ThankyouMarvelous jabardast update priya ji
शुरुआत अच्छी है मगर थोड़ी छोटी है।नयनतारा ग्रह
नयनतारा ग्रह पर शक्तिशाली लोगो की ही बोली चलती है। यहा सभी युद्धाभ्यास करते है। इस ग्रह पर साधारण व्यक्ति भी है। उनको राज्य सुरक्षा प्रदान कराती है। लेकिन इसके लिए उन्हें कर चुकाना होता है।
नयनतारा ग्रह चारो तरफ से समुंद्र से घिरा हुआ है। इसकी मुख्य भूमि पांच भाग में विभाजित है : केंद्रीय क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, उतरी क्षेत्र, दक्षणी क्षेत्र।
सभी क्षेत्र जंगल, मरुस्थल, ज्वालामुखी इत्यादि से बंटे हुए है। मुख्यभूमि में करीब 150 से अधिक छोटे - बड़े राज्य है।
मुख्य भूमि के सबसे पश्चिमी हिस्से में अमरावती जंगल है। यह बहुत ही घना जंगल है। इस जंगल के बीच में छत्तीस पहाड़िया है। इन पहाड़ियों से घिरा हुआ घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहां भी करीब 30-40 छोटे बड़े राज्य है। यहां रहने वाले लोग किसी साजिश के तहत या किसी प्रकार की संगीन अपराध के कारण देश से निकाल दिया गया तो वे यहां आकर रहने लगे।
अमरावती जंगल के चारो तरफ एक प्राकृतिक निषेध संरचना है। कोई भी नीले मंडल के नीचे के लोग यहां प्रवेश नहीं कर सकते है। ध्रुव उन्ही राज्य में से एक राज्य के सेनापति का नाती है।
युद्ध मंडल का विभागीकरण विस्तृत और जटिल है मतलब कहानी आगे रोचक होने वाली है।युद्ध मंडल
नयनतारा ग्रह पर योद्धा को निम्न युद्ध मंडल में बांटा जाता है।
आरंभिक युद्ध मंडल लाल युद्ध मंडल नारंगी युद्ध मंडल पीला युद्ध मंडल हरा युद्ध मंडल नीला युद्ध मंडल बैंगनी युद्ध मंडल पृथ्वी मंडल स्वर्ग मंडलप्रत्येक युद्ध मंडल को नौ भागो में तथा एक परम दायरे में बांटा गया है। परम दायरे में प्रवेश करने से उस योद्धा को अन्य योद्धाओं की अपेक्षा एक स्तर की अधिक ऊर्जा रहती है। प्रत्येक भाग को आरंभ, मध्यम तथा उत्तम भाग में बांटा गया है।
बाकी सब कहानी मे पता चलता रहेगा।
कहानी की शुरुआत अच्छी हुई है और कहानी का वेग भी अच्छा है। पहले ही अपडेट में पात्रों का परिचय और भूतकाल से वर्तमान तक के सफर को अच्छे से दिखलाया है बिना अपडेट को लंबा खींचे हुए। बस अपडेट थोड़े बड़े होंगे तो पढ़ने में और भी आनंद आएगा। सुंदर अपडेट।१.१ ध्रुव
आसमान बिलकुल साफ है। भोर की लालिमा छाई हुई है। करीब 5 बज रहे होंगे। ध्रुव अपनी ही धुन में चला जा रहा है। "आज मुझे जल्दी से जड़ी बूटी ढूंढ कर घर लौटना है। मां इंतजार कर रही होगी।"
ध्रुव एक 16 साल का लड़का है। वह अपनी उम्र के लडको से काफी हष्ट-पुष्ट और लंबा है। उसके चेहरे में अब भी लड़कपन है जो उसके शरीर से मेल नहीं खाती है। उसकी आंखो में एक युवाओं की तरह परिपक्वता दिखती है। वह अपनी उम्र के बच्चो से जल्दी बड़ा हो गया है।
