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Update - 7
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राजेश ट्रेकिंग की पूरी तैयारी से था पर मैंने जान बूझ कर लेदर के जूते पेहन लिए थे. मंकी पॉइंट पहुचने के बाद जब दिव्या को पता चला की हमको पहाड़ के ऊपर जाना है तो वो थोडा परेशान हुई तभी राजेश बोला "जो सबसे पहले ऊपर कदम रखेगा उसके लिए कुछ इनाम रखना चाहिए क्यों मनीष."
मैं बोला "हम सब २५०० रुपये मिलाते है और जो सबसे पहले ऊपर पहुचेगा उसे ये १०००० रुपये मिलेंगे."
राजेश ने कहा "बहुत अच्छी बात है. लो मेरे और दिव्या के ५००० रुपये."
मैंने पैसे लेकर उसमे ५००० और मिला कर दिव्या को रखने के लिए दे दिए. मैंने रेणुका किनारे ले जाकर बोला "देखो मैं तो लेदर शूज पहने हूँ तो तेज़ी से नहीं चढ़ पाऊँगा पर तुम ट्रैकिंग वाले कपडे पहने हो. जल्दी से चढ़ जाना. इनाम तुम्हे ही मिलना चाहिए."
फिर हमने काउंट डाउन शुरू किया और चारो ऊपर चढ़ने लगे. सबसे तेज़ी से रेणुका चढ़ रही थी फिर राजेश उसके पीछे मैं और सबसे बाद में दिव्या थी. देखते ही देखते रेणुका और राजेश मेरी नजरो से ओझल हो गए तो मैं थोडा रुक कर दिव्या का वेट करने लगा. ५ मिनट बाद दिव्या नज़र आई. मुझे रुका देख आकर बोली "क्या हुआ, शर्त नहीं जीतनी क्या?".
मैंने बोला "इन जूतों में तो नहीं जीत पाऊँगा. अब तो बीवी का ही सहारा है."
"मुझे पहले पता होता तो मैं हाई हील न पहनती. स्पोर्ट शूज पहनती. इनमे पहाड़ चढ़ना तो बहुत मुश्किल है." दिव्या मेरे बराबर आ कर बोली. अब हम दोनों ने साथ साथ चढना शुरू कर दिया.
उधर रेणुका पहले तो तेज़ तेज़ चढ़ी फिर जब थक कर थोडा धीमे हुई तो राजेश उसके बराबर आ गया और बातें करते करते उसके साथ चलने लगा और जैसे वो लोग पहाड़ी पर पहुचने वाले थे राजेश ने अचानक रेणुका को पीछे से कमर में हाथ डाल कर उठा लिया और चलने लगा.
रेणुका बोली "अरे ये क्या कर रहे है. मुझे नीचे उतारिये"
राजेश बोला "उतार दूंगा पर पहाड़ी पर पहुचने के बाद ताकि सबसे पहले मेरे कदम ही ऊपर पड़ी फिर तुम्हारे."
रेणुका के लाख कहने के बाद भी राजेश ने उसे नीचे नहीं उतारा और रेणुका भी इस डर से की कही वो गिर न जाए सिर्फ मुह से ही कहती रही. रेणुका को इस तरह बाँहों में भरने से राजेश का लंड खड़ा हो गया और रेणुका की गांड में चुभने लगा.
रेणुका समझ गयी की उसे क्या चुभ रहा है और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया. जब पहाड़ी पर पहुच कर राजेश ने रेणुका को धीरे धीरे नीचे उतारा तो उसने अच्छे से रेणुका की चून्चियो का मजा भी ले लिया और अपना कड़क लंड अच्छे से रेणुका की गांड की दरार में रगड़ दिया.
नीचे उतर कर रेणुका थोडा गुस्सा दिखाते हुए बोली "ये गलत बात है"
"प्यार और जंग में सब जायज है मेरी जान और यहाँ तो प्यार भी है और जंग भी." राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा.
रेणुका ने सोचा की अब वो राजेश से बात ही नहीं करेगी लेकिन ऊपर के हसीं नज़ारे देख कर रेणुका ज्यादा देर गुस्सा न रह सकी और राजेश ने जब उससे कहा "सच में यहाँ से नीचे का नज़ारा कितना सुंदर दिख रहा है." तो वो बोल पड़ी "शायद मैं आज पहली बार इतनी उचाई पर आई हूँ".
राजेश बोला "अरे अगर मेरे साथ रहोगी तो देखना कैसी कैसी उचाईयों पर ले चलूँगा तुम्हे."
राजेश की द्विअर्थी बात सुन कर रेणुका फिर से झेप गयी.
