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Adultery धर्मसंकट

अब चुदने की बारी रश्मि की है, अपना बूर किस किस को देगी ?


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Ketta

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भाग - २१
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कविता दी चूदाई के बाद वही वैध जी के घर के बाथरूम से नहा कर बाहर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया
कविता दीदी ने नहाने के बाद अपने कामुक बदन को एक पतली सी सफेद झीनीदार साड़ी से लपेट कर कर बाहर निकल आई जो उसके गोरे गोरे गीले बदन से चिपक कर उसके सीने की बड़े बड़े बूब्स को और भी खुबसूरत बना रही थी
क्या लग रही थी एकदम हाई प्रोफाइल रण्डी

नीचे उसने पैन्टी भी नही पहना था जिससे उसकी गुदाज जांघों के बीच में से मुलायम मुलायम घुंगरालू काले झांटे साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था



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वैध जी अब वापस आ चुके थे और साथ में उन्होंने कुछ और जड़ी बूटी लाया था आते ही उसने मेरे ससुर को आवाज़ लगाई
वैध जी - कविता तुम भी मेरे पास आना
मेरी दीदी अपनी बलखाती कदमों से वैध जी के पास आई और कहा क्या हुआ
वैध ने दोनों जड़ी बूटी जड़ी बूटी को मिलाकर पीसकर एक लिप सब बना दिया था और मेरे ससुर कविता को बताया कि यह हर दिन नहाने के बाद रोशन को उसके लन्ड पर लगा देना और 3 महीने के अंदर इसका लन्ड कड़क हो जाएगा वैध के मुंह से लन्ड शब्द सुनते हैं कविता की नजरे झुक जाती है

वैध - पर इससे पहले कल सुबह तुम्हें अपने भाई के लिए इस दवा को लेकर पूजा करनी होगी बगीचे में देवी के सामने

कविता दी - जी वैध जी मैं अपने भाई के लिए कुछ भी करूंगी

वैध जी - पर तुम्हें वहां देवी के पास जाने से पहले अपने शरीर के वस्त्र यहीं उतार कर जाना होगा बिल्कुल नग्न होकर और वहां इस दवा को देवी के सामने रखकर तुम्हें नंगी होकर देवी को खुश करना होगा और पूजा करके वापस आना होगा तभी या दवा रोशन के लिए कारगर होगा
वैध जी - कविता क्या तुम इतना कर पाओगी
दीदी - जी गुरु जी
वैध जी - ठीक है कल सुबह जाने से पहले ये काम करके वापस जाना


दो दिन से छोड़ने के बाद कविता दीदी थक चुकी थी और हो कमरे में जाकर सो गई मैं भी आज अपने कमरे में जल्दी सो गया अगले दिन सुबह कविता दीदी ने भाई जी के बताए अनुसार उसे दवा को लिया और अपने बदन के सारे वस्त्र उतार कर देवी के सामने जाकर पूजा करने लगी


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दीदी मैं पूजा किया और वापस झोपड़ी में आ गई फिर हम लोगों ने अपने ड्राइवर को फोन किया और कर मंगवा घर वापस आने के लिए

घर जाने के लिए हम लोग तैयार है और फिर कविता दी रेडी होकर बाहर निकलते हुए



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नीली साड़ी में कविता दीदी बहूत ही मस्त माल लग रही थी मेरे ससुर की तो आंखें दीदी की मोटी गांड़ पर ही अटक गई थी और चूचियां तो दीदी की ब्लाउस से बाहर आने को बेताब थी
कार पार्क कर ड्राइवर भी हमे बुलाने आया तो वो भी दीदी को देख कर लार टपकाने लगा

फिर हम लोग सीधे घर की ओर चाल दिए

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to be continued........
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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raani__

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Update 17



हमलोग गाड़ी से उतर कर उस मकान के पास आए और ससुर जी ने दरवाजे पर लगी कुंडी बजाई तो थोड़ी देर में एक आदमी निकला जिसे ससुर ने प्रणाम किया और बताया कि यही वैध जी हैं
फिर मैंने और दीदी ने भी प्रणाम किया
कविता दीदी के झुकते ही उसकी ब्लाउज के बीच से उसकी चूचियां की घाटी दिख पड़ी पर दीदी अपने आप को संभाल कर खड़ी हुई और बगल में एक पेड़ की डाल पकड़ कर पीठ कर खड़ी थी




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कविता दीदी की गोरी पीठ और नाजुक कमर ससुर और वैध जी के सामने थी जिसे दोनों घूर रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे

वैध जी - किसका इलाज करना है
ससुर - जी ये मेरा दामाद, रोशन का
वैध जी - अच्छा, आइए अन्दर
फिर हम सब अन्दर आकर बैठे, वैध जी भी हमारे सामने थे
वैध जी - इसका लगभग एक हफ्ता इलाज चलेगा यहीं पर
ससुर - ठीक है, गुरु जी बस मेरा दामाद ठीक हो जाएगा ना
वैध जी - जरूर