ध्रुव अपनी मां के साथ अपने नाना के घर रहता है। ध्रुव के नाना रामेश्वर सिंह, बैंगनी युद्ध मंडल के योद्धा है। वे भैरवी सिटी के सेनानायक (राजा) है। यहां पिछले पांच सौ सालों से सिंह परिवार का राज्य चला आ रहा है। कहा जाता है की सिंह परिवार दिव्य पक्षी फीनिक्स के वंशज है। भैरवी सिटी में जो सिंह परिवार है उनको फीनिक्स समुदाय ने अपने समुदाय से निस्कासित कर दिया था। इसीलिए वे यह आए। उस समय सिंह परिवार के पूर्वज बहुत घायल थे। इसलिए वे यही के होकर रह गए। उन्होंने ही भैरवी सिटी की स्थापना की थी। अभी भैरवी सिटी एक छोटा मगर समृद्ध राज्य है।
रामेश्वर सिंह की तीन पत्नियां थीं। पहली पत्नी से उनकी शादी उनके पिता ने कराई थी। वह अत्यधिक पूजा पाठ में व्यस्त रहती है। उन दोनो के दो बेटे है - देवदत्त और देवकांत सिंह। दोनो बेटे की योग्यता अधिक नही थी इसलिए वे परिवार के व्यवसाय किबागड़ोर संभालते है। बड़े बेटे से एक लड़की और एक लड़का है - प्रतीक सिंह (20) अमरावती के प्रशिक्षण संस्थान में युद्धाभ्यास की शिक्षा ग्रहण करता है और प्रियदर्शनी (16) साल वही राज्य के सैक्षणिक केंद्र में युद्धाभ्यास करती है। वही दूसरे बेटे से एक बेटा है - शिवकांत सिंह(19) यह अपने पिता और चाचा के साथ परिवार के व्यवसाय में हाथ बटाता है।
रामेश्वर सिंह की दूसरी पत्नी सोलेपुर की राजकुमारी थी। वह अपने साथ अपने भाई को भी लाई है। इनके भी दो बेटे है। बड़ा बेटा, राजेंद्र सिंह की युद्ध में योग्यता काफी अच्छी है। इसलिए वह परिवार के युवराज बनाया गया है। दूसरे बेटे की कम उम्र में ही मौत हो गई थी। राजेंद्र सिंह की पत्नी की मौत हो गई है। इनके दो बेटे है - रोहित सिंह और राहुल सिंह। दोनो ध्रुव से उम्र में बड़े है। रोहित अभी 18 साल का है। वह पीले युद्ध मंडल के चौथे चरण में प्रवेश कर चुका है। वह अभी गुरु ब्रह्मचर्य के आश्रम में रहकर पढ़ाई करता है। वही राहुल (17) अभी नारंगी युद्ध मंडल के पांचवे चरण में है और राज्य के ही प्रसिखन केंद्र में युद्धाभ्यास करता है। यह हमेशा से ही ध्रुव और उसकी मां को परेशान करता है।
रामेश्वर सिंह एक बार जंगल में शिकार करने गए थे। वे जख्मी हो गए थे और उनके साथ आए सभी लोग मारे गए थे। तभी उर्वशी मेहता ने उनकी जान बचाई थी। रामेश्वर को उर्वर्शी से प्यार हो गया। और इन दोनो ने गंधर्व विवाह किया था। यह अब इस दुनिया में नही रही। इनकी एक बेटी है - आयुषी सिंह, ध्रुव की मां। आयुषी, रामेश्वर की सबसे लाडली बेटी है। वह भैरवी राज्य में अपनी पीढ़ी की चार सबसे सुंदर युवती में से एक थी। वह शक्तिशाली भी थी। उनकी युद्ध क्षमता को देखकर सौलेपुर के राजा, नारायण ठाकुर ने शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन शादी के दो दिन पहले घर से भाग गई थी। चार साल बाद जब वह परिवार में वापस लौटी तो वह अकेले नहीं आई। उनके साथ दो साल का ध्रुव भी था तथा युद्ध क्षमता भी खो दी थी। उस समय सिंह परिवार में बहुत हंगामा हुआ। सभी के लाख मना करने के बावजूद रामेश्वर सिंह अपनी लाडली बेटी को घर ले आए और ध्रुव को सिंह परिवार में जगह दी।