इधर मैं और दिव्या धीरे धीरे ऊपर जा रहे थे. मैं सोच रहा था की कल राजेश ने रेणुका को किस कर लिया था और मैं अभी तक दिव्या का सिर्फ हाथ ही पकड़ पाया हूँ तभी ऊपर वाले ने मेरी सुनी और दिव्या का पैर फिसल गया.
मैंने फ़ौरन दिव्या को पकड़ा. इसी चक्कर में दिव्या की गुदाज चूंची मेरे हाथ में आ गयी और मैंने उसे कस कर दबा दिया. दिव्या को समझ नहीं आया की ये मैंने जान बूझ कर किया या उसको गिरने से बचाने में अपने आप हो गया तो वो कुछ नहीं बोली पर दिव्या का पैर मुड़ने से उसके पैर में मोच आ गयी थी.
दिव्या मुझसे बोली "अब मैं तो ऊपर नहीं जा पाऊँगी." और वो पर्स से फोन निकाल कर राजेश को मिलाने लगी. थोड़ी कोशिश के बाद मुझसे बोली "मेरे मोबाइल में नेटवर्क भी नही है. तुम अपने फोन से राजेश को फोन करो." नेटवर्क मेरे फोन में भी नहीं था. तो वो बोली "मैं सामने चट्टान पर बैठती हूँ. तुम ऊपर जाकर राजेश को नीचे भेज दो."
मैंने दिव्या को बोला "देखिये आपको इस वीराने में अकेला तो नहीं छोड़ सकता. गाड़ी की चाभी तो आप ही के पास है. आप मेरा सहारा लेकर नीचे चलिए और गाडी में बैठ कर आराम कीजिये. वहाँ से मैं राजेश भाई को फोन कर दूंगा."
दिव्या ने मेरा सहारा लेकर खड़े होने की कोशिश की लेकिन उसको दर्द ज्यादा हो रहा था. वो गाडी की चाभी मुझे देकर बोली "मुझसे चला नहीं जायेगा. गाडी की मेडिकल किट में एक स्प्रे होगा. आप जाकर ले आओ."
"हमको नीचे जाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी और मैं यहाँ आपको अकेला छोड़ कर नहीं जाऊँगा." इतना बोल कर मैंने दिव्या को अपनी गोद में उठा लिया और नीचे जाने लगा. दिव्या बोली "अरे मैं गिर जाऊंगी. मुझे नीचे उतारिये."
मैंने कहा "बस नीचे पहुच कर उतार दूंगा. आप अपने हाथ मेरे गले में डाल लीजिये और थोडा सब्र कीजिये."
मैं तेज़ी से नीचे उतरने लगा और दिव्या गिरने के डर से मेरे गले में हाथ डालकर मेरे सीने से लग गयी. उसकी चून्चिया मेरे सीने में गड रही थी और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था और दूसरा उसकी गदराई गांड पर. दिव्या का मुह शर्म से लाल हो रहा था पर वो कर भी क्या सकती थी. करीब २० मिनट में हम कार के पास पहुच गए और मैंने दिव्या को पीछे की सीट पर लिटा दिया.
लिटाने के बाद मैंने दिव्या के होठो पर एक किस कर लिया. दिव्या मुझे हैरानी से देखने लगी. मैंने वही डायलॉग मार दिया जो राजेश ने रेणुका को बोला था. मैंने कहा "माफ़ कीजिये दिव्या जी लेकिन इतना हुस्न इतने नज़दीक से देख कर मुझसे रहा नहीं गया."
दिव्या नाराजगी से कुछ नहीं बोली और राजेश को फ़ोन मिलाने लगी. मुझे पता था की फोन नहीं मिलेगा क्योंकि नीचे तो नेटवर्क था लेकिन ऊपर राजेश और रेणुका के फोन में तो नेटवर्क होगा ही नहीं तो मैं तसल्ली से डिक्की में दवाई ढूढ़ने लगा. मुझे स्प्रे के साथ आयोडेक्स भी मिल गया. मैं दिव्या के पैरो के पास बैठ गया और उसके पैर अपनी गोद में रख कर आयोडेक्स लगाने लगा. दिव्या बोली "तुम रहने दो. मुझे दो. मैं अपने आप लगा लूंगी."
मैंने कहा "आप लेटी रहिये. मुझ पर गुस्सा फिर कभी निकाल लीजियेगा. अभी मुझे मालिश करने दीजिये."
दिव्या चुप हो गयी और मैं उसके पैर की अच्छे से मालिश करने लगा. मालिश करते करते मेरा लंड खड़ा हो गया और दिव्या के पैर में लगने लगा. जब दिव्या को ये महसूस हुआ तो वो बोली "अब रहने दो. काफी आराम है. पर राजेश का फोन नहीं लग रहा."
