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जब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,



"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"

अब आगे....
.



बहू के दिमाग से सेठजी निकल गए। परम, उस खास कमरे की चाबी अपने साथ ही रखता था। उसने जाँच की। चाबी उसकी जेब में थी। उन्होंने एक और रिक्शा लिया और पाँच मिनट में सेठजी के ऑफिस पहुँच गए। रास्ते में परम ने उसे कमरे और ऑफिस के बारे में बताया। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उस कमरे में सेठजी और उसके ग्राहकों ने सुंदरी को चोदा था और उसने अपनी माँ और बहन को भी उसी बिस्तर पर चोदा था।

परम ने प्रार्थना की कि आज वह छोटी बहू का आनंद ले सके। वे पिछले दरवाजे से कमरे में दाखिल हुए। परम ने अंदर से कमरे की कुंडी लगा दी। उसने चारों ओर देखा। कमरा साफ था। नई चादर और तकिये का कवर, और कमरे में ताज़ा पानी भी।

सेठजी कमरे को किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार रख रहे थे। उन्होंने पानी पिया और बहू बिस्तर पर गिर पड़ी। परम ने उसकी तरफ देखा और पहली बार उसने बहू की छोटी लेकिन कसी हुई चूची (निपल) देखी, बिना साड़ी के ब्लाउज़ के। उसने देखा कि छोटे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे और बहू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसका मस्तिस्क में अभी भी ससुरजी घूम रहे थे। वह परम की बातो को फिर से अपने दिमांग में भरे हुए और बार बार उसी की तरफ सोच रही थी। सोच रही थी की ससुरजी ने आखिर उसमे क्या देखा जो मेरा चुतिया (पति) नहीं देख सका। वह सोच रही थी की कही ससुरजी ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया! जिस से ससुरजी के लंड में हलचल पैदा हो गई हो। यही सब सोच में डूबी हुई थी और परम अपने काम पर लगने की कोशिश में था।

परम ने उसकी जांघों पर नज़र दौड़ाई। वह पतली थी, कोई अतिरिक्त मांस नहीं, छोटी चूची, सपाट पेट, छोटी नाभि और लगभग तीन इंच नीचे उसने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी। उसका रंग दूधिया था। उसे ऐसे सहज पोज़ में देखकर परम का लंड खड़ा हो गया।

"परम, मुझे किताब दो।" उसने आँखें बंद करके कहा,
नीता की पेशकश

ओह्ह बहनचोद, मर गया,परम घबरा गया। "कौन सी किताब!" परम की गांड फट पड़ी

"वही, जो तुम छुपाके बैठे हो,जल्दी दो।" वह उठ बैठी।

उसने अपने बोबले ढकने की कोशिश नहीं की। उसने अपनी साड़ी अपने सीने से उतार दी। उसने परम को खींचा और उसकी कमीज़ के नीचे से किताबें निकालीं। उसने दोनों किताबें निकालीं। कवर पेज देखकर वह चौंक गई।

एक किताब पर एक औरत पूरी नंगी थी और अपनी चूत में साँप को घुमा रही थी और दूसरी पर एक औरत की गांड और चूत में दो लंड थे। उसने परम की तरफ देखा और बिना कुछ कहे पेट के बल लेट गई और पन्ने पलटने लगी। परम वहीं स्थिर पुतला बना रहा। बहू ने आखिरकार एक किताब चुनी और पढ़ने लगी।

"भाभी, तुम थक गई हो....कहो तो टांगें दबा दूँ?" परम ने मस्का मारने का शुरू किया

परम उसे चोदना चाहता था। और उसी हथकंडे से उसने सेठानी और फिर रजनी और पुष्पा को चोदा था। उसके पास एक सही हथियार आ चुका था किसी भी औरत की चूत तक पहुचने का।

“ठीक है दबा दे।” बहू ने कहा और उसने सेक्स की किताब पढ़ना जारी रखा। उसने परम की तरफ ध्यान नहीं दिया। वह एक कहानी पढ़ रही थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा है। और किस तरह अलग अलग पेंतरे रचा कर अपनी बेटी को पटाने की कोशिश करता है। और आखिर कैसे उसने अपनी बेटी को चोद दिया और अपनी हवस का शिकार बनाया। और बेटी भी किस तरह से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जवानी को लुटाते हुए अपनी जवानी को बढ़ावा दे रही थी।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

परम बिस्तर पर बैठ गया और उसके पैरों पर हाथ रख दिया। उसने धीरे-धीरे उसके पैर दबाये। कुछ देर तक घुटने के नीचे ही दबाता रहा और फिर धीरे-धीरे सारे पेटीकोट को घुटने के ऊपर उठा दिया। परम छोटी बहू की नंगी पिंडलियों को सहला रहा था। बहू कहानी का आनंद ले रही थी और परमने कपड़ों को जांघों पर ऊपर धक्का दिया। परम ने बहू की प्यारी निचली जांघें देखीं। उसने धीरे से दोनों घुटनों के जोड़ों की पीठ पर एक चुंबन जड़ दिया। उसी वक़्त बहु का ध्यान परम पर गया लेकिन उसके साथ हो रही छेड़छड पर दयां नहीं दिया।

“उफ्फ, चूतिये,क्या करता है? परम, गुदगुदी होती है।”

परम ने फिर से कपड़े ऊपर कर दिए और नंगी जांघों को प्यार से सहलाने लगा। साथ ही हिप्स के मसल्स को ट्विस्ट एक्शन (मोड़ ने की क्रिया) भी दे रहा था। अब जांघों के बीच में कपड़े ऊपर उठ गए थे। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। परम ने कपड़े को उठाया और पुश किया। उसने भाभी के कम बड़े कूल्हों का निचला मोड़ देखा और उसने वही देखा जो वह 'चूत का छेद' देखना चाहता था। परम उठा और उसकी जाँघों को दूर थोडा सा धकेल दिया और उसकी जाँघों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और आखिरी बार कपड़े ऊपर सरकाये। परम ने बहू के टाइट कुल्हो को सहलाया और कहा,

“भाभी तुम्हारी गांड के पहाड़ एक दम तंग है...लगता है भैया इसको मसलते नहीं है।”

भाभी अपनी मस्ती में थी, भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अपनी कुलहो को थोड़ा उठा दिया। परम ने हाथ बढ़ा कर नीचे वाले कपड़ों को भी ऊपर रख दिया। अब परम ने पहली बार बहु के त्वचा को चूमा। परम पुरे कुल्हो को हाथो से मसल रहा था साथ ही अपनी जीभ से गांड तक पहुचने का प्रयास का मजा ले रहा था। परम अपनी महेनत कर रहा था ताकि अपने गंतव्य तक पहुच सके। धीरे-धीरे परम ने जीभ को हिप्स के जोड़ पर लगाया और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी और वेइट करने लगा की कोई विरोध तो नहीं आता! और कोई विरोध ना मिलने पर उसने अपनी जीभ को गांड के छेद को चाटने लगा। परम ने दोनो हाथों से कुलहो को फैला रखा था और छोटे गोल छेद को चाट रहा था।
नीता और मैत्री की प्रस्तुति

बहू तो पहले ही ससुर के बारे में सुन कर गरम हो गई थी और अब बाप और बेटी की चुदाई पढ़कर बिल्कुल गर्म हो गई। उसकी चूत गीली हो के रस को बहार की ओर भेज रही थी। जो की परम को परोसने के लिए अपने रस से उसे आकर्षित कर रही थी। और ऊपर से अब परम की जीभ उसकी गांड के छेद पर फिर रही थी, कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और ना चाहते हुए भी उसके कुल्हे उपर उठ गए और परम की जीभ अब गांड के छेद पर जा टपकी और उसने अपना काम चालू कर दिया। अब बहु ने गांड उठाया तो परम को चूत के दर्शन हो ही गए। अब परमने भाभी की जांघों को काटकर जीभ से चूत का स्वाद लेने लगा। कभी जीभ चूत में डाल देता था तो कभी उंगलियों से चूत में डाल कर चुदाई का मजा दे रहा था। परम ने देखा कि चूत से पानी की बूंदें गिर रही है और परम हर एक बूंदों को चाट रहा था, चूत द्वार से पानी की बूंदें गिर रही हैं। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया...अन्दर सिर्फ गुलाबी और गुलाबी। चूतरस धीरे धीरे बहार आके बहु की गांड को पिला रही थी। यह देख के परम का लंड अब चूत के द्वार पर टिकने के लिए व्याकुल हो उठा।

