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अगले भाग की प्रतीक्षा में है ।
Ji shukriya dost

Aaj sham tak de dungi.....fir shayad raat ko de dungi.

2k tak likhne ki capacity hai. Khas kar aisi kahaniyo ke liye. :DD:
 
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चलिए अब आगे जानते है इस एपिसोड से.............



रात के लगभग 8 बज रहे थे। सेठजी भी आ गए थे और वे अपने बेटे, बहू और सुंदरी को देखकर खुश हुए। कुछ देर बाद परम वापस आया और सीधे भाभी के कमरे में गया और किताब पहले से तय जगह पर रखकर बाहर आ गया। उसे देखकर रेखा ने उसकी माँ की तरफ देखा तो वहा से एक इशारा ऊपर जाने का आया, रेखा समज गई की मम्मी परम को ऊपर भेज देगी, उठकर ऊपर चली गई। तभी परम ने सेठजी की ओर देखा तो सेठजी ने इशारा किया रेखा की तरफ और आँखों से कहा तुम रेखा के पास जा सकते हो। सेठजी अपने बेटे और बहू से बातें कर रहे थे, लेकिन वे और उनका बेटा सुंदरी को घूर रहे थे जो वहाँ कुछ काम कर रही थी। मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

लगभग 5 मिनट बाद सेठानी ने परम को जाने के लिए कहा। ऊपर और दूसरे कमरे को साफ करो क्योंकि छोटा बेटा और बहू कल आने वाले हैं। परम ख़ुशी से ऊपर चला गया और जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुआ रेखा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और परम को बाहों में ले लिया।

“कितना तड़पा रहे हो, जल्दी से ठंडा कर दो…मेरी गांड मार दो प्लीज़ ...अब तुम्हारे बगैर यह गांड को भी मजा नहीं आता।”

परम ने फटा-फट रेखा को नंगा किया और खुद भी नंगा होकर रेखा की चूत को चाटने लगा। चूत का मजा लेकर उसने रेखा की गांड मारी और फिर गांड से लंड निकाल कर रेखा को अपना लंड चूसाया और उसके मुंह में पानी गिरा दिया। अब रेखा को अपनी गांड मरवाई हुई लंड को चाटने में कोई तकलीफ नहीं होती थी उसने बड़े प्रेम से परम का लंड चाट के साफ़ किया। “मम्मी को चुसाया?”

परम ने उसकी निपल को खींचते हुए कहा ”नहीं आज टाइम ही नहीं मिला, और मुझे लगता है की अब सेठानी मेरा लंड नहीं चूसेगी पर उन्होंने कह रखा है की रक्खा की गांड मारते रहना।“

“तो मार दिया करो, डरना किस से है!” उसने एक ऊँगली अपनी गांड में दल के कहा “देखो, कितनी आराम से गांड में घुस जाती है सब तुम्हारे इस लंड का प्रताप है। अपना पानी पिलाते रही मुझे।”

रेखा के साथ मस्ती लेने में भाभी को भूल गया। रेखा को ठंडा कर परम नीचे आया तो देखा कि सब लोग खाने के लिए बैठे हैं। परमने बहू की ओर देखा और फिर सेठानी की ओर। सेठानी ने कहा,

“बेटा कभी मौका निकाल कर मेरा भी काम साफ कर दो..” वह कहना चाहती थी कि तुम मुझे भी चोदो. रेखा भी नीचे आ गयी, भाभी ने परम को भी कुछ खाने को दिया और उसके कान में कहा, “मुझे बहुत मजा आया, तू बहुत प्यारा है..”

*****

इधर ये सब चल रहा था और उधर सुंदरी के घर में...

थोड़ी देर तक महक नंगी ही घर में घूमती रही फिर उसे शर्म आई और उसने फ्रॉक पहन लिया। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने दरवाज़ा खोला. उसकी दोस्त पूनम थी, महक ने पूनम को अंदर खींच कर दूर कर दिया और पूनम को बांहों में लेकर चूमने लगी... फिर दोनों अलग हुए।

“क्या रे महक, बहुत गर्मी चढ़ गयी है…?”

