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सोनिया की बात सुनकर मैं बोला
मैं : यार अब आज तक मैं जो करता आया हु बस वही आगे करने के बारे में भी सोचा है अब जब उसने हमारे घर की इज्जत पर हाथ डाला है तो हम उसे कैसे छोड़ सकते है ।
सोनिया : ओह तो अब मैं समझी की यह भूखा शेर अब शिकार करेगा ।
मैं : हा अब कुछ ऐसा ही समझ लो क्यूंकि अब इतने दिनों से शांत पड़ा हुआ था तो कुछ तो करना ही पड़ेगा ना और वैसे मैं सोच रहा था कि अपने दोस्तों से मिलकर आ जाऊ । उनकी बहुत याद आ रही है।
सोनिया : हा मैं समझ सकती हूं कि तुम्हे किन दोस्तो की याद आ रही है । तुम जा सकते हो और मैं सोच रही थी कि अब जब तुम गांव जा ही रहे हो तो माँ जी को भी लेते जाओ वह भी बहुत दिनों से गांव जाने के लिए बोल रही थी पर मैं उन्हें अकेले नही जाने देना चाहती थी इसलिए मैं उन्हें अभी तक मना कर रही थी।
मैं : यार तुम सब कुछ जान कर भी ऐसा क्यों कर रही हो तुम जानती हो कि मैं वंहा पर क्यों जाना चाहता हु इस सबके बाद भी तुम अगर ऐसा करोगी तो कैसे चलेगा।
सोनिया : अरे यार तुम तो सीरियस हो गए मैं तो मजाक कर रही थी गांव जाने की इच्छा मा की नही बल्कि मेरी है इसलिए मैं ऐसा बोली पर अगर तुमको कोई दिक्कत है तो तुम अकेले जा सकते हो ।
अभी मैं कुछ बोलता इससे पहले ही प्रियंका बोली
प्रियंका : दीदी ऐसा की मैं अपने रूम में सोने जा रही हु आप दोनों लोग बाते कीजिये।
मैं : अरे नही आप दोनों बहनें बाते करो मैं चलता हु वैसे भी मैं आप दोनों लोगो के बीच मे नही पड़ना चाहता हूं।
इतना बोल कर मैं बाहर जाने लगा तो सोनिया रोकते हुए बोली
सोनिया : जय आप यंहा पर कुछ काम से आये थे और बिना कुछ बोले यू ही चले जा रहे है।
मैं : अरे नही ऐसी कोई बात नही है मैं तो बस यूं ही मिलने के लिए आया था वैसे कुछ काम नही था मुझे।
इस बात पर प्रियंका चुटकी लेते हुए बोलती है कि
प्रियंका : क्या दीदी आप भी कैसी बाते करती है ।आप नही जानती है कि यह किस लिए आये हुए है।
सोनिया : ऐसे नही बोलते है बच्ची अच्छा जय तुम जाओ हम कल बात करते है।
उसके बाद मैं सोनिया के रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ चल दिया जब मैं अपने रूम में पहुचा तो देखा कि मेरी सभी बहने मेरा वँहा पर इन्तजार कर रही थी तो मैं भी उन लोगो के बीच मे पहुच कर बैठ गया और बोला
मैं : क्या बात है आप लोग इतनी रात को मेरे रूम में कोई बात है क्या ।
पूनम दी : छोटे तेरे लिए आज मैं बहुत खुश हूं जो तूने सही फैशला लिया है वरना हम सब तो कितने चिंतित थे तेरे लिए।
सरिता दी: दीदी आप थोड़ा शांत रहे हम लोग इससे बात कर ले ।
पूनम दी : हा तुम लोग भी कर लो अपने गीले शिकवे।
मैं : क्या बात है दीदी आप मुझसे नाराज लग रही हो मुझसे कोई गलती हो गयी है क्या।
कविता दी : तू नही जानता तूने क्या गलती की है ।
मैं : दी जंहा तक मुझे लगता है मैंने ऐसी तो कोई गलती नही की जिससे आप लोग मुझसे नाराज हो।
ज्योति : भैया आज आप इस तरह नही बच सकते हो आप को शायद पता नही है दीदी लोग काफी नाराज है आपसे।
मैं उसकी बातें सुनकर जब उसकी तरफ देखा तो वह कुछ इशारा कर रही थी जिसे मैं समझ नही पाया तो मैं बोला
मैं : आप लोगो को जो कुछ भी बोलना है खुल कर बोलिये
सरिता दी : अच्छा तो तुझे नही समझ मे आ रहा है कि मैं क्या बोल रही हु।
