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Shukriya dostSuperb update
Shukriya dostSuperb update
Shandaar updateमुनीम ने सारे पेपर्स सेठ को दिया और बिल्कुल बहू से सैट कर खड़ा हो गया और बहू की नंगी गोल-गोल कुलहो को सहलाने लगा। मुनीम दंग रह गया कि जवान नंगी लड़की उसके बेटे परम का लंड चूस रही है और सेठ देख रहा है। ऐसा ही सीन है उसने इस बिस्तर पर कुछ दिन पहले देखा था जब सुंदरी एक अजनबी का लंड चूस रही थी और सेठ देख रहा था।
यहाँ सेठजी की बहु है।
अब आगे..............
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उस दिन मुनीम को हिम्मत नहीं हुई थी, कि सेठ से उस औरत को चोदने के लिए कहे लेकिन अब 3-3 जवान लड़कियों को चोद के का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया था। मुनीम का लंड टाइट होने लगा था। वह सोच रहा था की सेठजी ने मेरी पत्नी के बदले में काफी कुछ दे दिया है, लेकिन उसे यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आई थी जब सुंदरी की वह साब छोड़ रहा था और सेठजी ने उसे कागजाद लेके बुलाया और वह हसाब ने सुंदरी की गांड पर कागजाद रख के साइन किये थे। वह बिलकुल नहीं चाहता था की ऐसा हो पर उसके हाथ में कुछ नहीं था और नाही परम के हाथ में था, स्थिति को संभालना ही था।
लेकिन आज वह जानता था की परम कौनसी माल को लेके आया है और वह उसी पर नजर गढ़ाए बैठा था की बस एक मौक़ा मिल जाए। जब सेठजी अन्दर जा रहे थे तब मुनीम ने उसको अपनी प्रोमिस याद दिलाई थी की जो भी माल हो आज साथ ही खायेंगे। और अब वह उस कमरे में था जहा एक दिन सुंदरी थ इऔर वह कुछ न कर सका था। वह खुश था की परम ने छोटी बहु पर अपना सिक्का डाल दिया था।
“क्यो मुनिमजी, माल कैसा है?”
“सेठजी बहुत मस्त माल है, लगता है एकदम सोलाआनी माल है।” मुनीम ने कहा और बहू के चूत में पीछे से उंगलियां घुसा कर मजा लेने लगा।
मुनीम उसको चोदना चाहता था।
“सेठजी आप जब बोलिए सुंदरी को लाकर आपके लंड पर डाल दूंगा लेकिन मुझे इस कड़क माल को चोदने दीजिए।”
“परम तो चोद ही चुका है बहु को, तुम भी बहु चोद डालो, लेकिन मैं जब भी सुंदरी को लाऊंगा, जिस से भी चुदवाने बोलूंगा…” सेठजी ने कहा। “देखो मुनीम बहु तुम्हारी हुई लेकिन मुझे सुंदरी चाहिए जब बुलाऊ उसे भेजना पड़ेगा और हां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मुझे सुन्दर के माल का उपयोग करना पड़ेगा, और उसके लिए तुम, सुंदरी और परम सब खुश रहोगे ऐसा मैं कुछ करूँगा।“ मुनीम के कान में जाके कहा। उस दिन देखा और अब आगे तुम्हारे सामने ठीक है? और हम दोनों की बात किसी से नहीं।” फनलव और मैत्री की पेशकाश।
मुनीम सहमत हो गया।
मुनीम ने पूरे कपड़े उतार दिए। परम और सेठ ने उसके बड़े लम्बे लंड को आलू के आकार के सुपारे के साथ देखा। मुनीम को अपने बेटे के सामने नग्न होने में कोई शर्म नहीं थी। उसे क्यों होना चाहिए जब वह पहले ही अपनी बेटी को चोद चुका है। मुनीम ने बहू के चूतर को फैलाया और सुपारे को चूत के छेद पर रख कर लगातार 4-5 धक्का मारा। बहू को लगेगा कि उसकी प्यारी चूत फट जाएगी। बहू को लंड, अपनी चूत के अंदर बहुत टाइट लग रहा था, उसे ऐसा लगा की पहली बार चुदवा रही हो।
परम जानता था की बाबूजी अब कमाल करेंगे, उसने बहु को आगे पकड़ के रखा ताकि पीछे से उसकी चुदाई शुरू हो तो वह आगे जाके छटक ना जाये। आखिर वह भी बेटा ही था अपने बाप के लिए कुछ भी कर सकता था।
और सच यह था की मुनीम ने सुपारे ने बहु की चूत फाड़ ही डाली, उसकी छुट से खून बह आया, ससुरजी और परम उस खून को सिर्फ देखते ही रहे, ससुरजी ने अपनी गांड का पहला कचुम्बर हुआ याद आ गया। जब की परम को अपनी बहन की चूत और ठीक से नहीं चल पाने की वजह मालुम हो गई। बहनछोड़ बेटी चोदी है तो बहु क्या चीज़ है। फटेगी आज, उसे डर लग रहा थी की कही बहु फिर से इस लंड पे या मेरे लंड पर आएगी की नहीं।
मुनीम बहू की कमर पकड़ कर खूब मस्ती से बहू को पेल रहा था और बहू को लग रहा था कि उसकी चूत में कोई लंड नहीं बल्कि गरम लोहे की रॉड घुसा है। परम ने भी चोदा था तो लगा था कि चूत फट जाएगी लेकिन अब तो लग रहा है कि चूत के साथ-साथ गांड भी फट जाएगी। 20-25 धक्का लगाने के बाद लंड आराम से चूत के अंदर-बाहर होते दिखा।
मुनीम बिस्तर पर आराम से हाथ बढ़ा कर पीछे दोनों चुचियो को मसलते हुए चुदाई करने लगा। मुनीम को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसने पूनम, महक और सुधा की कुंवारी चूत पर अपना झंडा गाड चुका था, जब की लीला अपने पति से एक साल से चुद रही थी। और सुंदरी की गांड पर रखे कागजाद की स्याही उसे याद थी। वह बहु की गांड की गोलाई अपने हाथ और लंड से नाप रहा था, उसकी भूगोल अब खराब हो रही थी।
“सेठजी माल पका है आज हमारी भाषा में कहे तो मैं मेरी इस कलम से इस माल के सभी कागज़ पर सफ़ेद स्याही से साइन करता हूँ।“ मुनीम के उस द्रश्य से और चनक चढ़ गई थी और वह अब लगातार धक्के मारे जा रहा था।
“हाँ...हाँ क्यों नहीं अब यह कागज़ भी आप का ही समजो मुनीमजी” सेठजी ने मुनीम के पिछवाड़े पर हाथ फेराते हुए कहा।
उधर बहु की हालत खाराब थी, उनकी आँखे चौड़ी हो गई थी और वह सिर्फ धक्के का मजा ले रही थी, उसे बस अब यही पर स्वर्ग मिल गया था। उसे कोई परवाह नहीं थी, की उसकी चूत सूज के कैसी हो जायेगी।
वह परम और सेठजी मुनीम के धक्क्के देख कर अपने आप को कोस रहे थे।
उधर बहु...
