Nice startUpdate 1
मैं (राजू) - गांव मैं अपने पिता के साथ खेती करता हूं देखने में अपने पिता की तरह ही एक औसत इंसान हूं।
मेरे पिता जिनका इस कहानी है कोई ज्यादा काम नहीं है इसलिए इनका परिचय जरूरी नहीं।
मम्मी (रूपा) - अगर इन्हें गांव की सबसे सुंदर औरत का जाए तो कोई गलत नहीं होगा तीखे नैन गोरे गाल गुलाबी होंठ, हल्की सी मोटी है लेकिन इतना भी नहीं कि उसे मोटा घोषित करती है।
मुझे बचपन से ही पढ़ाई में कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी इसीलिए 12 के बाद मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दीया और पापा के साथ अपने खेत में काम करने लगा, पहले तो मेरे इस फैसले का घरवालों ने बहुत विरोध किया मम्मी ने तो चप्पलों से पिटाई भी की क्योंकि वह लोग चाहते थे कि मैं पढ़े लिखे के एक समझदार इंसान बनु, गांव में लोगों के लिए एक पढ़ा लिखा गवार भी समझदार ही कहलाता है, मेरे परिवार की भी यही सोच थी।
लेकिन मैंने अपनी सूझबूझ से उनकी इस सोच को बदल दिया, नई तरह की खेती करना पोल्ट्री फार्म खोलना गाय का एक बड़ा तबेला यह सब मैं नहीं 1 साल के अंदर ही बना दिया जिसे मम्मी पापा की नाराजगी थोड़ी कम हो गई लेकिन पूरी तरह नही वे लोग आज भी मुझे नहीं पड़ने के कारण कभी कबार ताने भी देते हैं।
Chudai hogi shyadUpdate 3
दोपहर का खाना खाने जब मैं घर पहुंचता हूं तो घर का हुलिया ही बदल चुका था पूरे घर को साफ किया गया था और फूलों से सजाया गया था।
मां मस्त नहा धो के अपने पांव की उंगलियों के नाखून में रंग भर रही थी।
मम्मी अपने नाखून को रंगने में इतना मांगन हो गई थी कि मे घर के अंदर आ गया है और उन्हें पता भी नहीं चला, मैं मम्मी के पास आकर खड़ा हो जाता हूं और उनसे कहता हूं - आज कोई पूजा है क्या मम्मी।
मम्मी - तुझे बताया था ना खेल के बारे में।
मैं - उसके लिए घर सजाने की क्या जरूरत।
मम्मी - जरूरत है तू क्या जाने, वो सब छोड़ो पहले ये बता कबूतर लाया।
मैं - कैसा कबूतर तूने तो मुझे कोई कबूतर लाने को नहीं कहा।
मम्मी - अपने सिर पर हाथ मारते हुए मैं भी ना एक नंबर की भुलक्कड़ हूं, मैं तो तुझे बताना भूल ही गई कि आज शाम की पूजा के लिए दो कबूतरों की जरूरत पड़ेगा, अच्छा हुआ तू जल्दी आ गया जाऔ जा कर दो कबूतर खरीद लाओ।
मैं - पूजा कैसा पुजा और अभी मैं कहां से दो कबूतर लाऊं।
मम्मी - सरिता (कालू की मां) के घर से
मैं - ठीक है मैं खाना खाकर ला दूंगा
मम्मी - नहीं अभी जाओ वरना सारे कबूतर खत्म हो जाएंगे उसके बाद तुझे ही बाजार जाना पड़ेगा।
उसके बाद में कालू के घर की तरफ चल देता हूं उसका घर मेरे घर से 2 3 घर आगे था, मैं उसके घर के बाहर पहुंचकर दरवाजे को पीटता हूं और साथ ही कालू को आवाज भी देता हूं।
कुछ देर बाद सरिता चाची दरवाजा खोलती है, इससे पहले मैं कुछ बोलता उससे पहले ही सरिता चाची बोल पड़ती है - कबूतर लेने आए हो।
मैं - हां लेकिन आपको कैसे पता।
सरिता - पता, पता कैसे नहीं होगा सुबह से सब लोग वही तो ले जा रहा है मेरे घर से।
आसपास के सारे गांव में सबसे ज्यादा कबूतर सरिता चाची ही पालती है।
मैं - हां दो लेना है।
सरिता - ठीक है तुम अंदर तो आओ बाहर क्यों खड़े हो।
