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Adultery दोस्ती या प्यार

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ये कहानी copy paste है ।इस कहानी की असली लेखक कामिनी सक्सेना जी है। इस का पूरा credit कामिनी जी को जाता है मुझे कहानी अच्छी लगी इस लिए यहां पर copy paste कर रहा हु
 
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हाय मेरा नाम संजय है. मेरी नौकरी लगे हुए २ साल हो चुके हैं. मुझे कंपनी की तरफ़ से मकान मिला हुआ है. मेरे साथ वाला मकान कामिनी का है. ये मकान दो मकानों के जोड़े में है. जिसकी एक ही चारदीवारी है. और पीछे एक चौक है जो दोनों मकानों को एक दरवाजे के द्वारा जोड़ता भी है.

इन दिनों मेरा ऑफिस का एक दोस्त टूर पर आया हुआ था. मेरी ही उमर का था और कुछ कुछ मेरे ही तरह गोरा और लंबा था. उसका नाम विक्की था. विक्की दिन भर टूर पर रहता था शाम को ६ बजे तक वो लौट आता था .फिर हम रात को थोडी सी व्हिस्की भी पीते थे और सो जाते थे. उस दिन विक्की शाम को आया और नहा कर हम चाय पीने लगे. हम दोनों आपस में बात कर रहे थे. बातों बातों में उसने बताया कि आज वो एक हिन्दी में ब्लू सीडी लाया है. मैंने कभी ब्लू फ़िल्म नहीं देखी थी. मेरे पूछने पर उसने बताया कि इसमे बूब्स चूसना, चुदाई करना, वगेरह खुला दिखाया जाता है. मेरे मन में भी बहुत इच्छा थी कि में ब्लू फ़िल्म देखूं. शाम को करीब ८ कबजे उसने सीडी लगाई. हमने एक एक जाम बनाया और पीते हुए देखने लगे. थोड़ी ही देर में स्क्रीन पर गरम गरम बातें होने लगी.
 
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“विक्की …ये तो लंड ..चूत की भाषा बोल रहे हैं ..”

” हाँ इस में सब कुछ खुला ही बोलते हैं ..”

मैंने पहली बार ब्लू फ़िल्म देखी थी इस लिए मुझे मजा आने लगा. मेरा लंड भी धीरे धीरे कब खड़ा हो गया मुझे पता ही नहीं चला. अचानक मुझे लगा विक्की मेरे लंड की और देख रहा है. मैंने संभलते हुए ऊपर एक कपड़ा डाल लिया. में रात के हिसाब से पजामा पहना था, अंडरवियर सोते समय नहीं पहनता था. मेरी नजर उस पर गयी तो उसका लंड भी सीधा खड़ा था, पर वो उसे छुपा नहीं रहा था. बल्कि उसे धीरे धीरे मसल रहा था .
“क्या मस्त चुदाई चल रही है …”

“हाँ यार … उसकी चूत तो देख …” मैं बोला।

“और उसका लंड … क्या मोटा है …”

उसने मेरी जांघ पर हाथ रख कर दबाया. मेरे मन के तार झनझना गए.

मैंने कहा – “यार रोज ही एक सीडी ले आया कर … ये तो मस्त चीज है …”

उसने मेरे ऊपर से कपड़ा खींच लिया ..

“यार तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है …”

“अरे … मत कर …न ”

“मर्द है तो खड़ा तो होगा ही … ये तो साधारण सी बात है …”

मैंने देखा कि उसका लंड भी जोर मार रहा था .. उसने सीधे ही मेरा लंड पकड़ लिया ..

“..ये तो बहुत कड़क हो गया है. .”
 
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” इस को छोड़ यार … हाथ हटा …” मैंने उसका हाथ पकड़ लिया पर लंड छुडाया नहीं. वो समझ गया कि मुझे मजा आ रहा है. सच में उसने मेरा लंड पकड़ा तो में आनंद से भर गया था. मेरे मन में भी अब उत्तेजना भर गयी थी. मुझे लग रहा था कि वो मेरी मुठ मार दे ..बस. मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड को पकड़ लिया.

“हाय संजू … अब जरा दबा दे …”

मैंने उसे दबा दिया. उसने तुंरत अपना पजामा उतर दिया. उसके पजामा उतारते ही मैंने उसके लंड कि सुपारी खोल दी. और सुपारी को उँगलियों से दबाने लगा.

“हाँ संजू …घिस डाल … अपना पजामा भी तो उतार दे …”

मैंने अपना पजामा उतार दिया. उसने तुंरत ही मेरे लंड को मसलना चालू कर दिया.

मेरे मुंह से भी सिसकारी निकल गयी … मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था.

“और जोर से पकड़ कर मुठ मार …ओ ऊ ऊई ईई ”

“संजू तुम्हारा लंड तो बहुत प्यारा है …मेरी गांड में घुसाओगे क्या …”

“तुम बताओ … कैसे घुसाते हैं ..”