"क्या करु,,, यह सोच कर कि भैया आज तुम्हें चोदेगा मैं गर्म हो गई हूं..." महक ने पूनम को किस किया और कहा, "चल घर में कोई नहीं है, थोडा मस्ती करते हैं.. ।"
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

"क्या मस्ती करोगी? तुम भी तो लड़की हो..! पूनम ने जवाब दिया, "मस्ती तो परम के साथ ही आती है।"

“तुझे नहीं पता, चूत में कितना मजा है…बस मजा लेने वाला और देने वाला चाहिए.. ।”

“तुझे कैसे पता, तू चुदवाती है क्या..?” पूनम ने पूछा।

महक ने उसकी फ्रॉक उतार दी और वह नंगी हो गई। “मेरी सील अभी तक नहीं टूटी है लेकिन भाई और सुधा (जिस लड़की को परम ने अपने घर पर चोदा) एक दूसरे को खूब मजा देते हैं।” महक ने अपने स्तनों को सहलाया और कहा, "चल तू भी नंगी हो जा।" पूनम शांत रही लेकिन महक ने उसका कुर्ता, पायजामा उतार कर उसे नंगी कर दिया। (ब्रा उसने नहीं पहनी हुई थी, वैसे भी गाव में लगभग सभी औरते ब्रा और पेंटी नहीं पहनती है।)

पूनम ने अपनी चूत को कवर करते हुए कहा, “तू क्या करेगी और कैसे… मेरी मां के अलावा किसने मेरी इसको (चूत) नहीं देखा है।”

महक ने पूनम को बरामदे पर रखे खाट पर पटक दिया और उसकी दोनों जांघों को फैला कर अपना मुँह पूनम के चूत पर रख दिया। पूनम चूत पर से हाथ नहीं हटा रही थी लेकिन महक ने जोर लगाकर पूनम के हाथ को हटा दिया और चूत के भट्ठे पर जीभ रगड़ा...

“ओउच्ह्ह” पूनम चिल्लायी। महक ने पूनम की जाँघ को चुत के ठीक बगल से पकड़कर अलग किया और भगनासा को चबाया। अब तक महक चूसने और ब्लोव्जोब में एक्सपर्ट हो गई थी। वह अपनी सहेली सुधा और अपनी मां सुंदरी के साथ नियमित रूप से ऐसा कर रही थी। जैसे ही महक ने पूनम के भगनासा को होठों के बीच पकड़कर चबाया तो पूनम फिर से कराह उठी।

“साली,भोसडिकी! क्या कर रही है..! चोद दे हरामजादी… रंडी… जाकर सुधा की चूत चाट…।” आआअह्ह्ह्ह… बहुत मजा आ रहा है…. साली मादरचोद पहले चूत को क्यों नहीं चाटा!… मस्त मादरचोद साली अब मुह मत बहार निकालना मजा आ रही है,वाह!..”

पूनम आअहह…ऊऊहहह करती रही और महक से चूत चटवाती रही। उसे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था। वो तो आये थे परम का लंड देखने और उसे सहलाने के लिए। 2-3 दिन पहले रेखा (सेठजी की बेटी) ने कहा था कि परम का लौड़ा बहुत मस्त है और उसने सहलाया है तो पूनम का भी मन हुआ था कि लंड का मजा लेने को। घर में उनके 3 बड़े भाई थे लेकिन कभी उन्हें उनका लंड देखने का मौका नहीं मिला (कुछ कुछ के सिवा) लेकिन कल जब महक ने भी कहा वो रोज अपने भाई का तना और टाइट लंड देखती है तो पूनम ने महक से अनुरोध किया कि उसे भी परम का लंड दिखा दे... महक एक शर्त पर मानी कि पूनम रात भर परम के साथ नंगी सोएगी यानी परम से चुदवाएगी। बहुत ना- नुक्कड़ करने के बाद पूनम तैयार हो गई। ऐसे भी वो परम को चाहती है लेकिन जब से उसे मालूम हुआ कि परम रेखा का दीवाना है वो पीछे हट गई थी।

महक पूनम की चूत को चूस चाट कर गिला कर दिया था। 15 मिनट से ज्यादा हो गए, पूनम कमर उछाल-उछाल कर चूत चटाई का मजा ले रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।

