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Funlover

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Ji shukriya dost
Updates jald dene ki koshish karungi
 
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Funlover

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Sundari ko paise ke lat lag gayi hai. Paise ke liye khud ko aur Mehak ko pesh karne me nahi hichkichayegi. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Ji aapne bilkul sahi kaha
Paisa aur vasana dono shayad ek had se aage abhishap ban jata hai.
 
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vakharia

Supreme
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काफी अरसे बाद फोरम पर आना हुआ और आपकी कहानी देखकर पढे बिना रह न सका.. फिलहाल कुछ ही अपडेट पढ़ पाया हूँ और इतने में ही काफी प्रभावित कर गई यह कहानी..

पढ़कर ऐसा लगा जैसे मैं खुद सुंदरी के घर की दीवारों के पीछे छुपा हुआ हूँ और यह सब अपनी आँखों से देख रहा हूँ.. आपने तो जैसे शब्दों की रंगोली ही बिछा दी है..!! एक तरफ तो कहानी इतनी गर्माहट भरी है कि पढ़ने वाला पसीना-पसीना हो जाए, दूसरी तरफ उसमें एक अजीब सा.. कोमल-सा.. दर्द भी छुपा है..

सुंदरी का किरदार इस कहानी की रूह है.. वो औरत जो सब कुछ समझती है, जानती है, पर खुद अपनी ही देह की आग में जल रही है.. उम्र के उस पड़ाव पर जहां एक औरत को लगता है कि उसकी जवानी बिना बुलाए मेहमान की तरह दरवाज़ा खटखटा रही है, तब उसकी ये हालत... बड़ी ही दिलचस्प.. आपने बड़े करीने से उसकी इस उलझन, उसकी छटपटाहट को शब्द शब्दों का रूप दिया है..

और परम...! वो नासमझ सा लड़का जो एक दिन पहले तक बस अपनी माँ की खूबसूरती पर मर मिटता था, आज उसी के साथ वो सब कर रहा है जिसके बारे में उसने सिर्फ सपने में सोचा था.. उसके अंदर के उस भावनात्मक संघर्ष को बहुत खूबसूरती से पकड़ा है जहां एक तरफ माँ का सम्मान, दूसरी तरफ उसके शरीर के प्रति आकर्षण.. ये द्वंद्व कहानी को और भी मज़बूत बना देता है..

रेखा और महेक के किरदार भी उतने ही मज़बूत हैं.. हर किरदार की अपनी भूख, अपनी कमजोरी, अपनी ताकत है.. हर रिश्ते में छुपे उस गहरे यौन तनाव को बहुत बारीकी से दिखाया है जो भारतीय समाज में अक्सर दबा दिया जाता है..

शब्दों का चयन...!! जैसे मख्खन पर चाकू चल रहा हो.. हर वाक्य में एक लय है, एक संगीत है.. अश्लीलता नहीं, बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति है..

ये कहानी सिर्फ सेक्स के बारे में नहीं है... यह उन इच्छाओं, उन भावनाओं, उन उलझनों के बारे में भी है जो हर इंसान के मन में कहीं न कहीं मौजूद होती हैं.. आपने इन सबको इतनी खूबसूरती से पिरोया है कि पाठक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करने लगता है..

आगे पढ़कर और लिखूँगा

धन्यवाद
 

Funlover

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बहुत ही शानदार उपडेट दिया है आपने ! एक नंबर 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
जी आपका बहोत बहोत शुक्रिया दोस्त

आप सब को कहानी में मजा आई यही मेरे लिए मेरे प्रयास की सफलता है

थेंक यु दोस्त
 

Funlover

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Super...wonderful....परम तो एकदम superman निकला. एक ही दिन में ६ लोगों की बजा दिया. और आगे भी काफी लोग लाइन में है :)

