“भाभी, बाबूजी के निचे से गुजरी हुई हो तो थोडा आराम कर लेना चाहिए, वरना बहोत तकलीफ होती है तभी तो लडकिया बाबूजी से दूर ही रहना पसंद करती है। अभी आपकी चूत सुजेगी, बाद में मूत ने में भी तकलीफ हो सकती है, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। अब मैं ही आपको चोद दिया करूँगा।“ उसने अपना मौके को पकड़ कर रखा।
अब आगे............
जब परम और बहू घर पहुंचे तो शाम के साढ़े पांच बज रहे थे।
वह सबसे पहले लडखडाती हुई अपने कमरे में गई और उन कागजों और पैसो को छिपा दिया। घर की दूसरी औरतें और सेठानी उसके कमरे में आईं और उसने उन्हें दिखाया कि उसने क्या खरीदा है। बड़ी बहू और सुंदरी छोटी के चेहरे और उसके कपड़ों को गौर से देख रही थीं। उन्होंने उसके कपड़ों पर वीर्य के धब्बे और सिकुड़न देखी, बड़ी बहू ने सुंदरी के हाथ दबाए और मुस्कुराई। उन्होंने अंदाज़ा लगाया कि परम ने किसी तरह छोटी बहू को चोदा है। बड़ी बहू ने राहत की साँस ली। उसके लिए अब एक खिड़की खुली हुई लगी क्यों की अब घर में छोटी से चुदाई के मामले में भिड़ना नहीं पड़ेगा।
"चलो, परम को हम दोनों बहू के माल का मज़ा मिल गया।"
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रात में सब लोग सेठजी के कहने से रुक गए और सब खाना कहने के बाद सो गए.......तब......(शोर्ट में)
"साली बहुत गरम है। बहू को चोदो।"
सेठजी ने अपना लंड बहू के मुँह से बाहर निकाला। लंड अब टाइट हो गया था। उन्होंने खुद को उसकी जांघों के बीच रखा और अपना लंड बहू की गीली चूत में डाल दिया।
उसने एक जोर का धक्का दिया। "बहू तुम्हें तो दिन में चोद लिया था लेकिन अभी भी सुंदरी को चोदने निकला था। लेकिन अच्छा हुआ तुम्हारा टाइट चूत चोदने का मौका मिल गया। सुंदरी को तो कभी भी चोद लूंगा।"
सेठजी ने जोर का धक्का मारा। 100 किलो का आदमी का धक्का छोटी बहू के लिए बहुत था। वो मजा लेकर चुदवाने लगी। परमने थोड़ी देर में उन दोनो की चुदाई देखी और फिर वो बड़ी बहू के कमरे में आ गया। दरवाजा बंद था। परम ने धीरे से दस्तक दी तो दरवाजा खुला और परम ने देखा सुंदरी बिल्कुल नंगी खड़ी है।
"मै जानती थी तू ही होगा। रेखा को मज़ा दिया की नहीं।" उसने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। अगर वह बाहर देखती तो आसानी से देख सकती थी कि सेठजी अपनी छोटी बहू को चोद रहे थे।
परम ने देखा कि बड़ी बहू भी सुंदरी की तरह नंगी थी और उसे दो-तीन बड़े आकार के खीरे दिखाई दिए।
परम ने उन्हें हाथ में लिया और सुंदरी ने कहा, "हम दोनो ने पहले तो एक दूसरे को खूब चूमा और चूत को चूमा फिर इस खीरे से एक दूसरे को चोदा और गांड में भी घुसाया। तेरी भाभी एक नंबर की चुदासी है।"
परम ने सुंदरी के चूत में ककड़ी घुसडते हुए कहा “तुमसे बड़ी चुदासी दुनिया में कोई नहीं है माँ।”
सुंदरी ने खीरे को पकड़कर लिया और कहा “बेटा लंड में दम नहीं है कि खीरा घुसा रहा है!”
"क्या करू माँ, पहले तो रेखा ने, फिर सेठानी ने और बाद में छोटी बहू ने लंड को पूरा चूस लिया। छोटी बहू की चूत तो महक के चूत से भी टाइट थी।”
'मुझे चुदाई की अभी जरूरत नहीं है। आज विनोद ने खूब चोदा हम दोनो को। चल मेरे चूत से लंड सटा कर सो जा।' सुंदरी ने चूत से खीरा निकाला तो परम खीरे को चबा-चबा कर खा डाला।
“माँ, मैंने बहुत चूत के स्वाद लिया है। लेकिन तेरी चूत सबसे स्वादिष्ट है, स्वादिष्ट है… तेरी चूत में से तो अमृत ही बहता है....आजा मेरी बाहों में आ जा कुतिया…और तेरी चूत से निकालता हुआ रस मेरे भोजन के बराबर है माँ।”
परम बड़ी बहू और सुंदरी के बीच सो गया और सुंदरी ने उसके बेटे के लंड पर अपना लंड रख दिया।
“रातमे लंड टाइट हो तो चूत में पेल देना।“ सुंदरी ने कहा और लाइट बंद कर दी। कुछ देर तक परम ने सुंदरी को चूमा, प्यार किया और फिर उसे पकड़कर सोने की कोशिश की।
सुबह जब सुंदरी उठी तो उसने देखा कि परम का लंड बड़ी बहू की योनि पर खड़ा था और उसके हाथ उसके स्तनों पर थे। उसने ठीक से कपड़े पहने और उन्हें परेशान किए बिना वह बाहर आ गई। उसने बरामदे में खाट पर किसी को सोते हुए देखा जहां परम सोया था। उसने पास जाकर देखा तो छोटी बहू पूरी नंगी थी। सुंदरी ने उसे जगाया। बहू ने आँखें खोलीं और सुंदरी को देखा।
“परम कहा है?”