“कौन है बहनचोद अभी?,” दोनो लड़किया घबराकर उठी और पूनम ने कुर्ता और महक ने फ्रॉक पहन लिया। बाकी के सारे कपड़े फ्लोर पर बिखरे पड़े थे। महक ने दरवाजा खोला. उसके बाबूजी (मुनीमजी) थे। मुनीमजी के अंदर आने के बाद महक ने दरवाजा बंद कर दिया।



मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है।

बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
****
बहुत ही
 

Napster

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हालाकि आज मुनीमजी की गांड भी सेठजी ने बजाई थी, और सेठजी की गांड का स्वाद उसके लंड को भी मिला था, दोनों ने एक दुसरे का लंड को गांड मार मार के चाट के साफ़ किया था। फिर भी घर में अक अजीब सी छुट की सुगंध फ़ैल राखी थी। और वैसे भी उसे पता था की आज महक अकेली है क्यों की सुंदरी और परम सेठजी के घर जाने वाले थे तो उसने सेठजी से कह रखा था की आज जल्दी घर जाएगा। सेठजी ने काफी बार पूछने पर उसे सेठजी को बता दिया की वह महक (अपनी बेटी को चोद ने के प्रयास में है पर मौक़ा नहीं मिला रहा लेकिन आज सुंदरी और परम आपके घर जानेवाले है तो शायाद मौक़ा मिल जाए तो मेरे इस लंड की प्यास बुज जाए।

सेठजी ने कहा अरे वाह अपनी बेटी से बहोत प्यार है तुजे और अब हम एक जैसे ही है तो मैं तुम्हे मन नहीं करूँगा पर तुम तो जानते हो आज सुंदरी नहीं आएगी क्योकि शाम को घर आएगी और वह मुझे उसको चोदने का कोई मौक़ा नहीं मिलेगा शायद सेठानी और अहू होंगे तो!

मुनीम: “हां, यह तो है आज सुंदरी को नहीं चोद पायेंगे आप।“

सेठजी: “पर अब मुझे कोई चिंता नहीं, क्योकि हमारे बिच अच्छा सौदा हुआ है तुमको मैंने सुदरी के बदले में सेठानी दी है और साथ में बहु और मौक़ा मिले तो रेखा भी और पैसा भी!”

मुनीम: “जी सेठजी पर उसका मतलब यह नहीं की सुंदरी को मेरे सामने चोदो, कहिपर छोड़ो लेकिन उसे मालूम नही होना चाहिए की मुझे मालूम है और मैंने उसे आपको एक तरीके से बेच दिया है।“

सेठजी: “देखो मुनीमजी चुतिया जैसी बात मत करो, यह सब हमारे बिच में हुआ है और हमारे बिच में ही रहेगा, और यह सब बार-बार बताने की भी जरुरत नहीं।“ कह कर उसे आगे बोला: “हमारी एक डील और भी है पता है ना!”

मुनीम: “अरे हा, पता क्यों नहीं होगा? यह हमारे बिच का आपस का मजा है।” मुनीम चाहता था की सेठजी कुछ पहल करे उसकी गांड में कुछ कुछ होने लगा था पर सेठजी ने कुछ नहीं किया था। वह थोडा निराश था, आज सुबह से वह अपनी गांड को तैयार कर के काम पे आया था।

सेठजी:” एक काम और भी है मेरी बहु आ रही है शायद आज कोई मौक़ा नहीं मिलेगा और सुदरी ऐसे ही कोरी रह जायेगी।“ वह सिर्फ सुंदरी के बारे में ही सोच रहा था।

अब मुनीम से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, और इसकी यह परवशता की वजह से उसका हाथ सेठजी की धोती के आसपास जाने लगे। सेठजी समज गया था वह उसकी परीक्षा कर रहा था की वह पहल कर सकता है या नहीं!
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना।

सेठजी उठ के पीछे के रूम की तरफ चले गए और मुनीम उनके पीछे-पीछे चला गया।

अन्दर जा के सेठजी सोफे पर बैठ गए जब की मुनीम वही खड़ा रहा। सेठजी को लगा की शर्म की वजह से मुनीम कुछ बोल नहीं रहा या कुछ कर नहीं रहा।

सेठजी: “देखो मुनीम,मैं धंधे में तुम्हारा सेठ हु और तुम मेरे मुनीम लेकिन उसके बाद हम एकदूसरे की बीवीया है समजे कुछ?”