मैंने इस बीच नोटिस किया कि आंटी अपने एक हाथ को पीछे से अपने एक गांड के नितंब को सहला रही थी, मैंने इस पर ज्यादा गौर नहीं किया मुझे लगा खुजली वगैरह होगा।
चाची अंदर जाने लगती है और मैं उनके पीछे-पीछे, घर के अंदर जाते ही मुझे एक कमरे से कालू निकलते हुए दिखता है, वो मुझे देखते ही कहता है - अरे राजू कोई काम था क्या।
मैं - क्यों कोई काम हो तभी मैं तुम्हारे घर आ सकता हूं क्या और वैसे भी मुझे तुमसे नहीं है चाची से काम है।
कालू - औ तू भी कबूतर खरीदने आया है, मुझे लगा ही था इसीलिए मैंने दो कबूतर तेरे लिए अलग से रख दीया है।
चाची कबूतर लाने के लिए एक कमरे में चली जाती है तभी मैं कालू से पूछता हूं - यार यह कबूतर पूजा खेल यह सब क्या है यार मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा और ना ही मुझे मम्मी बता रही है।
कालू - यार मुझे भी ज्यादा पता नहीं है बस इतना (तभी अंदर से चाची खांसते हुए आती है जैसे वह कालू को मुझे उस बात को बताने से रोक रही थी)
जिसके बाद कालू भी अपने बात को पलट देता है और कहता है मुझे भी ज्यादा नहीं पता, मैं समझ जाता हूं कि कालू अब कुछ नहीं बताएगा इसलिए मैं सिर्फ कबूतरों को लेकर वहां से निकल जाता हूं।
घर पहुंचकर में दोनों कबूतर मम्मी को दे देता हूं और उसके बाद खाना खाने बैठ जाता हूं कुछ देर बाद मम्मी मुझे खाना देती है और मैं खाना खाने लगता हूं तभी मम्मी मुझे कहती है- बस अब घर से बाहर कहीं मत जाना नहा धो लो शाम को पूजा है।
मम्मी काफी गुस्सैल स्वभाव की है इसलिए मैंने ज्यादा सवाल नहीं किया और वे जो जो कहती रही वही करता रहा।
शाम हो चुका था मम्मी ने मुझे जबरदस्ती एक शेरवानी और पजामा पहना दिया था, लेकिन अभी तक मम्मी रेडी नहीं हुई थी,वे अभी भी अपने कमरे में खुद को तैयार कर रही थी जैसे उसकी शादी हो, 1 घंटे बाद शाम से अंधेरा हो जाता है तब जाकर मम्मी अपने कमरे से बाहर आती है।
उन्होंने एक सेक्सी सी गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी और एक काले रंग की ब्लाउज उनका ब्लाउज काफी छोटा था, और साड़ी तो जैसे उन्होंने अपने ही विरुद्ध पहनी हो क्योंकि मम्मी ऐसी साड़ी कभी नहीं पहनती है, साड़ी में से उनका गहरी नाभि दिख रहा था जिसे वह हमेशा आमतौर पर ढक के ही रखती है।
मैं - मम्मी यह कैसे कपड़े पहने हो कहीं शादी में नहीं जा रहे हैं पंचायत में जा रहे हैं।
मम्मी - पंचायत नहीं पूजा और सबको ऐसे ही कपड़े पहन कर जाने को कहा है,बिना सिर पर पल्लू लिए किसी नई नवेली दुल्हन की तरह।
मैं - लेकिन सुबह तो आपने कहा था कि हम मुखिया जी के यहां जायेंगे।
मम्मी - तू 10 मिनट शांत नहीं कर सकता जब हम वहां जाएंगे तो तुझे सब पता चल जाएगा अब चल।
उसके बाद मम्मी दोनों कबूतर जो कि पिजड़े में था उसे उठाती है और घर के बाहर आकर घर के दरवाजे में ताला लगा देती है।
मम्मी - अब यह मत पूछना कि ताला क्यों लगा रही हूं तेरे पापा पहले वहां जा चुके हैं।
मैं भी वहीं पूछने वाला था लेकिन मम्मी ने मेरे पूछने से पहले ही जवाब दे दिया उसके बाद में और मम्मी साथ में पूजा वाली जगह पर जाने लगते हैं।
