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जब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,
"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"
अब आगे.....
बहू के दिमाग से सेठजी निकल गए। परम, उस खास कमरे की चाबी अपने साथ ही रखता था। उसने जाँच की। चाबी उसकी जेब में थी। उन्होंने एक और रिक्शा लिया और पाँच मिनट में सेठजी के ऑफिस पहुँच गए। रास्ते में परम ने उसे कमरे और ऑफिस के बारे में बताया। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उस कमरे में सेठजी और उसके ग्राहकों ने सुंदरी को चोदा था और उसने अपनी माँ और बहन को भी उसी बिस्तर पर चोदा था।
परम ने प्रार्थना की कि आज वह छोटी बहू का आनंद ले सके। वे पिछले दरवाजे से कमरे में दाखिल हुए। परम ने अंदर से कमरे की कुंडी लगा दी। उसने चारों ओर देखा। कमरा साफ था। नई चादर और तकिये का कवर, और कमरे में ताज़ा पानी भी।
सेठजी कमरे को किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार रख रहे थे। उन्होंने पानी पिया और बहू बिस्तर पर गिर पड़ी। परम ने उसकी तरफ देखा और पहली बार उसने बहू की छोटी लेकिन कसी हुई चूची (निपल) देखी, बिना साड़ी के ब्लाउज़ के। उसने देखा कि छोटे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे और बहू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसका मस्तिस्क में अभी भी ससुरजी घूम रहे थे। वह परम की बातो को फिर से अपने दिमांग में भरे हुए और बार बार उसी की तरफ सोच रही थी। सोच रही थी की ससुरजी ने आखिर उसमे क्या देखा जो मेरा चुतिया (पति) नहीं देख सका। वह सोच रही थी की कही ससुरजी ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया! जिस से ससुरजी के लंड में हलचल पैदा हो गई हो। यही सब सोच में डूबी हुई थी और परम अपने काम पर लगने की कोशिश में था।
परम ने उसकी जांघों पर नज़र दौड़ाई। वह पतली थी, कोई अतिरिक्त मांस नहीं, छोटी चूची, सपाट पेट, छोटी नाभि और लगभग तीन इंच नीचे उसने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी। उसका रंग दूधिया था। उसे ऐसे सहज पोज़ में देखकर परम का लंड खड़ा हो गया।
"परम, मुझे किताब दो।" उसने आँखें बंद करके कहा, नीता की पेशकश।
ओह्ह बहनचोद, मर गया,परम घबरा गया। "कौन सी किताब!" परम की गांड फट पड़ी।
"वही, जो तुम छुपाके बैठे हो,जल्दी दो।" वह उठ बैठी।
उसने अपने बोबले ढकने की कोशिश नहीं की। उसने अपनी साड़ी अपने सीने से उतार दी। उसने परम को खींचा और उसकी कमीज़ के नीचे से किताबें निकालीं। उसने दोनों किताबें निकालीं। कवर पेज देखकर वह चौंक गई।
एक किताब पर एक औरत पूरी नंगी थी और अपनी चूत में साँप को घुमा रही थी और दूसरी पर एक औरत की गांड और चूत में दो लंड थे। उसने परम की तरफ देखा और बिना कुछ कहे पेट के बल लेट गई और पन्ने पलटने लगी। परम वहीं स्थिर पुतला बना रहा। बहू ने आखिरकार एक किताब चुनी और पढ़ने लगी।
"भाभी, तुम थक गई हो....कहो तो टांगें दबा दूँ?" परम ने मस्का मारने का शुरू किया।
परम उसे चोदना चाहता था। और उसी हथकंडे से उसने सेठानी और फिर रजनी और पुष्पा को चोदा था। उसके पास एक सही हथियार आ चुका था किसी भी औरत की चूत तक पहुचने का।
