अब आगे.................
महक को एक अजनबी के साथ बंद कमरे में छोड़कर परम बहुत उदास हो गया। उसे पता था कि वह अजनबी का लंड उसकी बहन का कौमार्य भंग करेगा, वह उसकी बहन की चूत चोद-चोद के कितनी बड़ी कर देगा, जिसकी उसे पिछले दो हफ़्तों से चाहत थी। उसे अपनी बहन के साथ की सारी मस्ती याद आ गई। उसने कल्पना की कि वह उस सेठ से कैसे चुद रही होगी। वह उसकी मस्त जवानी का मज़ा ले रहा होगा। वह सचमुच बहुत दुखी था और अपनी सेक्सी माँ सुंदरी पर गुस्सा हो रहा था। उस मादरचोद माँ ने ही पैसों के लिए महक को अपनी चूत का कौमार्य भंग करवाने के लिए उकसाया था और वह भी दुसरे कोई धनपति के द्वारा। परम अपने आप पर भी उतना ही गुस्से में था उसका मन यह मानने को तैयार ही नहीं था की उसकी बहन किसी और के सामने अपना पैर फैलाए और वह अजनबी उसकी चूत को फाड़े। यह शायद उसके लिए असहनीय था। उसी समय सुंदरी भी अपने आप को कोस रही थी की यह उसके द्वारा लिया गया सब से गन्दा काम था। वह “अब” नहीं चाहती थी की कोई अजनबी उसकी बेटी की चूत और गांड से खेले। हाँ वह एक व्याभिचार (इन्सेस्ट) में मानती थी और वह चाहती थी की महक उसके पापा की बनी रहे और वह खुले आम अपने विचारो से अपने पैर मनपसंद आदमी के लिए खुले रखे। पर पैसा उसके लिए महत्त्व था और उसीका नतीजा यह था की आज उसकी बेटी उसकी मरजी से किसी और के लंड को अपने में समा रही थी। मैत्री और नीता की रचना।
वह यही सब सोच रहा था कि तभी उसने पूनम के पिता और उसकी छोटी बहन को वहाँ से गुजरते देखा। उन्होंने भी उसे देखा और रुक गए। जैसे ही परम ने पूनम की छोटी बहन पूमा (असली नाम पूर्णिमा) को देखा, वह सब कुछ भूल गया। वह महक, छोटी बहू और सुंदरी को भी भूल गया। वह उसकी खूबसूरती पर मंत्रमुग्ध हो गया। हालाँकि उसने पूमा को पहले भी देखा था, लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब, जब उसने उसे अच्छे कपड़े पहने और थोड़ा सा मेकअप किए देखा, तो वह उससे प्यार करने लगा और उसने उससे शादी करने का फैसला कर लिया।
वह कितनी मनमोहक सुंदरी थी। पुमा एक पतली लड़की थी, अपनी बहन पूनम वाह से दो साल छोटी थी, जिसे कल रात बाप (मुनीम) और बेटे दोनों ने चोदा था। जब परम उनसे बात कर रहा था तो वह सुधा के सामने मुनीम के मोटे और बड़े सुपारे से अपनी चूत भरवा रही थी। परम ने पुमा और उसके पिता के साथ खुशियों का आदान-प्रदान किया। वह खुद को रोक नहीं सका।
परम ने पुमा के गाल को सहलाते हुए पूछा कि वे लोग कह जा रहे हैं। परम ने बताया कि वो सेठजी के काम से बाजार आया था और करीब दो घंटे के बाद वापस सेठजी के घर जाएगा। बात करते करते परम पुमा के गालो को सहलाता रहा और पुमा की नजरें नीचे की हुई खड़ी रही। पुमा के पापा ने परम को डांटा कि वो उनके घर आता नहीं है और कहा कि वो भी एक दोस्त के घर 'पूजा' में जा रहे हैं और वहां से वापस आने के लिए 1.5 से 2 घंटे लग जाएंगे। परम उनकी बात सुनता रहा और पुमा को घूरता रहा।
पुमा अभी कच्ची कली थी। उसकी चुची टमाटर के आकार की है। फ्रॉक के ऊपर से छोटी चुचियों का कसाव साफ़ साफ़ दिख रहा था। परम का मन किया कि हाथ बढ़ा कर उन चुचियों को मसल डाले। परम ने पुमा को आंखो से ही चोदना चालू किया। पतली कमर और घुटनों के ऊपर टाइट निचली जांघ को देखकर परम का लंड पैंट के नीचे धमाल करने लगा था। उसके कपडे हलका और खुला था इस लिए पुमा के पापा को और पुमा को पैंट के नीचे से लंड का कसाव नहीं दिखाई दिया।
कल रात ही परम ने पुमा की बड़ी बहन पूनम को चोदा था और उसकी टाइट और मस्त चूत का मजा रात भर लिया था लेकिन अब परम का मन कर रहा था कि वही पुमा को नंगी कर पूरा का पूरा लंड उसकी टाइट चूत में घुसेड़ डाले। पुमा की अनदेखी और टाइट चूत के बारे मे सोचते-सोचते परम को लगा कि उसके लंड फाड़ कर बहार निकल आएगा। परम ने पुमा के गालो पर से हाथ हटा कर उसकी कंधे पर रख कर थोड़ा जोर से दबाया। पुमा ने आंखें उठाई कर परम को देखा और मुस्कुराइ। और अपने पापा की ओर देखा। पापा भी परम की हरकत देख ही रहे थे पर उनके मुंह पर ऐसा गुस्सेवाला कोई भाव नहीं था क्योकि वह इस हरकत को सामान्यरूप से ले रहा था। उसे क्या पता की परम के मन में क्या चल रहा है और वह इस हरकत क्यों कर रहा है। लेकिन कब तक!
