मेरी बातों को सुनकर सरिता दी थोड़ा हसी और इसके बाद बोली कि
सरिता दी :कविता देख रही है अपने भोले सनम को भाभी के बुर का पानी चख लेता है और इसे वह सब हसी मजाक लगता है ।भाभी इसका लण्ड पकड़ लेती है और यह उनकी चूची फिर भी इसे सब मजाक लग रहा है और तो और आज इसने जानती हो क्या किया है।
कविता दी :अब क्या कर दिया इसने ।यह तो मेरी सोच से भी बड़ा वाला कमीना निकला।
सरिता: हा यार यह बहुत बड़ा वाला कमीना है आज इसने मेरी जवानी का पानी भी चख लिया।
व
मैं दीदी की बातों को सुनकर हिल गया और बोला कि
मैं :दीदी क्या बोल रही हो आप मैंने ऐसा कब किया ।
स दीदी :वह जब सुबह तुझे जब खाना खाने के बाद जो पानी तूने चखा था वह मेरा ही था समझा।
क दीदी :तो इसने तेरा भी चख ही लिया तो क्यों ना हम भी इसका पानी का स्वाद ले ही ले क्या बोलती हो सरिता।
स दीदी :सही बोल रही हो कविता जब प्यार किया है तो डर किस बात का
मैं :दीदी आप यह क्या बोल रही हो आप मेरी बहन हो और फिर आप मुझसे कैसे प्यार कर सकती हो
स दीदी :क्या कविता तेरी बहन नही है अगर है तो जब उसका प्यार कबूल कर सकते हो तो मेरा क्यों नही कर सकते हो।
कविता :यार इससे बात करके टाइम क्यों बर्बाद कर रही है इसके कपड़े उतार और सुरु कर वैसे भी ज्यादा टाइम नही है।
मैं आगे बढ़कर दोनों की चुचियो को दबाते हुए बोला कि
मैं :मेरी प्यारी बहनों आज के लिए माफ कर दो फिर किसी और दिन आप दोनों के ख्वाइस को पूरा कर दूंगा और वैसे एक बात बताओ आप लोग खेत चिकना है या जंगल है ।
कविता :नही रे आज तक तो चिकना नही किया है वैसे ही जंगल उगा हुआ है पर तु चिंता मत कर अगली बार सब साफ करने के बाद ही मिलेंगी हम दोनों।
मैं :दीदी लोग ऐसी गलती भी मत करना मुझे बुर में बाल बहुत पसंद है इसलिए उसे ऐसे ही रहने दो।
सरिता : छि कितना गन्दा बोलता है तू ।
मैं :अब अगर मेरे साथ रहना है तो आप दोनों लोग भी अपनी जबान गन्दी कर लो और खुल कर बोला करो।
कविता :तो साले इतनी खूबसूरत दो लड़कियां तुझे अपनी बुर देने को बैठी है तो क्या तेरे लौड़े में दम नही है या खड़ा नही होता ।
मैं :अरे मेरी बुरचोदी दीदियों चिंता मत करो आज कुछ काम है कल पक्का दोनों की बुर फडुंगा।
सरिता :हमारी आराम से फाड़ना पहले कुछ दिन भाभी की फाड़ ले वह भी अपनी बुर ले कर बैठी हुई है तेरी याद में उंगली कर रही है।
मैं :क्यों भैया का लण्ड कम पड़ रहा है क्या जो मेरा इन्तजार कर रही है।
कविता :नही रे भाभी अभी तक कुवारी है बस 2 दिन में अगर तूने उनके साथ सम्बन्ध नही बनाया तो वह घर छोड़कर चली जायेगी क्यूंकि भैया का लण्ड खड़ा ही नही होता।
मैं : ओह तो यह बात है फिर आप दोनों आज सुहागरात की तैयारी करें मैं रात तक आता हूं और उनसे बोल देना की बाल साफ न करे ।
अभी हम बात कर रहे थे कि चम्पा का फोन फिर आया और मैने फोन उठाया तो वह बोली कि
चम्पा : कहा हो तुम ठकुराइन मिलना चाहती है।
मैं :मैं अपने बाग में हु वही लेते आईये।
इसके बाद मैं फोन रखा और दीदी से बोला
मैं :आप लोग घर जाए मैं कुछ देर में आता हूं ।
कविता : कौन है रे जो तुझसे मिलने यंहा आ रही है।
मैं :दीदी वह ठकुराइन मिलना चाहती है मुझसे कुछ काम है उन्हें।
सरिता :देख हम नही जानती कौन सा काम है उसे पर तु सावधान रहना उससे ।
मैं : !₹आप लोग चिंता ना करे बस मैं कुछ ही देर में आता हूं । आप लोग घर जाए।
इसके बाद वह दोनों घर की तरफ चले गए और मैं वंही पर उनका इन्तजार करने लगा ।अभी कुछ ही समय हुआ था कि एक गाड़ी हमारे बगीचे के पास आकर रुकी और उसमें से नकाब पोश महिला निकली और सीधे मेरे पास आई और खड़ी हो गयी।
नकाब पोश : जी आपका नाम जय कुमार है।
मैं :जी हाँ मगर माफ करियेगा मैने आपको पहचान नही पाया।
नकाब पोश :हा तो जय तूम मुझे प्रीति बोल सकते हो वैसे मैं ठकुराइन हु।ठाकुर भानु की तीसरी बीवी।
मैं :जी तो आज इस गरीब के पास कैसे आना हुआ।
प्रीति : जंहा तक मैं जानती हूं तुम्हे मेरे आने का कारण तो पता होगा ही इसलिए सीधे बात करे।
मैं :तो पहले आप अपने हुस्न का दर्शन तो करवाये फिर बात करेंगे।।
इतना सुनते ही प्रीति ने अपनी चहरे पर बांधी हुई नकाब को खोल देती है
और उसमे से निकलने वाले चांद से चहेरे को मैं देखता रह गया।फिर संभल कर बोला
मैं :तो बताये किस प्रकार मैं अपकीं मदद कर सकता हु।
प्रीति :बस वही जो तुम आज तक करते आये हो लेकिन आज के बाद तुम्हे वह काम सिर्फ हमारे लिए करना होगा।
मैं :मेरा फायदा क्या है इसमें ।मैं तो भौरा हु एक फूल पर नही टिकता।
प्रीति :तुम्हे फूलो की कमी नही होगी गांव के फूल नही बल्कि शहर के फूल दिलवउंगी और इसके अलावा तुम्हारा हर सपना पूरा होगा ।अगर तुमने मेरा साथ दिया तो।
मैं :ठीक है मंजूर है मुझे।
प्रीति :तो मैं ट्रायल लेना चाहूंगी।
मैं :मैं तो तैयार हूं आप बताये कंहा पर ।
प्रीति :यह जगह तो खुला है मेरे साथ मेरे फार्महाउस चलो ।
मैं :ठीक है तो चलिए।