बहु परम से एक साल बड़ी थी,। शादी को एक साल ही हुआ था और ज्यादा चुदी भी नहीं थी। परम ने महसूस किया कि बहू की चूत टाइट है। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। परम ने सिटिंग पोजीशन (बैठे बैठे) मे सारे कपड़े निकाले। देखने की जरूरत नहीं थी कि लंड चोदने के लिए पूरा तैयार था। परम ने घुटने पर बैठे हुए कुलहो को जोर से पकड़ा और लंड के सुपारे को चूत से सटाया। बहू ने घूम कर नहीं देखा कि लंड कैसा है, लेकिन बहु ने तिरछी आँखों से देखा की परम का लंड सही पोजीशन में ऊपर छत की ओर सलामी दे रहा था, वह देखा और मन ही मन मुस्कुराई। बहु ने सिर्फ पेट को हिलाया और सुपारा चूत में आंशिक रूप से घुस गया। बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…



******.


आज के लिए बस यही तक

कल नए अपडेट के साथ हाजिर हो जाउंगी


तब तक आप आने कोमेंट देते रहिये


शुभरात्री



। जय भारत
 
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जब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,



"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"

अब आगे....
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बहू के दिमाग से सेठजी निकल गए। परम, उस खास कमरे की चाबी अपने साथ ही रखता था। उसने जाँच की। चाबी उसकी जेब में थी। उन्होंने एक और रिक्शा लिया और पाँच मिनट में सेठजी के ऑफिस पहुँच गए। रास्ते में परम ने उसे कमरे और ऑफिस के बारे में बताया। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उस कमरे में सेठजी और उसके ग्राहकों ने सुंदरी को चोदा था और उसने अपनी माँ और बहन को भी उसी बिस्तर पर चोदा था।

परम ने प्रार्थना की कि आज वह छोटी बहू का आनंद ले सके। वे पिछले दरवाजे से कमरे में दाखिल हुए। परम ने अंदर से कमरे की कुंडी लगा दी। उसने चारों ओर देखा। कमरा साफ था। नई चादर और तकिये का कवर, और कमरे में ताज़ा पानी भी।

सेठजी कमरे को किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार रख रहे थे। उन्होंने पानी पिया और बहू बिस्तर पर गिर पड़ी। परम ने उसकी तरफ देखा और पहली बार उसने बहू की छोटी लेकिन कसी हुई चूची (निपल) देखी, बिना साड़ी के ब्लाउज़ के। उसने देखा कि छोटे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे और बहू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसका मस्तिस्क में अभी भी ससुरजी घूम रहे थे। वह परम की बातो को फिर से अपने दिमांग में भरे हुए और बार बार उसी की तरफ सोच रही थी। सोच रही थी की ससुरजी ने आखिर उसमे क्या देखा जो मेरा चुतिया (पति) नहीं देख सका। वह सोच रही थी की कही ससुरजी ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया! जिस से ससुरजी के लंड में हलचल पैदा हो गई हो। यही सब सोच में डूबी हुई थी और परम अपने काम पर लगने की कोशिश में था।

परम ने उसकी जांघों पर नज़र दौड़ाई। वह पतली थी, कोई अतिरिक्त मांस नहीं, छोटी चूची, सपाट पेट, छोटी नाभि और लगभग तीन इंच नीचे उसने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी। उसका रंग दूधिया था। उसे ऐसे सहज पोज़ में देखकर परम का लंड खड़ा हो गया।

"परम, मुझे किताब दो।" उसने आँखें बंद करके कहा,
नीता की पेशकश

ओह्ह बहनचोद, मर गया,परम घबरा गया। "कौन सी किताब!" परम की गांड फट पड़ी

"वही, जो तुम छुपाके बैठे हो,जल्दी दो।" वह उठ बैठी।

उसने अपने बोबले ढकने की कोशिश नहीं की। उसने अपनी साड़ी अपने सीने से उतार दी। उसने परम को खींचा और उसकी कमीज़ के नीचे से किताबें निकालीं। उसने दोनों किताबें निकालीं। कवर पेज देखकर वह चौंक गई।

एक किताब पर एक औरत पूरी नंगी थी और अपनी चूत में साँप को घुमा रही थी और दूसरी पर एक औरत की गांड और चूत में दो लंड थे। उसने परम की तरफ देखा और बिना कुछ कहे पेट के बल लेट गई और पन्ने पलटने लगी। परम वहीं स्थिर पुतला बना रहा। बहू ने आखिरकार एक किताब चुनी और पढ़ने लगी।

"भाभी, तुम थक गई हो....कहो तो टांगें दबा दूँ?" परम ने मस्का मारने का शुरू किया

परम उसे चोदना चाहता था। और उसी हथकंडे से उसने सेठानी और फिर रजनी और पुष्पा को चोदा था। उसके पास एक सही हथियार आ चुका था किसी भी औरत की चूत तक पहुचने का।

“ठीक है दबा दे।” बहू ने कहा और उसने सेक्स की किताब पढ़ना जारी रखा। उसने परम की तरफ ध्यान नहीं दिया। वह एक कहानी पढ़ रही थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा है। और किस तरह अलग अलग पेंतरे रचा कर अपनी बेटी को पटाने की कोशिश करता है। और आखिर कैसे उसने अपनी बेटी को चोद दिया और अपनी हवस का शिकार बनाया। और बेटी भी किस तरह से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जवानी को लुटाते हुए अपनी जवानी को बढ़ावा दे रही थी।
फनलव और मैत्री की प्रस्तुति

परम बिस्तर पर बैठ गया और उसके पैरों पर हाथ रख दिया। उसने धीरे-धीरे उसके पैर दबाये। कुछ देर तक घुटने के नीचे ही दबाता रहा और फिर धीरे-धीरे सारे पेटीकोट को घुटने के ऊपर उठा दिया। परम छोटी बहू की नंगी पिंडलियों को सहला रहा था। बहू कहानी का आनंद ले रही थी और परमने कपड़ों को जांघों पर ऊपर धक्का दिया। परम ने बहू की प्यारी निचली जांघें देखीं। उसने धीरे से दोनों घुटनों के जोड़ों की पीठ पर एक चुंबन जड़ दिया। उसी वक़्त बहु का ध्यान परम पर गया लेकिन उसके साथ हो रही छेड़छड पर दयां नहीं दिया।

“उफ्फ, चूतिये,क्या करता है? परम, गुदगुदी होती है।”

परम ने फिर से कपड़े ऊपर कर दिए और नंगी जांघों को प्यार से सहलाने लगा। साथ ही हिप्स के मसल्स को ट्विस्ट एक्शन (मोड़ ने की क्रिया) भी दे रहा था। अब जांघों के बीच में कपड़े ऊपर उठ गए थे। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। परम ने कपड़े को उठाया और पुश किया। उसने भाभी के कम बड़े कूल्हों का निचला मोड़ देखा और उसने वही देखा जो वह 'चूत का छेद' देखना चाहता था। परम उठा और उसकी जाँघों को दूर थोडा सा धकेल दिया और उसकी जाँघों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और आखिरी बार कपड़े ऊपर सरकाये। परम ने बहू के टाइट कुल्हो को सहलाया और कहा,

“भाभी तुम्हारी गांड के पहाड़ एक दम तंग है...लगता है भैया इसको मसलते नहीं है।”

भाभी अपनी मस्ती में थी, भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अपनी कुलहो को थोड़ा उठा दिया। परम ने हाथ बढ़ा कर नीचे वाले कपड़ों को भी ऊपर रख दिया। अब परम ने पहली बार बहु के त्वचा को चूमा। परम पुरे कुल्हो को हाथो से मसल रहा था साथ ही अपनी जीभ से गांड तक पहुचने का प्रयास का मजा ले रहा था। परम अपनी महेनत कर रहा था ताकि अपने गंतव्य तक पहुच सके। धीरे-धीरे परम ने जीभ को हिप्स के जोड़ पर लगाया और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी और वेइट करने लगा की कोई विरोध तो नहीं आता! और कोई विरोध ना मिलने पर उसने अपनी जीभ को गांड के छेद को चाटने लगा। परम ने दोनो हाथों से कुलहो को फैला रखा था और छोटे गोल छेद को चाट रहा था।
नीता और मैत्री की प्रस्तुति