पूनम दी : अब तुम सब यह नाटक बन्द करो क्यों परेशान कर रही हो बेचारे को एक तो आज यह इतना थका हुआ है और तुम सब हो कि इसे परेशान कर रही हो।
वही दूसरी तरफ भाभी अपने रूम में बैचैनी से टहल रही थी और भैया वही बैठे हुए उन्हें देख रहे थे जब उनसे नही देखा गया तो वह बोले कि
भैया : क्यों इतनी बेचैनी में टहल रही हो तुम्हे जो भी बात करनी कल कर लेना उससे ।वह कहि भागा तो नही जा रहा है ना।
भाभी उनकी बात सुनकर बोलती है
भाभी : मैंने आपसे कितनी बार बोली कि आप आराम करो लेकिन नही आपको तो पता नही क्या सूझ रहा है जो इतनी रात तक जागे हुए है।
भैया : अब जिसकी बीवी इतनी रात को दूसरे मर्द के पास जाने के लिए तड़प रही हो उसे भला नीद कैसे आ सकती है।
भाभी : मुझे लगता है हम लोग इस बारे में बात कर चुके है और मैं आपसे पहले ही सब कुछ साफ कर चुकी हूं और आपने भी सारी बाते मान ली थी तो अब इस बात का करके मुझे नही लगता कोई फायदा है और अगर आपको कोई दिक्कत है तो आप बोल सकते है मै अब भी अपने आप को संभाल सकती हूं।
भैया : अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था तुम तो बुरा मान गयी।
भाभी : नही इसमे बुरा मानने वाली कोई बात नही हो सकता है आपके अंदर का मर्द कभी भी जग जाए और आप मुझे रोके इससे अच्छा तो यही होगा कि हम अलग हो जाये।
भैया : अरे नही यार मैं तो मजाक कर रहा था तुम तो बुरा मान गयी (तूने मेरी कमजोरी का फायदा उठा कर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश की है ना एक दिन तुझे और तेरे उस आशिक को जान से मार दूंगा तब मुझे शांति मिलेगी।)
भाभी : क्या करूँ पहले ही तुम्हारी बहनों ने डेरा जमा रखी है और उसके बाद तुम भी दिमाग खराब कर रहे हो तो मैं क्या बोलू।
भैया : अच्छा ठीक है तुम्हारी जो मर्जी आये करना मैं तो सोने जा रहा हु बस इस बात का ख्याल रखना की घर के कोई लोग देख ना ले।
वही मेरे रूम से सभी लोग अपने रूम में चले गए थे सिवाय दो के वह थी मधु दी और ज्योति तो मैं बोला
मैं : अब आप लोग भी जाकर सोने की कृपा करेंगी क्यों की मुझे भी नीद आ रही है।
ज्योति : भाई हमे आपसे कुछ बात करनी है।
मैं : अब जो भी बात करनी है वह बाद में मुझे अभी नीद आ रही है।
मेरी बात सुनकर दोनों चुप चाप वँहा से चली गयी और अपने रूम में पहुच कर मधु दी ज्योति पर भड़कती हुई बोली
मधु दी : तुमने आज भी बात नही किया आखिर कब तक मैं इन्तजार करू।
ज्योति : दी आप नही जानती भाई से इस बारे में बात करना कितना कठिन है। आप समझती क्यों नही।
मधु : ठीक है तो तुम अब बात मत करो अब जो कुछ भी करना है मैं ही करूँगी।
वही सभी जाते के भाभी मेरे रूम में आ गयी और आकर दरवाजा बंद कर दिया ।इस वक्त मैं बिस्तर पर लेटा ही था कि उन्हें अंदर आते देख कर मैं समझ गया कि अब आज रात की नींद कैंशील ही है क्यूंकि अब न तो यह खुद सोएंगी और ना ही मुझे सोने देंगी। तो मैं बोला
मैं : अरे भाभी आप इतनी रात को मेरे कमरे में कुछ काम था तो मुझे बुला लिया होता आपने इस गुलाम के होते हुए क्यों कस्ट किया।
भाभी : पहली बात तो मैं आपसे बहुत नाराज हु ।आपने जीवन भर साथ देने का वादा करके चंद पलो के बाद ही छोड़ दिया।पल पल आपके इन्तजार में मैं किस तरह से काटी हु यह तो मैं ही जानती हूं मैं अब तक तो इसी आशा में जीवन काट रही थी कि जब आप ठीक होंगे तो मुझे प्यार देंगे लेकिन आप ने शिधे मुह बात तक नही किया मुझसे।