तभी दीदी बोली
दीदी - एक हफ्ता, पर यहां कैसे रहेंगे
वैध जी - रहना तो होगा बेटी, कमसेकम अपने पति को ठीक करने के लिए
वैध ने सोचा कि कविता मेरी बीवी है
मै - जी वो मेरी दीदी है
वैध जी - अच्छा, फिर तुम्हारी पत्नी कहां है
ससुर - वो एक काम में व्यस्त है इसलिए नही आई



वैध जी - अच्छा अपलोग को मै रूम दिखा देता हूं
फिर वहीं हमें एक रूम दे दिया गया रूम बड़ा था और उसी मे एक पार्टीशन था दोनों तरफ़ डबल बेड था
वैध जी - ठीक है आप लोग से कल सुबह बात होगी और इलाज शुरू होगा
तभी दीदी बोली


कविता दीदी - गुरु जी, रास्ते में एक नदी मिला था कितनी दूर होगा यहां से
वैध जी - अरे वो पास में ही है , क्यों जाना है तुम्हें
दीदी -जी
वैध जी - तो घर के पीछे से एक रास्ता है 5-10मिनट में पंहुच जायेगा
ससुर जी - चलो तीनों चलते हैं



फिर कुछ देर में हम सब नदी के किनारे पर थे बहुत ही अच्छा लग रहा था मैं तो वहीं घास पर बैठ गया
पर ससुर जी दीदी के पीछे पीछे घूमने गए वो दोनों दूर निकल गए पर मुझे दिख रहा था



मैंने अपना मोबाइल निकाला और peon ललन सिंह को फोन किया की वहा रश्मि और मेरे बॉस का क्या अपडेट है तो ललन ने एक विडियो भेजा और लिखा देख लेना
तभी अचानक दीदी की चिल्लाने की आवाज सुनाई दी
मै (जोर से)- क्या हुआ
ससुर -कुछ नहीं कविता का पैर फिसल गया और वो पानी में गिर पड़ी फिर मैं भी धीरे से उठा और उनकी ओर चला थोड़ी पास आकर देखा तो सांस रुक गई


ससुर ने कविता दीदी को गोद में उठाया दीदी का मादक बदन पूरा ठंडा पानी से भींग चूका था
दीदी ने निकलते वक्त एक पीला रंग का साड़ी और ब्लैक ब्रा ही पहना था


ससुर गोद में लेकर दीदी के होंठों को चूमने लगे दीदी शरमा रही थी और अपना मुंह फेर रही थी फिर भी ससुर ने चूम लिया
फिर दीदी को पानी में नीचे उतारा और उसकी गहरी नाभि में पानी की बूंदे चुवाने लगा दीदी कसमसाने लगी


ससुर धीरे धीरे कविता के गालों गर्दन और पीठ को सहलाने लगा और किस 💋💋💋 कर रहा था
दीदी की सांसों की आवाजे मुझ तक पुहंच रही थी
दोनों अपने मे मस्त थे


दी - उफ्फ............. मत करों ना अंकल जी
पर ससुर ने तो सुनना ही छोड़ दिया और दीदी की मस्त गोलाईयों को अपने हाथों में लेकर मसलना चालू किया
दी - उईई......... अह्ह्ह्ह.......
उम्मम्म......... यहां कोई देख लेगा छोड़ो

ससुर - कोई नहीं है ,
दीदी कंपकपी आवाज में बोली भाई है
ससुर - तेरे भाई के सामने ही चोदूंगा तुझे

दीदी भी पुरा गर्म हो गई थी अब
पर केवल न ही कर रही थी
यहां आने के बाद कई दिनों से लन्ड नहीं मिला था


इस तरह से नदी में लिपटा चपटी हो रहा था













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तभी दूर कुछ शोर सुनाई दिया तो ससुर और दीदी अलग होकर जल्दी से नदी से निकाल लिए और हमलोग घर की ओर जाने लगे क्योंकि शाम हो गई और सुनसान जगह था
ससुर कुछ कर नहीं पाया
वैध जी के घर आने पर
वैध जी - अरे कैसे भींग गई बेटी
दी - वो पैर फिसल गया था
गीले कपड़ों में दी का सारा कमसिन जवानी उभर कर सामने दिख रही थी जिसे वैध जी ने भी आंखे सेक ली
वैध जी निकल कर घर के पीछे की ओर गए तो मैं भी टहलने लगा तो देखा की वैध जी कुछ फूल तोड़ते हुए बार बार बाई ओर तिरछी नजरों से देख रहे थे
मैंने पास आकर देखा तो दंग रह गया यहां से तो दी कमरा पूरा दिख रहा था जिसमें ये दिखा

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दी अंदर चेंज कर रही थी जिसे वैध जी छुप छुप कर देख रहे थे

To be continued.....
👏👏👏👏
 

raani__

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Update 18


वैध जी मेरी दीदी को कपड़े बदलते हुए देख रहा था और लार टपका रहा था
दीदी अन्दर बेखौफ अनजाने घर में अपने वस्त्रों को धीरे धीरे से उतरने लगी
पहले अपने साड़ी के पल्लू को हटाया

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उफ्फ क्या कमाल लग रही थी फिर आहिस्ते आहिस्ते अपने ब्लाउज के बटनों को खोलने लगी

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ब्लाउज के बटन खुलते ही कविता दीदी की सफेद रंग कि ब्रा जिसमें उसकी कड़क चूचियां फसी पड़ी थी जो मानो आजाद होने को बेकरार थी

दीदी ने ब्लाउज को अपने शरीर से अलग कर दिया और......