बहू तो पहले ही ससुर के बारे में सुन कर गरम हो गई थी और अब बाप और बेटी की चुदाई पढ़कर बिल्कुल गर्म हो गई। उसकी चूत गीली हो के रस को बहार की ओर भेज रही थी। जो की परम को परोसने के लिए अपने रस से उसे आकर्षित कर रही थी। और ऊपर से अब परम की जीभ उसकी गांड के छेद पर फिर रही थी, कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और ना चाहते हुए भी उसके कुल्हे उपर उठ गए और परम की जीभ अब गांड के छेद पर जा टपकी और उसने अपना काम चालू कर दिया। अब बहु ने गांड उठाया तो परम को चूत के दर्शन हो ही गए। अब परमने भाभी की जांघों को काटकर जीभ से चूत का स्वाद लेने लगा। कभी जीभ चूत में डाल देता था तो कभी उंगलियों से चूत में डाल कर चुदाई का मजा दे रहा था। परम ने देखा कि चूत से पानी की बूंदें गिर रही है और परम हर एक बूंदों को चाट रहा था, चूत द्वार से पानी की बूंदें गिर रही हैं। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया...अन्दर सिर्फ गुलाबी और गुलाबी। चूतरस धीरे धीरे बहार आके बहु की गांड को पिला रही थी। यह देख के परम का लंड अब चूत के द्वार पर टिकने के लिए व्याकुल हो उठा।

बहु परम से एक साल बड़ी थी,। शादी को एक साल ही हुआ था और ज्यादा चुदी भी नहीं थी। परम ने महसूस किया कि बहू की चूत टाइट है। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। परम ने सिटिंग पोजीशन (बैठे बैठे) मे सारे कपड़े निकाले। देखने की जरूरत नहीं थी कि लंड चोदने के लिए पूरा तैयार था। परम ने घुटने पर बैठे हुए कुलहो को जोर से पकड़ा और लंड के सुपारे को चूत से सटाया। बहू ने घूम कर नहीं देखा कि लंड कैसा है, लेकिन बहु ने तिरछी आँखों से देखा की परम का लंड सही पोजीशन में ऊपर छत की ओर सलामी दे रहा था, वह देखा और मन ही मन मुस्कुराई। बहु ने सिर्फ पेट को हिलाया और सुपारा चूत में आंशिक रूप से घुस गया। बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…



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आज के लिए बस यही तक

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। जय भारत
Nice update
 

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..........पूनम रो रही थी। उसका शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया और उसने अपनी कमर उठा ली। ठीक उसी समय मुनीम ने एक और जोरदार धक्का मारा और आधा लम्बा लंड चुत के अन्दर चला गया। महक देखती रही। पूनम का रोना बंद नहीं हुआ। वो सिसक रही थी... तभी उसकी नजर महक पर पड़ी..

“महक, अपने बाप का लंड मेरी चूत से निकाल दो.. मुझे मजा नहीं लेना है… बाप रे बहुत दर्द कर रहा है…।”



अब आगे
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

और मुनीम ने भी महक को देखा और वह ओर जोश में आ गया,एक और ज़ोरदार धक्का दिया और इस बार पूरा लंड अंधेरी पतली सुरंग में चला गया। महक ने देखा कि उसके पिता का लंड पूनम की चूत में पूरी तरह से समा गया है। अब मुनीम उसके स्तनों और होंठों को चूम और सहला रहा था। वह लगभग 3-4 मिनट तक ऐसे ही लेटा रहा। महक ने देखा की पापा का लंड ने पूनम की चूत फाड़ दी और उसका शील हरण कर दिया, पूनम की चूत से खून निकल कर निचे चादर पर बह रहा था। पूनम का शरीर शिथिल हो गया और वह मुनीम की पीठ सहलाने लगी। और कुछ पल बाद उसने अपनी कमर ऊपर की ओर झटका दिया। यह मुनीम के लिए एक संकेत था। उसने धीमे और लयबद्ध धक्कों के साथ चुदाई शुरू कर दी। महक पूनम के नजदीक आई और महक ने पूनम की आँखें पोंछीं और बोली: “बस कुछ देर और फिर तेरी चूत से मजा छूटेगी पूनम” उसने थोड़ी देर तक उसके स्तनों को सहलाया फिर वह अंदर चली गई। चुदाई उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने अपने भाई को सुधा और सुंदरी की चुदाई करते देखा था।

मुनीम पूनम के कसे हुए और कुँवारे बदन को चोद रहा था और उसका आनंद ले रहा था। अब दोनों चुदाई करते हुए किस कर रहे थे।

"अब दर्द हो रहा है? लंड बाहर निकल लूं..!"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"साला, बेटीचोद लंड बाहर निकालेगा तो लंड काट कर चूत के अंदर रख लूंगी। मादरचोद मुझे चोदते रहो..जब तक मेरी चूत फट नहीं जाती...फिर अपनी बेटी को चोदना.. ।"

मुनीम ने उसे चूमा और उसकी चुदाई करता रहा। अब पूनम को मजा आ रहा था। वह इधर-उधर बड़बड़ाती रही। अचानक मुनीम को पूनम की माँ की याद आई और उसने पूनम की चूत में एक जोरदार धक्का दे दिया।

“आआआअह्हह्हह….मार डालेगा क्या..अपनी घरवाली सुंदरी याद आ गयी क्या..”? पूनम ने पूछा,

"नहीं, तेरी माँ याद आ गई। वो पहली औरत है जिसे चोदने का मन किया था.. उसे छू भी नहीं पाया, लेकिन आज इतने सालो बाद तुझे यानी की उसकी बेटी को चोद रहा हूँ, लगता है जैसे तेरी माँ को ही चोद रहा हूँ।"

“तो और जोर-जोर से धक्का मारो ना। मेरी माँ तो अब खाई हुई औरत है। मस्ती से चूत मारो उसकी ही समज के मेरी मारो।” पूनम ने मुनीम को जकड़ते हुए कहा: “जो भी मन में आये, जिसको भी चोदना चाहो लेकिन इस माल में आपका लंड रुकना नहीं चाहिए, यह माल अब पूरी तरह से आपके लंड के काबू में है। रुकना नहीं बस चोदते रहो इस चूत को और अपनी सुहाने और स्वादिष्ट रस इस चूत में भर के इसे अच्छे से सींच दो। अब तक पता नहीं था की लंड का स्वाद इतना मस्त ओगा वरना मैं, बहोत पहले ही आपके लंड पर बैठ जाती।“

“अभी तुम इतनी बड़ी भी नहीं हुई हो, और पहले की बात कर रही हो! अगर पहले आती तो छोटी समज के छोड़ देता, पर अब सही समय है बेटी और सही समय पर तुमने अपना सिल मेरे लंड को समर्पित किया है। अपनी माँ के बारे में सोचना जरा मुझे उसके चूत की भूख कब से है।”

अपनी माँ के बारे में सुनते ही पूनम ने मुनीम को चूमा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“मुझे भी तुम्हारे मोटे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा है… मैं तो आई थी परम का लंड सहलाने लेकिन मुझे क्या पता था आज मेरी चूत आप फाड़ डालोगे.. आह्ह… अब बहुत अच्छा लग रहा है।”

“रानी, एक बार रात में तुजे फिर से चोदूंगा… रात में मैं इसी बिस्तर पर रहूंगा.. तू आ जाना, फिर से मैं तेरी माँ समज के तेरी चुदाई करूँगा…।”

“लेकिन काकी (सुंदरी) को पता चलेगा तो! वह क्या सोचेगी की एक बाप जैसी उम्र का आदमी एक फुल सी कच्ची कलि को चोद रहा है, और वह मेरे बारे में क्या सोचेगी! मुझे तो वह रंडी ही कहेगी।“

“अरे, डर मत, तो उसके सामने भी तुजे आज चोदूंगा…। बस तू आज चुदवाने आ जाना । भले परम चोद दे तुजे, फिर भी।”

दोनो मजे लेकर चुदाई कर रहे थे और दोनो का झड़ने का समय आ गया, वैसे पूनम की चूत दो बार पहले ही झड चुकी थी यह तीसरी बार था की वह काका के साथ ही झडेगी। पूनम मुनीम से चिपक गई। कमर को ऊपर उठाया और टांगो से मुनीम की कमर को पकड़ लिया और फिर अचानक उछली और ठंडी पड़ गई। वो मुनीम को चूमती रही और फिर मुनीम ने पूनम की चूत को अपना वीर्यदान कर दिया। माल के अंदर जाते ही पूनम पूरी तरह से ठंडी हो गई।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