“ठीक है दबा दे।” बहू ने कहा और उसने सेक्स की किताब पढ़ना जारी रखा। उसने परम की तरफ ध्यान नहीं दिया। वह एक कहानी पढ़ रही थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा है। और किस तरह अलग अलग पेंतरे रचा कर अपनी बेटी को पटाने की कोशिश करता है। और आखिर कैसे उसने अपनी बेटी को चोद दिया और अपनी हवस का शिकार बनाया। और बेटी भी किस तरह से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जवानी को लुटाते हुए अपनी जवानी को बढ़ावा दे रही थी। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
परम बिस्तर पर बैठ गया और उसके पैरों पर हाथ रख दिया। उसने धीरे-धीरे उसके पैर दबाये। कुछ देर तक घुटने के नीचे ही दबाता रहा और फिर धीरे-धीरे सारे पेटीकोट को घुटने के ऊपर उठा दिया। परम छोटी बहू की नंगी पिंडलियों को सहला रहा था। बहू कहानी का आनंद ले रही थी और परमने कपड़ों को जांघों पर ऊपर धक्का दिया। परम ने बहू की प्यारी निचली जांघें देखीं। उसने धीरे से दोनों घुटनों के जोड़ों की पीठ पर एक चुंबन जड़ दिया। उसी वक़्त बहु का ध्यान परम पर गया लेकिन उसके साथ हो रही छेड़छड पर दयां नहीं दिया।
“उफ्फ, चूतिये,क्या करता है? परम, गुदगुदी होती है।”
परम ने फिर से कपड़े ऊपर कर दिए और नंगी जांघों को प्यार से सहलाने लगा। साथ ही हिप्स के मसल्स को ट्विस्ट एक्शन (मोड़ ने की क्रिया) भी दे रहा था। अब जांघों के बीच में कपड़े ऊपर उठ गए थे। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। परम ने कपड़े को उठाया और पुश किया। उसने भाभी के कम बड़े कूल्हों का निचला मोड़ देखा और उसने वही देखा जो वह 'चूत का छेद' देखना चाहता था। परम उठा और उसकी जाँघों को दूर थोडा सा धकेल दिया और उसकी जाँघों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और आखिरी बार कपड़े ऊपर सरकाये। परम ने बहू के टाइट कुल्हो को सहलाया और कहा,
“भाभी तुम्हारी गांड के पहाड़ एक दम तंग है...लगता है भैया इसको मसलते नहीं है।”
भाभी अपनी मस्ती में थी, भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अपनी कुलहो को थोड़ा उठा दिया। परम ने हाथ बढ़ा कर नीचे वाले कपड़ों को भी ऊपर रख दिया। अब परम ने पहली बार बहु के त्वचा को चूमा। परम पुरे कुल्हो को हाथो से मसल रहा था साथ ही अपनी जीभ से गांड तक पहुचने का प्रयास का मजा ले रहा था। परम अपनी महेनत कर रहा था ताकि अपने गंतव्य तक पहुच सके। धीरे-धीरे परम ने जीभ को हिप्स के जोड़ पर लगाया और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी और वेइट करने लगा की कोई विरोध तो नहीं आता! और कोई विरोध ना मिलने पर उसने अपनी जीभ को गांड के छेद को चाटने लगा। परम ने दोनो हाथों से कुलहो को फैला रखा था और छोटे गोल छेद को चाट रहा था। नीता और मैत्री की प्रस्तुति।