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फिर अपने हाथों को पीठ के बीच लेकर ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी चूचियां आजाद हो कर बाहर निकल आई
क्या खुबसूरत नजारा था जिसे वैध जी मजा ले रहा था फिर दीदी ने ब्रा भी उतार दिया

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और आगे अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी अब दीदी के ताजा जिस्म पर पर केवल नाम मात्र की एक पैन्टी बची हुई थी जिसे उसने तुरंत उतर कर पूरी लंगटी हो गई

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इधर वैध जी का लन्ड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था दीदी के मादक बदन को देख कर

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दीदी इस तरह से खड़ी हो गई थी अपने कपड़े उतार कर जिस्म पूरा संगमरमर सा चमक रहा था

तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी
मैं भी अंधेरे में झाड़ियों में दुबक कर देखने लगा तो देखा की ससुर जी भी बाहर निकाल कर आ रहे थे
और वैध जी वहां से खिसक लिए तभी दोनों का आमना सामना हुआ
ससुर जी - अरे वैध जी यहां क्या कर रहे हैं कब से आपके खोज रहा था मैं
वैध - वो मैं एक औषधि तोड़ रहा था आपके दामाद के लिए
वैध जी के हाथ में घास जैसी हरी हरी कुछ थी
उसे दिखा कर वैध जी ने ससुर जी से कहा
पर उसका लन्ड अभी तक अकड़ा हुआ था जिस पर मेरे ससुर की नजर पड़ी पर कुछ बोले नहीं

पर ससुर जी ने ताड़ लिया की वैध जी कुछ और ही कर रहे थे तो ससुर ने कहा
ससुर - आपका तो फुला हुआ है
वैध जी - क्या
ससुर - धोती
वैध जी - ऐसे ही
ससुर - क्या गुरु जी किसी स्त्री को देखे लिए क्या जो आपका खड़ा हो गया
वैध जी - हां
ससुर - किसे
वैध जी - बहुत मस्त maal है
ससुर - कौन माल
वैध जी - तेरे दामाद की बहन
ससुर - हां वैध जी एकदम कांटप माल हैं
आपको पसंद आई
वैध जी - मन कर साली को अभी ही चोद दूं
ससुर-पर आज की रात मैं कविता को चोदूंगा इस लिए तो आपके पास लाया हूं ताकि यहां आराम से चोद सकूं
वैध जी- पिछली बार जब तुमने अपने दोस्त की बेटी को फांस कर लाए थे उससे भी ज्यादा गर्म है तेरी दामाद की बहन


ससुर - हां पर साली ने अभी तक अभी तक मेरे लन्ड का स्वाद चखा नहीं है
वैध - नखरे बाज हैं क्या
ससुर - थोड़ा सा
वैध जी -चलो अन्दर चलते हैं नहीं तो दोनों भाई बहिन हमें खोजते खोजते यहां आ सकते हैं
फिर दोनों जाने लगे

मेरे ससुर जी और वैध जी की बाते सुनकर तो मैं दंग रह गया यानी मेरे बीमारी का बहाना बनाकर दोनों मेरी भोली भाली दीदी को चोदने का प्लान बना चूके थे अब देखना था की किस तरह से कविता को चोदेंगे

इधर दीदी बेड पर निढ़ाल पढ़ी थी


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To be continued.........
interesting
 

raani__

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Update 18



अब मेरे ससुर और वैध जी ने मिलकर मेरी भोलीभाली कविता दीदी के बुर को चोदने का खतरनाक प्लान बनाने लगे

वैध जी -- यार चौधरी (मेरे ससुर) बहुत मस्त माल हैं बे कैसे पटाया
ससुर जी - पटाया नहीं बस किसी तरह से मना कर लाया हूं एकदम पटाखा है पटाखा
वैध जी - वो तो है


ससुर जी - कैसे इस फुलझड़ी की ठुकाई की जाए
वैध जी - इस माल को पहले हमलोग मजा लेंगे फिर आराम से चोदेंगे
ससुर जी - मुझे तो हार्डकोर फक्किंग का मन करता है ताकि कविता की चिल्लाहट इस पुरे जंगल में गूंजे

वैध जी - मेरे पास एक आइडिया है
ससुर -वो क्या
वैध जी -वो सब मेरे उपर छोड़ दो बस तुम देखते jawo