मैंने मालिश करना बंद कर दिया. मैंने देख लिया था की मोच ज्यादा नहीं है और थोड़ी देर में ठीक हो जाएगी.
"अब सिवाय यहाँ उन लोगो का इंतज़ार करने के और चारा भी क्या है." मैंने दिव्या से कहा और उसके पैर और जांधे सहलाने लगा. दिव्या कुछ नहीं बोली. वो समझ चुकी थी की जब तक राजेश वापस नहीं आता तब तक मैं इतनी छूट तो लूँगा ही.
जब काफी देर हम उपर नहीं पहुचे तो रेणुका बोली "ये लोग अभी तक नहीं आये. हमको जाकर देखना चाहिए."
राजेश को यूं तो रेणुका के साथ बहुत मज़ा आ रहा था पर उसने भी मन में सोचा की कही मैं रास्ते में दिव्या के साथ कुछ ज्यादा हरकतें तो नहीं करने लगा तो वो लोग वापस नीचे आने लगे. वापसी के समय में भी राजेश ने रेणुका से काफी छेड़छाड़ की.
रेणुका और राजेश जब नीचे पहुचे तो उन्होंने देखा की हम दोनों कार में बैठे है. मैंने उन्हें बताया की दिव्या के पर में मोच आ गयी है तो अब कही और जाने की बजाय हमें होटल जाना चाहिए.
राजेश बोला "हां वैसे भी होटल पहुचते पहुचते शाम ही हो जाएगी" और हम वापस होटल लौट आये.
होटल पहुचते पहुचते दिव्या काफी ठीक हो गयी और राजेश का सहारा लेकर अपने रूम में चली गयी..
हम भी अपने कमरे में लौट आये. थोड़ी देर तक रेणुका मुझे बताती रही की ऊपर के नज़ारे बहुत खूबसूरत थे फिर रेणुका नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी तो मैंने कमरे के अन्दर का दरवाजा अनलॉक करके खटखटाया.
राजेश ने भी फ़ौरन दरवाजा खोल दिया तो मैंने बोला की मेरा बाथरूम बिजी है क्या आपका यूज़ कर लूं. राजेश ने फ़ौरन बोला हाँ हाँ आ जाओ. मैं उनके कमरे में घुस गया. दिव्या ने कपडे चेंज कर लिए थे और एक शोर्ट नाईटी पहन ली थी और बेड पर बैठ कर लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी.
अचानक मुझे देख कर वो परेशान हो गयी. मैं फौरन बाथरूम में घुस गया और राजेश और दिव्या की बात सुनने लगा.
दिव्या राजेश के ऊपर नाराज़ हो रही थी की क्यों उसने मुझे कमरे में आने दिया. पहले उसको बता देता तो वो कपडे बदल लेती. मैंने थोड़ी देर उनकी बातें सुनी और फिर बाथरूम से बाहर आ गया.
दिव्या मुझे देखकर चुप हो गयी. मैंने राजेश से कहा की अब कहीं बाहर जाने का प्लान तो नहीं है. राजेश बोला "अभी दिव्या के पैर में हल्का सा दर्द है तो आज तो कही नहीं जायेंगे. डिनर भी यही कर लेंगे. बाकी कल देखा जायेगा."
मैंने राजेश से धीरे से कहा "तो आप और दिव्या मेरे रूम में आ जाओ. यहीं पार्टी करते है." राजेश ने दिव्या से बोला "चलो यार थोड़ी देर मनीष के कमरे में बैठते है." दिव्या बोली "आप जाओ. मैं कपडे बदल कर आती हूँ."
मैंने कहा "अरे भाभी कपडे मत बदलिए. रूम में ही तो है. चलिए ऐसे ही चलिए. चलिए आइये."
राजेश ने भी कहा तो दिव्या वही शोर्ट नाईटी पहन कर राजेश के साथ मेरे रूम में आ गई.
मैं स्कॉच की बोतल तो घर से ले कर आया था. मैंने फोन करके सोडा बर्फ और कुछ स्नेक्स भी कमरे में मंगवा लिए थे. तब तक रेणुका भी नहा कर निकल आयी.
वो शायद अपने कपडे नहीं ले गयी थी तो उसने सिर्फ बाथरोब पहना था. रूम में दिव्या और राजेश को देखकर वो चौंक गयी और वापस बाथरूम में घुस गयी. रेणुका को बाथरोब में देख कर राजेश की तो आंखे बाहर निकल आयी.