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Yeh kya hero ne maidaan chod diya to maa kese milegi? Bhai line pe lao is chutiye koUpdate 7
(कहानी राजू की जुबानी)
सुबह जब मेरा आंख खुलता है तो मैं चौक जाता हूं। मैं पीठ के बल सीधा होके सोया था और मम्मी मेरे सीने पर अपना सिर और एक पाव को मेरे ऊपर रखकर सोई हुई थी। आज भी मैं सिर्फ एक चड्डी में सोया था, जिसमें मेरा लंड पुरा तन के खड़ा हो गया था, लंड का सुपाड़ा तो चड्डी से बाहर हो गया था। और मम्मी कल की तरह ही आज भी पेटीकोट और ब्रा में सोई थी।
उनका पेटीकोट जांघों तक ऊपर हो गया था। इसलिए मैं मम्मी के अधनंगी जांघों को अपने खड़े लंड पर साफ महसूस कर सकता था। ना जाने कब से मेरा लंड उस मोटी सी जांग के नीचे दबके के झटके खा रहा था।
उन्होंने आज जो ब्रा पहना था वो भी मम्मी के विशाल चुचियों को नहीं देख पा रहा था। आधी से ज्यादी चूचियां उनके ब्रो से बाहर था, जो मुझे मेरे नंगे छाती पर सांप महसूस हो रहा था।
अजीब बात तो यह था कि, कल जब मैं सोया था तो मम्मी मेरे पास नहीं सोई थी। बीच में रात को एक बार मेरा आंख खुला था तब भी मम्मी मेरे पास नहीं थी। शायद काफी रात को वह मेरे पास आकर सोई थी।
लेकिन जब उन्हें मेरे पास होना ही था तो पहले क्यों नहीं आई आधी रात को आने का क्या मतलब था। कल रात पापा भी घर आए हुए हैं कहीं मम्मी और पापा रात को नहीं नहीं नहीं।
मुझे अंदर से काफी बुरा महसूस हो रहा था। जैसे कल रात को मम्मी, पापा के साथ मिलकर मुझे धोखा दिया हो। वह दोनों पति-पत्नी है, उन दोनों को चुदाई करने का पूरा हक है। लेकिन ना जाने क्यों मुझे इतना बुरा लग रहा था। जिसके कारण मैं इस सुनहरे पल को जीने की वजह, अपने ख्यालों में खोया था।
कल रात से ही मैं मम्मी को अपना प्रॉपर्टी समझ लिया, जिस पर सिर्फ मेरा हक है। जिस खेत की अब में ही सिर्फ जुताई और सिंचाई कर सकता था। लेकिन कल रात को उस खेत पे पापा ने अपना औजार चला दिया। ये जानते हुए कि ना जाने मेरे पापा ने उस खेत को कितना जूता होगा , उन्होंने ही इस खेत में अपने बीच को बो के मुझे पैदा किया है। लेकिन अब वह सिर्फ मेरी थी उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।
मैं छत को देखते हुए अपने खयालों में इतना खो गया था कि, मुझे पता ही नहीं चला कि मम्मी कब उठ गई। मुझे इस तरह ख्यालों में खोया देख मम्मी मुझे हीलाती है, तब जाकर मैं होश में आता हूं।
मम्मी का चेहरा देख कर मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि, मन कर रहा था उन्हें अपने बिस्तर पर से धकेल दु। लेकिन मैं अपने गुस्से को काबू करते हुए अपने चेहरे को दूसरी तरफ कर लेता हूं।
मम्मी को मेरे इस हरकत से थोड़ा अजीब लगता है। मेरे चेहरे को अपनी और करते हुए थोड़े गुस्से से कहती है - क्या हुआ इतनी बदसूरत लग रही हूं क्या जो ऐसे मुंह फेर रहा है।
मेरा दिमाग जो पहले से खराब था मम्मी की बात सुनकर और भी खराब हो जाता है। मैं उन्हें बिना कुछ कहे अपने बिस्तर पर से उठता हूं और अपने सारे कपड़े पहन के घर से बाहर चला आता हूं। मम्मी मेरे इस व्यवहार को काफी हैरानी से देख रही थी।