ध्रुव बचपन में युद्धाभ्यास में बहुत ही अच्छा था। लेकिन जब वह आरंभिक युद्ध मंडल के छठे चरण में प्रवेश किया तो उसकी अभ्यास जैसे रूक ही गई। बहुत कोशिस करके भी वह आगे नहीं बढ़ पाया। उसने तब भी हर नही मानी। उसके बाद उसने अपने शारीरिक अभ्यास करना शुरू कर दिया। अब उसकी शारीरिक क्षमता आठवें स्तर के आरंभिक योद्धा के बराबर हो गई है। वह अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ाने केलिए खूंखार जानवरो से भी लड़ता है। जिससे उसका शरीर का विकास बहुत ही तेजी से हो गया। वह अपनी उम्र के बच्चो से काफी समझदार भी हो गया। रामेश्वर पिछले 10 सालो से एकांतवास में है। जिस कारण उनकी परिवार में सब कोई परेशान करता है। उन्हें मासिक खर्च भी और लोगो से कम मिलता है। जिस कारण ध्रुव को जड़ी बूटी इकठ्ठी करनी पड़ती हैं। जिसे बेचकर वह घर के खर्चों को पूरा करता है। आज भी वह जड़ी बूटी इकठ्ठा करने केलिए जंगल के रास्ते पहाड़ी की ओर जा रहा है।
ध्रुव अपनी मस्ती में पहाड़ी की ओर चला जा रहा था की तभी उसे पास से लड़ाई की आवाज सुनाई देती है। वह जिज्ञासावश उस तरफ तेजी से बढ़ जाता है। वहा पहुंचकर उसने देखा की लाल लिबास में पांच लोग एक 14 – 15 साल की लड़की को घेरे खड़े थे।
ध्रुव ने ध्यान से पांच लाल कपड़े पहनें लोगो को देखा। उनके कपड़े पर सांप के निसान बने हुए थे। वे लोग स्नेक मेसिनरी ग्रुप के लोग थे। वे सभी आरंभिक युद्ध मंडल के चौथ या पांचवें चरण में थे। वे सभी जवान थे।
फिर ध्रुव ने लड़की को देखा। लड़की देखने में सुंदर नैन नक्श, पतली कमर, शरीर की शानदार उतार चढ़ाव, लंबी टांगे और लंबे काले बाल जो घुटने तक आ रहे थे। मानो कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई हो। उसके चारो तरफ एक खतरनाक औरा(आभा) थी, जिससे कोई उसके पास आने की हिम्मत भी न कर सके। अभी उसके शरीर पर जगह जगह खरोच के निशान है। उसके कपड़े पेड़ो की टहनियों से जगह जगह से फटे हुए है और खून से सने हुए है। उसके चेहरे परभी खून लगी हुई है। जो उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना रही थी। उसकी हाथो में एक तलवार थी। वह तलवार तो चला रही थी लेकिन उसके हाथ लड़खड़ा रहे थे। ध्यान से देखने पर पता चला की उसे समोहन नशा दिया गया है। जिससे वह अपने शरीर की उत्तेजना को ठीक से काबू नही कर पा रही थी।
अभी ध्रुव कुछ सोचता उससे पहले उसके कानो में एक भद्दी आवाज आई।
"छम्मक छल्लो बहुत दौड़ाई तूने अब जाकर हाथ लगी है। अब तू क्या करेगी मेरी जान अब तो तेरे ऊपर नशा चढ़ने लगा है। मैने तुमको सबसे शक्तिशाली नशा दी है। अब तो असर भी शुरू हो गई। चिंता मत कर तुम्हे भी बहुत मजे आयेंगे। दो घंटे लगेंगे नशा पूरी तरह चढ़ने में। आज हम सबकी तो मजे है चलो भाइयों जल्दी खत्म करते है छोकरी को।"