वे कुछ समय तक एक-दूसरे की बाहों में रहे और फिर अलग हो गए। तभी महक दो गिलास गुड़ मिला हुआ गर्म दूध लेकर अन्दर आई और उन्हें दे दिया। दोनों नग्न थे। मुनीम ने अपने लंड को लुंगी से ढकने की कोशिश की लेकिन पूनम ने लुंगी खींच कर एक तरफ फेंक दी।

“क्या काका, मुझे तो चोद डाला, कम से कम महक को आपका लंड तो देखने दो..” उसने महक की ओर देखा और उसे अपने पास बैठने के लिए कहा।

"मजा आया?" महक ने पूछा।

पूनम ने फिर मुनीम के लंड को मुठ मारते हुए कहा:

“पहले तो बहुत दर्द किया, लगा पागल हो जाऊंगी या फिर मर ही जाउंगी, लेकिन बाद में बहुत मजा आया…।”

उसने लंड चूमा और बोली।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

“देखो तो थोड़ी देर पहले कितना बुरा और टाइट था अब ढीला हो गया है.. यह सुपारा ही खतरनाक है, जिस माल में जाएगा वह इस सुपारे को कभी नहीं भूल पाएगी।”

महक ने अपने पापा की ओर देखा और आँखे निचे कर के पूछा “पापा आपके लंड को तसल्ली मिल गई? मजा आया?”

मुनीम ने महक को हाथ से थोडा खिंचा और बोला: ”तुम्हे क्या लगता है बेटी? इतनी टाईट चूत चोदने को मिले तो कौन मजा नहीं लेगा? लेकिन लगता है तुम्हे आनंद नहीं आया यह देख के!”

“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“

बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

******


आज के लिए बस इतना ही कल तक के लिए आपसे विदा लेती हूँ.............लेकिन इस एपिसोड के बारे में आप अपनी राय कोमेंटबॉक्स में देना ना भूलिए.......... आपके मंतव्य ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करते है......................



मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है
Mast update chithi galat pate par poch
Gai.
 
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“नहीं पापा वैसे मैं इसे परम भैया के लिए लाइ थी वह परम से प्यार करती थी पर अब आप के लंड से उसकी सिल टूटनी लिखी थी तो टूट गई, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है पापा।“



बेटी मेरा लंड कैसा लगा? मुनीम अब अपनी बेटी को पटाने में लग गया था।

******

अब आगे

“मस्त लोडा है पापा आपका तभी मम्मी (सुंदरी) कही किसी से नहीं चुद्वाती।“

“मुझे उस से कोई फर्क नहीं पड़ता बेटी, अगर तुम.....मेरे लंड का ध्यान रखो तो सुदरी को मैं मुक्त कर दूंगा।“

“मुक्त???? मतलब क्या है आपका पप्पा?”

“अरे बेटी, ऐसा कुछ नहीं जो तुमने समजा। मुक्त मतलब वह जहा चाहे जिस से चाहे चुदवा सकती है, हो सकता है मेरे सामने भी...”

“ओह्ह्ह तब तो ठीक है बाबूजी....लेकिन अभी नहीं...समय आने पर सब...हो.....गा...!”

महक ने मुनीम के लंड पर हाथ तो रखा फिर तुरंत अपने आप को कंट्रोल करते हुए कहा “आज तो बाबूजी ने मस्त चूत का मजा ले लिया अब और क्या चाहिए!! हो सकेगा तो मैं और चूत का बंदोबस्त कर दूंगी, लेकिन मैं अभी फिलहाल नहीं।“

“अरे बेटा, अगर तुम ऐसा कर सकती हो तो तुम जैसा इस दुनिया में कोई नहीं।“

“कर क्यों नहीं सकती बाबूजी! जरुर कर सकती हु और करुँगी भी, आखिर मेरे पापा के लंड को माल की कमी महसूस तो नहीं होनी चाहिए।“

“बेटे, अब तुम ही एक ऐसा माल हो, जिसको भी मिल जाए वह दुसरे माल की इच्छा ना रखे।“

बाबूजी, मस्का मारना तो बस, कोई आप से सीखे।“ उसकी नजर अभी भी बाबूजी के लंड पर थी।

महक ने मशकरी करते हुए आगे बोली:“और यह बाबूजी का प्यारा सा नन्हा सा खिलौना भी बहोत मस्का मारता होगा।“

पूनम बस इन दोनों की बाते सुनती रही।

पूनम को लगा की महक अगर उसके माल को दिखा दे तो मुनीम यानी की उसके पापा का लंड उसकी चूत में पूरा नहीं तो टहलने को तो चला जायगा। वैसे भी इस दुनिया में ऐसा कोई मर्द नहीं जो उसके आँखों के सामने एक नन्ही सी चूत हो अरु उसका लंड खड़ा न हो और उस चूत के सैर करने को तैयार ना हो। फिर वह चाहे बाप हो या भाई। मर्द तो पहले मर्द है बाद में भाई-बाप या फिर मोई और रिश्तेदार। बस एक चूत के होल पर ही मर्द की दुनिया टिकी हुई होती है। छुट तैयार तो लंड किसी का भी हो खड़ा हो के छुट मारने को बेताब हो ही जाता है। उसे अपने माल पर गर्व हुआ। भगवान् तेरा बहोत बहोत धन्यवाद की मुझे चूत दी है, उस माल के जरिये मैं बहोत लंडो को उनके पेंट में ही झाड सकती हु।

“बस, बेटी, अब बस कर मुझे अब निचे तकलीफ हो रही है। मैं ज्यादा सहन नहीं कर पाऊंगा।“ महक भी तो वही चाहती थी। वह अपने बाप के सुपारे पे अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार थी। वह अब उस सुपारे को अपने अन्दर समाना चाहती थी। शायद अगर पूनम ना होती तो......अबतक यह सुपारा उसके अन्दर होता। और लंड को पूरा का पूरा खाली कर देती।

“अरे पापा अब उसे क्यों तंग कर रहे हो, पूनम का माल का उद्घाटन तो आपने कर ही दिया। उसकी परी को अब खूब लंड लेने के लिए मुक्त कर दिया।“ महक अपने बाबूजी को ज्यादा से ज्यादा उकसाने के प्रयास में थी। वह चाहती थी की एक बार फिर से पूनम की चूत की खबर अपने पापा का लंड से ले ली जाए। और वह यही प्रयास में थी की मुनीम बस एक बार फिर से पूनम की चूत में अपना लंड खाली कर दे। आये मौके को गवाना नहीं चाहिए।

मुनीम भी एक मौके की तलाश में था की पूनम थोडा सा आगे पीछे जाए तो महक को दबोच ले। वैसे भी वह थोडा डर रहा था। और अगर महक को गुस्सा आ गया तो पूनम को फिर से उसके लोडे के निचे आने नहीं देगी। और यह भी हो सकता है की आगे जाके जो महक ने कहा की वह नयी चूत का बंदोबस्त करेगी वह भी नहीं करेगी। नुकशान उसीका होगा। वह बड़े संयम के साथ वही खड़ा रहा। वैसे वह भी चाहता था की उसका लंड खड़ा रहे। लेकिन पूनम के जाने के राह देख रहा था। मुनीम के लिए हर एक पल एक दिनके बराबर होता जा रहा था।

उधर महक अपने निशाने को खली नहीं जाने दे रही थी, वह बार बार बाप को उक्साके उसका लंड खड़ा रखने की कोशिश में थी। हलाकि वह खुद भी अब इतनी गरम हो चुकी थी की अगर पूनम वह ना होती तो अच्छा था किवः अपने बाप को लुट लेती। उसके सुपारे को चूस देती। उसको अब परम से ज्यादा अपने बाप का लंड से प्रेम हो गया था। वह सोच थी की जो दर्द पूनम को हुआ वैसा ही दर्द मुनीम का लंड अपनी चूत में समा के वही दर्द को महसूस करना चाहती थी। यह कहानी मैत्री और नीता की अनुवादित है



एक तरीके से यह ट्राएंगल सा बन गया था। पूनम चाहती थी की उसके सामने महक के बाप का लंड महक की चूत को रोंद डाले जैसे उसकी चूत का हाल हुआ। तो दूसरी तरफ महक चाहती थी की पूनम अब जाए तो वह अपने बाप के लंड पर बैठ जाए। तो मुनीम का तो ठिकाना ही नहीं था वह तो दोनों को साथ में चोदना चाहता था लेकिन सब से पहले महक की चूत को मारना चाहता था ताकि उसके लिए बाकी सभी रस्ते खुल जाए और घर में ही एक जवान चूत का मजा मिल सके और वह भी कभी भी। तीनो अपनी अपनी सोच में डूबे थे।


बने रहिये और इस एपिसोड के लिए अपनी राय, मंतव्य दे................
Madam ji mast update deh rahe ho aap
 
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चलिए अब आगे बढ़ते है इस कहानी में एक नए एपिसोड के साथ............