बहू तो पहले ही ससुर के बारे में सुन कर गरम हो गई थी और अब बाप और बेटी की चुदाई पढ़कर बिल्कुल गर्म हो गई। उसकी चूत गीली हो के रस को बहार की ओर भेज रही थी। जो की परम को परोसने के लिए अपने रस से उसे आकर्षित कर रही थी। और ऊपर से अब परम की जीभ उसकी गांड के छेद पर फिर रही थी, कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और ना चाहते हुए भी उसके कुल्हे उपर उठ गए और परम की जीभ अब गांड के छेद पर जा टपकी और उसने अपना काम चालू कर दिया। अब बहु ने गांड उठाया तो परम को चूत के दर्शन हो ही गए। अब परमने भाभी की जांघों को काटकर जीभ से चूत का स्वाद लेने लगा। कभी जीभ चूत में डाल देता था तो कभी उंगलियों से चूत में डाल कर चुदाई का मजा दे रहा था। परम ने देखा कि चूत से पानी की बूंदें गिर रही है और परम हर एक बूंदों को चाट रहा था, चूत द्वार से पानी की बूंदें गिर रही हैं। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया...अन्दर सिर्फ गुलाबी और गुलाबी। चूतरस धीरे धीरे बहार आके बहु की गांड को पिला रही थी। यह देख के परम का लंड अब चूत के द्वार पर टिकने के लिए व्याकुल हो उठा।
बहु परम से एक साल बड़ी थी,। शादी को एक साल ही हुआ था और ज्यादा चुदी भी नहीं थी। परम ने महसूस किया कि बहू की चूत टाइट है। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। परम ने सिटिंग पोजीशन (बैठे बैठे) मे सारे कपड़े निकाले। देखने की जरूरत नहीं थी कि लंड चोदने के लिए पूरा तैयार था। परम ने घुटने पर बैठे हुए कुलहो को जोर से पकड़ा और लंड के सुपारे को चूत से सटाया। बहू ने घूम कर नहीं देखा कि लंड कैसा है, लेकिन बहु ने तिरछी आँखों से देखा की परम का लंड सही पोजीशन में ऊपर छत की ओर सलामी दे रहा था, वह देखा और मन ही मन मुस्कुराई। बहु ने सिर्फ पेट को हिलाया और सुपारा चूत में आंशिक रूप से घुस गया। बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…
******.
आज के लिए बस यही तक।
कल नए अपडेट के साथ हाजिर हो जाउंगी।
तब तक आप आने कोमेंट देते रहिये।
शुभरात्री।
।। जय भारत ।।
"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"
अब आगे.....
बहू के दिमाग से सेठजी निकल गए। परम, उस खास कमरे की चाबी अपने साथ ही रखता था। उसने जाँच की। चाबी उसकी जेब में थी। उन्होंने एक और रिक्शा लिया और पाँच मिनट में सेठजी के ऑफिस पहुँच गए। रास्ते में परम ने उसे कमरे और ऑफिस के बारे में बताया। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उस कमरे में सेठजी और उसके ग्राहकों ने सुंदरी को चोदा था और उसने अपनी माँ और बहन को भी उसी बिस्तर पर चोदा था।
परम ने प्रार्थना की कि आज वह छोटी बहू का आनंद ले सके। वे पिछले दरवाजे से कमरे में दाखिल हुए। परम ने अंदर से कमरे की कुंडी लगा दी। उसने चारों ओर देखा। कमरा साफ था। नई चादर और तकिये का कवर, और कमरे में ताज़ा पानी भी।
सेठजी कमरे को किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार रख रहे थे। उन्होंने पानी पिया और बहू बिस्तर पर गिर पड़ी। परम ने उसकी तरफ देखा और पहली बार उसने बहू की छोटी लेकिन कसी हुई चूची (निपल) देखी, बिना साड़ी के ब्लाउज़ के। उसने देखा कि छोटे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे और बहू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसका मस्तिस्क में अभी भी ससुरजी घूम रहे थे। वह परम की बातो को फिर से अपने दिमांग में भरे हुए और बार बार उसी की तरफ सोच रही थी। सोच रही थी की ससुरजी ने आखिर उसमे क्या देखा जो मेरा चुतिया (पति) नहीं देख सका। वह सोच रही थी की कही ससुरजी ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया! जिस से ससुरजी के लंड में हलचल पैदा हो गई हो। यही सब सोच में डूबी हुई थी और परम अपने काम पर लगने की कोशिश में था।