मैं : यार अब आज तक मैं जो करता आया हु बस वही आगे करने के बारे में भी सोचा है अब जब उसने हमारे घर की इज्जत पर हाथ डाला है तो हम उसे कैसे छोड़ सकते है ।
सोनिया : ओह तो अब मैं समझी की यह भूखा शेर अब शिकार करेगा ।
मैं : हा अब कुछ ऐसा ही समझ लो क्यूंकि अब इतने दिनों से शांत पड़ा हुआ था तो कुछ तो करना ही पड़ेगा ना और वैसे मैं सोच रहा था कि अपने दोस्तों से मिलकर आ जाऊ । उनकी बहुत याद आ रही है।
सोनिया : हा मैं समझ सकती हूं कि तुम्हे किन दोस्तो की याद आ रही है । तुम जा सकते हो और मैं सोच रही थी कि अब जब तुम गांव जा ही रहे हो तो माँ जी को भी लेते जाओ वह भी बहुत दिनों से गांव जाने के लिए बोल रही थी पर मैं उन्हें अकेले नही जाने देना चाहती थी इसलिए मैं उन्हें अभी तक मना कर रही थी।
मैं : यार तुम सब कुछ जान कर भी ऐसा क्यों कर रही हो तुम जानती हो कि मैं वंहा पर क्यों जाना चाहता हु इस सबके बाद भी तुम अगर ऐसा करोगी तो कैसे चलेगा।
सोनिया : अरे यार तुम तो सीरियस हो गए मैं तो मजाक कर रही थी गांव जाने की इच्छा मा की नही बल्कि मेरी है इसलिए मैं ऐसा बोली पर अगर तुमको कोई दिक्कत है तो तुम अकेले जा सकते हो ।
अभी मैं कुछ बोलता इससे पहले ही प्रियंका बोली
प्रियंका : दीदी ऐसा की मैं अपने रूम में सोने जा रही हु आप दोनों लोग बाते कीजिये।
मैं : अरे नही आप दोनों बहनें बाते करो मैं चलता हु वैसे भी मैं आप दोनों लोगो के बीच मे नही पड़ना चाहता हूं।
इतना बोल कर मैं बाहर जाने लगा तो सोनिया रोकते हुए बोली
सोनिया : जय आप यंहा पर कुछ काम से आये थे और बिना कुछ बोले यू ही चले जा रहे है।
मैं : अरे नही ऐसी कोई बात नही है मैं तो बस यूं ही मिलने के लिए आया था वैसे कुछ काम नही था मुझे।
इस बात पर प्रियंका चुटकी लेते हुए बोलती है कि
प्रियंका : क्या दीदी आप भी कैसी बाते करती है ।आप नही जानती है कि यह किस लिए आये हुए है।
सोनिया : ऐसे नही बोलते है बच्ची अच्छा जय तुम जाओ हम कल बात करते है।
उसके बाद मैं सोनिया के रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ चल दिया जब मैं अपने रूम में पहुचा तो देखा कि मेरी सभी बहने मेरा वँहा पर इन्तजार कर रही थी तो मैं भी उन लोगो के बीच मे पहुच कर बैठ गया और बोला
मैं : क्या बात है आप लोग इतनी रात को मेरे रूम में कोई बात है क्या ।
पूनम दी : छोटे तेरे लिए आज मैं बहुत खुश हूं जो तूने सही फैशला लिया है वरना हम सब तो कितने चिंतित थे तेरे लिए।
सरिता दी: दीदी आप थोड़ा शांत रहे हम लोग इससे बात कर ले ।
पूनम दी : हा तुम लोग भी कर लो अपने गीले शिकवे।
मैं : क्या बात है दीदी आप मुझसे नाराज लग रही हो मुझसे कोई गलती हो गयी है क्या।
कविता दी : तू नही जानता तूने क्या गलती की है ।
मैं : दी जंहा तक मुझे लगता है मैंने ऐसी तो कोई गलती नही की जिससे आप लोग मुझसे नाराज हो।
ज्योति : भैया आज आप इस तरह नही बच सकते हो आप को शायद पता नही है दीदी लोग काफी नाराज है आपसे।
मैं उसकी बातें सुनकर जब उसकी तरफ देखा तो वह कुछ इशारा कर रही थी जिसे मैं समझ नही पाया तो मैं बोला
मैं : आप लोगो को जो कुछ भी बोलना है खुल कर बोलिये
सरिता दी : अच्छा तो तुझे नही समझ मे आ रहा है कि मैं क्या बोल रही हु।