परम उसकी चूत में घुसने वाला दूसरा लंड था, सेठजी तीसरे और अब मुनीम चौथा। लीला अभी-अभी परम के मोटे, लंबे लंड से चुदी थी और फिर सेठजी ने बहुत देर तक दबाए रख्खा था, लेकिन मुनीम को लग रहा था कि वो किसी अनचुदी चूत को चोदे जा रहा था। चूत बहुत टाइट थी। या फिर उसका सुपारा बहोत बड़ा था वह तो लीला ही बता सकती है या फिर खून से पड़ी उसकी चूत।
लेकिन अब वो देखना चाहता था कि किस कच्ची कली को चोद रहा है। मुनीम झटके से लंड को चूत के बाहर निकला और बिना किसी को मौका दिए बहुत ज्यादा दबाव पर सीधा पलट दिया और दोनों जांघों को धक्का देकर फिर से लंड को धक्का मारने लगा। अब चुदाई का असली मजा आ रहा था। बहू भी अपना चूत्तर हिला कर धक्के का जवाब दे रही थी। लेकिन लीला ने झूठ से अपने लंबे घने बालो से चेहरे को कवर कर लिया। मुनीम ने देखा कि जिस लड़की को वो चोद रहा है उसके चेहरे के बाल से ढका हुआ है। मुनीम ने बालों को हटाना चाहा तो बहू ने मुनिम का हाथ हटा दिया और कहा,
'बस, रज्जा जम कर चोदो। चुदक्कड का चेहरा देख कर क्या करोगे। मैंने सेठजी से पूरे 2 लाख ले लिए हैं। परम और सेठजी चोद ही चुके हैं..अब तुम भी पूरा मजा लो....मेरा चेहरा मत देखो...चूची क्यों नहीं दबाते हो, छोटी है इस लिए!' मैत्री द्वारा लिखित।
हाला की यह जानते हुए भी अनजान बन जाना मुनासिब समज के, मुनीम ने भी चेहरा देखने का जिद्द नहीं किया और लगतार चोदता रहा तब तक वो पुरा डिस्चार्ज नहीं हो गया। परम और सेठजी की तरह मुनीम ने भी चूत में वीर्य भर दिया।
“हाँ सेठजी, मेरे इस कलम की सफ़ेद स्याही पूरी खाली कर दी है यह कागजाद पर।“ उसके चहरे आर एक विजयी मुस्कान थी।
मुनीम ने चूची को चूमा और चूसा और फिर बहू के बदन पर पर से उठ गया। सब ने देखा कि चुदवाने के बाद बहू का पूरा शरीर चाँदी की तरह चमकने लगा। उसकी चूत से मानो वीर्य का बहाव निकल आया।
“सेठजी, साली बहुत जबरदस्त माल है…सुंदरिके साथ भी इतना मजा नहीं आया।” दोनों सेठजी और मुनीम ने एक दुसरे को आँख मारी।
मुनीम कपड़े पहन कर बाहर चला गया। मुनीम के बाहर जाते ही बहू उठी और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। बहु ने चूत को सहलाते हुए कहा “आज तो मेरी माँ ही चुद गई! इस चूत का बाजा बज गया। लेकिन मजा आया एक के बाद एक तीन लंड से चुदवाने में।“ उसने परम को चूमा…और कहा, “परम, ये चूत अब तेरी और तेरे सेठजी की है। लेकिन बाहर का भी लंड कभी-कभी खाने देना, सब से ज्यादा मजा दे के गया है।“ उसका इशारा मुनीमजी के लिए था।
परमने देखा कि सेठजी ने बहू को कुछ पेपर दिए और कहा कि यह कोठी का पेपर है ठीक से रखना। कुछ नोटो का बंडल भी दिया। सेठजी ने परम और बहु को घर जाने को कहा और बोला कि वो एक घंटे में आएंगे। परम और बहू भीतर हो कर कमरे से बाहर निकले। परम आगे के दरवाजे और बहू पीछे के दरवाजे। दोनो रिक्शा पर बैठ कर वापस घर आये। बहू के मन में कोई अपराध बोध नहीं था। वह खुश थी कि मुनीम यह नहीं देख सका कि वह कैसी थी और उसे यकीन था कि सेठजी या परम, कोई भी किसी से चुदाई की बात नहीं करेगा।
अब उसकी चूत के फांके सूजने शुरू हो चुके थे। उसे अब अंदरूनी दर्द हो रहा था। उसने खुन्वाला पेपर नेपकिन अपने पर्स में रखा। उठने की नाकाम कोशिश की लेकिन परम ने उसे मदद की।
“परम, मैं घर जा सकुंगी!”
“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा। मैत्री और नीता की रचना।
*****
आजके लिए इतना ही ....कल फिर मिलेंगे ।
।। जय भारत ।।
Yeh hai asli KLPDजब वह अंदर थी, तो एक दुकान से परम बाहर आया और दो 'पोंडी (अश्लील) किताबें खरीदीं। दोनों कहानियाँ ज्यादा-प्रवेशों के रंगीन चित्रों वाली थीं (coloured illustration of multi penetration)। और बहू ने उसे किताबें खरीदते देखा। उसे नहीं पता था कि ये किस तरह की किताबें हैं। कुछ और खरीदारी के बाद बहू थक गई और बोली,
"मैं थक गई हूँ, कोई जगह है आराम करने के लिए!"
अब आगे.....
बहू के दिमाग से सेठजी निकल गए। परम, उस खास कमरे की चाबी अपने साथ ही रखता था। उसने जाँच की। चाबी उसकी जेब में थी। उन्होंने एक और रिक्शा लिया और पाँच मिनट में सेठजी के ऑफिस पहुँच गए। रास्ते में परम ने उसे कमरे और ऑफिस के बारे में बताया। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उस कमरे में सेठजी और उसके ग्राहकों ने सुंदरी को चोदा था और उसने अपनी माँ और बहन को भी उसी बिस्तर पर चोदा था।
परम ने प्रार्थना की कि आज वह छोटी बहू का आनंद ले सके। वे पिछले दरवाजे से कमरे में दाखिल हुए। परम ने अंदर से कमरे की कुंडी लगा दी। उसने चारों ओर देखा। कमरा साफ था। नई चादर और तकिये का कवर, और कमरे में ताज़ा पानी भी।
सेठजी कमरे को किसी भी समय इस्तेमाल के लिए तैयार रख रहे थे। उन्होंने पानी पिया और बहू बिस्तर पर गिर पड़ी। परम ने उसकी तरफ देखा और पहली बार उसने बहू की छोटी लेकिन कसी हुई चूची (निपल) देखी, बिना साड़ी के ब्लाउज़ के। उसने देखा कि छोटे स्तन ऊपर-नीचे हो रहे थे और बहू ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। उसका मस्तिस्क में अभी भी ससुरजी घूम रहे थे। वह परम की बातो को फिर से अपने दिमांग में भरे हुए और बार बार उसी की तरफ सोच रही थी। सोच रही थी की ससुरजी ने आखिर उसमे क्या देखा जो मेरा चुतिया (पति) नहीं देख सका। वह सोच रही थी की कही ससुरजी ने उसे नंगी तो नहीं देख लिया! जिस से ससुरजी के लंड में हलचल पैदा हो गई हो। यही सब सोच में डूबी हुई थी और परम अपने काम पर लगने की कोशिश में था।
परम ने उसकी जांघों पर नज़र दौड़ाई। वह पतली थी, कोई अतिरिक्त मांस नहीं, छोटी चूची, सपाट पेट, छोटी नाभि और लगभग तीन इंच नीचे उसने अपनी साड़ी बाँधी हुई थी। उसका रंग दूधिया था। उसे ऐसे सहज पोज़ में देखकर परम का लंड खड़ा हो गया।
"परम, मुझे किताब दो।" उसने आँखें बंद करके कहा, नीता की पेशकश।
ओह्ह बहनचोद, मर गया,परम घबरा गया। "कौन सी किताब!" परम की गांड फट पड़ी।
"वही, जो तुम छुपाके बैठे हो,जल्दी दो।" वह उठ बैठी।
उसने अपने बोबले ढकने की कोशिश नहीं की। उसने अपनी साड़ी अपने सीने से उतार दी। उसने परम को खींचा और उसकी कमीज़ के नीचे से किताबें निकालीं। उसने दोनों किताबें निकालीं। कवर पेज देखकर वह चौंक गई।