परम ने उसकी जांघों पर नज़र दौड़ाई। वह पतली थी, कोई अतिरिक्त मांस नहीं, छोटी चूची, सपाट पेट, छोटी नाभि और लगभग तीन इंच नीचे उसने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी। उसका रंग दूधिया था। उसे ऐसे सहज पोज़ में देखकर परम का लंड खड़ा हो गया।
"परम, मुझे किताब दो।" उसने आँखें बंद करके कहा, नीता की पेशकश।
ओह्ह बहनचोद, मर गया,परम घबरा गया। "कौन सी किताब!" परम की गांड फट पड़ी।
"वही, जो तुम छुपाके बैठे हो,जल्दी दो।" वह उठ बैठी।
उसने अपने बोबले ढकने की कोशिश नहीं की। उसने अपनी साड़ी अपने सीने से उतार दी। उसने परम को खींचा और उसकी कमीज़ के नीचे से किताबें निकालीं। उसने दोनों किताबें निकालीं। कवर पेज देखकर वह चौंक गई।
एक किताब पर एक औरत पूरी नंगी थी और अपनी चूत में साँप को घुमा रही थी और दूसरी पर एक औरत की गांड और चूत में दो लंड थे। उसने परम की तरफ देखा और बिना कुछ कहे पेट के बल लेट गई और पन्ने पलटने लगी। परम वहीं स्थिर पुतला बना रहा। बहू ने आखिरकार एक किताब चुनी और पढ़ने लगी।
"भाभी, तुम थक गई हो....कहो तो टांगें दबा दूँ?" परम ने मस्का मारने का शुरू किया।
परम उसे चोदना चाहता था। और उसी हथकंडे से उसने सेठानी और फिर रजनी और पुष्पा को चोदा था। उसके पास एक सही हथियार आ चुका था किसी भी औरत की चूत तक पहुचने का।
“ठीक है दबा दे।” बहू ने कहा और उसने सेक्स की किताब पढ़ना जारी रखा। उसने परम की तरफ ध्यान नहीं दिया। वह एक कहानी पढ़ रही थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा है। और किस तरह अलग अलग पेंतरे रचा कर अपनी बेटी को पटाने की कोशिश करता है। और आखिर कैसे उसने अपनी बेटी को चोद दिया और अपनी हवस का शिकार बनाया। और बेटी भी किस तरह से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जवानी को लुटाते हुए अपनी जवानी को बढ़ावा दे रही थी। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
परम बिस्तर पर बैठ गया और उसके पैरों पर हाथ रख दिया। उसने धीरे-धीरे उसके पैर दबाये। कुछ देर तक घुटने के नीचे ही दबाता रहा और फिर धीरे-धीरे सारे पेटीकोट को घुटने के ऊपर उठा दिया। परम छोटी बहू की नंगी पिंडलियों को सहला रहा था। बहू कहानी का आनंद ले रही थी और परमने कपड़ों को जांघों पर ऊपर धक्का दिया। परम ने बहू की प्यारी निचली जांघें देखीं। उसने धीरे से दोनों घुटनों के जोड़ों की पीठ पर एक चुंबन जड़ दिया। उसी वक़्त बहु का ध्यान परम पर गया लेकिन उसके साथ हो रही छेड़छड पर दयां नहीं दिया।
“उफ्फ, चूतिये,क्या करता है? परम, गुदगुदी होती है।”
परम ने फिर से कपड़े ऊपर कर दिए और नंगी जांघों को प्यार से सहलाने लगा। साथ ही हिप्स के मसल्स को ट्विस्ट एक्शन (मोड़ ने की क्रिया) भी दे रहा था। अब जांघों के बीच में कपड़े ऊपर उठ गए थे। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। परम ने कपड़े को उठाया और पुश किया। उसने भाभी के कम बड़े कूल्हों का निचला मोड़ देखा और उसने वही देखा जो वह 'चूत का छेद' देखना चाहता था। परम उठा और उसकी जाँघों को दूर थोडा सा धकेल दिया और उसकी जाँघों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और आखिरी बार कपड़े ऊपर सरकाये। परम ने बहू के टाइट कुल्हो को सहलाया और कहा,