घर से कुछ दूर जाने के बाद मेरे मन में ख्याल आता है कि मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा। जिसके बाद में पीछे मुड़ के घर के दरवाजे की तरफ देखने लगता हूं, इस आस में कि मम्मी वहां मेरे लिए खड़ा होगी। लेकिन वहां पर नहीं थी जिसके कारण मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
जब मैं कालू के घर के दरवाजे के पास पहुंचता हूं। तब मुझे कालू का कल का बात याद आ जाता है की, वह आज अपनी मां को चोदने वाला था। यह ख्याल आते ही मैं उन दोनों को परेशान नहीं करता हूं और अकेले ही खेत पर चला जाता हूं।
अकेले होने के कारण आज सब्जियां तोड़ने में काफी देरी हो गया। और ऊपर से ये गुस्सा जिसे मैंने सब्जियों के कुछ पौधों पर निकाल दिया था। खैर में किसी तरह सब्जियां तोड़ लेता हूं। इतने भारी बोरे को तुम्हें घर ले जाने से रहा इसीलिए मैं टेंपो को लेने घर चला जाता हूं।
टेंपो का चाबी लेने जब मैं घर में जाता हूं। तब मम्मी मेरे पास आती है और मेरे पीठ पर एक चमार मारते हुए कहती है - क्या हो गया तुम मुझे सुबह ऐसे देख रहा था जैसे मुझे मार ही डालेगा तुझे डर नहीं लगता मुझ से।
मम्मी भले यह सब मजाक में कह रही थी लेकिन मैं तो सीरियस था।मैं मम्मी के बातों का कोई जवाब नहीं देता और चुपचाप बाहर निकल जाता हूं मम्मी भी मेरे पीछे पीछे आती है। वे काफी मुझे रोक के जानने की कोशिश करती है कि मैं गुस्सा क्यों लेकिन मैं नहीं रुकता और टेंपो लेकर चला जाता हूं। इस बात से मम्मी समझ जाती है कि मैं किसी बात को लेकर काफी गुस्सा हूं लेकिन उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि किस पे।
मैं खेत से सब्जियां लेने के बाद वहां से तबेले में चला जाता हूं। जहां पर मैं पापा से भी अच्छे से बात नहीं करता हूं। लेकिन मैं उन्हें ये अहसास नहीं होने देता हूं कि मैं किसी चीज को लेकर गुस्सा हु। वहां से दूध लेने के बाद मैं मार्केट चला जाता हूं और वहां से सीधा पोल्टी फार्म चला जाता हूं घर नहीं जाता।
रह रह के मेरे दिमाग में एक ही बात आ रहा था की, रात को पापा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा। साड़ी उठाके नहीं। उन्होंने तो सुबह सिर्फ पेटीकोट और बड़ा पहना था, जिसका मतलब पापा ने उसे पूरा नंगा करके चोदा था। खटिया पर लेटे मैं यही सोच रहा था। मुझे कब नींद लग जाता है मुझे खुद नहीं पता।
सपने में मैं देखता हूं कि, मम्मी अपने कमरे में पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी और पापा अपने लंड को उनकी चूत में डालकर उन्हें हुमच हुमच कर चोद रहे थे।
और मम्मी चोदते हुए कह रही थी - आह्ह और जोर से चोदो आह्ह मुझे एक और बेटा चाहिए तुम्हारी इस बेटी से कुछ नहीं होता।
इतना सुनते ही मैं जोर से नहीं कह कर उठ जाता हूं। मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था। तभी मेरा नजर मेरे मोबाइल पर पड़ता है। जिस पर कालू का फोन आ रहा था। मैं उसका फोन उठा लेता हूं
तभी कालू केहता है - कहां है तू खेलने नहीं आना है तुझे सुरेश के घर में।
मैं - यार आज नहीं जा पाऊंगा मेरा तबीयत बहुत खराब है मुझे बहुत तेज बुखार भी आया है।
