Update-27
हर औरत को मिलन और बच्चे बात सुनकर दील मे कुछ तो होने लगता है । क्यूंकी वो अपने साथी को बेहद चाहती है । शायद सरला भी उसी अहसास को फीर महसूस कर रही थी ।
सरला- ततततुने तो मेरे मन की बात छीन ली
कविता- हाय मतलब आप दोनो की एसी बात चल रही है ।
सरला- हहहह हां, क्या ये हो सकता है।
कविता- अरे दीदी क्यू नही डॉक्टर से बात कर लो
सरला- सही कह रही है, अच्छा सुन शाम को बाजार चलेंगे वो गरमी मे साडी मे रहा नही जाता तो वो सहर की औरते पहनती हैना ववववो मेक्सी लेनी है । और वो नई वाली पपपेंटी भी
कविता- अरे वाह भाईसाब को खुश रखने की पुरी तय्यारी कर रही हो आप हा हा
सरला- छी कमिनी इसमे काहे की भाईसाब को खुश करने की तय्यारी
कविता- तो वो पेंटी वो भी नये फैसन वाली
सरला- छी वो तो बोलने मे भी सरम आती है मुझे, ववववो कल रात ततेरे भाईसाब मुझे बोले..
कविता- चलो फीर अभी चलते है ।
रात के १२.३० बजे थे मे सुनिल खटीये पे नंगा लेटा था । सरला बाथरूम मे थी ।
सुनिल- अरी ओ रवी की अम्मा सोने आओ जल्दी, रहा नही जा रहा ।
सुनिल तन्नाये लंड के सुपडे को मुंह से धुक निकाल-निकाल कर मसल रहा था । जैसे कीसी हथियार को जंग के लिए तैयार कर रहा हो । वैसे सरला जैसी मदमस्त औरत के बदन को खुश करना कीसी जंग से कम नही था ।
सरला बाथरूम से बाहर आई । मन मे एक अजिब सी खुशी की बाहर कोई उसकी राह देखने वाला दीलदार उसकी बेसबरी से राह देख रहा था । वो भी तो एक नटखट सी थोडी शरमिली औरत थी आशिक को तरसाना बेहद अच्छी तरह से जानती थी । सरला को शिफोन की चमकती लाल मेक्सी मे देख सुनिल तो पागल ही हो गया ।
सरला के गदराये मादक बदन की गोलाईया मेक्सी मे उभर-उभर कर आ रही थी । मेक्सी मे सरला के मोटे चुत्तर तो पिछे गुब्बारे की तरह फूल चुके थे ,टरबूज जैसी बडी-बडी चुचिंया गोल-गोल आकार सरला की छाती पर बनाए हुए थी मेक्सी थोडी शायद साईज मे कम थी सरला के चुत्तर और मुलायम चुचियों को चिपक कर बैठी थी । सुनिल को तो सरला कीसी पोर्न मेगजिन की मोडल की तरह हवस से भरी प्रेमरस बरसाती औरत लग रही थी ।
सुनिल का लंड तो कडक होकर हवा मे झटके मारने लगा और सामने खडी सरला की बरसती जवानी को सलामी देने लगा सरला सुनिल के खडे लंड को देख ही पहचान गई सुनिल को मेक्सी मे उसकी बीवी कीतनी पसंद आ रही है ।
सरला- कैसी लग रही हूं
सुनिल- आय हाय मार डाला रानी कयामत ढा रही है तू बिल्कूल हीरोईनी लग रही है तू इसे पहन कर बाहर मत जा, गली के लौंडे पीछे पड जाएंगे ।
सरला- छी कैसी बाते करता है । तू झुट बोलता है ।
सुनिल- अरे जान तेरा दीवाना हूं मै झुट क्यू बोलूंगा । तेरी कसम , चल अब जल्दी पास आ कबसे तडप रहा हूं ।
सरला शरमाती गांड मटकाती बीस्तर पर आ गई । सुनिल सरला को फ्लाईंग कीस देने लगा । सरलाने शरमा कर अपना मुंह ही ढक लिया ।
सुनिल- आय हाय क्या शरमाती है, बेटा रवी देख क्या मां मिली है तुझे यार , तेरी वजह से मुझे ईतनी सुंदर बीवी मिली है । तू कुछ महीने रूक इस मस्त गाय को रोज रातभर मेहनत कर के दुधारू बना देता हूं । फीर दोनो मजे से दीनभर इसका दुध पियेंगे ।
सरला- छी गंदा, कुछ भी बोलता है
सुनिल- अब हम दोनो मे गंदा रहा ही क्या है मां
सुनिल से रहा नही जाता वो पास बैठी सरला को अपनी बाहों मे कस के पकडता है । सरला की धकधकती धडकने सुनिल की धडकनो को उसकी तडप का अहसास करा रही थी ।
सुनिल और सरला की तेज सांसे एकदुसरे को बेतहा प्यार का ईजहार कर रही थी ।
सरला के बदन की जवानी की मीठी खुशबू सुनिल अपनी सासों मे कैद कर रहा था । हर पल जैसे थम सा गया था ।