Funlover
बहोत बहोत आभार आपका

जी परम की तो चाँदी ही चाँदी है .....हीरो जो है
 

Funlover

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बहुत ही शानदार, कामुक और दिलखुश करने वाला अपडेट दिया है वापस आकर आपने, मैं ऐसे ही अपडेट की उम्मीद कर रहा था ।
इतनी चुदाई हो रही है आपकी कहानी में कई इसका शीर्षक परम-सुन्दरी ना हो कर चोदू गाँव होना चाहिए था हा हा हा हा ।
अब सुन्दरी ने अपनी नई नई सील तुड़वाई हुई बेटी को दुनियादारी समझाते हुए हिदायत भी दे दी है कि वह घर के पुरुषों को खुश करने के साथ बाहर अपने मनपसंद पुरूष के साथ सत्सर्ग, अन्तरंग कर सकती है मगर फ्री में नही करना है । क्योंकि जब चीज फ्री में बंटने लगे तो उसकी वैल्यू नही रहती चार्म खत्म हो जाता है ।
लेखक की एक बहुत अच्छी सोच दर्शाई गई है कहानी के सीन के पीछे । कहानी की मूल भावना बनी रहे और पाठक को बाँधे रखे । यही एक अच्छे लेखक की खूबी होती है ।
जिस प्रकार सुन्दरी ने महक को बाहर भेजा है उसे पता है घर के दरवाजे के बाहर तो जाएगी नही जाएगी तो मुनीम के पास ही । आखिर मुनीम को भी तो हिस्सा मिलना चाहिए । आगे का सीन देखना रोचक रहेगा । भविष्य में शायद एक ही कमरे में मुनीम महक के साथ और परम सुन्दरी के साथ एक साथ बिना लज्जा के अंतरंग हो । और आगे जाकर मुनीम और परम दोनो मिल कर महक और सुन्दरी को एक साथ भोगे । काफी रोचक रहेगा ये देखना भी ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद । आप स्वस्थ रहे खुश रहे और लिखते रहे
सब से पहले तो आपका धन्यवाद.

आपके लिए अब ज्यादा नहीं लिखूंगी......बस आप कहानी के पीछे का मकसद बहोत अच्छे से पढ़ रहे है...........

जैसा मैंने पहले भी कहा था इस पूरी कहानी में अश्लीलता के पीछे एक दर्द,ख़ुशी,फिलिंग छुपी रहेगी जो पाठक अपने हिसाब से उसके पीछे का मर्म समझेंगे. पूरी कहानीमे कही भी मैं हार्द या गहराई को उजागर नहीं करुँगी. कोशिश भी नहीं रहेगी.

हा हा हा आपका सुझाव ध्यान में रहेगा अगर यह कहानी ख़तम हुई जो की शादी समारोह तक सिमित है, और अगर पाठक गण उसे आगे लिखने की इच्छा जाहिर करते है तो अगले चेप्टर का नाम यही रख देंगे (चोदु गाँव). अब कितनी इच्छाए प्रगट होती है और कैसे होती है उस पर आधार रखता है. अभी तो कोइ प्लान नहीं है. लेकिन आगे सुंदरी के जीवन के बारे में या फिर परम के बुढ़ापे तक लिख सकते है......हा हा हा हा हा

अब तक तो यही दर्शाने की कोशिश है की पैसा और वासना दोनों मिल जाते है तो एक हद से आगे वह व्यभिचार है और इसके लिए अपनी विवेक बुध्धि ही सब से बेस्ट है.


अब मुनीम को अपना हिस्सा मिलता भी है या नहीं, अगर मिलता है तो कब,कैसे,क्यों......यह सब आगे की कहानी ही बता सकती है, अभी फिलहाल तो मुझे भी नहीं पता..... :DD:


फिर से आपका बहोत बहोत धन्यवाद


ऐसा ही एक गाँव और भी है जो मेरी दूसरी कहानी में है लेकिन वह सिर्फ गाँव है जहा अश्लीलता कम है और गाँव का परिचय ज्यादा है. शायद अआपने पढ़ी होगी.........
 
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Funlover

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काफी अरसे बाद फोरम पर आना हुआ और आपकी कहानी देखकर पढे बिना रह न सका.. फिलहाल कुछ ही अपडेट पढ़ पाया हूँ और इतने में ही काफी प्रभावित कर गई यह कहानी..

पढ़कर ऐसा लगा जैसे मैं खुद सुंदरी के घर की दीवारों के पीछे छुपा हुआ हूँ और यह सब अपनी आँखों से देख रहा हूँ.. आपने तो जैसे शब्दों की रंगोली ही बिछा दी है..!! एक तरफ तो कहानी इतनी गर्माहट भरी है कि पढ़ने वाला पसीना-पसीना हो जाए, दूसरी तरफ उसमें एक अजीब सा.. कोमल-सा.. दर्द भी छुपा है..

सुंदरी का किरदार इस कहानी की रूह है.. वो औरत जो सब कुछ समझती है, जानती है, पर खुद अपनी ही देह की आग में जल रही है.. उम्र के उस पड़ाव पर जहां एक औरत को लगता है कि उसकी जवानी बिना बुलाए मेहमान की तरह दरवाज़ा खटखटा रही है, तब उसकी ये हालत... बड़ी ही दिलचस्प.. आपने बड़े करीने से उसकी इस उलझन, उसकी छटपटाहट को शब्द शब्दों का रूप दिया है..