परम तो पुमा की प्यारी प्यारी आँखों को देखता ही रहता अगर पुमा का पापा उसका हाथ पकड़ कर आगे नहीं बढ़ता। जाते समय उसने परम को बताया कि पुमा की माँ घर पर अकेली है और अगर परम के पास कोई काम नहीं है तो वह उनके लौटने तक उसके साथ समय बिता सकता है।
दोनों चले गए और परम अकेले रह गया। उसे सेठजी के घर वापस जाना था, सुंदरी को अपने साथ लेना था और महक को लेना था और उसके बाद ही उसे घर जाना था। वह सेठजी के घर वापस जा सकता था और बहू और रेखा दोनों के साथ कुछ मस्ती करने की कोशिश कर सकता था लेकिन उसने पुमा के घर जाने का फैसला किया। उसने पुमा की मां से अपने मन की बात कहने का फैसला किया कि वह पुमा से शादी करेगा।
उसके पैर अपने आप ही पुमा के घर की तरफ चल पड़े। परम ने उसे उसके पति और पुमा से हुई अपनी छोटी सी मुलाक़ात के बारे में बताया। पुष्पा कमरे में एक चारपाई पर बैठ गई और परम को बैठने को कहा। परम ने उसके पास कुर्सी खींच ली। वे बातें करने लगे और अचानक परम बोला,
"काकी, पुमा से मेरी शादी करा दो.."
काकी ज़ोर से हँस पड़ीं। “अरे बेटा, पुमा तो अभी बच्ची है, कच्ची कली है…लेकिन अब तक तू पूनम के पीछे पागल था…मुझे पता है।”
“काकी, तुम तो जानती हो, पूनम और रेखा दोनों ने मुझसे शादी करने से मना कर दिया है…साली कहती है कि मैं उनके लिए बहुत छोटा हूँ…” परम ने कहा और जोड़ा..
"पुमा तो मुझसे छोटी है...मैं उससे ही शादी करूंगा..."
परम कुर्सी से उतर गया और अपने घुटनों के बल उसके पैरों के पास फर्श पर बैठ गया। उसने दोनों हाथ उसकी जाँघों पर रखे और कहा,
“नहीं काकी, मुझे तो पूमा चाहिए…उससे ही शादी करूंगा…” मैत्री और नता की रचना।
काकी ने परम के बालों पर हाथ रखा और उसके बालों को सहलाया। बालो को सहलते सहलते काकी ने कहा,
“अरे बेटा, वो अभी कच्ची है, उसे पूरा जवान होने में 2-3 साल लगेंगे… तब बोलेगा तो मैं उससे तेरी शादी करवा दूंगी।”
काकी ने अपनी उंगलियों को परम के बालो में फंसाते हुए कहा “क्या पता तब तक पुमा किसी और को पसंद कर ले..।”
“कुछ भी हो… मैं इंतजार करूंगा और पुमा की जवानी का मजा मैं ही लूंगा… मैं ही उससे शादी करूंगा… वो बस मेरी ही है।”
परम को अब होश आया कि उसके हाथ काकी की मोटी और सख्त जाँघों पर हैं। वह कपड़ों, पेटीकोट और साड़ी के ऊपर से भी उसकी जाँघों की गर्मी महसूस कर सकता था.. पहले तो सामने नहीं थे, परम ने अभी काकी को ही चोदने का मन बनाया।
"जानती हो काकी, पुमा को देखते ही पता नहीं क्या हुआ, मेरा पूरा बॉडी टाइट हो गया है। लगता है पैंट फट जाएगा..।"
बोलते-बोलते परम ने अपने दोनों हाथों को काकी के जांघों के बीच डाल कर दबाया। मैत्री और नीता की रचना।
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रात का समय, घर में अकेली एक लड़का के साथ। पति-बेटियों के इतनी जल्दी आने और परम की इतनी सेक्सी बातों की उम्मीद नहीं थी। प्रतिक्रिया स्वरूप उसने अपनी जाँघें अलग कर दीं लेकिन साथ ही उसने अपनी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाते हुए परम के हाथों को खींच लिया और उसे अपने घुटनों के ठीक ऊपर ही रहने दिया। परम की माँ, उसकी अच्छी सहेली थी और दोनों मौका मिलने पर खूब बातें करते थे।
पुष्पा (पुमा और पूनम की मां) को अच्छा लगा कि परम उसकी बेटी की तारीफ कर रहा है। और खास कर पुष्पा को परम के बात करने का तरीका अच्छा लगा। परम जिस तरह से उसकी जाँघो को मसल रहा था, पुष्पा को अच्छा लगा। पुमा के पापा तो दो-तीन बार चुची को दबाते थे, जांघों को सहलाते थे और चूत में लौड़ा घुसा कर खूब चुदाई करते थे। वो कभी मस्ती नहीं करते थे, जब पुष्प चाहते थे तो चुदाई के पहले कोई उसे घंटो सहलाए, मसले, चूमे, चाटे टब चुदाई करे..