मुनीम: “सेठजी कुछ कुछ समजा! लेकिन जरा खुल के बताओ तो ठीक रहेगा।“

सेठजी: “डियर, उसका मतलब है अगर तुम्हारी इच्छा है की तुमको मेरी गांड मारना है आया मेरा लंड से तुम्हारी गांड मरवाना है तो तुम बेधड़क कह सकते हो, जैसे तुम्हारी बीवी का हाथ पकड़ कर कोने में जा सकते हो वैसे ही मई या तुम एक दुसरे के साथ कर सकते है। हम दोनों में कोई बंधन शर्म नहीं होनी चाहिए। अब समजे!”

मुनीम ने बिना कोई जवाब दिए अपनी धोती को खोल दी और उसका लंड सेठजी के सामने लहराने लगा। सेठजी हसे और बोले “चुतिया, अभी तक शरमा रहा था! चल ला इस महेंगे माल को मेरे मुह में। अब्तुम्हे पता होना चाहिए की मेरा मुह और पेट तेरे वीर्य का कितना भूखा है। और हरदम रहेगा।“

मुनीम थोडा आगे की ओर खिसका और लंड को अपने हाथो से पकड़ के सेठजी के मुह में दाल दिया। सेठजी शायद यही चाहते थे उसने भी बिना मौक़ा गवाए उस लंड को अपने मुह में गायब कर दिया। मुनीम ने उसका मुह चोदना चालू कर दिया जैसे एक चूत को बेरहमी से चोद रहा हो।

और कुछ देर के बाद चित्र यह था की मुनीम का लंड सेठजी की गांड को भोसड़ा बनाने में लग गया था और सेठजी बड़े शौक से उसके हर धक्के को खा रहे थे। जब तक मुनीम का लंड काबू में था तब तक सेठजी की गांड बजती रही बाद में मुनीम ने उसके लंड को निकाल के सेठजी के मुह में रख दिया और अपना पानी उसके मुंह में छोड़ दिया।


थोड़ी देर माहोल शांत रहा पर थोड समय के बाद सेठजी का लंड मुनीम के मुह में था और सेठजी मुनीम की गांड को चाट रहे थे। बस इस तरह सेठजी ने मुनीम की गांड का बाजा बजाया, दोनों खुश थे। एकदूसरे की क=गांड को चाट के साफ़ किया और दोनों ने एक दुसरे के लैंड को चाट के साफ़ किया। और दोनों थोड़ी देर के बाद अपनी चाल में बदलाव के साथ कमरे से बाहर आ गये, जैसे कुछ हुआ ही नही लेकिन दोनों थोड़े थोड़े समय पर अपनी गांड को सहलाते रहे।
बने रहिये और आपका बहुमूल्य मंतव्य दे इस एपिसोड के बारे में ...........
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

Funlover

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बहुत ही
Napster जी आपका बहोत बहोत शुक्रिया

आप मेरे सभी पोस्ट्स को लैक करते रहे है और अपनी राय देते रहे है

आपका आभार
 

Funlover

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बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
Napster जी आपका बहोत बहोत शुक्रिया

आप मेरे सभी पोस्ट्स को लैक करते रहे है और अपनी राय देते रहे है

आपका आभार
 
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Janu002

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बहूत ही उत्तेजक और कामुक कहानी लिख रहे हो आप।कहानी में अपडेट निरंतर आएंगे , आपसे यही अपेक्षा है हो सके तो कहानी में समलैंगिक सम्भोग को आगे न लिखें ।
 

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चलिए अब कहानी में आगे चलते है और जानते है की आगे क्या क्या हुआ................................