रेणुका ने बाथरूम के अंदर से मुझसे इशारे से कपडे मांगे. मैंने उसकी शोर्ट नाईटी उसे दे दी. उसने मुझे नाराजगी से देखा तो मैंने धीरे से बोला "यार कही जाना तो है नहीं. यही पहन लो. देखो दिव्या भी तो नाईटी पहने है. जल्दी से पहन कर आ जाओ. दिव्या बोर हो रही है"
रेणुका बोली "पर राजेश?"
"कुछ नहीं होता यार. जल्दी से आ जाओ." मैंने कहा तो रेणुका वो ड्रेस पहन कर बाहर आ गयी और बेड पर बैठ गयी. मेरा और राजेश का मकसद यही था की आज हम थोड़े बेतकल्लुफ हो जाये और दिव्या और रेणुका की शर्म थोड़ी कम हो जाये.
मैं रेणुका के साथ बेड पर बैठ गया और राजेश और दिव्या सामने सोफे पर. हमने बोतल खोल ली और पेग लगाने लगे. रेणुका और दिव्या आपस में बात करने लगी. दोनों ही शार्ट नाईट ड्रेस में कयामत लग रही थी. मैं और राजेश टीशर्ट और बरमूडा में थे और उनकी टाँगे ताड़ रहे थे.
राजेश ने रेणुका और दिव्या से भी पीने के लिए कहा तो उन्होंने स्कॉच पीने से मना कर दिया और बियर मंगाने को बोला. मैंने फोन करके बियर का एक पाईंट मंगवा लिया. मैं और राजेश आज मूड में थे तो हमने वेटर को बोल दिया की पाईंट में आधी बियर और आधी व्हिस्की रखना.
करीब १० मिनट में दोनों औरतों का ड्रिंक भी आ गया और अब दिव्या और रेणुका भी हमारा साथ देने लगी. दिव्या बोली "ये बियर थोड़ी अजीब सी लग रही है." मैंने बोला "स्ट्रोंग है शायद इसीलिए. आप कहे तो लाइट मंगवा दूं."
"नहीं ठीक है. रेणुका तुम्हे तो कोई दिक्कत नहीं है..." दिव्या ने रेणुका से पूछा. रेणुका ने तो जिंदगी में कुल ८-१० बार पी होगी तो उसको कुछ पता नहीं चल रहा था. उसने कहा की मुझे तो ठीक लग रही है और दोनों ने अपना अपना गिलास खाली कर दिया. मैंने फिर से उनके गिलास भरे और वापस फोन करके कुछ स्नैक्स और बियर लाने को बोला.
थोड़ी देर बाद जब वेटर स्नेक्स और बियर लेकर आया तो मैं और राजेश दोनों दरवाजे पर चले गए. मैंने राजेश को बियर पकड़ाते हुए कहा "अब आप रेणुका के बगल में बेड पर आ जाओ और मैं दिव्या के बगल में बैठूंगा."
राजेश बोला "यार गड़बड़ न करो. बात तो इनको थोडा बेशर्म करने की हुई थी. तुम ज्यादा जल्दी कर रहे हो."
मैंने कहा "ज्यादा सोचो मत. अभी तो बस एन्जॉय करो. अगर इन्होने मना किया तो हम वापस जगह पर आ जायेंगे फिर जो होगा देखेंगे."
राजेश बोला "यार एन्जॉय तो ठीक है लेकिन थोडा डर भी लग रहा है लेकिन तुम कहते हो तो चलो."
हम जब वापस आये तो राजेश बियर टेबल पर रख कर रखकर रेणुका के साथ बेड पर बैठ गया और मैं आकर दिव्या के साथ सोफे पर बैठ गया. अब तक बियर में मिली व्हिस्की ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था तो रेणुका और दिव्या ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया.
रेणुका ने अपना गिलास खाली करके टेबल पर रख दिया. राजेश और मैंने भी अपने गिलास खाली कर दिए थे. मैं अपने और राजेश के लिए पेग बनाने लगा और राजेश रेणुका और
दिव्या के गिलास में बियर भरने लगे. रेणुका बोली "नहीं नहीं अब और नहीं. मुझे नशा चढ़ गया है"
राजेश बोला "अरे अभी तो बियर मंगवाई है तुम लोगो के लिए और पीते तो इसीलिए है की नशा हो वरना पीने का क्या फायदा. चलो ये गिलास तो ख़तम करो." राजेश ने ये कहते कहते गिलास उठाया और रेणुका के मुह में लगा दिया.
रेणुका ने एक सिप लिया और बोली "बस अब और नहीं."
राजेश बोला "देखो मैं अपने हाथो से पिला रहा हूँ तुम मना नहीं कर सकती." और दुबारा रेणुका को बियर पिलाने लगा. इसी बीच उसने अपना दूसरा हाथ रेणुका के कंधे पर रख दिया पर रेणुका कुछ नहीं बोली.