पता नहीं वैध जी के मन में क्या चल रहा था इस समय तो ससुर जी और मैं भी नहीं जान पाया
फिर दोनों अन्दर तक आए मैं तब तक आंगन में आ चुका था


वैध जी - बेटा रोशन , कविता कहा है
मैं - वो तो कमरे में थी
वैध जी - तो उसे बुला लो भोजन तैयार है और कुछ बातें भी हो जायेगी सबसे उपचार के बारे में
मैं - ठीक है

फिर दीदी को आवाज दी कमरे में जाकर वो ऐसे ही लेटी हुई थी
मैंने कहा की वैद्य जी बुला रहे हैं तो वो तुरंत ही ऐसे ही चली आई


कविता दीदी की मस्त गुदाज जांघें उस चांदनी रात में चमक रहा था जिसको देख ससुर और वैध जी का लन्ड फूलने लगा था

रात के समय बाहर आंगन में भोजन करने से पहले मेरे ससुर, दीदी ,मैं और तब वैध जी आए और कहा

वैध - रोशन का लकवा बीमारी ठीक कराने के लिए सबसे पहले इसका खड़ा करना होगा

ससुर - क्या.... खडा.. करना ...... मतलब
दीदी - वैध जी रोशन तो अपने आप खड़ा हो जाता है आजकल
दीदी ने बड़े ही मासूमियत से कहा
वैध - वो उसका सामान खड़ा करना होगा
मैं (सब कुछ जानकर भी पुछा)- कौन सा सामान वैध जी

वैध जी - वही जो सबके पास हैं
ससुर जी ने जानबूझ कर जोर देकर कहा
ससुर जी - आप खुल कर बोले वैध जी
तभी वैध जी ने तपाक से जवाब दिया
वैध जी - अरे वो इसका सबसे पहले लन्ड को खड़ा और कड़ा करना होगा तभी इसका उपचार सफल होगा
(नहीं तो इसका माल को भी कोई और गेम बजाएगा ये बात वैद्य जी ने धीरे से बुदबुदाए)


ये सुन कर कविता दीदी तो झेप गईं और अपनी नजरे झुका ली

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ससुर जी -पर कैसे इसका लन्ड खड़ा करना होगा

वैद्य जी - इसमें कविता को सहयोग करना होगा
दीदी - मुझे क्या करना होगा
वैध जी - रोशन तुम जरा कमरे में जाना कुछ जरूरी बात करनी है तेरी दीदी से


वैध जी ने मुझे आदेश दिया
मैं - जी
बोलकर मै बैसाखी के सहारे कमरे में आ गया पर मुझे सब कुछ सुनाई दे रहा था
वैद्य - कविता तुझे रोशन को अपने अदाओं और कामुक अंगों से उसे रिझाना होगा


कविता दीदी - ये कैसी बातें कर रहे हैं आप लोग
ससुर - तभी रोशन ठीक हो सकता है
दीदी - पर मैं ये कैसे..........
वैद्य जी - और कोई उपाय नहीं है करना तो होगा अपने भाई के लिए

कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने धीरे से अपनी हामी भरी
जिसे देख कर ससुर और वैध अपने प्लान को सफल होते ही मुस्कुराने लगे


फिर सबने रात का खाना खाया और सोने की तैयारी शुरू की

वैद्य जी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया
वहां पर एक desktop 🖥️ लगा था जिसे वैद्य जी ने ऑन किया तो दीदी पूरा कमरा नजर आने लगा

वैद्य ने उस कमरे को पूरा सीसीटीवी कैमरे से लैस कर रखा था जिसमें दीदी को रहने दिया गया था पर ये गुप्त कैमरा था क्योंकि मुझे कहीं नजर नहीं आया था जब मैंने कविता दीदी को बुलाने गया था



हर रोज की भांति दीदी सोने से पहले नहाती थी तो देखा रूम में जाकर उसने अपनी ड्रेस उतार दी और बाथरूम में गई और अपने बदन को मल मल कर नहाने लगी

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दीदी के तन पर एक सूत का धागा तक नहीं था
उसकी चूचियां, गहरी नाभि, केले के तने समान गोरी गोरी जांघें और उन गुदाज जांघों के बीच हल्की हल्की झुरमुटो मे से दिखी पतली सी बुर की दरार
जो किसी को भी मदहोश करने के लिए काफ़ी थी
कविता दीदी लग रहा था कहीं खोए हुए सी है और नहा रही थीं


शायद कई दिनों से चुदी नहीं और उसे भी लन्ड की तड़प हो रही हो तभी वो बार बार अपनी चूचियों को मसल रही थीं और अपने चूत को सहला रही थी
वैध - कुछ हो रहा है रोशन
मैं - छी..... आप मुझे ये क्या दिखा रहे हैं


वैध ने मुझे समझाया की केवल दीदी को अभी एक पुरूष की नजर से देखो
वो एक गदराई स्त्री है जिसे सिर्फ और सिर्फ लन्ड की प्यास है
मैने हामी भरी फिर मजे लेने लगा अब दीदी मुझे केवल कमसिन औरत लग रही थी