और परम...! वो नासमझ सा लड़का जो एक दिन पहले तक बस अपनी माँ की खूबसूरती पर मर मिटता था, आज उसी के साथ वो सब कर रहा है जिसके बारे में उसने सिर्फ सपने में सोचा था.. उसके अंदर के उस भावनात्मक संघर्ष को बहुत खूबसूरती से पकड़ा है जहां एक तरफ माँ का सम्मान, दूसरी तरफ उसके शरीर के प्रति आकर्षण.. ये द्वंद्व कहानी को और भी मज़बूत बना देता है..

रेखा और महेक के किरदार भी उतने ही मज़बूत हैं.. हर किरदार की अपनी भूख, अपनी कमजोरी, अपनी ताकत है.. हर रिश्ते में छुपे उस गहरे यौन तनाव को बहुत बारीकी से दिखाया है जो भारतीय समाज में अक्सर दबा दिया जाता है..

शब्दों का चयन...!! जैसे मख्खन पर चाकू चल रहा हो.. हर वाक्य में एक लय है, एक संगीत है.. अश्लीलता नहीं, बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति है..

ये कहानी सिर्फ सेक्स के बारे में नहीं है... यह उन इच्छाओं, उन भावनाओं, उन उलझनों के बारे में भी है जो हर इंसान के मन में कहीं न कहीं मौजूद होती हैं.. आपने इन सबको इतनी खूबसूरती से पिरोया है कि पाठक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करने लगता है..

आगे पढ़कर और लिखूँगा

धन्यवाद
हे हे vakharia भाई सब से पहले मेरे इस छोटे से प्रयास और थ्रेड पर आपका स्वागत है।


आप जैसे बड़े लेखक मेरे जैसी छोटी और सिखाऊ लेखिका के थ्रेड को पढ़ रहे है जानकर ही एक गुरुर पैदा हो जाता है।

मुझे ख़ुशी हुई के मेरे कुछ शुरूआती पाठक में से आप एक हो और यहाँ मुझे अपनी टिप्पणियो से बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

मुझे यहाँ सब के सामने कहने में गर्व महसूस होता है की आप उन लोगों में से एक वही है जिन्होंने मुझे लिखना सिखाया या फिर प्रोत्साहित किया था। शायद आप भूल गए होंगे पर मेरे लिए भूलना थोडा मुश्किल है।

आपकी इस टिपण्णी ही मेरे लिए दिवाली की गिफ्ट है................आपको नए साल की शुभकामनाये।

मेरी अगली कोममेंट में ऐसा ही लिखा है की इस कहानीमे भरपूर अश्लीलता के साथ और उसके पीछे दर्द,ख़ुशी,दुःख,आनंद,फीलिंग्स,और समाज के नियम को कुछ हद तक शब्दों के पीछे मर्म के तौर पर रखा है।

जैसा की पैसा ही सब कुछ करवाता है......बहोत कुछ......महिला की अन्दर छुपी अभिवयक्ति,विचार,दर्द,पछतावा और पैसा बहोत कुछ.....शायद आप आगे पढेंगे।

सब जानते है की आपकी लेखनशैली के सामने मेरी लेखनशैली कुछ भी नहीं है। पर कोशिश जुरूर करुँगी आप के सामने बैठ सकू।



शब्दों का चयन...!! जैसे मख्खन पर चाकू चल रहा हो.. हर वाक्य में एक लय है, एक संगीत है.. अश्लीलता नहीं, बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति है..
इस पर मैं आपसे एक विनती जुरूर करुँगी की मेरी एक दूसरी कहानी भी चल रही है जहा मैंने अलंकारिक और कलात्मक शब्दों से विवरण करने का प्रयास किया है। आशा है की आप एक बार पढेंगे और अपने विचार, टिपण्णी, कुछ होमवर्क जुरूर देंगे।
कहानी का नाम है
"लूई के पन्ने!"
इस कहानी के पाठक कम है तो ध्यान भी कम है। लेकिन मुझे आशा है की आपको पसंद आएगी।
आपका फिर से बहोत बहोत धन्यवाद।
 
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Mass

Well-Known Member
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बहोत बहोत आभार आपका

जी परम की तो चाँदी ही चाँदी है .....हीरो जो है
आपकी ये बात "चाँदी ही चाँदी है .....हीरो जो है" एकदम सही है. शायद मुझे भी अपनी कहानी में काम आएगा :)

Funlover
 
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