बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त कहानी हैदीदी का काला जामुन।
हेल्लो दोस्तों, मै मनीष, अभी 22 साल का हो गया हु। और मेरी दीदी रितु अब शादी शुदा बच्चों वाली 26 की हो गयी है।
कहानी यह तब की जब मै 14 का और दीदी रीतू 18 साल की थी।
तब हम सभी गाँव के सरकारी स्कूल मे पढ़ते थे।
पापा बहार रहते थे काम के सिलसिले मे और मम्मी (सुनीता) घर ही रहती थी।
मम्मी की उम्र 36 साल थी। मम्मी भी बहुत खूबसूरत थी। दीदी बिल्कुल मम्मी की तरह दिखती थी।
गाव के बड़े छोटे सब हमारे घर किसी ना किसी बहाने से आते थे, बस मम्मी और दीदी को ताड़ने के लिए।
दीदी की गांड भी मम्मी की तरह बड़ी हो गयी थी। क्यू की दीदी भी जवानी शुरु होते हि लड़को से चुदना शुरु कर दी थी।
पढ़ने जाति थी और उधर हि कभी कभार किसी लड़के से चुद भी लिया करती थी।
अब कहनी पर आते है।
जून का महीना चल रहा था।
बहुत गर्मी कर रहा था उस समय, मम्मी हमे हमेसा डाटती थी की बाहर मत जाया करो, लू लग जाएगी। पर हम बच्चे कहा मानने वाले थे।
हम सभी दोस्त बाहर बगीचे मे खेलने भाग जाते थे।
गांव मे मुखिया जी का बहुत बड़ा बगीचा था।
हम सभी बच्चे वही खेला करते थे।
दीदी और उनकी सहेली हमेशा घर घर खेलते थे।
परिचय: दीदी की सहेली मुन्नी 17साल की खूबसूरत थी।
और लीला 18 साल की ये इनसे कम पर ये भी खूबसूरत थी।
दीदी के लड़के दोस्त
Pinटू 19 साल का दीदी के साथ पढ़ता था।
बिक्की 18 साल का ये भी दीदी के साथ हि पढ़ता था।
और मै, सबसे छोटा और सभी लड़कियों का प्यारा दुलारा 14 साल का था उस समय।
हम सभी बगीचे मे घर घर खेल रहे थे।
दीदी और पिंटू - पति पत्नी बने थे।
ऋतू दीदी का देवर था बिक्की।
बिक्की की पत्नी बनी थी मुन्नी।
मै अपने दीदी का प्यारा भाई बना था।
दीदी लोग हम मर्दो के लिए खाना बना रही थी।
तभी पिंटू मेरे गाल धरते हुए बोला क्यू रे मनीष हम तोर जीजा है, साला हमको जीजा बोल।
मै अपना गाल झटके से खींच लिया।
तभी मेरी दीदी बोली-क्या मजाक कर रहे हो जी मेरे भाई के साथ।
बेचारा अभी छोटा है।
तभी पिंटू बोला- अरे मेरी पत्नी जी क्या मै अब अपने साला से जीजा भी ना कहवाऊ।
ये साला तो कुछ बोलता हि नही।
तभी मेरी दीदी बोली- मेरे भाई से मजाक मत करो आप, मै तो हु न आपके पास जो करना है मेरे से करो आप।
सभी मुश्कुरा रहे थे।
ताभि बिक्की बोला- भाभी जी हमे खाना भी दो की केवल बाते करोगी।
तभी दीदी पत्ता पर कुछ घास ले कर आई और बोली लो देवर जी खा लो।
तब बिक्की बोले- अरे भाभी खाना मे हम घास खाये क्या।
और सभी हसने लगे।
तभी पिंटू बोला- अरे हम खाना तो झूठ का खा ले रहे है पर प्यार असली चाहिए हमे।
और पिंटू मेरी रीतू दीदी को अपनी गोद मे खींच लिया, और गाल को चूम लिया।
इसी तरह मौके का फायदा उठाया और बिक्की भी मुन्नी को बहों मे भर के चूम लिया।
दीदी ने झटक के भाग गयी।
लीला दीदी और मैं उनकी शैतानी देखकर हस रहे थे।
लीला दीदी मुझे अपने बहों मे पकड़ी थी।
हम सभी हसने लगे। और दीदी अब खेल ख़त्म करने लगी ताभी पिंटू बोला- अरे हमने तो प्यार भी नही किया अभी।
और सभी ठहाका मर के हसने लगे।
और फिर हम सभी घर आ गये।
सौबह मैं दीदी के साथ स्कूल गया।
दीदी मुझे मेरे क्लास मे छोड़ के अपने क्लास मे चाली गयी।
जब छुटी हुई तो दीदी मुझे लेने नही आई तब मै सोचा देखु कहा है?
