Update 18
वैध जी मेरी दीदी को कपड़े बदलते हुए देख रहा था और लार टपका रहा था
दीदी अन्दर बेखौफ अनजाने घर में अपने वस्त्रों को धीरे धीरे से उतरने लगी
पहले अपने साड़ी के पल्लू को हटाया
उफ्फ क्या कमाल लग रही थी फिर आहिस्ते आहिस्ते अपने ब्लाउज के बटनों को खोलने लगी
ब्लाउज के बटन खुलते ही कविता दीदी की सफेद रंग कि ब्रा जिसमें उसकी कड़क चूचियां फसी पड़ी थी जो मानो आजाद होने को बेकरार थी
दीदी ने ब्लाउज को अपने शरीर से अलग कर दिया और......
फिर अपने हाथों को पीठ के बीच लेकर ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी चूचियां आजाद हो कर बाहर निकल आई
क्या खुबसूरत नजारा था जिसे वैध जी मजा ले रहा था फिर दीदी ने ब्रा भी उतार दिया
और आगे अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी अब दीदी के ताजा जिस्म पर पर केवल नाम मात्र की एक पैन्टी बची हुई थी जिसे उसने तुरंत उतर कर पूरी लंगटी हो गई
इधर वैध जी का लन्ड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था दीदी के मादक बदन को देख कर
दीदी इस तरह से खड़ी हो गई थी अपने कपड़े उतार कर जिस्म पूरा संगमरमर सा चमक रहा था
तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी
मैं भी अंधेरे में झाड़ियों में दुबक कर देखने लगा तो देखा की ससुर जी भी बाहर निकाल कर आ रहे थे
और वैध जी वहां से खिसक लिए तभी दोनों का आमना सामना हुआ
ससुर जी - अरे वैध जी यहां क्या कर रहे हैं कब से आपके खोज रहा था मैं
वैध - वो मैं एक औषधि तोड़ रहा था आपके दामाद के लिए
वैध जी के हाथ में घास जैसी हरी हरी कुछ थी
उसे दिखा कर वैध जी ने ससुर जी से कहा
पर उसका लन्ड अभी तक अकड़ा हुआ था जिस पर मेरे ससुर की नजर पड़ी पर कुछ बोले नहीं
पर ससुर जी ने ताड़ लिया की वैध जी कुछ और ही कर रहे थे तो ससुर ने कहा
ससुर - आपका तो फुला हुआ है
वैध जी - क्या
ससुर - धोती
वैध जी - ऐसे ही
ससुर - क्या गुरु जी किसी स्त्री को देखे लिए क्या जो आपका खड़ा हो गया
वैध जी - हां
ससुर - किसे
वैध जी - बहुत मस्त maal है
ससुर - कौन माल
वैध जी - तेरे दामाद की बहन
ससुर - हां वैध जी एकदम कांटप माल हैं
आपको पसंद आई
वैध जी - मन कर साली को अभी ही चोद दूं
ससुर-पर आज की रात मैं कविता को चोदूंगा इस लिए तो आपके पास लाया हूं ताकि यहां आराम से चोद सकूं
वैध जी- पिछली बार जब तुमने अपने दोस्त की बेटी को फांस कर लाए थे उससे भी ज्यादा गर्म है तेरी दामाद की बहन
ससुर - हां पर साली ने अभी तक अभी तक मेरे लन्ड का स्वाद चखा नहीं है
वैध - नखरे बाज हैं क्या
ससुर - थोड़ा सा
वैध जी -चलो अन्दर चलते हैं नहीं तो दोनों भाई बहिन हमें खोजते खोजते यहां आ सकते हैं
फिर दोनों जाने लगे
मेरे ससुर जी और वैध जी की बाते सुनकर तो मैं दंग रह गया यानी मेरे बीमारी का बहाना बनाकर दोनों मेरी भोली भाली दीदी को चोदने का प्लान बना चूके थे अब देखना था की किस तरह से कविता को चोदेंगे
इधर दीदी बेड पर निढ़ाल पढ़ी थी
To be continued.........