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to be continued ...
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राजेश ट्रेकिंग की पूरी तैयारी से था पर मैंने जान बूझ कर लेदर के जूते पेहन लिए थे. मंकी पॉइंट पहुचने के बाद जब दिव्या को पता चला की हमको पहाड़ के ऊपर जाना है तो वो थोडा परेशान हुई तभी राजेश बोला "जो सबसे पहले ऊपर कदम रखेगा उसके लिए कुछ इनाम रखना चाहिए क्यों मनीष."
मैं बोला "हम सब २५०० रुपये मिलाते है और जो सबसे पहले ऊपर पहुचेगा उसे ये १०००० रुपये मिलेंगे."
राजेश ने कहा "बहुत अच्छी बात है. लो मेरे और दिव्या के ५००० रुपये."
मैंने पैसे लेकर उसमे ५००० और मिला कर दिव्या को रखने के लिए दे दिए. मैंने रेणुका किनारे ले जाकर बोला "देखो मैं तो लेदर शूज पहने हूँ तो तेज़ी से नहीं चढ़ पाऊँगा पर तुम ट्रैकिंग वाले कपडे पहने हो. जल्दी से चढ़ जाना. इनाम तुम्हे ही मिलना चाहिए."
फिर हमने काउंट डाउन शुरू किया और चारो ऊपर चढ़ने लगे. सबसे तेज़ी से रेणुका चढ़ रही थी फिर राजेश उसके पीछे मैं और सबसे बाद में दिव्या थी. देखते ही देखते रेणुका और राजेश मेरी नजरो से ओझल हो गए तो मैं थोडा रुक कर दिव्या का वेट करने लगा. ५ मिनट बाद दिव्या नज़र आई. मुझे रुका देख आकर बोली "क्या हुआ, शर्त नहीं जीतनी क्या?".
मैंने बोला "इन जूतों में तो नहीं जीत पाऊँगा. अब तो बीवी का ही सहारा है."
"मुझे पहले पता होता तो मैं हाई हील न पहनती. स्पोर्ट शूज पहनती. इनमे पहाड़ चढ़ना तो बहुत मुश्किल है." दिव्या मेरे बराबर आ कर बोली. अब हम दोनों ने साथ साथ चढना शुरू कर दिया.
उधर रेणुका पहले तो तेज़ तेज़ चढ़ी फिर जब थक कर थोडा धीमे हुई तो राजेश उसके बराबर आ गया और बातें करते करते उसके साथ चलने लगा और जैसे वो लोग पहाड़ी पर पहुचने वाले थे राजेश ने अचानक रेणुका को पीछे से कमर में हाथ डाल कर उठा लिया और चलने लगा.
रेणुका बोली "अरे ये क्या कर रहे है. मुझे नीचे उतारिये"
राजेश बोला "उतार दूंगा पर पहाड़ी पर पहुचने के बाद ताकि सबसे पहले मेरे कदम ही ऊपर पड़ी फिर तुम्हारे."
रेणुका के लाख कहने के बाद भी राजेश ने उसे नीचे नहीं उतारा और रेणुका भी इस डर से की कही वो गिर न जाए सिर्फ मुह से ही कहती रही. रेणुका को इस तरह बाँहों में भरने से राजेश का लंड खड़ा हो गया और रेणुका की गांड में चुभने लगा.
रेणुका समझ गयी की उसे क्या चुभ रहा है और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया. जब पहाड़ी पर पहुच कर राजेश ने रेणुका को धीरे धीरे नीचे उतारा तो उसने अच्छे से रेणुका की चून्चियो का मजा भी ले लिया और अपना कड़क लंड अच्छे से रेणुका की गांड की दरार में रगड़ दिया.
नीचे उतर कर रेणुका थोडा गुस्सा दिखाते हुए बोली "ये गलत बात है"
"प्यार और जंग में सब जायज है मेरी जान और यहाँ तो प्यार भी है और जंग भी." राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा.
रेणुका ने सोचा की अब वो राजेश से बात ही नहीं करेगी लेकिन ऊपर के हसीं नज़ारे देख कर रेणुका ज्यादा देर गुस्सा न रह सकी और राजेश ने जब उससे कहा "सच में यहाँ से नीचे का नज़ारा कितना सुंदर दिख रहा है." तो वो बोल पड़ी "शायद मैं आज पहली बार इतनी उचाई पर आई हूँ".
राजेश बोला "अरे अगर मेरे साथ रहोगी तो देखना कैसी कैसी उचाईयों पर ले चलूँगा तुम्हे."
राजेश की द्विअर्थी बात सुन कर रेणुका फिर से झेप गयी.