जब मे क्लास मे जा रहा था तब स्कूल के लैट्रिन से हसने की आवाज आ रही थी।
मै जाकर उधर देखा, पिंटू दीदी को बहों मे पकड़े खड़ा था। और दीदी कभी हस रही थी तो कभी उसे चूम रही थी।
फिर पिंटू अपना निचे से पेंट खोलकर बड़ा सा लंड निकला और दीदी को दे दिया।
दीदी हाथ मे लेकर हिलाने लगी।
मै 11 साल की उम्र से हि मुठ मरता था।
तो देखकर सब समझ गया।
दीदी बड़ी प्यार से हिला रही थी और उसे चूम रही थी।
की थोड़ी देर मे उसका माल निकल गया। और दीदी तुरन्त् वहा निकल गयी।
मै झट से क्लास मे चला गया।
फिर दीदी आई और मुझे लेकर साथ चल दी।
हम घर पहुंच कर खाना खाए और फिर खेलने चले गए।
आज सभी दोस्त लुका छुपी खेलने का प्रोग्राम बनाया।
सबसे पहले चोर ऋतू दीदी बनी।
हम सब छुप गये और ऋतू दीदी हमे ढूंढ़ने लगी।
सबसे पहले मैं मिल गया, तो दीदी ने मुझे छुपने को कही और पहले मुन्नी को धप्पा किया फिर सबको।
अब चोर मुन्नी गयी, तब हम सभी छुपे।
मै एक रूम मे अंधेरे मे छिपा, उसी मे पशुओ को चारा रखा हुआ था।
उसी पे बिक्की आ कर बैठ गया, तभी दीदी आ गयी और बिक्की के पास छिप गयी।
वे लोग मुझे नही देख पा रहे थे पर मै उन्हे देख पा रहा था।
दीदी ने बिक्की को एक चपत लगायी और बोली - ये क्या कर रहा है तु, तब उसने बोला- कुछ भी तो नही।
बिक्की दीदी के चूची को सहला रहा था।
फिर बिक्की बोला- अरे ऋतू मैं तुम्हारा देवर हु इतना तो कर हि सकता हु।
और बहों मे कस लिया।
फिर दीदी बोली- छोड़ मुझे खेल कब का ख़त्म हो चुका है और तु अभी देवर बना बैठा है।
छोड़ ना देख मुन्नी आ जाएगी।
तब बिक्की बोला- नही आएगी करने दे ना थोड़ी सा।
और बिक्की मेरी दीदी का सलवार का नाड़ा खींच दिया।
और दीदी को ओठों पर किस करने लगा।
दीदी भी उसके बाल सहला रही थी।
और फिर बिक्की अपना लंड निकला और दीदी के सलवार और चढी निचे कर के बूर को फैलाने लगा और हलके से अंदर अपना लंड डालने लगा।
दीदी अपनी आँखे बंद करके उसके मदहोशी मे पागल की तरह उसकी होंठ चूस रही थी।
और चुदाई का मजा ले रही थी।
दीदी धीरे से बोली- बिक्की अभी अंदर नही गया है।
फिर बिक्की बोला- ऐसे हि रह ना ऋतू मजा आ रहा है।
और बिक्की आगे पीछे होते हुए, दीदी के होंठ को चूस रहा था।
तभी मुन्नी दीदी ने बिक्की और ऋतू दीदी को ढूंढ लिया वो चुदाई करते हुए।
दोनो जल्दी से अलग हुए। दीदी मुन्नी से कहने लगी।
मुन्नी किसी से कुछ कहना मत।
तब मुन्नी दीदी ने कहा- मै किसी से कुछ नही कहूँगी, बस मुझे भी करना है ।
तब बिक्की ने कहा की- लीला और पिंटू पता नही कहा छुपे है।
