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Ji shukriya dostबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Updates jald dene ki koshish karungi
Ji shukriya dostबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Ji aapne bilkul sahi kahaSundari ko paise ke lat lag gayi hai. Paise ke liye khud ko aur Mehak ko pesh karne me nahi hichkichayegi. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
जी आपका बहोत बहोत शुक्रिया दोस्तबहुत ही शानदार उपडेट दिया है आपने ! एक नंबर![]()
बहोत बहोत आभार आपकाSuper...wonderful....परम तो एकदम superman निकला. एक ही दिन में ६ लोगों की बजा दिया. और आगे भी काफी लोग लाइन में है
Funlover
शुक्रिया दोस्तMast update
सब से पहले तो आपका धन्यवाद.बहुत ही शानदार, कामुक और दिलखुश करने वाला अपडेट दिया है वापस आकर आपने, मैं ऐसे ही अपडेट की उम्मीद कर रहा था ।
इतनी चुदाई हो रही है आपकी कहानी में कई इसका शीर्षक परम-सुन्दरी ना हो कर चोदू गाँव होना चाहिए था हा हा हा हा ।
अब सुन्दरी ने अपनी नई नई सील तुड़वाई हुई बेटी को दुनियादारी समझाते हुए हिदायत भी दे दी है कि वह घर के पुरुषों को खुश करने के साथ बाहर अपने मनपसंद पुरूष के साथ सत्सर्ग, अन्तरंग कर सकती है मगर फ्री में नही करना है । क्योंकि जब चीज फ्री में बंटने लगे तो उसकी वैल्यू नही रहती चार्म खत्म हो जाता है । लेखक की एक बहुत अच्छी सोच दर्शाई गई है कहानी के सीन के पीछे । कहानी की मूल भावना बनी रहे और पाठक को बाँधे रखे । यही एक अच्छे लेखक की खूबी होती है ।
जिस प्रकार सुन्दरी ने महक को बाहर भेजा है उसे पता है घर के दरवाजे के बाहर तो जाएगी नही जाएगी तो मुनीम के पास ही । आखिर मुनीम को भी तो हिस्सा मिलना चाहिए । आगे का सीन देखना रोचक रहेगा । भविष्य में शायद एक ही कमरे में मुनीम महक के साथ और परम सुन्दरी के साथ एक साथ बिना लज्जा के अंतरंग हो । और आगे जाकर मुनीम और परम दोनो मिल कर महक और सुन्दरी को एक साथ भोगे । काफी रोचक रहेगा ये देखना भी ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद । आप स्वस्थ रहे खुश रहे और लिखते रहे ।
हे हे vakharia भाई सब से पहले मेरे इस छोटे से प्रयास और थ्रेड पर आपका स्वागत है।काफी अरसे बाद फोरम पर आना हुआ और आपकी कहानी देखकर पढे बिना रह न सका.. फिलहाल कुछ ही अपडेट पढ़ पाया हूँ और इतने में ही काफी प्रभावित कर गई यह कहानी..
पढ़कर ऐसा लगा जैसे मैं खुद सुंदरी के घर की दीवारों के पीछे छुपा हुआ हूँ और यह सब अपनी आँखों से देख रहा हूँ.. आपने तो जैसे शब्दों की रंगोली ही बिछा दी है..!! एक तरफ तो कहानी इतनी गर्माहट भरी है कि पढ़ने वाला पसीना-पसीना हो जाए, दूसरी तरफ उसमें एक अजीब सा.. कोमल-सा.. दर्द भी छुपा है..
सुंदरी का किरदार इस कहानी की रूह है.. वो औरत जो सब कुछ समझती है, जानती है, पर खुद अपनी ही देह की आग में जल रही है.. उम्र के उस पड़ाव पर जहां एक औरत को लगता है कि उसकी जवानी बिना बुलाए मेहमान की तरह दरवाज़ा खटखटा रही है, तब उसकी ये हालत... बड़ी ही दिलचस्प.. आपने बड़े करीने से उसकी इस उलझन, उसकी छटपटाहट को शब्द शब्दों का रूप दिया है..
और परम...! वो नासमझ सा लड़का जो एक दिन पहले तक बस अपनी माँ की खूबसूरती पर मर मिटता था, आज उसी के साथ वो सब कर रहा है जिसके बारे में उसने सिर्फ सपने में सोचा था.. उसके अंदर के उस भावनात्मक संघर्ष को बहुत खूबसूरती से पकड़ा है जहां एक तरफ माँ का सम्मान, दूसरी तरफ उसके शरीर के प्रति आकर्षण.. ये द्वंद्व कहानी को और भी मज़बूत बना देता है..
रेखा और महेक के किरदार भी उतने ही मज़बूत हैं.. हर किरदार की अपनी भूख, अपनी कमजोरी, अपनी ताकत है.. हर रिश्ते में छुपे उस गहरे यौन तनाव को बहुत बारीकी से दिखाया है जो भारतीय समाज में अक्सर दबा दिया जाता है..
शब्दों का चयन...!! जैसे मख्खन पर चाकू चल रहा हो.. हर वाक्य में एक लय है, एक संगीत है.. अश्लीलता नहीं, बल्कि एक कलात्मक अभिव्यक्ति है..
ये कहानी सिर्फ सेक्स के बारे में नहीं है... यह उन इच्छाओं, उन भावनाओं, उन उलझनों के बारे में भी है जो हर इंसान के मन में कहीं न कहीं मौजूद होती हैं.. आपने इन सबको इतनी खूबसूरती से पिरोया है कि पाठक खुद को कहानी का हिस्सा महसूस करने लगता है..
आगे पढ़कर और लिखूँगा
धन्यवाद
आपकी ये बात "चाँदी ही चाँदी है .....हीरो जो है" एकदम सही है. शायद मुझे भी अपनी कहानी में काम आएगाबहोत बहोत आभार आपका
जी परम की तो चाँदी ही चाँदी है .....हीरो जो है