एक किताब पर एक औरत पूरी नंगी थी और अपनी चूत में साँप को घुमा रही थी और दूसरी पर एक औरत की गांड और चूत में दो लंड थे। उसने परम की तरफ देखा और बिना कुछ कहे पेट के बल लेट गई और पन्ने पलटने लगी। परम वहीं स्थिर पुतला बना रहा। बहू ने आखिरकार एक किताब चुनी और पढ़ने लगी।
"भाभी, तुम थक गई हो....कहो तो टांगें दबा दूँ?" परम ने मस्का मारने का शुरू किया।
परम उसे चोदना चाहता था। और उसी हथकंडे से उसने सेठानी और फिर रजनी और पुष्पा को चोदा था। उसके पास एक सही हथियार आ चुका था किसी भी औरत की चूत तक पहुचने का।
“ठीक है दबा दे।” बहू ने कहा और उसने सेक्स की किताब पढ़ना जारी रखा। उसने परम की तरफ ध्यान नहीं दिया। वह एक कहानी पढ़ रही थी जिसमें एक पिता अपनी बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा है। और किस तरह अलग अलग पेंतरे रचा कर अपनी बेटी को पटाने की कोशिश करता है। और आखिर कैसे उसने अपनी बेटी को चोद दिया और अपनी हवस का शिकार बनाया। और बेटी भी किस तरह से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जवानी को लुटाते हुए अपनी जवानी को बढ़ावा दे रही थी। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
परम बिस्तर पर बैठ गया और उसके पैरों पर हाथ रख दिया। उसने धीरे-धीरे उसके पैर दबाये। कुछ देर तक घुटने के नीचे ही दबाता रहा और फिर धीरे-धीरे सारे पेटीकोट को घुटने के ऊपर उठा दिया। परम छोटी बहू की नंगी पिंडलियों को सहला रहा था। बहू कहानी का आनंद ले रही थी और परमने कपड़ों को जांघों पर ऊपर धक्का दिया। परम ने बहू की प्यारी निचली जांघें देखीं। उसने धीरे से दोनों घुटनों के जोड़ों की पीठ पर एक चुंबन जड़ दिया। उसी वक़्त बहु का ध्यान परम पर गया लेकिन उसके साथ हो रही छेड़छड पर दयां नहीं दिया।
“उफ्फ, चूतिये,क्या करता है? परम, गुदगुदी होती है।”
परम ने फिर से कपड़े ऊपर कर दिए और नंगी जांघों को प्यार से सहलाने लगा। साथ ही हिप्स के मसल्स को ट्विस्ट एक्शन (मोड़ ने की क्रिया) भी दे रहा था। अब जांघों के बीच में कपड़े ऊपर उठ गए थे। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। परम ने कपड़े को उठाया और पुश किया। उसने भाभी के कम बड़े कूल्हों का निचला मोड़ देखा और उसने वही देखा जो वह 'चूत का छेद' देखना चाहता था। परम उठा और उसकी जाँघों को दूर थोडा सा धकेल दिया और उसकी जाँघों के बीच अपने घुटनों के बल बैठ गया और आखिरी बार कपड़े ऊपर सरकाये। परम ने बहू के टाइट कुल्हो को सहलाया और कहा,
“भाभी तुम्हारी गांड के पहाड़ एक दम तंग है...लगता है भैया इसको मसलते नहीं है।”
भाभी अपनी मस्ती में थी, भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अपनी कुलहो को थोड़ा उठा दिया। परम ने हाथ बढ़ा कर नीचे वाले कपड़ों को भी ऊपर रख दिया। अब परम ने पहली बार बहु के त्वचा को चूमा। परम पुरे कुल्हो को हाथो से मसल रहा था साथ ही अपनी जीभ से गांड तक पहुचने का प्रयास का मजा ले रहा था। परम अपनी महेनत कर रहा था ताकि अपने गंतव्य तक पहुच सके। धीरे-धीरे परम ने जीभ को हिप्स के जोड़ पर लगाया और गांड के छेद पर अपनी जीभ टिका दी और वेइट करने लगा की कोई विरोध तो नहीं आता! और कोई विरोध ना मिलने पर उसने अपनी जीभ को गांड के छेद को चाटने लगा। परम ने दोनो हाथों से कुलहो को फैला रखा था और छोटे गोल छेद को चाट रहा था। नीता और मैत्री की प्रस्तुति।
बहू तो पहले ही ससुर के बारे में सुन कर गरम हो गई थी और अब बाप और बेटी की चुदाई पढ़कर बिल्कुल गर्म हो गई। उसकी चूत गीली हो के रस को बहार की ओर भेज रही थी। जो की परम को परोसने के लिए अपने रस से उसे आकर्षित कर रही थी। और ऊपर से अब परम की जीभ उसकी गांड के छेद पर फिर रही थी, कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और ना चाहते हुए भी उसके कुल्हे उपर उठ गए और परम की जीभ अब गांड के छेद पर जा टपकी और उसने अपना काम चालू कर दिया। अब बहु ने गांड उठाया तो परम को चूत के दर्शन हो ही गए। अब परमने भाभी की जांघों को काटकर जीभ से चूत का स्वाद लेने लगा। कभी जीभ चूत में डाल देता था तो कभी उंगलियों से चूत में डाल कर चुदाई का मजा दे रहा था। परम ने देखा कि चूत से पानी की बूंदें गिर रही है और परम हर एक बूंदों को चाट रहा था, चूत द्वार से पानी की बूंदें गिर रही हैं। परम ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया...अन्दर सिर्फ गुलाबी और गुलाबी। चूतरस धीरे धीरे बहार आके बहु की गांड को पिला रही थी। यह देख के परम का लंड अब चूत के द्वार पर टिकने के लिए व्याकुल हो उठा।
बहु परम से एक साल बड़ी थी,। शादी को एक साल ही हुआ था और ज्यादा चुदी भी नहीं थी। परम ने महसूस किया कि बहू की चूत टाइट है। अब परम को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। परम ने सिटिंग पोजीशन (बैठे बैठे) मे सारे कपड़े निकाले। देखने की जरूरत नहीं थी कि लंड चोदने के लिए पूरा तैयार था। परम ने घुटने पर बैठे हुए कुलहो को जोर से पकड़ा और लंड के सुपारे को चूत से सटाया। बहू ने घूम कर नहीं देखा कि लंड कैसा है, लेकिन बहु ने तिरछी आँखों से देखा की परम का लंड सही पोजीशन में ऊपर छत की ओर सलामी दे रहा था, वह देखा और मन ही मन मुस्कुराई। बहु ने सिर्फ पेट को हिलाया और सुपारा चूत में आंशिक रूप से घुस गया। बहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…
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आज के लिए बस यही तक।
कल नए अपडेट के साथ हाजिर हो जाउंगी।
तब तक आप आने कोमेंट देते रहिये।
शुभरात्री।
।। जय भारत ।।
Mast updateबहु थोडा पीछे हटी ताकि परम के लंड को आसानी ना मिले। पर परम तो परम था! परम ने उसे ज्यादा हटने ने का मौक़ा नहीं दिया। उसने अपने लंड को पकड़ा थोडा चूत. के द्वार पर टकराया और जैसे बता रहा हो की अब यह औजार दस्तक दे रहा है। परम ने एक ऊँगली उसे गुदा द्वार पर लगा के राखी ताकि वह ज्यादा हट ना सके। परम ने थोडा जोर का धक्का मारा और सुपारा चूत के प्रवेश द्वार पर फँस गया…
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अब आगे...........