और मनीष भी कही छुपा है। हमे मनीष को चोर भेजना होगा उसके बाद हम तीनो चोदा चोदी कर सकते है।
मैं समझ गया मुझे यहां से निकलना होगा।
फिर मिन्नी दीदी मुझे ढूंढ़ने लगी।
मै जानबुझ् कर वहा से निकल कर बहार सामने छिप गया, ताकी आसानी से वे ढूंढ सके।दीदी मुझे तुरंत ढूंढ निकला और मुझे चोर भेज दिया गया।
मै जानता था वे तीनो उसी रूम मे चुदाई करेंगे।
मैं उधर बाद मे जाने का फैसला किया, और पिंटू लीला को ढूंढ़ाने लगा।
दूसरी तरफ भैस वाला रूम के तरफ गया तो देखा की लीला दीदी निचे लेटी
हुई थी, और पिंटू ऊपर से उसकी चुदाई कर रहा था।
चुदाई का मतलब मैं तब समझा जब मेरा दोस्त मुझे निचे लेटा मुझे पीछे से पहली बार चोदा था।
उसी ने मुझे मुठ मरना भी सिखाया था।
यहा पिंटू भैया लीला दीदी को चप चप चोद रहे थे।
फिर मैं इन्हे छोड़ कर उस रूम के तरफ गया।
तो देखा की ऋतू दीदी बिक्की के लंड पर बैठ कर उचक रही थी। और मुन्नी अपनी बूर खुजला रही थी।
तभी दीदी शांत हुई तब मुन्नी बिक्की के लंड पर बैठ गयी और फिर उनकी चुदाई शुरु हो गयी।
मै उन्हे ऐसे छोड़ कर घर भाग गया। और मम्मी के पास सो गया।
मम्मी मुझे प्यार से अपने से चिपका लिया और गाल को चूमती हुई अपने गले लगा के सुला ली।
मैं जब शाम को उठा तो देखा मम्मी मेरे पास नही थी, और दीदी भी घर आ चुकी थी।
मै जब उठ कर बहार जा रहा था तब दीदी बोली- हमे छिपा कर खुद घर भाग आया था हा।
तब मैने कहा- दीदी आपलोग मिले हि नही तो मै क्या करता?
मा यह सुन कर हसने लगी और मैं भी हसने लगा।
फिर दीदी बोली- बहुत बदमाश हो गये हो।
फिर मैं बाहर खेलने चला गया और दीदी मा के साथ काम करने लगी।
सुबह माँ ने मुझे जगाया और बोली- पढ़ने नही जाओगे क्या बिटू जी? और मुझे प्यार से किस की।
मै झट से उठा और तैयार होने लगा।
दीदी पहले से तैयार थी।
फिर हम नास्ता करके के चले गये।
आज मेरा पुरा ध्यान लैट्रिन पर था।
वह लैट्रिन तो खंडहर हो चुकी है, अब प्रेमियों के रासलीला करने के काम आता था।
कभी कभार सर भी मैडम को लेकर उधर जाते थे रासलीला करने।
आज छुटी होते ही उधर मैं गया ताकी आज भी दीदी को चुदते देख पाउ।
जैसे वाहा गया तो कोई नही था, पर फिर खूसूर फुसुर की आवाज़ आई, मैं थोड़ा अंदर की ओर झंका तो देखा, आज बिक्की लाली को खड़े करके चोद रहा था।
कल लाली दीदी पिंटू से चुदी थी ,और आज बिक्की से।
और बिक्की कल मेरी ऋतू दीदी और मुन्नी को चोदा और आज इसे।
मैं वहा से जल्दी भाग कर क्लास की ओर आया तो देखा दीदी मेरा इंतजार कर रही थी,
जैसे हि पहुचा, दीदी बोली- कहा गया था तु?