पूनम ने महक को पकड़ लिया और उसकी फ्रॉक उतारने की कोशिश की। महक ने कुछ देर तक विरोध किया और फिर पूनम के आगे झुक गई। वैसे महक खुद्यः चाहती थी की उसके साथ इन दोनों में से कोई एक या दोनों उसके साथ जबरदस्ती करे। क्यों की अब तक जो भी हुआ था उस कारण उसकी चूत २ बार तो झड ही चुकी थी और उसका रस उसकी झंगो के बिच से नीच बह रहा था। एक बार तो बड़ा सा लौंदा उसकी छुट ने उगल दिया था जब वह रसोईघर में थी। महक ने अपनी फ्रॉक अपने बदन से अलग होने दी और अब बाकी दोनों की तरह वह भी नंगी थी। उसके स्तन सूजे हुए थे और निप्पल तने हुए थे। वह पूनम से कहीं ज़्यादा सेक्सी और खूबसूरत थी। पूनम का फिगर दुबला-पतला था, जबकि महक स्वस्थ और मालदार थी। उसके स्तन बड़े थे। टाँगें लंबी और जांघें मोटी और सुडौल थीं।


पूनम ने महक को बिस्तर पर लिटा दिया और एक मर्द की तरह उसके ऊपर सवार हो गई। उसने अपनी चूत महक की चूत से रगड़ी, साथ ही स्तनों को दबाया और महक को चूमा। मुनीम उनके पास बैठा था। उसने अपना हाथ पूनम के कूल्हों पर रखा। पहले उसने उन छोटे उभारों को सहलाया और धीरे-धीरे अपना हाथ चूत की दरार पर सरका दिया। उसका हाथ दोनों लड़कियों की चूत को सहला रहा था। महक भी उतनी ही उत्तेजित थी। उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया और दोनों योनियाँ आपस में जुड़ गईं। मुनीम ने अपनी बेटी की चूत का चीरा देखा और दोनों हाथों से चूत के होंठ खींचे। महक को मजा आया और वह कराह उठी। पूनम की चूत महक की पूरी तरह से उजागर चूत पर घूम रही थी। मुनीम ने भी अब उसका हाथ पूनम की कुलहो पर रगड़ दिया और धीरे धीरे उसकी गांड की दरार को फैलाने लगा, जब वह फैलाता तब उसकी गांड का छेद उसे मुस्कुराके स्वागत कर रही थी। तो वहा पूनम की चूत में मुनीम का बचा हुआ माल स्पष्ट दिख रहा था। मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

महक के चूत के अंदर का गुलाबी माल मुनीम को साफ दिख रहा था। वो घुटने पर बैठा और अपने लंड को दोनो चूत के ऊपर पोजीशन किया। मुनीम का लंड बेटी के चूत को रगड़ रहा था और हर रगड़ के साथ महक ऊपर से उछल रही थी।

मुनीम के लंड को बेटी के चूत का छेद मिल गया था और मुनीम अपने सुपाड़े को बेटी के चूत में दबाने लगा। महक भी गरम थी उसने भी नीचे से धक्का लगाया और सुपाड़ा चूत में, बेटी के चूत के मुँह में घुस गया.. शायद महक को होश आ गया था। उसने जल्दी से हाथ बढ़ा कर लंड को चूत के बाहर खींच लिया और उसकी पोजीशन में लंड को पूनम के चूत की ओर से डायरेक्ट किया। तभी पूनम अलग हो गई और 69 पोजीशन में हो गई।

अब दोनो एक दूसरे का चूत चाट रही हो। पूनम ने देखा कि मुनीम का लंड तना हुआ है और मुनीम ने दोनो हाथों से अपनी बेटी का चूत के होठों को पूरा फैला दिया है और लंड चूत से रगड़ खा रहा है। पूनम एक साथ महक का चूत के नीचे का माल भी खा रही थी और साथ ही साथ मुनीम के लंड को भी चाट रही थी। कुछ देर चाटने के बाद पूनम ने मुनीम से पीछे जाकर चूत में लंड घुसाने को कहा।

मुनीम पीछे गया और बेटी के मुँह के ऊपर चला गया तो महक समज गई उसने पिताजी का लंड को पकड़ा और पूनम के चूतद्वार के आगे रख दिया और वह मुनीम के अंडकोष से खेल ने लगी। महक ने थोडा ऊपर देखा और बाबाजी को आँख मार के कहा माल को छोड़ो और मुनीम ने पूनम के चूत में लंड पेल दिया। चूत बिल्कुल गिली हो गई थी। और उसकी गांड का छेड़ भी पूनम के गीलेपन से चमक रही थी। अब महक एक साथ पूनम का लंड और अपने बाप का लंड जो पूनम के चूत के अंदर जा रहा था उससे चाट रही थी। पूनम की चूत से बूंद बूंद महक के मुंह में टपक रहा था। एक बाद चुदाई करते करते मुनीम का लंड चूत से फिसल कर बाहर निकल गया तो मुनीम ने उसे बेटी के मुँह में घुसेड़ दिया।

महक ने लंड को चाटा और फिर पूनम के चूत में घुसा दिया। इस तरह तीनो मजा लेते रहे। लेकिन यह सब कितनी देर चलता! आखिर वह मुकाम भी आ गया और मुनीम के लंड ने वीर्य का फुवारा छोड़ दिया, मुनीम झड़ गया। उसने वीर्य को पूनम के चूत में गिरा दिया और लंड को थोडा बाहर खींच लिया.. पूनम के चूत से रस टपक टपक के महक के होंठ पर गिरने लगे और महक उसे बड़े मजे से अपने मुह में समाने लगी। फिर मुनीम ने लंड को बाहर निकाला तो महक ने उसके बाप का लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और तब तब चूसा जब तक लंड पूरा ढीला नहीं हो गया। उसकी हर एक बूंद और मिक्स रस उसने अपने मुंह के द्वारा अपने पेट में उतार दिया। उसने थोड़ी देर अपनी बाप का ढीला लंड को चूसा और अंडकोष के साथ चाट चाट कर उसे क्लीन कर दिया।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

एक तरफ महक खुश थी की उसने अपने बाप का माल अपने पेट में जमा कर दिया था, उसके लिए अब एक नया रास्ता खुला था और दूसरी तरफ मुनीम भी इसलिए खुश था की, यह मुनीम के लिए पहला मौका था जब किसी ने उसका लंड को चूसा था… और वह भी दो दो मस्त कमसिन लडकियों ने उसके अंडकोष को खाली कर दिया था, खास कर उसकी बेटी ने जो की उसका लैंड को एकदम साफ़ कर के छोड़ा था।

उसने सोचा कि आज रात वो सुंदरी से लंड चुसवायेगा। उसे क्या पता कि पिछले कुछ दिनों में सुंदरी तीन लंड को चूस कर मजा ले चुकी है।

तीनो खड़े हो गए। पूनम ने कहा कि बहुत मजा आया और दोनो से रिक्वेस्ट किया कि जो हुआ है उसके बारे में कोई किसी ना कहे। सबने एक दुसरे को प्रोमिस कर दिया। टाइम देखा तो रात के 9 बज गए थे। मुनीम ने दोनों से मुंह हाथ धो कर तयार होने को कहा। लेकिन महक कुछ और चाहती थी। उसने अपना एक पैर उठाया, पिता का सिर खींचा और उसे अपनी खुली चूत पर धकेल दिया। वह अपने आपे में नहीं थी वह एक बार और झाडना चाहती थी और वह भी अपने बाबूजी के मुंह में। वह अभी भी बिन चुदी ही अधूरी सी थी।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

पूनम: “ठीक है, ठीक है काका, चूस लो वह बेचारी अभी अधूरी है। समय मिलने पर बेचारी की चूत को भोसड़ा बना देना काका।“

"जल्दी जल्दी चूस कर मज़ा लो"

मुनीम ने उसका सिर हटाने की कोशिश की, लेकिन महक ने उसे अपनी चूत पर ही रखा। मुनीम को अपनी बेटी की चूत के होंठों पर जीभ फेरनी पड़ी और महक ने अपनी चूत के होंठ चौड़े करके अपनी चूत पूरी तरह खोल दी ताकि बाबूजी की जीभ अन्दर तक जा सके। मुनीम ने अंदर से चूसा। उसका मुँह और नाक चूत रस से भीग गए। कुछ देर बाद महक ने उसे छोड़ दिया, लेकिन फिर पूनम ने उसे अपनी चूत पर खींच लिया और अपनी जीभ से उसकी चूत साफ़ करवाई। जब वह दोनों के साथ समाप्त हो गया, तो उन्होंने एक-दूसरे को चूमा, अपने चेहरे धोए और ऐसे कपड़े पहने जैसे कुछ हुआ ही न हो। फिर भी वह लडकिया ने अब बाउजी के सामने उन दोनों की गांड के छेद से खेलती रही लेकिन अब मुनीम को इंटरेस्ट नहीं रहा था।



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आज के लिए बस इतना

बने रहिये कहानी के साथ

इस एपिसोड के बारे में आपकी राय देना ना भूले प्लीज़
Awesome update
 

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चलिए अब आगे चलते है..............