इधर मैं और दिव्या धीरे धीरे ऊपर जा रहे थे. मैं सोच रहा था की कल राजेश ने रेणुका को किस कर लिया था और मैं अभी तक दिव्या का सिर्फ हाथ ही पकड़ पाया हूँ तभी ऊपर वाले ने मेरी सुनी और दिव्या का पैर फिसल गया.
मैंने फ़ौरन दिव्या को पकड़ा. इसी चक्कर में दिव्या की गुदाज चूंची मेरे हाथ में आ गयी और मैंने उसे कस कर दबा दिया. दिव्या को समझ नहीं आया की ये मैंने जान बूझ कर किया या उसको गिरने से बचाने में अपने आप हो गया तो वो कुछ नहीं बोली पर दिव्या का पैर मुड़ने से उसके पैर में मोच आ गयी थी.
दिव्या मुझसे बोली "अब मैं तो ऊपर नहीं जा पाऊँगी." और वो पर्स से फोन निकाल कर राजेश को मिलाने लगी. थोड़ी कोशिश के बाद मुझसे बोली "मेरे मोबाइल में नेटवर्क भी नही है. तुम अपने फोन से राजेश को फोन करो." नेटवर्क मेरे फोन में भी नहीं था. तो वो बोली "मैं सामने चट्टान पर बैठती हूँ. तुम ऊपर जाकर राजेश को नीचे भेज दो."
मैंने दिव्या को बोला "देखिये आपको इस वीराने में अकेला तो नहीं छोड़ सकता. गाड़ी की चाभी तो आप ही के पास है. आप मेरा सहारा लेकर नीचे चलिए और गाडी में बैठ कर आराम कीजिये. वहाँ से मैं राजेश भाई को फोन कर दूंगा."
दिव्या ने मेरा सहारा लेकर खड़े होने की कोशिश की लेकिन उसको दर्द ज्यादा हो रहा था. वो गाडी की चाभी मुझे देकर बोली "मुझसे चला नहीं जायेगा. गाडी की मेडिकल किट में एक स्प्रे होगा. आप जाकर ले आओ."
"हमको नीचे जाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी और मैं यहाँ आपको अकेला छोड़ कर नहीं जाऊँगा." इतना बोल कर मैंने दिव्या को अपनी गोद में उठा लिया और नीचे जाने लगा. दिव्या बोली "अरे मैं गिर जाऊंगी. मुझे नीचे उतारिये."
मैंने कहा "बस नीचे पहुच कर उतार दूंगा. आप अपने हाथ मेरे गले में डाल लीजिये और थोडा सब्र कीजिये."
मैं तेज़ी से नीचे उतरने लगा और दिव्या गिरने के डर से मेरे गले में हाथ डालकर मेरे सीने से लग गयी. उसकी चून्चिया मेरे सीने में गड रही थी और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था और दूसरा उसकी गदराई गांड पर. दिव्या का मुह शर्म से लाल हो रहा था पर वो कर भी क्या सकती थी. करीब २० मिनट में हम कार के पास पहुच गए और मैंने दिव्या को पीछे की सीट पर लिटा दिया.
लिटाने के बाद मैंने दिव्या के होठो पर एक किस कर लिया. दिव्या मुझे हैरानी से देखने लगी. मैंने वही डायलॉग मार दिया जो राजेश ने रेणुका को बोला था. मैंने कहा "माफ़ कीजिये दिव्या जी लेकिन इतना हुस्न इतने नज़दीक से देख कर मुझसे रहा नहीं गया."
दिव्या नाराजगी से कुछ नहीं बोली और राजेश को फ़ोन मिलाने लगी. मुझे पता था की फोन नहीं मिलेगा क्योंकि नीचे तो नेटवर्क था लेकिन ऊपर राजेश और रेणुका के फोन में तो नेटवर्क होगा ही नहीं तो मैं तसल्ली से डिक्की में दवाई ढूढ़ने लगा. मुझे स्प्रे के साथ आयोडेक्स भी मिल गया. मैं दिव्या के पैरो के पास बैठ गया और उसके पैर अपनी गोद में रख कर आयोडेक्स लगाने लगा. दिव्या बोली "तुम रहने दो. मुझे दो. मैं अपने आप लगा लूंगी."
मैंने कहा "आप लेटी रहिये. मुझ पर गुस्सा फिर कभी निकाल लीजियेगा. अभी मुझे मालिश करने दीजिये."
दिव्या चुप हो गयी और मैं उसके पैर की अच्छे से मालिश करने लगा. मालिश करते करते मेरा लंड खड़ा हो गया और दिव्या के पैर में लगने लगा. जब दिव्या को ये महसूस हुआ तो वो बोली "अब रहने दो. काफी आराम है. पर राजेश का फोन नहीं लग रहा."