“बापरे…कितना मोटा है!” बहू फुसफुसाई लेकिन पढ़ना जारी रखा। परम ने सुपारा थोड़ा बाहर निकला और इस बार जोर से धक्का मारा।
“आहहहहहहहह…… चूतिये,थोड़ा धीरे से…।” उसका व्यवहार ऐसा था की उसे कुछ मालूम नहीं की उसकी चूत के साथ क्या हो रहा है, वह कहानी पढने में मशगुल रही। मैत्री द्वारा लिखी गई।
परम लंड को बाहर लाकर जोर-जोर से धक्का मारता रहा और 4-5 धक्के में लंड पूरा अन्दर घुस गया। परम कुलहो को पकड़ कर धक्का लगा रहा था और बहु कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थी। परम आराम से लेकिन जोर लगा कर चोद रहा था।
बहु चुदाई का मजा भी ले रही थी और किताब भी पढ़ रही थी। बीच-बीच में 'आह्ह्ह्ह...' 'ओह्ह्ह्ह....' कर रही थी। कुछ देर की चुदाई के बाद परम ने लंड को पूरा बाहर निकाल लिया और एक झटके में बहू को पलट दिया और जल्दी से बहू की जांघों को पकड़ कर चूत में लंड पेल कर धक्का मारने लगा। कहानी जारी रखने की बहुत कोशिश की लेकिन परम ने किताब छीन ली और नीचे फेंक दी।
“तेरी माँ की चूत, साली, मादरचोद, मैं चोद रहा हूँ और तू किताब पढ़ रही है! चुदक्कड मेरे लंड का मजा ले।”
परम ने दोनो निपल को पकड कर धना-धन चोदने लगा। बहू को चुदाई में मजा आने लगा था। जब परम ने उसकी चूत को चाटा तो बहू को अच्छा लगा था, वह चाहती थी की वह ऐसा करता रहे, उसकी गांड को चाटता रहे। और जब परम का लंड चूत में घुस रहा था तो बहू ने महसूस किया कि उसके पति का लंड परम के लंड छोटा और पतला है। बहू ने परम को अपनी बाहों में भर लिया और कमर उछाल-उछाल कर परम के धक्के का जवाब देने लगी।
थोड़ी देर के बाद,अचानक बहू को लगा कि खून बहुत तेज हो गया है, गर्मी बढ़ गई है, जांघें टाइट हो गई हैं और बहुत टाइट हो गया है। बहू आँख भींच कर चुदाई का लुत्फ़ उठाती है। उसने परम को अपनी जांघों में क्रॉस कर लिया और किस करने लगी। परम को लगा की बहू अब झरने बाली है। परम ने लंड पूरा चूत के एंट्री तक लाया और कुछ रुक कर खूब जोर से धक्का मारा।
“आहहहह……माँ....मर……गईईईईईईईईईईईईई....रे.....। वह गिर गई उसकी चूत ने उसका साथ छोड़ दिया था और अपना चुतरस बहा रही थी और उसने अपने हाथ और पैर दोनों तरफ ढीले कर दिए। तभी उसे गर्म तरल पदार्थ का अहसास हुआ। परम भी झड़ गया था और बहू के शरीर पर ढीला हो गया था। …
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“तुने तेरा माल मेरी चूत में डाल दिया है! मैंने कोई सावधानी नहीं ली है…कहीं प्रेग्नेंट हो गई तो!”
“तो क्या, तुम मेरे बच्चे की माँ बन जाओगी।” परम ने उत्तर दिया। मैत्री और नीता की पेशकश।
कुछ देर तक दोनों शांत रहे।
“परम, मेरी चूत पसंद आइ?
"भाभी, सच बहुत मजा आया। बहुत टाइट और हॉट है,तुम एक अच्छा माल हो, और तुम्हारे पास मस्त माल है।" परम ने कहा। मुझे लगता है कि मैं इस बिल्ली (चूत) का दिवाना बनने बाला हूं।”
परम ने चुत को एक गहरा चुम्बन दिया। सिर्फ चूत नहीं,भाभी, मैं तुम्हारा गुलाम बनने बाला हूं। मालूम नहीं क्यों मुझे लग रहा है कि हम दोनो बस एक दूसरे के लिए ही बने हैं और मिले हैं। तुम्हारी गांड में भी बहोत दम है, मतलब एकदम टाईट, स्वाद तो मेरे मुंह में अभी भी है और शायद दूसरी बार तुम्हारी गांड के छेद तक पहुचुन्गा तब तक रहेगा।” उसने गांड के मुख पर अपनी एक ऊँगली फेराते हुए कहा। और जैसा की हर महिला को अपनी सुन्दरता की प्रशंसा अच्छी लगती है बस उसी तरह बहु को भी परम का बोलना अच्छा लगता था।
“कल रात जब तुमने मुझसे कहा कि ससुरजी मुझे चोदना चाहते हैं तभी मैं समझ गई कि सेठजी नहीं तू मुझे चोदना चाहता है।”
यह बात परम के लिए एक बम फटने वाला धड़का था।
बहु ने उसके बालों को सहलाया और कहा, 'तेरा भैया को मुझसे ज्यादा वेश्या को, रखैलो को चोदने में मजा आता है। वो वेश्या को चोदते हैं लेकिन मुझे प्यार नहीं करते। जानते हो, कल रात को मेरी चुदाई करते हुए कहा कि मैं उसे तेरी माँ सुंदरी को चोदने के लिए तैयार करु!”
'साला बेबकूफ है, तेरे जैसी मस्त माल को छोड़ कर दो-दो जवान बच्चों की मां की चूत के लिए मरता है। तू मेरी पत्नी होती तो मैं तुम्हें रात दिन चोदता। और कही इधर उधर मुंह नहीं मारता।“
“अच्छा! चल छोड़, मस्का बहोत हो गया।” बहू ने उसे चूमा और पूछा, “फिर चोदेगा ना। रेखा के चक्कर में मुझे भूल तो नहीं जाएगा ना!” उसे बताया गया था कि रेखा और परम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसकी ननद परम से ज्यादा प्यार करती है। मैत्री और नीता की प्रस्तुति।
उसने सोचा कि परम ने बहू के बारे में सेठजी की सोच के बारे में जो कुछ भी कहा था, वह सब झूठ था। उसने ऐसी सारी बातें सिर्फ उसे बहकाने के लिए कही थीं। वह स्पष्टीकरण चाहती थी, "सच बोल मदचोद, तूने जो ससुरजी के बारे में जो बोला था वो सब झूठ था ना! सिर्फ मुझे चोदने के बहाने थे ना? मेरी चूत तक पहुचेने के लिए ये सब किया था!"
परम बहु के शरीर से अलग हो गया और चूमते हुए बोला,
“भाभी, अपनी प्यारी माँ की कसम सेठजी तुमहे, अपनी छोटी बहू को चोदना चाहते है। हाँ यह अलग बात है की मैंने कुछ मसाले के साथ कहा था ताकि तुम उत्तेजित हो और मेरे लंड को एक अच्छा माल मिले। जुट नहीं बोलूँगा। ” परम ने चूची को मसला और बोला '
सेठजी बगल के कमरे में ही होंगे। रानी सेठजी से चुदवा ले।“ अब उसे कोई परेशानी नहीं थी की बहु को सेठजी चोदे और उसने जो प्रोमिस किया था वह काम तो करना ही था।
बहु भी उठ बैठी, वह अपनी जाँघें क्रॉस करना चाहती थी लेकिन परम ने उसे दोनों जाँघें चौड़ी करके बैठा दिया।
'बहुत प्यारी चूत है, देखने दो, अब उसे मुज से छुपाना नहीं है रानी। अब वह मेरे लंड के लिए है, और हाँ अब मैं तुम्हे चोदता रहूँगा और तू मुज से चुदती रहेगी।'
“खाली चूत का मजा लिया, बोबला तो तुमने देखा ही नहीं!”