इधर वैद्य जी के लन्ड ने फुफकार लेना शुरू किया और उनके लुंगी में एक तम्बू जैसा बन गया
वो भी मजे लेने लगा


कुछ देर बाद दी नहा कर बाहर निकल आई और वस्त्र धारण कर किचन की ओर गई वहां पहले से ही मेरे ससुर मौजूद थे और




मेरे ससुर ने दीदी की साड़ी पकड़ लिया
कविता ने अपनी साड़ी छुड़ाने की कोशिश की तो ससुर जी ने खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया फिर एक बर्फ का टुकड़ा उठा कर दीदी की मुलायम पीठ पर फिराने लगा
दीदी की आंखें बन्द हो कर रह गई वो कुछ बोली नहीं

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पर फिर उसने ससुर के हाथों को अपने मुंह से काट लिया और कमरे की ओर जाने लगी
पीछे से मेरे ससुर जी भी उसके रूम में आ गए और दीदी को फिर से बेड पर लिटा कर उसके गहरी नाभि में बर्फ के टुकड़े से नाजुक अंगों को सहलाने लगे
अब दीदी से रहा नहीं गया और
कविता - हम्मम्म.............. अह्ह्ह्हह.....
अंकल जी उफ्फ........

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छोड़िए न अंकल जी plz
पर मेरे ससुर कहा उसकी सुनते वो तो बस...... मजे लेने मे थे दीदी की गदरायी जवानी का
ससुर ने फिर दीदी को पलट दिया और गोरी गोरी पीठ पर बर्फ से रगड़ने लगा
दीदी का मादक बदन बर्फ के पिघलने से भींग रहा था और एक मादक खुशबू हमारे कमरे तक भी आ गई थी

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दीदी गर्म होने लगी थी उसकी हलकी हलकी आवाजे आ रही थी
दीदी - उईईईईईई............ मां... आआ.....
ससुर - आज कविता मेरी जान तुझे जी भर कर चोदूंगा
दीदी - नहीं ...... ईईईईई
ससुर जी - तुझे भी लन्ड की जरुरत है
बोलकर ससुर जी ने दीदी की ब्लाउज और ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी गोरी गोरी पीठ को चूमने लगा
कविता कसमसा उठी उसकी सांसे तेज हो चली थी जिससे उसके उन्नत वक्ष (दूध की कटोरी) उछल रही थी और मुख से सिसकारी निकलने लगी जो शांत वातावरण को चीर डाला
दीदी - अअह्ह्ह्ह.................!!
ससुर जी ने धीरे से उसकी झीनीदार साड़ी को दीदी के गोरे बदन से अलग कर दिया और उसके गले पर चुम्बनो की बौछार लगा दी
ससुर के हाथों ने ब्रा के उपर से ही चूचियों को पकड़ कर सहलाने लगे फिर एक एक कर ब्लाउज और ब्रा को जिस्म से अलग कर दीदी को कमर तक बिल्कुल न्युड कर दिए
अब उसने अपने होंठो को दीदी के होंठ से मिलाया और चूसने लगे
साथ ही चूची को पकड़ कर दबा रहे थे और अपने हाथों की उंगलियों से कविता के चूचियों की घुंडियो ( निप्पल) को घूमने लगे
जिससे दीदी के मादक बदन पर सेक्स की खुमारी छाने लगी
दीदी की पलके भरी हो रही थी और
दीदी - उम्मम्म्म...............
ससुर - कब से लन्ड नहीं ली हो डार्लिंग
दीदी (मदहोश हो कर)- पति के विदेश जाने के बाद से
ससुर - तेरे चूत को लन्ड चाहिए मोटा
दीदी - हा.......... हां.... अंकल जी ये बदन के अंग अंग को अपने लन्ड से चूम लो
कब से तरस रही थी बुर चुदवाने के लिए

अब ससुर जी ने अपनी मुख को दीदी की मस्त गोलाईयों ले गया और उसके गोलाईयों को चुसने लगे
और फिर पूरे बदन को जीभ से चाटने लगे
एक हाथ से पेटीकोट का डोरी खींच दिया जिसे दीदी की कमर पर पेटीकोट ढीली पड़ गई तो उसे भी निकाल दिया
साथ ही ससुर ने अपना मोटा लन्ड underwear 🩲 से निकाल
जिसे देख कविता का तो हलक सूख गया

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दीदी (गर्म हो कर)- OMG इतना बड़ा और मोटा लन्ड
अब ससुर से नहीं रहा गया और उसने लन्ड कविता दीदी के मुंह में पेल दिया जिसे दीदी मस्त हो कर चुसने लगी



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दीदी ने अपने लिपिस्टिक का red colour ससुर जी के मोटे मूसल पर चढ़ा दिया
दीदी पूरा आनंद के सागर में गोते लगाने लगी
उसकी बुर पनिया गई थी और उसकी पैंटी जवानी की रस से भींग चुकी थी अब

