chachajaani
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भाग 21
गांठ खुलते ही पेटीकोट नीचे गिरने लगा| गिरते पेटीकोट को नज़मा ने जल्दी से पकड़ने की कोशिश की| नज़मा जिस हाथ से पेटीकोट को नीचे खिंच रही थी, वो हाथ वो अपनी चूत तक ले आयी, और चूत के सामने पेटीकोट को पकड़ लिया| दूसरे हाथ को वो जब तक ऊपर लेके गयी तब तक पेटीकोट वहां से खिसक चूका था|
नज़मा के बोबे बिलकुल नंगे हो गए| नज़मा का पेटीकोट इकट्ठा हो के उसके हाथ में चूत के सामने आ गया था| पीछे से उसके चूतड़ भी बिलकुल नंगे हो गए थे| ये सब इतनी जल्दी में हुआ की किसी को कुछ समझ नहीं आया| लड़का अपने सामने नंगे बोबे देख के पागल हो गया|
नज़मा को ऐसी हालत में देख के सान्या की तेज हंसी छूट गयी| सान्या ज़ोर-२ से हंसने लगी| सान्या की हंसी सुन के नज़मा और खिसिया गयी और सान्या की तरह पीछे मुडते हुए बोली: कमीनी कहीं की| एक तो मेरी यहाँ हालत ख़राब हो रही है और तुझे बहुत हंसी आ रही है|
यहाँ नज़मा के मुड़ने से लड़के की तो जैसे लाटरी ही निकल गयी| अभी तक तो उसने नज़मा के बोबे और चूत ही देखी थी| पीछे मुड़ने से उसकी बची-खुची इच्छा भी पूरी हो गयी| उसकी आँखों के सामने नज़मा के गोल मटोल विशाल चूतड़ आ गए| नज़मा के चूतड़ परफेक्ट शेप के थे, बिलकुल चिकने, बहुत ही गोरे| नज़मा के चूतड़ों के बीच की लाइन इतनी गहरी थी की गांड मारने की ज़रुरत ही नहीं थी, आदमी अपना पानी उस लकीर में लंड फंसा के भी निकाल सकता था|
सान्या: अब क्या करूँ, आ गयी हंसी| तू नहीं हंसती क्या मेरे पर? उस दिन जब कॉलेज में मेरा सूट फट गया था, बेंच में अटक के और मेरे ब्रा में कैद चुचे सब ने देख लिए थे, तब तुझे भी तो बहुत हंसी आ रही थी|
नज़मा: नंगी तो नहीं हुई थी ना तू? मेरी हालत देख यहाँ|
सान्या: क्या हुआ फिर, नंगी हुई है तो| घर में तो सब नंगे होते ही रहते हैं?
लड़का दीदे फाड़ के नज़मा के बदन को आँखों से ही चोदने में लगा हुआ था| नज़मा और सान्या की बिल्लियों वाली लड़ाई ऐसे चल रही थी जैसे किसी बन्दर के वहां होने या ना होने से कोई फरक ही ना पड़ता हो| नज़मा बहुत गरम हो चुकी थी| उसकी चूत बार-२ पानी छोड़ रही थी| उसने चूत को पेटीकोट से ढका हुआ था| बार-२ नज़मा पेटीकोट को अपनी चूत पे दबा रही थी और पेटीकोट से अपनी मुनिया के आंसू भी पूछ रही थी|
नज़मा: हाँ घर में हो जाते हैं सब नंगे| लेकिन किसी अजनबी के सामने नहीं|
नज़मा ने लड़के की तरफ घूमते हुए कहा: तू क्या खड़ा है अभी तक| तेरी माँ की सुहागरात चल रही है क्या? दफा हो यहाँ से|
लड़के का ऐसा मनमोहक द्रिश्य छोड़ के जाने का बिलकुल मन नहीं था| उसने डरते-२ बोला: जी .... जी ... वो थैला दे दीजिये ... लाला जी डांटेंगे नहीं तो|
नज़मा: कोई थैला नहीं है यहाँ| भाग यहाँ से|
लड़का: लाला जी डांटेंगे दीदी ... प्लीज|
सान्या: अरे क्यों गरीब को डाँट रही है| दे दे थैला बेचारे का| कहीं लाला नौकरी से ना निकाल दे|
नज़मा: नौकरी से ना निकाल दे, बड़ी चिंता हो रही है| तू ही दे दे न खाली करके थैला|
सान्या: ना बाबा ना| घर तेरा, राशन का सामान तेरा, लाला तेरा, लड़का तेरा, तू ही देख|
नज़मा: कमीनी, लड़का होगा तेरा|
फिर नज़मा बड़बड़ाती हुई दोबारा बैठ के थैले से सामान निकाल के वहीँ फर्श पे रखने लगी| नज़मा चाहती तो अपने पेटीकोट को ठीक कर सकती थी लेकिन उसे ऐसे आधे नंगे हो के लड़के के सामने अपनी धौंस जमाने में बहुत उतेज़ना महसूस हो रही थी| नज़मा ने अब अपना पेटीकोट छोड़ दिया और दोनों हाथों से सामान निकालने लगी| नज़मा का पेटीकोट टायर की तरह उसकी कमर के चारों तरफ लिपटा हुआ था|
लड़के को सामने फर्श पे बैठी नज़मा के बोबे, निप्पल, जांघें नंगी दिखाई दे रहे थे| सान्या सामने पे सोफे पे बैठी हुई इस कामुक दृशय को देख के सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को मसल रही थी| इतने में लड़के की दोबारा से नज़मा की चिकनी चूत देखने की इच्छा हुई| लड़का वहीँ फर्श पे नज़मा के सामने बैठ गया और बोला: लाइए दीदी, मैं आपकी थैला खाली करने में मदद कर देता हूँ|
जैसे ही लड़का बैठा उसे नज़मा की चिकनी चूत पेटीकोट के नीचे से साफ़ दिखाई देने लगी| नज़मा की चूत से काम रास रिस रहा था| रौशनी में चमकती नज़मा की चूत पे पानी की बूँद मोती की तरह चमक रही थी|
लड़का: दीदी, आप पर पानी गिर गया क्या?
नज़मा: पानी ... नहीं तो ... कहाँ गिर गया पानी?
लड़के ने अपने कांपते हाथ आगे बढ़ाये और हिम्मत करके अपना हाथ सीधा नज़मा की चूत पे रख दिया और बोला: यहाँ पानी लगा है दीदी .....
लड़के की खुरदरी उँगलियाँ अपनी चूत पे महसूस करते ही नज़मा के होठों से तेज सिसकारी निकल गयी: आहहहहहहह .... आह्ह्ह्हह्ह ..... पानी थोड़ा ना है ये ..... कमीने ....
Mast update. Maza aa Gaya