“भाभी,अभी तो एक बार और चोदूंगा पूरा नंगा कर के और तब बोबे का मजा लूंगा।” बोलते हुए परम आगे आया और एक ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्लाउज को बाहर निकाल दिया। बहू ने सफ़ेद ब्रा पहना था, उसने खुद ही ब्रा का हुक खोल दिया और उसे अपने शरीर से अलग कर दिया। उसने अपने स्तनों को तोला और पूछा "उपरी माल कैसा है?”
परमने बहू की अपनी ओर खींच और आराम से चुची दबते हुए बोला, “भाभी आज अच्छा मौका है,सेठजी से चुदवालो।”
“छि…कोई ससुर से चुदवाती है क्या!”
'तुम कहां हो भाभी? लोग अपनी मां को चोद डालते हैं, बाप अपनी बेटी की चुदाई करता है!'
“हां रे, मै जो किताब पढ़ रही थी, उसमें भी बाप अपनी बेटी को पटा कर चोदता है।”
“भाभी किसी को पता नहीं चलेगा, जो चाहो सेठजी से मांग लो,जो मांगोगी सब देंगे, बस तू तैयार हो जा, मैं सेठजी को बुलाकर लाता हूं।”
“नहीं परम, नहीं… तू फिर से मुझे चोद डाल लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनके सामने मेरा माल नहीं दिखा सकती, मैं शर्म से मर जाऊँगी, किसी को पता चलेगा तो क्या होगा, हम दोनो को मरना पड़ेगा…। तू ही चोद दिया कर मुझे, मेरे माल को जैसा चाहे उपयोग किया कर, लेकिन ससुरजी को मत बुला, मैं उनसे ठीक से चुदवा नहीं पाउंगी।”
बहू ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “तेरा लंड बहुत मस्त है… तू कलकत्ता आ जा, तेरे भैया भी तुझे पसंद करते हैं। और जब तक मैं यहाँ हु दिन-रात मुझे चोदना, जैसा मन करे मुझे चोदते रहना, मेरी गांड भी खा जाना बस, मैंने मेरी गांड भी तेरे लंड के लिए छोड़ दी पर वो सब मत कर, ससुरजी......न...ही...।“
परम की छठी इंद्रिय ने बताया कि उसे अधिकतम आनंद और शांति केवल इस लीला भाभी के साथ ही मिल सकती है। वह इस पर विचार करेगा लेकिन अब वह अपने सेठजी को खुश करना चाहता था। कुछ पैसे बनाना चाहता था, सेठ से ही,सेठ की ही बहु का सौदा करने जा रहा था और वह भी सेठजी से ही।
“भाभी तू बेकार डरती है, किसी को कुछ मालुम नहीं पड़नेवाला है, ना तुम बोलोगी, ना मैं, ना ही सेठजी।”
परम ने चूत को सहलाया और कहा, “सोच ले सेठजी से क्या माँगना है, मैं उन्हें बुला कर लाता हूँ, तू नंगी ही बैठी रहना।” वैसे लीला अपने ससुरजी से चुदवाने को तैयार थी पर जताना नहीं चाहती थी।
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आशा है की आपको आज का यह एपिसोड पसंद आया होगा।
कल फिर कुछ नया लेके आपके सामने उपस्थित हो जाउंगी तब तक के लिए अआप अपने कोमेंट देते रहे।
।। जय भारत ।।
Nice update“भाभी तू बेकार डरती है, किसी को कुछ मालुम नहीं पड़नेवाला है, ना तुम बोलोगी, ना मैं, ना ही सेठजी।”
परम ने चूत को सहलाया और कहा, “सोच ले सेठजी से क्या माँगना है, मैं उन्हें बुला कर लाता हूँ, तू नंगी ही बैठी रहना।” वैसे लीला अपने ससुरजी से चुदवाने को तैयार थी पर जताना नहीं चाहती थी।
अब आआगे....................
बहुने चूत को अपनी जांघों पर दबाया और हाथों से चेहरे को ढक लिया। परम ने कपड़े पहने और धीरे से दरवाज़ा खोला और बाहर चला गया। वह वहां अपने पिता से मिला और बोला कि वह सेठजी से मिलना चाहता है। परम सेठजी के पास गया। उसके पास एक ग्राहक थे। सेठ ने उसे और मुनीम को बाहर भेज दिया कहा, परम से कुछ जरुरी बात करनी है।
'सेठजी, सुंदरी को तो आपने चोद ही लिया, आज आपकी दूसरी माल लेकर आया हु।' परम ने बिना कोई वक़्त बरबाद किये बताया।
“कौन,छोटी बहू?” सेठजी चिल्लाये।
परम ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोला: “मैंने उसे पटा लिया है, वो आपके लंड का इंतजार कर रही है, मैंने उसे आपसे चुदवाने के लिए तैयार किया है…लेकिन कुतिया जो मांगेगी देना होगा।”
“मैं अपना सब कुछ उसको दे दूंगा।”
सेठ उठा और परम के साथ अंदर आ गया। वह अपनी छोटी बहु को पूरी तरह नग्न अवस्था में देखकर आश्चर्यजनक रूप से प्रसन्न हुआ।
बहू बिस्तर पर नंगी बैठी थी और उसके हाथ फेस को ढक रहे थे।
“परम दरवाजा बंद कर दे।” कहकर सेठजी अपनी बहू के बगल में बैठ गए। ससुर ने बिना कोई झिझक के नंगी बैठी बहू को अपनी गोद में उठाकर बैठा लिया और चेहरे से बहू का हाथ हटा कर बहू को किस किया। बहू और ससुर की आंखों से आंखे मिली।
"यार बहू, मैं बहुत भाग्यशाली हूं। मुझे सिर्फ दो औरत पसंद आई, एक तुम और सुंदरी।" सेठजी ने बहू के गालों को सहलाते हुए कहा।
बहु क्या करती! दो ही तो हाथ थे, बोबले छुपाती की अपनी चूत को ढकती! बहु अपने दोनों झांगो को कास के क्रोस कर के बैठी थी और हाथों को चुची के ऊपर क्रॉस कर कर के रखा था। सेठजी को जल्दी नहीं था। सेठजी को मालूम था कि नंगी बैठी लड़की अब बिना चुदवायेगी जायेगी नहीं। सेठजी ने कहा,
"बहु,सुंदरी को तो कई बार चोद चुका हूं और आज मैं मेरी प्यारी बहू को चोदूंगा। मैं बहोत भाग्यशाली हूँ, बहु।" सेठजी ने बहू के गालों को चूमा और उसकी झांगो को सहलाने लगे। नीता और मैत्री की प्रस्तुति।
“परम, देख क्या चिकनी जांघें हैं, ऐसा लगता है कि पुरे शरीर पर मक्खन (बटर) का पोलिश किया हुआ है।” सेठजी ने जांघों को सहलाते हुए अपना हाथ जांघों के बीच घुसाया।
“बाबूजी, छोड़िए ना!” बहू फुसफुसा कर बोली “मैं आपकी बेटी जैसी हूं। आपके छोटे बेटे की पत्नी…मुझे जाने दीजिए। यह सब अच्छा नहीं है।”
"नहीं रानी, अब मत तड़पाओ!" सेठजी ने जांघों के बीच हाथ घुसा कर बहु की चूत को दबाया।
“बोलो रानी क्या चाहिए, जो बोलोगी…”
सेठजी ने क्लिट को मसला तो बहू ने जांघों को खोल दिया और चूची पर हाथ हटा दिया। सेठजी क्लिट को मसलते हुए कहा, "सुंदरी को 50000/- देकर पहली बार चोदा था। अब तू जो बोल दूंगा। जल्दी से भाव बोल, तेरा पूरा माल खरीदूंगा आज।"
सेठजी बहू की चूची (निपल) को मसलने लगे। और बहु छटपटाती रही।
बहुने ससुर के हाथ को अपनी चूत पर दबाते हुए कहा, "कोलकाता बाली कोठी मेरे नाम कर जिजीए और मुझे दो लाख चाहिए।" बहु ने चूत को उजागर करते हुए कहा।
"ठीक है बहू, कोठी तुम्हारी हुइ और तुम्हारी चूत मेरी हुई। जब भी चोदना चाहूंगा चुदवाओगी, सौदा मंजूर!"