ससुर जी ने फिर जवानी की रस से सरोबर पैंटी को अपने दांतों से पकड़ कर खींचने लगा तो दीदी ने भी अपने चूतड को जरा उटका दिया और फिर एकमात्र
दीदी के मादक बदन पर बची हुई पारदर्शी पेंटी को नीचे उतारा अब दीदी मेरे ससुर जी के सामने पूरी नंगी पड़ी थी

सबसे पहले तो मेरे ससुर ने कविता दीदी के बुर के छेद के पास अपनी नाक ले कर एक जोर का सांस खींचा
दीदी की बुर की मदहोश भरी खुशबू से पूरा घर महक उठा
ससुर - वाह.... क्या जवानी की सुगन्ध है
और बुर को चूम लिया
कविता - awwwwwo...........hhhhhhhhh
फिर ससुर अपने उंगलियों से दीदी की बुर को खुरेदने लगा बड़े प्यार से
दीदी आंखे बन्द कर कसमसाने लगी उसके बदन मे ऐंठन होने लगा जब ससुर ने अपने जीभ के नोक से बुर की छेद पर दस्तक दी और
जीभ की नोक को बुर की दरार में नीचे से ऊपर की ओर किया
दीदी - यूईईईईईई...... म्म्म्म्म..........
अअह्ह्ह्ह्ह,,,,,, उफ्फ

फिर ससुर जी ने मेरी कामुक कविता दीदी को अपने गोद में लेकर बैठा दिया और

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फिर दीदी की बुर में उंगलियों को घुसा कर घुमाने लगा और रस से भरी चूत में उंगलिया से ही चोदने लगा
दीदी - उईईईईईईई…...................... अअह्ह्ह्ह्हह................. की आवाजे निकाल रही थी
उस रात के शान्त वातावरण में दीदी की सीत्कार गूंज रही थी दूर तक





फिर मेरे ससुर जी ने कविता दीदी को सोफे पर लिटा दिया और और उसके दोनों जांघों को फ़ैलाकर अपने मुंह को दीदी के सबसे नाजुक अंग (गुलाबी बुर) पर रख कर खूब चूम रहा था
दीदी पूरा छटपटा उठी
दीदी का पूरा जिस्म लहराने लगा
ससुर ने दीदी की कलाइयों को पकड़ रखा था
दीदी -अअह्ह्ह............ आऊं........ उम्म्म........
दीदी सेक्स के सागर में गोते खा रही थी
कई दिनों के बाद कविता दीदी को भी जिस्म का सुख मिल रहा था
जिसे वो भर पूर मजा लेना चाहती थी

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ऐसी चुदाई के लिए वो तड़प रही थीं
ससुर जी ने बहुत देर तक दीदी के हर अंगों को चूमा
और अपने मूसल सामान लन्ड से दीदी के बदन के हर भाग को टच किया
दीदी के माथे से लेकर पांव की ऐड़ी तक लन्ड को छुआया
फिर दीदी को उठा कर खड़े होकर बुर चाटने लगा

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कुछ देर तक बुर का रस पीने के बाद
बेड पर लिटा दिया और फिर चूत के छेद में लन्ड का सुपाड़ा उलट कर लगाया और जोर का झटका लगा दिया


दीदी की चीख निकल गई
दीदी - उफ्फ ईईईई............maaaaaaaaa
ससुर जी का लन्ड आधा मेरी दीदी की बुर में समा गया फिर अपना लन्ड खींच कर बाहर किया और दुबारा लन्ड पेल दिया
अबकी बार पूरा लन्ड बुर के अन्दर
फिर मस्ती में चुदाई चालू
धीरे धीरे ससुर जी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी
कमरे में दोनों की सीत्कार गूंज रही थी
ठप ठप ...... थाप थाप की आवाजे आ रही थी

दीदी -ßssssssss....... सीईई........ अह्ह्ह्ह्ह
ससुर -अअह्ह्ह्हह.............

कुछ देर बेड मे चोदने के बाद
ससुर ने कविता दीदी को अपने बांहों में भर कर उठा लिया और चुदाई करने लगा इस तरह से

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पूरा लन्ड कविता के चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मोटा लन्ड कविता के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था
ससुर जी कविता को पूरे रात भर कई बार अलग अलग स्टाइल में चोदा
फिर पूरा गर्म गर्म वीर्य कविता दीदी के बूर में उड़ेल दिया
दीदी का बूर वीर्य से लबालब भर कर चुने लगा

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और आधा वीर्य कविता दीदी के गोरी गोरी चूची पर इस तरह से गिरा कर ससुर कमरे से बाहर चला गया

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To be continued..............
amazing update
 

raani__

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Update 19


उस रात मेरे ससुर जी ने मेरी कामुक कविता दीदी को पूरी रात खूब चोदा उनकी चुदाई देख कर मेरे मुंह से लार टपक ने लगा और मैं रश्मि मेरी पत्नी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए सो गया
बगल में वैध जी भी सो गए