"हा हा हा हा…" सभी जोर जोर से हंसने लगे।
"बॉस हमे मत भूल जाना"
"हमे भी" सभी एक एक करके लड़की को चिढ़ाने लगे।
ध्रुव को इन सबकी बाते सुनकर खून खौलने लगती है। ध्रुव को सबसे ज्यादा इन्ही तरह के लोगो से नफरत थी। बचपन में ध्रुव की एक दोस्त थी। वह परिवार के ही नौकरानी की बेटी थी। साथ में ही वे लोग खेला करते थे। रोज की तरह एक शाम वे अपने घर जा रहे थे। अगले दिन उसे पता चला की उसकी दोस्त और उसकी मां को किसी ने बलात्कार करके हत्या कर दी। इसलिए जब भी वह ऐसी बाते सुनता था उसे बहुत तेज गुस्सा आता था।
वह तेजी से आगे की तरफ बढ़ा और एकमात्र पांचवे स्तर के आरंभिक योद्धा के सर पर प्रहार किया। ध्रुव ने अपनी पूरी शक्ति से वार किया था। वह चीख भी नही पाया उसका सर फट गया। इसे देख उसके साथी कुछ समझ नही पाए। अभी वे होश में आते की दूसरे का भी सर फट गया। कुछ देर बाद वहा सभी की लाशे पड़ी थी।
ध्रुव एक एक करके सबके शरीर से उनके समान टटोले। उसने सभी मूल्यवान चीजे अपनी स्टोरेज बैग मे रखी। और वह वहा से जाने लगा। तभी उसे एक कोमल आवाज सुनाई देती है। ध्रुव पीछे मुड़कर देखता है तो पता चलता है की वह लड़की बेजान सी जमीन पर पड़ी है और बोल रही है।
"प्लीज मुझे बचा लो, मैं…"
Word count : 1363
थैंक्सयुद्ध मंडल का विभागीकरण विस्तृत और जटिल है मतलब कहानी आगे रोचक होने वाली है।
कहानी की शुरुआत अच्छी हुई है और कहानी का वेग भी अच्छा है। पहले ही अपडेट में पात्रों का परिचय और भूतकाल से वर्तमान तक के सफर को अच्छे से दिखलाया है बिना अपडेट को लंबा खींचे हुए। बस अपडेट थोड़े बड़े होंगे तो पढ़ने में और भी आनंद आएगा। सुंदर अपडेट।
नयनतारा ग्रह
नयनतारा ग्रह पर शक्तिशाली लोगो की ही बोली चलती है। यहा सभी युद्धाभ्यास करते है। इस ग्रह पर साधारण व्यक्ति भी है। उनको राज्य सुरक्षा प्रदान कराती है। लेकिन इसके लिए उन्हें कर चुकाना होता है।
नयनतारा ग्रह चारो तरफ से समुंद्र से घिरा हुआ है। इसकी मुख्य भूमि पांच भाग में विभाजित है : केंद्रीय क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, उतरी क्षेत्र, दक्षणी क्षेत्र।
सभी क्षेत्र जंगल, मरुस्थल, ज्वालामुखी इत्यादि से बंटे हुए है। मुख्यभूमि में करीब 150 से अधिक छोटे - बड़े राज्य है।
मुख्य भूमि के सबसे पश्चिमी हिस्से में अमरावती जंगल है। यह बहुत ही घना जंगल है। इस जंगल के बीच में छत्तीस पहाड़िया है। इन पहाड़ियों से घिरा हुआ घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहां भी करीब 30-40 छोटे बड़े राज्य है। यहां रहने वाले लोग किसी साजिश के तहत या किसी प्रकार की संगीन अपराध के कारण देश से निकाल दिया गया तो वे यहां आकर रहने लगे।
