Update 18
अब मेरे ससुर और वैध जी ने मिलकर मेरी भोलीभाली कविता दीदी के बुर को चोदने का खतरनाक प्लान बनाने लगे
वैध जी -- यार चौधरी (मेरे ससुर) बहुत मस्त माल हैं बे कैसे पटाया
ससुर जी - पटाया नहीं बस किसी तरह से मना कर लाया हूं एकदम पटाखा है पटाखा
वैध जी - वो तो है
ससुर जी - कैसे इस फुलझड़ी की ठुकाई की जाए
वैध जी - इस माल को पहले हमलोग मजा लेंगे फिर आराम से चोदेंगे
ससुर जी - मुझे तो हार्डकोर फक्किंग का मन करता है ताकि कविता की चिल्लाहट इस पुरे जंगल में गूंजे
वैध जी - मेरे पास एक आइडिया है
ससुर -वो क्या
वैध जी -वो सब मेरे उपर छोड़ दो बस तुम देखते jawo
पता नहीं वैध जी के मन में क्या चल रहा था इस समय तो ससुर जी और मैं भी नहीं जान पाया
फिर दोनों अन्दर तक आए मैं तब तक आंगन में आ चुका था
वैध जी - बेटा रोशन , कविता कहा है
मैं - वो तो कमरे में थी
वैध जी - तो उसे बुला लो भोजन तैयार है और कुछ बातें भी हो जायेगी सबसे उपचार के बारे में
मैं - ठीक है
फिर दीदी को आवाज दी कमरे में जाकर वो ऐसे ही लेटी हुई थी
मैंने कहा की वैद्य जी बुला रहे हैं तो वो तुरंत ही ऐसे ही चली आई
कविता दीदी की मस्त गुदाज जांघें उस चांदनी रात में चमक रहा था जिसको देख ससुर और वैध जी का लन्ड फूलने लगा था
रात के समय बाहर आंगन में भोजन करने से पहले मेरे ससुर, दीदी ,मैं और तब वैध जी आए और कहा
वैध - रोशन का लकवा बीमारी ठीक कराने के लिए सबसे पहले इसका खड़ा करना होगा
ससुर - क्या.... खडा.. करना ...... मतलब
दीदी - वैध जी रोशन तो अपने आप खड़ा हो जाता है आजकल
दीदी ने बड़े ही मासूमियत से कहा
वैध - वो उसका सामान खड़ा करना होगा
मैं (सब कुछ जानकर भी पुछा)- कौन सा सामान वैध जी
वैध जी - वही जो सबके पास हैं
ससुर जी ने जानबूझ कर जोर देकर कहा
ससुर जी - आप खुल कर बोले वैध जी
तभी वैध जी ने तपाक से जवाब दिया
वैध जी - अरे वो इसका सबसे पहले लन्ड को खड़ा और कड़ा करना होगा तभी इसका उपचार सफल होगा
(नहीं तो इसका माल को भी कोई और गेम बजाएगा ये बात वैद्य जी ने धीरे से बुदबुदाए)
ये सुन कर कविता दीदी तो झेप गईं और अपनी नजरे झुका ली
ससुर जी -पर कैसे इसका लन्ड खड़ा करना होगा
वैद्य जी - इसमें कविता को सहयोग करना होगा
दीदी - मुझे क्या करना होगा
वैध जी - रोशन तुम जरा कमरे में जाना कुछ जरूरी बात करनी है तेरी दीदी से
वैध जी ने मुझे आदेश दिया
मैं - जी
बोलकर मै बैसाखी के सहारे कमरे में आ गया पर मुझे सब कुछ सुनाई दे रहा था
वैद्य - कविता तुझे रोशन को अपने अदाओं और कामुक अंगों से उसे रिझाना होगा
कविता दीदी - ये कैसी बातें कर रहे हैं आप लोग
ससुर - तभी रोशन ठीक हो सकता है
दीदी - पर मैं ये कैसे..........