मै - दीदी मूतने चला गया था।
तब दीदी बोली- ठीक है घर चल।
फिर हम घर आ गये।
खाना वाना खाये की मौसम गर्मी से थोड़ा ठंडा होने लगा, लग रहा था बारिस होगी,
धीरे धीरे बदल घिरने लगे थे।
मौसम सुहावना होने लगा, दीदी ने कहा- मनीष चल बगीचे मे जामुन पके हुए है खाते है।
मैं तैयार हो गया, हम जाते हुए, पिंटू बिक्की, मुन्नी को भी ले लिए, लीला बोली की उसे काम है तो नही जाएगी।
हमलोग बगीचे मे आ गये, मुखियाजी के बगीचे मे पुरा अंदर चले गये।
हवाएं खूब मस्त बहने लगी, जामुन भी इधर खूब काले-काले थे।
दीदी बोली- आह: कितने मस्त और काले काले जामुन है, चलो तोड़ते है।
विक्की और पिंटू पेड़ पर चढ़कर जामुन तोड़कर एक-एक करके गिराने लगे और मेरी दीदी अपनी फ्रॉक में उसे रोक-रोक कर खाने लगी और मुझे भी खिलाने लगी।
मुन्नी दीदी भी अपने फ्रॉक में जामुन को रोकती और खाती।
विक्की और पिंटू ऊपर से जामुन को गिराते हुए मेरी दीदी की ऊपर से ही चूचियों को झांक रहे थे।
ऊपर से दीदी के क्लीवेज खूब साफ दिख रहे थे वह दोनों खूब देख रहे थे और जामुन को कोशिश कर रहे थे कि उनकी चूचियों पर गिरा दे।
कई दफा उन दोनों ने मेरी रितु दीदी की चूची के ऊपर जामुन को गिरा दिया।
जैसे ही जामुन मेरी दीदी की चूचियों से लगता है तुरंत वह दोनों खूब हंसने लगते हो और इधर मुन्नी भी हंसने लगती कि तभी उन दोनों ने मुन्नी दीदी पर भी फेकना शुरू किया और उनके भी चूचियों पर लगने लगा फिर सब हंसने लगे।
मजे के साथ हम सभी खूब जामुन खिये और तभी बारिश शुरु हो गयी।
हम सब दौड़ लगाकर वाहा से भागे।
विक्की और पिंटू दौड़ने में तेज थे वह दोनों तुरंत पेड़ से उतरकर घर की ओर भागने लगे, मुन्नी दीदी थी उनके साथ भागने लगी।
मैं और दिदि एक साथ में भाग कर घर की ओर जा रहे थे कि तभी बारिश बहुत तेज हो गई,
उनलोगों का घर नजदीक था तो तुरंत भाग कर चले गए।
मैं और दीदी साथ में भाग रहे थे कि बारिश बहुत तेज हो गई और मैं बहुत तेज दौड़ कर भागने लगा।
तभी दीदी पीछे से आवाज दी, कि रुक जा मनीष इतना तेज क्यों भाग रहा है मुझे भी चलना है?
मैं आगे जाकर रुक गया और मुड़कर पीछे देखने लगा कि दीदी दौड़कर मेरे पास आ रही थी एकदम से नंगी लग रही थी।
बारिश की वजह से गिला होने पर दीदी के स्तन पूरे दिखाई दे रहे थे उनके कपड़े पूरे उनके बदन से चिपक चुके थे।
अंदर से उन्होंने कुछ नहीं पहना था जिसकी वजह से उनके दोनो चूची हिलती हुई दिखाई दे रही थी।
दीदी दौड़कर मेरे पास आई। मेरी नजर दीदी के हिलती हुई चूचियों पर ही थी।
कि तभी दीदी ने कहा- अरे चल जल्दी कहां ध्यान है तेरा?
मैं और दीदी साथ में तोड़ते हुए तुरंत घर में पहुंच गए। हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे मेरी नजर तो दीदी के चूचियों से हट ही नहीं रही थी।
तभी दीदी ने मुझे घूरते हुए पूरी किया रे कहां ध्यान है तेरा?