फिर कालू ठीक है कहकर फोन रख देता है। उसके बाद मैं भी अपने घर चला जाता हूं।
Mast hai bhai , but thoda update pleaseUpdate 7
(कहानी राजू की जुबानी)
सुबह जब मेरा आंख खुलता है तो मैं चौक जाता हूं। मैं पीठ के बल सीधा होके सोया था और मम्मी मेरे सीने पर अपना सिर और एक पाव को मेरे ऊपर रखकर सोई हुई थी। आज भी मैं सिर्फ एक चड्डी में सोया था, जिसमें मेरा लंड पुरा तन के खड़ा हो गया था, लंड का सुपाड़ा तो चड्डी से बाहर हो गया था। और मम्मी कल की तरह ही आज भी पेटीकोट और ब्रा में सोई थी।
उनका पेटीकोट जांघों तक ऊपर हो गया था। इसलिए मैं मम्मी के अधनंगी जांघों को अपने खड़े लंड पर साफ महसूस कर सकता था। ना जाने कब से मेरा लंड उस मोटी सी जांग के नीचे दबके के झटके खा रहा था।
उन्होंने आज जो ब्रा पहना था वो भी मम्मी के विशाल चुचियों को नहीं देख पा रहा था। आधी से ज्यादी चूचियां उनके ब्रो से बाहर था, जो मुझे मेरे नंगे छाती पर सांप महसूस हो रहा था।
अजीब बात तो यह था कि, कल जब मैं सोया था तो मम्मी मेरे पास नहीं सोई थी। बीच में रात को एक बार मेरा आंख खुला था तब भी मम्मी मेरे पास नहीं थी। शायद काफी रात को वह मेरे पास आकर सोई थी।
लेकिन जब उन्हें मेरे पास होना ही था तो पहले क्यों नहीं आई आधी रात को आने का क्या मतलब था। कल रात पापा भी घर आए हुए हैं कहीं मम्मी और पापा रात को नहीं नहीं नहीं।
मुझे अंदर से काफी बुरा महसूस हो रहा था। जैसे कल रात को मम्मी, पापा के साथ मिलकर मुझे धोखा दिया हो। वह दोनों पति-पत्नी है, उन दोनों को चुदाई करने का पूरा हक है। लेकिन ना जाने क्यों मुझे इतना बुरा लग रहा था। जिसके कारण मैं इस सुनहरे पल को जीने की वजह, अपने ख्यालों में खोया था।
कल रात से ही मैं मम्मी को अपना प्रॉपर्टी समझ लिया, जिस पर सिर्फ मेरा हक है। जिस खेत की अब में ही सिर्फ जुताई और सिंचाई कर सकता था। लेकिन कल रात को उस खेत पे पापा ने अपना औजार चला दिया। ये जानते हुए कि ना जाने मेरे पापा ने उस खेत को कितना जूता होगा , उन्होंने ही इस खेत में अपने बीच को बो के मुझे पैदा किया है। लेकिन अब वह सिर्फ मेरी थी उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।
मैं छत को देखते हुए अपने खयालों में इतना खो गया था कि, मुझे पता ही नहीं चला कि मम्मी कब उठ गई। मुझे इस तरह ख्यालों में खोया देख मम्मी मुझे हीलाती है, तब जाकर मैं होश में आता हूं।
मम्मी का चेहरा देख कर मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि, मन कर रहा था उन्हें अपने बिस्तर पर से धकेल दु। लेकिन मैं अपने गुस्से को काबू करते हुए अपने चेहरे को दूसरी तरफ कर लेता हूं।
मम्मी को मेरे इस हरकत से थोड़ा अजीब लगता है। मेरे चेहरे को अपनी और करते हुए थोड़े गुस्से से कहती है - क्या हुआ इतनी बदसूरत लग रही हूं क्या जो ऐसे मुंह फेर रहा है।
मेरा दिमाग जो पहले से खराब था मम्मी की बात सुनकर और भी खराब हो जाता है। मैं उन्हें बिना कुछ कहे अपने बिस्तर पर से उठता हूं और अपने सारे कपड़े पहन के घर से बाहर चला आता हूं। मम्मी मेरे इस व्यवहार को काफी हैरानी से देख रही थी।