“लेकिन मुफ्त में नहीं…जब तक आप हैं, मुझे चोदिये या नहीं, हर महीने मुझे एक लाख नगद चाहिए।” बहू ने मचाते हुए कहा।
“दिया बेटी, मंजूर है। सेठजी ने सौदा पर मंजूरी की महोर ठोकते हुए कहा।
“बाबूजी एक बात और!”
“हाँ बोलो बहु, तुम्हारी चूत और पीछे के माल के लिए सब सौदा मंजूर है मुझे, परम साक्षी है बस!”
बाबूजी मुझे खूब चुदना है, आप के सिवा मैं दुसरे मर्दों का लंड भी लुंगी, आप को मेरे साथ ही रहना पड़ेगा, खास कर मुझे परम का लंड पसंद है और मैं उसके साथ नंगी ही रहना पसंद करुँगी, लेकिन कुछ समस्या आगे आये या तुम्हारा बेटा कुछ विरोध करे तो आपको मेरा पक्ष लेना होगा और मुझे खुली आज़ादी से अपने पैर फैलाने की मंजूरी सब के सामने देना होगा।” नीता और मैत्री की रचना।
“ओह्ह उसमे कौनसी बड़ी बात है बहु! जब चाहो तुम किसी से भी अपने पैर फैलाओ, अपनी चूत चुदवाओ मैं कभी विरोध नहीं करूँगा। पर मेरा लंड भी तुम्हे शांत रखना ही पड़ेगा। रही बात बेटे की तो मैं उसे शांत कर दूंगा, मुझे पता है वह सुंदरी को चोदना चाहता है और मैं सुंदरी के बदले में तुम्हे और तुम्हारी आज़ादी दोनों का सौदा कर लूँगा। आखिर मैं भी तो व्यापारी हूँ।“
“जी पिताजी, मैं आपके ऊपर भरोसा कर के अपनी चूत आपको गिफ्ट करती हु। और मुझे अपनी आजादी और चूत का भोसड़ा बनाने की आज़ादी। हम दोनों का काम हो जाएगा। वडा करती हूँ की आप के लंड को कभी ज्यादा समय मेरी चूत का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। जब चाहो मेरी चूत में अपने लंड को सैर करने भेज दिया करो, और हाँ साथ में परम का लंड तो कभी भी और कही भी...आप समज गए न।”
“बहु विश्वास पर दुनिया चलती है, तुम किसी भी प्रकार की चिंता ना कर तुम्हे घर की रानी बना के रखूँगा, तुम्हारी सांस भी तुम्हे कुछ नहीं कहेगी,उसके सामने तुम परम का लंड अपनी चूत और गांड को दे सकती हो। जितना मन आये मरवाओ।“ सेठजी ने सौदा पक्का किया।
और बहु के कान में आके बहोत धीरे से बोला: ”अपना मुनीमजी का लंड भी बहोत अच्छा है, उस लंड से भी चुदवाना बेटा, मुनीम से भी मेरा एक सौदा है सुंदरी के बदले में वह और उसका बेटा मेरे घर की सब औरतो को चोदने के लिए फ्री है, ठीक है न, लेकिन एक बात याद रहे ना बाप को पता है ना बेटे को, और नाही सुंदरी को। इसलिए यह ध्यान रहे की कही भी तुम्हे यह नहीं कहना है की तुम मुनीम से चुदी हो या चुदवाती हो, जब मन करे यहाँ आके मुनीम का लंड लेके जा सकती हो। और एक बात बेटी, यह मुनीम का लंड काफी तगड़ा है उस से कम ही चुदवाना वरना कोई भी लंड तुम्हे शांत नहीं कर पायेगा। बहोत राक्षसी लंड है उसका।“
बहु ने भी ससुरजी के कान में कहा; “पिताजी हमें लंड से मतलब है कौन चोदेगा और किस को पता है उस में हमें क्या। चूत शांत रहेगी तो सब शांत रहेगा।“ शायद एक प्रकार की धमकी ही थी।
“अब जल्दी चोदो, घर भी जाना है, माँजी इंतज़ार कर रही होगी।” इतना कह कर बहू दोनों पैरो को फैला कर बिस्तर पर लेट गई और चूत के होठों को खोल कर ससुर से कहा "आइये मेरा माल आपके लंड का स्वागत करेगा,बाबूजी चोदो।"
सेठजीने नहीं सोचा था कि वो कभी भी अपनी बहू को चोद पायेगा लेकिन वही अपनी चूत को चोदने के लिए बोल रही थी। सेठजी नंगे हो गए। बहू ने देखा कि सेठजी का भारी पेट नीचे 6” का लंड टाइट होकर बहू को चोदने के लिए तैयार है।
“बाबूजी, आपका पेट इतना मोटा है, लंड मेरी चूत में कैसे घुसेगा!”