मैं शरमाते हुए दीदी से कहा- दीदी आपका काला जामुन दिख रहा है।
फिर दीदी ने अपने आपको देखा और पूरी तरह से शर्मा गई उनका बदन पुरा तरह से नंगा दिख रहा था ।
उन्होंने मुझे एक झापड़ लगाइ और बोली की चल जा जाकर अपने कपड़े बदल ले मुझे भी अपने कपड़े बदलने हैं।
दीदी जाकर बाथरूम से अपने कपड़े बदलकर तुरंत चली आई।
और दीदी देखी कि मैं अभी भी वैसे की वैसे ही उदास खड़ा था।
तब दीदी ने मुझे प्यार से बोली- अरे मेरे प्यारे भाई चल तेरी कपड़े बदल देती हु।
फिर दीदी ने मेरे कपड़े बदलने लगी।
मुझे पुरी तरह से नंगा कर दी,
दीदी मेरे लंड को देखने लगी और बोली- अरे मनीष तेरा तो नुनु अब बड़ा हो गया है।
और हसने लगी, मैं भी हसने लगा।
फिर दीदी मेरे कपड़े बदल दी और बोली - चल सो जाते है, नही तो मम्मी को पता चला की बारिश मे भीगे है तो बहुत डांट पड़ेगी।
फिर हम दोनो बिस्तर मे घुस जाते है, मैं अपना सर दीदी के चूचियों पर रख कर सोने लगता हु, और दीदी मेरे सर को सहलाने लगती है।
मुझे नींद नही आ रही थी तब मैं दीदी के काले काले चूचियों पर के दाना के बारे मे सोचने लगा।
दोनो चूचियाँ हिलती हुई कितनी प्यारी लग रही थी,और दीदी तो भीगने के बाद क़यामत लग रही थी।
तभी दीदी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- मनीष मेरे काले जामुन चूसेगा....
उफ्फ्फ यह बस सुनना था और मेरे शरीर मे एक अलग शिहरण हुई।
मैं बिना दीदी को देखे, अपना सर को हा मे हिलाया।
तब दीदी ने मुझे अपने सीने से हटाया और मेरे होंठ को चूम ली।
उफ्फ्फ ये एहसाह भी न्या था मेरे लिए।
मैं तो पागल हो रहा था,
तभी दीदी ने अपना सूट निकल दिया और दोनो चूचियों को आजाद कर दी।
मैं उनके चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा।
दीदी चुप चाप लेट गयी और मैं उनके ऊपर आकर उनके चूचियों को सहलाने लगा।
दीदी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- चूस ले अपने काले जामुन को, और दीदी मेरे सर को अपने चूची मे दबा दी।
मैं बारी बारी से उनकी चूचियों को चूसने और सहलाने लगा।
दीदी अपनी आँखे बंद करके निचे ऊँगली करने लगी।
मैं कभी चूची को चूसता तो कभी उनके जामुन को काटता।
दीदी की मुह से केवल आअह्ह्ह निकल रही थी।
दीदी अपनी बूर मे तेजी से ऊँगली करने लगी।
मैं उनकी चूचियों को चूसने और जामुन को काटने मे कमी नही कर रहा था।
दीदी की ऊँगली और तेज हुई और बाहर हो रहे बारिश के साथ झाड़ कर दीदी भी शांत हो गयी। और मझे बहो मे भर कर सो गयी।
शाम को मैं उठा तो देखा दीदी मम्मी के साथ काम कर रही थी।
तो मैं बाहर खेलने गया।
फिर रात मे हम सब खा पीके के सो गये, मम्मी अभी जग रही थी तो दीदी मुझे जामुन नही छूने दी।
बकी आग दीदी की भी भड़की हुई थी।
सुबह जब हम स्कूल गये, तब दीदी ने पिंटू और बिक्की को कुछ इशारे की, शायद उन्हे मिलने को बोल रही थी किसी अड्डे पर।
मैं इनकी लैट्रिन वाली अड्डा जानता था।
छुटी होते हि मैं उधर भगा तो देखा, दीदी के सलवार निचे से खुली हुई थी, दोनो मेरी दीदी को बाहों मे पकड़े उसे चूम रहे थे।
बिक्की पुरा तैयार था, दीदी मे अपना लंड घुसाने के लिए, मुझे बहुत गुस्सा आया।
मैं पास पड़े पथर उठाया और एक टीन के गेट पर मार दिया।
आवाज़ इतनी तेज थी की वे दोनो जल्दी से भाग गये, दीदी ने भी अपना सलवार का नाड़ा बांधी और वहा से भाग गयी।
मैं तब तक क्लास मे आ चुका था, दीदी आई और मुझे साथ लेकर घर आ गयी।
मम्मी ने हमे खाना दी और खिला के बोली की बाहर मत जाना घर मे सो जाओ बाहर धुप है।