सुबह जब मैं उठा तो मेरे लन्ड मे हल्की सी हलचल पैदा हुई तभी दीदी अपनी मस्त चूतड़ों को मटकते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गई मैं तो देखता ही रह गया


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कविता दीदी ने केवल एक झीनीदार नाईटी पहने हुए थी जो पूरी तरह से पारदर्शी वस्त्र की थी और तो और उसने अभी न ब्रा और ना ही पैंटी पहनी हुई थी जिससे उसके उन्नत वक्ष स्थल और मक्खन सी मुलायम चूत पूरी तरह से दिख रही थी

दीदी - और रोशन नींद अच्छी तरह से आई रात को
मै - जी दीदी, पर लगता है कि आप रात भर जगी हो
दीदी,(सकपकाते हुए)- न.. न.. नहीं तो
ऐसा तुम्हें क्यों लगा
मैं - तुम्हारी आंखें बता रही हैं दीदी पूरी तरह से लाल है
दीदी - हां नया जगह मुझे जल्दी नींद नहीं आती
मैं - नया जगह या बिस्तर पर आपके साथ जीजू नहीं थे इसलिए
दीदी - धत तेरी की, कैसी बातें करते हो
मैं - और नहीं तो क्या
दीदी -वो तो है तेरे जीजू की याद आती है पर क्या करें
मैं - पर आप फिर भी एकदम फ्रेश और मस्त लग रही हो , सपने में कुछ हुआ क्या
दीदी - क्या हुआ होगा
मैं - वही
दीदी - क्या......
मैं - खेल
मैं जानबुझ कर उसे उसका रहा था
दीदी - खेल अरे कोन सा खेल
मैं -जवानी का खेल

दीदी शर्मा कर धीरे से छी*...... बोल कर जाने लगी
और मुड़ी ही थी कि उधर से वैध जी आ रहे थे और दी उनसे टकरा गई

उसके बड़ी बड़ी चूचियां वैद्य जी के सीने से जा टकराई वैध जी केवल एक लुंगी में थे
दीदी गिरने ही वाली थी तो वैध जी ने पकड़ लिया
वैद्य जी का लन्ड पूरा कड़क हो गया था और लुंगी के उपर से ही कविता दीदी के मखमली चूत को टच कर रहा था

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मेरा भी मूसल फड़फड़ाने लगा
वैद्य जी दीदी को पूरी तरह से अपने बांहों से जकड़ लिया
दीदी उसके कैद से अपने आप को छुड़ाने कि को कोशिश करने लगी पर कुछ कर नहीं पा रही थीं पर देखा की दीदी की पिंक निप्पल कड़क हो गई थी
दीदी कसमसाने लगी

दीदी - छोड़िए ना....... वैद्य जी
वैद्य जी - छोड़ दिया तो तेरे भाई का इलाज कैसे होगा
दीदी -क्या मतलब
वैद्य - उसकी ओर देखो
बोलकर वैद्य जी ने दीदी को पलट दिया अब वैध जी का लन्ड दीदी की गदरायी गांड़ में अपनी जगह ढूंढ रहा था
साथ ही वैद्य अब दीदी की चूचियों को मसलने लगा



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दीदी -अअह्ह.......................... हल्ह्ह्ह...........
मेरा लन्ड बाहर से ही फुफकार मारने लगा
वैद्य - रोशन का देख रही हो
दीदी - क्या
वैद्य - उसका लन्ड

लन्ड शब्द सुनते ही कविता दीदी के शरीर में सर से पांव तक कपकपा उठा

To be continued.…....
yessss
 

raani__

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Update २०

कविता के शरीर में गुदगुदी हो रही थी लेकिन वह अपने आप को वैद्य जी के चंगुल से छुड़ाना चाह रही थी क्योंकि उसका अपना भाई के सामने यह सब हो रहा था

रोशन भी टकटकी लगाए हुए वैधजी और दीदी कविता को देख रहा था
वैद्य जी - क्या हुआ , कविता क्यों कसमसा रही हो
कविता - छोड़िए ना.... वैद्य जी
वैद्य जी - यही तो इलाज है रोशन का
कविता - ठीक है पर,
वैद्य जी - पर क्या.....
कविता - कोई देख लेगा
वैद्य जी - कोई नहीं देखेगा
कविता - रोशन के ससुर जी
वैद्य जी - उसे मैने कुछ जड़ी बूटी खोजने के लिए पहले ही बाहर भेज दिया है

और फिर वैद्य जी ने कविता की कड़क चूचियों को मसलते हुए उसकी मुलायम मुलायम गोरी पीठ पर चुम्बनो की बौछार लगा दी

कविता सुबह सुबह ये सब नहीं चाह रही थी पर वो कुछ कर नहीं पा रही थी

वैद्य जी ने कविता की वस्त्रों को अब उसके मादक बदन से अलग करने लगा और कविता के कमर से उपर उसे बिलकुल नंगा कर दिया

