरे पर चिंता थी कि फसल को समय पर पानी नहीं मिला तो नुकसान हो जाएगा, कुल मिलाकर, माहौल में एक हल्की-सी चिड़चिड़ाहट थी, जो सुबह के कामों की व्यस्तता से उपजी थी।

लेकिन हामिद के घर का माहौल इससे बिल्कुल अलग था, हामिद अपनी पतली-सी रसोई में खड़ा था, जहाँ दीवारों पर हल्की-हल्की कालिख की परत चढ़ी हुई थी। लकड़ी के चूल्हे की आँच धीमी हो चुकी थी।

हामिद पूरा जन्मजात नंगा खड़ा था, और उसकी गोद में उसकी सगी दादी अमीना थी, अमीना भी पूरी तरह से नंगी थी और उसने अपनी दोनों हाथों से हामिद को जकड़ा हुआ था और अपनी दोनों टांगों को हामिद की कमर में लिपटाए हुई थी, और हामिद का लंड अमीना की रस से भीगी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। अमीना का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था, लेकिन उसकी आँखों में मुस्कान की शरारत साफ झलक रही थी।



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अमीना : "हामिद छोड़ न बेटा, चाय तो बना लेने दे"

हामिद : "अरे बना लेना न दादी पहले जी भर के चोद तो लेने तो"

अमीना : "रात से चोद रहा है, अब तो बस कर"

हामिद : "क्या करूं दादी आप से मन ही नहीं भरता"

तभी दरवाजे के खटखटाने की आवाज आती है।

अमीना : "हामिद देख तेरे दोस्त होंगे"

हामिद : "तो चलो न देखते हैं"

और हामिद अपनी दादी को गोद में ही लिए दरवाजे के पास जाने लगता है

अमीना : "हामिद क्या कर रहा छोड़ मुझे पागल हो गया है क्या"

हामिद : "अरे चलो तो दादी कुछ नहीं होगा"

और हामिद दरवाजे के पास आकर दरवाजा बिना खोले ही अंदर से बोलता है

हामिद : "कौन?"

मोहसिन : "मैं मोहसिन क्या कर रहा है चल न टाकीज चलते है नई पिक्चर लगी है"

हामिद : "नहीं यार तुझे पता है न कि दादी अकेली है उनकी तबियत भी ठीक है नहीं तुम लोग जाओ"

मोहसिन : "चल ठीक है"

और फिर मोहसिन चला जाता है और फिर हामिद फिर से अमीना को अपने लंड पर उछालने लगता है

अमीना : "दादी की तबीयत ठीक नहीं है ह्म्म, अभी मेरी तबीयत खराब नहीं होने वाली बेटा अभी तो मुझे ही भर के तुझ से चुदना है फिर कभी होगी मेरी तबियत खराब"

हामिद : "अरे आपकी तबियत तो अब जिंदगी भर खराब नहीं होनी क्योंकि आपको तो जिंदगी भर चोदना है"

अमीना : "तो चोद न बेटे"

हामिद : "तो चलो दादी जी भर के चोदूं आपको"

और हामिद अपनी दादी को चोदते हुए कमरे के अंदर ले जाता है और दोनों दादी पोते की घनघोर चुदाई शुरू हो जाती है।


कहानी से सीख

तो जैसे हर कहानी से हमें कोई न कोई सीख मिलती ही है तो इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें हमेशा "हवस का त्याग" करना चाहिए, क्योंकि हमें हमेशा इसका फल मिलता है।

जैसे हामिद ने हवस का त्याग किया उसने मेले में रण्डी चोदने की जगह अपनी दादी के लिए खिलौना लेना उचित समझा और उसे उसका फल भी मिला और फल के रूप में उसे उसकी सगी दादी की रसभरी चूत मिली जिसे उसने जी भर के भोगा।

समाप्त

Bahut hi hsandar short story likhi he tom riddle Bro,

Maja aa gaya..............aise hi short stories post karte raho

Keep rocking Bro
 

Rudra Roy

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Bhai 😂😂😂munshiprem chand nahi ane wale xforum pe copyright ke liye😅 or story ka naam dadi ka khilona na rakh ke agar dadi ka chimtta rakhte or intro me sirf lekhak na bol ke pura naam likh dete munshiprem chand to readers ko reference samajh aajata.
 
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