मुझे अफ़सोस भी है की बहोत ही कम कोमेंट मिल रहे है पर क्या करे......शायद कहानी कोमेंट के लायक नहीं है
 

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बहूत ही उत्तेजक और कामुक कहानी लिख रहे हो आप।कहानी में अपडेट निरंतर आएंगे , आपसे यही अपेक्षा है हो सके तो कहानी में समलैंगिक सम्भोग को आगे न लिखें ।
बहोत बहोत शुक्रिया

सम्लेंगिक मतलब मैं समजती हु की लेस्बियन और गे राईट??????????????
 

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अब आगे............

चलिए वापिस वाही पूनम और महक के पास चलते है.....


मुनीमजी ने देखा कि दोनों लड़कियों के बाल बिखरे हुए हैं, रंग लाल हो रहा है और एक अजीब सी मस्ती छायी हुई है। उन लड़कियों को उस सेक्सी हालत में देखकर वह उत्तेजित हो गया और उसे लगा कि उसका लंड टाइट होने लगा है। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह

"तुम दोनों फाईट कर रही थी क्या?" उसने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की। उसने ज़मीन पर पायजामा के जोड़े पड़े देखे, लेकिन वह कल्पना नहीं कर पा रहा था कि वे किस तरह की चुदाई कर रही हैं। उसके लिए सेक्स का मतलब उसकी पत्नी सुंदरी की 'चूत' है और पिछले एक साल से उसे सुंदरी को चोदने में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी, हालाँकि वह लगभग हर रात उसे रोज़ाना चोदता था और अपना पानी निकाल देता था।

लेकिन आज मुनीम इन लड़कियों को, खासकर पूनम को, चोदना चाहता था। वह उसे जानता था और दरअसल पूनम उसके एक करीबी दोस्त की बेटी थी और पूनम की माँ उसका पहला प्यार थी। लेकिन, सुंदरी को अपनी पत्नी बनाने के बाद, पूनम की माँ में उसकी रुचि खत्म हो गई। अब वह अपने पहले प्यार की बेटी को चोदना चाहता था। मुनीम उसी चारपाई पर बैठ गया जिस पर दो लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं। उसने देखा कि चादर एक जगह गीली है, लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है। उसने दोनों को बुलाया। वे आँखें नीची किए पास आईं। मुनीम ने हाथ बढ़ाकर उन्हें अपनी ओर खींचा और उन्हें अपने पास, एक-एक करके, बिठा लिया। वह अपने हाथ उनके कंधे पर ले गया और उनकी बांहों पर दबाव डालकर उन्हें करीब खींच लिया। लड़कियाँ उसके करीब आ गईं और मुनीम को अपने सीने पर उनके स्तनों की गर्मी और जकड़न का अनुभव हुआ। पूनम गर्मी में थी, वो किसी से भी बुरी तरह से चुदवाना चाहती थी। महक ने उसकी योनी को चाटकर उसकी सेक्स इच्छा को जगाया लेकिन उसकी बांहों पर दबाव महसूस होने से महक घबरा गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"बाबूजी, आप मुंह हाथ धोकर कपड़े बदल लो मैं नाश्ता लगाती हूं.."कह कर महक ने अपने को अलग किया और खड़ी हो गई। उसने पूनम की ओर देखा। वो मुनीम जी से बिल्कुल सट कर बैठी थी। महक ने देखा कि पूनम की एक चूची मुनीम जी के सीने से चिपकी हुई है.. पूनम बैठी रही। महक किचन मे चली गई, महक के अंदर जाते ही मुनीम ने पूनम के गालों को सहलाया और होल से चूम लिया। पूनम मुस्कुरा दी, तो मुनीम की हिम्मत बढ़ी और इस बार उसने जोर से पूनम को अपनी छाती से चिपका लिया..और पूनम की दोनों छाती मुनीम के छाती से चिपक गई। मुनीम को पूनम की चूची की गर्मी बहुत अच्छी लगी...लेकिन पूनम को अच्छा नहीं लगा कि मुनीम इतना कपड़े पहन कर बैठा है। पूनम उठ गयी और कहा,