हम दोनो वैसे हि किया और मैं दीदी की साथ आकर लेट गया।
मम्मी काम् करती रही तो हमे दरवाजा बंद करने का मौका हि नही मिला।
फिर शाम को मुन्नी दीदी ऋतू दीदी को बुलाने के लिए आई और बोली- चलो लुका छुपी खेलने।
फिर दीदी मुझे साथ लेकर आ गयी।
हम सभी खेलने लगे, पिंटू नही था आज, लीला दीदी आई थी आज।
लीला दीदी चोर बनी, विक्की ऋतू दीदी के साथ छुपना चाहता था पर मैं नही चाहता था, मैं दीदी के साथ छोड़ हि नही रहा था।
बिक्की मजबूरी मे मुन्नी दीदी के साथ छुपा और मैं ऋतू दीदी के साथ हि अपनी पुरानी जगह पर छिपा,
मैं दीदी के काले जामुन चूसना चाहता था।
फिर दीदी अपनी सूट के ऊपर से एक चूची निकल के मुझे दे दी और मैं उनकी चूची के काले जामुन को बड़े प्यार से चूसने लगा।
दीदी की आँखे बंद हो गयी।
मैं उनकी चूची पिने के साथ हि दूसरी चूची को दबा रहा था।
की तभी लाली बिक्की और मुन्नी को खोज निकली।
तब दीदी बोली- चलो निकलते है नही तो यही आ जाएगी वो।
फिर हम दोनो निकल के बाहर आ गयी, और इसबार चोर मुन्नी बनी,
हम फिर छिप गये, इस बार दीदी मेरी लंड निकाल के हाथ से सहलाने लगी।
मेरा लंड दीदी के स्पर्श पाते हि टाइट हो गया।
दीदी मेरे लंड पर किस करते हुए बोली- तेरा नुनु तो विशाल लंड बन गया है रे।
मैं बोला- आपका हि दीदी इसे मुह मे लो न।
दीदी ने एक चपत लगा दी लंड पर और हसने लगी।
मैं भी मुश्कुराने लगा।
दीदी ने बड़े प्यार से उसे मुंह में ले लिया। मेरी तो सांस हि रुक गया। दीदी के मुलायम मुह मे मेरा लंड और तन गया।
उउफ्फ्फ्फ़ दीदी।
तभी बाहर शोर होने लगी, हम दोनो भी झट से बाहर आ गये।
इस बार चोर लाली गई।
लाली के चोर जाते ही मुन्नी और विक्की एक साथ छिपने चले गये।
दीदी मुझे देखकर मुस्कुराई और मुझे अपने साथ फिर से वहीं पर छुपाने लेकर चले।
अपने अंधेरे रूम में पहुंचते ही दीदी मेरी पेंट उतार कर फिर से वह मेरे लंड को देखने लगी।
मेरे लंड को एक बार फिर से मुंह में लिया और मेरे लंड को चूसने लगी।
मेरा लंड पहले सही बहुत टाइट था उनके मुंह में लेने से और ज्यादा हो गया।
इस बार दीदी बोली- की तू लेट जा।
मैं वहीं पर लेट गया और दीदी को देखा कि वह अपनी सलवार का नाड़ा खोली और अपने बुर को मेरे सामने कर दिया।
चिकनी बूर देखकर मेरे तो एकदम से लंड में तूफान आ गया।
मैं सिहर उठा, गजब की उनकी बूर थी,
दीदी के बूर पर हलकी हलकी बाल थी, और मालपुआ जैसा फुला हुआ था।अंदर पुरा लाल दिख रहा था।
मैं हाथ से छूना चाहा,
तभी दीदी मेरा हाथ पकड़ लिया।
और बोली चुपचाप लेटा रह, फिर दीदी अपनी बूर को मेरे लंड पर रखा और बैठ गयी।
मेरे तो जैसे मजे मे सवर्ग दिखने लगे, दीदी अपनी आँखों को बंद कर ली और हलकी हलकी हिलने लगी।
तभी बाहर काफी शोर मचा, दीदी तुरंत उठ कर बाहर चाली गयी।
मैं भी थोड़ा देर मे बाहर आया तो पता चला की बिक्की और मुन्नी भी एक दूसरे मे लगे हुए थे, और लाली उन्हे पकड़ ली थी।
इसलिए सभी हस रहे थे।
दीदी बोली- चल मनीष शाम हो गयी, वर्णा डाट पड़ेगी मम्मी से।
हम दोनो भाई बहन वहा से चले आये।
रात को खाना पीना हुआ।
उसके बाद हम सोने चले आये।
आज घर पे पापा आये थे, तो मा खाना जल्दी ख़तम कर के पापा के पास सोने चाली गयी।
उधर मम्मी ने अपना दरवाजा बंद किया और इधर दीदी ने अपना।
आज दीदी मेरे साथ लेटते हि बोली- क्यो रे आज जामुन नही चुसोगे।
मैं तो इसका इंतजार हि कर रहा था, तभी दीदी मेरा और अपना कपड़ा निकाल दी, हम दोनो एक दूसरे के पास नंगे लेट गये।
मैंने दीदी से पूछा कि दीदी अंदर मम्मी और पापा क्या कर रहे हैं?