घर से कुछ दूर जाने के बाद मेरे मन में ख्याल आता है कि मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा। जिसके बाद में पीछे मुड़ के घर के दरवाजे की तरफ देखने लगता हूं, इस आस में कि मम्मी वहां मेरे लिए खड़ा होगी। लेकिन वहां पर नहीं थी जिसके कारण मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
जब मैं कालू के घर के दरवाजे के पास पहुंचता हूं। तब मुझे कालू का कल का बात याद आ जाता है की, वह आज अपनी मां को चोदने वाला था। यह ख्याल आते ही मैं उन दोनों को परेशान नहीं करता हूं और अकेले ही खेत पर चला जाता हूं।
अकेले होने के कारण आज सब्जियां तोड़ने में काफी देरी हो गया। और ऊपर से ये गुस्सा जिसे मैंने सब्जियों के कुछ पौधों पर निकाल दिया था। खैर में किसी तरह सब्जियां तोड़ लेता हूं। इतने भारी बोरे को तुम्हें घर ले जाने से रहा इसीलिए मैं टेंपो को लेने घर चला जाता हूं।
टेंपो का चाबी लेने जब मैं घर में जाता हूं। तब मम्मी मेरे पास आती है और मेरे पीठ पर एक चमार मारते हुए कहती है - क्या हो गया तुम मुझे सुबह ऐसे देख रहा था जैसे मुझे मार ही डालेगा तुझे डर नहीं लगता मुझ से।
मम्मी भले यह सब मजाक में कह रही थी लेकिन मैं तो सीरियस था।मैं मम्मी के बातों का कोई जवाब नहीं देता और चुपचाप बाहर निकल जाता हूं मम्मी भी मेरे पीछे पीछे आती है। वे काफी मुझे रोक के जानने की कोशिश करती है कि मैं गुस्सा क्यों लेकिन मैं नहीं रुकता और टेंपो लेकर चला जाता हूं। इस बात से मम्मी समझ जाती है कि मैं किसी बात को लेकर काफी गुस्सा हूं लेकिन उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि किस पे।
मैं खेत से सब्जियां लेने के बाद वहां से तबेले में चला जाता हूं। जहां पर मैं पापा से भी अच्छे से बात नहीं करता हूं। लेकिन मैं उन्हें ये अहसास नहीं होने देता हूं कि मैं किसी चीज को लेकर गुस्सा हु। वहां से दूध लेने के बाद मैं मार्केट चला जाता हूं और वहां से सीधा पोल्टी फार्म चला जाता हूं घर नहीं जाता।
रह रह के मेरे दिमाग में एक ही बात आ रहा था की, रात को पापा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा। साड़ी उठाके नहीं। उन्होंने तो सुबह सिर्फ पेटीकोट और बड़ा पहना था, जिसका मतलब पापा ने उसे पूरा नंगा करके चोदा था। खटिया पर लेटे मैं यही सोच रहा था। मुझे कब नींद लग जाता है मुझे खुद नहीं पता।
सपने में मैं देखता हूं कि, मम्मी अपने कमरे में पूरी नंगी होकर लेटी हुई थी और पापा अपने लंड को उनकी चूत में डालकर उन्हें हुमच हुमच कर चोद रहे थे।
और मम्मी चोदते हुए कह रही थी - आह्ह और जोर से चोदो आह्ह मुझे एक और बेटा चाहिए तुम्हारी इस बेटी से कुछ नहीं होता।
इतना सुनते ही मैं जोर से नहीं कह कर उठ जाता हूं। मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था। तभी मेरा नजर मेरे मोबाइल पर पड़ता है। जिस पर कालू का फोन आ रहा था। मैं उसका फोन उठा लेता हूं
तभी कालू केहता है - कहां है तू खेलने नहीं आना है तुझे सुरेश के घर में।
मैं - यार आज नहीं जा पाऊंगा मेरा तबीयत बहुत खराब है मुझे बहुत तेज बुखार भी आया है।
फिर कालू ठीक है कहकर फोन रख देता है। उसके बाद मैं भी अपने घर चला जाता हूं।