“फिकर नोट! लंड चला जायेगा।” सेठजी अब फुल मूड में थे। नीता और मैत्री की प्रस्तुति।
सेठजीने बहू के पैरों के बीच बैठकर बहू के चूत को मसलने लगे। बहू की चूत छोटी थी, छोटी सी दरार और छोटी सी योनि। सेठजी ने फिंगर चुत में घुसेड़ कर चूत की गहराई को नापा और 2-3 मिनट तक फिंगर्स को चुत के अंदर डाल कर कसी हुई चुत का मजा लिया।
“सेठजी, चूत को चाटिये, बहुत टेस्टी है।” परम ने कहा। परम बहू के सिर पर हाथ रखकर बैठ गया और बहू की चुची को चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरी बोबले को मसलता रहा।
“बेटा,चूत चाटुंगा तो फिर बहू की तगड़ी चूत को चोद नहीं पाऊंगा…बाद में तुम चाट लेना।” कहते हुए सेठजी ने बहू के चूत में लंड पेल कर धक्का मारा।
“आह्ह्ह्ह……बाबूजी…धीर…रे... बहु को चोद रहे हो, किसी रंडी को नहीं।”
लेकिन सेठजी ने बहू का कंधा पकड़ कर अपनी छाती पर दबाया और धीरे धीरे चुत्तर उठा कर बहू की चुदाई करने लगे। बहू ने तो सोचा था कि ससुरजी मोटा पेट लेकर चूत में लंड नहीं घुसा पाएंगे लेकिन यहां तो ससुरजी जम कर चुदाई कर रहे हैं।
बहु ने ससुर को बाहों में लेकर चुदाई की मजा लेने लगी। करीब 7-8 मिनट के बाद ससुरजी ने बहू के चूत रूपी जमीन में अपना पानी से चूत को सींच दिया और 4-5 बार जोर से धक्का लगा कर बहू के ऊपर से उतर गए।
बहु को लगा कि इतने देर में वो किसी ट्रक के नीचे थी।''बाबूजी और थोड़ी ज्यादा देर आप धक्का मारते तो मैं मर जाती।"
बहु के कहते हुए परम का ट्राउज़र खोल दिया और शर्ट उतार कर परम पूरा नंगा हो गया। बहू परम के लंड को मुठ मारती हुई बोली,
“बाबूजी, अब तो चोद लिया, मुझे कोठी का पेपर और दो लाख रुपये दो।” आख़िरकार वह एक टॉप रैंक वाले स्टॉक ब्रोकर की बेटी थी। वह जानती थी कि हर चीज़ का अपना मूल्य और उस पर कमीशन होता है।
अब परम बहु के नंगे बोब्लो से खेल रहा था और बहु परम के लंड से, लगता था की की बहु परम के लंड को दुहा रही थी अपनी मलाई के लिये। सेठजी ने धोती बांधा और दरवाजा खोल कर मुनीम को आवाज दी। सेठजी ने दरवाजे पर ही मुनीम को कुछ निर्देश दिया और फिर बहू के पास बैठ कर उसकी जांघें और चूत को सहलाने लगा। परम खूब आराम से बहू की टाइट छोटे बोब्लो का मजा ले रहा था और सेठ बहू की जांघें और चूत को मसल रहा था। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
“भाभी, एक बार लंड चूसो।”
“नहीं, लंड नहीं चुसुंगी!”
“अरे बेटी चूसो, बहुत मजा आएगा। वह लंड तुम्हे अच्छी मलाई देगा।” ससुरजी ने चूत को निचोड़ते हुए कहा।”
बहु ना-ना करती रही आखिर परम के जिद्द करने पर उल्टा टर्न हो गइ। चुत्तर को पूरा ऊपर उठा कर परम के जांघों के बीच में सिर डाल कर लंड को मुँह के अंदर ले कर चूसने लगी। तभी मुनीम कुछ कागजात और एक बैग लेकर अंदर आया।
मुनीम को अंदर आता देख परम डर गया और बहू ने अपना चेहरा परम के जंघो के बीच छिपा लिया।
मुनीम ने सारे पेपर्स सेठ को दिया और बिल्कुल बहू से सैट कर खड़ा हो गया और बहू की नंगी गोल-गोल कुलहो को सहलाने लगा। मुनीम दंग रह गया कि जवान नंगी लड़की उसके बेटे परम का लंड चूस रही है और सेठ देख रहा है। ऐसा ही सीन है उसने इस बिस्तर पर कुछ दिन पहले देखा था जब सुंदरी एक अजनबी का लंड चूस रही थी और सेठ देख रहा था।
यहाँ सेठजी की बहु है।
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आज के लिए यहाँ तक।
कल फिर से एक नए एपिसोड के साथ मुलाक़ात होगी।
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।। जय भारत ।।
Nice 1मुनीम ने सारे पेपर्स सेठ को दिया और बिल्कुल बहू से सैट कर खड़ा हो गया और बहू की नंगी गोल-गोल कुलहो को सहलाने लगा। मुनीम दंग रह गया कि जवान नंगी लड़की उसके बेटे परम का लंड चूस रही है और सेठ देख रहा है। ऐसा ही सीन है उसने इस बिस्तर पर कुछ दिन पहले देखा था जब सुंदरी एक अजनबी का लंड चूस रही थी और सेठ देख रहा था।
यहाँ सेठजी की बहु है।
अब आगे..............
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उस दिन मुनीम को हिम्मत नहीं हुई थी, कि सेठ से उस औरत को चोदने के लिए कहे लेकिन अब 3-3 जवान लड़कियों को चोद के का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया था। मुनीम का लंड टाइट होने लगा था। वह सोच रहा था की सेठजी ने मेरी पत्नी के बदले में काफी कुछ दे दिया है, लेकिन उसे यह बात बिलकुल भी पसंद नहीं आई थी जब सुंदरी की वह साब छोड़ रहा था और सेठजी ने उसे कागजाद लेके बुलाया और वह हसाब ने सुंदरी की गांड पर कागजाद रख के साइन किये थे। वह बिलकुल नहीं चाहता था की ऐसा हो पर उसके हाथ में कुछ नहीं था और नाही परम के हाथ में था, स्थिति को संभालना ही था।
लेकिन आज वह जानता था की परम कौनसी माल को लेके आया है और वह उसी पर नजर गढ़ाए बैठा था की बस एक मौक़ा मिल जाए। जब सेठजी अन्दर जा रहे थे तब मुनीम ने उसको अपनी प्रोमिस याद दिलाई थी की जो भी माल हो आज साथ ही खायेंगे। और अब वह उस कमरे में था जहा एक दिन सुंदरी थ इऔर वह कुछ न कर सका था। वह खुश था की परम ने छोटी बहु पर अपना सिक्का डाल दिया था।
“क्यो मुनिमजी, माल कैसा है?”
“सेठजी बहुत मस्त माल है, लगता है एकदम सोलाआनी माल है।” मुनीम ने कहा और बहू के चूत में पीछे से उंगलियां घुसा कर मजा लेने लगा।
मुनीम उसको चोदना चाहता था।
“सेठजी आप जब बोलिए सुंदरी को लाकर आपके लंड पर डाल दूंगा लेकिन मुझे इस कड़क माल को चोदने दीजिए।”
“परम तो चोद ही चुका है बहु को, तुम भी बहु चोद डालो, लेकिन मैं जब भी सुंदरी को लाऊंगा, जिस से भी चुदवाने बोलूंगा…” सेठजी ने कहा। “देखो मुनीम बहु तुम्हारी हुई लेकिन मुझे सुंदरी चाहिए जब बुलाऊ उसे भेजना पड़ेगा और हां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मुझे सुन्दर के माल का उपयोग करना पड़ेगा, और उसके लिए तुम, सुंदरी और परम सब खुश रहोगे ऐसा मैं कुछ करूँगा।“ मुनीम के कान में जाके कहा। उस दिन देखा और अब आगे तुम्हारे सामने ठीक है? और हम दोनों की बात किसी से नहीं।” फनलव और मैत्री की पेशकाश।
मुनीम सहमत हो गया।