मैंने मालिश करना बंद कर दिया. मैंने देख लिया था की मोच ज्यादा नहीं है और थोड़ी देर में ठीक हो जाएगी.
"अब सिवाय यहाँ उन लोगो का इंतज़ार करने के और चारा भी क्या है." मैंने दिव्या से कहा और उसके पैर और जांधे सहलाने लगा. दिव्या कुछ नहीं बोली. वो समझ चुकी थी की जब तक राजेश वापस नहीं आता तब तक मैं इतनी छूट तो लूँगा ही.
जब काफी देर हम उपर नहीं पहुचे तो रेणुका बोली "ये लोग अभी तक नहीं आये. हमको जाकर देखना चाहिए."
राजेश को यूं तो रेणुका के साथ बहुत मज़ा आ रहा था पर उसने भी मन में सोचा की कही मैं रास्ते में दिव्या के साथ कुछ ज्यादा हरकतें तो नहीं करने लगा तो वो लोग वापस नीचे आने लगे. वापसी के समय में भी राजेश ने रेणुका से काफी छेड़छाड़ की.
रेणुका और राजेश जब नीचे पहुचे तो उन्होंने देखा की हम दोनों कार में बैठे है. मैंने उन्हें बताया की दिव्या के पर में मोच आ गयी है तो अब कही और जाने की बजाय हमें होटल जाना चाहिए.
राजेश बोला "हां वैसे भी होटल पहुचते पहुचते शाम ही हो जाएगी" और हम वापस होटल लौट आये.
होटल पहुचते पहुचते दिव्या काफी ठीक हो गयी और राजेश का सहारा लेकर अपने रूम में चली गयी..
हम भी अपने कमरे में लौट आये. थोड़ी देर तक रेणुका मुझे बताती रही की ऊपर के नज़ारे बहुत खूबसूरत थे फिर रेणुका नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी तो मैंने कमरे के अन्दर का दरवाजा अनलॉक करके खटखटाया.
राजेश ने भी फ़ौरन दरवाजा खोल दिया तो मैंने बोला की मेरा बाथरूम बिजी है क्या आपका यूज़ कर लूं. राजेश ने फ़ौरन बोला हाँ हाँ आ जाओ. मैं उनके कमरे में घुस गया. दिव्या ने कपडे चेंज कर लिए थे और एक शोर्ट नाईटी पहन ली थी और बेड पर बैठ कर लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी.
अचानक मुझे देख कर वो परेशान हो गयी. मैं फौरन बाथरूम में घुस गया और राजेश और दिव्या की बात सुनने लगा.
दिव्या राजेश के ऊपर नाराज़ हो रही थी की क्यों उसने मुझे कमरे में आने दिया. पहले उसको बता देता तो वो कपडे बदल लेती. मैंने थोड़ी देर उनकी बातें सुनी और फिर बाथरूम से बाहर आ गया.
दिव्या मुझे देखकर चुप हो गयी. मैंने राजेश से कहा की अब कहीं बाहर जाने का प्लान तो नहीं है. राजेश बोला "अभी दिव्या के पैर में हल्का सा दर्द है तो आज तो कही नहीं जायेंगे. डिनर भी यही कर लेंगे. बाकी कल देखा जायेगा."
मैंने राजेश से धीरे से कहा "तो आप और दिव्या मेरे रूम में आ जाओ. यहीं पार्टी करते है." राजेश ने दिव्या से बोला "चलो यार थोड़ी देर मनीष के कमरे में बैठते है." दिव्या बोली "आप जाओ. मैं कपडे बदल कर आती हूँ."
मैंने कहा "अरे भाभी कपडे मत बदलिए. रूम में ही तो है. चलिए ऐसे ही चलिए. चलिए आइये."
राजेश ने भी कहा तो दिव्या वही शोर्ट नाईटी पहन कर राजेश के साथ मेरे रूम में आ गई.
मैं स्कॉच की बोतल तो घर से ले कर आया था. मैंने फोन करके सोडा बर्फ और कुछ स्नेक्स भी कमरे में मंगवा लिए थे. तब तक रेणुका भी नहा कर निकल आयी.
वो शायद अपने कपडे नहीं ले गयी थी तो उसने सिर्फ बाथरोब पहना था. रूम में दिव्या और राजेश को देखकर वो चौंक गयी और वापस बाथरूम में घुस गयी. रेणुका को बाथरोब में देख कर राजेश की तो आंखे बाहर निकल आयी.