दस मिनट बाद सुंदरी और परम वापस आ गए। उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि उनकी अनुपस्थिति में इतना मासूम मुनीम दोनों लड़कियों को चख चुका है। उन्होंने बातें कीं, खाना खाया और फिर अपने-अपने कमरों में चले गए। सुंदरी मुनीम के पास उसके बेडरूम में चली गई और महक पूनम को अपने साथ ले के, परम के साथ सोने के लिए ले गई। हालाँकि पूनम को परम द्वारा चुदते देखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। यह याद आते ही वह सिहर उठी कि उसके पिता उसे लगभग चोद ही चुके थे, सुपारा तो उसकी चूत का स्वाद ले ही चुका था। उसे अभी भी पापा के लंड के सुपाड़े का अहसास उनकी चूत में था। वह सोच रही थी कि पापा का लंड उसकी चूत में पूरी तरह जाने में कितना समय लेगा।

हालाँकि उसके भाई का लंड उसके पिता के लंड से कम से कम एक इंच लंबा था, लेकिन पिता का सुपाड़ा दोगुना मोटा था और इससे उसे ज़्यादा मज़ा ज़रूर आएगा, उसने सोचा। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

अपना काम पूरा करने के बाद सुंदरी अपने कमरे में दाखिल हुई और देखा कि मुनीम लेटा हुआ मुस्कुरा रहा है।

वह उसके बगल में लेट गई और बोली,

"क्या बात है, आज बहुत खुश दिख रहे हो!" उसने उसके बालों वाले सीने को सहलाया। मुनीम उन कुंवारी लड़कियों के साथ मज़े करके वाकई बहुत खुश था। पहले तो उसने सुंदरी को चोदने के बारे में सोचा, लेकिन फिर खुद पर काबू रखा क्योंकि वह अपनी ऊर्जा 'पूनम' को फिर से चोदने के लिए जमा करना चाहता था। उसे यकीन था कि वह उसके साथ चुदाई के लिए ज़रूर आएगी। मुनीम सुंदरी की तरफ मुँह करके करवट बदल गया और उसके स्तन सहलाए।

"सेठजी, तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे है। है क्या! पहले से ही कर रहे थे।"

"क्या बोला?" सुंदरी ने पूछा...

“लगता है की सेठ तुम्हें चोदना चाहता है” मुनीम ने कहा और अपने निपल्स को मसल दिया।

“छी….क्या बोल रहे हो!”

“सच कहते हो!, सेठ ने खुद कहा?”

मुनीम ने जवाब दिया "वो तुम्हे चोदना चाहता है।"

“सुनकर तुम्हें गुस्सा नहीं आया?” छी कोई इतनी आसानी से बात भी कहता है!” सुंदरी शांत रही और बोली "मैं उनसे कितनी छोटी हूं।“

“रानी कोई और बोलता तो मैं उसका गला काट डालता” मुनीम ने उत्तर दिया और कहा कि उसने हमारी बहुत अच्छी देखभाल की है। उन्हों ने कहा अगर सुंदरी सेठजी से चुदवा ले तो परिवार और उसे कोई आपत्ति नहीं होने देगा। शायद यह सच भी है!”

“मैं क्या कोई रंडी या वेश्या हूँ? उस बेटीचोद ने मुझे क्या समजा है?” सुंदरी ने कहा… और वह उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी। हालाकि यह बात सुन के उसकी चूत एकदम सिकुड़ गई थी, उसे डर लगा की कही मुनीम को उसके प्रक्रमो के बारे में पता तो नहीं चला! क्या उस की गृहस्ती टूट गई? उसकी छुट से दो बूंद मूत के छुट गए। कही मुनीम उसकी परीक्षा तो नहीं ले रहा! क्या मुनीम को कोई संदेह हो गया है, शंका आ गई है मेरे बारे में या किसी ने कुछ कहा???? बहोत सारे सवाल उसके मस्तिष्क में घुमने लगे और अगर वह अपनी चूत पे कंट्रोल ना करती तो शायद वह वही बेड पर ही मूत जाती। वह सबकुछ कर सकती थी लेकिन मुनीम को भी वह बहोत प्यार करती थी, अपने बच्चो से बहोत प्यार करती थी। वह कभी नहीं चाहती थी की उसका पति उसे छोड़ दे। वह चूत देती थी पर दिल नहीं, दिल से तो वह मुनीम से ही हार चुकी थी।

"नहीं, सुंदरी, तुम बहुत अच्छी हो, मुझे मालूम है कि तुमने किसी को भी दाना नहीं डाला है, लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम सेठजी को खुश कर दो। उनके बहुत एहसान हैं हमारे ऊपर..मैं सेठजी से कहूंगा कि किसी को पता ना चले..।"
मैत्रीपटेल और फनलवर की अनुवादित रचना है

“नहीं, मैं नहीं चुदवाऊंगी..!” सुंदरी ने धीरे से जवाब दिया. दरअसल वह बहुत खुश थी कि उसका पति ऑफर लेकर आया है और अब वह खुलकर सेठजी और दूसरों से चुदाई करवा सकती है।

“प्लीज सुंदरी मान जाओ… सेठजी ने पहली बार कुछ मांगा है.. अपनी जवानी उनको दे दो।”

“तुम मुझे छोड़ना चाहते हो.. मैं एक बड़े सेठ का लंड लुंगी और तुम मुझे घर से बाहर निकाल दोगे…” उसने जवाब दिया।

मुनीम ने सुंदरी के स्तनों को कुचलते हुए कहा, “जो कसम चाहो ले लो.. तुम मेरी रानी बनकर रहोगी…, अब बस जल्दी मौका निकाल कर सेठ का लंड अपनी प्यारी चूत में ले लो.. ।”

नहीं मेरा मन नहीं मान रहा , लगता है की तुम मुज से थक गए हो। क्या मैं तुम्हे रोज चोदने का मौक़ा नहीं देती,क्या तुम को कभी मैंने मन किया है? आज तक मुझे याद है एक दिन भी नहीं गुजरा तुमने मुझे बिना चोदे! यहाँ तक की माहवारी में भी तुमने मेरी गांड मार ली है।“

“सुंदरी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा की मैं तुम्हे छोड़ दू। लेकिन सेठजी का भी ख़याल रखना पड़ता है उन्हों ने हमारी जरुरियाते पूरी की है और दावा भी किया है की अगर सुंदरी सेठजी से चुदेगी तो मेरे परिवार को कोई तकलीफ नहीं होने देगा।“ मुनीम ने सफाई पेश की।

और आप मान भी गए! क्या आपको पलगत अहि की मैं इतनी आसानी से मेरा माल उस खडुस को दे दूंगी और वह अपना वीर्यदान मेरी चूत मे करेगा?

नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं सिर्फ तुम्हारी हु। सुंदरी को अब लगा की यह परीक्षा नहीं है पर सच में सेठजी ने उसे ऑफर किया है और वह अब मुझे मना रहा है। फिर भी सोचा की असल बात जान के राजी हो जाउंगी।
नीता और मैत्री की अनुवादित रचना है

“आप मुझे या तो सब सच बताये या फिर सो जाए। ऐसी बेकार की बाते करके मेरा मन भी ख़राब ना करो।“


आपको यह एपिसोड कैसा लगा????