वैद्य जी - और कोई उपाय नहीं है करना तो होगा अपने भाई के लिए
कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने धीरे से अपनी हामी भरी
जिसे देख कर ससुर और वैध अपने प्लान को सफल होते ही मुस्कुराने लगे
फिर सबने रात का खाना खाया और सोने की तैयारी शुरू की
वैद्य जी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया
वहां पर एक desktop
लगा था जिसे वैद्य जी ने ऑन किया तो दीदी पूरा कमरा नजर आने लगा
वैद्य ने उस कमरे को पूरा सीसीटीवी कैमरे से लैस कर रखा था जिसमें दीदी को रहने दिया गया था पर ये गुप्त कैमरा था क्योंकि मुझे कहीं नजर नहीं आया था जब मैंने कविता दीदी को बुलाने गया था
हर रोज की भांति दीदी सोने से पहले नहाती थी तो देखा रूम में जाकर उसने अपनी ड्रेस उतार दी और बाथरूम में गई और अपने बदन को मल मल कर नहाने लगी
psalm 08
दीदी के तन पर एक सूत का धागा तक नहीं था
उसकी चूचियां, गहरी नाभि, केले के तने समान गोरी गोरी जांघें और उन गुदाज जांघों के बीच हल्की हल्की झुरमुटो मे से दिखी पतली सी बुर की दरार
जो किसी को भी मदहोश करने के लिए काफ़ी थी
कविता दीदी लग रहा था कहीं खोए हुए सी है और नहा रही थीं
शायद कई दिनों से चुदी नहीं और उसे भी लन्ड की तड़प हो रही हो तभी वो बार बार अपनी चूचियों को मसल रही थीं और अपने चूत को सहला रही थी
वैध - कुछ हो रहा है रोशन
मैं - छी..... आप मुझे ये क्या दिखा रहे हैं
वैध ने मुझे समझाया की केवल दीदी को अभी एक पुरूष की नजर से देखो
वो एक गदराई स्त्री है जिसे सिर्फ और सिर्फ लन्ड की प्यास है
मैने हामी भरी फिर मजे लेने लगा अब दीदी मुझे केवल कमसिन औरत लग रही थी
इधर वैद्य जी के लन्ड ने फुफकार लेना शुरू किया और उनके लुंगी में एक तम्बू जैसा बन गया
वो भी मजे लेने लगा
कुछ देर बाद दी नहा कर बाहर निकल आई और वस्त्र धारण कर किचन की ओर गई वहां पहले से ही मेरे ससुर मौजूद थे और
मेरे ससुर ने दीदी की साड़ी पकड़ लिया
कविता ने अपनी साड़ी छुड़ाने की कोशिश की तो ससुर जी ने खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया फिर एक बर्फ का टुकड़ा उठा कर दीदी की मुलायम पीठ पर फिराने लगा
दीदी की आंखें बन्द हो कर रह गई वो कुछ बोली नहीं
पर फिर उसने ससुर के हाथों को अपने मुंह से काट लिया और कमरे की ओर जाने लगी
पीछे से मेरे ससुर जी भी उसके रूम में आ गए और दीदी को फिर से बेड पर लिटा कर उसके गहरी नाभि में बर्फ के टुकड़े से नाजुक अंगों को सहलाने लगे
अब दीदी से रहा नहीं गया और
कविता - हम्मम्म.............. अह्ह्ह्हह.....
अंकल जी उफ्फ........
marc community resources
छोड़िए न अंकल जी plz
पर मेरे ससुर कहा उसकी सुनते वो तो बस...... मजे लेने मे थे दीदी की गदरायी जवानी का
ससुर ने फिर दीदी को पलट दिया और गोरी गोरी पीठ पर बर्फ से रगड़ने लगा
दीदी का मादक बदन बर्फ के पिघलने से भींग रहा था और एक मादक खुशबू हमारे कमरे तक भी आ गई थी
दीदी गर्म होने लगी थी उसकी हलकी हलकी आवाजे आ रही थी
दीदी - उईईईईईई............ मां... आआ.....