“भाभी तुम्हारी गांड के पहाड़ एक दम तंग है...लगता है भैया इसको मसलते नहीं है।”
भाभी अपनी मस्ती में थी, भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अपनी कुलहो को थोड़ा उठा दिया। परम ने हाथ बढ़ा कर नीचे वाले कपड़ों को भी ऊपर रख दिया। अब परम ने पहली बार बहु के त्वचा को चूमा। परम पुरे कुल्हो को हाथो से मसल रहा था साथ ही अपनी जीभ से गांड तक पहुचने का प्रयास का मजा ले रहा था। परम अपनी महेनत कर रहा था ताकि अपने गंतव्य तक पहुच सके। धीरे-धीरे परम ने जीभ को हिप्स के जोड़ पर लगाया और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी और वेइट करने लगा की कोई विरोध तो नहीं आता! और कोई विरोध ना मिलने पर उसने अपनी जीभ को गांड के छेद को चाटने लगा। परम ने दोनो हाथों से कुलहो को फैला रखा था और छोटे गोल छेद को चाट रहा था। नीता और मैत्री की प्रस्तुति।
बहू तो पहले ही ससुर के बारे में सुन कर गरम हो गई थी और अब बाप और बेटी की चुदाई पढ़कर बिल्कुल गर्म हो गई। उसकी चूत गीली हो के रस को बहार की ओर भेज रही थी। जो की परम को परोसने के लिए अपने रस से उसे आकर्षित कर रही थी। और ऊपर से अब परम की जीभ उसकी गांड के छेद पर फिर रही थी, कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और ना चाहते हुए भी उसके कुल्हे उपर उठ गए और परम की जीभ अब गांड के छेद पर जा टपकी और उसने अपना काम चालू कर दिया। अब बहु ने गांड उठाया तो परम को चूत के दर्शन हो ही गए। अब परमने भाभी की जांघों को काटकर जीभ से चूत का स्वाद लेने लगा। कभी जीभ चूत में डाल देता था तो कभी उंगलियों से चूत में डाल कर चुदाई का मजा दे रहा था। परम ने देखा कि चूत से पानी की बूंदें गिर रही है और परम हर एक बूंदों को चाट रहा था, चूत द्वार से पानी की बूंदें गिर रही हैं। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया...अन्दर सिर्फ गुलाबी और गुलाबी। चूतरस धीरे धीरे बहार आके बहु की गांड को पिला रही थी। यह देख के परम का लंड अब चूत के द्वार पर टिकने के लिए व्याकुल हो उठा।
बहु परम से एक साल बड़ी थी,। शादी को एक साल ही हुआ था और ज्यादा चुदी भी नहीं थी। परम ने महसूस किया कि बहू की चूत टाइट है। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। परम ने सिटिंग पोजीशन (बैठे बैठे) मे सारे कपड़े निकाले। देखने की जरूरत नहीं थी कि लंड चोदने के लिए पूरा तैयार था। परम ने घुटने पर बैठे हुए कुलहो को जोर से पकड़ा और लंड के सुपारे को चूत से सटाया। बहू ने घूम कर नहीं देखा कि लंड कैसा है, लेकिन बहु ने तिरछी आँखों से देखा की परम का लंड सही पोजीशन में ऊपर छत की ओर सलामी दे रहा था, वह देखा और मन ही मन मुस्कुराई। बहु ने सिर्फ पेट को हिलाया और सुपारा चूत में आंशिक रूप से घुस गया। बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…
******.
आज के लिए बस यही तक।
कल नए अपडेट के साथ हाजिर हो जाउंगी।
तब तक आप आने कोमेंट देते रहिये।
शुभरात्री।
।। जय भारत ।।
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