कृपया कोमेंट बोक्स में अपनी राय दीजिये..........
Behtareen update. Sundari ko kya pata munim apna uloo sadh raha hai.
 

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मुनीम पूनम को फिर से चोदने के लिए बेताब था। इसी ख्याल में वो सो गया और जब उठा तो देखा कि सुंदरी लगभग नंगी उसके बगल में सो रही है। उसके स्तन गहरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका मन उसे चोदने का कर रहा था, लेकिन उसने खुद पर काबू पाया और कमरे से बाहर आ गया। वह बरामदे में आया और देखा कि कोई चारपाई पर सो रहा है, वह समजा पूनम तो यही पर है। उसने अपनी लुंगी उतारी और बिना कोई आवाज़ किए बिस्तर पर उस 'लाश' के पास लेट गया। उसने सोचा कि पूनम होगी, लेकिन वह उसकी अपनी बेटी महक थी जो गहरी नींद में थी। मुनीम ने धीरे से अपना हाथ लाश पर रखा और उसका हाथ कूल्हों के उभारों से छू गया, कूल्हे का आधा हिस्सा कपड़े (फ्रॉक) से ढका हुआ था। उसने कपड़ा ऊपर सरकाया और उसका हाथ महक की बालों वाली चूत पर छू गया।


मुनिम को उसकी चूत पर हाथ पाकर बहुत खुशी हुई। वह सोच रहा था कि जिस लड़की को वह सहला रहा है, वह उसकी बेटी नहीं, पूनम है। उसने चूत और उसके होंठों को रगड़ा और उंगलियाँ अंदर डालीं। चूत अभी भी सूखी और कसी हुई थी। अब मुनीम ने खुद को लड़की की दोनों टांगों के बीच में रख लिया। एक बार उसने लाइट जलाने के बारे में सोचा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह नहीं चाहता था कि सुंदरी उसे इन लड़कियों के साथ सेक्स करते हुए देखे। उसने शाम को चूत का स्वाद चखा था और उसे पसंद आया। उसने फिर से चूत पर जीभ फिराई और महक जाग गई।

पहले तो उसने सोचा कि वह कोई कामुक और मीठा सपना देख रही है, लेकिन अब जब उसने आँखें खोलीं, तो उसे महसूस हुआ कि यह सच है। कोई उसकी चूत चूस रहा है, उसकी चूत मे से चुतरस पी रहा है। वह जानती थी कि यह उसका अपना पिता है जिसने शाम को उसकी सहेली का कौमार्य भंग अपने लंड से किया था।
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता उसकी 'सील' तोड़ें, लेकिन उसने सोचा कि अगर वह मुख मैथुन का आनंद ले तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उसने अपनी टाँगें फैलाईं और पापा के बालों को सहलाया,

“ओह बाबूजी, क्या कर रहे हो... माँ भी घर में है...” और उसने अपना सिर अपनी चूत पर दबा दिया। मुनीम चूत को अंदर-बाहर चाट रहा था और ऐसा करते हुए उसने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक के अंदर डाल दिए और उसकी निपल को पकड़कर सहलाया, थोडा खिंचा। अब उसे चूत और चूचियों का दोहरा मज़ा आ रहा था... और उसे पूरा भरोसा था कि अब वह उसकी बेटी को चोद पाएगा, जो शाम को नहीं कर सकता था। उसने लंड पकड़ा और घुटनों के बल बैठ गया। उसने सुपाड़ा (लंड का ऊपरी हिस्सा) चूत के छेद पर रखा... और उसे अंदर धकेला।

"महक ने लंड को पकड़ लिया और उसे चूत के अंदर सीमित कर दिया, "नहीं बाबूजी, मुझे मत चोदो अभी... घर में सब लोग हैं... और मैं अभी वर्जिन हूं...आपका सुपारा मैं नहीं ले पाऊँगी, चिल्ला दूंगी तो घर में सब को पता चल जाएगा।" उसने लंड को छोड़ा और कहा, बस ऊपर-ऊपर रगड़ कर मजा ले लो।"
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना

“बेटे अब बर्दाश्त नहीं होता है..लंड को पूरा अंदर जाने दो..पूनम जैसा तुमको भी मजा आएगा।” मुनीम ने जवाब दिया।

“नहीं बाबूजी, नहीं…मुझे मत चोदो।” उसने फिर से सुपाड़े को चूत के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया। “पहले केवल मेरी सील फटने दो, जल्दी किसी से चुदवा कर चूत फड़वा लुंगी फिर तुमको जितना मन करे चोदो.. अभी मत चोदो।” महक ने विनती की। लेकिन मुनीम ने महक की जांघों को मजबूती से पकड़ लिया और सुपाड़ा चूत के अंदर दबा दिया। सुपाड़ा चूत के अंदर फिसल गया और उसे दर्द हुआ। महक कैसे बताती की उसका सौदा करने का है और उसकी सिल कोई पैसेवाला तोड़ेगा!!! उसने अपनी माँ से वादा किया हुआ है।

उसका कौमार्य अभी भी बरकरार था और अगर लंड एक इंच और अंदर जाता तो उसकी चूतपटल टूट जाती, और खून से लथपथ हो जाती और उसके माल का भाव नहीं मिलता, जितना माँ-बेटी ने सोच के रखा था।

"बाबूजी लंड निकाल लो...मुझे नहीं चुदवाना।" उसने साफ-साफ कहा, लेकिन मुमीम ने फिर से एक और धक्का देने की कोशिश की और जैसे ही लंड आधा इंच और अंदर गया, महक ने अपने पिता के दोनों गालों पर दो-दो थप्पड़ जड़ दिए। वह चौंक गया। उसने उसे अपने शरीर से दूर धकेल दिया और उठकर बैठ गई।

'साला, बेटीचोद, बहुत बड-बडा के कह रही हूँ, मत चोदो फिर भी लंड को चूत में घुसाने जा रहा है। सुंदरी का चूत समझ लिया है क्या...?” उसने लंड को पकड़ लिया जो अब पूरी तरह से लंगड़ा कर मुठ मार चुका था।

“अरे बोला ना, पहले मुझे किसी दूसरे से चुदवाने दो उसके बाद तुम भी चोदना और जिस से मन करे उस से मेरी चूत चुदवाना।”

उसने अपने पिता का सिर अपने स्तनों पर खींच लिया।
मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

“ सोरी पप्पा,एक अच्छे लड़के की तरह मुझे चूसते रहो और सो जाओ। चलो मेरा धुध निकाल लो। मुझे दुहोना है तो दुहो।” उसने कहा और अपने पिता को बाहों में ले लिया और दोनों फिर से लेट गये। वह लंड का मुट्ठ मारती रही और अपने पिता से अपने स्तन चुसवाती रही उसने अपने पिता को ऐसे पकड़ रखा था जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है।

“जो चूसना है चूसो लेकिन लंड को चूत से दूर रखना, बाबूजी।” उसने अपने पिता को चेतावनी दी, “कोई और पूनम जैसी कुतिया मिलेगी, तो मैं भी तुमसे चुदवाने के लिए ले आउंगी। और हां माँ को मत बोलना कि मैंने तुम्हें थप्पड़ मारा है…। वरना मार डालेगी मुझे, वह आपसे ज्यादा प्रेम करती है। मजा आया ना बाबूजी मेरा चुतरस पि के! माफ़ करना बाबूजी लेकिन बाद में आपसे चुदवाउंगी यह मेरा पक्का वादा है। और शादी के बाद आपका बच्चा भी रख लुंगी लेकिन अभी माफ़ कर दो प्लीज़... । गांड का छेद से खेलो लेकिन मेरा कौमार्य थोड़े दिन के लिए रहने दो।”


मुनीम को भी याद आया की महक का माल भी बेचना है। मैत्री और फनलवर की रचना है



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बने रहीये कहानी के साथ.................आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी....................


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Mast gashti banegi. Mast update
 

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अब आगे.................