ससुर - आज कविता मेरी जान तुझे जी भर कर चोदूंगा
दीदी - नहीं ...... ईईईईई
ससुर जी - तुझे भी लन्ड की जरुरत है
बोलकर ससुर जी ने दीदी की ब्लाउज और ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी गोरी गोरी पीठ को चूमने लगा
कविता कसमसा उठी उसकी सांसे तेज हो चली थी जिससे उसके उन्नत वक्ष (दूध की कटोरी) उछल रही थी और मुख से सिसकारी निकलने लगी जो शांत वातावरण को चीर डाला
दीदी - अअह्ह्ह्ह.................!!
ससुर जी ने धीरे से उसकी झीनीदार साड़ी को दीदी के गोरे बदन से अलग कर दिया और उसके गले पर चुम्बनो की बौछार लगा दी
ससुर के हाथों ने ब्रा के उपर से ही चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगे फिर एक एक कर ब्लाउज और ब्रा को जिस्म से अलग कर दीदी को कमर तक बिल्कुल न्युड कर दिए
अब उसने अपने होंठो को दीदी के होंठ से मिलाया और चूसने लगे
साथ ही चूची को पकड़ कर दबा रहे थे और अपने हाथों की उंगलियों से कविता के चूचियों की घुंडियो ( निप्पल) को घूमने लगे
जिससे दीदी के मादक बदन पर सेक्स की खुमारी छाने लगी
दीदी की पलके भरी हो रही थी और
दीदी - उम्मम्म्म...............
ससुर - कब से लन्ड नहीं ली हो डार्लिंग
दीदी (मदहोश हो कर)- पति के विदेश जाने के बाद से
ससुर - तेरे चूत को लन्ड चाहिए मोटा
दीदी - हा.......... हां.... अंकल जी ये बदन के अंग अंग को अपने लन्ड से चूम लो
कब से तरस रही थी बुर चुदवाने के लिए
अब ससुर जी ने अपनी मुख को दीदी की मस्त गोलाईयों ले गया और उसके गोलाईयों को चुसने लगे
और फिर पूरे बदन को जीभ से चाटने लगे
एक हाथ से पेटीकोट का डोरी खींच दिया जिसे दीदी की कमर पर पेटीकोट ढीली पड़ गई तो उसे भी निकाल दिया
साथ ही ससुर ने अपना मोटा लन्ड underwear
से निकाल
जिसे देख कविता का तो हलक सूख गया
दीदी (गर्म हो कर)- OMG इतना बड़ा और मोटा लन्ड
अब ससुर से नहीं रहा गया और उसने लन्ड कविता दीदी के मुंह में पेल दिया जिसे दीदी मस्त हो कर चुसने लगी
दीदी ने अपने लिपिस्टिक का red colour ससुर जी के मोटे मूसल पर चढ़ा दिया
दीदी पूरा आनंद के सागर में गोते लगाने लगी
उसकी बुर पनिया गई थी और उसकी पैंटी जवानी की रस से भींग चुकी थी अब
ससुर जी ने फिर जवानी की रस से सरोबर पैंटी को अपने दांतों से पकड़ कर खींचने लगा तो दीदी ने भी अपने चूतड को जरा उटका दिया और फिर एकमात्र
दीदी के मादक बदन पर बची हुई पारदर्शी पेंटी को नीचे उतारा अब दीदी मेरे ससुर जी के सामने पूरी नंगी पड़ी थी
सबसे पहले तो मेरे ससुर ने कविता दीदी के बुर के छेद के पास अपनी नाक ले कर एक जोर का सांस खींचा
दीदी की बुर की मदहोश भरी खुशबू से पूरा घर महक उठा
ससुर - वाह.... क्या जवानी की सुगन्ध है
और बुर को चूम लिया
कविता - awwwwwo...........hhhhhhhhh
फिर ससुर अपने उंगलियों से दीदी की बुर को खुरेदने लगा बड़े प्यार से
दीदी आंखे बन्द कर कसमसाने लगी उसके बदन मे ऐंठन होने लगा जब ससुर ने अपने जीभ के नोक से बुर की छेद पर दस्तक दी और
जीभ की नोक को बुर की दरार में नीचे से ऊपर की ओर किया
दीदी - यूईईईईईई...... म्म्म्म्म..........