मुनीम ने पूरे कपड़े उतार दिए। परम और सेठ ने उसके बड़े लम्बे लंड को आलू के आकार के सुपारे के साथ देखा। मुनीम को अपने बेटे के सामने नग्न होने में कोई शर्म नहीं थी। उसे क्यों होना चाहिए जब वह पहले ही अपनी बेटी को चोद चुका है। मुनीम ने बहू के चूतर को फैलाया और सुपारे को चूत के छेद पर रख कर लगातार 4-5 धक्का मारा। बहू को लगेगा कि उसकी प्यारी चूत फट जाएगी। बहू को लंड, अपनी चूत के अंदर बहुत टाइट लग रहा था, उसे ऐसा लगा की पहली बार चुदवा रही हो।
परम जानता था की बाबूजी अब कमाल करेंगे, उसने बहु को आगे पकड़ के रखा ताकि पीछे से उसकी चुदाई शुरू हो तो वह आगे जाके छटक ना जाये। आखिर वह भी बेटा ही था अपने बाप के लिए कुछ भी कर सकता था।
और सच यह था की मुनीम ने सुपारे ने बहु की चूत फाड़ ही डाली, उसकी छुट से खून बह आया, ससुरजी और परम उस खून को सिर्फ देखते ही रहे, ससुरजी ने अपनी गांड का पहला कचुम्बर हुआ याद आ गया। जब की परम को अपनी बहन की चूत और ठीक से नहीं चल पाने की वजह मालुम हो गई। बहनछोड़ बेटी चोदी है तो बहु क्या चीज़ है। फटेगी आज, उसे डर लग रहा थी की कही बहु फिर से इस लंड पे या मेरे लंड पर आएगी की नहीं।
मुनीम बहू की कमर पकड़ कर खूब मस्ती से बहू को पेल रहा था और बहू को लग रहा था कि उसकी चूत में कोई लंड नहीं बल्कि गरम लोहे की रॉड घुसा है। परम ने भी चोदा था तो लगा था कि चूत फट जाएगी लेकिन अब तो लग रहा है कि चूत के साथ-साथ गांड भी फट जाएगी। 20-25 धक्का लगाने के बाद लंड आराम से चूत के अंदर-बाहर होते दिखा।
मुनीम बिस्तर पर आराम से हाथ बढ़ा कर पीछे दोनों चुचियो को मसलते हुए चुदाई करने लगा। मुनीम को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसने पूनम, महक और सुधा की कुंवारी चूत पर अपना झंडा गाड चुका था, जब की लीला अपने पति से एक साल से चुद रही थी। और सुंदरी की गांड पर रखे कागजाद की स्याही उसे याद थी। वह बहु की गांड की गोलाई अपने हाथ और लंड से नाप रहा था, उसकी भूगोल अब खराब हो रही थी।
“सेठजी माल पका है आज हमारी भाषा में कहे तो मैं मेरी इस कलम से इस माल के सभी कागज़ पर सफ़ेद स्याही से साइन करता हूँ।“ मुनीम के उस द्रश्य से और चनक चढ़ गई थी और वह अब लगातार धक्के मारे जा रहा था।
“हाँ...हाँ क्यों नहीं अब यह कागज़ भी आप का ही समजो मुनीमजी” सेठजी ने मुनीम के पिछवाड़े पर हाथ फेराते हुए कहा।
उधर बहु की हालत खाराब थी, उनकी आँखे चौड़ी हो गई थी और वह सिर्फ धक्के का मजा ले रही थी, उसे बस अब यही पर स्वर्ग मिल गया था। उसे कोई परवाह नहीं थी, की उसकी चूत सूज के कैसी हो जायेगी।
वह परम और सेठजी मुनीम के धक्क्के देख कर अपने आप को कोस रहे थे।
उधर बहु...
परम उसकी चूत में घुसने वाला दूसरा लंड था, सेठजी तीसरे और अब मुनीम चौथा। लीला अभी-अभी परम के मोटे, लंबे लंड से चुदी थी और फिर सेठजी ने बहुत देर तक दबाए रख्खा था, लेकिन मुनीम को लग रहा था कि वो किसी अनचुदी चूत को चोदे जा रहा था। चूत बहुत टाइट थी। या फिर उसका सुपारा बहोत बड़ा था वह तो लीला ही बता सकती है या फिर खून से पड़ी उसकी चूत।
लेकिन अब वो देखना चाहता था कि किस कच्ची कली को चोद रहा है। मुनीम झटके से लंड को चूत के बाहर निकला और बिना किसी को मौका दिए बहुत ज्यादा दबाव पर सीधा पलट दिया और दोनों जांघों को धक्का देकर फिर से लंड को धक्का मारने लगा। अब चुदाई का असली मजा आ रहा था। बहू भी अपना चूत्तर हिला कर धक्के का जवाब दे रही थी। लेकिन लीला ने झूठ से अपने लंबे घने बालो से चेहरे को कवर कर लिया। मुनीम ने देखा कि जिस लड़की को वो चोद रहा है उसके चेहरे के बाल से ढका हुआ है। मुनीम ने बालों को हटाना चाहा तो बहू ने मुनिम का हाथ हटा दिया और कहा,
'बस, रज्जा जम कर चोदो। चुदक्कड का चेहरा देख कर क्या करोगे। मैंने सेठजी से पूरे 2 लाख ले लिए हैं। परम और सेठजी चोद ही चुके हैं..अब तुम भी पूरा मजा लो....मेरा चेहरा मत देखो...चूची क्यों नहीं दबाते हो, छोटी है इस लिए!' मैत्री द्वारा लिखित।
हाला की यह जानते हुए भी अनजान बन जाना मुनासिब समज के, मुनीम ने भी चेहरा देखने का जिद्द नहीं किया और लगतार चोदता रहा तब तक वो पुरा डिस्चार्ज नहीं हो गया। परम और सेठजी की तरह मुनीम ने भी चूत में वीर्य भर दिया।
“हाँ सेठजी, मेरे इस कलम की सफ़ेद स्याही पूरी खाली कर दी है यह कागजाद पर।“ उसके चहरे आर एक विजयी मुस्कान थी।
मुनीम ने चूची को चूमा और चूसा और फिर बहू के बदन पर पर से उठ गया। सब ने देखा कि चुदवाने के बाद बहू का पूरा शरीर चाँदी की तरह चमकने लगा। उसकी चूत से मानो वीर्य का बहाव निकल आया।
“सेठजी, साली बहुत जबरदस्त माल है…सुंदरिके साथ भी इतना मजा नहीं आया।” दोनों सेठजी और मुनीम ने एक दुसरे को आँख मारी।
मुनीम कपड़े पहन कर बाहर चला गया। मुनीम के बाहर जाते ही बहू उठी और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। बहु ने चूत को सहलाते हुए कहा “आज तो मेरी माँ ही चुद गई! इस चूत का बाजा बज गया। लेकिन मजा आया एक के बाद एक तीन लंड से चुदवाने में।“ उसने परम को चूमा…और कहा, “परम, ये चूत अब तेरी और तेरे सेठजी की है। लेकिन बाहर का भी लंड कभी-कभी खाने देना, सब से ज्यादा मजा दे के गया है।“ उसका इशारा मुनीमजी के लिए था।
परमने देखा कि सेठजी ने बहू को कुछ पेपर दिए और कहा कि यह कोठी का पेपर है ठीक से रखना। कुछ नोटो का बंडल भी दिया। सेठजी ने परम और बहु को घर जाने को कहा और बोला कि वो एक घंटे में आएंगे। परम और बहू भीतर हो कर कमरे से बाहर निकले। परम आगे के दरवाजे और बहू पीछे के दरवाजे। दोनो रिक्शा पर बैठ कर वापस घर आये। बहू के मन में कोई अपराध बोध नहीं था। वह खुश थी कि मुनीम यह नहीं देख सका कि वह कैसी थी और उसे यकीन था कि सेठजी या परम, कोई भी किसी से चुदाई की बात नहीं करेगा।
अब उसकी चूत के फांके सूजने शुरू हो चुके थे। उसे अब अंदरूनी दर्द हो रहा था। उसने खुन्वाला पेपर नेपकिन अपने पर्स में रखा। उठने की नाकाम कोशिश की लेकिन परम ने उसे मदद की।
“परम, मैं घर जा सकुंगी!”
“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा। मैत्री और नीता की रचना।
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आजके लिए इतना ही ....कल फिर मिलेंगे ।
।। जय भारत ।।
Ji bilkulBahut hi majedar update he Funlover Ji
Bahu to pakki saudebaaj nikli........
Chut ke badle kothi bhi le li aur kisi se bhi chudne ka licence
Keep posting dear
Thanks a lot friend
Thank you dostShandaar update