लेकिन पुष्पा को अभी भी अपने पति से चुदवाने में वही मजा मिला था जो पहली बार की चुदाई में मिला था। चुदाई की बात सोचते ही पुष्पा की चूत पनिया गई और उसने परम के बालों को सहलाते हुए अपनी जांघों को झुका दिया। ऐसा करने में उसकी चुची परम के हेड से टकरा गई लेकिन तुरंत ही परम के हेड को ऊपर उठा दिया और कहा,
“अच्छा बता, पुमा मे क्या है जो तुम इतना गरम हो गए हो, जब की पूनम पूरी जवान और तैयार है, और अच्छा माल भी बन चुकी है।”
परम के हाथों को ऊपर पुष्पा ने अपना हाथ रखा हुआ था फिर भी परम ने अपने हाथों को पुष्पा की जांघों को ऊपर की तरफ बढ़ाया। पुष्पा का हाथ परम के हाथों को दबाया जा रहा है और परम को पुष्पा की टाइट और गुदाज़ जांघों का मज़ा मिल रहा है।
“मुझे पता नहीं, लेकिन उसको देखते ही मैं और मेरा नीचेवाला पूरा गर्म हो गया।”
परम हौले-हौले जांघो को मसल रहा था और पुष्पा को भी मजा आ रहा था। पुष्पा ने मन ही मन सोच लिया था कि वो परम को कपड़े के ऊपर से पूरा मजा लेने देगी, जहां भी हाथ लगाना चाहेगा, सहलाने देगी, उसने फैसला किया कि वो परम को अपनी नंगी चूची भी दिखाएगी लेकिन चूत नहीं.. परम ने सहलाते-सहलाते जांघो को बाहर की तरफ फैलाया और पहली बाद खुलकर कहा,
“काकी दोनो टैंगो को पूरा फैलाओ प्लीज़!”
पुष्पा ने एक पैर को उठाकर बिस्तर पर रख दिया और दूसरे पैर को नीचे ही लटका दिया।
“टांग को फैला कर क्या करेगा…?” मैत्री और नीता की रचना।
पुष्पा ने मुस्कुराते हुए पुछा,फिर पुछा,
“तू बोला नहीं! पूमा में तुम्हे क्या दिखाई दिया। जो इतना प्यार उमड़ पड़ा है तेरे दिल में और निचे भी!”
पुष्पा अब जैसे बैठी थी उसमें उसकी एक जांघें ऊर्ध्वाधर स्थिति में थीं और दूसरे जांघों के बिस्तर पर क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल) स्थिति में थीं। परम ने अपने बाएं हाथ को क्षैतिज जांघों पर जांघों के केंद्र पर रखा और दाहिने हाथ से ऊर्ध्वाधर जांघों को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
"काकी तुम्हारी जाँघ (जाँघें) बहुत मस्त, भरी हुई और टाइट है और साथ में चिकनी भी। बिलकुल केला के अंगूठा (केले का तना) जैसा।"
और परम ने जोर से दोनों जांघों को मसल दिया।
"ISSSSSSSSSSSS। पुष्पा ने जोर से सिस्कारी मारी. "इतना जोर से मसला। बोल ना पुमा मे क्या देखा..जो भी तेरे मन में है वह सब बता, डर मत बेटे।"
“काकी, टमाटर के साइज़ की टाइट चुची, उसके गोरे और चिकनी गाल और उसकी चिकनी चिकनी जाँघें, मैंने उसकी चूत के बारे में सोचा है की वह मस्त माल होगी।“ उसने फिर से एक जांघों को बिल्कुल चूत के पास जोर से मसला कि पुष्पा की चूत भी खिंच गई।
आज के लिए बस इतना ही कल फिर से एक नए अपडेट के साथ आपके समक्ष हाजिर होंगी.............तब तक के लिए क्षमा................
शुभरात्री
।।जय भारत।।