रेणुका ने बाथरूम के अंदर से मुझसे इशारे से कपडे मांगे. मैंने उसकी शोर्ट नाईटी उसे दे दी. उसने मुझे नाराजगी से देखा तो मैंने धीरे से बोला "यार कही जाना तो है नहीं. यही पहन लो. देखो दिव्या भी तो नाईटी पहने है. जल्दी से पहन कर आ जाओ. दिव्या बोर हो रही है"
रेणुका बोली "पर राजेश?"
"कुछ नहीं होता यार. जल्दी से आ जाओ." मैंने कहा तो रेणुका वो ड्रेस पहन कर बाहर आ गयी और बेड पर बैठ गयी. मेरा और राजेश का मकसद यही था की आज हम थोड़े बेतकल्लुफ हो जाये और दिव्या और रेणुका की शर्म थोड़ी कम हो जाये.
मैं रेणुका के साथ बेड पर बैठ गया और राजेश और दिव्या सामने सोफे पर. हमने बोतल खोल ली और पेग लगाने लगे. रेणुका और दिव्या आपस में बात करने लगी. दोनों ही शार्ट नाईट ड्रेस में कयामत लग रही थी. मैं और राजेश टीशर्ट और बरमूडा में थे और उनकी टाँगे ताड़ रहे थे.
राजेश ने रेणुका और दिव्या से भी पीने के लिए कहा तो उन्होंने स्कॉच पीने से मना कर दिया और बियर मंगाने को बोला. मैंने फोन करके बियर का एक पाईंट मंगवा लिया. मैं और राजेश आज मूड में थे तो हमने वेटर को बोल दिया की पाईंट में आधी बियर और आधी व्हिस्की रखना.
करीब १० मिनट में दोनों औरतों का ड्रिंक भी आ गया और अब दिव्या और रेणुका भी हमारा साथ देने लगी. दिव्या बोली "ये बियर थोड़ी अजीब सी लग रही है." मैंने बोला "स्ट्रोंग है शायद इसीलिए. आप कहे तो लाइट मंगवा दूं."
"नहीं ठीक है. रेणुका तुम्हे तो कोई दिक्कत नहीं है..." दिव्या ने रेणुका से पूछा. रेणुका ने तो जिंदगी में कुल ८-१० बार पी होगी तो उसको कुछ पता नहीं चल रहा था. उसने कहा की मुझे तो ठीक लग रही है और दोनों ने अपना अपना गिलास खाली कर दिया. मैंने फिर से उनके गिलास भरे और वापस फोन करके कुछ स्नैक्स और बियर लाने को बोला.
थोड़ी देर बाद जब वेटर स्नेक्स और बियर लेकर आया तो मैं और राजेश दोनों दरवाजे पर चले गए. मैंने राजेश को बियर पकड़ाते हुए कहा "अब आप रेणुका के बगल में बेड पर आ जाओ और मैं दिव्या के बगल में बैठूंगा."
राजेश बोला "यार गड़बड़ न करो. बात तो इनको थोडा बेशर्म करने की हुई थी. तुम ज्यादा जल्दी कर रहे हो."
मैंने कहा "ज्यादा सोचो मत. अभी तो बस एन्जॉय करो. अगर इन्होने मना किया तो हम वापस जगह पर आ जायेंगे फिर जो होगा देखेंगे."
राजेश बोला "यार एन्जॉय तो ठीक है लेकिन थोडा डर भी लग रहा है लेकिन तुम कहते हो तो चलो."
हम जब वापस आये तो राजेश बियर टेबल पर रख कर रखकर रेणुका के साथ बेड पर बैठ गया और मैं आकर दिव्या के साथ सोफे पर बैठ गया. अब तक बियर में मिली व्हिस्की ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था तो रेणुका और दिव्या ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया.
रेणुका ने अपना गिलास खाली करके टेबल पर रख दिया. राजेश और मैंने भी अपने गिलास खाली कर दिए थे. मैं अपने और राजेश के लिए पेग बनाने लगा और राजेश रेणुका और
दिव्या के गिलास में बियर भरने लगे. रेणुका बोली "नहीं नहीं अब और नहीं. मुझे नशा चढ़ गया है"
राजेश बोला "अरे अभी तो बियर मंगवाई है तुम लोगो के लिए और पीते तो इसीलिए है की नशा हो वरना पीने का क्या फायदा. चलो ये गिलास तो ख़तम करो." राजेश ने ये कहते कहते गिलास उठाया और रेणुका के मुह में लगा दिया.
रेणुका ने एक सिप लिया और बोली "बस अब और नहीं."
राजेश बोला "देखो मैं अपने हाथो से पिला रहा हूँ तुम मना नहीं कर सकती." और दुबारा रेणुका को बियर पिलाने लगा. इसी बीच उसने अपना दूसरा हाथ रेणुका के कंधे पर रख दिया पर रेणुका कुछ नहीं बोली.
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to be continued ...