अब वैध ने कविता की चूचियों की घुंडियो को घुमाना शुरू किया तो कविता भी मदहोश होने लगी

पर कविता अब भी बार-बार इंकार कर रही थी प्लीज छोड़ दीजिए

अब वैध ने एक ही झटके से उसकी गाऊन को खींच कर कविता के शरीर से अलग कर दिया कविता का बदन संगमरमर सा चमक उठा

रोशन का लन्ड पर भी अब खून दौड़ना शुरू कर दिया
रोशन देख कर अपने लन्ड को पकड़ कर रगड़ना चालू किया

कविता - मत कीजिए please
वैद्य जी - रोशन को देखो उसने कैसे अपने लन्ड को पकड़ लिया है यही वजह है कि मुझे तुमको अभी चोदना पड़ेगा
ताकि तेरा भाई दुबारा से मर्द बन सके


फिर वैद्य जी ने कविता को अपने कंधे पर उठा कर अन्दर बिस्तर की ओर बढ़ गया
पीछे पीछे रोशन भी टकटकी लगाए देख कर उनके पीछे चला



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और फिर कविता को बिस्तर में लिटा कर सीधे कविता के नाजुक बूर में अपनी ऊंगली फिराने लगा
और बूर ऊंगली डाल कर हिलाने लगा

कविता - छटपटाते हुए अअह्ह्ह्हह्ह....
उफ्फ........ अअह्ह्ह्हह्..........

कविता के बदन में सुरसुराहट होने लगा
कविता बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी
ये देख कर वैध जी को और जोश आ रहा था

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कविता - उम्मम्म्म......... आउच..............…....@@@@@@@@...... ईईईईईई.....…..........…उईईई......

कविता की सिसकारी दूर तक गूंज उठी
वैद्य जी ने देखा रोशन को बहुत मजा आ रहा था
कविता के चूत से काम रस रिसने लगा और कमरे मे एक मादक खुशबू की छटा बिखर गई जो रोशन और वैध जी के नाक में समा गई


अब वैध ने कविता के दोनों मांसल जांघो को फैला दिया और कविता के बूर से बहते काम रस को अपने लार से सने जीभ से चाटने लगा
कविता का जवानी का द्वार अब धीरे धीरे खुल रहा था उसके मादक बदन में थरथराहट होने लगी


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कविता - उम्मम्म ......
कविता मदहोश हो रही थी तो उसकी सिसकारी निकलने लगी
अअह्ह्ह,......…आव्वाव.......... म्म्म्म्म
वैध जी कविता के बूर को मस्ती में चाट रहे थे
कविता - बस कीजिए न वैध जी बूर चाटना अब बर्दास्त नहीं हो रहा मुझसे
वैध - कैसा लगा रहा , मेरी जान
कविता - मदहोशी में बोली , अब मेरे बूर को लन्ड चहिए







वैध - एक बार लन्ड चूसो ना,
कविता -नहीं
वैध - पर मैं डालूंगा लन्ड तेरे मुंह में
और बोलते हुए
वैद्य जी ने अपने लन्ड को कविता के मुंह में डाल दिया और जबर्दस्ती उसे चुसवाने लगा







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कविता के हलक तक अपने लन्ड को डाल दिया
कविता की तो हालत खराब हो गई

फिर वैद्य जी ने कविता को लिटा दिया और उसके बूर में अपना मोटा लन्ड अड़ा कर जोर दार झटका दिया
बारह इंच का लम्बा मोटा काला लन्ड कविता की बूर को चीरता हुआ अन्दर समा गया
कविता के मुंह से चीख निकल गई
और फिर कविता की रण्डी की तरह चुदाई करने लगा



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चोद चोद कर सारा वीर्य कविता के ऊपर उड़ेल दिया
फिर कविता चुदाने के बाद धीरे से उठी और बाथरूम की ओर चल पड़ी
कुछ देर बाद वैध जी ने अपना धोती कुर्ता उठाया और नंगे ही बाहर निकल कर तालाब में नहाने चले गए

कुछ देर में मेरे ससुर जी वापस लौट आए और मुझसे पूछा
ससुर - अरे कोई नहीं दिख रहा सब कहां है
मैं - किसे खोज रहे हैं पापा जी
ससुर - वैध जी कहा हैं
मैं - वो तो तालाब में नहाने चले गए
ससुर - अच्छा
पर मेरे ससुर जी इधर उधर देखने लगे वो मेरी कविता दीदी को खोज रहे थे पर कुछ बोले नहीं

मैं - आप कहां गए थे
ससुर - वो वैध जी ने ये जड़ी बूटी लाने को भेजा था
मैं - वो
तबतक दीदी नहा कर बाहर निकल कर हमारे पास आई


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एक पतली झीनीदार साड़ी में कविता दीदी बहुत सुन्दर लग रही थी उसकी गदरायी चूची उफ्फ।



To be continued.............
shaandaar
 
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