वो बिस्तर पर घोडी बन गया. मेरे से कहा – “अपना लंड मेरी गांड में घुसा दो …” मैंने अपना लंड उसकी गांड में रखा और दबाने लगा पर वो नहीं जा रहा था. उसने कहा “थोड़ा थूक लगा कर चिकना कर दो …”

मैंने थूक लगा कर जोर लगाया तो मेरे लंड की सुपारी अन्दर घुस गयी. पर मेरे लंड में जलन होने लगी।सुपारी के नीचे वाली झिल्ली फट गयी थी. और लंड की चमड़ी पूरी तरह से ऊपर चढ़ गयी. मैंने घबरा कर लंड बाहर निकाल लिया.

“मुझसे नहीं होता है …ये सब ..”
 
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“अच्छा तो तुम घोडी बन जाओ …”

उसने मुझे घोडी बनाया और कहा -“देखो मैं बताता हूँ …”

विक्की एक्सपर्ट था. उसने मेरी गांड में थूक लगाया और लंड गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया तो उसकी सुपारी मेरी गांड के अन्दर घुस गयी. उसने मेरा लंड नीचे से पकड़ लिया. ये सब करने से मैं बहुत उत्तेजित हो उठा था. मेरा लंड कड़ा हो कर फटा जा रहा था .उसने धक्का लगा कर अपना लंड पूरा गांड में घुसा दिया.

“क्या चिकनी गांड है संजू ” … उसने मेरा लंड मसलते हुए कहा. बीच बीच में मुठ भी मारता जा रहा था .मुझे गांड मराने में मजा आने लगा. गांड का छेद टाइट होने से वो ज्यादा देर नही टिक सका. और धक्के मारते मारते वो झड़ गया.उसने लंड गांड में ही रहने दिया. और कस कस कर मेरे लंड की हाथ से मुठ मारने लगा. कुछ ही देर में मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है. मैं मस्ती में आँखें बंद किए था. मेरे लंड को मुठ मारने से अब कुछ कुछ होने लगा था. निकलने जैसा होने लगा था. अचानक अन्दर से लावा बाहर आने लगा.

“अरे …आ आह ह्ह्ह …आ अहह हह … ये क्या …अरे छोड़ मेरा लंड … ” कहते हुए मेरी धार अपने आप ही निकल पड़ी. उसने अब अपनी उँगलियों से लंड को हलके हलके खीचने लगा. मेरी पिचकारी रुक रुक कर निकलती रही. मुझे लगा मेरी गांड में से भी उसका वीर्य निकल रहा है. मैं बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और तोलिये से मेरे लंड और गांड को पोंछने लगा.

विक्की मुस्कराया ..”मजा आया न …”

“हाँ ये मेरा पहला एक्सपेरिएंस था …”

“इसमे कोई बदनामी का कोई खतरा नही … अपने मजे करो … और अपना पानी निकाल दो …”

हम दोनों हंसने लगे।
 
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देखा आपने, ये संजय है. ये लड़के कितनी मस्ती मारते हैं. संजय की होमो की कहानी आगे भी चलती रही.

पर मैं इसमे कहाँ थी … जी हाँ मैं इस कहानी मैं ही हूँ.

जानते हैं आप …अब मेरी कहानी सुने …

संजू की बैठक और मेरी बैठक आमने सामने है. मेरा बेड रूम और मेरा किचेन भी आमने सामने है. जब संजू बैठक में रहता है तो रात को लाइट बंद करके खिड़की पर बैठ कर उसे देखती रहती हूँ. कभी कभी वो कपड़े बदलता है तो नंगा भी हो जाता है. सभी कुछ साफ़ दिकता है. वो कोई सीडी देखता है तो उसके हाव भाव और हरकतें देखती रहती हूँ.

… पर यही नही, बदले में मैं भी बेडरूम में उसको दिखाने के लिए अपने स्तनों को दबाती हूँ. अंगडाई लेती हूँ. सोने से पहले अपने कपड़े पूरे उतार कर सकर्ट और टॉप पहनती हूँ. पर वो देखता है या नहीं मैं नहीं जानती हूँ.

मुझे वाइरल ज्वर हो गया था. मैं ऑफिस नहीं गयी थी. शाम को संजय मिलने आया. मुझे देख कर बोला -“तुम्हे बुखार हो रहा है …चलो मै डॉक्टर को दिखा दूँ ” वो मुझे जबरदस्ती क्लीनिक पर ले गया. डॉक्टर ने ५ दिन की दवाइयाँ दे दी. हम वापस घर आ गए।

मैं तो ख़ुद अपना खाना पकाती थी. पर संजय का टिफिन आता था. संजय सामने अपने घर चला गया. थोडी ही देर में संजय ने फिर दरवाजा खटखटाया – मैंने उसे अन्दर बुला लिया. वो अपना टिफिन लेकर आया था. उसने मुझे खाना खिलाया और फिर बचा हुआ ख़ुद उसने खाया और चला गया. मैं उसे देखती रह गयी. अब संजय मुझे सुबह, दिन और शाम को देखने आता था … मेरी पूरी देख रेख करता था. पॉँच दिनों में मैं बिल्कुल ठीक हो गयी. मैं उसके अहसान से दब गयी. पर इस बारे में न वो कुछ कहता … ना मैं ही कुछ कहती. जब मैं खाना बनाती तो उसको जरुर भेजती थी. बाद मैं मैंने उसका टिफिन बंद करवा दिया. अब वो मेरे घर पर ही खाता था. वो जब किचेन की खिड़की पर होता तो मैं उसे हाथ हिलती और जो भी बनाती उसे बताती. हम दोनों अब बहुत घुल मिल गए थे. बल्कि ऐसा लगता था कि हमें एक दूसरे से प्यार हो गया है.