अमरावती जंगल के चारो तरफ एक प्राकृतिक निषेध संरचना है। कोई भी नीले मंडल के नीचे के लोग यहां प्रवेश नहीं कर सकते है। ध्रुव उन्ही राज्य में से एक राज्य के सेनापति का नाती है।
युद्ध मंडल
नयनतारा ग्रह पर योद्धा को निम्न युद्ध मंडल में बांटा जाता है।
आरंभिक युद्ध मंडल लाल युद्ध मंडल नारंगी युद्ध मंडल पीला युद्ध मंडल हरा युद्ध मंडल नीला युद्ध मंडल बैंगनी युद्ध मंडल पृथ्वी मंडल स्वर्ग मंडलप्रत्येक युद्ध मंडल को नौ भागो में तथा एक परम दायरे में बांटा गया है। परम दायरे में प्रवेश करने से उस योद्धा को अन्य योद्धाओं की अपेक्षा एक स्तर की अधिक ऊर्जा रहती है। प्रत्येक भाग को आरंभ, मध्यम तथा उत्तम भाग में बांटा गया है।
बाकी सब कहानी मे पता चलता रहेगा।
for the story priya ji१.१ ध्रुव
आसमान बिलकुल साफ है। भोर की लालिमा छाई हुई है। करीब 5 बज रहे होंगे। ध्रुव अपनी ही धुन में चला जा रहा है। "आज मुझे जल्दी से जड़ी बूटी ढूंढ कर घर लौटना है। मां इंतजार कर रही होगी।"
ध्रुव एक 16 साल का लड़का है। वह अपनी उम्र के लडको से काफी हष्ट-पुष्ट और लंबा है। उसके चेहरे में अब भी लड़कपन है जो उसके शरीर से मेल नहीं खाती है। उसकी आंखो में एक युवाओं की तरह परिपक्वता दिखती है। वह अपनी उम्र के बच्चो से जल्दी बड़ा हो गया है।
ध्रुव अपनी मां के साथ अपने नाना के घर रहता है। ध्रुव के नाना रामेश्वर सिंह, बैंगनी युद्ध मंडल के योद्धा है। वे भैरवी सिटी के सेनानायक (राजा) है। यहां पिछले पांच सौ सालों से सिंह परिवार का राज्य चला आ रहा है। कहा जाता है की सिंह परिवार दिव्य पक्षी फीनिक्स के वंशज है। भैरवी सिटी में जो सिंह परिवार है उनको फीनिक्स समुदाय ने अपने समुदाय से निस्कासित कर दिया था। इसीलिए वे यह आए। उस समय सिंह परिवार के पूर्वज बहुत घायल थे। इसलिए वे यही के होकर रह गए। उन्होंने ही भैरवी सिटी की स्थापना की थी। अभी भैरवी सिटी एक छोटा मगर समृद्ध राज्य है।
रामेश्वर सिंह की तीन पत्नियां थीं। पहली पत्नी से उनकी शादी उनके पिता ने कराई थी। वह अत्यधिक पूजा पाठ में व्यस्त रहती है। उन दोनो के दो बेटे है - देवदत्त और देवकांत सिंह। दोनो बेटे की योग्यता अधिक नही थी इसलिए वे परिवार के व्यवसाय किबागड़ोर संभालते है। बड़े बेटे से एक लड़की और एक लड़का है - प्रतीक सिंह (20) अमरावती के प्रशिक्षण संस्थान में युद्धाभ्यास की शिक्षा ग्रहण करता है और प्रियदर्शनी (16) साल वही राज्य के सैक्षणिक केंद्र में युद्धाभ्यास करती है। वही दूसरे बेटे से एक बेटा है - शिवकांत सिंह(19) यह अपने पिता और चाचा के साथ परिवार के व्यवसाय में हाथ बटाता है।