दीदी ने मुस्कुराते हुए और मेरे हॉट को चूमते हुए बोली -कि वही जो हम करने वाले हैं मेरे भाई मम्मी के काले जामुन को पापा अपने होंठ में लेकर चूस रहे हैं तु भी मेरा लेकर चूसना।
मैं दीदी के दोनों चूचियों को अपने हाथ से मसलकर उसे पर लगे काले जामुन को एक-एक करके जीभ से चाटने लगा और कभी-कभी दांतों से काटने लगा।
दीदी अपने आंखें बंद करके मेरे बालों को सहला रही थी और अपने दांतों से अपने होठों को काट रही थी और आआह्ह्ह्ह् ऊफ्फ्फ्फ्फ् कर रही थी।
दीदी के मुंह से यह शितकार सुनकर मेरा तो लंड एकदम से टाइट हो गया मैं अपना आपा खो दिया और दीदी के चूचियों को कस कर काट दिया।
दीदी की आआअह्ह्ह्ह् निकल गई।
फिर दीदी मुझे नीचे लेटआई और मेरे होठो को चूमने लगी।
दीदी मेरे होठों से होते हुए कभी गर्दन को चुमती तो कभी छाती को चूमती उसके बाद मेरे नभी चूमते हुए मेरे लंड को अपने मुट्ठी में पकड़ कर उसके टोपी को अपनी जीभ से चाटने लगी।
थोड़ी देर टोपी को चाटने के बाद मेरे लंड को पूरी तरह से अपने मुंह में लेने लगी दीदी अपने थूक से पूरी तरह मेरे लंड को गिला कर दी और प्यार से उसे चुस रही थी चाट रही थी कभी मेरे अंडकोष को अपने जीव से रगड़ देती तो कभी मेरे टोपी को अपनी जीभ से रगड़कर उत्तेजित कर देती।
उसके बाद दीदी खुद लेट गई और अपनी टांगे को फैला दी और बोली कि मनीष आजा और मेरे रसभरी बूर को अपने जीभ से चाट कर इसे पवित्र कर दे मेरे भाई।
मैं ठीक वैसे ही किया अपने दीदी के बुर को हाथों से थोड़ा सा फैलाया और उसमें निकले दाने को अपने जीभ से चाटने लगा तो कभी उसे अपने दांतों से रगड़ देता है फिर मैं अपनी जीभ को उसके योनि के जो मार्ग थी उसमें घुसेड देता पूरा अंदर तो कभी पूरा बाहर तक ले चाट लेता मजा आ रहा था।
दीदी अपनी आंखें बंद किए हुए खूब मस्त हो रही थी।
फिर मैं धीरे-धीरे उनके नाभि को चाटते हुए ऊपर की ओर गया और फिर से उसके काले जामुन को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा उसके।
दीदी मस्त मेरा बाल सहला रही थी और अपनी आंखें बंद करके आह्ह् भर रही थी।
फिर मैं ऊपर बढ़ा और दीदी के होंठ को चुमते हुए अपने लंड को दीदी के बुर पर सेट किया और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा।
दीदी मुझे अपने बाहों में कस ली थी और मेरे होठों को कस कस के चूस रही थी।
मैं अपना लंड को दीदी के बूर में पुरा नीचे तक् उतार दिया दीदी अपनी आंखें बंद करके मुझे कस के अपने बाहों में भिंच ली।
हम दोनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे दीदी मुझे अपने बाहों में कस के मेरे बाल को सहलाती तो कभी पीठ में नाखून को गड़ा देती और मैं लगातार नीचे अपनी गांड को हिला कर दीदी के बूर में लंड को पेल रहा था।