“काका, आप हल्के हो जाइए…” कह कर वो भी किचन में चली गयी। दोनो लड़किया एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगी। थोड़ी देर बाद दोनों नास्ता की प्लेट लेकर बाहर आइ तो देखा कि मुनीम जी सिर्फ एक लुंगी पहन कर खाट पर बैठे हैं। महक ने पहले भी अपने बाप को इस ड्रेस में देखा है लेकिन आज बाप को सिर्फ लुंगी पहन कर महक सिहर गई। उसका मन ने कह दिया की बाप की बालों वाली छाती से चिपक जाए और बाप अपनी मजबूत भुजाओं को लेकर उसे तोड़ डाले, दरअसल महक ने अपने बाप का लंड देखा हुआ था और उस लंड से पागल भी हो चुकी थी लकिन आगे नहीं बढ़ी क्यों की वह बाप था, मादरचोद। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


पूनम की भी यही हालत थी, पूनम मुनीम का लंड चूत में लेने को पूरी तरह से तैयार थी। महक ने चूत चटकारे से उसे गिला कर दिया था। चूत लंड के लिए तड़प रही थी। दोनों पूनम और महक सामने फ्लोर पर बैठ गईं। नास्ता करते-करते कई बार मुनीम ने झुक कर दोनों के गालों और जाँघों को छुआ। मुनीम उपर बैठा था और वो दोनों लड़कियों की क्लीवेज और स्तन के ऊपरी हिस्से को देख रहा था। नास्ता करते-करते ही मुनीम का लंड खड़ा होने लगा। मुनीम ने टांगों को फैला दिया कि लड़कियां उसके टाइट होते लंड को देख सकें। और लड़कियों ने देखा कि लुंगी के नीचे जांघों के बीच लंड ऊपर नीचे हो रहा है। सबका नास्ता ख़तम होने के बाद दोनों खाली प्लेटें लेकर अंदर चली गईं। दोनों लड़कियाँ शर्म महसूस कर रही थीं।

उन्हें पता था कि उनके साथ कुछ होने वाला है। वे फिर बाहर आइ और उन्हें देखकर मुनीम ने उन्हें अपने पास बैठने को कहा। वे खड़े ही रहते हैं। मुनीम ने पूनम को खींच कर अपने पास बैठा लिया। उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे फिर से अपनी छाती की ओर खींचा। उसने अपना सिर झुकाया और उसके गालों को चूम लिया। महक देखती रही। वह उत्तेजित हो रही थी और सोच रही थी कि अगर वह यहाँ रही तो खुद पर काबू नहीं रख पाएगी और शायद उसके पिता के साथ उसकी चुदाई हो जाए। उसे अपने पिता को अपने स्तन और चूत सहलाने देने में कोई हिचकिचाहट नहीं थी, लेकिन वह किसी और की मौजूदगी में नहीं करना चाहती थी। पूनम को एक बाँह में पकड़े हुए मुनीम ने अपनी बेटी को अपनी जांघों पर बैठने का इशारा किया। लेकिन महक यह कहकर रसोई में वापस चली गई कि सुंदरी के वापस आने से पहले उसे खाना खत्म करना है।

जैसे ही महक नज़रों से ओझल हुई, मुनीम ने पूनम के स्तन सहलाए और उसकी तारीफ़ की, मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


"तुम तो पूरी जवान हो गई हो... तुम्हारे बाप से कहना पड़ेगा कि जल्दी तुम्हारी शादी कर दे..." उसने उसे गहराई से चूमा और पूनम ने भी जवाब दिया। उसने उसके चौड़े और बालों वाले सीने को सहलाया।

“काका, शादी की क्या जरूरत है..तुम ही पूरा खाना खा लो..” पूनम ने अपने स्तन दबाये और अपना हाथ लुंगी के उभार के ऊपर रख दिया। लंड पूरा टाइट था और उसने मुठ मार ली, वो आई थी परम का लंड चूसने और अपनी वर्जिन चूत में लेने लेकिन यहां परम के बदले उसके बाप का मस्तया लंड को छू कर पूनम भी मस्त हो गई। मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है यह


जाइयेगा नहीं आगे और भी है.................


इस एपिसोड के बारे में आपकी राय जान ने के बाद ..........लिखती हूँ ................
 
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