रामेश्वर सिंह की दूसरी पत्नी सोलेपुर की राजकुमारी थी। वह अपने साथ अपने भाई को भी लाई है। इनके भी दो बेटे है। बड़ा बेटा, राजेंद्र सिंह की युद्ध में योग्यता काफी अच्छी है। इसलिए वह परिवार के युवराज बनाया गया है। दूसरे बेटे की कम उम्र में ही मौत हो गई थी। राजेंद्र सिंह की पत्नी की मौत हो गई है। इनके दो बेटे है - रोहित सिंह और राहुल सिंह। दोनो ध्रुव से उम्र में बड़े है। रोहित अभी 18 साल का है। वह पीले युद्ध मंडल के चौथे चरण में प्रवेश कर चुका है। वह अभी गुरु ब्रह्मचर्य के आश्रम में रहकर पढ़ाई करता है। वही राहुल (17) अभी नारंगी युद्ध मंडल के पांचवे चरण में है और राज्य के ही प्रसिखन केंद्र में युद्धाभ्यास करता है। यह हमेशा से ही ध्रुव और उसकी मां को परेशान करता है।
रामेश्वर सिंह एक बार जंगल में शिकार करने गए थे। वे जख्मी हो गए थे और उनके साथ आए सभी लोग मारे गए थे। तभी उर्वशी मेहता ने उनकी जान बचाई थी। रामेश्वर को उर्वर्शी से प्यार हो गया। और इन दोनो ने गंधर्व विवाह किया था। यह अब इस दुनिया में नही रही। इनकी एक बेटी है - आयुषी सिंह, ध्रुव की मां। आयुषी, रामेश्वर की सबसे लाडली बेटी है। वह भैरवी राज्य में अपनी पीढ़ी की चार सबसे सुंदर युवती में से एक थी। वह शक्तिशाली भी थी। उनकी युद्ध क्षमता को देखकर सौलेपुर के राजा, नारायण ठाकुर ने शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन शादी के दो दिन पहले घर से भाग गई थी। चार साल बाद जब वह परिवार में वापस लौटी तो वह अकेले नहीं आई। उनके साथ दो साल का ध्रुव भी था तथा युद्ध क्षमता भी खो दी थी। उस समय सिंह परिवार में बहुत हंगामा हुआ। सभी के लाख मना करने के बावजूद रामेश्वर सिंह अपनी लाडली बेटी को घर ले आए और ध्रुव को सिंह परिवार में जगह दी।
ध्रुव बचपन में युद्धाभ्यास में बहुत ही अच्छा था। लेकिन जब वह आरंभिक युद्ध मंडल के छठे चरण में प्रवेश किया तो उसकी अभ्यास जैसे रूक ही गई। बहुत कोशिस करके भी वह आगे नहीं बढ़ पाया। उसने तब भी हर नही मानी। उसके बाद उसने अपने शारीरिक अभ्यास करना शुरू कर दिया। अब उसकी शारीरिक क्षमता आठवें स्तर के आरंभिक योद्धा के बराबर हो गई है। वह अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ाने केलिए खूंखार जानवरो से भी लड़ता है। जिससे उसका शरीर का विकास बहुत ही तेजी से हो गया। वह अपनी उम्र के बच्चो से काफी समझदार भी हो गया। रामेश्वर पिछले 10 सालो से एकांतवास में है। जिस कारण उनकी परिवार में सब कोई परेशान करता है। उन्हें मासिक खर्च भी और लोगो से कम मिलता है। जिस कारण ध्रुव को जड़ी बूटी इकठ्ठी करनी पड़ती हैं। जिसे बेचकर वह घर के खर्चों को पूरा करता है। आज भी वह जड़ी बूटी इकठ्ठा करने केलिए जंगल के रास्ते पहाड़ी की ओर जा रहा है।
ध्रुव अपनी मस्ती में पहाड़ी की ओर चला जा रहा था की तभी उसे पास से लड़ाई की आवाज सुनाई देती है। वह जिज्ञासावश उस तरफ तेजी से बढ़ जाता है। वहा पहुंचकर उसने देखा की लाल लिबास में पांच लोग एक 14 – 15 साल की लड़की को घेरे खड़े थे।