एक बार शाम को मैं बाज़ार से लौटी और कमरे में घुसी तो सामने खिड़की में से संजय दिखा. वो अपना हाथ से अपने पजामे के ऊपर से लंड को दबा रहा था. मैंने बत्ती नहीं जलाई और देखती रही और रोमांचित हो उठी. वो बेखबर हो कर कभी लंड को सीधा करता और अपनी मुट्ठी में भर लेता और दबाता. कभी उगलियों से लंड दबा कर ऊपर नीचे करता. उसने अब अपने पजामे का नाडा खोला और अपने लंड को बाहर निकाला. और देखता रहा. फिर उसने अपने लंड की चमड़ी ऊपर कर दी. उसका एक तो इतना मोटा लंड फिर लाल लाल मोटी सुपारी … मैं तो सिहर उठी … मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी. मैं उत्तेजित हो उठी. मेरे स्तनों में कड़ापन आने लगा. चुंचियां कड़ी होने लगी … उसने तभी अपना रिमोट उठाया और कोई बटन दबाया …

ओह ! तो संजय कोई फ़िल्म देख रहा था … पर कैसी फ़िल्म?
 

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बहुत ही शानदार शुरुवात है
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी
जल्दी से दिजिएगा
 
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मैं किचेन में गयी …और आइस की केन उठाई. पीछे के दरवाजे से मैंने उसका दरवाजा खटखटाया. उसने तुंरत ही उठ कर दरवाजा खोल दिया. पर अपने खड़े हुए लंड को नहीं छुपा सका. मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी. खड़ा लंड देख कर मैं शरमा गयी वो भी झट से हाथ से छिपाने की कोशिश करने लगा. मैं अन्दर आ गयी. इतने में संजय लपक कर आया – “रुक जाओ कामिनी ..”

पर मैं अन्दर आ चुकी थी … उसने सीडी का मैं स्विच ही बंद कर दिया. मैंने ब्लू फ़िल्म की झलक देख चुकी थी. अनजाने बनते हुए पूछा -“कोई अच्छी फ़िल्म थी …बंद क्यूँ कर दी …”

“कुछ नहीं … ऐसे ही …” वो हडबडा गया “कोई काम था क्या …”

“हाँ बर्फ लेने ई थी …”

उसने अपना फ्रीज खोला और ट्रे खाली कर दी. मैंने इतनी देर में उसे छेड़ने के लिए सीडी का स्विच ओन कर दिया. फ़िल्म फिर से चलने लगी. संजय ने जल्दी से आकर फिर से बंद करदी.

“कामिनी मत देखो …ये बडों की फ़िल्म है …”

“अच्छा नहीं देखती ..बस … पर खिड़की तो बंद कर लिया करो … फ़िल्म से अच्छा तो वो सीन था ..”

संजय घबरा गया. मैं उसे देखती रही.

“मुझे भी दिखा दो ..बड़ों की ये फ़िल्म ..” मैंने फिर से सीडी ओन कर दी …चुदाई के सीन चल रहे थे … मैंने पहली बार ब्लू फ़िल्म देखी थी … मेरे रोंगटे खड़े हो गए … मेरी टांगे काम्पने लगी … मैं वहीं कुर्सी पर बैठ गयी …

“संजय .. ये क्या … हाय रे. …”

“बस देख तो लिया …बंद कर दो प्लीज़ ..”

” प्लीज़ संजय …देखने दो न …” मैंने रिक्वेस्ट की. संजय पास ही खड़ा था. मैंने उसकी टांग पकड़ ली. और अपनी तरफ़ खीच ली.

“संजय ये बड़ों की फ़िल्म नही है …ये तो हम जैसे जवानों के लिए है …देखो तो सही ..”

मैंने पजामे से हाथ ऊपर बढ़ा कर उसके चूतडों को पकड़ लिया .और जोश में अपनी तरफ खींचने लगी. मैं सब कुछ भूलती जा रही थी. जाने कब उसका लंड मेरे मुंह के करीब आ गया. और मेरे मुंह अपने आप खुलते गए. एक मोटा मोटा नंगा लंड मेरे मुंह में घुसता चला गया. संजय भी सब कुछ भूल कर अपना लंड बाहर निकल कर मेरे मुंह से सटा दिया. मैंने उसके लंड को चूसना चालू कर दिया. मैं मस्त हो उठी. संजय भी मेरे मुंह में धक्के मरने लगा. मैं कुर्सी से उठी और उस से लिपट गयी …

“संजय …अब रहा नही जाता है. .प्लीज़ अब कुछ करो न …” मैं बहुत उत्तेजना से भर उठी.
 
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