देखा आपने, ये संजय है. ये लड़के कितनी मस्ती मारते हैं. संजय की होमो की कहानी आगे भी चलती रही.
पर मैं इसमे कहाँ थी … जी हाँ मैं इस कहानी मैं ही हूँ.
जानते हैं आप …अब मेरी कहानी सुने …
संजू की बैठक और मेरी बैठक आमने सामने है. मेरा बेड रूम और मेरा किचेन भी आमने सामने है. जब संजू बैठक में रहता है तो रात को लाइट बंद करके खिड़की पर बैठ कर उसे देखती रहती हूँ. कभी कभी वो कपड़े बदलता है तो नंगा भी हो जाता है. सभी कुछ साफ़ दिकता है. वो कोई सीडी देखता है तो उसके हाव भाव और हरकतें देखती रहती हूँ.
… पर यही नही, बदले में मैं भी बेडरूम में उसको दिखाने के लिए अपने स्तनों को दबाती हूँ. अंगडाई लेती हूँ. सोने से पहले अपने कपड़े पूरे उतार कर सकर्ट और टॉप पहनती हूँ. पर वो देखता है या नहीं मैं नहीं जानती हूँ.
मुझे वाइरल ज्वर हो गया था. मैं ऑफिस नहीं गयी थी. शाम को संजय मिलने आया. मुझे देख कर बोला -“तुम्हे बुखार हो रहा है …चलो मै डॉक्टर को दिखा दूँ ” वो मुझे जबरदस्ती क्लीनिक पर ले गया. डॉक्टर ने ५ दिन की दवाइयाँ दे दी. हम वापस घर आ गए।
मैं तो ख़ुद अपना खाना पकाती थी. पर संजय का टिफिन आता था. संजय सामने अपने घर चला गया. थोडी ही देर में संजय ने फिर दरवाजा खटखटाया – मैंने उसे अन्दर बुला लिया. वो अपना टिफिन लेकर आया था. उसने मुझे खाना खिलाया और फिर बचा हुआ ख़ुद उसने खाया और चला गया. मैं उसे देखती रह गयी. अब संजय मुझे सुबह, दिन और शाम को देखने आता था … मेरी पूरी देख रेख करता था. पॉँच दिनों में मैं बिल्कुल ठीक हो गयी. मैं उसके अहसान से दब गयी. पर इस बारे में न वो कुछ कहता … ना मैं ही कुछ कहती. जब मैं खाना बनाती तो उसको जरुर भेजती थी. बाद मैं मैंने उसका टिफिन बंद करवा दिया. अब वो मेरे घर पर ही खाता था. वो जब किचेन की खिड़की पर होता तो मैं उसे हाथ हिलती और जो भी बनाती उसे बताती. हम दोनों अब बहुत घुल मिल गए थे. बल्कि ऐसा लगता था कि हमें एक दूसरे से प्यार हो गया है.
एक बार शाम को मैं बाज़ार से लौटी और कमरे में घुसी तो सामने खिड़की में से संजय दिखा. वो अपना हाथ से अपने पजामे के ऊपर से लंड को दबा रहा था. मैंने बत्ती नहीं जलाई और देखती रही और रोमांचित हो उठी. वो बेखबर हो कर कभी लंड को सीधा करता और अपनी मुट्ठी में भर लेता और दबाता. कभी उगलियों से लंड दबा कर ऊपर नीचे करता. उसने अब अपने पजामे का नाडा खोला और अपने लंड को बाहर निकाला. और देखता रहा. फिर उसने अपने लंड की चमड़ी ऊपर कर दी. उसका एक तो इतना मोटा लंड फिर लाल लाल मोटी सुपारी … मैं तो सिहर उठी … मेरे बदन में चींटियाँ रेंगने लगी. मैं उत्तेजित हो उठी. मेरे स्तनों में कड़ापन आने लगा. चुंचियां कड़ी होने लगी … उसने तभी अपना रिमोट उठाया और कोई बटन दबाया …
ओह ! तो संजय कोई फ़िल्म देख रहा था … पर कैसी फ़िल्म?