ध्रुव ने ध्यान से पांच लाल कपड़े पहनें लोगो को देखा। उनके कपड़े पर सांप के निसान बने हुए थे। वे लोग स्नेक मेसिनरी ग्रुप के लोग थे। वे सभी आरंभिक युद्ध मंडल के चौथ या पांचवें चरण में थे। वे सभी जवान थे।
फिर ध्रुव ने लड़की को देखा। लड़की देखने में सुंदर नैन नक्श, पतली कमर, शरीर की शानदार उतार चढ़ाव, लंबी टांगे और लंबे काले बाल जो घुटने तक आ रहे थे। मानो कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई हो। उसके चारो तरफ एक खतरनाक औरा(आभा) थी, जिससे कोई उसके पास आने की हिम्मत भी न कर सके। अभी उसके शरीर पर जगह जगह खरोच के निशान है। उसके कपड़े पेड़ो की टहनियों से जगह जगह से फटे हुए है और खून से सने हुए है। उसके चेहरे परभी खून लगी हुई है। जो उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना रही थी। उसकी हाथो में एक तलवार थी। वह तलवार तो चला रही थी लेकिन उसके हाथ लड़खड़ा रहे थे। ध्यान से देखने पर पता चला की उसे समोहन नशा दिया गया है। जिससे वह अपने शरीर की उत्तेजना को ठीक से काबू नही कर पा रही थी।
अभी ध्रुव कुछ सोचता उससे पहले उसके कानो में एक भद्दी आवाज आई।
"छम्मक छल्लो बहुत दौड़ाई तूने अब जाकर हाथ लगी है। अब तू क्या करेगी मेरी जान अब तो तेरे ऊपर नशा चढ़ने लगा है। मैने तुमको सबसे शक्तिशाली नशा दी है। अब तो असर भी शुरू हो गई। चिंता मत कर तुम्हे भी बहुत मजे आयेंगे। दो घंटे लगेंगे नशा पूरी तरह चढ़ने में। आज हम सबकी तो मजे है चलो भाइयों जल्दी खत्म करते है छोकरी को।"
"हा हा हा हा…" सभी जोर जोर से हंसने लगे।
"बॉस हमे मत भूल जाना"
"हमे भी" सभी एक एक करके लड़की को चिढ़ाने लगे।
ध्रुव को इन सबकी बाते सुनकर खून खौलने लगती है। ध्रुव को सबसे ज्यादा इन्ही तरह के लोगो से नफरत थी। बचपन में ध्रुव की एक दोस्त थी। वह परिवार के ही नौकरानी की बेटी थी। साथ में ही वे लोग खेला करते थे। रोज की तरह एक शाम वे अपने घर जा रहे थे। अगले दिन उसे पता चला की उसकी दोस्त और उसकी मां को किसी ने बलात्कार करके हत्या कर दी। इसलिए जब भी वह ऐसी बाते सुनता था उसे बहुत तेज गुस्सा आता था।
वह तेजी से आगे की तरफ बढ़ा और एकमात्र पांचवे स्तर के आरंभिक योद्धा के सर पर प्रहार किया। ध्रुव ने अपनी पूरी शक्ति से वार किया था। वह चीख भी नही पाया उसका सर फट गया। इसे देख उसके साथी कुछ समझ नही पाए। अभी वे होश में आते की दूसरे का भी सर फट गया। कुछ देर बाद वहा सभी की लाशे पड़ी थी।
ध्रुव एक एक करके सबके शरीर से उनके समान टटोले। उसने सभी मूल्यवान चीजे अपनी स्टोरेज बैग मे रखी। और वह वहा से जाने लगा। तभी उसे एक कोमल आवाज सुनाई देती है। ध्रुव पीछे मुड़कर देखता है तो पता चलता है की वह लड़की बेजान सी जमीन पर पड़ी है और बोल रही है।
"प्लीज मुझे बचा लो, मैं…"
Word count : 1363