महक ने मुनीम को कुछ देर तक अपनी चूत और बोबले चूसने दिया और फिर वह उठ कर अपनी नंगी माँ के पास सो गयी। परम के साथ दो बार चुदाई के बाद परम ने पूनम को मुनीम के साथ बाहर जाने की इजाजत नहीं दी। पूनम को मानना पड़ा कि रेखा और महक परम के लंड के बारे में सही थीं। इसमें किसी भी चुत को मजा देने की ताकत है। मैत्री और फनलवर की रचना


लेकिन उसे नहीं पता था कि हर चूत और गांड की अपनी पसंद होती है। रेखा और वह खुद परम का लंड पसंद था लेकिन सुंदरी को विनोद का लंड पसंद था। महक को भी विनोद का लंड पसंद था लेकिन अब वह बाप के लंड से भी प्यार करने लगी थी। महक को एक बार अपने किए पर पछतावा हो रहा था की लंड आखिर लंड है उसको सत्कारने की जिम्मेदारी हर चूत की है लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। फिर उसने सोचा की अगर वह चाहती तो अपने बाप का लंड अपनी गांड में समां सकती थी लेकिन वह भी डर था की इतना बड़ा सुपारा वाला बाबूजी का लंड उसकी गांड का कुमारी भंग करने के बाद क्या हाल होता। शायद हॉस्पिटल ही जाना पड़ता। पर फिर भी उसने सोचा की उसने अपने बाप का लंड शांत तो किया, उसका माल गिरा कर ही सही चाहे वह गलत तरिका था। एक मन कहता था की उसको उसकी गांड मरवा लेनी चाहिए थी ताकि एक औरत होने के नाते लंड को शांत करना जरुरी होता है यह गाव का अनकहा नियम जो था। दूसरी तरफ वह खुश थी की इतना बड़ा सुपारे से गांड नहीं मरवाई। लेकिन उसने तय जरुर किया की अब वह बाबूजी का लंड खुद की चूत में समाएगी यह भी उसका प्रेम ही था उसके बाप के लंड प्रति। पछतावा और ख़ुशी इस दोनों के बिच में कब उसकी ऊँगली गांड में चली गई और खुद की गांड मारते-मारते कब सो गई पता नहीं चला।


सुंदरी हमेशा की तरह सुबह सबसे पहले उठी और सबसे पहले उसने अपनी खूबसूरत और सेक्सी बेटी की छोटे बालों वाली चूत देखी। उसने देखा की उसकी एक ऊँगली अभी भी उसकी गांड में फँसी हुई है, सुंदरी ने बड़े आराम से उसकी ऊँगली को गांड के छेद से मुक्त किया और उसको चाट गई, उसने महक के कुल्हे को चूमा और ढक लिया।

उसने खुद को देखा। वह सिर्फ़ पेटीकोट में थी और उसने पाया कि उसकी रसीली निपल उसकी छाती पर मजबूती से टिकी हुई थी। उसने उसे धीरे से दबाया खिंचा और छोड़ दिया और उसी हालत में वह कमरे से बाहर आ गई।

उसने परम के कमरे का दरवाज़ा धक्का दिया और देखा कि परम और पूनम दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए नग्न सो रहे हैं। वह मुस्कुराई और परम के आधे खड़े लंड को दबा दिया। उसने पूनम को घूर कर देखा, काफी चुदी हुई चूत दिख रही थी उसकी और परम का माल उस चूत से धीरे धीरे बहार भी आता दिखाई देता था। उसका शरीर बहुत दुबला-पतला था। उसने धीरे से पूनम को बिस्तर पर लिटा दिया। सुंदरी ने पूनम के पैर अलग किए और उसकी चूत को देखा। वह भी बहुत सारे जघन बालों से ढका हुआ था और उसने उसे धीरे से सहलाया। पूनम कराह उठी और सुंदरी कमरे से बाहर आ गई। वह नहीं चाहती थी कि पूनम को पता चले कि उसने उन्हें नग्न अवस्था में देखा है।

तभी सुंदरी ने अपने पति को बरामदे में बिल्कुल नग्न लेटा देखा। उसने उसे जगाया और कहा कि अगर वह अभी भी सोना चाहता है तो अंदर चला जाए। सुंदरी ने उसे उसकी लुंगी दी और मुनीम उसे लेकर अपने कमरे में चला गया। बिना यह सोचे कि उसकी बेटी चादर के अंदर सो रही है, उसने भी चादर उठा ली और महक के बगल में सो गया। अनजाने में महक भी करवट बदल गई और बिना यह जाने कि उसके बगल में कौन सो रहा है, उसने अपनी टाँगें उठाकर मुनीम की जांघों पर रख दीं। मुनीम ने भी उसे बाहों में ले लिया और दोनों कुछ देर और सोते रहे, जब तक कि सुंदरी ने उन्हें जगा नहीं दिया। महक सबसे पहले उठी और उसने अपने आप को देखा। बाबूजी का लंड उसकी दोनो झांगो के बिच ठीक अपनी चूत के द्वार पर आराम कर रहा था। उसे शर्म आ रही थी कि माँ ने उसे पिता के साथ नग्न सोते हुए देख लिया। उसने अपना बचाव करने की कोशिश की

“माँ, यहाँ तो तुम सोई थी, बाबूजी कब आ गए…, मुझे मालूम ही नहीं पड़ा..?”
मैत्री और नीता द्वारा रचित कहानी

सुंदरी ने उसके गाल थपथपाये और बोली, “कोई बात नहीं… बाप ने कुछ किया तो नहीं? और हां पकड़ कर देख ले बाप का ही लंड था ना!” सुंदरी ने यह सब जानबुज कर किया था और इसीलिए वह मुस्कुरा रही थी।

“छि… माँ, बाबुजी का लंड मैं कैसे पकड़ सकती हु! और धीरे से जैसे कुछ टेके की सहारा लेती हो ऐसे उसने बाबूजी के लंड पर हाथ रखा और उसकी झांगो के बिच से लंड को थोडा सहलाते हुए साइड में कर दिया।” और महक बाहर चली गई। उसने परम और पूनम को जगाया।

महक ने पूनम से कहा, "क्यों रानी कुछ मजा आया ना! एक रात में दो-दो लंड का मजा मिला।" महक ने पूनम को बाहों में ले लिया और उसे कसकर गले लगाते हुए कहा, "किसका लंड ज्यादा मजा दिया..?"

“रानी, तुम खुद दोनों का स्वाद लेकर फैसला करो, कौन सा ज्यादा अच्छा है, मैं क्यों बताऊं।” पूनम ने महक को दूर धकेला और कपड़े पहने। सब खुश थे। सब तैयार हुए, नाश्ता किया और साढ़े आठ बजे तक जब मुनीम अपने ऑफिस जाने वाला था,

सुंदरी ने उसे सुझाव दिया कि वह पूनम को अपने साथ ले जाए और उसे रास्ते में पड़ने वाले घर तक छोड़ दे। मुनीम पूनम के साथ बाहर आया और नीचे चला गया। वह समज गया की सुंदरी की तरफ से इशारा है। उसने पूनम से शिकायत की कि उसने इंतज़ार किया, लेकिन वह नहीं आई। पूनम ने जवाब दिया कि वह तो आना तो चाहती थी, लेकिन परम ने उसे कमरे से बाहर नहीं जाने दिया। मुनीम ने यह भी नहीं पूछा कि क्या परम ने उसे भी चोदा! पूनम ने जवाब तो नहीं दिया पर आँख के इशारे में हां कहा तो मुनीम को बात समझ में आ गई। वह दुखी तो हुआ, लेकिन चुप रहा।

पूनम समझ गई और बोली,
मैत्री और फनलवर से रचित कहानी

"काका, बहुत मज़ा आया, मालूम नहीं, फिर कब तुम्हारा लंड मेरी चूत को आनंद दे पाऊँगी!."

“मुझे भी इतना मजा तुम्हारी काकी (सुंदरी) को चोदने में नहीं आया था, तेरी चूत बहुत मस्त है।” मुनीम ने उसकी ओर देखा और अनुरोध किया,

“आज शाम को आ जाओ, महक भी नहीं होगी, हम दोनो खूब चुदाई करेंगे..!”


“कोशिश करूंगी…काका मुझे आपके लंड से प्रेम हो गया है अब तो।” पूनम ने जवाब दिया और मुनीम की ओर देखा, “काका,किसी को भी बोलना मत, कि मैंने तुमसे चुदवाया है और आगे भी चुदवाउंगी, परम से भी नहीं। अब शायद आप जान ही गए है की परम का लोडा भी मेरी चूत को लोक कर गया है, काका फिर भी मैं आपसे चुदवाना चाहूंगी और वह भी बार बार।”


बने रहिये इस कहानी में और इस एपिसोड के बारे में अपनी राय दीजियेगा जरुर........


शुक्रिया
Bhout hi mast kahani hai
 
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