आई लाइक नफरत टाइप स्टोरी। प्लिज कंटिन्यू। इफ पोसिबल। रितेष का नफरत देखना चाहते है हम। दरिंदगी देखना है हमें। प्लिज लेखक महोदय। यदि आप हमारा कमेंट देख रहे हैं तो कृप्या इस कहानी को फिर से शुरू करिये। धन्यवाद 
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Very excellentyar ye request mat kiya karo kisi ko bhi chahe vo meri hi story kyu na ho writer ko jarurat hai aapki aap readers ho agar aap log padhkar comment nahi karoge to kya story itne page or itni like le payegi nahi or agar aap log ye kehna band kar do to dekhna har story complete hogi warna har koi aise hi apko tadpta chodd jayega mein khud apni story pe kehta hu wait karo hi mat update aaye padho like or comment karo na aaye to thread open hi mat karo jis tarah bhakti ke bina bhagwaan adhure hai usi tarah readers ke bina writer ka koi vajood nahi staff 10 ka hai story ko hit nahi kar sakta apke bina or jo sahi galat nahi dekh paata vo kya karega band kardo ye sab us me meri bhi story hai are aap log ho to meri story badhegi warna 10 se 20 page me khatam
good night love you readers
20 महीने पहले की थी ये अपडेट अब फिर से इन्तजार***नफरत***
अपडेट -- 16
राकेश के गीरते ही.......वहां खड़े सुलेमान के आदमीयो ने अपनी - अपनी बंदूके रीतेश की कनपटी पर तान दी।
.......सुलेखा के साथ-साथ सभी लोग रीतेश के उपर तनी हुई बंदूके देख कर , घबरा जाते है!!
''लेकीन तभी सुलेमान ने, अपने हाथो से इशारा करते हुए अपने आदमीयो को बंदूक नीचे करने को कहा!!
.......उसके आदमी , रीतेश के कनपटी पर से बंदूक हटा लेते है,
सुलेमान रीतेश को गौर से देखते हुए बोला-
सुलेमान - साबाश ........बेखौफ , ऐसे जाबाज को सुलेमान सलाम ठोकता है। मेरे ही जगह पर आकर.......मेरे इतने सारे आदमीयो के होने के बाद भी , तूमने मेरे बेटे को ही सुला दीया। वाह.......बहादुरी दीखाना ठीक है, लेकीन मेरे बेटे को मारने का तुमने सोचा भी कैसै??
सुलेमान की तेज गुर्राने वाली बात सुनकर....सब के चेहरे रगं उड़ गया...!
सुलेमान - सबकी आखों में खौफ दीख रहा है, लेकीन तू अभी भी बेखौफ खड़ा है,
रीतेश - तेरे बेटे ने गलत जगह हाथ लगा दीया था........तो झटका तो लगेगा ही!!
रीतेश की बात सुनकर सुलेमान जोर से हंसा और अचानक गुस्सा होते हुए बोला-
सुलेमान - ठीक कहा तूने......वैसे ये लड़की कयामत है कयामत , इसे देखकर तो कीसी का भी इमान गड़बड़ा जाये......इस लड़की के लीये ही तूने मेरे बेटे को मारा ,,
......इससे पहले सुलेमान आगे कुछ और बोलता......रीतेश ने राकेश का बाल पकड़ते हुए उठा लीया.......और तभी पीटर ने एक पीस्ल रीतेश की तरफ उछाल दीया ॥ रीतेश पीस्टल को लपकते हुऐ उसने उसकी नोख राकेश के कनपटी पर लगाते हुए बोला-
रीतेश - इससे पहले तू आगे का घीसा पीटा डायलाग बोले......की मै ये करुगां वो करुगां , बल्की सच तो ये है की तू कुछ नही कर सकता ! यहां आने से पहले मैं समझ गया था.....की तू कोयी मसीहा नही.......बल्की तू खुद सागा का चमचा है........!! तू सागा के लीये सालो से काम कर रहा है......मुझे सब पता है!
.......रीतेश की बात सुनकर , सुलेमान की आखें चौड़ी होने लगी......उसके चेहरे पर परेशानी की झलक साफ दीखने लगी-
सुलेमान - वाह........क्या बात है, जीस बात का पता आज तक पुलीस नही लगा पायी......यहां तक की मेरे साथ काम करने वाले लोग को भी भनक नही लगा की मैं सागा के लीये काम करता हूं तो तूझे कैसे पता चल गया की मैं सागा के लीये काम करता हूं...!
........सुलेमान की बात सुनकर , सब लोग भौचक्के हुए खड़े थे । और सबसे ज्यादा शॉक में तो रमेश था की , इतने सालो से वो जो भी काम कर रहा था , वो सुलेमान के लीये नही बल्की सागा के लीये कर रहा था। और ये बात की सुलेमान सागा के लीये काम करता है.....इस बात को रीतेश कैसे जानता है, सीर्फ रमेश नही बल्की , सुलेखा.....वैभवी , हेमा सब लोग यही सोच रहे थे!!
सुलेमान - ए बोल.....तू कैसे जानता है ?
रीतेश - अबे चुतीये......मुझे क्या पता ? मैने तो एक डायलॉग मारा , बाकी तू ही बक दीया सब......
.........ओ माई गॉड.......रीतेश की ये बात सुनकर , तो सब के पैरो तले जमीन ही खीसक गयी.......!
..........वैभवी रीतेश की बात सुनते ही , उससे रहा नही गया तो ......वो हंसने लगी!!
वैभवी को हंसता देख......पीटर भी हंस दीया ,
पीटर (हंसते हुए) - अबे टकले........गेटअप , वेटअप तो ऐसे मार के रखेला है तू जैसे तू इच डान है, पर साला तू तो चुतीया नीकला बे....क्या गुडां बनेगा बे तू .!!