“बहू, तू परम को छोड़, देख तू नंगी है, कोई देखेगा तो क्या बोलेगा! सेठजी उठने वाले है। जा तू अपने कमरे में।“
बहु तुरंत उठी और नग्न अवस्था में अपने कमरे में चली गई और कमरा अंदर से बंद कर लिया।
सुंदरी सेठानी के कमरे में गई और सेठ और सेठानी दोनों को नग्न देखा। फिर वह ऊपर गई और अपनी बेटी को जगाया, वह असामान्य पोशाक में थी और रेखा नग्न थी। उसने सोचा कि रात में महक को छोड़कर उसका बेटा सभी महिलाओं के साथ आनंद लिया।
जब वह वापस उस कमरे में लौटी जहाँ वह सोई थी, तो उसने परम को बड़ी बहू को चोदते हुए देखा। बहू ने उसे देखा, “सुंदरी, ओह सुबह मेरी चुदाई का अपना मजा है… बहुत मजा आ रहा है… तू भी चुदवाले।”
“बेशरम, कुतिया तू परम के लंड का मजा ले, मैंने रात में पूरा मजा ले लिया था।” सुंदरी ने जवाब दिया और उस कमरे से बाहर आ गई।
“रात में तूने तेरी माँ को चोदा था?”
"क्या भाभी तुम भी! मैं तो तुम्हें चोदने आया था। वो साली तो सोई थी, उसे मालूम ही नहीं मैं कब आया। मैंने तेरी चूत से चिपक कर सो गया। ले अब संभाल मेरा लोडा!"
परमने लंड बाहर निकल कर 8-10 धक्का लगाया और बहू का पानी फुव्वारी की तरह निकल गया।
“बस राजा, अब उतर जा… रात को फिर यहीं रहना,खूब चुदवाऊंगी।”
बहू ने परम को धक्का देकर नीचे गिरा दिया। उसने कपड़े पहने और बाहर चली गई। परम ने भी कपड़े पहने।
जब वह बाहर आये तो परिवार के सभी सदस्य और कुछ कार्यकर्ता पहले से ही परिसर (कोर्ट-यार्ड) में मौजूद थे। सुंदरी ने सभी को चाय परोसी और फिर परम ने सभी से विदा ली और अपनी बहन महक और सुंदरी के साथ घर आ गया। सेठानी ने उन्हें जल्दी आने को कहा।
घर वापस आकर, सुंदरी और महक ने घर की सफाई की और उसके बाद सुंदरी ने नाश्ता बनाया। उन्होंने खाना खाया और पिछली रात के बारे में बातें कीं।
सुंदरी ने बताया कि कल रात परम ने सेठानी से लेकर रेखा तक सभी औरतों के साथ खूब चुदाई की। महक ने उत्तर दिया,
“मैने देखा की कैसे रेखा भैया से मजा लेने के बाद नंगी मेरे बगल में आकार सो गई और बेशरम हो कर बोली कि तेरा भैया के लंड में बहुत मस्ती है और खूब चोद कर जो मजा देता है उसका कोई जवाब नहीं।“
“आखिर बेटा किसका है!” सुंदरी ने कहा। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
महक ने जवाब दिया, “गाँव की सबसे चुदक्कड़ चुदास सुंदरी का।” वे सभी हँसे। महक ने जारी रखा, “मेरे चूत में भी खुजली होने लगी थी…अगर दोनों भैया होते तो मैं भी अनसे चुदवा लेती।”
सुंदरी- "महक क्या बोलती हो! सेठ के दोनों बेटे तो छक्का है। जो आदमी अपनी बीबी को चोदकर खुश नहीं कर सकता वो तुम्हारे और मेरे जैसे मस्त माल को क्या चोदेगा! तू भी परम के पास आ जाती, तुझे भी मस्त कर देता।"
“तुम भी तो बहार जाके चुदवा रही हो तो क्या मेरे पिताजी में दम नहीं है? उस लंड से तुम्हे जी भर गया है माँ लेकिन मुझे पूछ मेरी चूत से पूछ क्या हालत कर दी थी मार-मार के,किसी के बारे में ऐसा कहने से पहले सोच तो लिया कर। तेरे उस पति के लंड पर तीनो माल लटकने को तैयार है। मैं किसी से भी चुद्वाऊ लेकिन मेरी चूत का प्रथम प्यार तो बाबूजी का लंड ही है।“
“हां हा ठीक है, तू अपने बाबूजी के लंड पर लटकती रह, लेकिन मुझे अब नए लंडो की तलाश है।“
इस तरह वे घर पर ही रहे। परम और महक ने साथ में नहाया, लेकिन एक बार भी उन्होंने चुदाई नहीं की। इसके बाद, सुंदरी बाथरूम में गई। वह नंगी हो गई और कपड़े धोने लगी। उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखा। तभी उसे बाहर के दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। बाथरूम प्रवेश द्वार से काफ़ी दूर एक कोने में था, इसलिए उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। परम ने अपनी कमर में तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोला। वह अपनी पहली कुंवारी लड़की सुधा को देखकर खुश हुआ। उसे पता नहीं था कि बाद में वह उसके घर आई थी और उसके पिता के मोटे लंड से अपनी चूत चुदवा रही थी।
उसने महक के बारे में पूछा और बेडरूम की तरफ़ जाते हुए उसने सुंदरी को बाथरूम में नंगी देखा। सुंदरी ने पूछा,
"कैसी है बेटी?"