अअह्ह्ह्ह्ह,,,,,, उफ्फ
फिर ससुर जी ने मेरी कामुक कविता दीदी को अपने गोद में लेकर बैठा दिया और
फिर दीदी की बुर में उंगलियों को घुसा कर घुमाने लगा और रस से भरी चूत में उंगलिया से ही चोदने लगा
दीदी - उईईईईईईई…...................... अअह्ह्ह्ह्हह................. की आवाजे निकाल रही थी
उस रात के शान्त वातावरण में दीदी की सीत्कार गूंज रही थी दूर तक
फिर मेरे ससुर जी ने कविता दीदी को सोफे पर लिटा दिया और और उसके दोनों जांघों को फ़ैलाकर अपने मुंह को दीदी के सबसे नाजुक अंग (गुलाबी बुर) पर रख कर खूब चूम रहा था
दीदी पूरा छटपटा उठी
दीदी का पूरा जिस्म लहराने लगा
ससुर ने दीदी की कलाइयों को पकड़ रखा था
दीदी -अअह्ह्ह............ आऊं........ उम्म्म........
दीदी सेक्स के सागर में गोते खा रही थी
कई दिनों के बाद कविता दीदी को भी जिस्म का सुख मिल रहा था
जिसे वो भर पूर मजा लेना चाहती थी
ऐसी चुदाई के लिए वो तड़प रही थीं
ससुर जी ने बहुत देर तक दीदी के हर अंगों को चूमा
और अपने मूसल सामान लन्ड से दीदी के बदन के हर भाग को टच किया
दीदी के माथे से लेकर पांव की ऐड़ी तक लन्ड को छुआया
फिर दीदी को उठा कर खड़े होकर बुर चाटने लगा
कुछ देर तक बुर का रस पीने के बाद
बेड पर लिटा दिया और फिर चूत के छेद में लन्ड का सुपाड़ा उलट कर लगाया और जोर का झटका लगा दिया
दीदी की चीख निकल गई
दीदी - उफ्फ ईईईई............maaaaaaaaa
ससुर जी का लन्ड आधा मेरी दीदी की बुर में समा गया फिर अपना लन्ड खींच कर बाहर किया और दुबारा लन्ड पेल दिया
अबकी बार पूरा लन्ड बुर के अन्दर
फिर मस्ती में चुदाई चालू
धीरे धीरे ससुर जी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी
कमरे में दोनों की सीत्कार गूंज रही थी
ठप ठप ...... थाप थाप की आवाजे आ रही थी
दीदी -ßssssssss....... सीईई........ अह्ह्ह्ह्ह
ससुर -अअह्ह्ह्हह.............
कुछ देर बेड मे चोदने के बाद
ससुर ने कविता दीदी को अपने बांहों में भर कर उठा लिया और चुदाई करने लगा इस तरह से
पूरा लन्ड कविता के चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मोटा लन्ड कविता के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था
ससुर जी कविता को पूरे रात भर कई बार अलग अलग स्टाइल में चोदा
फिर पूरा गर्म गर्म वीर्य कविता दीदी के बूर में उड़ेल दिया
दीदी का बूर वीर्य से लबालब भर कर चुने लगा
और आधा वीर्य कविता दीदी के गोरी गोरी चूची पर इस तरह से गिरा कर ससुर कमरे से बाहर चला गया
To be continued..............