पूनम दी : अब तुम सब यह नाटक बन्द करो क्यों परेशान कर रही हो बेचारे को एक तो आज यह इतना थका हुआ है और तुम सब हो कि इसे परेशान कर रही हो।
वही दूसरी तरफ भाभी अपने रूम में बैचैनी से टहल रही थी और भैया वही बैठे हुए उन्हें देख रहे थे जब उनसे नही देखा गया तो वह बोले कि
भैया : क्यों इतनी बेचैनी में टहल रही हो तुम्हे जो भी बात करनी कल कर लेना उससे ।वह कहि भागा तो नही जा रहा है ना।
भाभी उनकी बात सुनकर बोलती है
भाभी : मैंने आपसे कितनी बार बोली कि आप आराम करो लेकिन नही आपको तो पता नही क्या सूझ रहा है जो इतनी रात तक जागे हुए है।
भैया : अब जिसकी बीवी इतनी रात को दूसरे मर्द के पास जाने के लिए तड़प रही हो उसे भला नीद कैसे आ सकती है।
भाभी : मुझे लगता है हम लोग इस बारे में बात कर चुके है और मैं आपसे पहले ही सब कुछ साफ कर चुकी हूं और आपने भी सारी बाते मान ली थी तो अब इस बात का करके मुझे नही लगता कोई फायदा है और अगर आपको कोई दिक्कत है तो आप बोल सकते है मै अब भी अपने आप को संभाल सकती हूं।
भैया : अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था तुम तो बुरा मान गयी।
भाभी : नही इसमे बुरा मानने वाली कोई बात नही हो सकता है आपके अंदर का मर्द कभी भी जग जाए और आप मुझे रोके इससे अच्छा तो यही होगा कि हम अलग हो जाये।
भैया : अरे नही यार मैं तो मजाक कर रहा था तुम तो बुरा मान गयी (तूने मेरी कमजोरी का फायदा उठा कर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश की है ना एक दिन तुझे और तेरे उस आशिक को जान से मार दूंगा तब मुझे शांति मिलेगी।)
भाभी : क्या करूँ पहले ही तुम्हारी बहनों ने डेरा जमा रखी है और उसके बाद तुम भी दिमाग खराब कर रहे हो तो मैं क्या बोलू।
भैया : अच्छा ठीक है तुम्हारी जो मर्जी आये करना मैं तो सोने जा रहा हु बस इस बात का ख्याल रखना की घर के कोई लोग देख ना ले।
वही मेरे रूम से सभी लोग अपने रूम में चले गए थे सिवाय दो के वह थी मधु दी और ज्योति तो मैं बोला
मैं : अब आप लोग भी जाकर सोने की कृपा करेंगी क्यों की मुझे भी नीद आ रही है।
ज्योति : भाई हमे आपसे कुछ बात करनी है।
मैं : अब जो भी बात करनी है वह बाद में मुझे अभी नीद आ रही है।
मेरी बात सुनकर दोनों चुप चाप वँहा से चली गयी और अपने रूम में पहुच कर मधु दी ज्योति पर भड़कती हुई बोली
मधु दी : तुमने आज भी बात नही किया आखिर कब तक मैं इन्तजार करू।
ज्योति : दी आप नही जानती भाई से इस बारे में बात करना कितना कठिन है। आप समझती क्यों नही।
मधु : ठीक है तो तुम अब बात मत करो अब जो कुछ भी करना है मैं ही करूँगी।
वही सभी जाते के भाभी मेरे रूम में आ गयी और आकर दरवाजा बंद कर दिया ।इस वक्त मैं बिस्तर पर लेटा ही था कि उन्हें अंदर आते देख कर मैं समझ गया कि अब आज रात की नींद कैंशील ही है क्यूंकि अब न तो यह खुद सोएंगी और ना ही मुझे सोने देंगी। तो मैं बोला
मैं : अरे भाभी आप इतनी रात को मेरे कमरे में कुछ काम था तो मुझे बुला लिया होता आपने इस गुलाम के होते हुए क्यों कस्ट किया।
भाभी : पहली बात तो मैं आपसे बहुत नाराज हु ।आपने जीवन भर साथ देने का वादा करके चंद पलो के बाद ही छोड़ दिया।पल पल आपके इन्तजार में मैं किस तरह से काटी हु यह तो मैं ही जानती हूं मैं अब तक तो इसी आशा में जीवन काट रही थी कि जब आप ठीक होंगे तो मुझे प्यार देंगे लेकिन आप ने शिधे मुह बात तक नही किया मुझसे।