"सुधा बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी हो गई और बोली, "मैं ठीक हूँ, माँ ने आपको और परम को बुलाया है।"
वह उस आदर्श महिला से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी, वह सुंदरी थी। वह चाहती थी कि वह भी उसकी तरह हो।
“ठीक है, तू बैठ मैं नहा कर आती हूँ।” सुंदरी ने आगे कहा, “लेकिन रजनी (उसकी माँ) को अभी मुझसे क्या काम है!
वह नहीं जानती थी कि कुछ दिन पहले जब परम ने रजनी को चोदा था तो वह केवल इस शर्त पर राजी हुई थी कि परम सुंदरी को उसके पति से चुदवाने के लिए लाएगा। परम भूल गया था लेकिन सुधा की बात सुनने के बाद उसे याद आया। महक ब्रा और पैंटी में बाहर आई और दोनों एक दूसरे से लिपट गईं। महक ने सुधा को अपने कमरे में खींच लिया और परम को बुलाया।
"सुधा, तुझे देखते ही मेरी चूत गरमा जाती है। तू बहुत प्यार से और मजा देकर चूत को मजा देती है। उसने खुद को नंगा किया और सुधा के विरोध के खिलाफ महक ने उसे भी नग्न कर दिया। महक ने जबरदस्त सुधा के मुंह को अपनी जांघों के बीच दबाया। सुधा भी क्या करती, महक की चूत चाटने लगी।
इधर परम अंदर आया तो उसे सुधा का चूत खुला हुआ देखा। सुधा ने झांट भी साफ किया था और पूरी जांघें फैला कर महक के चूत का मजा ले रही थी। परम ने भी सुधा की कमर को पकड़ा और दम लगा कर धक्का मारा। आधा लंड चूत में गया, अंदर घुस गया। सुधा पिछले दिन से चुदवाई नहीं थी और अभी भी चुदाई के लिए तैयार नहीं थी। चूत बिल्कुल सूखी थी। परम को लगा कि कुंवारी चूत को चोद रहा है। लंड बाहर निकाल कर फिर जोर से धक्का मारा और इस बाद लंड पूरा चूत के अंदर चला गया लेकिन सुधा जोर से चिल्ला उठी।।
“ओह्हमा मेरी चूत गयी!”
सुंदरी दौड़ कर नंगी कमरे में आई तो तीनो बच्चो को मजा मारते देखा।
“बेटा, प्यार से चोदो। जब भी किसी चूत को चोदो तो प्यार से चोदना चाहिए। उसे मजा लेने दो।” सुधा ने नज़र उठाई तो उसे सुंदरी का चमकाया और मस्त जवानी दिखाई पड़ी। सुधा इस बात से सहमत थी कि सुंदरी की चूत का आकार बहुत ही सेक्सी है। छोटा सा त्रिकोण, बीच से फूला हुआ और एक पटला स्लिट। फनलव और मैत्री की प्रस्तुति।
“काकी मैं तुम्हारी चूत का मजा लुंगी।”
“ठीक है, ले लेना पहले जम कर चुदवा ले। अपनी चूत की खुजली मिटा बाद में मेरी चूत पर आना।” सुंदरी ने जवाब दिया।
परमने अपनी माँ की चूत को देखा। लंड और टाइट हो गया और फिर से जोर जोर से चोदने लगा। महक ने सुधा को चिल्लाने का मौका नहीं दिया। उसके मुँह को अपनी चूत पर दबाया। परम सुधा के चूत में धक्का लगता था और मजा महक को आ जाता था। सुंदरी कुछ देर देखती रही।
बस आज के लिए यही तक कल फिर आप के सामने नए एपिसोड के साथ आ जाउंगी।
तब तक आपके मंतव्यो की प्रतीक्षा रहेगी।
।। जय भारत ।।