फिर दीदी मुझे नीचे कर दी और खुद मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और ऊपर से हिलना शुरू किया।
मैं अपने दीदी के दोनों काले जामुन को मसल रहा था और दीदी मेरे लंड पर उछल कूद कर रही थी और अपनी आंखों को बंद की हुई थी।
दीदी जोर-जोर से लंड पर उछल रही थी जिसकी वजह से मैं एकदम उत्तेजित हो गया और मैं गिरने के करीब आ गया तब मैंने दीदी को बोला कि दीदी अब मेरा होने वाला है तब दीदी ने और तेज झटके मारने शुरू किया और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को पूरी तरह से भींच ली,दीदी समझ गयी अब नही रुक सकता तभी उन्होंने मेरे लंड को ऊपर से निकाली और मेरे लंड पर बैठकर ऊपर से ही रगड़ दि थी जिसकी वजह से सारा पानी मेरे पेट पर आकर गिरा।
फिर दीदी उठी और अपने पेन्टी से मेरी सारी पानी को साफ किया और फिर अपने बुर को भी पुरी तरह से साफ किया और फिर आकर मेरे साथ लेट कर सोने लगी कि तभी मैंने कहा दीदी मम्मी का भी हो गया होगा क्या?
तब दीदी ने मुस्कुराते हुए मुझे एक चपत लगाकर बोली कि तेरा हो गया ना चलो सो जा। मम्मी का नहीं भी हुआ होगा तो क्या तु जाके कर देगा क्या?
और हम दोनों हंसने लगे तब मैंने दीदी को काले जामुन को मसलते हुए कहा कि दीदी मैं तो मम्मी का भी कर दूंगा आप बस बुरा मत मानना।
तब दीदी बोली -मैं क्यों बुरा मानो तेरी मम्मी है जा जो करना है कर ले वैसे भी वह तो कहीं बाहर करती ही होंगे?
तब मैंने दीदी से कहा -अच्छा दीदी आपने कभी देखा क्या मम्मी को बाहर कुछ करते हुए ऐसा?
तब दीदी ने कहा नहीं मुझे बस शक है जो रिजवान अंकल है ना हमारे पड़ोस के हमारे हिंदी के टीचर, वह बार-बार हमारे घर पर आते हैं और मम्मी से इस तरह मजाक करते हैं और स्कूल मे भी पूछते रहते है, ऐसा लगता है कि इन दोनों के बीच कुछ चल रहा है।
तब मैंने हंसते हुए कहा अच्छा दीदी लगता है मम्मी के काले जामुन को भी मुझे ही चखना पड़ेगा तब जाकर मम्मी शांत होगी।
फिर हम दोनों हंसने लगे और हंसते हुए एक दूसरे के बाहों में पकड़ कर सो गए।
फिर सुबह जब हुई तो मैं और दीदी स्कूल गए स्कूल में अब दीदी विक्की और पिंटू से नहीं मिलती थी वह सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही वो सब करती मुझे भी अब लैट्रिन में ले जाती और अपनी काले जामुन को चुसवाती थी।
फिर हम दोनों घर आते और लुका छुपी में भी अब दीदी मुझे खूब मजा लेती थी हम दोनों खूब मजा लेते थे एक दूसरे के साथ लेकिन कुछ ही सालों में मम्मी ने दीदी का शादी कर दी और वह अपने ससुराल चली गई उसके बाद हम दोनों के बीच यह सब कुछ नहीं हुआ।।
यह कहानी यही समाप्त होती है। धन्यवाद।।।
Mummy ka jamun filhal papa chus the haiGood one.. Sayad ek do update aur ho sakte hai.. Jisme mummy ko jamun chosse ja sakte hain