पीटर की बात सुनकर......सब हसने लगे !,
रीतेश - लेकीन , मेरी एक बात समझ में नही आयी ....तेरा नाम सुलेमान और तेरे बेटे का नाम राकेश कैसे??
सुलेमान - तूझे क्या लगता है, तूने ऐक छोटी सी बात का पता लगा लीया तो , बहुत बड़ा तीर मार लीया क्या?? चल तूझे मैं ये भी बता देता हूं की .......की ये मेरा ही बेटा है!! और इसका असली नाम जफर.......है जफर !
पीटर थोड़ा कॉमेडी करते हुए -
पीटर - जफर है जफर .......बोल तो ऐसे रैला बाप जैसे मालूम पड़ता हो साला कही तोप है!
पीटर की बात सुनकर......सुलेमान गुस्से मे बोला!
सुलेमान - अरे वो सुलेमान का बेटा है तो तोप ही है...वो , समझा!!
रीतेश -तो ठीक है , तेरे इस तोप को मै लेकर जा रहा हूं......और हां , मुझे सीर्फ इतना जानना है की , सागा ने मुझे क्यूं फंसाया??
......इतना कहकर , रीतेश जफर के कानो पर बंदूक लगा देता है, रमेश और पीटर भी बंदूक ले कर रीतेश के पीछे -पीछे चल देते है ,, सुलेमान के आदमी अपने हथीयार नीचे कर लेते है , और सब लोग सही सलामत वहां से नीकल जाते है!!
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रीतेश सब को सही सलामत वहा से नीकाल लाया था.......॥
पीटर - भाई इस तोप का आपुन क्या करेगें?
रीतेश - यही तोप अपने को सागा तक , पहुचायेगा......
रमेश - लेकीन भाई, तुम्हारी ये फैमीली.....
रमेश की बात सुनते ही , रीतेश गुस्से में बोला-
रीतेश - हे......ये मेरी फैमीली नही है समझा , और तुम लोग , बहुत हो गया चलो नीकलो अब यहा से.......और उस चुतीये से कह देना, की अब वो चैन से जीने वाला नही है.....
रीतेश का गुस्सा देखकर, सब की हालत खराब हो जाती है!!
हेमा - ब.....बेटा , हम सब तो दीदी को लेने के लीये ही आये थे !!
हेमा की बात सुनकर......सुलेखा ने कहा!
सुलेखा - हेमा मैने कहा था ना की, मै नही आउगीं तो फीर तुम लोग क्यूं वापस आ गये ?
हेमा - वो......वो , दीदी उन्होने कहा था की.....तुम्हे लेकर वंहा से जल्दी नीकल जाये, तो इस लीये हम लोग आये थे !!
हेमा की बात सुनकर......रीतेश का दीमाग घुमा!!
रीतेश - ओ.....तो उसने कहा था ,,
हेमा - हां......
रीतेश - अब ये कहीं नही जायेगी......तुम लोग नीकलो!!
रीतेश , की बात सुनकर वैभवी बोली-
वैभवी - मैं मां को छोड़कर कही नही जाउगीं!!
वैभवी की बात पर, सब लोग ने ऐग्री करते हुए बोला- की हम भी नही जायेगें!!
रीतेश - ओके......ठीक है, तो कोयी नही जायेगा!! ठीक है.......तो चलो सब लोग गांव , अगर कीसी ने भी , उसके साथ मीलने या बात करने या फीर जाने की बात की तो ,. मेरे बारे में पता होगा ही......!
सुलेखा - बेटा मैं तो तुझे , छोड़ने से रही.....बाकी का पता नही।
रीतेश - ओ.......हो, ये अचानक से इतना प्यार ॥
रीया जो कभी बोलती नही थी , वो बोल पड़ी रीतेश की बात सुनकर.....
रीया - वी ऑल लव यू रीतेश......इनफैक्ट डेड भी तुमसे प्यार करते है , लेकीन तुम हो की समझते ही नही हो !!
रीतेश - कौन है ये.....?
रीया - तुम्हारी बहन हूं मैं !!
रीतेश - देखो मेरी माताओ और बहनो.......मेरा दीमाग मत खराब करो.....मेरा दुनीया में सीर्फ मेरी एक दादी थी ,, उसके जाने के बाद अब कोयी नही.......सब कुछ ठीक होता , अगर मैं जेल ना आया होता ॥ मुझे जेल कराने वाला कोयी और नही वो तुम्हारा बाप और इसका पती है!!
रीतेश की बात सुनकर हेमा ने कहा-
हेमा - आलराईट देन.......अगर तुम जो बोल रहे हो वो तुम साबीत कर के दीखा सकते हो!!
रीतेश - मै तुम्हे साबीत करके क्यूं दीखाउं?? तुम हो कौन??
हेमा - आय एम नो बडी......लेकीन अगर ये साबीत हो जाये की तुम्हे जेल कराने वाले वही है तो फीर.......ये तो पता लगाना है की उन्होने आखीर ऐसा क्यूं कीया??
रीतेश - ठीक कहा ,, तुम लोग से रीश्ता तो कभी नही जुड़ेगा , लेकीन एक इसानीयत के नाते मैं ये साबीत जरुर करुगां......और सीर्फ तीन महीनो में .......और ये तीन महीना तुम लोग ना ही उससे बात करोगे और ना ही मुझसे ज्यादा क्लोज होने की कोशीश करोगे....
हेमा - ओके , हम तैयार है......
रीतेश - ठीक है.......चलो!!
फीर........सब लोग , गाड़ी में बैठते है , और गाड़ी वंहा से चल पड़ती है!!
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